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घर में विवाह का उत्सव पर निबंध | essay on marriage ceremony in hindi.

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घर में विवाह का उत्सव पर निबंध | Essay on Marriage Ceremony in Hindi

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विवाह के रीति रिवाज और वधु की विदाई.

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बाल विवाह पर निबंध भाषण Speech Essay On Child Marriage In Hindi

बाल विवाह पर निबंध भाषण Speech Essay On Child Marriage In Hindi: भारतीय संस्कृति में सोलह संस्कारों में विवाह संस्कार का विशेष महत्व है.

वैदिक काल में यह संस्कार पवित्र भावनाओं का परिचायक था. परन्तु प्रवर्ती काल में इसमें अनेक बुराइयाँ और कुप्रथाएं जुड़ती चली गई.

इन्ही विकृतियों के कारण के कारण हमारे देश में अनमेल विवाह तथा बाल विवाह का प्रचलन हुआ. जो कि आज के शिक्षित भारतीय समाज के सामाजिक-सांस्कृतिक जीवन के लिए घोर अभिशाप बन चूका है.

बाल विवाह पर निबंध भाषण Speech Essay On Child Marriage In Hindi

नमस्कार दोस्तों बाल विवाह प्रथा पर यहाँ शोर्ट निबंध दिया गया हैं. यह प्रथा क्या हैं कब इसका जन्म हुआ और समाज में किस तरह प्रचलित हैं, इस पर यह निबंध एस्से दिया गया हैं.

शोर्ट निबंध बाल विवाह पर

मुख्यतः भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में प्रचलित बाल विवाह एक ऐसी सामाजिक बुराई हैं जो दो नन्हे बालक बालिकाओं के सुनहरें भविष्य को मटियामेल कर देती हैं.

मानसिक रूप से अपरिपक्व बालक बालिका को विवाह जैसे महत्वपूर्ण बंधन में बाँध दिया जाता हैं. दोनों के लिए अपरिपक्वता में एक पति, पिता आर माँ पत्नी के रूप में जिम्मेदारियों का निर्वहन करना कठिन हो जाता हैं.

छोटी आयु में बालिका का विवाह सम्पन्न करा दिए जाने पर वह बाल वधू बन जाती हैं. वह विभिन्न बीमारियों और मानसिक तनाव का शिकार हो जाती हैं. छोटी आयु में लडकें का विवाह कर दिए जाने पर वह कम आयु में ही आर्थिक और पारिवारिक जिम्मेदारियों के तले दब जाता हैं.

बच्चें अपने बालपन को गंवा देते हैं, कई घातक बीमारियाँ उन्हें अपना शिकार आसानी से बना सकती हैं. लड़की तथा उससे उत्पन्न होने वाली संतान में कुपोषण, कम वजन और अन्य प्रकार की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता हैं.

एक समय भारतीय समाज में बाल विवाह बड़े स्तर पर होते थे, इनके दुष्प्रभावों को देखते हुए भारतीय संविधान में विवाह योग्य लड़कें की आयु 21 वर्ष तथा लड़की की आयु 18 वर्ष का प्रावधान किया हैं.

बाल विवाह कानूनन वर्जित हैं तथा ऐसा करने वालों पर कानून में सजा का प्रावधान हैं. बाल विवाह की रोकथाम हेतु काफी सख्त कानून भी बने हैं फिर भी इसे पूरी तरह रोकना सम्भव नहीं हो पाया हैं.

यूएनओ की एक रिपोर्ट के अनुसार विश्व में सर्वाधिक बाल विवाह के मामलें में भारत दूसरे स्थान पर हैं, देश में हर दिन करीब चालीस हजार बाल विवाह होते हैं.

यह आंकड़ा काफी बड़ा और चिंता बढ़ाने वाला हैं, क्योंकि इनमें वे राज्य भी शामिल है जिनमें साक्षरता दर अधिक हैं. एक समय था जब मुगलों और ब्रिटिश राजशाही में बेटियां सुरक्षित नहीं समझी जाती थी.

उन्हें उत्पीड़न से बचाने के लिए बाल विवाह कर दिए जाते थे. अब वक्त बदल चूका हैं. लोगों को अपनी सोच को बदलना चाहिए तथा विवेकपूर्ण निर्णय लेते हुए समाज से बाल विवाह की प्रथा को अब समाप्त कर दिया जाना चाहिए.

बाल विवाह इतिहास

हमारे समाज में इस कुप्रथा का प्रचलन मध्यकाल से हुआ. जब विदेशी विधर्मी यवन तुर्क अक्रान्ताओ ने अपनी वासना पूर्ति के लिए कन्या अपहरण और जबरदस्ती रोटी बेटी का सम्बन्ध बनाने की कुचाल चली.

इस कारण भारतीय हिन्दू समाज में अशिक्षित एवं अशक्त लोगों ने अपनी कन्या का बालपन से ही विवाह करना उचित समझा. दहेज प्रथा के कारण भी बाल विवाह का प्रचलन तेजी से बढ़ा. उस समय में किसी भी घर में बेटी के जन्म को अशुभ माना जाता था.

बालक एवं बालिका पूर्ण रूप से नासमझ रहने के कारण बाल विवाह नामक संस्कार का प्रखर प्रतिरोध नही कर पाते थे. दूसरी तरफ कम उम्रः में ही बेटी की शादी कर देने से माता-पिता को दहेज देने से भी छुटकारा मिल जाता था.  

इस प्रकार की सोच के घर कर लेने के कारण मध्यमऔर निम्न वर्ग परिवारों में बाल विवाह का प्रचलन तेजी से बढ़ता गया.

बाल विवाह का अभिशाप

विवाह संस्कार में कन्यादान को पवित्र एवं मांगलिक कार्य माना जाता है. इस अवसर पर कन्या के माता-पिता अपनी हैसियत के मुताबिक अपनी बेटी को उपहार में कुछ वस्तुए व धन देते है.

यही दहेज़ प्रथा धीरे-धीरे विकृत स्थति में चली गई. इसी का परिणाम था कि परिवार में बेटी का जन्म को भी लोग भार मानने लगे.

बेटी को पराया धन समझने वाली सोच के लोग बालपन में ही उनका विवाह करवाकर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर लेते है. मगर इस गलत परम्परा ने कालान्तर में समाज में कई बड़ी समस्याओं को जन्म देने का कार्य किया.

कम उम्र में लड़के-लड़की के विवाह हो जाने के कारण जल्दी ही वे संतानोत्पत्ति का कार्य आरम्भ कर देते है. जिसकी वजह से अनियंत्रित जनसंख्या को बढ़ावा मिलने के साथ ही मध्यम और निम्न वर्ग के जीवन स्तर में भी गिरावट आती है.

बाल विवाह की इस सामाजिक प्रथा के कारण जो उम्रः बच्चो के खेलने कूदने व पढ़ने की होती है. उस उम्रः में उन्हें विवाह जैसे जिम्मेदारी भरे बंधन में अपरिपक्व अवधि में ही जकड़ देते है.

जब बालक न तो शिक्षा प्राप्त कर पाता है, न उनका ठीक से शारीरिक विकास हो पाता है. असमय पति की मौत और कम उम्रः में नवयुवतियों के विधवा बन जाने का मुख्य कारण बाल विवाह ही है.

इस तरह के दुष्प्रभावों के कारण बाल विवाह तथा अनमेल विवाह आज हमारे समाज के लिए सबसे बड़ी समस्या का रूप धारण कर चूका है.

बाल विवाह की समस्या और समाधान (Effects & Solution Of Child Marriage )

इस बाल विवाह की प्रथा की बुराइयों व दुष्परिणामों को देखकर समय समय पर समाज सुधारकों ने इस प्रथा को जड़ से समाप्त करने की दिशा में कई महत्वपूर्ण कार्य किये.

भारत सरकार ने भी इसकी रोकथाम के लिए बाल विवाह को अपराध मानते है कठोर कानून बनाए है. साथ ही सभी के लिए विवाह की न्यूनतम आयु लड़को के लिए 21 वर्ष और लड़कियों के लिए 18 वर्ष निर्धारित कर रखी है.

इस आयु से कम उम्रः के बच्चो का विवाह करना कानूनन जुर्म है ऐसा करने वाले संतानों के माँ-बाप व प्रतिभागियों के लिए कठोर सजा का भी प्रावधान किया गया है. इतना सब कुछ होते हुए भी आज सब कुछ खुले आम हो रहा है.

मुख्यतः राजस्थान में अक्षय तृतीया (आखातीज) के अवसर पर बाल विवाहों की बाढ़ सी आ जाती है. अचम्भे की बात यह है कि इस प्रकार के चाइल्ड मैरिज प्रोग्राम्स में कानून निर्माता और इनके कथित रक्षक भी ऐसे लोगों के साथ बैठे नजर आते है.

बाल विवाह की भयानक समस्या से छुटकारा पाने के लिए जन-जागरण सबसे जरुरी कदम उठाया जाना चाहिए. अब तो भारत सरकार ने विवाह पंजीयन प्रमाण पत्र बनवाना भी अनिवार्य कर दिया है.

सरकार के इस कदम से बाल विवाह कार्यक्रमों पर कुछ हद तक लगाम कसने में मदद मिल सकती है. साथ ही सरकार और समाज सुधारकों को इस दिशा में और अधिक सार्थक कदम उठाएं जाने की आवश्यकता है.

राजस्थान में बाल विवाह

सम्भवतः मध्यकाल में भारत में बाल विवाह की प्रथा ने जन्म लिया था, इसके कई तात्कालिक कारण थे उस दौर में ये समाज का सही कदम भी था. जैसे जैसे वक्त बदला इस प्रथा के स्वरूप में भी बदलाव आता चला गया.

राजस्थान में आज भी यह प्रथा विद्यमान हैं, मगर इसने पुराने स्वरूप को त्यागकर नयें रूप में उपस्थित हैं. आज भी छोटी उम्र में हजारों बालक बालिकाओं का विवाह अक्षय तृतीया पर होता हैं, इस विवाह में लड़की जब तक 18 वर्ष की नहीं हो जाती वह ससुराल नहीं जाती हैं. मृत्यु भोज के कारण प्रदेश में यह प्रथा जीवित हैं.

अवयस्क अवस्था में लड़के एवं लड़की का विवाह. राजस्थान में मुख्यतया अक्षय तृतीया / आखातीज को बाल विवाह होते हैं. भारत में दुनियां के लगभग 40 प्रतिशत बाल विवाह होते हैं.

बाल विवाह के दुष्परिणाम

  • बालक का बचपन छिन जाता है तथा कई बार विवाहोंउपरांत शिक्षा से वंचित हो जाता हैं.
  • बालिका के स्वास्थ्य पर कुप्रभाव- कुपोषण, मानसिक विकास में अवरोध, यौन समस्याएं, HIV, अपरिपक्व गर्भाधान आदि समस्याएं पैदा होती हैं. व्यक्ति का समुचित विकास नहीं हो पाता हैं.
  • मातृ मृत्यु दर पर शिशु मृत्यु दर बढ़ती हैं.
  • बाल विवाह के कारण लड़का बड़ा होकर लड़की को कई बार छोड़ देता हैं.
  • बालिका को कम उम्रः में पारिवारिक जिम्मेदारियां उठानी पड़ती हैं.
  • बालक पर आर्थिक भार, भविष्य की चिंता

बाल विवाह के तथ्य व आकंड़े

  • यूनिसेफ की बच्चों की स्थिति पर रिपोर्ट 2009 व राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के आंकड़ों 2005-06 के अनुसार सर्वाधिक बाल विवाह अनुपात बिहार 69 प्रतिशत व द्वितीय राजस्थान 65 प्रतिशत हैं.
  • भारत सरकार ने नेशनल प्लान फॉर चिल्ड्रन 2005 में 2010 तक पुर्णतः बाल विवाह खत्म करने का लक्ष्य रखा मगर असफल रहे.

बाल विवाह रोकने के क़ानूनी प्रयास

  • 1891 में ब्रिटिश भारत सरकार ने वायसराय लेंस डाउन के काल में एस गांगुली के प्रयास से एज ऑफ कंसेंट एक्ट बनाया जिसके अनुसार 12 वर्ष से कम उम्रः की लड़की का विवाह प्रतिबंधित किया गया.
  • तिलक ने एज ऑफ कंसेंट एक्ट का विरोध करते हुए इसे भारतीय मामलों में विदेशी हस्तक्षेप बताया.
  • सितम्बर 1929 में केन्द्रीय विधानमंडल के सदस्य व अजमेर के रहने वाले मशहूर इतिहासकार हर विलास शारदा के प्रयासों से बाल विवाह प्रतिषेध कानून सितम्बर 1929 में केन्द्रीय विधान मंडल में पारित हुआ तथा 1 अप्रैल 1930 को यह अधिनियम पूरे भारत में लागू हुआ. शारदा एक्ट वायसराय लार्ड इरविन के काल में लागू हुआ.
  • शारदा एक्ट के अनुसार विवाह हेतु लड़की की न्यूनतम आयु 14 वर्ष तथा लड़के की न्यूनतम आयु 18 वर्ष निर्धारित की गई.
  • 1940 में संशोधन कर 15 वर्ष से कम लड़की व 18 वर्ष से कम लड़के का विवाह निषेध किया गया.
  • 1978 में मोरारजी भाई देसाई की सरकार ने शारदा एक्ट में संशोधन करते हुए बालिकाओं के लिए न्यूनतम आयु 18 वर्ष तथा बालकों के लिए 21 वर्ष कर दी.
  • 1992 में फिर संशोधन कर बाल विवाह करवाने वाले अभिभावकों को भी सजा देने का प्रावधान किया गया.
  • 2006 में शारदा एक्ट समाप्त कर बाल विवाह निरोधक अधिनियम 2006 बनाया, जो 1 नवम्बर 2007 को लागू किया गया.

2006 के बाल विवाह निरोधक अधिनियम के अनुसार

  • वयस्क होने के दो साल के भीतर बाल विवाह व्यर्थ घोषित किया जा सकता हैं.
  • विवाह की न्यूनतम आयु 21 वर्ष तथा 18 वर्ष
  • बाल विवाह हेतु दोषी सभी व्यक्तियों को 1 लाख रूपये जुर्माना या दो साल की कठोर कारावास अथवा दोनों
  • जिले में निषेध अधिकारी- कलक्टर
  • बाल विवाह रोकथाम का नोडल विभाग- गृह विभाग व महिला एवं बाल विकास विभाग
  • 1885 में जोधपुर के प्रधानमंत्री सर प्रतापसिंह ने गैर कानूनी घोषित किया.
  • 1903 में अलवर रियासत ने अनमेल व बाल विवाह प्रतिषेध नियम बनाया.

बाल विवाह यानि कम उम्र में लड़के लड़की की शादी से वर वधु दोनों का जीवन अंधकारमय बन जाता है. इसके चलन से समाज में कई और समस्याओं और विकृतियों का जन्म हो जाता है.

अतः अब वक्त आ चूका है हम सबकों जगना होगा और इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए लम्बी सामूहिक लड़ाई लड़नी होगी. तभी हमारे समाज को बाल विवाह जैसे दंश से छुटकारा दिलाया जा सकता है.

बाल विवाह पर भाषण Speech On Child Marriage In Hindi

भारतीय समाज स्वयं को प्रबुद्ध शिक्षित एवं आधुनिक बना रहा हैं मगर आज भी हमारे समाज में बाल विवाह जैसी कुप्रथाएं कानूनी रूप से प्रतिबंधित किये जाने के बाद भी सिर उठा रही हैं.

Child Marriage के कानून एवं हकीकत को जानने के लिए अक्षय तृतीया जैसे अवसरों पर राजस्थान व बिहार के देहाती क्षेत्रों का भ्रमण कर आइए आप हकीकत से रूबरू हो जाएगे. चाइल्ड मैरिज स्पीच इन हिंदी में हम बाल विवाह के बारे में यहाँ जानेगे.

बाल विवाह पर भाषण- Child Marriage Speech

समस्त मेहमानों एवं मुख्य अतिथि महोदय, सर्वप्रथम बाल विवाह पर आयोजित इस भाषण समारोह में मुझे अपने उद्गार प्रकट करने का अवसर देने के लिए धन्यवाद.

अक्सर हमारे समाज की कई बार ऐसी तस्वीर देश व दुनियां के मध्य पेश की जाती हैं कि क्षण भर के लिए हम भी चकरा जाते हैं कि ये किस समाज की बात कर रहे हैं.

मैं अपने भाषण के विषय पर आता हूँ, मुख्य अतिथि महोदय मैं प्रदेश के ग्रामीण इलाके से आता हूँ. वैसे तो यहाँ का परिवेश दुनियां की भागदौड की बेहद दूर एवं बेहद शांत हैं.

मगर रूढ़िवादिता के विषय में हम किसी को आगे नही निकलने देते हैं. हम कुछ भी बदलना पसंद नहीं करते यहाँ तक कि पहने हुए वस्त्र बदबू न दे तो उन्हें भी नहीं, ठीक ऐसा ही बाल विवाह के विषय में हैं.

समाज में बाल विवाह कुप्रथा के प्रचलन का मूल कारण मैं जो समझता हूँ वह जानकारी का अभाव हैं. आज भी समाज के अधि कतर लोगों का मानना हैं कि बाल विवाह हमारे धर्म से जुड़ा विषय हैं अथवा यह हमारे पुरखों द्वारा शुरू की कोई परम्परा व रस्म हैं. मगर सच्चाई इन दोनों दावों को खारिज कर देती हैं.

वैसे तो हम सभी परिचित होंगे कि बाल विवाह क्या हैं मगर किसी को इस विषय में अधिक जानकारी नहीं हैं तो बताना चाहूँगा. जन्म के बाद 2-3, 5-6, 8-10 अर्थात ऐसे समय में नन्हे बालक बालिकाओं का विवाह कर दिया जाता हैं जिन्हें विवाह जैसे संस्कार का क, ख भी नहीं पता हो.

भारत में बाल विवाह मध्यकाल में मुगलों की देन हैं. बाहरी आक्रमणकारियों के भय से माँ बाप अपने  नन्हे बालक बालिकाओं का विवाह करवाकर जिम्मेदारी से मुक्त होने लगे, यह चलता रहा और समाज ने इसे एक प्रथा के रूप में स्वीकार कर लिया.

एक समय यह समाज के लिए जरूरत थी मगर आज वैसी कोई परिस्थिति नहीं हैं अतः हमें समाज में लोगों तक यह बात पह चानी होगी.

आज हर ओर से बाल विवाह के खिलाफ आवाज बुलंद की जा रही हैं. सरकार ने कठोर कानूनों का प्रावधान भी किया हैं. मगर इन सबके बावजूद भी चोरी छिपे बाल विवाह हो रहे हैं.

जिस तेजी से दुनियां बदल रही हैं हमे भी अपने विचारों को नये दौर के सांचे में ढालना होगा. विवाह जैसे पवित्र प्रसंग व जीवन भर साथ रहने के रिश्ते को लड़के व लड़की की पसंद के अनुसार ही बनाने चाहिए न कि माँ बाप की मर्जी से.

  • बाल विवाह पर नाटक
  • राजस्थान में बाल विवाह की कुप्रथा
  • बाल विवाह कविता
  • बाल विवाह पर स्लोगन

उम्मीद करता हूँ दोस्तों बाल विवाह पर निबंध भाषण Speech Essay On Child Marriage In Hindi का यह निबंध आपकों पसंद आया होगा, यदि आपकों इस निबंध में दी गई जानकारी पसंद आई हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें.

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Marriage Essay for Students and Children

500+ words essay on marriage.

In general, marriage can be described as a bond/commitment between a man and a woman. Also, this bond is strongly connected with love, tolerance, support, and harmony. Also, creating a family means to enter a new stage of social advancement. Marriages help in founding the new relationship between females and males. Also, this is thought to be the highest as well as the most important Institution in our society. The marriage essay is a guide to what constitutes a marriage in India. 

Marriage Essay

Whenever we think about marriage, the first thing that comes to our mind is the long-lasting relationship. Also, for everyone, marriage is one of the most important decisions in their life. Because you are choosing to live your whole life with that 1 person. Thus, when people decide to get married, they think of having a lovely family, dedicating their life together, and raising their children together. The circle of humankind is like that only. 

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As it is seen with other experiences as well, the experience of marriage can be successful or unsuccessful. If truth to be held, there is no secret to a successful marriage. It is all about finding the person and enjoying all the differences and imperfections, thereby making your life smooth. So, a good marriage is something that is supposed to be created by two loving people. Thus, it does not happen from time to time. Researchers believe that married people are less depressed and more happy as compared to unmarried people. 

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Concepts of Marriage

There is no theoretical concept of marriage. Because for everyone these concepts will keep on changing. But there are some basic concepts which are common in every marriage. These concepts are children, communication , problem-solving , and influences. Here, children may be the most considerable issue. Because many think that having a child is a stressful thing. While others do not believe it. But one thing is sure that having children will change the couple’s life. Now there is someone else besides them whose responsibilities and duties are to be done by the parents. 

Another concept in marriage is problem-solving where it is important to realize that you can live on your own every day. Thus, it is important to find solutions to some misunderstandings together. This is one of the essential parts of a marriage. Communication also plays a huge role in marriage. Thus, the couple should act friends, in fact, be,t friends. There should be no secret between the couple and no one should hide anything. So, both persons should do what they feel comfortable. It is not necessary to think that marriage is difficult and thus it makes you feel busy and unhappy all the time. 

Marriage is like a huge painting where you brush your movements and create your own love story. 

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घर में विवाह का उत्सव पर निबंध | Essay on Marriage Ceremony in Hindi

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घर में विवाह का उत्सव पर निबंध | Essay on Marriage Ceremony in Hindi!

घर में वैवाहिक कार्यक्रम का आयोजन खुशियाँ लेकर आता है । घर के सदस्य ही नहीं, आस-पड़ोस के लोग और रिश्तेदार भी खुश होते हैं । विवाह से पूर्व ही घर में उत्सव होने लगता है । घर के सदस्यों की व्यस्तता बढ़ जाती है । विवाह की तैयारियों में वे उत्साह के साथ भाग लेते हैं ।

मेरे बड़े भाई साहब का शुभ विवाह पिछले वर्ष संपन्न हुआ । भाई साहब की अच्छी कंपनी में नौकरी लगी तो पिताजी ने उनका विवाह एक पड़ी-लिखी, गुणवान और सुंदर लड़की से तय कर दिया । विवाह की तारीख 6 जून निश्चित की गई । अभी एक महीने का समय था । नियमानुसार पहले सगाई का मुहूर्त निकाला गया । घर में चहल-पहल शुरू हो गई । निकट के संबंधियों का जमावड़ा आरंभ हुआ । नियत तिथि को लड़की तथा उसके घर वाले पधारे । लड़के-लड़की ने मंत्रोच्चार के बीच एक-दूसरे को अंगूठी पहनाई । फिर खाना-पीना हुआ और मेहमान विदा हो गए ।

लेकिन अभी बड़ा उत्सव होना शेष था । माँ, बुआ और दादी ने गहनों को पसंद किया और बनाने का ऑर्डर दे दिया । हरेक के लिए नए कपड़े खरीदे जाने लगे । ढेर सारी साड़ियाँ, धोतियाँ और सूट-पैंट के कपड़े खरीदने की प्रक्रिया चल पड़ी । मैंने भी भैया की शादी में अपनी पसंद के दो जोड़े सिलवाए । दुल्हन के लिए महँगी साड़ियाँ खरीदी गई । दूल्हा भी कम न दिखे इसलिए उनके लिए भी आकर्षक सूट सिलवाए गए । वर और वधू पक्ष के विशिष्ट लोगों के लिए कपड़ों की खरीदारी की गई । पिताजी ने आकर्षक निमंत्रण-पत्र छपवाकर बाँटा ।

मिठाइयों की तो इस दौरान कोई कमी न थी । घर पर हलवाई को बुलाकर मिठाइयाँ तैयार कराई गई थीं । लड़की वालों ने भी शगुन में मिठाइयों भेजी थीं । जो भी मेहमान आते टोकरियों में रसगुल्ले और बर्फी बँधवाकर लाते । मेरी तो बहुत मौज थी । उस समय मिठाइयाँ माँगकर खाने की कोई आवश्यकता नहीं थी बिना माँगे ही मिल जाती थीं ।

ज्यों-ज्यों विवाह की तिथि निकट आई, घर में हलचल बढ़ने लगी । ताऊ, चाचा, नाना, मामा, मामी, बहन, बुआ, मौसा, मौसी सब आ गए । पिताजी और मैंने अपने- अपने मित्रों को आमंत्रित किया था । घर छोटा पड़ गया तो शामियाना तान लिया गया । बाजार से किराए की कुर्सियाँ और मेजें मँगवा ली गई । खाना हलवाई पकाने लगा । दूल्हे राजा को विवाह से पूर्व कई रस्मों-रिवाजों से गुजरना पड़ा ।

ADVERTISEMENTS:

आखिर वह दिन आ गया जिसका सबको इंतजार था । मैंने स्कूल से पाँच दिनों की छुट्‌टी ले ली थी । सुबह से ही गहमागहमी शुरू हो गई । घर के सदस्य, रिश्तेदार और पास-पड़ोस के लोग बारात में चलने की तैयारी कर रहे थे । दरवाजे पर एक कोच बस और कुछ कारें खड़ी थीं । दूल्हे वाली कार को अच्छी तरह सजाया गया था । बारात अपराह्‌न चार बजे प्रस्थान कर गई । दो घंटे की यात्रा के बाद बारात लड़की वालों के घर पहुँच गई ।

वधू पक्ष के लोगों ने बारातियों का गर्मजोशी से स्वागत किया । संबंधी आपस में गले मिले, दूल्हे का विशेष सत्कार हुआ । दूल्हे के लिए घोड़ी तैयार थी । दूल्हा सजी हुई घोड़ी पर सेहरा बाँध कर बैठा और पीछे बारात नाचते-गाते चली । बैंडवाले फिल्मी धुनें बजा रहे थे और लोग नाच रहे थे । कुछ लोग रुपये लुटा रहे थे तो कुछ आतिशबाजियाँ चला रहे थे ।

इधर वैवाहिक कार्यक्रम आरंभ हुआ, उधर बारातियों की पार्टी शुरू हुई । सबने नाश्ता किया और फिर भोजन किया । बारातियों को ठहराने की अच्छी व्यवस्था की गई थी । सभी विश्राम करने लगे । मंत्रोच्चार के बीच सजे हुए मंडप में विवाह संपन्न हुआ । वर-वधू ने अग्नि के सात फेरे लिए । विवाह संपन्न होते-होते सवेरा हो गया । अब विदाई की बेला थी । वधू पक्ष के लोगों ने बारातियों के साथ अपनी कन्या को गमगीन नेत्रों से विदा कर दिया ।

हम लोग वापस घर आ गए । भाभी के आने से घर में विशेष रौनक आ गई । अगले दिन प्रीतिभोज दिया गया । भोज में लगभग तीन सौ लोगों ने भाग लिया और वर-वधू को आशीर्वाद दिया । अगले दिन से घर आए मेहमानों की विदाई होने लगी । मैंने तथा

मेरे मित्रों ने घर में वैवाहिक उत्सव का पूरा आनंद उठाया । उत्सव की समाप्ति पर हमारे दैनिक कार्यक्रम पुन: आरंभ हो गए ।

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Essay on Child Marriage in Hindi – बाल विवाह पर निबंध

March 23, 2018 by essaykiduniya

Bal Vivah Par Nibandh. Here you will get Paragraph and Short Essay on Child Marriage in Hindi Language for students of all Classes in 100, 200, 300, 500 words. यहां आपको सभी कक्षाओं के छात्रों के लिए हिंदी भाषा में बाल विवाह पर निबंध मिलेगा।

Essay on Child Marriage in Hindi

Bal Vivah Par Nibandh – बाल विवाह पर निबंध 100 words

बाल विवाह एक कुप्रथा है जो कि प्राचीन काल में पूरे विश्व में प्रचलित थी लेकिन यह भारत के कुछ हिस्सों में अभी भी विद्यमान है। बाल विवाह के अंदर लड़का और लड़की की बहुत ही कम उमर में शादी कर दी जाती थी जिसे रोकने के लिए समय समय पर बहुत से लोगों ने आवाज उठाई है। पहले राजा राम मोहन राय ने इसके खिलाफ आवाज उठाई थी और अंग्रेज़ों से चाईल्ड मैरिज एक्ट को पास करवा लड़को की विवाह के लिए न्यूनतम आयु 18 वर्ष और लड़कियों के लिए 14 वर्ष कर दी गई थी। सरकार ने भी बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 के तहत 1 नवंबर 2007 को बाल विवाह पर प्रतिबंध लगाया गया है। बाल विवाह को रोक देश की प्रगति की राह पर अग्रसर करना चाहिए।

Short Essay on Child Marriage in Hindi Language – बाल विवाह पर निबंध (200 words) 

बाल विवाह के कुछ नकारात्मक प्रभाव हो सकते हैं। सबसे पहले, यह व्यक्ति की स्वतंत्रता को प्रतिबंधित करता है जब लोग शादी करते हैं, तो उन्हें अपने परिवार का ख्याल रखने में अपना अधिक समय बिताना पड़ता है, इसलिए उनके सभी शौक बदलना पड़ते हैं। इसके अलावा, उन्हें अन्य समस्याओं जैसे कि एक घर, फर्नीचर खरीदने और खुद को और साथ ही उनके बच्चों को सहायता करने के लिए पैसा बनाने का सामना करना पड़ता है। नतीजतन, उनके पास किशोर जीवन की खुशी का आनंद लेने के लिए कोई समय नहीं है।

दूसरे, शादी करने से पहले लोगों को पढ़ाई से भिगोता है एक बार जब वे अपने दैनिक जीवन पर समय बिताते हैं, तो उनके पास अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए समय नहीं होता। अध्ययन के बिना, शायद ही कभी वे अपने करियर में प्रगति करते हैं। इस प्रकार, यह लोगों को अपने बच्चों को अच्छी तरह से लाने में मुश्किल बनाता है अंत में, जो लोग शुरुआती शादी करते हैं वे अधिक तलाक लेने की संभावना रखते हैं। कुछ लोग शादी करते हैं, हालांकि वे एक-दूसरे के बारे में कुछ जानते हैं इसलिए, झगड़े और गलतफहमी अनिवार्य है। इसके परिणामस्वरूप, वे बहुत ही कम समय में तलाक लेते हैं।

Essay on Child Marriage in Hindi Language – बाल विवाह पर निबंध (300 Words)

बाल विवाह एक पुरानी प्रथा है जो अभी भी भारत में प्रचलित है, खासकर राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और हरियाणा में आज तक। भारत के विकास और आधुनिकीकरण और विवाह योग्य आयु के सख्त नियमों के क्रियान्वयन से लड़कियों के लिए 18 और लड़कों के लिए 21 होने के कारण बाल विवाहों की संख्या में काफी गिरावट आई है। फिर भी छोटे गांवों में जागरूकता की कमी है जहां बाल विवाह के अवैध व्यवहार प्रचलित हैं।

बाल विवाह बच्चों की औपचारिक शादी है जो 18 वर्ष से कम उम्र के हैं। भारतीय कानून विवाहों पर प्रतिबंध लगाता है जहां 18 साल से कम उम्र की लड़की या लड़के को 21 साल की आयु नहीं मिली है। भारतीय समाज में यह एक बड़ी समस्या है क्योंकि बच्चों की जिंदगी, खासकर लड़कियों, इस बुरी समस्या के कारण परेशान हो जाती हैं। बाल विवाह एक प्रमुख सामाजिक मुद्दा है यद्यपि एक प्राचीन प्रथा, यह परंपरा भारत के कई हिस्सों, विशेष रूप से ग्रामीण इलाकों में प्रचलित है।

बाल विवाह के कारण

  • महिलाओं की निम्न स्थिति।
  • परिवार की आर्थिक या वित्तीय अक्षमता।
  • कस्टम, पारंपरिक विश्वास और सामाजिक मन-सेट।
  • अन्य व्यवसायों या वित्तीय समर्थन के लिए परिवारों के बीच रिलेशनल गठबंधनों का विकास करना।
  • समाज में लिंग असमानताएं।

कुछ बाल विवाह एक लड़की और एक बूढ़े आदमी के बीच आयोजित किए जाते हैं। हालांकि यह आश्चर्यजनक है लेकिन यह सच है। इसके परिणामस्वरूप इन लड़कियों को परिपक्व होने में विधवा मिलती हैं और ज्यादातर समाज विधवाओं को पुनर्विवाह की अनुमति नहीं देते हैं। एक लड़की को विधवा की ज़िंदगी जीने के लिए उसकी कोई गलती नहीं है। इस प्रकार दो बच्चों को इस तरह के भयावह मामला में प्रवेश करने में मदद करके, आप न केवल इन बच्चों के लिए बल्कि पूरे भारत के लिए एक उज्ज्वल भविष्य का आश्वासन दे रहे हैं।

बाल विवाह पर निबंध – Long Essay on Child Marriage in Hindi  500 words

बाल विवाह हमारे समाज में प्राचीन काल से मौजूद एक कुरीति है। बाल विवाह केवल भारत में ही नहीं अपितु पूरे विश्व में होते आए हैं। भारत के कुछ राज्यों में यह कुरीति आज भी प्रचलन में है। जहाँ एक तरफ भारत महाशक्ति के रुप में उभरता आ रहा है वहीं बाल विवाह जैसी कुरीति समाज में कलंक की तरह आज भी विद्यमान है। केरल राज्य जो कि भारत का सबसे साक्षर राज्य है वहां पर सबसे अधिक बाल विवाह होते हैं। बाल विवाह का अभिप्राय दो लोगों का कम उमर में विवाह करना है।

बाल विवाह की शुरुआत-

बाल विवाह भारत में शुरूआत से विद्यमान नहीं था अपितु विदेशी शासकों के आगमन के साथ ही अपनी बेटियों को उनसे बलात्कार और अपहरण से बचाने के लिए लोगों ने लड़कियों का विवाह कम उमर में ही करना शुरू कर दिया था।

बाल विवाह के दुष्परिणाम-

बाल विवाह दो परिपक्व लोगों के बीच किया जाता है जो कि इतनी कम उमर में एक दुसरे को समझ नहीं पाते हैं और हालात बिगड़ते बिगड़ते तालाक और मृत्यु तक पहुँच जाते हैं। कम उमर में शादी होने के कारण लड़की का पूर्ण शारीरिक और मानसिक विकास नहीं हो पाता है जिसका दुष्प्रभाव उसके बच्चे के उपर भी पड़ता है। इस तरह बाल विवाह से माता और बच्चे की मृत्यु दर में वृद्धि होती है। बाल विवाह में बने दंपति हमेशा संपूर्ण मानसिक विकास के अभाव में परेशानियों से ही गिरे रहते हैं। भारत बाल विवाह के मामले में पूरे विश्व में दूसरे स्थान पर है। यहां पर दुनिया के 40% बाल विवाह होते हैं।

बाल विवाह को रोकने के उपाय-

पुराने समय में भी बाल विवाह को रोकने के लिए बहुत से लोगों ने आवाज उठाई थी जिनमें प्रमुख राजा राम मोहन राय थे। उन्होंने ब्रिटिश सरकार द्वारा ” स्पैशल मैरिज एक्ट ” पास करवाया था जिसके तहत शादी के लिए लड़के की न्यूनतम आयू 18 वर्ष और लड़की की 14 वर्ष कर दी गई थी। सरकार ने भी बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 के तहत लड़को की विवाह के लिए न्यूनतम आयु 21 वर्ष और लड़की के लिए 18 वर्ष कर दी है। बाल विवाह के दोषी को जुर्माना और जेल दोनों की सजा दी जाती है। बाल विवाह के लिए बहुत ही सख्त कानून बनाए गए हैं। 18 वर्ष से कम उमर में शादी करने पर 15 दिन का कारावास और 1000 रुपये का जुर्माना लगाया जाता है।

बाल विवाह को रोकने के लिए सरकार के साथ साथ लोगों को भी मिलकर प्रयास करना होगा। इसके लिए आवश्यक है कि लोगों को बाल विवाह के दुष्परिणामों के प्रति जागरूक किया जाए और उन्हें जागरूक करने का सबसे अच्छा माध्यम मीडिया है। नुक्कड़ नाटक के माध्यम से भी लोगों को जागरूक किया जा सकता है। हम सबको भी खुद को सक्रिय बनाना चाहिए और जहां पर भी बाल विवाह होता दिखाई दे उसकी खबर पुलिस को दे बाल विवाह रोकने में योगदान देना चाहिए। देश के संपूर्ण विकास के लिए इस कुरीति को झड़ से खत्म करना आवश्यक है।

हम आशा करेंगे कि आप इस निबंध  ( Bal Vivah Par Nibandh – Essay on Child Marriage in Hindi – बाल विवाह पर निबंध ) को पसंद करेंगे।

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बाल विवाह पर निबंध | Essay on Child Marriage in Hindi

बाल विवाह का अर्थ (Meaning of child marriage In Hindi)

कम उम्र में बच्चों की शादी कर देने से उनके स्वास्थ्य, मानसिक विकास और खुशहाल जीवन पर असर पड़ता है. कम उम्र में शादी करने से पूरे समाज में पिछड़ापन आ जाता है. इसलिए हमारे देश के कानून में लड़के तथा लड़की के लिए विवाह करने की एक उम्रः निर्धारित की गई है. इस उम्र से कम उम्र में शादी करने को ही बाल विवाह कहा जाता है.

अगर शादी करने वाली लड़की की उम्र 18 साल से कम हो या लड़के की आयु 21 वर्ष से कम है तो वह विवाह बाल विवाह कहलाएगा. ऐसी शादी की हमारे कानून में पूर्ण तौर पर मनाही है. ऐसी किसी शादी के कई कानूनी परिणाम हो सकते है.

  • 18 साल से अधिक उम्र का लड़का 18 साल से कम उम्र की लड़की से शादी करता है तो उसे दो साल तक की कड़ी कैद या एक लाख रूपये तक का जुर्माना या फिर दोनों सजाएं भी हो सकती है.
  • शादी करने वाले जोड़े में से जो भी बाल हो शादी कोर्ट से रद्द करवा सकता है. शादी के बाद कभी भी कोर्ट में अर्जी दी जा सकती है. तथा बालिक होने के दो साल बाद भी.
  • जो भी बाल विवाह सम्पन्न करे या करवाएं जैसे पंडित, मौलवी, माता-पिता रिश्तेदार, दोस्त इत्यादि उसे दो साल तक की कड़ी सजा या एक लाख रूपये का जुर्माना या दोनों ही हो सकते है.
  • जिस व्यक्ति की देखरेख में बच्चा है यदि वह बाल विवाह करवाता है चाहे वह माता पिता अभिभावक या कोई और हो दो साल तक की कड़ी सजा या एक लाख रूपये जुर्माना या दोनों हो सकते है.
  • जो व्यक्ति बाल विवाह को किसी तरह बढ़ावा देता है, या जानबूझकर लापरवाही से उसे रोकता नही है, जो बाल विवाह में शामिल हो या बाल विवाह की रस्मो में शामिल हो उसे दो साल तक की कड़ी सजा या एक लाख रूपये जुरमाना या दोनों हो सकते है.

बाल विवाह की रोकथाम हेतु कानून / उपाय (Lows/Measures for Prevention of Child Marriage)

बाल विवाह को रोकने एवं बाल विवाह को करने वाले लोगों को दंडित करने के लिए समय समय पर कानून बने है. वर्तमान में बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 प्रभाव में है. जिससे बाल विवाह को रोकने और बाल विवाह करने व कराने वालों को कठोर दंड दंडित करने के प्रावधान है. इस कानून के मुख्य प्रावधान निम्न है.

  • 18 साल से अधिक उम्र का लड़का अगर 18 साल से कम उम्र की लड़की से शादी करता है तो उसे 2 साल तक की कड़ी कैद या एक लाख रूपये तक का जुर्माना या फिर दोनों सजाएं हो सकती है.
  • शादी करने वाले जोड़ो में से जो भी बाल हो, शादी कोर्ट रद्द घोषित करवा सकता है. शादी के बाद कभी भी कोर्ट में अर्जी दी जा सकती है, पर बालिग़ हो जाने के दो साल बाद नही.
  • जो भी बाल विवाह सम्पन्न करे या करवाएं जैसे- पंडित, मौलवी, माता-पिता, रिश्तेदार, दोस्त इत्यादि, उन्हें दो साल तक की कड़ी सजा या एक लाख का जुर्माना या दोनों हो सकते है.
  • जिस व्यक्ति की देखरेख में बच्चा है यदि वह बाल विवाह करवाता है, चाहे वह माता-पिता, अभिभावक या कोई और हो उसे दो साल तक की कड़ी सजा या एक लाख रूपये तक का जुर्माना अथवा दोनों भी हो सकते है.
  • जो व्यक्ति किसी तरह बाल विवाह को बढ़ावा देता है, या जानबूझकर लापरवाही से उसे रोकता नही , जो बाल विवाह में शामिल हो या बाल विवाह की रस्मों में उपस्थित हो, उसे दो साल तक की कड़ी सजा या एक लाख रूपये का जुर्माना अथवा दोनों हो सकते है.
  • इस कानून में किसी महिला को जेल की सजा नही दी जा सकती, उसे जुर्माना हो सकता है.
  • किसी नाबालिक की शादी उसका अपहरण करके, बहला-फुसलाकर या जोर जबरदस्ती से कही ले जाकर या शादी के लिए शादी की रस्म के बहाने बेचकर या अनैतिक काम के लिए की जाए तो ऐसी शादी भी शून्य मानी जाएगी.

इस कानून में बाल विवाह को रोकने के लिए निम्न प्रावधान किये गये है.

  • कोई भी व्यक्ति जिसे बाल विवाह की जानकारी हो, अपने जिले के न्यायिक मजिस्ट्रेड को सूचना दे सकते है. जो शादी को रोकने के आदेश दे सकता है.
  • जिला कलेक्टर /पुलिस  प्रशासनिक अधिकारियोंको भी बाल विवाह को रोकने के लिए जरुरी कदम उठाने की जिम्मेदारी दी गई है.
  • यह जानकारी थाने में दी जा सकती है.
  • रोकने के आदेश के बावजूद सम्पन्न की गई शादी शून्य होगी. यानि कानून की नजर में वह शादी नही मानी जाएगी.
  • सरकार द्वारा बाल विवाह निषेध अधिकारी नियुक्त किये गये है. इनकी जिम्मेदारी बाल विवाह रुकवाने की है.
  • बाल विवाह को रोकने के आदेश दिए जाने के बाद भी अगर कोई बाल विवाह करवाता है तो उसे दो साल तक की साधारण या कड़ी कैद या एक लाख रूपये का जुर्माना या दोनों हो सकते है.

बाल विवाह के दुष्परिणाम/प्रभाव (Side Effects / Effects Of Child Marriage)

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बाल विवाह पर निबंध हिंदी में Essay On Child Marriage In Hindi

इस पोस्ट Essay On Child Marriage In Hindi में बाल विवाह पर निबंध हिंदी में लिखा गया है। भारत में आज भी ऐसी कुप्रथाएं प्रचलित है जिनका समाज पर बहुत ही बुरा असर पड़ता है। बाल विवाह ऐसी ही एक कुप्रथा है जो सदियों से चली आ रही है। बाल विवाह का दंश लड़का, लड़की और परिवार वाले सभी झेलते है। यह एक सामाजिक बुराई है जिसका निवारण वर्तमान की आवश्यकता है।

तो दोस्तों, बाल विवाह क्या है?, बाल विवाह के कारण, प्रभाव और निवारण के उपाय क्या है? इन सभी प्रश्नों के उत्तर बाल विवाह पर निबंध हिंदी में (Bal Vivah Par Nibandh) जानने का प्रयास करते है।

बाल विवाह क्या है ? What Is Child Marriage Essay In Hindi –

दोस्तों, बाल विवाह एक समाजिक कुप्रथा है। यह प्रथा भारत में पुराने ज़माने से ही चली आ रही है। बहुत ही कम उम्र में लड़का और लड़की का विवाह कर दिया जाता है तो वह बाल विवाह कहलाता है। भारत में लड़का और लड़की की विवाह उम्र क्रमशः 21 और 18 वर्ष है। अगर लड़का और लड़की विवाह योग्य उम्र के नही है, तो विवाह कानूनन अपराध होता है। इस विशेष उम्र की श्रेणी में नही आने वाले नाबालिग कहलाते है।

नाबालिक की शादी करना बाल विवाह कहलाता है। बाल विवाह बच्चों के अधिकारों का हनन करता है। ऐसा नही है कि बाल विवाह में लड़का और लड़की दोनों कम उम्र के होते है। कई बार ऐसा होता है कि लड़की नाबालिक होती है जबकि लड़का अधिक उम्र का होता है। इसके शादीशुदा जिंदगी में गम्भीर दुष्प्रभाव होते है।

बाल विवाह समाज के लिए एक अभिशाप है। माता पिता कम उम्र में ही अपने बच्चों की शादी कर देते है। जिस उम्र में बच्चों को विवाह का अर्थ ही नही पता होता है। इस उम्र में उन्हें विवाह के पवित्र बंधन में बांध दिया जाता है। बाल विवाह के कारण बच्चों का बचपन चला जाता है। बाल विवाह करने से बच्चों के मन मस्तिष्क पर बुरा प्रभाव पड़ता है। खासकर लड़कियों पर बाल विवाह का ज्यादा प्रभाव होता है। भारत में बाल विवाह का दंश ज्यादा गहरा है। ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी बाल विवाह अपने पैर पसारे हुए है।

बाल विवाह पर निबंध Bal Vivah Par Nibandh

Essay On Child Marriage In Hindi – भारत के इतिहास में बाल विवाह कुप्रथा के विरुद्ध समय समय पर आवाज उठाई गई है। महान समाज सुधारक राजाराम मोहन राय ने ब्रिटिश शासनकाल में स्पेशल मैरेज एक्ट पास करवाया था। इस बिल के अनुसार भारत में शादी के समय लड़के की आयु 18 वर्ष और लड़की की आयु 14 वर्ष तय की गयी थी। वर्ष 1929 में बाल विवाह कानून अधिनियम बनाया गया था। इस कानून की तहत लड़का और लड़की की विवाह उम्र क्रमशः 18 और 14 वर्ष की गयी थी।

बाल विवाह ग्रामीण क्षेत्रों में शहरी क्षेत्रों के मुकाबले ज्यादा होते है। यहां तक कि भारत में सबसे ज्यादा साक्षरता वाले केरल राज्य में भी बाल विवाह प्रचलित है। आंकड़ों के अनुसार भारत में सबसे ज्यादा बाल विवाह बिहार, यूपी, बंगाल जैसे पिछड़े राज्यों में होते है।

बाल विवाह का कारण क्या है Child Marriage Causes In Hindi

1. यौनशोषण, छेड़छाड़ और असुरक्षा –

लड़कियों के साथ यौनशोषण और छेड़छाड़ के मामले लगातार बढ़ते ही जा रहे है। हम अखबार और न्यूज़ चैनल पर बलात्कार जैसी घटनाओं के बारे में पढ़ते है। माता पिता अपनी बच्चियों को ऐसी घटनाओ से बचाने के लिए कम उम्र में ही शादी कर देते है। वैसे दोस्तों इस तरह की आपराधिक घटनाओं के लिए समाज दोषी है लेकिन भुगतना लड़कियों को पड़ता है।

2. गरीबी –

बाल विवाह का मुख्य कारण गरीबी भी है। माता पिता को लगता है कि वे अपने बच्चों को उच्च शिक्षा नही दे सकते है। उनकी सोच होती है कि वो बच्चों को अच्छा भविष्य नहीं दे पाएंगे। लड़की की कम उम्र में शादी करने से उन्हें शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य चीजों पर कम पैसा खर्च करना पड़ेगा। इसलिए वे बेटी की शादी बहुत ही कम उम्र में कर देते है।

3. दहेज प्रथा –

बाल विवाह का एक मुख्य कारण दहेज प्रथा भी है। कम उम्र में शादी करने से दहेज भी कम देना पड़ता है इसलिए माता पिता लड़की की शादी बचपन में ही करवा देते है।

4. सामाजिक कुप्रथाएं और परम्परा –

भारत के कई इलाकों में बाल विवाह सिर्फ इसलिए किया जाता है क्योंकि लोग यह सोचते है की यह हमारी परम्परा है। बाल विवाह को पीढ़ियों से चली आ रही परम्परा और संस्कृति का हिस्सा मानते है। समाज की दकियानूसी सोच भी बाल विवाह का एक बड़ा कारण है। “लड़कियों को सिर्फ घर का चूल्हा चोका ही करना होता है” ऐसी सोच के कारण ही बाल विवाह को बढ़ावा मिला है।

बाल विवाह पर निबंध Child Marriage Essay In Hindi

भारत के कई ग्रामीण क्षेत्रों में लड़कियों को मां बाप बोझ समझते है। इस तरह की मानसिकता वाले लोग बाल विवाह को संस्कृति और समाज का हिस्सा मानते है। ये लोग बाल विवाह को सही ठहराते है। समाज को पुरूष प्रधान माना जाता है। इस कारण स्त्रियों को समय समय पर भेदभाव का सामना करना पड़ता है। यही कारण है बाल विवाह के केस में लड़कियों के मामले ज्यादा होते है।

5. कानून का सख्त ना होना –

भारत में बाल विवाह के खिलाफ कानून मौजूद है। परंतु कानून में कमी और लचरता होने के कारण बाल विवाह पर पूर्ण विराम नही हुआ है। हालांकि कानून की वजह से बाल विवाह में कुछ हद तक कमी हुई है।

5. शिक्षा का अभाव –

ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा को बढ़ावा नही दिया जाता है। खासकर लड़कियों के लिए शिक्षा जरूरी नही समझी जाती है। इस कारण लड़कियों की शिक्षा को महत्व नहीं देते है। लड़कियों में शिक्षा का अभाव होने के कारण वह अपने बाल विवाह का विरोध नहीं कर पाती है।

6. पारिवारिक कारण –

भारत में पारिवारिक दबाव के चलते भी बच्चों का विवाह कर दिया जाता है। घर के बड़े बुजुर्गों की चाह होती है कि वे अपने बेटे – बेटी, पोते – पोती का विवाह मरने से पहले देख ले। यह भी एक प्रमुख कारण है कि बाल विवाह करवाया जाता है। माँ बाप की सोच रहती है कि अगर जल्दी शादी कर देंगे तो लड़का अपने पैरों पर खड़ा हो जाएगा।

बाल विवाह के दुष्प्रभाव Effects Of Child Marriage

1. बचपन खो जाता है –

खेलने कूदने के दिनों में ही बच्चों की शादी करवा दी जाती है। इससे उनके ऊपर पारिवारिक जिम्मेदारी आ जाती है। बाल विवाह के कारण उनका बचपन खो जाता है। खिलौनों से खेलने की उम्र में ही बच्चों को विवाह बंधन में बांध दिया जाता है।

2. निरक्षरता बढ़ती है –

कम उम्र में शादी होने के कारण बच्चों को उनकी पूर्ण शिक्षा नही मिल पाती है। खासकर लड़कियों को अशिक्षित रखा जाता है। शादी होने के कारण पढ़ाई बीच में ही छोड़नी पड़ती है। बाल विवाह के कारण निरक्षता बढ़ती है। अक्षिशित होने के कारण उन्हें आत्मनिर्भर और सशक्त बनने के अवसर नहीं मिल पाते है।

3. बीमारियां, शारीरिक और मानसिक तनाव –

बाल विवाह के कारण लड़कियां कम उम्र में ही माँ बन जाती है। इससे लड़कियों में शारीरिक और मानसिक तनाव बढ़ता है। कम उम्र में यौनशोषण के कारण लड़कियों में रोग प्रतिरोधक क्षमता भी कम हो जाती है। इससे बीमारी का खतरा बढ़ता है। बाल उम्र में ही माँ बनने से वे अपने बच्चों को सही परवरिश नही दे पाती है। महिलाओं को कई स्त्री रोग घेर लेते है।

4. जनसंख्या बढ़ना –

बाल विवाह होने के कारण लड़कियां जल्दी ही मां बन जाती है। इससे जनसंख्या अनियंत्रित होकर बढ़ती है। जनसंख्या बढ़ने से बेरोजगारी भी बढ़ती है।

5. पारिवारिक घरेलू हिंसा –

बचपन में ही विवाह होने से पति पत्नी एक दूसरे को समझ ही नहीं पाते है। इस कारण दोनों में तालमेल नहीं हो पाता है। बेहतर तालमेल नही होने के कारण परिवार में लड़ाइयां होती रहती है। कई बार तो हालात बिगड़ते बिगड़ते तलाक या मृत्यु तक पहुंच जाते है। कम उम्र में ही विवाह से घरेलू हिंसा को बढ़ावा मिलता है। पति और पत्नी वैवाहिक जीवन का आनंद पूर्णत नही ले पाते है।

बाल विवाह रोकने के उपाय Bal Vivah Essay In Hindi

1. रूढ़िवादी सोच में बदलाव – Essay On Child Marriage In Hindi

बाल विवाह को रोकने के लिए इतिहास में कई प्रयास किये गए है। परन्तु अभी तक बाल विवाह को रोकने में हम पूर्णतः सफल नहीं हो पाये है। इसके मुख्य कारण हमारी रूढ़िवादी सोच और विचार है। समाज की रूढ़िवादी सोच के कारण ही कुप्रथाओं का जन्म होता है। सबसे पहले तो हमे अपनी इसी रूढ़िवादी सोच को बदलना होगा।

2. शिक्षा –

शिक्षा इंसान का सबसे बड़ा हथियार है। शिक्षा से ही इंसान सही और गलत का फैसला कर पाता है। लड़कियों को शिक्षित बनना चाहिए जिससे वे सही गलत में भेद कर सके। शिक्षित व्यक्ति बाल विवाह कुप्रथा का विरोध करता है। लड़कियां शिक्षित होगी तो वे भी इसका विरोध करेगी। बाल विवाह की रोकथाम के लिए शिक्षा की अहम भूमिका है। शिक्षा के प्रसार से ही इस कुप्रथा को समाज से दूर किया जा सकता है।

3. शादी में आर्थिक सहायता –

भारत सरकार ने समय समय पर बेटियों के लिए कई कल्याणकारी योजनाएं बनायी है। इन योजनाओं के तहत गरीब परिवार को लड़की की शादी के समय आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है। इन योजनाओं की मदद से गरीब परिवार बेटी की अच्छी परवरिश और पढ़ाई भी करवा सकता है। बेटी की शादी से लेकर बच्चे होने तक के लिए सरकार ने योजनाएं बनाई है। सरकार को इन योजनाओ का भरपूर प्रचार करना चाहिए ताकि हर गरीब परिवार तक ये योजनाएं पहुंच सके।

Bal Vivah Par Nibandh Essay

4. समाज में जारूकता –

बाल विवाह से होने वाले दुष्प्रभाव पर समाज में जागरूकता आनी चाहिए। बाल विवाह के ख़िलाफ़ आवाज़ बुलंद होनी चाहिए। बाल विवाह को “ना” कहने की आवाज आनी जरूरी है। यह आवाज सबसे पहले परिवार और बच्चों की तरफ से आनी चाहिए। इस कुप्रथा के ख़िलाफ़ सरकार द्वारा बनाए गए कानून के बारे में भी समाज में जागरूकता अभियान चलाया जाना चाहिए।

5. सक्त कानून –

भारत सरकार द्वारा बाल विवाह के ख़िलाफ़ कई कानून बनाए गए है। वर्ष 2007 में बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 लागू किया गया था। इस कानून के तहत लड़के और लड़की की वैवाहिक उम्र क्रमशः 21 व 18 तय की गई थी। इस कानून को तोड़ने पर 2 साल की जेल अथवा 1 लाख का जुर्माना है। या फिर सजा या जुर्माना दोनों हो सकते है। बाल विवाह रोकने के लिए सरकार को सख्त कानून बनाने की आवश्यकता है।

6. मीडिया और विज्ञापन –

मीडिया भी बाल विवाह रोकने के लिए समाज प्रेरक बन सकता है। अखबारों और न्यूज़ चैनलों पर बाल विवाह के दुष्परिणाम बताने वाले विज्ञापन देने चाहिए। टेलीविजन पर बाल विवाह के दुषपरिणामों पर धारावाहिक और कार्यक्रम आने चाहिए।

अन्य उपयोगी निबंध –

  • दहेज़ प्रथा पर निबंध
  • गरीबी पर निबंध
  • शिक्षा पर निबंध

Note – बाल विवाह पर निबंध हिंदी में पर यह पोस्ट Essay On Child Marriage In Hindi कैसी लगी। यह निबंध “Bal Vivah Par Nibandh Essay In Hindi” अच्छा लगा हो तो शेयर भी करे।

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बाल विवाह पर निबंध- Essay on Child Marriage in Hindi

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Bal Vivah Essay in Hindi

बाल विवाह यानि कि बच्चों की बचपन में ही शादी कर देना। बाल विवाह जैसी कुरीती केवल भारत में ही नहीं है बल्कि पूरे विश्व में पाई गई है लेकिन बाल विवाह में भारत का सबसे बड़ा स्थान है। बाल विवाह दो अपरिपक्व बच्चों की शादी करना है जो कि एक दुसरे से बिल्कुल ही अंजान होते है। बाल विवाह कोई नई कुरीति नहीं है अपितु यह भारत में दिल्ली सल्तनत के राजशाही वक्त से चलती आ रही है। लोग अपनी बेटियों की इज्जत विदेशी शासकों द्वारा लुटे जाने के डर से कम उमर में ही कर देते थे। लड़कियों की शादी को भोज समझा जाता था और बुजुरगों की पोता देखने की चाहत के कारण भी बाल विवाह किए जाते थे।

बाल विवाह आज भी हमारे समाज में मौजुद है। 40 प्रतिशत लड़कियों की शादी 18 से कम उमर में ही कर दी जाती है। शहरों की बजाय गाँवों में बाल विवाह ज्यादा देखने को मिलते है। बहुत से बाल विवाह तो ऐसे भी होते है कि बड़ी बहन की शादी कर रहे है तो साथ साथ छोटी की भी कर देते है जिससे शादी में होने वाला खर्चा बचेगा। कच्ची उमर में की गई शादियों को कारण बच्चे कुछ भी समझ नही पाते और न ही कुछ संभाल पाते है। फिर ये शादियाँ या तो तलाक तक पहुँच जाती है या फिर मरने तक। बाल विवाह के कारण शिशु और महिलाओं की मृत्यु दर बढ़ रही है। उनका शारीरिक और मानसिक विकास नहीं हो पाता है। एच.आई.वी. जैसे बिमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है।

आज के समाज में भी बाल विवाह जैसी कुरीति ने अपने पैर पसारे हुए है क्योंकि लोग जागरूक नहीं है, उनकी सोच आज भी रूढिवादी है और वो आज भी लड़कियों की शादी को भोझ समझते है। बाल विवाह जैसी कुरीति को रोकने के लिए पहले भी बहुत से लोगों ने कोशिशें की थी जिनमें से मुख्य सहयोग राजा राम मोहन राय ता है। उन्होनें ब्रिटिश सरकार द्वारा एक एक्ट पास कराया जिसके तहत शादी के लिए लडके की न्युनतम आयु 18 वर्ष और लड़की की 14 वर्ष कर दी गई थी। उसके बाद कानुन में बदलाव किए गए जिसमें लड़के की आयु को बढ़ाकर 21 वर्ष और लड़की की 18 वर्ष कर दी गई है।

सरकार ने भी बच्चों की शादी पर प्रतिबंध लगाया है और अगर कोई बाल विवाह करवाता हुआ पकड़ा गया तो सख्त सजा दी जाएगी। बाल विवाह जैसी कुरीति को समाज से खत्म करने के लिए हमें लोगों को शिक्षित करना होगा, मीडिया और नुक्कड़ नाटकों के माध्यम से जागरूक करना होगा।

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7 thoughts on “बाल विवाह पर निबंध- Essay on Child Marriage in Hindi”

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बाल विवाह पर एक बड़ा nivandh भेजने की कृपा करें

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Bal bivah par S. A

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मुझे बहुत अच्छा लगा

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Bal Vivah ke bare me kuch or jankari pradan kare

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bahut badhiya nibandh likhte ho

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बाल विवाह पर निबंध Essay on Child Marriage in Hindi – Bal Vivah

बाल विवाह पर निबंध Essay on Child Marriage in Hindi - Bal Vivah

बाल विवाह एक कुप्रथा है। यह प्राचीन काल में प्रचलित थी जब लड़के लड़कियों का विवाह बहुत ही कम उम्र में कर दिया जाता था। बाल विवाह केवल भारत में ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व में होते रहे हैं। भारत सरकार ने बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 (Prohibition of Child marriage Act ) 1 नवंबर 2007 को लागू किया।

इस नियम के अनुसार विवाह के वक्त लड़के की आयु 21 वर्ष और लड़की की आयु 18 वर्ष होनी चाहिए। इससे कम आयु पर विवाह होने पर सम्बन्धित लोगो को दंडित किया जाएगा। अब बाल विवाह भारत में बाल विवाह पूरी तरह प्रतिबंधित है। 18 वर्ष से कम उम्र पर शादी करने पर 15 दिन का कारावास और 1000 जुर्माने का प्रावधान है।

ऐसा माना जाता है कि भारत के केरल, बिहार राज्य में बाल विवाह अब भी प्रचलित हैं। एक और जहां भारत विश्व शक्ति के रूप में उभर रहा है वही बाल विवाह जैसी कुप्रथा देश के विकास को रोक रही है। हम सभी को चाहिए कि इस कुप्रथा को समाप्त करें।

भारत में बाल विवाह का इतिहास History of Child Marriage

भारत में बाल विवाह प्राचीन काल से होते रहे हैं। दिल्ली सल्तनत के समय विदेशी आक्रमणकारियों द्वारा लड़कियों के साथ बलात्कार और अपहरण की घटनाएं होती रहती थी। इससे बचने के लिए मां-बाप शीघ्र ही अपनी बेटियों का विवाह कर दिया करते थे।

आजादी से पूर्व राजा राममोहन राय , केशव चंद्र ने बाल विवाह के खिलाफ आवाज उठाई थी। उन्होंने ब्रिटिश सरकार से “स्पेशल मैरिज एक्ट” पारित करवाया था जिसके अंतर्गत लड़कों की उम्र 18 वर्ष और लड़कियों की उम्र 14 वर्ष निर्धारित की गई थी।

परन्तु इसे प्रतिबंधित कर दिया गया था। इस बिल में सुधार करके “चाइल्ड मैरिज रिस्टैंट” बिल के नाम से पारित किया गया था जिसमें विवाह के लिए लड़कों की उम्र 21 वर्ष और लड़कियों की उम्र 18 वर्ष कर दी गई थी।

बाल विवाह के कारण Reasons for Child Marriage

प्रेम विवाह love marriage.

भारत की संस्कृति और सभ्यता प्रेम विवाह को मान्यता नहीं देती है। यहां पर लड़की के माता-पिता द्वारा ही विवाह का निर्णय लिया जाता है। बहुत सी लड़कियां प्रेम विवाह कर लेती हैं जिसे भारत में पूरी तरह मान्यता नहीं दी जाती है।

इससे बचने के लिए बहुत से माँ-बाप अपनी लड़कियों का विवाह 18 वर्ष से पहले ही कर देते हैं। जिससे उन्हें कोई अप्रिय घटना का सामना ना करना पड़े।

महिलाओं से छेड़छाड़ एवं यौन अपराध Molestation and Sexual Assault

भारत में युवा महिलाओं के साथ अक्सर छेड़छाड़ की घटनाएं होती रहती हैं। बलात्कार के मामले में भारत की रैंकिंग बहुत खराब है। यहां पर यौन उत्पीड़न और शोषण जैसी घटनायें हर दिन होती रहती हैं।

इन सभी परेशानियों से तंग आकर लड़कियों के मां-बाप शीघ्र ही विवाह कर देते हैं। वे अपनी समस्या से छुटकारा पाना चाहते हैं। गांव, देहातों और छोटे कस्बों में इस तरह की घटनायें अधिक होती है। जो कि लड़कियों के मां बाप के लिए बड़ी चुनौती साबित होती हैं।

पारिवारिक कारण Family Issues

भारत की संस्कृति ऐसी है कि यहां घर के बुजुर्ग चाहते हैं कि उनके जीवित रहते उनके नाती पोतों का विवाह हो जाए। इसलिए भी कई बार भारत में 18 वर्ष से पूर्व लड़के लड़कियों का विवाह कर दिया जाता है।

बेटी के चरित्र के बारे में मां-बाप की चिंता Concerns about the daughter’s character by parents

भारत में मां बाप अक्सर अपनी बेटियों के विषय में बहुत चिंतित रहते हैं, क्योंकि आए दिन कोई ना कोई ऐसी घटना सुनने को मिलती है जिससे वो विचलित हो जाते हैं। बहुत सी लड़कियां प्रेम में पड़कर दूसरी जातियों के लड़कों के साथ पलायन कर जाती हैं। इस तरह की घटनाओं से विचलित होकर मां बाप 18 वर्ष से पूर्व अपनी लड़कियों का विवाह कर देते हैं।

गरीबी Poverty

बाल विवाह के लिए गरीबी भी प्रमुख कारण है। बहुत से गरीब लोग अपनी बेटियों को पढ़ा नहीं पाते हैं। उनके पास इतना पैसा नहीं होता कि अपनी बेटी को अच्छा भविष्य दे सके। इसलिए वो जल्दी से विवाह करके अपनी जिम्मेदारी से मुक्ति पाना चाहते हैं।

बाल विवाह से होने वाले नुकसान Disadvantages of Child Marriage

लड़कियों का कम आयु में माँ बनना being a mother at a young age.

यह बाल विवाह का सबसे बुरा नुकसान है। बाल विवाह के कारण लड़कियां कम उम्र में गर्भवती हो जाती हैं, जबकि उनके शरीर का पूरी तरह मानसिक और शारीरिक विकास नहीं हो पाता है। प्रसव के दौरान बहुत से कम उम्र की लड़कियों  की अकाल मृत्यु हो जाती है। इसलिए बाल विवाह को हम सभी को रोकना चाहिए।

खराब सेहत Ill Health

कम उम्र में मां बनने से लड़कियों के सेहत पर बुरा असर पड़ता है। वो बीमार रहने लगती हैं। उनके शरीर में बहुत से पोषक तत्वों की कमी हो जाती है। इसलिए डॉक्टर सलाह देते हैं कि किसी भी लड़की को 18 वर्ष के बाद ही माँ बनना चाहिए। कम उम्र में मां बनने से होने वाले बच्चे कुपोषण का शिकार हो सकते हैं। इसकी संभावना बहुत अधिक होती है।

उपसंहार व निष्कर्ष Conclusion

हम सभी को बाल विवाह के विरुद्ध आवाज उठानी चाहिए। यदि कहीं पर बाल विवाह होता है तो उसका विरोध करना चाहिए। समाज में जागरूकता फैला कर ही हम इसको समाप्त कर सकते हैं। इससे होने वाले नुकसान के बारे में हम सभी को एक दूसरे को बताना चाहिए।

10 thoughts on “बाल विवाह पर निबंध Essay on Child Marriage in Hindi – Bal Vivah”

Very nice and please post more information like this .

Very helpful for the students Thanks ….

good thinking

Child marriage should be stopped, because it is wrong for children

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Child Marriage Essay In Hindi

बाल विवाह एक अभिशाप पर निबंध – Child Marriage Essay In Hindi

बाल विवाह एक अभिशाप पर निबंध – essay on child marriage in hindi.

  • प्रस्तावना,
  • विवाह का महत्त्व,
  • विवाहों के प्रकार,
  • विवाह के विकृत स्वरूप,
  • बाल विवाह : एक सामाजिक अभिशाप,

साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं।

बाल विवाह एक अभिशाप पर निबंध – Baal Vivaah Ek Abhishaap Par Nibandh

प्रस्तावना– भारतीय संस्कृति संस्कारमयी है। पूर्व पुरुषों ने मानव जीवन में षोडश–संस्कारों की व्यवस्था की थी। पाणिग्रहण अथवा विवाह इनमें अत्यन्त महत्त्वपूर्ण संस्कार माना गया है। विवाह गृहस्थ जीवन का प्रवेश–द्वार है।

आश्रम व्यवस्था में प्रथम पच्चीस वर्ष ब्रह्मचर्य अथवा छात्र–जीवन के लिये नियत किये गये थे। आज की परिस्थितियों में यह सीमा कन्या के लिये 18 वर्ष तथा पुरुष के लिये 21 वर्ष स्वीकार की गई है।

विवाह का महत्त्व– विवाह पारिवारिक जीवन का आधार है। पितृऋण से मुक्ति पाने के लिये विवाहोपरान्त संतानोत्पत्ति आवश्यक मानी गई है। विवाह के पश्चात् ही अनेक धार्मिक एवं सामाजिक क्रिया–कलापों में भाग लेने की पात्रता प्राप्त होती है।

अतः विवाह का रूप और विधि चाहे जो भी हो, यह मानव जीवन की एक अतिमहत्त्वपूर्ण और सर्वव्यापक आवश्यकता है।

विवाहों के प्रकार– मुक्त यौनाचार और उससे उत्पन्न विकट सामाजिक समस्याओं से बचने के लिये विवाह सभी समाजों में एक आदर्श व्यवस्था के रूप में मान्य है।

भारतीय मान्यता के अनुसार विवाह के तीन रूप प्रचलित हैं-

  • (क) ब्राह्म विवाह–माता–पिता द्वारा अग्नि को साक्षी मानकर कन्यादान किया जाना ब्राह्म–विवाह कहलाता है।
  • (ख) गन्धर्व विवाह–जब स्त्री–पुरुष स्वतन्त्र रूप से एक–दूसरे का वरण कर लेते हैं तो वह गन्धर्व या प्रेम–विवाह कहा जाता है।
  • (ग) राक्षस विवाह–पुरुष द्वारा कन्या का बलात् अपहरण करके उससे विवाह किया जाना राक्षस–विवाह कहा गया है।

विवाह के विकृत स्वरूप– सामाजिक परिस्थितियों एवं धार्मिक अन्धविश्वासों के कारण विवाह के अनेक विकृत रूप भी प्रचलित रहे हैं। इनमें बाल–विवाह, बहु–विवाह, कुलीन विवाह, अनमेल विवाह आदि ऐसे ही रूप हैं।

बाल विवाह– जन्म लेने से पूर्व अथवा बहुत छोटी आयु में लड़के–लड़कियों का विवाह करना बाल–विवाह है। भारत में ऐसे विवाह आज भी होते हैं। कानून की दृष्टि से बाल–विवाह अपराध है।

राजस्थान में अक्षय तृतीया के अवसर अब भी ऐसे बच्चों के विवाह होते हैं जिनको उनके माता–पिता अपनी गोद में उठाकर विवाह–संस्कार सम्पन्न कराते हैं। हिन्दुओं में यह एक पुण्य कार्य है किन्तु यह कार्य देश तथा मानवता के प्रति अपराध से कम नहीं है।

बाल–विवाह : एक सामाजिक अभिशाप–अपूर्ण मानसिक विकास और अपरिपक्व शरीर पर मातृत्व और पितृत्व का बोझ लाद देना वस्तुतः विवाह संस्कार का उपहास है। यह दुर्बल और रोगी सन्तानों की भीड़ बढ़ाकर जनसंख्या की विकट समस्या में आहुति डालने वाला एक राष्ट्रीय अपराध है। इसी ने समाज में बाल–विधवाओं की संख्या में वृद्धि करके नारी के तिरस्कार और उत्पीड़न का मार्ग खोला है। यह नारी–जाति के साथ एक धर्म का ठप्पा लगा कुत्सित षड्यन्त्र है।

उपसंहार– यद्यपि सरकार द्वारा 18 वर्ष से कम आयु की कन्या के विवाह पर कानूनी रोक लगा दी गई है, किन्तु इस धर्मप्राण देश के अनेक प्रदेशों में आज भी कानून को धता बताते हुए बाल–विवाह धड़ल्ले से हो रहे हैं। आज इसके लिए ग्रामीण क्षेत्रों में जन–जागृति की महती आवश्यकता है।

अत: सरकार और जनता दोनों को ही इस कुप्रथा के उन्मूलन में सहयोग करना चाहिए। परिवार नियोजन को पलीता लगाने वाले और नारी की गरिमा और वरण–स्वातन्त्र्य का विनाश करने वाले बाल–विवाहों पर जितना शीघ्र विराम लग जाय, उतना ही देश और परिवारों के हित में होगा।

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Essay, Paragraph or Speech on “An Indian Wedding” Complete English Essay, Speech for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

An Indian Wedding

Wedding is a marriage ceremony followed by the meal or party. In India, wedding is an important and auspicious occasion in a family. Wedding in a family brings happiness, excitement, jubilation and enjoyment to elders and children.

Days and months before the actual wedding day, a new spirit of enthusiasm spreads in the family. Several arrangements are made for the coming occasion. New clothes are bought or stitched and houses are cleaned and painted. Near and distant relatives and friends are invited to participate and grace the grand occasion. All come together, bless the bride and bridegroom and enjoy their fullest.

As the wedding date comes near and near, the entire house begins to be busier in activities from the early hours of the morning. Either bride or the bridegroom visits to the other’s house in order to perform certain religious rites. A few close relatives accompany the family. Sometimes a small group of women from the bride’s house visits to the bridegroom’s house. After a few hours, same kind of visit is carried out by the bridegroom’s house.

As per the shubhmahurat, the bridegroom goes in a procession to the bride’s place. He seats on a horse or goes in a decorated car. Loud songs are played. Bands and drums are beaten. People dance. Hearts are filled with joy and everyone is happy. Women are beautifully dressed with expensive clothes and jewellery. They even sing wedding songs.

There is a big warm welcome when the procession reaches the bride’s place. Certain important ceremonies are performed by the mother of the bride. The bridegroom is led to the wedding seat with respect and pride.

Within a short period, the wedding ceremony begins. Until than soft drinks along with starters are served to the guests. The bride sits beside or opposite to the bridegroom and the priest chants sacred mantras. After a certain point of time, bride and bridegroom go round the holy fire. However, marriage ceremony depends and varies from religion to religion. Once the ceremony ends, both become legal husband and wife.

In the evening, a grand reception is held in a big hall or an open ground. However, this largely depends on the financial status of the families. Several people are invited to bless the couple and offer them their love in the form of gifts. Once again, different types of cuisine are served. People enjoy delicious food and drink. With the end of the reception, the day that was filled with excitement and joy comes to an end.

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भारत पर निबंध (Essay On India in Hindi) 10 lines 100, 150, 200, 250, 300, 500, शब्दों मे

short essay on indian marriage in hindi

Essay On India in Hindi – भारत क्षेत्रफल के हिसाब से सातवां सबसे बड़ा देश है और एशिया में स्थित दुनिया का दूसरा सबसे अधिक आबादी वाला देश है। भारत के तीन किनारे दक्षिण में हिंद महासागर, दक्षिण पश्चिम में अरब सागर और दक्षिण पूर्व में बंगाल की खाड़ी से घिरे हुए हैं, यह उत्तर में पाकिस्तान, चीन, नेपाल और भूटान के साथ भूमि सीमा साझा करता है; और बांग्लादेश, और म्यांमार पूर्व में। भारत का राष्ट्रीय पशु रॉयल बंगाल टाइगर है, भारत का राष्ट्रीय पक्षी मोर है, भारत का राष्ट्रीय फल आम है, भारत का राष्ट्रीय फूल कमल है, और भारत का राष्ट्रीय गान जन गण मन है।

छात्रों और बच्चों के लिए भारत पर लघु निबंध (Short Essay on India for Students and Kids in Hindi)

एशिया महाद्वीप में स्थित भारत देश क्षेत्रफल के हिसाब से सातवां सबसे बड़ा देश है और दुनिया का दूसरा सबसे अधिक आबादी वाला देश है। 15 अगस्त 1947 को भारत को आजादी मिली। भारत में 29 राज्य और 7 केंद्र शासित प्रदेश हैं। भारत के राष्ट्रीय ध्वज का आकार क्षैतिज है, और यह शीर्ष पर गहरा केसरिया रंग, बीच में सफेद रंग और सबसे नीचे कठोर हरा रंग और सफेद रंग के बीच में एक अशोक चक्र के साथ तिरंगा है।

भारत की राजधानी नई दिल्ली है। भारत का राष्ट्रीय पशु रॉयल बंगाल टाइगर है, भारत का राष्ट्रीय पक्षी मोर है, भारत का राष्ट्रीय फल आम है, भारत का राष्ट्रीय फूल कमल है। भारत का राष्ट्रगान रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा लिखित जन गण मन है, और राष्ट्रीय गीत “वंदे मातरम” है और राष्ट्रीय खेल हॉकी है। हम भारत में भाषाओं, भोजन, संस्कृतियों, भूमि, तापमान की किस्मों को देख सकते हैं। भारत में इतनी विविधता होने के बावजूद भी भारत के लोग आपस में मिलजुल कर रहते हैं।

भारत पर निबंध 10 लाइन (Essay on India 10 lines in Hindi)

  • 1) भारत या ‘भारत गणराज्य’ एशिया का एक प्रायद्वीपीय देश है अर्थात् यह तीन ओर से जल से घिरा हुआ है।
  • 2) 7 पड़ोसी देशों के साथ भारत दुनिया का सातवाँ सबसे बड़ा देश है।
  • 3) चीन के बाद 1.3 अरब लोगों के साथ भारत दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी आबादी वाला देश है।
  • 4) पश्चिमी भाग में ‘अरब सागर’, दक्षिणी भाग में ‘हिंद महासागर’ और पूर्व में ‘बंगाल की खाड़ी’ है।
  • 5) भारत का उत्तरी भाग पहाड़ों से ढका हुआ है और प्रसिद्ध पर्वत श्रृंखलाओं में से एक ‘हिमालय’ है।
  • 6) भारत में बहने वाली कई छोटी और बड़ी नदियाँ हैं, जैसे गंगा, यमुना, ब्रह्मपुत्र, नर्मदा, गोदावरी, कावेरी आदि।
  • 7) भारत का राष्ट्रीय ध्वज एक आयताकार तिरंगा झंडा है जिसमें सबसे ऊपर केसरिया, बीच में सफेद और नीचे हरे रंग में बीच में ‘अशोक चक्र’ है।
  • 8) भारत का राष्ट्रीय प्रतीक ‘सारनाथ’ में ‘अशोक की शेर की राजधानी’ है और इसके नीचे “सत्यमेव जयते” लिखा है, जिसका अर्थ है सत्य की ही जीत होती है।
  • 9) भारत का राष्ट्रगान “जन गण मन” है जिसकी रचना रवींद्रनाथ टैगोर ने की थी।
  • 10) भारत का राष्ट्रीय गीत “वंदे मातरम” है जिसे बंकिम चंद्र चटर्जी ने लिखा था।

भारत पर निबंध 20 लाइन (Essay on India 20 lines in Hindi)

  • 1) भारत विशाल सांस्कृतिक और धार्मिक विविधता वाला विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है।
  • 2) भारत 29 राज्यों और सात केंद्र शासित प्रदेशों के संघ के साथ एक एकल एकात्मक देश है।
  • 3) भारत में विशाल भौगोलिक विविधताएँ भी हैं – पर्वत श्रृंखलाएँ से लेकर शुष्क रेगिस्तान और सदाबहार वन।
  • 4) वन्यजीवों से समृद्ध भारत एशियाई शेरों, बंगाल के बाघों, हाथियों और विभिन्न अन्य प्रजातियों का घर है।
  • 5) मेघालय के उत्तर पूर्वी राज्य चेरापूंजी में भारत में सबसे अधिक वार्षिक वर्षा होती है।
  • 6) राजस्थान के उत्तर पश्चिमी राज्य में जैसलमेर के रेगिस्तान में बहुत कम या बिल्कुल भी वर्षा नहीं होती है।
  • 7) भारत में हर राज्य की अपनी जातीयता के साथ-साथ सांस्कृतिक और भाषाई विरासत है।
  • 8) सदियों से आक्रमणों को देखने के बावजूद, भारत ने अपनी संस्कृति और मूल्यों को नहीं खोया है।
  • 9) मुंबई में बांद्रा-वर्ली सी लिंक में स्टील के तार हैं जो पृथ्वी की परिधि तक मापते हैं।
  • 10) भारत दुनिया की सबसे पुरानी सभ्यताओं में से एक, सिंधु घाटी सभ्यता का घर रहा है।
  • 11) देश का नाम ‘इंडिया’ अति प्राचीन सिंधु नदी से लिया गया है।
  • 12) भारत गाँवों की भूमि है जहाँ 60 प्रतिशत से अधिक जनसंख्या ग्रामीण क्षेत्र में रहती है।
  • 13) संयुक्त राज्य अमेरिका के बाद भारत में दूसरी सबसे बड़ी कृषि भूमि है और अधिकांश लोग कृषि में कार्यरत हैं।
  • 14) यह वह देश है जहाँ महान वैज्ञानिक, आध्यात्मिक गुरु, गणितज्ञों ने जन्म लिया और महान कार्य किया।
  • 15) भारत विविध संस्कृतियों, रीति-रिवाजों, परंपराओं और भाषाओं का देश है।
  • 16) भारत वह देश है जिसने पूरी दुनिया को सनातन धर्म के नाम से लोकप्रिय जीवन दर्शन के बारे में सिखाया।
  • 17) भारत का ISRO अमेरिका, रूस, चीन और यूरोप के अंतरिक्ष संगठन के बाद पांचवां सबसे बड़ा अंतरिक्ष संगठन है।
  • 18) संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन के बाद भारत के पास तीसरी सबसे बड़ी सेना है।
  • 19) इसमें लगभग 600 वन्य जीवन अभयारण्य हैं और पक्षियों की 1400 प्रजातियों का घर है।
  • 20) भारत में कई प्रसिद्ध और प्राचीन ऐतिहासिक इमारतें, विरासत और स्मारक हैं जो दुनिया भर के लाखों पर्यटकों को आकर्षित करते हैं।

इनके बारे मे जाने

भारत पर निबंध 100 शब्द (Essay on India 100 words in Hindi)

भारत पूरे विश्व में प्रसिद्ध देश है। भौगोलिक दृष्टि से हमारा देश एशिया महाद्वीप के दक्षिण में स्थित है। भारत एक अत्यधिक आबादी वाला देश है और स्वाभाविक रूप से सभी दिशाओं से सुरक्षित भी है। यह अपनी महान संस्कृति और पारंपरिक मूल्यों के लिए पूरे विश्व में प्रसिद्ध देश है। इसमें हिमालय नाम का एक पर्वत है जो दुनिया में सबसे ऊंचा है। यह तीन तरफ से तीन महासागरों से घिरा हुआ है, जैसे दक्षिण में हिंद महासागर, पूर्व में बंगाल की खाड़ी और पश्चिम में अरेबिका सागर। भारत एक लोकतांत्रिक देश है, जो जनसंख्या के मामले में दूसरे नंबर पर है। भारत की राष्ट्रभाषा हिन्दी है, यद्यपि यहाँ लगभग 14 राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त भाषाएँ बोली जाती हैं।

भारत पर निबंध 150 शब्द (Essay on India 150 words in Hindi)

भारत एक खूबसूरत देश है जो अपनी अलग संस्कृति और परंपरा के लिए जाना जाता है। यह अपनी ऐतिहासिक विरासत और स्मारकों के लिए प्रसिद्ध है। यहां के नागरिक स्वभाव से बेहद विनम्र और चकाचौंध वाले हैं। ब्रिटिश शासन के तहत, यह 1947 से पहले एक गुलाम देश था। हालाँकि, हमारे महान स्वतंत्रता सेनानियों के संघर्ष और समर्पण के कारण, भारत को 1947 में अंग्रेजों से आज़ादी मिली। जब भारत को आज़ादी मिली, तो पंडित जवाहरलाल नेहरू भारत के पहले प्रधान मंत्री बने और भारतीय ध्वज फहराया और कहा “जब दुनिया सोती है, भारत जीवन और स्वतंत्रता के लिए जागेगा”।

भारत एक लोकतांत्रिक और लोकतांत्रिक देश है जहां देश के लोगों को देश की भलाई के लिए निर्णय लेने का अधिकार है। भारत इस कथन “विविधता में एकता” के लिए प्रसिद्ध देश है क्योंकि विभिन्न जाति, धर्म, संस्कृति और परंपरा के लोग एक साथ एकता में रहते हैं। अधिकांश भारतीय स्मारक और विरासत स्थल विश्व धरोहर स्थल से जुड़े हुए हैं।

भारत पर निबंध 200 शब्द (Essay on India 200 words in Hindi)

भारत एक धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र है। इसका अर्थ है कि सभी धर्मों का समान रूप से सम्मान किया जाता है, और प्रत्येक व्यक्ति किसी भी धर्म का पालन करने के लिए स्वतंत्र है। भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। यहां के लोगों के पास सभी बुनियादी मानवाधिकार हैं। भारत का राष्ट्रीय विरासत पशु भारतीय हाथी है। भारत की राष्ट्रीय नदी गंगा है। गंगा एक पवित्र हिंदू नदी है, जो इतनी पवित्र है कि ऐसा माना जाता है कि यह लोगों के पापों को धो देती है। भारत में सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न है, जिसका अर्थ है ‘भारत का गहना’।

भारत की सबसे प्रमुख हस्तियां जो उत्कृष्टता के साथ सेवा करती हैं, उनका कार्यक्षेत्र समर्पण के साथ है, और कड़ी मेहनत इस पुरस्कार को अर्जित करती है। परमवीर चक्र बहादुरी प्रदर्शित करने के लिए दिया जाने वाला भारत का सर्वोच्च सैन्य सम्मान है। नागरिकों की रक्षा के लिए अपना जीवन ऑनलाइन करने वाले सैनिक भारत के नायक हैं। भारत के पहले प्रधान मंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू थे, जिन्हें पंडित नेहरू या चाचा नेहरू भी कहा जाता है।

संविधान सभा द्वारा भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद थे। वह आईएनसी (भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस) के सदस्य थे, और वह एक विद्वान थे। मोहनदास करमचंद गांधी, जिन्हें प्यार से बापूजी या महात्मा गांधी के नाम से जाना जाता है, हमारे राष्ट्रपिता हैं। वह दुनिया भर में सबसे अधिक मान्यता प्राप्त व्यक्ति हैं, जो अहिंसा द्वारा देश की स्वतंत्रता में उनके योगदान के लिए जाने जाते हैं। रवींद्रनाथ टैगोर ने वर्ष 1913 में साहित्य में नोबेल पुरस्कार जीता था, और वे भारत के सबसे प्रतिष्ठित व्यक्तित्वों में से एक हैं।

भारत पर निबंध 250 शब्द (Essay on India 250 words in Hindi)

भारत में राजनीतिक परिदृश्य एक बहुदलीय चुनावी प्रणाली है। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) भारत की पहली राजनीतिक पार्टी थी। भारत वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) द्वारा शासित है। भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी हैं, जबकि देश के राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद हैं। गृह मंत्रालय का ध्यान अमित शाह द्वारा रखा जाता है, और विदेश मंत्रालय या विदेश मामलों के मंत्री सुब्रह्मण्यम जयशंकर हैं।

भारत को एक विकासशील देश माना जाता है और इसके वर्ष 2033 में महाशक्तियों की सूची में आने की उम्मीद है। चीन के बाद भारत भारत में दूसरा सबसे अधिक आबादी वाला देश है। जुलाई 2019 तक भारत की अनुमानित जनसंख्या 1,296,834,042 है। भारत की उत्तरी सीमा पर हिमालय और देश में बहने वाली गंगा के साथ आश्चर्यजनक विशेषताएं हैं। नई दिल्ली भारत की राष्ट्रीय राजधानी है।

भारत में वर्तमान में 28 राज्य और 8 केंद्र शासित प्रदेश, 2 प्रमुख भाषाएँ और 22 आधिकारिक रूप से मान्यता प्राप्त राज्य आधारित भाषाएँ हैं। भारत को एक उपमहाद्वीप कहा जाता है और तीन प्रमुख जल निकायों के साथ इसे तीन तरफ से कवर किया जाता है, अर्थात् बंगाल की खाड़ी, अरब सागर और महान हिंद महासागर। ब्रिटिश भारत के औपनिवेशिक शासक थे और उन्होंने 200 वर्षों तक देश पर शासन किया। इसकी शुरुआत ईस्ट इंडिया कंपनी के भारत में व्यापार करने और अधिक लाभ कमाने के लिए सत्ता पर कब्जा करने के लिए कलकत्ता पर कब्जा करने के साथ हुई। यह धीरे-धीरे फैल गया, और भारत वर्ष 1858 में ब्रिटिश महारानी के नियंत्रण में आ गया। भारत दुनिया की सबसे बड़ी सेना रखने में चीन के बाद दूसरे स्थान पर है। इसकी FPF रैंक गिरकर चौथे स्थान पर आ गई है क्योंकि इस मामले में अमेरिका और रूस चीन और भारत से आगे हैं।

भारत पर निबंध 300 शब्द (Essay on India 300 words in Hindi)

भारत मेरी मातृभूमि है जहां मैंने जन्म लिया है। मैं भारत से प्यार करता हूं और मुझे इस पर गर्व है। भारत एक बड़ा लोकतांत्रिक देश है, जो जनसंख्या के बाद चीन के बाद दूसरे स्थान पर है। इसका समृद्ध और गौरवशाली इतिहास रहा है। इसे विश्व की पुरानी सभ्यता के देश के रूप में देखा जाता है। यह सीखने की भूमि है जहां दुनिया के कोने-कोने से छात्र यहां के विश्वविद्यालयों में पढ़ने आते हैं।

यह देश अपनी अनूठी और विविध संस्कृति और कई धर्मों के लोगों की परंपरा के लिए प्रसिद्ध है। प्रकृति से आकर्षित होने के कारण विदेशों में रहने वाले लोग भी यहां की संस्कृति और परंपरा का पालन करते हैं। कई हमलावर यहां आए और यहां की खूबसूरती और बेशकीमती चीजें चुरा लीं। कुछ ने इसे अपना गुलाम मान लिया, देश के कई महान नेताओं के संघर्ष और बलिदान के कारण 1947 में हमारी मातृभूमि अंग्रेजों की गुलामी से मुक्त हो गई।

उसी दिन से हमारी मातृभूमि हर साल 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के रूप में आजाद हुई। पंडित नेहरू भारत के प्रथम प्रधानमंत्री बने। प्राकृतिक संसाधनों से परिपूर्ण भूमि होते हुए भी यहां के निवासी गरीब हैं। रवींद्रनाथ टैगोर, सर जगदीश चंद्र बोस, सर सीवी रमन, श्री एचएन भाभा आदि जैसे उत्कृष्ट लोगों के कारण यह प्रौद्योगिकी, विज्ञान और साहित्य के क्षेत्र में लगातार बढ़ रहा है।

यह एक शांतिपूर्ण देश है जहां लोग बिना किसी हस्तक्षेप के अपने त्योहार मनाते हैं और विभिन्न धर्मों के लोग अपनी संस्कृति और परंपरा का पालन करते हैं। यहां कई बेहतरीन ऐतिहासिक इमारतें, विरासत, स्मारक और खूबसूरत नजारे हैं जो हर साल अलग-अलग देशों का मन मोह लेते हैं। भारत में, ताजमहल एक महान स्मारक और प्रेम का प्रतीक है और कश्मीर पृथ्वी के स्वर्ग के रूप में है।

भारत पर निबंध 500 शब्द (Essay on India 500 words in Hindi)

भारत हमारा देश ‘अनेकता में एकता’ का बेहतरीन उदाहरण है। विभिन्न पृष्ठभूमि और धर्मों के लोग यहां शांति और सद्भाव से रहते हैं। इसके अलावा, हमारा देश विभिन्न भाषाओं के लिए जाना जाता है। यहां तक ​​कि आपको हमारे देश में हर 100 किलोमीटर पर एक अलग भाषा मिल जाएगी। हमारे देश पर निबंध के माध्यम से हम आपको बताएंगे कि भारत क्या है।

अनेकता में एकता- हमारा देश निबंध

भारत एक अनूठा देश है जो विभिन्न प्रकार के लोगों को आश्रय देता है जो विभिन्न भाषाएं बोलते हैं, विभिन्न खाद्य पदार्थ खाते हैं और विभिन्न प्रकार के कपड़े पहनते हैं। हमारे देश को जो खास बनाता है वह यह है कि इतने सारे मतभेदों के बावजूद लोग हमेशा शांति से एक साथ रहते हैं।

हमारा देश भारत दक्षिण एशिया में स्थित है। यह एक बड़ा देश है जो लगभग 139 करोड़ लोगों का घर है। इसके अलावा, भारत पूरी दुनिया में सबसे बड़ा लोकतंत्र भी है। सबसे पुरानी सभ्यताओं में से एक होने के कारण, यह एक बहुत समृद्ध देश है।

हमारे देश में उपजाऊ मिट्टी है जो इसे पूरी दुनिया में सबसे बड़ा गेहूं उत्पादक बनाती है। भारत ने साहित्य और विज्ञान के क्षेत्र में प्रसिद्ध हस्तियों को जन्म दिया है। उदाहरण के लिए, रवींद्रनाथ टैगोर, सीवी रमन, डॉ अब्दुल कलाम और अन्य भारतीय हैं।

यह एक ऐसा देश है जो हजारों गांवों का घर है। इसी प्रकार, भारत के खेतों को शक्तिशाली नदियों द्वारा सिंचित किया जाता है। उदाहरण के लिए, गंगा, कावेरी, यमुना, नर्मदा और अन्य भारत की नदियाँ हैं।

सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि हमारे देश के तटों की रक्षा गहरे महासागर करते हैं और शक्तिशाली हिमालय हमारी प्राकृतिक सीमाएँ हैं। एक धर्मनिरपेक्ष राज्य होने के नाते, भारत में विभिन्न प्रकार के धर्म हैं जो एक साथ खुशी से फलते-फूलते हैं।

हमारे देश की प्रसिद्ध चीजें निबंध

हमारे देश की संस्कृति दुनिया भर में बेहद समृद्ध और प्रसिद्ध है। हम जो अलग-अलग भाषाएं बोलते हैं और जिन अलग-अलग देवताओं की हम पूजा करते हैं, वे हमारे बीच मतभेद पैदा नहीं करते हैं। हम सभी एक ही भावना साझा करते हैं।

भारत की आत्मा पूरे देश में चलती है। इसके अलावा, भारत बहुत सारे पर्यटन स्थलों के लिए प्रसिद्ध है। उदाहरण के लिए, ताजमहल, कुतुब मीनार, गेटवे ऑफ इंडिया, हवा महल, चारमीनार और बहुत कुछ काफी लोकप्रिय हैं।

ये आकर्षण दुनिया भर के लोगों को एक साथ लाते हैं। इसी तरह, हमारे पास कश्मीर है जिसे धरती पर स्वर्ग के रूप में जाना जाता है। कश्मीर की प्राकृतिक सुंदरता, शक्तिशाली नदियाँ और भव्य घाटियाँ वास्तव में इसे स्वर्ग बनाती हैं।

इसके अलावा, भारत एक बहुत समृद्ध खाद्य संस्कृति होने के लिए प्रसिद्ध है। हमारे देश में इतने सारे व्यंजन पाए जाते हैं कि एक बार में सब कुछ खाना संभव नहीं है। समृद्धि के कारण हमें सब कुछ सर्वोत्तम मिलता है।

हमारे देश निबंध का निष्कर्ष

कुल मिलाकर हमारे देश की एक हजार साल पुरानी संस्कृति है। इसे दुनिया ने योग और आयुर्वेद की देन भी दी है। इसके अलावा, भारत ने विज्ञान, संगीत, गणित, दर्शन और अन्य क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। यह विश्व स्तर पर लगभग हर क्षेत्र में एक आवश्यक देश है।

भारत पर अनुच्छेद पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

भारत में घूमने के लिए सबसे अच्छी जगह कौन सी है.

भारत में देखने लायक कई जगहें हैं, यह ध्यान में रखते हुए कि देश कितना खूबसूरत है। दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और बैंगलोर यात्रा करने के लिए सबसे अच्छे भारतीय शहरों में से कुछ हैं। भारत में सबसे अच्छे समुद्र तट पुरी, ओडिशा और गोवा में वागा बीच हैं।

भारत में सबसे अधिक साक्षर राज्य कौन सा है?

केरल, प्रायद्वीप के दक्षिणी किनारे पर स्थित एक राज्य, भारत में सबसे अधिक साक्षरता दर वाला राज्य है। इसकी साक्षरता दर 91.58% है।

भारत का सबसे बड़ा राज्य कौन सा है?

उत्तर प्रदेश या यूपी भारत का सबसे बड़ा राज्य है, इसके क्षेत्रफल को देखते हुए।

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दहेज़ प्रथा पर निबंध (Dowry System Essay in Hindi)

दहेज मूल रूप से शादी के दौरान दुल्हन के परिवार द्वारा दूल्हे के परिवार को दिए नकदी, आभूषण, फर्नीचर, संपत्ति और अन्य कीमती वस्तुओं आदि की इस प्रणाली को दहेज प्रणाली कहा जाता है। यह सदियों से भारत में प्रचलित है। दहेज प्रणाली समाज में प्रचलित बुराइयों में से एक है। यह मानव सभ्यता पुरानी है और यह दुनिया भर में कई हिस्सों में फैली हुई है।

दहेज़ प्रथा पर छोटे तथा लंबे निबंध (Short and Long Essay on Dowry System in Hindi, Dahej Pratha par Nibandh Hindi mein)

दहेज़ प्रथा पर निबंध – 1 (250 – 300 शब्द).

दहेज भारत के विभिन्न हिस्सों में फैली एक पुरानी प्रथा है और आज भी प्रचलित है। यह शादी होने पर दो परिवारों के बीच पैसे या उपहारों का आदान-प्रदान है। दुल्हन के माता-पिता द्वारा दूल्हे या उसके परिवार को पैसा या महँगी चीजे देना दहेज़ प्रथा कहलाता है। यह हमारे देश में प्रचलित एक सामाजिक कुप्रथा है जिसके कारण लड़की के माता-पिता पर आर्थिक बोझ बढ़ जाता है।

दहेज प्रथा के कारण

समाज में दहेज प्रथा के बढ़ने का एक मुख्य कारण पुरुष प्रधान समाज है। यह एक ऐसी स्थिति पैदा करता है जिसमें माता-पिता अपनी बेटी की शादी सुनिश्चित करने के लिए दहेज देने के लिए मजबूर होते हैं। दोनों लिंगों के बीच सामाजिक और आर्थिक असमानता एक और प्रमुख कारक है जो हमारे देश में दहेज प्रथा के प्रसार का कारण बनता है।

दहेज प्रथा के प्रभाव

दहेज प्रथा का भारतीय आबादी पर दूरगामी प्रभाव पड़ा है और इसने समाज को बहुत नुकसान पहुँचाया है। इसने दुल्हन के परिवारों के लिए एक बड़ा वित्तीय बोझ पैदा कर दिया है, जिसके परिणामस्वरूप वे भारी कर्ज में डूब जाते है। यह प्रथा कभी-कभी परिवारों को उच्च ब्याज दरों पर ऋण लेने या यहां तक कि दहेज के लिए अपनी संपत्ति बेचने के लिए मजबूर करता है। इसके परिणामस्वरूप कई निर्दोष लोगों की मौत भी हुई है क्योंकि लोग दूल्हे के परिवार की मांगों को पूरा करने के लिए इस प्रकार के कदम भी उठाते हैं।

दहेज प्रथा एक सामाजिक बुराई है जो कई सदियों से भारतीय समाज को प्रभावित करती आ रही है। सरकार के प्रयासों के बावजूद, यह प्रथा अभी भी भारत के अधिकांश हिस्सों में प्रचलित है। इस प्रथा के पीछे सामाजिक रूढ़ियों को तोड़ना और समाज में लैंगिक समानता का माहौल बनाना जरूरी है।

Dahej Pratha par Nibandh – 2 (400 शब्द)

दहेज प्रथा जो लड़कियों को आर्थिक रूप से मदद करने के लिए एक सभ्य प्रक्रिया के रूप में शुरू की गई, क्योंकि वे नए सिरे से अपना जीवन शुरू करती हैं, धीरे-धीरे समाज की सबसे बुरी प्रथा बन गई है। जैसे बाल विवाह, बाल श्रम, जाति भेदभाव, लिंग असमानता, दहेज प्रणाली आदि भी बुरी सामाजिक प्रथाओं में से एक है जिसका समाज को समृद्ध करने के लिए उन्मूलन की जरूरत है। हालांकि दुर्भाग्य से सरकार और विभिन्न सामाजिक समूहों द्वारा किए गए प्रयासों के बावजूद यह बदनाम प्रथा अभी भी समाज का हिस्सा बनी हुई है।

दहेज प्रणाली अभी भी कायम क्यों है ?

सवाल यह है कि दहेज को एक दंडनीय अपराध घोषित करने के बाद और कई अभियानों के माध्यम से इस प्रथा के असर के बारे में जागरूकता फैलाने के बाद भी लोग इसका पालन क्यों कर रहे हैं? यहां कुछ मुख्य कारण बताए गए हैं कि दहेज व्यवस्था जनता के द्वारा निंदा किए जाने के बावजूद बरकरार क्यों हैं:

  • परंपरा के नाम पर

दुल्हन के परिवार की स्थिति का अनुमान दूल्हे और उसके परिवार को गहने, नकद, कपड़े, संपत्ति, फर्नीचर और अन्य परिसंपत्तियों के रूप में उपहार देने से लगाया जाता है। यह चलन दशकों से प्रचलित है। इसे देश के विभिन्न भागों में परंपरा का नाम दिया गया है और जब शादी जैसा अवसर होता है तो लोग इस परंपरा को नजरअंदाज करने की हिम्मत नहीं कर पाते। लोग इस परंपरा का अंधाधुंध पालन कर रहे हैं हालांकि यह अधिकांश मामलों में दुल्हन के परिवार के लिए बोझ साबित हुई है।

  • प्रतिष्ठा का प्रतीक

कुछ लोगों के लिए दहेज प्रथा एक सामाजिक प्रतीक से अधिक है। लोगों का मानना है कि जो लोग बड़ी कार और अधिक से अधिक नकद राशि दूल्हे के परिवार को देते हैं इससे समाज में उनके परिवार की छवि अच्छी बनती है। इसलिए भले ही कई परिवार इन खर्चों को बर्दाश्त ना कर पाएं पर वे शानदार शादी का प्रबंध करते हैं और दूल्हे तथा उसके रिश्तेदारों को कई उपहार देते हैं। यह इन दिनों एक प्रतियोगिता जैसा हो गया है जहाँ हर कोई दूसरे को हराना चाहता है।

  • सख्त कानूनों का अभाव

हालांकि सरकार ने दहेज को दंडनीय अपराध बनाया है पर इससे संबंधित कानून को सख्ती से लागू नहीं किया गया है। विवाह के दौरान दिए गए उपहारों और दहेज के आदान-प्रदान पर कोई रोक नहीं है। ये खामियां मुख्य कारणों में से एक हैं क्यों यह बुरी प्रथा अभी भी मौजूद है।

इन के अलावा लैंगिक असमानता और निरक्षरता भी इस भयंकर सामाजिक प्रथा के प्रमुख योगदानकर्ता हैं।

यह दुखदाई है कि भारत में लोगों द्वारा दहेज प्रणाली के दुष्प्रभावों को पूरी तरह से समझने के बाद भी यह जारी है। यह सही समय है कि देश में इस समस्या को खत्म करने के लिए हमें आवाज़ उठानी चाहिए।

दहेज़ प्रथा पर निबंध – 3 (500 शब्द)

प्राचीन काल से ही दहेज प्रणाली हमारे समाज के साथ-साथ विश्व के कई अन्य समाजों में भी प्रचलित है। यह बेटियों को आत्मनिर्भर और आर्थिक रूप से स्वतंत्र होने में मदद करने के रूप में शुरू हुई थी क्योंकि वे विवाह के बाद नए स्थान पर नए तरीके से अपना जीवन शुरू करती है पर समय बीतने के साथ यह महिलाओं की मदद करने के बजाए एक घृणित प्रथा में बदल गई।

दहेज सोसायटी के लिए एक अभिशाप है

दहेज दुल्हन के परिवार द्वारा दूल्हे और उसके परिवार को नकद, संपत्ति और अन्य संपत्तियों के रूप में उपहार देने की प्रथा है जिसे वास्तव में महिलाओं, विशेष रूप से दुल्हनों, के लिए शाप कहा जा सकता है। दहेज ने महिलाओं के खिलाफ कई अपराधों को जन्म दिया है। यहाँ विभिन्न समस्याओं पर एक नजर है जो इस प्रथा से दुल्हन और उसके परिवार के सदस्यों के लिए उत्पन्न होती है:

  • परिवार पर वित्तीय बोझ

हर लड़की के माता-पिता उसके जन्म के बाद से उसकी शादी के लिए बचत करना शुरू कर देते हैं। वे कई साल शादी के लिए बचत करते हैं क्योंकि शादी के मामले में सजावट से लेकर खानपान तक की पूरी जिम्मेदारी उनके ही कंधों पर होती है। इसके अलावा उन्हें दूल्हे, उसके परिवार और उसके रिश्तेदारों को भारी मात्रा में उपहार देने की आवश्यकता होती है। कुछ लोग अपने रिश्तेदारों और मित्रों से पैसे उधार लेते हैं जबकि अन्य इन मांगों को पूरा करने के लिए बैंक से ऋण लेते हैं।

  • जीवन स्तर को कम करना

दुल्हन के माता-पिता अपनी बेटी की शादी पर इतना खर्च करते हैं कि वे अक्सर अपने जीवन स्तर को कम करते हैं। कई लोग बैंक ऋण के चक्कर में फंसकर अपना पूरा जीवन इसे चुकाने में खर्च कर देते हैं।

  • भ्रष्टाचार को सहारा देना

जिस व्यक्ति के घर में बेटी ने जन्म लिया है उसके पास दहेज देने और एक सभ्य विवाह समारोह का आयोजन करने से बचने का कोई विकल्प नहीं है। उन्हें अपनी लड़की की शादी के लिए पैसा जमा करना होता है और इसके लिए लोग कई भ्रष्ट तरीकों जैसे कि रिश्वत लेने, टैक्स चोरी करने या अनुचित साधनों के जरिए कुछ व्यावसायिक गतिविधियों का संचालन करना शुरू कर देते हैं।

  • लड़की के लिए भावनात्मक तनाव

सास-ससुर अक्सर उनकी बहू द्वारा लाए गए उपहारों की तुलना उनके आसपास की अन्य दुल्हनों द्वारा लाए गए उपहारों से करते हैं और उन्हें नीचा महसूस कराते हुए व्यंग्यात्मक टिप्पणी करते हैं। लड़कियां अक्सर इस वजह से भावनात्मक रूप से तनाव महसूस करती हैं और मानसिक अवसाद से पीड़ित होती हैं।

  • शारीरिक शोषण

जहाँ कुछ ससुराल वालों ने अपनी बहू के साथ बदसलूकी करने की आदत बना रखी है और कभी भी उसे अपमानित करने का मौका नहीं छोड़ते वहीँ कुछ ससुराल वाले अपनी बहू का शारीरिक शोषण करने में पीछे नहीं रहते। कई मामले दहेज की भारी मांग को पूरा करने में अपनी अक्षमता के कारण महिलाओं को मारने और जलाने के समय-समय पर उजागर होते रहते हैं।

  • कन्या भ्रूण हत्या

एक लड़की को हमेशा परिवार के लिए बोझ के रूप में देखा जाता है। यह दहेज प्रणाली ही है जिसने कन्या भ्रूण हत्या को जन्म दिया है। कई दम्पतियों ने कन्या भ्रूण हत्या का विरोध भी किया है। भारत में नवजात कन्या को लावारिस छोड़ने के मामले भी सामान्य रूप से उजागर होते रहे हैं।

दहेज प्रथा की जोरदार निंदा की जाती है। सरकार ने दहेज को एक दंडनीय अपराध बनाते हुए कानून पारित किया है लेकिन देश के ज्यादातर हिस्सों में अभी भी इसका पालन किया जा रहा है जिससे लड़कियों और उनके परिवारों का जीना मुश्किल हो रहा है।

निबंध 4 (600 शब्द) – Dahej Pratha par Nibandh

दहेज प्रणाली भारतीय समाज का प्रमुख हिस्सा रही है। कई जगहों पर यह भारतीय संस्कृति में अंतर्निहित होने के लिए जानी जाती है और उन जगहों पर यह परंपरा से भी बढ़कर है। दुल्हन के माता-पिता ने इस अनुचित परंपरा को शादी के दौरान नकद रूपए और महंगे तोहफों को बेटियों को देकर उन की मदद के रूप में शुरू किया क्योंकि उन्हें शादी के बाद पूरी तरह से नई जगह पर अपना नया जीवन शुरू करना पड़ता था।

शुरुआत में दुल्हन को नकद, आभूषण और ऐसे अन्य उपहार दिए जाते थे परन्तु इस प्रथा का एकमात्र उद्देश्य समय गुजरने के साथ बदलता चला गया और अब उपहार दूल्हा, उसके माता-पिता और रिश्तेदारों को दिए जाते हैं। दुल्हन को दिए गए गहने, नकदी और अन्य सामान भी ससुराल वालों द्वारा सुरक्षित अपने पास रखे जाते हैं। इस प्रथा ने निरपेक्षता, लिंग असमानता और सख्त कानूनों की कमी जैसे कई कारकों को जन्म दिया है।

दहेज प्रणाली के खिलाफ कानून

दहेज प्रणाली भारतीय समाज में सबसे जघन्य सामाजिक प्रणालियों में से एक है। इसने कई तरह के मुद्दों जैसे कन्या भ्रूण हत्या, लड़की को लावारिस छोड़ना, लड़की के परिवार में वित्तीय समस्याएं, पैसे कमाने के लिए अनुचित साधनों का उपयोग करना, बहू का भावनात्मक और शारीरिक शोषण करने को जन्म दिया है। इस समस्या को रोकने के लिए सरकार ने दहेज को दंडनीय अधिनियम बनाते हुए कानून बनाए हैं। यहां इन कानूनों पर विस्तृत रूप से नज़र डाली गई है:

दहेज निषेध अधिनियम , 1961

इस अधिनियम के माध्यम से दहेज देने और लेने की निगरानी करने के लिए एक कानूनी व्यवस्था लागू की गई थी। इस अधिनियम के अनुसार दहेज लेन-देन की स्थिति में जुर्माना लगाया जा सकता है। सजा में कम से कम 5 वर्ष का कारावास और 15,000 रुपये का न्यूनतम जुर्माना या दहेज की राशि के आधार पर शामिल है। दहेज की मांग दंडनीय है। दहेज की कोई प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष मांग करने पर भी 6 महीने का कारावास और 10,000 रुपये का जुर्माना हो सकता है।

घरेलू हिंसा अधिनियम , 2005 से महिला का संरक्षण

बहुत सी महिलाओं के साथ अपने ससुराल वालों की दहेज की मांग को पूरा करने के लिए भावनात्मक और शारीरिक रूप से दुर्व्यवहार किया जाता है। इस तरह के दुरुपयोग के खिलाफ महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए इस कानून को लागू किया गया है। यह महिलाओं को घरेलू हिंसा से बचाता है। शारीरिक, भावनात्मक, मौखिक, आर्थिक और यौन सहित सभी प्रकार के दुरुपयोग इस कानून के तहत दंडनीय हैं। विभिन्न प्रकार की सजा और दुरुपयोग की गंभीरता अलग-अलग है।

दहेज प्रणाली को समाप्त करने के संभावित तरीके

सरकार द्वारा बनाए गए कानूनों के बावजूद दहेज प्रणाली की अभी भी समाज में एक मजबूत पकड़ है। इस समस्या को समाप्त करने के लिए यहां कुछ समाधान दिए गए हैं:

दहेज प्रणाली, जाति भेदभाव और बाल श्रम जैसे सामाजिक प्रथाओं के लिए शिक्षा का अभाव मुख्य योगदानकर्ताओं में से एक है। लोगों को ऐसे विश्वास प्रणालियों से छुटकारा पाने के लिए तार्किक और उचित सोच को बढ़ावा देने के लिए शिक्षित किया जाना चाहिए जो ऐसी बुरे प्रथाओं को जन्म देते हैं।

  • महिला सशक्तीकरण

अपनी बेटियों के लिए एक अच्छी तरह से स्थापित दूल्हे की तलाश में और बेटी की शादी में अपनी सारी बचत का निवेश करने के बजाए लोगों को अपनी बेटी की शिक्षा पर पैसा खर्च करना चाहिए और उसे स्वयं खुद पर निर्भर करना चाहिए। महिलाओं को अपने विवाह के बाद भी काम करना जारी रखना चाहिए और ससुराल वालों के व्यंग्यात्मक टिप्पणियों के प्रति झुकने की बजाए अपने कार्य पर अपनी ऊर्जा केंद्रित करना चाहिए। महिलाओं को अपने अधिकारों, और वे किस तरह खुद को दुरुपयोग से बचाने के लिए इनका उपयोग कर सकती हैं, से अवगत कराया जाना चाहिए।

  • लैंगिक समानता

हमारे समाज में मूल रूप से मौजूद लिंग असमानता दहेज प्रणाली के मुख्य कारणों में से एक है। बहुत कम उम्र से बच्चों को यह सिखाया जाना चाहिए कि दोनों, पुरुषों और महिलाओं के समान अधिकार हैं और कोई भी एक-दूसरे से बेहतर या कम नहीं हैं।

इसके अलावा इस मुद्दे को संवेदनशील बनाने के लिए तरह तरह के अभियान आयोजित किए जाने चाहिए और सरकार द्वारा निर्धारित कानूनों को और अधिक कड़े बनाना चाहिए।

दहेज प्रणाली लड़की और उसके परिवार के लिए पीड़ा का कारण है। इस कुरीति से छुटकारा पाने के लिए यहां उल्लिखित समाधानों को गंभीरता से लिया जाना चाहिए और इन्हें कानून में शामिल करना चाहिए। इस प्रणाली को समाप्त करने के लिए सरकार और आम जनता को साथ खड़ा होने की ज़रूरत है।

Essay on Dowry System

FAQs: Frequently Asked Questions on Dowry System (दहेज़ प्रथा पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)

उत्तर- शिक्षा का प्रसार एवं बच्चों की परवरिश में समरूपता के साथ-साथ उच्च कोटि के संस्कार का आचरण।

उत्तर- केरल

उत्तर- उत्तर प्रदेश में

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बाल विवाह पर निबंध

Essay On Child Marriage In Hindi : बच्चों के बारे में सोचते ही सबसे पहला चित्र जो हमारे मन में ममता है। वह एक मासूम सा चेहरा है जो अपने बचपन के खेल कूद में उलझा हुआ है। उनके कंधे शादी जैसे जिम्मेदारियों को उठाने के लिए नहीं बने। मगर इस बात का हमें खेद है कि भारत में आज भी विभिन्न जगहों पर बाल विवाह जैसी कुप्रथा चलाई जा रही है।

हम यहां पर बाल विवाह पर निबंध शेयर कर रहे है। इस निबंध में बाल विवाह के संदर्भित सभी माहिति को आपके साथ शेयर किया गया है। यह निबंध सभी कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए मददगार है।

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बाल विवाह पर निबंध | Essay On Child Marriage In Hindi

बाल विवाह पर निबंध (250 शब्द).

बच्चों को हमेशा एक स्वच्छ मन वाले फूल की तरह देखा जाता है। मगर बड़े खेद की बात है कि भारत में कुछ ऐसे भी जगह हैं जहां पर बच्चों का विवाह जल्दी करवा दिया जाता है। अगर आप बाल विवाह का अर्थ समझना चाहते हैं तो भारतीय संविधान के अनुसार हर वह लड़का और लड़की जिसकी उम्र 21 वर्ष से कम है उसका विवाह होता है जाएगा।

कई सालों से भारत में राजा महाराजाओं के समय से ही दहेज लेने की एक प्रथा चल रही है जब यह दहेज लेने की और देने की प्रथा भारत में तीव्र हो गई तब गरीब और छोटे घर के लोगों ने अपने घर की बेटियों को बोझ समझना शुरू कर दिया और उनका बचपन में ही विवाह करके अपने आप को इस बोझ से छुटकारा पाने के ख्याल से बाल विवाह जैसी कुप्रथा का निर्माण हुआ। 

हालांकि सरकार इस बात को समझती है और अधिक से अधिक जागरूकता फैलाकर सभी लोगों को बताना चाह रही है कि बच्चों के हाथ में किताब और खिलौने अच्छे लगते है। उनका विवाह करवा कर उन्हें चारदीवारी में बंद करके उनके भविष्य को बर्बाद ना करें। हम सभी को यह बात समझनी चाहिए कि अगर हम बच्चों को उचित शिक्षा देंगे और उनके भविष्य के बारे में उन्हें सोचने का मौका देंगे तो वह अच्छे भविष्य का निर्माण कर सकते हैं। 

अपने गरीब घर की परिस्थिति को भी सुधार सकते हैं। माता-पिता को भी अपने स्वार्थ की चिंता ना करते हुए बच्चों के भविष्य के बारे में सोचना चाहिए और उन्हें विश्व में उचित मार्ग पर चलने के लिए सही शिक्षा और व्यवहार देना चाहिए। 

बाल विवाह पर निबंध (500 शब्द)

बच्चों को हमेशा हम एक मासूम के रूप में जानते है।  किसी भी बच्चे को देखते हुए हमारे मन में ख्याल आता है की वह अपने बचपन में खेले कूदे। मगर बाल विवाह एक ऐसा अभिशाप है जो बच्चों से उनका बचपन छीन लेता है। जिन बच्चों के हाथ में गुड़िया और गुड्डे होने चाहिए, उन बच्चों के हाथ में शादी जैसे पवित्र बंधन की डोर थमा दी जाती है और जिन कंधों पर स्कूल का बैग होना चाहिए, उन कंधों पर परिवार की जिम्मेदारियां रख दी जाती है। 

जिससे बच्चे बचपन में ही घर के प्रश्नों में उलझ कर रह जाते हैं। ना तो वे अपने जीवन में सही शिक्षा पा पाते हैं ना ही अपने जीवन को और बेहतर बनाने के बारे में सोच पाते हैं। इन सब की शुरुआत राजा महाराजा के समय से हुई थी।  उस जमाने से ही शादी में एक दहेज प्रथा चलती थी अर्थात बेटी की जब शादी होती थी तो बेटी के माता-पिता लड़के वालों को कुछ धन-संपत्ति देते थे।

धीरे-धीरे यह प्रथा इतनी तेजी से बढ़ी कि लड़कियों को बोझ की तरह देखा जाने लगा फिर छोटे वर्ग के गरीब लोग अपने बेटी के बोझ से छुटकारा पाने के लिए उनका विवाह बचपन में ही करना शुरू कर दिया। इसको प्रथा की शुरुआत सदी पहले लड़कियों की शादी नाम के पोज से छुटकारा पाने के लिए शुरू की गई थी। 

आपको जानकर काफी खेद होगा कि आज भी बहुत सारे जगहों पर बाल विवाह सक्रिय है।  सरकार इसे बंद करने के पीछे बहुत सारे मुहिम चला रही है मगर कुछ गांव के लोग इसे आज भी समर्थन देते है। कुछ लोगों का मानना है कि लड़की एक बोझ की तरह होती है। जिस गरीब के घर में बेटी होती है वह अपनी बेटी को जल्दी से जल्दी शादी कर के अपने से दूर करना चाहता है ताकि वह अपने बोझ से छुटकारा पा सके। यह सब शिक्षा की कमी की वजह से हो रहा है। 

सरकार इस बात को समझती है कि अगर बाल विवाह जैसी कुप्रथा चलती रही तो बच्चों का भविष्य खराब हो सकता है और बच्ची ही आने वाले समाज का भविष्य होते है। अगर माता-पिता अपने स्वार्थ के लिए बच्चों के बचपन और उनके मौलिक अधिकार का हनन करने लगेंगे तो बच्चे अपने भविष्य को सही रूप से सवार नहीं पाएंगे जिसका फल यह होगा कि हम अपने देश का अंत कर देंगे।

अंततः हमें इस बात को समझना चाहिए कि बच्चों का जन्म खेलने कूदने और पढ़ने लिखने के लिए हुआ है बच्चों की कुछ मौलिक अधिकार होने चाहिए ताकि उन्हें अपनी बात को रखने और समझदारी से दूसरे की बात को समझने की शक्ति प्रदान हो। बाल विवाह जैसी कुप्रथा को बंद करके बच्चों के भविष्य को संवार आ गया, जिससे आने वाले समाज का एक सही रूपांतरण हो सके। 

बाल विवाह पर निबंध (850 शब्द)

बाल विवाह एक ऐसा अभिशाप है, जिसे कई लोग सही तरीके से समझ नहीं पाते और बच्चों को घर गिरस्ती संभालने के एक अजीब से खेल में फंसा देते है। हम सब को यह बात समझनी चाहिए कि बच्चे आने वाले भविष्य का दर्पण होते हैं हम उन्हें जितनी अच्छी शिक्षा देंगे और भविष्य में जितने बड़े काम करने के लिए तैयार करेंगे उससे वह घर और समाज की परिस्थिति को बदल पाएंगे। 

बाल विवाह एक ऐसा कुप्रथा है जिसे आज भी भारत के विभिन्न जगहों पर पालन किया जाता है इस प्रथा में बहुत ही कम उम्र में बच्चों की शादी करवा दी जाती है और एक लड़की बच्ची को किसी दूसरे परिवार में भेज दिया जाता है जहां उसके साथ शारीरिक हिंसा जैसे विभिन्न प्रकार के प्रताड़नाए दी जाती है।

एक बच्चा और बच्ची की शादी करवाने पर वह अपने दायित्व को समझ नहीं पाते और घर में सही फैसले ना ले पानी की वजह से उनका भविष्य खतरे में पड़ जाता है। एक बच्चा कभी या नहीं समझ पाता कि वह अपने जीवन में क्या कर सकता था। अगर उसे शिक्षा दी जाती इस प्रकार हमारे समाज बाल विवाह की वजह से एक ऐसी बीमारी का शिकार हो गया है जिसने लिंग के आधार पर एक खास प्रकार के इंसान से उसकी कुछ मौलिक अधिकार छीन लिए जाते हैं जो पूरी तरह से गलत है। 

बाल विवाह किसे माना जाएगा

जब हम यह कहते हैं कि एक बच्चे की शादी हो गई है तो इससे हमें पता नहीं चलता कि किस किस्म के बच्चे की शादी हुई है और किस उम्र में हुई है। जब आप बाल विवाह के बारे में जानकारी प्राप्त करने निकलेंगे तो आपको यह बताया जाएगा कि गरीब घर के लोग अपनी बेटी के लिए है उचित मात्रा में दहेज इकट्ठा नहीं कर पाते इस वजह से वह अपनी बेटी नाम के बोझ से छुटकारा पाने के लिए बाल विवाह का सहारा लेते हैं। 

मगर सरकार के अनुसार हर वह व्यक्ति जिसकी उम्र 21 वर्ष से कम है और उसका विवाह किया जा रहा है तो वह एक बाल विवाह माना जाएगा। हालांकि 18 वर्ष के बाद कोई भी बच्चा बालिग हो जाता है और वह अपना फैसला खुद ले सकता है साथ ही सरकार उसे बच्चा नहीं मानती। मगर भारतीय संविधान के अनुसार शादी करने की सही उम्र 21 वर्ष रखी गई है उससे पहले भले ही वह व्यक्ति बालक या बच्चे की श्रेणी में नहीं आता मगर उसे विवाह करने की अनुमति नहीं दी जा सकती। 

बाल विवाह करने पर क्या होता है

जैसा कि हमने आपको बताया कि बाल विवाह करने से बच्चे को शारीरिक और मानसिक रूप से परेशानियां होती हैं। मगर बहुत सारे लोग यह नहीं जानते कि बाल विवाह करने पर सरकार द्वारा क्या किया जा सकता है। इस वजह से आपको नीचे कुछ जानकारियां दी गई है।

  • अगर किसी तरह यह साबित हो जाता है कि शादी हो रहे लड़के और लड़की की उम्र 21 वर्ष से कम है तो लड़के को 2 साल की सजा और ₹100000 जुर्माना या दोनों हो सकता है। 
  • शादी हो जोड़े में शादी करते वक्त बाल की केटेगरी में आता है तो वह कोर्ट में जाकर अपनी शादी रद्द करवा सकता है इसके लिए एक आवेदन पत्र शादी के 2 साल बाद तक मान्य रहता है। 
  • जो भी बाल विवाह संपन्न करवाता है चाहे वह पंडित मौलवी माता-पिता रिश्तेदार या किसी प्रकार के दोस्त के बारे में शिकायत दर्ज करने पर उन्हें 2 साल की कड़ी सजा और ₹100000 जुर्माना देना पड़ेगा। 
  • जो व्यक्ति बाल विवाह में शामिल होते है या किसी भी प्रकार के रस्म को पूरा करवाने में मदद करते है उन पर 2 साल की सजा और ₹100000 जुर्माना लगता है। 

बाल विवाह कैसे रोक सकते हैं

अगर आप बाल विवाह को रोकना चाहते है, तो आप इसके लिए कलेक्टर ऑफिस में शिकायत दर्ज कर सकते हैं। या किसी थाना में थाना प्रभारी के अंतर्गत शिकायत दर्ज की जा सकती है। 

शादी की तिथि से पहले इन सभी कार्यालयों से शादी को संपन्न ना करने को कहा जाता है। अगर रोक लगने के बावजूद माता-पिता या किसी भी प्रकार के अभिभावक ने बाल विवाह को आगे बढ़ाया और शादी को संपन्न करवाने का प्रयास किया तो सरकार द्वारा इस शादी को खारिज माना जाएगा और शादी में शामिल सभी लोगों को 2 साल की कड़ी सजा और ₹100000 जुर्माना देना पड़ेगा। 

बाल विवाह को रोकने के लिए सरकार में भिन्न प्रकार की मुहिम चला रही है साथ ही बहुत सारे समाज सुधारक कंपनियों के द्वारा भी बाल विवाह को रोकने का प्रयास किया जा रहा है भारत के विभिन्न क्षेत्रों में इस तरह के विवाह पर रोक लगा दिया गया है मगर आज भी भारत में ऐसे बहुत सारे गांव और कस्बे है जहां बाल विवाह करवाया जाता है। 

बाल विवाह को पूरी तरह से जड़ से खत्म करने के लिए सरकार को और कड़े नियम और प्रावधान बनाने की आवश्यकता है। हमारे अनुसार बाल विवाह को रोकने के लिए जनगणना की मदद से पता लगाना चाहिए कि किन का बाल विवाह हुआ है और उसे सरकार द्वारा खारिज कर देना चाहिए। 

आज के आर्टिकल में हमने  बाल विवाह पर निबंध ( Essay On Child Marriage In Hindi) के बारे में बात की है। मुझे पूरी उम्मीद है की हमारे द्वारा लिखा गया यह आर्टिकल आपको पसंद आया होगा। यदि किसी व्यक्ति को इस आर्टिकल में कोई शंका है तो वह हमें कमेंट में पूछ सकते है।

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short essay on indian marriage in hindi

By विकास सिंह

essay on love in hindi

प्यार एक खूबसूरत एहसास है। एक व्यक्ति जिसके पास प्यार भरा दिल है, वह हमेशा दूसरों की मदद करने के लिए तैयार रहता है। वह हर किसी से प्यार करता है जैसे हम जो देते हैं वह हमें मिलता है। इसलिए, अगर हम प्यार देते हैं तो हमें बदले में प्यार मिलता है और यह हमारे जीवन को सुंदर बनाने की शक्ति रखता है।

प्रेम पर निबंध, short essay on love in hindi (200 शब्द)

प्यार एक ऐसा जज्बा है जिसके लिए हम सब तरसते हैं। जिस दिन हम पैदा हुए हैं उसी दिन से हम प्रेम की लालसा करते हैं। छोटे बच्चे जो इस दुनिया में प्रवेश करते हैं, वे इस बात से अनजान होते हैं कि यहाँ क्या होता है। अगर कोई एक चीज है जो वे समझते हैं, तो यह प्यार है। वे इसके अलावा प्यार और लालसा के अलावा और कुछ नहीं समझते हैं। वे अपने माता-पिता और दादा-दादी के साथ लंबे समय तक रहना चाहते हैं क्योंकि वे अपने स्पर्श और व्यवहार से प्यार महसूस कर सकते हैं।

मां-बच्चे का रिश्ता सबसे मजबूत बताया जाता है। इसका एकमात्र कारण प्रेम है। इसमें अपार प्रेम शामिल है। माँ बच्चे को नि: स्वार्थ प्यार करती है और बाद में इस प्यार को प्राप्त करती है। जैसे-जैसे हम बड़े होते हैं, हम दोस्त बनाते हैं, शिक्षकों, रिश्तेदारों, पड़ोसियों और कई अन्य लोगों से परिचित होते हैं। वह कौन सी चीज है जो हमें किसी व्यक्ति से खींचती या फटकारती है? यह उसका स्वभाव है। एक दयालु और प्यार करने वाला व्यक्ति सभी से प्यार करता है।

उदाहरण के लिए, एक शिक्षक जो प्यार और समर्थन कर रहा है, उसे छात्रों द्वारा प्यार किया जाता है, जबकि जो कठोर है वह किसी को पसंद नहीं करता है। इसी तरह, हम उन रिश्तेदारों से प्यार करते हैं जो हमसे प्यार करते हैं और हमारे साथ अच्छा व्यवहार करते हैं। हम उनसे मिलने और उनकी कंपनी में खुश महसूस करने के लिए तत्पर हैं।

इस प्रकार, प्यार हर रिश्ते का आधार है। एक ऐसी जगह जहां लोग एक-दूसरे से प्यार करते हैं, शांतिपूर्ण और सुंदर है।

प्रेम पर निबंध, Essay on love in hindi (300 शब्द)

प्रस्तावना:, प्यार और स्नेह के बीच अंतर:, स्नेह संबंधों के लिए आवश्यक दिखावा:, निष्कर्ष:.

जहां प्रेम है वहां स्नेह है और जहां स्नेह है वहां प्रेम के प्रवेश की गुंजाइश है। प्यार और स्नेह अक्सर मेल खाते हैं और एक दूसरे पर निर्भर करते हैं। दोनों एक प्यार और रिश्ते को पूरा करने के लिए आवश्यक हैं।

प्यार पर निबंध, 400 शब्द:

प्रेम एक सुखी पारिवारिक जीवन का आधार है। यह परिवार के सदस्यों को एक-दूसरे के करीब लाता है और एक मजबूत बंधन बनाता है। हमारे लिए अपने परिवार के सदस्यों में एक स्वाभाविक प्रेम होना स्वाभाविक है। यह प्यार समय के साथ बढ़ता है या रिश्ते कड़वे होते हैं, यह काफी हद तक इस बात पर निर्भर करता है कि परिवार के बुजुर्ग अपने बच्चों का कितना भरण पोषण करते हैं।

माँ-बाप और बच्चे का रिश्ता

पेरेंट-चाइल्ड बॉन्ड सबसे गहरे और मजबूत बॉन्ड में से एक है। ऐसा इसलिए है क्योंकि यह शुद्ध प्रेम पर आधारित है। माता-पिता अपने बच्चों को पूरे दिल से प्यार करते हैं। दूसरी ओर, बच्चे अपने माता-पिता के सबसे करीब महसूस करते हैं। वे अपने माता-पिता के बिना अपने जीवन की कल्पना नहीं कर सकते।

माता-पिता जीवन में हर कदम पर अपने बच्चों की मदद और समर्थन करते हैं। वे अपने बच्चों के साथ सख्त हो सकते हैं और कई बार उन्हें डांट भी सकते हैं। हालांकि, यह उनके बच्चों की भलाई के लिए है। ये सभी भावनाएं प्यार से पैदा होती हैं।

दादा-दादी के लिए प्यार और सम्मान

दादा दादी अपने पोते पर अपार प्यार और स्नेह बरसाते हैं। वे अपने पोते-पोतियों से पूरे दिल से प्यार करते हैं और हमेशा उनके साथ समय बिताने के लिए तत्पर रहते हैं। दादा-दादी और पोते के बीच की बॉन्डिंग त्रुटिहीन है। ऐसा इसलिए है क्योंकि उनके बीच का प्यार असीम है। दादा-दादी अपने पोते-पोतियों को मुस्कुराने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं। वे हमेशा अपने छोटों को खुश देखना चाहते हैं।

वे जो कुछ भी करते हैं वह अपने पोते के प्रति उनके प्यार को दर्शाता है। दादी अपने पोते के लिए स्वादिष्ट भोजन तैयार करने के लिए अधिक खुश हैं, जबकि दादा उन्हें टहलने के लिए बाहर ले जाते हैं और अपने अनुभवों को साझा करने में मदद करते हैं ताकि वे अधिक जागरूक और जीवन में सक्षम हो सकें। पोते अपने पोते का सम्मान करते हैं क्योंकि उनका प्यार उनके लिए होता है न कि डर की वजह से। यह सम्मान का एक सही निशान है।

भाई बहन का रिश्ता और प्रेम:

कोई फर्क नहीं पड़ता कि भाई-बहन आपस में कितना लड़ते हैं, वे एक-दूसरे से बहुत प्यार करते हैं। यह स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है जब कोई बाहरी व्यक्ति अपने भाई-बहनों के साथ अशिष्ट व्यवहार करता है। भाई-बहन एक गहरा बंधन साझा करते हैं और अविभाज्य हैं। जैसे-जैसे वे बड़े होते हैं बंधन गहरा होता जाता है। वे हमेशा एक-दूसरे के लिए बने रहते हैं।

माता-पिता यहां एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यह माता-पिता का कर्तव्य है कि वे अपने बच्चों को एक-दूसरे के साथ अच्छी तरह से बंधने में मदद करें। कुछ परिवार ऐसे भी हैं, जहां भाई-बहन में प्रतिद्वंद्विता है। यह काफी हद तक माता-पिता की ओर से खराब पेरेंटिंग या अनजाने में लापरवाही के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।

एक परिवार जहां प्रेम खिलता है वह एक आदर्श परिवार है। एक प्यार भरे माहौल में पाले गए बच्चे एक प्यार भरा स्वभाव विकसित करते हैं और चारों ओर प्यार और आनंद फैलाते हैं, जबकि जो लोग दुखी परिवारों में पैदा होते हैं, वे जीवन में हर चीज के प्रति कटु हो जाते हैं।

प्रेम पर निबंध, 500 शब्द:

किसी भी रिश्ते को पोषण देने के लिए प्यार एक आवश्यक घटक है। चाहे वह माता-पिता-बच्चे का रिश्ता हो, दोस्ती हो, भाई-बहन का रिश्ता हो या कोई रोमांटिक रिश्ता – प्यार किसी भी रिश्ते को जीवित रखने वाले मुख्य कारकों में से एक है। प्यार के बिना रिश्ते आमतौर पर अल्पकालिक होते हैं क्योंकि वे खुशी प्रदान नहीं करते हैं।

प्यार लोगों को बांधता है:

प्यार एक खूबसूरत और तीव्र भावना है जो लोगों को करीब लाने और उन्हें एक साथ बांधने की शक्ति रखता है। यहाँ प्यार लोगों और रिश्तों को कैसे प्रभावित करता है:

माता-पिता-बच्चे का रिश्ता:  माता-पिता अपने बच्चों को निस्वार्थ और असीम प्यार करने के लिए जाने जाते हैं। हालाँकि, हर बच्चा खुशकिस्मत नहीं होता कि उसे माता-पिता से प्यार और देखभाल करने का मौका मिला हो। कुछ माता-पिता इतने आत्म-अवशोषित होते हैं कि वे जिनके बारे में सोचते हैं, वे स्वयं हैं।

उन्हें अपने बच्चों से ज्यादा अपने करियर और सामाजिक जीवन की परवाह है। बच्चे उन परिवारों में खुद को उपेक्षित महसूस करते हैं जहाँ माता-पिता दोनों आत्म-अभिमानी होते हैं। प्यार की कमी उनकी वृद्धि और विकास को बाधित करती है। जिन बच्चों को प्यार किया जाता है वे अधिक खुश और संतुष्ट होते हैं। इसके अलावा, वे अपने माता-पिता के साथ एक गहरा बंधन विकसित करते हैं।

इसी तरह, माता-पिता को प्यार और ध्यान की आवश्यकता होती है क्योंकि वे बूढ़े हो जाते हैं। इसका अभाव उनके शारीरिक के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य को भी नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है।

भाई-बहन संबंध: भाई-बहनों के बीच प्रेम का अत्यधिक महत्व है। जो भाई-बहन एक-दूसरे से सच्चा प्यार करते हैं, वे हर कदम पर एक-दूसरे का साथ देते हैं। वे सुरक्षा की भावना विकसित करते हैं क्योंकि वे जानते हैं कि कोई व्यक्ति हमेशा उनके साथ खड़ा है। दूसरी ओर, इस रिश्ते में प्यार की कमी होने पर सहोदर प्रतिद्वंद्विता विकसित होती है।

रोमांटिक संबंध:  रोमांटिक रिश्ते प्यार से पैदा होते हैं। प्यार उन्हें जीवित रखता है और इसकी कमी काफी निराशाजनक हो सकती है। जोड़े अक्सर अलग हो जाते हैं क्योंकि उनके बीच प्यार फीका पड़ने लगता है।

मित्रता:  प्यार से पैदा हुई दोस्ती सबसे मजबूत होती है। कई लोग अपने सामाजिक प्रतिष्ठा के कारण दूसरों के साथ दोस्त बन जाते हैं या अन्य स्वार्थी भाव रखते हैं। ऐसी दोस्ती लंबे समय तक नहीं चलती है क्योंकि व्यक्ति का असली इरादा जल्द ही सामने आता है। केवल उन दोस्ती जो लंबे समय तक प्यार पर आधारित हैं।

अकेले प्यार ही काफी नहीं है:

जबकि प्यार किसी भी रिश्ते का आधार बनता है, एक खुशहाल रिश्ते के लिए प्यार की भावना ही काफी नहीं है। एक रिश्ते को पोषित करने के लिए कई अन्य चीजों की आवश्यकता होती है। मिसाल के तौर पर, माता-पिता को अपने बच्चों से प्यार करने के अलावा उनके बच्चों को सुरक्षा और सुरक्षा की भावना प्रदान करनी चाहिए।

यह तभी प्राप्त किया जा सकता है जब वे अपनी सभी जिम्मेदारियों को ठीक से पूरा करें। दूसरी ओर बच्चों को न केवल अपने माता-पिता से प्यार करना चाहिए, बल्कि एक स्वस्थ संबंध बनाने के लिए उनका सम्मान करना चाहिए और उनका पालन करना चाहिए।

इसी तरह, एक रोमांटिक रिश्ते में, विश्वास के साथ मिलकर प्यार एक मजबूत और लंबे समय तक चलने वाला रिश्ता बना सकता है। विश्वास के बिना प्यार किसी को कमजोर महसूस करवा सकता है।

प्यार अनंत होना चाहिए:

हम कुछ लोगों के लिए प्यार महसूस करते हैं और स्वाभाविक रूप से उनके लिए तैयार हैं। यह है कि हम दोस्त बनाते हैं, रोमांटिक संबंध बनाते हैं और अपने पड़ोसियों और विस्तारित परिवार के सदस्यों के साथ जुड़ते हैं। विभिन्न रिश्तों में प्रवेश करना आसान है लेकिन उन्हें बनाए रखना मुश्किल है। रिश्ते तभी लंबे समय तक चल सकते हैं जब हम प्यार के साथ-साथ दूसरी भावनाओं को भी जोड़ दें। हास्य, विश्वास, ईमानदारी, देखभाल, दया और सम्मान इनमें से कुछ भावनाएं हैं।

प्यार लोगों को करीब लाता है और किसी भी रिश्ते को खूबसूरत बनाने की ताकत रखता है। हमें प्यार के महत्व को पहचानना चाहिए और रिश्तों में इसे व्यक्त करने में कभी संकोच नहीं करना चाहिए।

प्यार पर निबंध, long essay on love in hindi (600 शब्द)

जैसे ही प्रकृति शब्द का उल्लेख किया जाता है, पेड़ों, पहाड़ों, घाटियों और नदियों की छवियां हमारे दिमाग में आ जाती हैं। प्रकृति किसी भी मानवीय हस्तक्षेप के बिना स्वाभाविक रूप से उपलब्ध सभी सुंदर चीजों को शामिल करती है। हम भी प्रकृति का एक हिस्सा हैं। पौधों और प्रकृति के अन्य चमत्कार जैसे कि समुद्र, पहाड़ और नदी से भरे प्राकृतिक परिवेश में होना एक खुशी का अनुभव है। प्रकृति के प्रति मनुष्य का प्रेम हिल स्टेशन और सुंदर प्राकृतिक वातावरण का आनंद लेने वाले अन्य स्थानों पर जाने की उनकी लालसा को अच्छी तरह से देखा जा सकता है।

प्रकृति के साथ रहो:

प्रकृति सुंदर है। बर्फ से ढंके पहाड़, हरी-भरी घाटियाँ, शानदार झरने, कभी-कभी खूबसूरत चाँद, शांत रात का आसमान और बेचैन समुद्र – ये सब लुभावने हैं। इन प्राकृतिक अजूबों की सुंदरता सभी को पसंद है। प्रकृति की सुंदरता को देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं। जबकि हर कोई प्रकृति की सराहना करता है और सुंदर प्राकृतिक परिवेश में समय बिताना चाहता है, लेकिन हर कोई इसके साथ एक होने की क्षमता नहीं रखता है।

प्रकृति की सच्ची सुंदरता और शक्ति का अनुभव उसके साथ एक होने से ही हो सकता है। प्रकृति के लिए सच्चा प्यार गहरे स्तर पर काम करता है। प्रकृति हमसे उतना ही प्यार करती है जितना हम प्रकृति से प्यार करते हैं। जो प्रकृति के साथ एक हो जाता है, वह जीवन के सच्चे आनंद का अनुभव कर सकता है। प्रकृति के साथ एक होने के नाते हमारे स्वयं के साथ जुड़ने में मदद करता है। यह हमें प्रबुद्ध और सशक्त बनाता है। यह हमारे जीवन के उद्देश्य को पहचानने और समझने में हमारी सहायता करने की शक्ति है।

प्रकृति निस्वार्थ और प्रचुरता से प्यार करती है:

हम अपने परिवार और दोस्तों से प्यार करते हैं। हम जरूरत के समय में उनके लिए हैं और हम उनकी मदद करने के लिए सबसे अच्छा करने की कोशिश करते हैं। हालांकि, अक्सर हम निराश हो जाते हैं जब हमें बदले में उतना प्यार और देखभाल नहीं मिलती है। इस तरह से महसूस करना काफी स्वाभाविक है। हालांकि, इस तरह की अपेक्षाओं और भावनाओं को छोड़ दिया जाना अक्सर रिश्तों को बर्बाद करता है।

कई बार लोग अपने प्रियजनों से नाता तोड़ लेते हैं। सहोदर प्रतिद्वंद्विता, तलाक के मामले और विवाहेतर पारिवारिक रिश्ते ज्यादातर अधूरी उम्मीदों के परिणामस्वरूप होते हैं। हालांकि यह अपेक्षा करना ठीक है लेकिन हमें उन लोगों के खिलाफ शिकायत नहीं करनी चाहिए जो हमारी उम्मीदों पर खरे नहीं उतरते हैं।

यहां, हम प्रकृति से एक क्यू ले सकते हैं। प्रकृति प्रचुर मात्रा में हमें संसाधन देती है। यह बदले में कुछ भी प्राप्त करने के बारे में चिंता नहीं करता है। सूरज हर दिन उगता है, हवा इस बात की परवाह किए बिना कि वे अंकुरित होंगे या नहीं, बारिश के पानी को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने वाली हवा चलती है, बारिश बिना सोचे समझे होती है कि क्या बारिश का पानी बर्बाद हो जाएगा या अच्छे उपयोग के लिए डाल दिया जाएगा और पेड़ हमें बिना छांव दिए यह सोचकर कि क्या हम उन्हें पानी पिलाकर एहसान वापस करेंगे।

प्रकृति की तरह, हमें भी प्रेम और आनंद को बहुतायत में फैलाना होगा। हमें इस बात की परवाह किए बिना निस्वार्थ भाव से दूसरों से प्रेम करना चाहिए कि क्या वे हमें उसी तीव्रता से प्यार करेंगे। हमें अपना काम करना चाहिए न कि दूसरों के व्यवहार पर जोर देना चाहिए।

प्रकृति के लिए अपना प्यार दिखाएं:

प्रकृति हमसे बहुत प्यार करती है और हम सभी दावा करते हैं कि हम भी इसे प्यार करते हैं। लेकिन क्या हम वास्तव में प्रकृति से प्यार करते हैं या हम सिर्फ इसकी सुंदरता के प्रति आकर्षित हैं? अगर हम प्रकृति से सच्चा प्यार करते हैं तो हम इसे खराब नहीं करेंगे। तथ्य यह है कि हम हर गुजरते दिन के साथ अपने प्राकृतिक परिवेश को खराब कर रहे हैं। वायु, भूमि, जल और प्रदूषण के अन्य रूपों के बढ़ते स्तर हमारे सुंदर प्रकृति को अत्यधिक नुकसान पहुंचा रहे हैं।

अगर हम प्रकृति से सच्चा प्यार करते हैं, तो हमें अपने आस-पास के वातावरण को साफ रखने और प्रदूषण के स्तर को नीचे लाने के लिए थोड़ा सा प्रयास करना चाहिए।

प्रकृति सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करती है और हमें कायाकल्प करने में मदद करती है। यह शक्ति प्रदान करता है और दुनिया को सुंदर बनाता है। यह दुखद है कि हम इंसान विकास के नाम पर अपने खूबसूरत प्राकृतिक परिवेश को बर्बाद कर रहे हैं। हमें अपनी सुंदरता को बनाए रखकर प्रकृति के प्रति अपना प्रेम दिखाना होगा।

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विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.

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Aapki kahani to bilkul hart touching hai … Padke dil khus ho jata hai .

Very good …

Mai to appka fain ho gya hu

Ekdam badhiya nibandh tha dost, sahi me sahi

Bahut acche se aapne prem ko shabdo ka haar pehnaya hai

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बाल विवाह पर निबंध। Essay on child marriage in Hindi

बाल विवाह पर निबंध : बाल विवाह से आशय है कि जब दो बच्चों को उनके परिवारों की सहमति से एक दूसरे से शादी करने के लिए मजबूर किया जाता है। इसमें विवाह के वास्तविक अर्थ और इसके महत्व को जाने बिना बच्चों को शादी करने के लिए बाध्य किया जाता है। भारत में विवाह के लिए लड़की की न्यूनतम आयु 18 वर्ष और लड़के की आयु 21 वर्ष होनी चाहिए। यदि उपरोक्त आयु प्राप्त करने से पहले ही विवाह करा दिया जाता है तो इसे बाल विवाह माना जाएगा।

बाल विवाह पर निबंध। Essay on child marriage in Hindi

Very niCe bal vivaah essay http://hihindi.com/child-marriage-low-measures-to-stop-in-hindi/

Kuch v.... Data update karo . The most child marriage occur in rajasthan.. The Hindu की news hai 2017 जून ki

So nice essay it essay help in got me a price of 5000/-

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COMMENTS

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  5. Essay on Marriage in Hindi

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  6. भारतीय विवाह पद्धति पर निबंध हिंदी, Essay On Indian Marriage System in

    Essay on Indian marriage system in Hindi, भारतीय विवाह पद्धति पर निबंध हिंदी: नमस्कार दोस्तों, आज हम आपके लिए लेके आये है भारतीय विवाह पद्धति पर निबंध हिंदी ...

  7. Marriage Essay for Students and Children

    500+ Words Essay on Marriage. In general, marriage can be described as a bond/commitment between a man and a woman. Also, this bond is strongly connected with love, tolerance, support, and harmony. Also, creating a family means to enter a new stage of social advancement. Marriages help in founding the new relationship between females and males.

  8. घर में विवाह का उत्सव पर निबंध

    Article shared by: घर में विवाह का उत्सव पर निबंध | Essay on Marriage Ceremony in Hindi! घर में वैवाहिक कार्यक्रम का आयोजन खुशियाँ लेकर आता है । घर के सदस्य ही नहीं, आस ...

  9. Essay on Child Marriage in Hindi

    Short Essay on Child Marriage in Hindi Language - बाल विवाह पर निबंध (200 words) बाल विवाह के कुछ नकारात्मक प्रभाव हो सकते हैं। सबसे पहले, यह व्यक्ति की स्वतंत्रता को प्रतिबंधित करता है जब ...

  10. बाल विवाह पर निबंध

    100- 200 Words Hindi Essays 2024, Notes, Articles, Debates, Paragraphs Speech Short Nibandh Wikipedia Pdf Download, 10 line. ... बाल विवाह पर निबंध Essay on Child Marriage in Hindi : नमस्कार दोस्तों आपका हार्दिक स्वागत है, आज हम ...

  11. बाल विवाह पर निबंध हिंदी में Essay On Child Marriage In Hindi

    बाल विवाह रोकने के उपाय Bal Vivah Essay In Hindi. 1. रूढ़िवादी सोच में बदलाव - Essay On Child Marriage In Hindi. बाल विवाह को रोकने के लिए इतिहास में कई प्रयास किये गए है ...

  12. बाल विवाह पर निबंध- Essay on Child Marriage in Hindi

    Essay on Child Marriage in Hindi. बाल विवाह पर निबंध Child Marriage Essay, Bal Vivah Ek Abhishap. बाल विवाह यानि कि बच्चों की बचपन में ही शादी कर देना। बाल विवाह जैसी कुरीती केवल भारत में ही नहीं है ...

  13. बाल विवाह पर निबंध Essay on Child Marriage in Hindi

    January 4, 2023 by बिजय कुमार. बाल विवाह पर निबंध Essay on Child Marriage in Hindi - Bal Vivah. बाल विवाह एक कुप्रथा है। यह प्राचीन काल में प्रचलित थी जब लड़के लड़कियों का ...

  14. भारत पर निबंध (India Essay in Hindi)

    भारत पर निबंध (India Essay in Hindi) By अर्चना सिंह / July 19, 2023. पूरे विश्व भर में भारत एक प्रसिद्ध देश है। भौगोलिक रुप से, हमारा देश एशिया महाद्वीप के ...

  15. बाल विवाह एक अभिशाप पर निबंध

    बाल विवाह एक अभिशाप पर निबंध - Essay On Child Marriage In Hindi रूपरेखा- प्रस्तावना, विवाह का महत्त्व, विवाहों के प्रकार, विवाह के विकृत स्वरूप, बाल विवाह : एक सामाजिक अभिशाप ...

  16. Short Essay on An Indian Wedding

    The festivities of the Indian Wedding begin at least a week in advance. The guests, the get together, the music and dance all are a part of this extravaganza. It is no silent affair. It is one of the most crucial events in the life of every Indian mother, father, daughter, son, brother or sister etc. The word 'Indian Wedding' carries a ...

  17. Essay, Paragraph or Speech on "An Indian Wedding ...

    An Indian Wedding . Wedding is a marriage ceremony followed by the meal or party. In India, wedding is an important and auspicious occasion in a family. Wedding in a family brings happiness, excitement, jubilation and enjoyment to elders and children. Days and months before the actual wedding day, a new spirit of enthusiasm spreads in the family.

  18. भारत पर निबंध (Essay On India in Hindi) 10 lines 100, 150, 200, 250

    भारत पर निबंध 20 लाइन (Essay on India 20 lines in Hindi) 1) भारत विशाल सांस्कृतिक और धार्मिक विविधता वाला विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है।. 2) भारत 29 राज्यों और ...

  19. दहेज़ प्रथा पर निबंध (Dowry System Essay in Hindi)

    दहेज़ प्रथा पर निबंध (Dowry System Essay in Hindi) By अर्चना सिंह / August 3, 2023. दहेज मूल रूप से शादी के दौरान दुल्हन के परिवार द्वारा दूल्हे के परिवार को दिए ...

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    प्रेम पर निबंध, short essay on love in hindi (200 शब्द) प्यार एक ऐसा जज्बा है जिसके लिए हम सब तरसते हैं। जिस दिन हम पैदा हुए हैं उसी दिन से हम प्रेम की लालसा ...

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