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मेरा पसंदीदा पुस्तक पर निबंध (My Favourite Book Essay in Hindi)

किताबें/पुस्तकें हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। इनके द्वारा ही हमारी मानसिक ज्ञान का विकास विस्तृत रूप से होता हैं। किसी वस्तु या विषय की सम्पूर्ण जानकारी हम किताबों के माध्यम से प्राप्त कर सकते हैं। मुख्य रूप से यह विषयों से संबंधित विभिन्न सूचनाओं और तथ्यों का एक सम्पूर्ण संग्रह हैं। हममें से बहुत से लोगों को किताबें पढ़ने का शौक होता है, पर हर एक की अपनी एक अलग पसंद होती हैं। जिसे हम अपनी पसंदीदा पुस्तक कहते हैं। इस निबंध में मैंने अपनी पसंद की पुस्तक के बारे में चर्चा की है।

मेरा पसंदीदा पुस्तक पर छोटे व बड़े निबंध (Short and Long Essay on My Favourite Book in Hindi, Mera Pasandida Pustak par Nibandh Hindi mein)

मेरा पसंदीदा पुस्तक पंचतंत्र पर निबंध – 1 (250 – 300 शब्द).

मैंने बहुत सी किताबों को पढ़ा है, जिनमें से कुछ मेरे पाठ्यक्रम की है जो मेरे बौद्धिक क्षमता को बढ़ाती है तो कुछ किताबें मेरा मनोरंजन भी करती है। बचपन में मेरे माता-पिता ने मुझे पढ़ने के लिए कहानियों की पुस्तकें देते थे, जिसे पढ़ना मेरे लिए बहुत आनंददायी और ज्ञानवर्धक सिद्ध होती थी।

मेरी पसंदीदा पुस्तक

पंचतंत्र की किताब में सारस और केकड़े की एक कहानी है। जिसमें हमें केकड़े की बुद्धि और विवेक का परिचय देखने को मिलता है। इस कहानी में एक बूढ़ा सारस होता है जो अपना भोजन या शिकार आसानी से नहीं ढूढ़पाता था। एक दिन वह तालाब के किनारे वाले पेड़ पर बैठा था और तालाब में ढ़ेर सारी मछलियां, मेढ़क औरकेकड़े को तालाब में देखा। गर्मियों का मौसम होने के कारण तालाब में पानी कम ही बचा था। इसलिए तालाब के सभी जीव बहुत दुखी थे। तब इस चालक सारस ने इन मछलियों, मेढकों और केकड़ों को खाने की एक योजना बनाई। सारस ने तालाब के पास जाकर सभी जलीय जंतुओं से उनके उदासी का कारण पूछा तो सबने तालाब के पानी कम होने का कारण बताया।

तब सारस ने सबसे झूठ कहा की पहाड़ी के उस पार एक बहुत बड़ा तालाब है जिसमें ढेर सारा पानी भी हैं। उसने कहा यदि सब चाहे तो मैं एक-एक करके सभी को अपनी चोंच में पकड़ कर उस तालाब में छोड़ सकताहूं। पर असल में वह सभी को खाना चाहता था। सभी ने आपस में निर्णय कर एक-एक कर उसके साथ उस तालाब में जाने का निर्णय लिया। पर केकड़े ने सारस की चालाकी को समझ गया और जब उसके साथ जाने लगा तो वह सारस के गर्दन में लटकने का फैसला किया। जाते समय उसने सारस को मार कर केकड़ा वहां से भाग निकला।

पंचतंत्र की किताब मेरी पसंदीदा किताब है। इसकी कहानियां पढ़कर मुझे बहुत खुशी और साहस मिलती है। यह किताब हमें जीवन की नैतिक मूल्यों से भी परिचित कराती है। पुस्तकें हमें सारी दुनिया की जानकारी और उनके बारे में ज्ञान देती हैं, इसलिए वो हमारी सबसे अच्छी मित्र कही जाती हैं। एक अच्छे मित्र की तरह यह हमारी मदद करती हैं। हमें ज्ञान प्रदान करती है और हमारा मनोरंजन भी करती हैं।

निबंध – 2 मेरा पसंददीदा पुस्तक – महाभारत (400 शब्द)

सैकड़ो ऐसी किताबें हैं जिन्हें हम अपने जीवन में पढ़ते हैं। इनको पढ़ने से ही हमें रोचकता और हमारे ज्ञान का विकास होता है। कुछ ऐसी किताबें होती हैं जो हमें जीवन में बहुत अधिक प्रेरित करती हैं, और यह हमारे जीवन की सबसे अच्छी किताब होती है।

मेरा पसंदीदा पुस्तक का वर्णन

महाभारत मेरा पसंदीदा किताबों में से एक है। इसे पढ़ने से पहले मुझे इस महाकाव्य के बारे में कुछ भी नहीं पता था। यह पुस्तक मेरे दादा-दादी ने मेरे जन्मदिवस पर उपहार के रूप में दीया था। शुरू में जब मैंने इस किताब को पढ़ना आरम्भ किया तो यह मुझे थोड़ा उबाऊ प्रतीत हुआ, इसलिए मैंने इसे अपने पुस्तकों के दराज़ में सुरक्षित रख दीया। बाद में जब टेलीविजन पर महाभारत का नाट्य रूपांतरण दिखाया गया तो वह मुझे काफी दिलचस्प लगी। वह नाट्य उस दिन थोड़ी ही दिखाई गई थी और मुझे जल्दी से इसकी पूरी कहानी को जानना था। इसलिए मैंने इस महाभारत की किताब पढ़नी शुरू कर दी।

महाभारत हिन्दू सांस्कृतिक की प्रमुख महाकाव्यों में से एक है। यह महर्षि वेदव्यास द्वारा लिखित महाकाव्य है। इस महाकाव्य में 10,000 श्लोक निहित हैं। यह महाकाव्य मुख्यतः पांडवों और कौरवों के बीच हस्तिनापुर के राज शासन को प्राप्त करने की लड़ाई पर आधारित है। इस महाकाव्य के अनुसार कुरुक्षेत्र में इसकी लड़ाई लड़ी गई थी।

महाभारत की कहानी संक्षेप में

यह महाकाव्य मुख्य रूप से कौरवों और पांडवों की कहानी पर आधारित है। धृतराष्ट्र और पाण्डु दो भाई थे। धृतराष्ट्र बड़े थे पर जन्म से ही वो अंधे थे, इसलिए शासन का सारा कार्यभार पाण्डु को सौप दिया गया। पाण्डु की अकस्मातिक मृत्यु के पश्चात् धृतराष्ट्र को शासन सौपा गया जब तक पाण्डु के बेटे शासन के काबिल न हो जाये। धृतराष्ट्र के सौ पुत्र थे जिनमें से दुर्योधन सबसे बड़ा पुत्र था। पाण्डु के पांच पुत्र थे, युधिष्ठिर, अर्जुन, भीम, नकुल और सहदेव। जिन्हे पांच पांडव के नाम से जाना गया। दुर्योधन ने पांडवों को चौसर खेलने के लिए आमंत्रित किया जिसे पांडवों ने स्वीकार कर लिया। इस खेल में पांडवों ने अपना सब कुछ खो दिया दौपदी को भी।

सब कुछ दुर्योधन के हाथों हारने के बाद इन्हें 13 वर्षों के लिए राज्य से निर्वासन की सजा मिली। निर्वासन की अवधी पूरी करने के बाद जब पांडव इन्द्रप्रस्थ लौटे तब दुर्योधन ने हस्तिनापुर पड़ावों को वापस देने से इंकार कर दिया। नतीजतन पांडवों को न्याय और धर्म की लड़ाई लड़नी पड़ी। बाद में पांडवों ने कौरवों और उनकी सेना को हराकर युद्ध को जीत लिया।

कौरवों और पांडवों के इस लड़ाई में अर्जुन अपने भाइयों और अपने रिश्तेदारों से लड़ने के लिए बिल्कुल तैयार न थे। तब अर्जुन को भगवान श्री कृष्ण ने समझाया और उन्हें जीवन के ज्ञान का बोध कराया। कृष्ण द्वारा अर्जुन को दिए इस ज्ञान को “भगवत गीता” के नाम से जाना गया। इस पुस्तक में जीवन के ज्ञान का भंडार है। यह महाकाव्य महाभारत का ही एक हिस्सा है।

इस महाकाव्य के अंतर्गत 18 अध्याय और 700 श्लोक शामिल हैं। यह हमें जीवन के महत्वपूर्ण पाठों के साथ जीवन का आध्यात्मिक पाठ भी सिखाता है।

भगवान श्री कृष्ण अर्जुन को उपदेश देते हैं कि केवल शरीर का नाश होता है, आत्मा का नहीं। आत्मा एक शरीर को छोड़ती है तो दूसरे शरीर को धारण कर लेती है। आत्मा अजर और अमर है। गीता में समझाया गया है कि परिणामों की चिंता किये बिना हमें अपने कर्म करने की आवश्यकता है। अपनी मेहनत से किये गए कार्य का परिणाम हमें अवश्य ही प्राप्त होता है। इसमें कहा गया है की मनुष्य का जीवन संघर्षों से भरा है और उसे एक दृढ़ निश्चय के साथ अपने जीवन के संघर्षों का सामना करने की आवश्यकता है।

महाभारत में दिए उपदेश मुझे बेहद पसंद है। यही उपदेश हमारे जीवन में उपस्थित समस्याओं को हल करने में हमारी मदद करती है। महाभारत की कहानी में हर किरदार का अपना एक महत्वपूर्ण स्थान है और इससे हमें अलग-अलग जीवन जीने के उद्देश्यों को सीखने की आवश्यकता हे।

Essay on My Favourite Book

निबंध – 3 मेरा पसंददीदा पुस्तक – रामायण (600 शब्द)

किताबें पढ़ना जीवन में एक अच्छी आदत की तरह होती है। यह हमारे अंदर के ज्ञान और हमारे नैतिक मूल्यों को बढ़ाता है। जीवन में हर किसी को किताब पढ़ने की अच्छी आदत को अपनाना चाहिए। किताबें हमारे जीवन में एक सच्चे साथी की तरह होते हैं। ये सभी पुस्तके ज्ञान का भंडार होती हैं और पढ़ने की एक अच्छी आदत को अपनाकर हम अपने जीवन में सभी ज्ञान को अर्जित कर सकते हैं।

अपने जीवन में मैंने कई किताबें पढ़ी हैं। मुझे उपन्यास और कहानियों की किताबें पढ़ने का बहुत शौक है। मुझे रामायण की किताब बहुत ही पसंद है। ऋषि वाल्मीकि द्वारा लिखी रामायण, महाभारत के बाद दूसरी सबसे बड़ी महाकाव्य है। यह हिन्दुओं के लिए बहुत पवित्र पुस्तक के रूप में जानी जाती है।

रामायण की कहानी

महान महाकाव्य रामायण भगवान राम के जीवन चरित्र को दर्शाती है। राम अयोध्या नरेश दशरथ के पुत्र थे। राजा दशरथ की तीन रानियां थी और राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न चार पुत्र थे। इन चारों भाइयों में आपस में बहुत प्रेम था।

सभी चारों भाइयों ने अपनी शिक्षा हासिल करने के लिए अयोध्या से बहार गए और अपनी शिक्षा पूरी की। बाद में सभी ने अपनी शिक्षा पूरी की और अयोध्या वापस आये। सभी का एक साथ ही विवाह संपन्न हुआ। राम का विवाह सीता के साथ हुआ। भगवन राम अपने पिता दशरथ द्वारा माता कैकेयी को दिए वचन का पालन करने के लिए 14 वर्षों के लिए वनवास जाना पड़ा। वनवास तो सिर्फ राम को मिला था पर सीता ने अपने पत्नी धर्म का पालन करते हुए उनके साथ गई और साथ में उनके छोटे भाई लक्ष्मण भी गए। सभी एक साथ 14 वर्ष के वनवास के लिए निकल गए।

वनवास के दौरान 13 वर्ष का समय शांतिपूर्वक बीत गया पर 14वें वर्ष के दौरान राक्षस राज रावण ने सीता का हरण कर लिया। रावण ने सीता का छल से अपहरण करके लंका ले गया। तब राम ने रावण से युद्ध कर सीता को उनके चंगुल से मुक्त कराया और अपने साथ अयोध्या ले आये। राम, सीता और लक्ष्मण के साथ अयोध्या वापस लौटने के बाद राम को अयोध्या का राजा घोषित किया गया। उन्होंने अपने जीवन में कई राक्षसों को मारा और संतों की रक्षा की। राम अयोध्या वासियों के लिए एक आदर्श राजा थे। अपनी प्रजा के मन की बातों को जानने के लिए वो अक्सर भेष बदलकर प्रजा के बीच जाते थे और बाद में उनकी समस्या का समाधान करते थे।

रामायण के पात्रों से मिली सीख

वैसे तो रामायण के मुख्य रूप से कई पात्र है जिनसे हमें सीख लेने की आवश्यकता है। उनमें से कुछ मुख्य पात्रों का हमारे जीवन में बहुत गहरा असर छोड़ती हैं।

वे अपने माता-पिता और अयोध्या वासियों के लिए एक आदर्श पुत्र थे। जिन्होंने अपने पिता के वचनों का पालन करने के लिए राजसी सुख को त्याग कर 14 वर्षों के वनवास को अपनाया। सीता के लिए वो एक आदर्श पति, अपने भाइयों के लिए वो एक आदर्श भाई और अयोध्या वासियों के लिए एक आदर्श राजा थे।

सीता का विवाह भगवान राम के साथ हुआ था और वह एक आदर्श पत्नी थी। राम को वनवास मिलने पर अपने पत्नी धर्म का पालन करने के लिए वो राम के साथ गयी। उन्होंने कहा था की पति को निर्वासन मिलने के बाद वो राजसी सुख कैसे भोग सकती है। अपने पत्नी धर्म और वचनों का पालन करते हुए वो सदा ही राम के साथ रही।

लक्ष्मण एक आदर्श भाई का प्रतिक है। वो अपने बड़े भाई राम को सबसे ज्यादा प्रिय थे और छोटे होने के साथ ही वो हमेशा राम की सेवा में लगे रहते थे। सभी चारों भाइयों में बहुत ही प्रेम था।

भरत एक आदर्श भाई का प्रतिरूप है। राम को 14 वर्ष के वनवास और माता कैकेयी के वचनों के अनुसार भरत को राजा बनाया गया था पर वो कभी भी राजगद्दी पर नहीं बैठे। सिहासन पर उन्होंने राम की खड़ाऊ रखी थी और खुद एक झोपड़ी बनाकर उसमें एक वनवासी जैसा जीवन व्यतीत करते थे। ऐसे कई उदाहरण हैं जिससे उनके आदर्श भाई और बड़े भाई के सम्मान का प्रतिक उनमें देखने को मिलता है।

राम के भक्तों में शबरी का अपना एक महत्त्वपूर्ण चरित्र है। उन्होंने भगवान राम से मिलने की आस में रोज राहों में फूल बिछाती और जंगलो से चुनिंदा फल बेर लाती थी। अंत में उनकी ये इच्छा भी पूरी हुई और इस बात से हमें सन्देश मिलता है की हमें अपनी उम्मीद कभी नहीं खोनी चाहिए और अपना प्रयास को जारी रखना चाहिए।

रामायण के सभी पात्र का अपना एक महत्वपूर्ण स्थान हैं – जैसे हनुमान राम के सबसे बड़े भक्त थे। इसके अलावा राम की सभी माताएं, चारों भाई और रावण इत्यादि सभी एक सन्देश देते हैं।

रामायण पढ़ने के बाद नैतिक मूल्यों का विकास

रामायण को पढ़ने के उपरांत पता चला की हमें अपने जीवन में उदार भावना के साथ-साथ साहसी और बहादुर होना चाहिए। जीवन में सुख और दुःख दोनों चरण होते हैं। इन दोनों को सहजता से हमें अपने जीवन में अपनाने की आवश्यकता है।

महाकाव्य के अनुसार हमें अपने से बड़ों की बातों को और शिक्षकों द्वारा दिए गए ज्ञान का सम्मान करना चाहिए। उनके द्वारा कही गई हर बात को सुनना और उसका पालन करने की आवश्यकता हैं।

यह महाकाव्य हमें सिखाती है कि गलत और बुरे काम का परिणाम हमेशा ही बुरा होता है। हमें अपने जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए सकारात्मक ऊर्जा का सही दिशा में प्रयोग करने की आवश्यकता है। राक्षस राज रावण बहुत ही विद्वान और बलशाली राजा था, पर उसने छल से सीता का हरण किया था। विद्वान होने के बावजूद उसने अपने विवेक और बुद्धि का उपयोग सही तरीके से नहीं किया। अंततः उसका हर्जाना उसे अपने मृत्यु से चुकाना पड़ा। इसलिए हमें हमेशा अपनी बुद्धि और विवेक का इस्तेमाल कर किसी भी कार्य को करने की आवश्यकता है। तभी हम उस कार्य को आसानी से सफल बना सकते है।

महाकाव्य रामायण में अपार ज्ञान और जीवन जीने के सिद्धांत हैं। लगभग हर घरों में रामायण की किताब मिल जाती है। मुझे इस किताब को बार-बार पढ़कर उनके जीवन जीने के नैतिक मूल्यों को समझना और उसे जीवन में अपनाना बहुत ही पसंद है। जिनके घरों में यह पुस्तक नहीं है, उन्हें एक बार जरूर इस किताब को पढ़ने की आवश्यकता है, क्योंकि इसमें जीवन की तमाम आध्यात्मिक और नैतिक बातें बताई गयी है।

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रामायण पर निबंध Essay On Ramayana In Hindi

Essay On Ramayana In Hindi रामायण पर निबंध: सभी धर्मों के अपने अपने पवित्र ग्रंथ हैं जैसे इस्लाम में कुरान हदीस सिख में गुरु ग्रंथ साहिब, ईसाईयों की बाइबिल इसी तरह हिन्दुओं के लिए गीता और रामायण को पवित्र पुस्तकों में गिना जाता हैं. 

त्रेतायुग में विष्णु के अवतार के रूप में अयोध्या में राजा दशरथ और रानी कौसल्या के पुत्र राम की सम्पूर्ण जीवन कहानी को रामायण में बताया गया हैं.

Essay On Ramayana In Hindi में हम वाल्मीकि रामायण के बारे में इस निबंध में जानेगे.

रामायण पर निबंध Essay On Ramayana In Hindi

भारत के इतिहास में रामायण को प्रमाणिक ऐतिहासिक व धार्मिक ग्रंथ माना गया हैं. साथ ही अत्यंत प्राचीन होने के कारण इसे आदि काव्य भी कहते हैं. २४ हजार श्लोकों में वाल्मीकि रामायण को लिखा गया हैं. 

सम्पूर्ण कहानी सात भागों में प्रकाशित हैं. जिसके दो मुख्य पात्र राम व रावण हैं. राम को मर्यादा पुरुषोत्तम, अच्छाई का प्रतीक तथा रावण को अन्यायी व दुराचारी के रूप में दिखाया गया हैं.

सबसे पहली व मौलिक रामायण की रचना आचार्य वाल्मीकि द्वारा की गई. जो सरल संस्कृत भाषा में छंद दोहा तथा चौपाई विधा में लिखी गई. इसके बाद के समय में कई काव्यकारों ने अपने अपने ढंग से राम की कथा को प्रस्तुत किया.

तुलसी दास जी ने भी बिरवे रामायण तथा रामचरितमानस की रचना की. रामायण को हिन्दुओं में श्रद्धेय तो माना गया हैं मगर वेदों की तुलना में इन्हें उनके बाद रखा गया हैं.

रामायण की कहानी के अनुसार, राजा दशरथ ने अपनी राजधानी के रूप में अयोध्या के साथ कोसल (उत्तरी अवध) पर शासन किया.

उनकी तीन पत्नियाँ थीं, कौशल्या, प्रमुख रानी, ​​सुमित्रा और कैकयी। उनके चार पुत्र थे- राम, (कौशल्या से ज्येष्ठ पुत्र), लक्ष्मण और शत्रुघ्न (सुमित्रा का जन्म) और भरत (सबसे छोटी रानी कैकेयी का पुत्र) थे.

जब राजा दशरथ वृद्ध हुए तो उन्होंने अपने ज्येष्ठ पुत्र राम को अयोध्या का अगला शासक नियुक्त किया. मगर दूसरी तरफ रानी कैकेयी अपने बेटे भरत को राजसिंहासन पर बिठाना चाहती थी.

अतः कई वर्ष पूर्व उन्होंने दशरथ की रक्षा में मांगे गये वचन दशरथ के सामने रखे, जिनमें पहला राम को 14 साल का वनवास तथा दूसरा भरत को राजपद देना.

अपने पिता को असमंजस की स्थिति में देखकर राम ने सीता व लक्ष्मण के साथ 14 वर्ष के वनवास को स्वीकार किया. पिता के वचन की पालना में वे जंगल में गये. भरत को जब यह पता चला तो वे बेहद दुखी हुए तथा राम के पीछे चले गये.

अपनी माँ के कुटिल व्यवहार की क्षमा माँगकर उन्हें वापिस आने का निवेदन किया. मगर उन्होंने भरत को समझाया तथा वापिस अयोध्या जाकर शासन जारी रखने को कहा.

वनवास के दौरान जब राम नासिक के पास पंचवटी में जंगल में रह रहे थे, तब रावण की बहन ने उनसे मुलाकात की और लक्ष्मण से उनकी शादी करने के लिए कहा।

लक्ष्मण ने न केवल उससे शादी करने से इनकार कर दिया बल्कि उसका अपमान भी किया। राक्षस राजा रावण ने अपनी बहन के अपमान का बदला लेते हुए सीता का लंका में अपहरण कर लिया।

राम और लक्ष्मण ने सीता को बचाने के लिए लंका की ओर प्रस्थान किया। रास्ते में राम ने सुग्रीव को बाली से अपना खोया हुआ राज्य वापस पाने में मदद की इस उपकार के लिए कृतज्ञता के प्रतीक के रूप में सुग्रीव ने अपनी सक्षम सेना के सेनापतिहनुमान जी तथा स्वयं सेना लेकर भगवान राम के साथ चले.

सीता के लिए न्याय और अन्याय का युद्ध राम व रावण के मध्य महायुद्ध होता हैं. इस युद्ध में रावण का भाई विभीषण भी राम का साथ देता हैं.

युद्ध में अन्यायी रावण का समूल नाश हो जाता हैं. इस तरह उनका चौदह वर्ष का वनवास पूर्ण होते ही वे सीता के संग अयोध्या आ जाते हैं.

हालांकि, राम की मुसीबतें खत्म नहीं हुईं और उन्हें सीता को उनके महल से भेजने के लिए मजबूर होना पड़ा क्योंकि उनकी पवित्रता पर कुछ विषयों का संदेह था।

सीता ने अंततः वाल्मीकि के आश्रम में आश्रय पाया और लव और कुश को जन्म दिया. जब भगवान राम ने अश्वमेध यज्ञ किया तो लव कुश ने उनके घोड़े को पकड़ लिया,

यही उनका परिचय राम से होता हैं. गुरु विशिष्ठ राम को सम्पूर्ण घटना बताते हैं, जिसके बाद राम लव कुश को अपना उत्तराधिकारी मान लेते हैं.

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आशा करता हूँ दोस्तों रामायण पर निबंध Essay On Ramayana In Hindi का यह निबंध अच्छा लगा होगा.  ( रामायण एस्से इन हिंदी)  का यह लेख आपकों पसंद आया हो तो अपने दोस्तों के साथ जरुर शेयर करे. इसे आप रामायण की कथा, कहानी स्टोरी, जीवनी, जीवन परिचय के रूप में भी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं.

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Essay on “The Ramayana- My favourite Book” Complete Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

The Ramayana- My favourite Book

The Ramayana is my favourite book. It is an epic in ‘Sanskrit written by Balmiki. It has been rendered into beautiful Hindi poetry by Goswami Tulsi Dass, the Saint poet of India, It deals with the life story of

Rama, the king of Ayodhya. The Hindus worship Rama as an incarnation of god.

The Ramayana is the Bible of the Hindus. It is read with devotion by them. There is hardly a Hindu family in Northern India which does not possess a copy of it. The book depicts an ideal father and an ideal son; an ideal wife and an ideal husband. It also depicts an ideal brother and an ideal king. It teaches to be obedient to parents, to be loyal to wife and to be loving to brothers. Mahatma Gandhi spoke of it very highly. Rama was his hero and his administration was a model for him. Ram Rajya became his political dream.

The book is a literary gem. Its style is easy and forceful. Written in simple Hindi it is easily understood by hits readers. The couplets and quatrains easily stick to the memory of the reader. It is one of the most treasured books of Hindi literature. As a piece of literature it is read with interest throughout the world.

The book gives me immense pleasure in reading. Every time I read if I find it more interesting. I have never felt tired of reading it. It6 has become a guide for me. It has influenced my life greatly. I feel greatly uplifted. In many homes it is a practice to start the day’s work after bowing low before a copy of the Ramayana.

The Ramayana is a book of great social importance. It is the Magna Carat of the Joint Hindu family. People read it and worship it. They look to it for deliverance. It is said that the great poet Tulsi Dass composed it under divine inspiration. It is full of devotional songs besides tenets of social importance. It is full of devotional songs besides tenets of social wisdom.

I have still to come across a book which teaches man how to live a full and contented life in better way. It has influenced my thought and character greatly. I think a life is not worth living unless it conforms to the standards set by the characters in this great book.

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essay on my favourite book ramayana in hindi

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मेरी प्रिय पुस्तक पर निबंध- Meri Priya Pustak Par Nibandh | Essay in Hindi

In this article, we are providing Meri Priya Pustak Par Nibandh | Essay on My Favourite Book in Hindi मेरी प्रिय पुस्तक पर निबंध हिंदी | Nibandh in 100, 200, 250, 300, 500 words For Students & Children.

दोस्तों आज हमने Meri Priya Pustak Essay in Hindi लिखा है मेरी प्रिय पुस्तक निबंध हिंदी में कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 ,10, और 11, 12 के विद्यार्थियों के लिए है।

मेरी प्रिय पुस्तक पर निबंध- Meri Priya Pustak Par Nibandh

मेरी प्रिय पुस्तक पर निबंध- Essay on My Favourite Book in Hindi ( 150 words )

Meri Priya Pustak Panchtantra | Meri Priya Pustak par Anuched

मैंने कई अच्छी-अच्छी पुस्तकें पढ़ी हैं। वे मुझे पसंद भी आई हैं। परंतु मेरी सबसे प्रिय पुस्तक है “ पंचतंत्र की कहानियाँ’ । इस संग्रह में कई रोचक व शिक्षाप्रद कहानियाँ हैं। बहुत समय पहले इन कहानियों को लिखा गया था, परन्तु आज भी इनकी ताजगी पहले जैसी ही है। इनको लिखने वाले एक अत्यन्त विद्वान व्यक्ति थे जिनका नाम था विष्णु शर्मा। यह कहानी संग्रह मैंने एक पुस्तक मेले में खरीदा था।

पंचतंत्र की कई कहानियाँ मुझे जबानी याद हैं। इन कहानियों में पशु-पक्षियों के माध्यम से बहुत-सी नैतिक और व्यावहारिक बातें समझाई गईं हैं। मानव-स्वभाव और प्रकृति का इनमें अच्छा प्रदर्शन देखा जा सकता है। ये कहानियाँ सचमुच अद्भुत हैं।

मनोरंजक होने के साथ-साथ शिक्षा की दृष्टि से भी इन कहानियों का बड़ा महत्व है। इन कथा-कहानियों को कहने-सुनने में मुझे बड़ा आनन्द आता है। ये कहानियाँ एक पाठक या श्रोता को सहज ही पशु-पक्षियों के ऐसे संसार में ले जाती हैं जहां मानव चरित्र और स्वभाव का बहुत सुंदर व मनोवैज्ञानिक चित्रण हुआ है।

जरूर पढ़े- Short Essay on My Favourite Book in Hindi

मेरी प्रिय पुस्तक पर निबंध- Meri Priya Pustak Essay in Hindi ( 250 words )

पुस्तकें मनुष्य की सच्ची मित्र हैं। वे बच्चों तथा बड़ों को विद्वान और महान् बनाती हैं। वे उन्हें ऊँची शिक्षा देती हैं। बच्चे, जवान तथा बूढ़े सब पुस्तकों से ज्ञान और मनोरंजन प्राप्त करते हैं।

मैं पाँचवीं कक्षा का विद्यार्थी हूँ। मुझे स्कूल में गणित, भूगोल, विज्ञान, इतिहास, हिन्दी तथा अंग्रेजी की पुस्तकें पढ़ाई जाती हैं। मैं उन पुस्तकों को घर पर तथा स्कूल में पढ़ता हूँ। इन सब पुस्तकों में मेरी प्रिय पुस्तक ‘ज्ञान सागर’ है। इसका पाँचवाँ भाग मुझे विद्यालय में पढ़ाया जाता है। इसके चार भाग मैं. पहले पढ़ चुका हूँ।

‘ज्ञान सागर’ वास्तव में बच्चों के लिए ज्ञान का भंडार है। इसमें सुन्दर उपदेश रोचक ढंग से दिए गए हैं। इसमें कहानियाँ, लेख, पत्र, जीवनियाँ तथा कविताएँ हैं। इसके सम्पादक श्री आनन्द हैं। इसमें 104 पृष्ठ हैं। इसका मूल्य केवल 50 रुपए है। पुस्तक में सुन्दर चित्र हैं जो पाठों को सरल और सरस बनाते हैं।

भिन्न-भिन्न विषयों की पुस्तकें पढ़ते-पढ़ते मन ऊब जाता है। ‘ज्ञान सागर’ में विविधता होने के कारण इसे पढ़ने से मन नहीं ऊबता। इसमें इतिहास, विज्ञान, राजनीति और दूसरे विषयों की बातें दी गई हैं। इन्हें पढ़कर न केवल हमारा ज्ञान बढ़ता है अपितु मनोरंजन भी होता है। महापुरुषों की जीवनियों को पढ़कर हम अपने जीवन को महान बना सकते हैं। कविताओं को पढ़ने से एक विशेष प्रकार के आनन्द की अनुभूति होती है। कहानियाँ और एकांकी मनोरंजन के साथ-साथ हमारा ज्ञान भी बढ़ाते हैं।

मैं अपनी प्रिय पुस्तक ज्ञान सागर को सँभाल कर रखता हूँ।

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मेरी प्रिय पुस्तक पर निबंध- Meri Priya Pustak Par Nibandh ( 300 words )

Meri Priya Pustak Ramcharitmanas

जीवन में पुस्तकें पढ़ने का अपना ही आनन्द है। पुस्तकें हमारा ज्ञान बढ़ाने के साथसाथ स्वस्थ मनोरंजन भी करती हैं। यही कारण है कि विद्यार्थी अपनी पाठ्य-पुस्तकों के अतिरिक्त अन्य पुस्तकें भी पढ़ते हैं। मुझे भी पढ़ने का शौक है। मैंने अनेक कहानी, उपन्यास तथा काव्य पुस्तकें पढ़ी हैं। इनमें मुझे कई काफी अच्छी लगी, पसन्द आईं परन्तु मुझे सबसे अच्छी लगी ‘राम चरित-मानस’। यही मेरी प्रिय पुस्तक है।

‘राम चरित मानस’ तुलसीदास की अमर रचना है। यह हिन्दुओं का परम पवित्र धार्मिक ग्रन्थ है। आप कहेंगे कि धार्मिक ग्रन्थ होने के कारण ही मुझे रामचरित मानस सबसे अच्छा लगा तो बात ऐसी, नहीं है। रामचरित मानस में वे सभी गुण हैं जो एक आदर्श रचना में होने चाहिए। यही कारण है कि धनी-निर्धन सभी इस ग्रन्थ का आदर करते हैं। यह रचना सबको प्रिय है।

रामचरित मानस की भाषा अवधी है। इसमें श्रीराम के जीवन चरित्र का वर्णन बालकाण्ड, अयोध्याकाण्ड, अरण्यकाण्ड, किष्किन्धा काण्ड, सुन्दरकाण्ड तथा लंकाकाण्ड, उत्तरकाण्ड इन सात काण्डों – किया गया है। सारा काव्य दोहा-चौपाई छन्द में लिखा गया है।

राम चरित मानस एक समन्वय ग्रन्थ है। इसमें वैष्णव तथा शव मत का तथा आर्य एवं द्रविड़ सभ्यता का समन्वय किया गया है। एक आदर्श रचना है। इसमें बताया गया है कि पिता कैसा होना चाहिए-दशरथ जैसा, पुत्र कैसा होना चाहिए-राम जैसा, माता कैसी ” होनी चाहिए-कौशल्या जैसी, पत्नी कैसी हो-सीता जैसी, भाई कैसा हो-भरत जैसा, सेवक कैसा हो-हनुमान जैसा, मित्र कैसा हो-सुग्रीव तथा विभिषण जैसा, शत्रु कैसा हो-रावण जैसा।

मानव जीवन की सभी समस्याओं का हल मानस में मिल जाता में है। यही कारण है कि आज विश्व की प्रायः सभी प्रमुख भाषाओं में- मेरी प्रिय पुस्तक ‘राम चरित-मानस’ का अनुवाद हो चुका है। विश्व के सभी भागों के लोग रामचरित मानस के अध्ययन में रुचि ले रहे । है। ऐसी महान धार्मिक पुस्तक मेरी प्रिय पुस्तक है, मुझे इस बात का गर्व है।

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Mera Priya Khel Nibandh

Meri Pathshala Nibandh

Meri Priya Pustak Par Nibandh | मेरी प्रिय पुस्तक- गाँधी जी की आत्म-कथा ( 300 words )

मैं ने गर्मी की छुट्टियों में ‘गाँधी जी की आत्म-कथा’ नामक पुस्तक पढ़ी। वह मुझे बहुत पसंद आयी। गाँधी जी के जीवन का बड़ा प्रभाव मुझ पर पड़ा।

गाँधी जी ने बचपन में ‘सत्य हरिश्चंद्र’ नाटक देखा था। उन्होंने अपने जीवन में सत्य-व्रत का पालन करने का निर्णय किया था। एक बार स्कूल इन्स्पेक्टर उनकी कक्षा में आये । इन्सपेक्टर ने विद्यार्थियों से कुछ शब्द लिखने केलिए कहा। गाँधी जी ने एक-दो शब्द गलत लिखे थे। अध्यापक ने उससे बगल के विद्यार्थी को देखकर सही शब्द लिखने केलिए कहा। उन्होंने वैसे नहीं किया। इन्सपेक्टर के पूछने पर सही बात बतायी। इससे अध्यापक नाराज हुए। गाँधी जी ने जीवन-भर सत्य व्रत का पालन किया।

गाँधी जी ने श्रावण कुमार के माता-पिता की भक्ति कथा की फिल्म देखी थी। इससे प्रभावित होकर वे भी माँ-बाप के प्रति श्रद्धा-भक्ति रखते थे।

गाँधीजी की माँ का प्रभाव उन पर बहुत अधिक था। जिस दिन आकाश में बादल छाये रहते थे और सूर्य नहीं दिखायी पड़ता था, उस दिन गाँधी जी की माँ उपवास का व्रत रखती थी। इसी कारण गाँधी जी स्वतंत्रता-आंदोलन के समय कई दिन अनशन व्रत रखते थे। माता जी की अहिंसा प्रवृत्ति का ज्यादा प्रभाव गाँधी जी पर था। इसी कारण वे अंग्रेजों से लड़ते समय अहिंसा की बातें करते थे।

गाँधी जी की आत्म-कथा का मेरे जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ा है। मैंने भी गाँधी जी की तरह सत्य बोलने का निर्णय लिया है। मैं भी अपने माँ-बाप के प्रति भक्ति दिखाना चाहता हूँ। मैं एकादशी को उपवास का- व्रत रखता हूँ। मैं अहिंसा में विश्वास रखता हूँ। इस प्रकार इस पुस्तक ने मेरे नटखट स्वभाव को बहुत परिवर्तित कर दिया है।

मेरी प्रिय पुस्तक पर निबंध- Long Essay on My Favourite Book in Hindi ( 800 words )

भूमिका

कुछ पुस्तकें कालजयी होती हैं; क्योंकि वे जाति विशेष के जीवन, भाव और विचारधारा की सशक्त अभिव्यकति होती है। रामचरित मानस हिन्दू जाति और समाज की भावनाओं, विचारों और दशा का बहुत कलात्मक ढ़ग से व्यक्त करता है। इसकी रचना महाकवि गोस्वामी तुलसीदास ने की है। यह आज से चार सौ साल से अधिक वर्ष पहले रची गयी थी। इसकी रचना जनभाषा अवधी में की गई है। यह हिन्दी साहित्य का सर्वश्रेष्ठ महाकाव्य है। इसमें मर्यादा पुरुषोत्तम रामचन्द्रजी के परम अलौकिक चरित्र का वर्णन किया गया है। इसमें दोहा और चौपाई छंद का प्रयोग किया गया है। यह भारतीय जनता का बहुत लोकप्रिय काव्य है। इसका अनुवाद अनेक देशी विदेशी भाषाओं में हो चुका है।

कथानक

राजा दशरथ अयोध्या के राजा थे। इनकी तीन रानियाँ थींकौशल्या, कैकेयी और सुमित्रा। कौशल्या से राम, कैकेयी से भरत तथा सुमित्रा से लक्ष्मण और शत्रुघ्न का जन्म हुआ था। चारों भाई अल्पकाल में विद्योपार्जन में पूर्ण सफल रहे। विश्वामित्र नामक ऋषि राक्षसों से मुनियों की रक्षा के लिए राम और लक्ष्मण को राजा दशरथ से माँग, जंगल ले गए। राम और लक्ष्मण ने अनेक राक्षसों का वध किया और मुनियों की रक्षा की। कुछ दिनों बाद विश्वामित्र दोनों भाइयों को लेकर जनकपुर गए। वहाँ राजा जनक की कन्या का स्वयंवर रचा गया था। राम ने शिवधनुष तोड़ा। राम का सीता के साथ विवाह हुआ। अयोध्या लौटने पर राम को राजगद्दी पर बैठाने का आयोजन किया जाने लगा। विमाता कैकेयी राजा दशरथ से वरदान माँगकर राम को चौदह वर्ष का वनवास और भरत को अयोध्या का राजा बनाने का उपक्रम करती हैं। राम सीता और लक्ष्मण के साथ पिता की आज्ञा पाकर वन चले जाते हैं। दशरथ, पुत्र-शोक में प्राण त्याग देते हैं। ननिहाल से लौटकर भरत जब यह समाचार सुनते हैं तब बहुत दुखी होते हैं। वे अयोध्यावासियों के साथ चित्रकूट जाकर राम को लौटा लाने का प्रयास करते हैं। राम भरत को समझा-बुझाकर अयोध्या वापस कर देते हैं। भरत राम की खड़ाऊ लेकर अयोध्या लौट आते हैं। भरत राम की खड़ाऊ को राजगद्दी पर आसीन कर राज्य का संचालन करते हैं।

राम अनेक राक्षसों का वध करते हैं। एक दिन रावण की बहन लक्ष्मण द्वारा अपमानित होती है। यह समाचार पाकर रावण छल से सीता का अपहरण कर लेता है और लंका की अशोक वाटिका में रखता है। इस समाचार से राम बहुत दुःखी होते हैं। राम वनवासियों की सहायता से लंका पर चढ़ाई करते हैं। राम और रावण के बीच घनघोर युद्ध होता है। रावण मारा जाता है। राम, सीता को लेकर अयोध्या लौटते हैं और राजगद्दी पर बैठते हैं।

महत्व एवं उपयोगिता

रामचारेत मानस एक साहित्यिक कृति के साथ महत्वपूर्ण धार्मिक ग्रन्थ है। सत्य और धर्म के महत्व पर इस रचना में प्रकाश डाला गया है। यह भी बताया गया है अधर्म पर धर्म की विजय होती है। इस ग्रन्थ में समाज और परिवार के हर सदस्य के कर्त्तव्य पर सुन्दर प्रकाश डाला गया है। रामचरित मानस, निराश दिन्द जनता में आशा का संचार करता है। राम राजा बनने के बाद रामराज्य की स्थापना करते हैं। इस राज्य में कोई दुःखी नहीं है, अन्याय-अत्याचार का नामोनिशान नहीं है। मर्यादा पुरुषोत्तम राम का दिव्य चरित्र प्रत्येक मनुष्य को आदर्श चरित्र प्रदान करता है। समाज, राजनीति, धर्म, नैतिकता आदि के आदर्श रूप का बहुत सुन्दर वर्णन इस ग्रन्थ में हआ है। कौशल्या आदर्श माता हैं, सीता आदर्श पत्नी, भरत और लक्ष्मण आदर्श भाई, राम आदर्श राजा हैं, हनुमान आदर्श सेवक। निषादराज और शबरी के साथ राम का व्यवहार समानता के आधार पर होता है जो ऊँच-नीच के भेदभाव दूर करने की शिक्षा देता है। लोक कल्याण के लिए राम का वन-वन भटकना, ऋषियों मुनियों की राक्षसों से रक्षा करना, अत्याचारियों का विनाश करना, प्रजा का हित साधन करना हमारे सम्मुख राम का महान आदर्श प्रस्तुत करता है।

उपसंहार

आज रामचरित मानस की रचना को चार सौ वर्ष से भी अधिक हुए, किन्तु इसका महत्व अभी भी उतना है जितना रचनाकाल में था। रामचरित मानस की प्रासंगिकता कभी कम नहीं होगी; क्योंकि इसमें मनुष्य के शाश्वत मूल्यों की स्थापना की गयी है। विश्व के प्रख्यात विद्वानों ने इस ग्रन्थ की भूरि-भूरि प्रशंसा की है। रूसी विद्वान वरनाकोव तो इस ग्रन्थ पर इतना अभिभूत थे कि मरने बाद अपनी कब्र पर निम्नलिखित चौपाई खुदवाने का अनुरोध अपने उत्तराधिकारियों से किया था

परहित सरिस धर्म नहिं भाई। परपीड़ा सम नहिं अधभाई।।

रामचरित मानस की लोकप्रियता जितना विद्वानों के बीच है उतना ही साधारण जनता के बीच भी। रामचरित मानस एक कालजयी और अमर कृति है। इस ग्रन्थ पर हमें गर्व है। अपने इन्हीं गुणों और विशेषताओं के कारण रामचरित मानस हमारी प्रिय पुस्तक है। मैं इसका नियमित पाठ कर आनन्द और सन्तोष प्राप्त करता हूँ।

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इस लेख के माध्यम से हमने Meri Priya Pustak Par Nibandh | Essay on My Favourite Book in Hindi  का वर्णन किया है और आप यह निबंध नीचे दिए गए विषयों पर भी इस्तेमाल कर सकते है।

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Saturday, April 25, 2020

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मेरी प्रिय पुस्तक पर निबंध

Essay On My Favorite Book in Hindi: पुस्तक वहां ज्ञान का भंडार है, जिसके जरिए व्यक्ति महान बनता है। पुस्तक ही व्यक्ति को सही रास्ता दिखाती है। उत्तम और आदर्श पुस्तक व्यक्ति को नर्क से स्वर्ग तक ले जा सकती है।

पुस्तक की हमेशा इज्जत करनी चाहिए। पुस्तक जो व्यक्ति को मित्र और गुरु दोनों का ज्ञान और सहारा देने में सक्षम है। पुस्तक से व्यक्ति को आदर्श संस्कार मिलते हैं।

Essay On My Favorite Book in Hindi

हम यहां पर मेरी प्रिय पुस्तक पर निबंध हिंदी में शेयर कर रहे है। इस निबंध में मेरी प्रिय पुस्तक के संदर्भित सभी माहिति को आपके साथ शेयर किया गया है। यह निबंध सभी कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए मददगार है।

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मेरी प्रिय पुस्तक पर निबंध | Essay On My Favorite Book in Hindi

मेरी प्रिय पुस्तक पर 10 लाइन.

  • जीवन में सफलता दिलाने के लिए पुस्तक एक मार्गदर्शक काम करती है।
  • एक सही पुस्तक में मनुष्य के विचार, आचार और मानसिकता को बदलने की ताकत होती है।
  • पुस्तक एक सच्चे मित्र और गुरु दोनों की दोहरी भूमिका अदा करती है।
  • सभी पुस्तक में से मेरी सबसे पसंदीदा पुस्तक गीता है।
  • हिन्दू शास्त्रों में गीता का सर्वप्रथम स्थान है।
  • जीवन के सभी प्रश्नों और समस्या का समाधान गीता में है।
  • गीता हमें बताती है कि कर्म करना मनुष्य का अधिकार है। कर्म करो और फल की इच्छा मत रखो।
  • गीता बताती है की मनुष्य को क्रोध और मन पर नियंत्रण बनाये रखना चाहिए क्योंकि दोनों ही शांति के दुश्मन है।
  • गीता हमें विश्व बंधुत्व का संदेश भी देती है।
  • गीता ही एक ऐसी पुस्तक है, जिसका कई भाषा में अनुवाद भी किया गया है।

मेरी प्रिय पुस्तक पर निबंध 200 शब्दों में (Meri Priya Pustak Par Nibandh)

पुस्तक ज्ञान का भंडार होता है। एक सही पुस्तक में मनुष्य के विचार, आचार और मानसिकता को बदलने की ताकत होती है। पुस्तक से बढ़कर दुनिया में कोई भी सच्चा मित्र नहीं है। मैंने मेरे जीवन में 100 से भी ज्यादा पुस्तकें लगभग सभी विषयों पर पढ़ी है, जिस में से मेरी प्रिय पुस्तक है गांधीजी की आत्मकथा ‘सत्य के प्रयोग’।

सत्य के प्रयोग गांधीजी की आत्मकथा है। यह पुस्तक गाँधीजी के जीवन का दर्पण है। इसमें बताया गया है कि किस तरह एक साधरण लड़का एक असाधारण सी जिंदगी जीता है। इस पुस्तक को लिखने में गांधीजी ने बड़ी ईमानदारी बताई है। उन्होंने  मांस खाना, छुपकर धूम्रपान करना, पैसों की चोरी करना, आत्महत्या की कोशिश और पत्नी के प्रति कठोर व्यवहार आदि प्रसंगों को प्रेरक प्रसंग के रूप में प्रस्तुत किया है।

दक्षिण अफ्रीका से लेकर भारतीय स्वतंत्रता-संग्राम के सभी प्रसंगों का इतनी सहजता से वर्णन किया है। ऐसा लगा रहा है सभी घटनाएं आंखों के सामने हो। इसके अलावा गांधीजी ने सत्य और अहिंसा, धर्म, भाषा, जाति आदि अनेक विषयों पर अपने विचार सहज ढंग से व्यक्त किए हैं।

वाक्यों को इतना सरल लिखा है कि उसमें प्रेम और भाव दोनों नजर आते है। इस पुस्तक ने मुझे काफी प्रभावित किया है। मेरी जीवन जीने की सोच को बदल दिया है और मुझे सत्य की राह दिखाई है।

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मेरी प्रिय पुस्तक पर निबंध 500 शब्दों में (My Favourite Book Essay in Hindi)

पुस्तक जो ज्ञान का महासागर है और यहीं से व्यक्ति सब कुछ सीखता है। बच्चा जब छोटा होता है तब से लेकर बुढ़ापे तक पुस्तक ही एक सहारे के रूप में लकड़ी बनकर खड़ी रहती है। पुस्तक के जरिए ही हर व्यक्ति विद्वान होता है और हर जगह पुस्तक अपना सहयोग और मुख्य भूमिका निभाती है।

मेरी पसंदीदा पुस्तक राम चरित्र मानस है। रामचरित्र मानस पुस्तक सिर्फ एक कहानी मात्र नहीं है। इस पुस्तक से यदि ज्ञान अर्जित किया जाए तो राम चरित्र मानस जो ज्ञान का भंडार है। यहां से सीखने वाला सब कुछ सीख सकता है।

रामचरित्र मानस के बारे में

राम चरित्र मानस पुस्तक अयोध्या के राजा भगवान श्रीराम पर लिखित एक महान पुस्तक है। इस पुस्तक के जरिए सुख और दुख रहते हुए व्यक्ति को किस प्रकार जीना चाहिए, इसका विस्तृत ज्ञान इस पुस्तक के जरिए व्यक्ति सीख सकता है।

राम चरित्र मानस पुस्तक में भगवान श्रीराम पर जो घटनाएं घटी उनका विस्तृत वर्णन है। इस प्रकार से भगवान श्री राम और हनुमान जी वनवास में मिले। उसके पश्चात भगवान श्री राम की पत्नी माता सीता को रावण हरण करके श्री लंका ले गया। उसके बाद भटकते भटकते भगवान श्री राम और हनुमान जी लंका पहुंचे।

लंका जाने के बाद रावण को समझाने का प्रयास किया। लेकिन रावण नहीं माना तो आखिरकार भगवान श्रीराम ने युद्ध करके लंका को जीता और माता सीता के साथ पुनः आयोजकों ने इस दौरान कई रक्षकों और असुरों का नाश हुआ। अयोध्या लौटने के पश्चात भगवान श्रीराम ने अयोध्या में पुनः कई सालों तक अपना राज किया।

रामचरित्र मानस पुस्तक की खास बात

रामचरित्र मानस में लिखी गई बातें जो व्यक्ति को विद्वान बनाती है। इस किताब के जरिए व्यक्ति को सुख और दुख में कैसे जीना है और हर परिस्थिति में भाई-बहन माता-पिता पत्नी और प्रिय जनों के साथ किस प्रकार का बर्ताव करना है। इसके बारे में जानकारी है।

व्यक्ति राम चरित्र मानस जैसी किताब पढ़कर इस बातों को सीख सकता है। मैंने भी अपने जीवन में राम चरित्र मानस किताब से अपने अहंकार और गुस्से को कैसे काबू रखना है और कैसे आगे बढ़ना है इसकी शिक्षा ग्रहण की है।

किताब मनुष्य का एक अद्भुत सहारा है। पुस्तक मनुष्य को हर परिस्थिति से उबारने और आगे बढ़ाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

मेरी प्रिय पुस्तक पर निबंध हिंदी में 600 शब्दों में (Meri Priya Pustak Essay in Hindi)

हमारे जीवन में पुस्तक का एक महत्वपूर्ण स्थान होता है। जीवन में सफलता दिलाने के लिए पुस्तक एक मार्गदर्शक काम करती है। पुस्तक ज्ञान की पूंजी होती है। पुस्तक एक सच्चे मित्र और गुरु दोनों की दोहरी भूमिका अदा करती है। एक अच्छी किताब सौ दोस्तों के बराबर होती हैं, जो विपरीत परिस्थितियों में भी इंसान का साथ नहीं छोड़ती।

एकांत में पुस्तक जैसा कोई साथी नहीं है। हमारे जीवन के लिए पुस्तकें प्रेरणादायक होती है। बचपन से ही मुझे किताबें पढ़ने का बहुत शौख रहा है। मैंने अब तक लगभग घार्मिक, सांस्कृतिक, हॉरर, पौराणिक, नवलकथा, रोमेंटिक लगभग सभी विषयों पर पुस्तकें पढ़ी है।

मेरी प्रिय पुस्तक- गीता

सभी पुस्तक में से मेरी सबसे पसंदीदा पुस्तक गीता है। हिन्दू शास्त्रों में गीता का सर्वप्रथम स्थान है। शायद ही कोई ऐसा हिंदू घर होगा, जहाँ यह पुस्तक न हो। गीता संस्कृत में लिखी गई है। विदेशों में भी गीता को बेहद पसंद किया गया है। गीता ही एक ऐसी पुस्तक है, जिसका कई भाषा में अनुवाद भी किया गया है।

जीवन के सभी प्रश्नों और समस्या का समाधान गीता में है। गीता का ज्ञान भगवन श्री कृष्ण ने खुद अपने मुंह से गाकर बताया है। गीता किसी जाति और धर्म का नहीं बल्कि पुरे मानवता का ग्रन्थ है। गीता को पढने से लोगों का पाप दूर हो जाते है।

महाभारत युद्ध के आरम्भ में जब अर्जुन अपने भाइयों को युद्ध के मैदान में अपने सामने खड़ा हुआ देखता है, तब वो विचलित हो जाता है और युद्ध करने से मना कर देता है। तब भगवान श्री कृष्ण सारथी बनकर अर्जुन को कर्म के सिद्धांत के बारे में बताते है।

गीता में कुल १८ अध्याय और ७२० श्लोक हैं। गीता मनुष्य, इस ब्रह्मांड में उसकी स्थिति, उसकी आत्मा, उसके कर्तव्य और जीवन में भूमिका पर एक उत्कृष्ट ग्रंथ है। गीता में कर्मयोग, भक्तियोग, राजयोग और जन योग के बारे में बताया गया है।

गीता की सीख

गीता हमें बताती है कि कर्म करना मनुष्य का अधिकार है। कर्म करो और फल की इच्छा मत रखो। मनुष्य को अपना कर्तव्य करना चाहिए और परिणाम भगवान पर छोड़ देना चाहिए। भगवान सर्वोच्च न्यायाधीश हैं और और पूरी सृष्टि उनकी इच्छा के आधीन है। हर परिस्थिति में मनुष्य को खुश और शांत रहने की कोशिश करनी चाहिए।

चीजें वैसी नहीं हैं जैसी वे दिखती हैं। इसलिए मनुष्य को ईश्वर में विश्वास रखना चाहिए और अपना कर्तव्य करते रहना चाहिए। गीता में यह भी बताया है कि आत्मा मृत्युहीन है। शरीर ही है जो मरता है। मृत्यु केवल वस्त्रों का परिवर्तन है। मनुष्य को मृत्यु से डरने का कोई कारण नहीं है। इस ग्रन्थ से भटके हुए मनुष्य को राह मिलती है। गीता हमें विश्व बंधुत्व का संदेश भी देती है।

गीता बताती है की मनुष्य को क्रोध और मन पर नियंत्रण बनाये रखना चाहिए क्योंकि दोनों ही शांति के दुश्मन है। भगवान बताते है की जो भी मेरे शरण में आता है मैं उसे परम पद तक पहुंचाता हूँ।

बड़े बड़े संत, ज्ञानी पुरुष और गुरुओं भी गीता का शरण ले चुके है। हमारे प्रिय महात्मा गाँधी भी समस्याएं आने पर गीता का ही शरण लेते थे। गीता मेरे जीवन में मेरे लिए प्रेरणा का एक बड़ा स्रोत रही है। जीवन में समस्याएं आने पर में भी गीता की शरण लेता हूं।

मुझे ऐसा प्रतीत होता है कि भगवान कृष्ण स्वयं मुझसे व्यक्तिगत रूप से बात कर रहे हैं और मैं खुद को एक अलग ब्रह्मांड में ऊंचा पाता हूं। यह वह पुस्तक है जिसने मुझे मेरे जीवन के विभिन्न उतार-चढ़ावों के माध्यम से बनाए रखा है। यही कारण है कि मैं इसकी प्यार और पूजा करता हूँ। इससे मुझे मानसिक शांति और खुशी मिलती है।

मेरी प्रिय पुस्तक पर निबंध 800 शब्द (Essay on My Favourite Book in Hindi)

वैसे तो हमें किताबें पढ़ना बहुत पसंद है, किताबों को पढ़ने से हमें विद्या की प्राप्ति होती है और किताबों से हम बहुत कुछ सीखते हैं, बच्चों पर किताबों का प्रभाव बहुत पड़ता है, बच्चे किताबों में जो पढ़ते हैं वही सीखते हैं, जिससे बच्चे किताबों में से अपना बुरा, भला, लाभ, हानि, हमें क्या करना चाहिए क्या नहीं करना चाहिए ऐसी बातों को सीखते हैं।

किताबे पढ़ना तो लगभग सभी लोगों को पसंद है। परंतु साथ ही साथ अलग-अलग लोगों को अलग-अलग किताबें पढ़ना पसंद है। किसी व्यक्ति को महान योद्धाओं की पुस्तक पढ़ना पसंद है तो किसी को कहानियों की किताब पढ़ना पसंद है तो किसी को भक्ति की कहानियां पढ़ना बहुत पसंद होता है।

मेरी प्रिय पुस्तक

ऐसे में मेरी प्रिय पुस्तक रामचरितमानस है, रामचरितमानस में भगवान राम के संपूर्ण जीवन का विस्तार पूर्वक वर्णन किया गया है, रामचरितमानस किताब पढ़ना मुझे बहुत अच्छा लगता है। इस किताब से मैंने बहुत कुछ सीखा है, इस किताब से हम बहुत कुछ सीख सकते हैं जैसे कि हमें अपने जीवन में कौन-कौन से आचरण करने चाहिए, हमें किसी का बुरा नहीं सोचना चाहिए।

इस किताब को पढ़ने के बाद मैं इस किताब में पढ़ी हुई चीजों को अपने अंदर धारण करने की कोशिश करता हूँ। रामचरितमानस की किताब को गोस्वामी तुलसीदास द्वारा15 वीं शताब्दी-16 वीं शताब्दी के मध्य में किया गया है। रामचरितमानस की किताब को गोस्वामी तुलसीदास जी ने अवधी भाषा में लिखा है तथा गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरितमानस को सात खंडों में विभाजित किया है और वे सातों खंड निम्नलिखित हैं:

अयोध्या कांड

किष्किंधा कांड.

चलिए हम जानते हैं कि इन सभी भागों में क्या हुआ था, इन सभी भागों के बारे में विस्तार पूर्वक जानते हैं।

बालकांड में भगवान श्री राम जी के बचपन से लेकर विवाह तक का संपूर्ण वर्णन है। रामचरितमानस के बालकांड में 7 श्लोक, 341 दोहे, 25 सोरठा, 39 छंद तथा 358 चौपाई है।

राजा दशरथ की कोई संतान नहीं थी, जिस के दुख से उन्होंने एक एक करके तीन शादियां की। परंतु उनकी तीनों रानियों से उन्हें संतान के सुख की प्राप्ति नहीं हुई। राजा दशरथ ने संतान की प्राप्ति के बहुत उपाय सोचे। परंतु उन्हें कुछ समझ नहीं आ रहा था और वह संतान की प्राप्ति ना होने के कारण हमेशा हो जाते थे। बाद में उनके मंत्रियों ने भारत को सलाह दिया कि आप एक यज्ञ कराएं जिसमें सभी देवी देवताओं की पूजा करें और सभी संसाधनों को उस यज्ञ में बुलाएं।

इस जगह को करने के पश्चात संत साधुओं ने उन्हें खीर दिया और कहा आप इस खीर को सभी रानियों को खिला दें, जिससे कि सभी रानियों को संतान की प्राप्ति हो जाएगी और राजा ने ऐसा ही किया और ऐसा हुआ भी। चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को बड़ी रानी कौशल्या गई को बसे भगवान राम ने जन्म लिया और रानी कैकेई ने भारत को जन्म दिया तथा रानी सुमित्रा ने 2 बच्चों को जन्म दीया लक्ष्मण और शत्रुघ्न।

बाद में ऋषि विश्वामित्र ने राजा दशरथ से राम और लक्ष्मण जी को अपने आश्रम में जाने की अनुमति मांगी और राक्षस ने उन्हें उनके आसन जाने की अनुमति भी दे दी और महर्षि विश्वामित्र जी राम लक्ष्मण को अपने आश्रम में गए थे।

महर्षि विश्वामित्र के आश्रम वाले जंगल में ताड़का और उनके दो असुर पुत्र रहते थे, जो ऋषि यों को यज्ञ नहीं करने देते थे। भगवान राम और लक्ष्मण जी ने ऋषि विश्वामित्र के यज्ञ में कोई बाधा ना आने दिया और उन्होंने राक्षसी तारिका तथा उनके दोनों पुत्रों मारीच तथा सुबाहु इन तीनों राक्षसों का अंत किया और ऋषियों को आजाद कर दिया।

विश्वामित्र जी के कहने पर भगवान राम ने जनक जी द्वारा आयोजित उसी कार्यक्रम में भाग लिया और उसे जीतकर सीता जी से स्वयंबर किया और बाद में विवाह भी कर लिया भगवान श्री राम के विवाह के साथ-साथ उनके सभी भाइयों का विवाह माता सीता के बहनों के साथ हो गया।

इस भाग में राधा कृष्ण भगवान श्रीराम का राजा अभिषेक करना चाहा। परंतु देवी-देवताओं ने ऐसा ना होने दिया वे जानते थे कि यदि भगवान श्री राम का राज्याभिषेक हो जाएगा तो वे राज्य संभालने लग जाएंगे और रावण का वध कभी नहीं हो पाएगा।

वनवास के कुछ काल पश्चात भगवान श्री राम और माता सीता ने चित्रकूट को प्यार दिया और वह ऋषि के आश्रम पहुंच गए। वहां ऋषि अत्री और उनकी पत्नी अनुसूया ने माता सीता को भगवान श्री राम के प्रति उन्हें कैसी पतिव्रता स्त्री रहनी चाहिए, इसके बारे में विस्तारपूर्वक समझाया।

किष्किंधा कांड में भगवान श्री राम के हनुमान जी से मिलन से लेकर बाली के वध से लेकर माता सीता के खोज की तैयारी तक का संपूर्ण वर्णन है की वानर सेना ने कैसे माता सीता को ढूंढने का असीमित प्रयास किया।

इस भाग में हनुमान जी के सभी कार्यों का वर्णन किया गया है कि उन्होंने माता सीता का पता कैसे लगाया, लक्ष्मण जी को कैसे बचाया इत्यादि सभी कार्यों का विस्तार पूर्वक वर्णन है।

इस भाग में जामवंत के आदेश है नल और नील ने अपनी वानर सेना को लेकर समुद्र में एक पुल का निर्माण कर दिया। अंगद जी भगवान श्री राम का दूत बनकर रावण के पास गए और उन्होंने रावण के सामने एक प्रस्ताव रखा रावण भगवान श्री राम के शरण में आ जाए, परंतु रावण नहीं माना और उसने युद्ध के लिए ललकारा।

युद्ध के अंत में भगवान श्रीराम ने रावण का अंत कर लंका पर जीत हासिल की और माता सीता को आजाद कराया भगवान श्रीराम ने सभी का अंत कर दिया। पर विभीषण ने भगवान श्री राम की शरण ले ली थी, इसलिए भगवान श्री राम ने विभीषण को लंका सौप कर वापस लौट गए।

यह भाग अंतिम मान गए इस भाग में भगवान श्री राम, लक्ष्मण जी और माता सीता अयोध्या पहुंचे और वहां भगवान श्री राम जी का राज्याभिषेक हुआ और इसी भाग में माता सीता के ऊपर लांछन लगाया गया और प्रजा की खुशी के लिए भगवान श्री राम जी ने माता सीता को त्याग दिया तथा अंत में माता सीता ने अपने आप को अग्नि मैं समर्पित कर दिया।

रामायण में बताये गए राम के जीवन से हमें अपने जीवन में बहुत कुछ सीखने को मिलता है। हर किसी के जीवन में उतार चढाव आते हैं, हमें कभी भी हार मान कर नहीं बैठना चाहिए और हर विकट परिस्थिति का खुलकर सामना करना चाहिए।

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My Favorite Book Essay in Hindi

मेरी प्रिय पुस्तक पर निबंध- My Favorite Book Essay in Hindi

मेरी प्रिय पुस्तक पर निबंध- essay on my favorite book in hindi.

संकेत-बिंदु –

  • मार्मिक प्रसंग
  • आदर्शवादी व्यवहार
  • पुस्तक की कथावस्तु
  • कर्तव्यबोध का संदेश
  • प्रेरणादायिनी

साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न  हिंदी निबंध  विषय पा सकते हैं।

प्रस्तावना – यह हमारे देश और समस्त भारतवासियों का सौभाग्य है कि यहाँ समय-समय पर अनेक कवियों ने जन्म लिया है और अपनी कालजयी कृतियों से जनमानस का मनोरंजन ही नहीं किया, बल्कि उन्हें ज्ञान के साथ-साथ कर्म का संदेश भी दिया। इनमें से कुछ कवियों ने धर्म और भक्तिभाव को प्रेरित करने वाली कृतियों की रचना की तो कुछ ने कर्तव्यबोध और आदर्श व्यवहार की तथा कुछ ने नीति सम्मत व्यवहार करने की पर गोस्वामी तुलसीदास कृत रामचरित मानस मुझे विशेष पसंद है, क्योंकि इसमें आवश्यक एवं जीवनोपयोगी गुणों एवं मूल्यों का संगम है।

My Favorite Book Essay in Hindi

पुस्तक की कथावस्तु – रामचरित मानस की प्रमुख कथावस्तु दशरथ पुत्र श्रीराम का जीवन चरित्र है। इसमें उनके जन्म से लेकर उनके सुख-सुविधापूर्ण शासन तक का वर्णन है। बीच-बीच में अनेक उपकथाएँ इसके कलेवर में वृद्धि करती हैं।

रामचरित मानस में वर्णित रामकथा को सात सर्गों में बाँटकर वर्णित किया गया है। इन्हें बालकांड, अयोध्याकांड, सुंदरकांड, किष्किंधाकांड, अरण्यकांड, लंकाकांड और उत्तरकांड नामों से जाना जाता है। कथा का प्रारंभ ईश वंदना के दोहों, श्लोकों और चौपाइयों से शुरू होता है और राम-जन्म उनके तीनों भाइयों लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न के साथ की गई बाल-क्रीड़ा, उनकी शिक्षा-दीक्षा, विश्वामित्र के साथ राक्षसों के वध के लिए उनके संग गमन, मारीचि, सुबाहु, ताड़का वध, जनकपुर गमन, स्वयंवर में धनुषभंग करना, सीता विवाह और अयोध्या वापस लौटना, कैकेयी का राजा दशरथ से दो वरदान माँगना, राम का सीता और लक्ष्मण के साथ वन गमन, सीता हरण, हनुमान-सुग्रीव से मित्रता, बालि वध, समुद्र पर पुल बाँधकर सेना सहित लंका गमन, रावण से युद्ध, रावण को मारकर विभीषण को लंका का राजा बनाना, अयोध्या प्रत्यागमन, कुशलतापूर्वक राज्य करना, सीता को वनवास देना, लव-कुश के द्वारा अश्वमेध के घोड़े को रोकने आदि का वर्णन है।

Essay on My Favorite Book in Hindi

मार्मिक प्रसंग – रामचरित मानस में अनेक प्रसंग ऐसे हैं जिनका मार्मिक वर्णन मन को छू जाता है। राम का वनवास जाना, दशरथ का मूछित होना, समस्त प्रजाजनों का शोकाकुल होना, दशरथ का प्राणत्याग, रावण द्वारा सीता-हरण, अशोक वाटिका में राम की याद में उनका शोक संतप्त रहना, मेघनाद के साथ युद्ध में लक्ष्मण का मूछित होना, भरत मिलन प्रसंग, सीता का निष्कासन आदि प्रसंग मन को छू जाते हैं। इन अवसरों पर पाठकों के आँसू रोकने से भी नहीं रुकते हैं। आज भी दशहरे के अवसर जब रामलीला का मंचन होता है तो इन मार्मिक प्रसंगों को देखकर आँसू बहने लगते हैं।

कर्तव्यबोध का संदेश – रामचरित मानस की सबसे मुख्य विशेषता है- कर्तव्य का बोध कराना। इस महाकाव्य में राजा को प्रजा के साथ, प्रजा को राजा के साथ, मित्र को मित्र के साथ, पिता को पुत्र के साथ कर्तव्यों का वर्णन एवं उन्हें अपनाने की सीख दी गई है। एक प्रसंग के अनुसार-आज के बच्चों को उनके कर्तव्य का बोध ‘प्रातः काल उन्हें माता-पिता के चरण छूना चाहिए’ कराते हुए लिखा गया है –

प्रातकाल उठि के रघुनाथा। मातु-पिता गुरु नावहिं माथा॥

इस कर्तव्य का उन्हें शीघ्र फल भी प्राप्त होता है। राम अपने भाइयों के साथ गुरु विश्वामित्र के घर पढ़ने जाते हैं और सारी विद्याएँ शीघ्र ही ग्रहण कर लेते हैं –

गुरु गृह पढ़न गए दोउ भाई। अल्पकाल सब विद्या पाई ॥

आदर्शवादी व्यवहार-रामचरित मानस नामक यह पुस्तक पाठकों के मन में धर्म और भक्तिभाव का उदय तो करती है साथ ही आदर्श व्यवहार की सीख भी देती है। यह मानव को मानवोचित व्यवहार के लिए प्रेरित करती है।

राजा पर यह दायित्व होता है कि वह प्रजा का पालन-पोषण करें तथा अपने कर्तव्यों का उचित प्रकार से निर्वाह करे। इसी को याद दिलाते हुए तुलसीदास ने लिखा है –

जासु राज निज प्रजा दुखारी। सो नृप अवस नरक अधिकारी।

आज के मंत्रियों और अफसरों के लिए इससे बड़ी सीख और क्या हो सकती है।

प्रेरणादायिनी – रामचरित मानस नामक यह पुस्तक हमें कर्म का संदेश देती है। राम ईश्वर के अवतार थे, अंतर्यामी थे, त्रिकालदर्शी थे, फिर भी उन्होंने आम इनसान की तरह हर कार्य अपने हाथों से करके एक ओर कर्म की प्रेरणा दी तो दूसरी ओर असत्य, अन्याय और अत्याचार सहन न करके उससे मुकाबला करने की प्रेरणा दी। इस महाकाव्य की एक-एक पंक्ति जीवन के सभी पक्षों को प्रेरित करती है।

उपसंहार – ‘रामचरितमानस’ की रचना को लगभग पाँच सौ वर्ष बीत गए पर इसकी लोकप्रियता में कोई कमी नहीं आई है। यह पुस्तक भारत में ही नहीं विश्व की भाषाओं में रूपांतरित की गई। इसकी अवधी भाषा, दोहा, सोरठा और चौपाई जैसे गेयता वाले छंदों के कारण यह पढ़ने में सरल सहज और सुनने में कर्णप्रिय है। इसकी लोकप्रियता का अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि यह महाकाव्य हर हिंदू के घर में देखा जा सकता है।

Monday 22 February 2021

मेरी प्रिय पुस्तक रामायण पर निबंध essay on my favourite book ramayana in hindi.

Essay on my favourite book ramayana in hindi

बहुत सी पुस्तकें होती हैं जो बहुत ही पसंद आती हैं । लोगों की अलग-अलग पसंद है । मेरी प्रिय पुस्तक है रामायण । मेरी प्रिय पुस्तक बाल्मीकि रामायण हैं । इस पुस्तक को कवि श्री बाल्मीकि जी ने लिखा है । 

essay on my favourite book ramayana in hindi

बाल्मीकि जी जो काफी विख्यात है वाल्मीकि जी की रामायण में वास्तव में हमें श्री राम जी के चरित्र के बारे में पढ़कर जीवन में बहुत कुछ सीखने को मिलता है । उन्होंने भगवान श्री रामचंद्र जी के चरित्र की गाथा इस रामायण में लिखी है । बाल्मीकि रामायण मेरी सबसे पसंदीदा पुस्तक है । 

अक्सर में जब भी फ्री होता हूं तो रामायण पढ़ना पसंद करता हूं क्योंकि रामायण में भगवान श्री रामचंद्र जी के अपने माता पिता , अपने भाइयों के प्रति कर्तव्य को निभाते हुए बताया गया है । रामायण में एक पत्नी का अपने पति के प्रति कर्तव्य को भी दिखाया गया है । 

रामायण पढ़ कर हमें काफी प्रेरणा मिलती है कि हम एक अच्छे और सच्चे इंसान बनकर इस दुनिया में रहें और हमेशा भगवान श्री रामचंद्र जी की तरह सत्य के मार्ग पर चलें बुराइयों से दूर रहें हमेशा सत्य की जीत होती है । यदि हम सत्य के मार्ग पर चलते हैं तो हमारी जीत निश्चित है । 

रामायण पढ़ने से वास्तव में श्री रामचंद्र जी के सभी अच्छे गुण से प्रेरित होकर हम भी इन सद्गुणों को अपने जीवन में उतार सकते हैं और जीवन को एक अलग ढंग से जी सकते हैं । श्री रामचंद्र जी एक ऐसे भगवान हैं जिन्होंने अपने माता-पिता अपनी पत्नी एवं अपनी प्रजा के प्रति अपने कर्तव्य को भलीभांति निभाया है । 

वास्तव में रामायण से हमको बहुत कुछ सीखने को मिलता है । रामायण की कथा जब तक दुनिया रहेगी जब तक इंसान का अस्तित्व रहेगा तब तक चारों ओर लोगों को प्रेरित करती रहेगी । लोग रामायण से प्रेरणा लेकर अपने जीवन की बहुत सारी परेशानियों से दूर हो सकेंगे और अपने जीवन में सत्य ईमानदारी को अपनाएंगे । 

दोस्तों मेरे द्वारा लिखा यह आर्टिकल रामायण मेरी प्रिय पुस्तक पर निबंध आप अपने दोस्तों में शेयर करें और हमें सब्सक्राइब करें जिससे इस तरह के बेहतरीन आर्टिकल हम आपके लिए ला सकें ।

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Essay on My Favourite Book Ramayana

In the vast literary landscape, one book stands out as a timeless epic, resonating across centuries and cultures — the Ramayana. Authored by the sage Valmiki, this ancient Indian epic narrates the life of Prince Rama, his wife Sita, and the heroic monkey-god Hanuman. The Ramayana is not just a story; it’s a profound reflection of human values, righteousness, and the eternal battle between good and evil. As a reader, this epic has become a cherished companion, guiding me through its rich narrative and offering insights that transcend time.

Quick Overview:

  • The Ramayana is a saga of virtue and valor, illustrating the life of Prince Rama and his unwavering commitment to righteousness.
  • The epic explores the complexities of human relationships and moral dilemmas, offering timeless lessons on duty, honor, and sacrifice.
  • The characters in the Ramayana are not mere protagonists; they are embodiments of virtues and vices.
  • Each character, from Rama to Sita, Hanuman to Ravana, undergoes transformative journeys, providing profound insights into the human condition.
  • Beyond its narrative, the Ramayana is a tapestry of symbolism and allegory, offering layers of meaning that resonate with both personal and universal experiences.
  • The epic serves as a mirror reflecting the eternal struggle between righteousness and malevolence, mirroring the battles we face in our own lives.
  • The Ramayana is not only a literary masterpiece but also a spiritual and cultural cornerstone for millions.
  • It has inspired art, music, dance, and philosophical discourse, shaping the ethos of diverse communities and fostering a shared cultural heritage.
  • Despite its ancient origins, the Ramayana remains relevant in the contemporary world.
  • Its exploration of morality, duty, and the human condition transcends temporal and geographical boundaries, offering wisdom that resonates with readers across cultures.

Epic of Virtue and Valor:

The Ramayana unfolds as an epic of virtue and valor, portraying the life of Prince Rama and his commitment to righteousness. Rama’s unwavering dedication to dharma (duty) serves as a guiding light, illustrating the principles of honor, integrity, and sacrifice. The narrative delves into the complexities of human relationships and moral dilemmas, providing readers with profound lessons that extend beyond the pages of the epic.

Enchanting Characters and Their Journeys:

The characters in the Ramayana are not mere players in a story; they are embodiments of virtues and vices, each contributing to the intricate tapestry of the narrative. Rama’s nobility, Sita’s resilience, Hanuman’s unwavering devotion, and Ravana’s tragic flaws — each character undergoes transformative journeys, reflecting the multifaceted nature of the human experience. Their stories offer timeless insights into love, loyalty, duty, and the consequences of moral choices.

Symbolism and Allegory:

Beneath the surface narrative, the Ramayana is a reservoir of symbolism and allegory, providing layers of meaning that resonate with both personal and universal experiences. The epic serves as a mirror reflecting the eternal struggle between righteousness and malevolence, mirroring the battles we face in our own lives. Each episode becomes a metaphor, inviting readers to explore the profound truths embedded in the allegorical landscape of the narrative.

Spiritual and Cultural Significance:

Beyond its literary merit, the Ramayana holds immense spiritual and cultural significance. It has inspired countless works of art, music, dance, and philosophical discourse. The epic’s resonance extends far beyond its place of origin, shaping the ethos of diverse communities and fostering a shared cultural heritage. Its influence is evident in rituals, traditions, and celebrations, making it a living force in the hearts and minds of millions.

Timeless Relevance:

Despite its ancient origins, the Ramayana remains relevant in the contemporary world. Its exploration of morality, duty, and the human condition transcends temporal and geographical boundaries. The universal themes embedded in the epic offer wisdom that resonates with readers across cultures, making the Ramayana a perennial source of inspiration and guidance.

Conclusion:

The Ramayana, with its epic narrative, enchanting characters, profound symbolism, cultural richness, and timeless relevance, has become more than a book to me. It is a revered companion that continues to illuminate my path with its wisdom, offering solace, inspiration, and a deep connection to the collective human experience. As I delve into its verses, I am reminded that the Ramayana is not just a story from the past but a living, breathing testament to the enduring power of virtue, valor, and the eternal quest for righteousness.

Rahul Kumar

Rahul Kumar is a passionate educator, writer, and subject matter expert in the field of education and professional development. As an author on CoursesXpert, Rahul Kumar’s articles cover a wide range of topics, from various courses, educational and career guidance.

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essay on my favourite book ramayana in hindi

My Favourite Book Essay in Hindi – किताबें मानवता के सबसे महत्वपूर्ण आविष्कारों में से एक हैं। वे हमारे सबसे अच्छे दोस्त हैं और उनकी जगह कोई और नहीं ले सकता। किताबें हमें ज्ञान, खुशी और हमारे आसपास की दुनिया में गहरी अंतर्दृष्टि देती हैं। वे हमारे प्रेरणा और प्रेरणा के स्रोत हैं।

मार्क ट्वेन ने ठीक ही कहा था, “अच्छे दोस्त, अच्छी किताबें और एक नींद में डूबा विवेक: यही आदर्श जीवन है।” एक पूर्ण और संतोषजनक जीवन सुनिश्चित करने के लिए पुस्तकों को अवश्य पढ़ें। किसी व्यक्ति के लिए किताबें पढ़ना उतना ही जरूरी है जितना कि दोस्त बनाना और मेलजोल बढ़ाना। जब किताबों की बात आती है तो लोगों के अलग-अलग स्वाद होते हैं। जबकि कुछ को अपराध शैली पसंद हो सकती है, दूसरों को रोमांस पसंद हो सकता है, जबकि अन्य विज्ञान कथाओं पर अड़े हो सकते हैं। जब किताबों की बात आती है तो लोग व्यक्तिगत पसंदीदा होते हैं।

किताबें सबसे अच्छी दोस्त, साथी और शिक्षक होती हैं। वे हमारे जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे हमें एक आंतरिक दृष्टि और एक गहरी अंतर्दृष्टि प्रदान करते हैं। वे हमारे अनुभव को समृद्ध करते हैं और हमारी बुद्धि को तेज करते हैं। वे हमें दूसरे लोगों के कंधों पर खड़े होने और दुनिया को एक उच्च दृष्टिकोण से देखने का अवसर देते हैं।

मेरी पसंदीदा पुस्तक पर निबंध 10 पंक्तियाँ (My Favourite Book Essay 10 Lines in Hindi)100 – 150 Words

  • 1) किताबें ज्ञान का कभी न खत्म होने वाला स्रोत हैं।
  • 2) मुझे भक्ति पुस्तकें पढ़ना अच्छा लगता है।
  • 3) मेरी पसंदीदा पुस्तक जो मुझे प्रेरित करती है वह है “रामचरितमानस”।
  • 4) इस ग्रंथ में भगवान राम के चरित्रों की विस्तार से चर्चा की गई है।
  • 5) मेरी दादी हमेशा मुझे भगवान राम की कहानी सुनाती हैं जो मुझे इस किताब को पढ़ने के लिए प्रेरित करती हैं।
  • 6) यह पुस्तक हमें बहुत सी अच्छी बातें सिखाती है।
  • 7) इस पुस्तक में वर्णित सुख और दुख के क्षण मेरे रोंगटे खड़े कर देते हैं।
  • 8) यह पुस्तक मुझे भगवान राम के पदचिन्हों पर चलने की प्रेरणा देती है।
  • 9) यह पुस्तक हर हिंदू के दिल में बहुत महत्व रखती है।
  • 10) रामचरितमानस पढ़ने से मुझे हर बार सकारात्मक ऊर्जा मिलती है।

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मेरी पसंदीदा पुस्तक पर निबंध 200 शब्दों मे (Essay on My Favourite Book 200 words in Hindi)

‘मेरी पसंदीदा किताब – भ्रम का महल’

मैंने कई किताबें पढ़ी हैं। हालांकि, किसी ने भ्रम के महल के रूप में मेरी रुचि को आकर्षित नहीं किया है। चित्रा बनर्जी दिवाकरुनी किताब लिखती हैं। 1956 में जन्मी चित्रा एक प्रसिद्ध भारतीय अमेरिकी लेखिका और कवि हैं। कलकत्ता विश्वविद्यालय और राइट स्टेट यूनिवर्सिटी, संयुक्त राज्य अमेरिका की पूर्व छात्रा चित्रा ने पीएच.डी. कैलिफोर्निया से अंग्रेजी में।

उनकी पुस्तक, द पैलेस ऑफ इल्यूशन्स, महाभारत की महाकाव्य कहानी से पांचाली की कहानी बताती है। चित्रा ने अपनी कथावाचक पांचाली के माध्यम से इस महाकाव्य गाथा की नारीवादी व्याख्या की है। उपन्यास पांचाली के जीवन पर केंद्रित है। इसमें उनके जीवन के उन पहलुओं को शामिल किया गया है जो महाभारत के अन्य रूपांतरणों में छूट गए थे। यह पंचाली के जन्म के समय से उसके जीवन का विस्तृत विवरण देती है। उनका जन्म किसी चमत्कार से कम नहीं था। वह जादुई रूप से आग में पैदा हुई थी।

पांचाली एक धनी राजा की बेटी थी। उसने पांचों पांडवों से विवाह किया। उसकी शादी के बाद उपन्यास में उसकी कठिनाइयों को विस्तार से लिखा गया है। निर्वासन में रहने की चुनौतियाँ, अपने पति और सास के साथ उसका रिश्ता, और भगवान कृष्ण के साथ उसके समीकरण सभी को उपन्यास में शामिल किया गया है।

पांचाली एक करिश्माई और साहसी चरित्र है। मुझे उसके बारे में पढ़ना अच्छा लगा। चित्रा ने चरित्र को चित्रित किया है और घटनाओं को भी बहुत अच्छी तरह से चित्रित किया है।

मेरी पसंदीदा पुस्तक पर निबंध 250 शब्दों मे (Essay on My Favourite Book 250 words in Hindi)

किताबें हमारी सबसे अच्छी दोस्त होने के नाते हमें पूरी दुनिया के बारे में ज्ञान प्रदान करती हैं। मैंने कई किताबें पढ़ी हैं। उनमें से कुछ मेरे पाठ्यक्रम की पुस्तकें हैं और कुछ कहानी की पुस्तकें हैं जो मेरे माता-पिता ने मेरे लिए खरीदी हैं।

मेरी पसंदीदा पुस्तक

मेरी पसंदीदा किताब पंचतंत्र है। इसे विष्णु शर्मा ने लिखा है। पुस्तक में अनेक कहानियों का संग्रह है। लेखक ने पशुओं के क्रियाकलापों द्वारा जीवन का नैतिक ज्ञान देने का प्रयास किया है। मुझे कहानियों की किताबें पढ़ने का बहुत शौक है और इस किताब ने मुझे अलग-अलग तरह की कहानियाँ उपलब्ध कराईं।

सारस और केकड़े की कहानी केकड़े के मन और बुद्धि की उपस्थिति को दर्शाती है। जब वह बूढ़ा हो गया तो सारस अपने भोजन की तलाश नहीं कर सका और इसलिए उसने एक योजना बनाई। वह तालाब के पास उदास और उदास खड़ा था और जब मछली और केकड़े ने उसकी उदासी का कारण पूछा, तो उसने एक झूठी कहानी बना दी कि तालाब में लोग फसल उगाने के लिए आबाद होंगे। उसकी कहानी से सभी मछलियाँ, मेंढक और केकड़े कायल हो गए। बाद में जब सारस द्वारा केकड़े को मारकर खाने की बात आई तो स्थिति उलट गई। केकड़े ने अपनी बुद्धि का उपयोग किया और सारस के असली मकसद का अनुमान लगा लिया। वह सारस को मारकर फरार हो गया।

पुस्तक में बंदर और मगरमच्छ, हाथी और चूहे, वफादार नेवले आदि जैसी कई कहानियाँ हैं। पुस्तक में कई कहानियाँ हैं और वे दोस्ती, साहस, बुद्धिमत्ता, मन की उपस्थिति और एकता जैसे गुणों पर ध्यान केंद्रित करती हैं।

पंचतंत्र मेरी पसंदीदा कहानियों की किताबों में से एक है। इस किताब को पहली बार पढ़कर मुझे बहुत खुशी हुई। कहानियाँ आकर्षक होने के साथ-साथ हमें जीवन की कुछ नैतिकताएँ भी सिखाती हैं।

मेरी पसंदीदा पुस्तक पर निबंध 300 शब्दों मे (Essay on My Favourite Book 300 words in Hindi)

‘मेरी पसंदीदा किताब – 2 स्टेट्स बाय चेतन भगत’.

My Favourite Book Essay in Hindi – मुझे रोमांस उपन्यास पढ़ना बहुत पसंद है और मैंने अब तक जो सबसे अच्छा पढ़ा है, वह चेतन भगत द्वारा लिखित 2 स्टेट्स है। मुझे इस उपन्यास के केंद्रीय पात्र पसंद हैं और उनके बीच प्यार कैसे विकसित होता है। उपन्यास को आंशिक रूप से आत्मकथात्मक कहा जाता है। भगत की अपनी प्रेम कहानी ने उन्हें यह पुस्तक लिखने के लिए प्रेरित किया। इस पुस्तक को जनता ने इतना पसंद किया कि इसे एक फिल्म में भी रूपांतरित किया गया।

दो राज्यों की दिलचस्प कहानी

कहानी एक युवा पंजाबी लड़के, कृष और एक खूबसूरत दक्षिण भारतीय लड़की, अनन्या की है। दोनों आईआईएम अहमदाबाद में पढ़ते हैं। वे अच्छे दोस्त बन जाते हैं और साथ में काफी वक्त बिताते हैं। जल्द ही एक दूसरे के प्यार में पड़ जाते हैं। वे शादी करना चाहते हैं लेकिन आगे आने वाली मुश्किलों को नहीं देख सकते। समस्या तब शुरू होती है जब वे अपने माता-पिता को एक-दूसरे से मिलवाते हैं।

दोनों परिवार अलग-अलग सांस्कृतिक पृष्ठभूमि से हैं और साथ रहना मुश्किल है। कृष और अनन्या स्थिति को शांत करने और दोनों के बीच एक बंधन स्थापित करने की बहुत कोशिश करते हैं। हालाँकि, चीजें हाथ से निकल जाती हैं, और वे अलग होने का फैसला करते हैं। वे अपने संबंधित करियर पर ध्यान देना शुरू करते हैं, लेकिन यह कठिन है। उनके लिए एक-दूसरे को भूलना मुश्किल होता है। अंत में, चीजें अच्छे के लिए एक मोड़ लेती हैं, और वे फिर से मिल जाते हैं।

मुझे कृष और अनन्या के बीच गहरा बंधन पसंद है। इन किरदारों को चेतन भगत ने जीवंत किया है। वे सिर्फ एक दूसरे के लिए बने लगते हैं। कहानी के अन्य किरदार भी काफी मजबूत और मनमौजी हैं। उनमें से प्रत्येक के बारे में पढ़ना दिलचस्प है।

मुझे यह किताब बहुत पसंद है। मैंने इसे तीन बार पढ़ा है और इसे बार-बार पढ़ सकता हूं। इस कहानी के पात्र इतने वास्तविक लगते हैं कि जब भी मैं इस किताब को पढ़ता हूं तो हर बार उनके साथ रहने लगता हूं। मैंने इस पुस्तक पर आधारित फिल्म भी देखी है और इसका पूरा आनंद लिया है।

मेरी पसंदीदा पुस्तक पर निबंध 500 शब्दों मे (Essay on My Favourite Book 500 words in Hindi)

मेरी पसंदीदा पुस्तक पर निबंध: किताबें वो दोस्त होती हैं जो आपका साथ कभी नहीं छोड़तीं। मुझे यह कहावत बहुत सच लगती है क्योंकि किताबें हमेशा मेरे साथ रही हैं। मुझे किताबें पढ़ना अच्छा लगता है। उनके पास हमारे स्थानों से हिले बिना दुनिया की यात्रा करने में हमारी मदद करने की शक्ति है। इसके अलावा किताबें हमारी कल्पना शक्ति को भी बढ़ाती हैं। बड़े होकर मेरे माता-पिता और शिक्षकों ने हमेशा मुझे पढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने मुझे पढ़ने का महत्व सिखाया। इसके बाद मैंने कई किताबें पढ़ी हैं। हालांकि, एक बूम जो हमेशा मेरा पसंदीदा रहेगा वह हैरी पॉटर है। यह मेरे जीवन के सबसे पेचीदा पठन में से एक है। मैंने इस श्रृंखला की सभी पुस्तकें पढ़ी हैं, फिर भी मैं उन्हें फिर से पढ़ता हूँ क्योंकि मैं इससे कभी ऊबता नहीं हूँ।

हैरी पॉटर सीरीज

हैरी पॉटर हमारी पीढ़ी के सबसे प्रतिष्ठित लेखकों में से एक जेके राउलिंग द्वारा लिखी गई पुस्तकों की एक श्रृंखला थी। ये पुस्तकें विज़ार्डिंग दुनिया और उसके कामकाज का प्रदर्शन करती हैं। जेके राउलिंग इस दुनिया की एक तस्वीर बुनने में इतनी सफल रही हैं, कि यह वास्तविक लगती है। हालाँकि इस श्रंखला में सात पुस्तकें हैं, फिर भी मेरी एक विशेष पसंद है। श्रृंखला की मेरी पसंदीदा पुस्तक द गॉब्लेट ऑफ फायर है।

जब मैंने किताब पढ़ना शुरू किया, तो इसने तुरंत मेरा ध्यान खींचा। हालाँकि मैंने पिछले सभी भागों को पढ़ लिया था, फिर भी किसी भी किताब ने मेरा ध्यान इस तरह नहीं खींचा जैसा कि इस ने खींचा। इसने विजार्डिंग दुनिया में एक बड़ा परिप्रेक्ष्य दिया। इस पुस्तक के बारे में जो चीजें मुझे सबसे ज्यादा उत्साहित करती हैं, उनमें से एक है अन्य जादूगर स्कूलों का परिचय। ट्राई-विजार्ड टूर्नामेंट की अवधारणा हैरी पॉटर श्रृंखला में मेरे सामने आए सबसे शानदार टुकड़ों में से एक है।

इसके अलावा, इस किताब में मेरे कुछ पसंदीदा किरदार भी शामिल हैं। जिस क्षण मैंने विक्टर क्रुम की प्रविष्टि के बारे में पढ़ा, मैं चकित रह गया। राउलिंग द्वारा वर्णित उस चरित्र की आभा और व्यक्तित्व बस शानदार है। इसके अलावा, इसने मुझे श्रृंखला का एक बड़ा प्रशंसक बना दिया।

हैरी पॉटर सीरीज ने मुझे क्या सिखाया? (What Harry Potter Series Taught Me?)

भले ही किताबें जादूगरों और जादू की दुनिया के बारे में हैं, हैरी पॉटर श्रृंखला में युवाओं के सीखने के लिए बहुत कुछ है। सबसे पहले, यह हमें दोस्ती का महत्व सिखाता है। मैंने कई किताबें पढ़ी हैं लेकिन हैरी, हर्मोइन और रॉन जैसी दोस्ती कभी नहीं देखी। ये तीनों मस्किटियर पूरी किताबों में एक साथ रहे और कभी हार नहीं मानी। इसने मुझे एक अच्छे दोस्त का मूल्य सिखाया।

इसके अलावा, हैरी पॉटर की श्रृंखला ने मुझे सिखाया कि कोई भी पूर्ण नहीं है। सबके अंदर अच्छाई और बुराई होती है। हम वही हैं जो चुनते हैं कि हम क्या बनना चाहते हैं। इससे मुझे बेहतर चुनाव करने और एक बेहतर इंसान बनने में मदद मिली। हम देखते हैं कि स्नेप जैसे सबसे दोषपूर्ण चरित्रों में उनके अंदर कितनी अच्छाई थी। इसी तरह, डंबलडोर जैसे सबसे अच्छे लोगों में कुछ बुरे लक्षण कैसे थे। इसने लोगों के प्रति मेरे दृष्टिकोण को बदल दिया और मुझे अधिक विचारशील बना दिया।

आखिरकार, इन किताबों ने मुझे उम्मीद दी। उन्होंने मुझे आशा का अर्थ सिखाया और सुरंग के अंत में प्रकाश कैसे होता है। इसने मुझे सबसे हताश समय में उम्मीद पर टिके रहने की ताकत दी, ठीक वैसे ही जैसे हैरी ने अपने पूरे जीवन में किया। ये कुछ सबसे जरूरी चीजें हैं जो मैंने हैरी पॉटर से सीखी हैं।

अंत में, जबकि किताबों में कई फिल्में बनी थीं। पुस्तकों के सार और मौलिकता के सामने कुछ भी नहीं है। पुस्तकों के विवरण और समग्रता को किसी भी प्रकार के मीडिया द्वारा प्रतिस्थापित नहीं किया जा सकता है। इसलिए, आग का प्याला मेरी पसंदीदा किताब बनी हुई है।

मेरी पसंदीदा पुस्तक निबंध पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

प्र.1 ग्रंथ का मूल शब्द क्या है.

उत्तर. Book शब्द की उत्पत्ति अंग्रेजी के पुराने शब्द ‘Boc’ से हुई है।

Q.2 भारत में पहली मुद्रित पुस्तक कौन सी थी?

उत्तर. कम्पेंडियो स्पिरिचुअल दा वीड क्रिस्टा भारत में छपी पहली किताब थी।

Q.3 दुनिया की पहली किताब का नाम क्या था?

उत्तर. दुनिया की पहली किताब का नाम गुटेनबर्ग बाइबिल है जो 1455 में यूरोप में छपी थी।

Q.4 सबसे पुरानी धार्मिक पुस्तक का नाम क्या है?

उत्तर. सबसे पुराने धार्मिक ग्रंथ का नाम ‘ऋग्वेद’ है।

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मेरी प्रिय पुस्तक पर निबंध Essay on My Favourite Book in Hindi

मेरी प्रिय पुस्तक पर निबंध Essay on My Favourite Book in Hindi

इस लेख में मेरी प्रिय पुस्तक पर निबंध Essay on my favourite book in Hindi दिया गया है। यहां पर दिया गया मेरी प्रिय पुस्तक के ऊपर निबंध बेहद सरल भाषा में है। मेरी प्रिय पुस्तक पर निबंध कक्षा तीन से 12 तक विभिन्न रूपों में परीक्षाओं में पूछा जाता है यहां पर दिया गया निबंध किसी परीक्षा में बेझिझक लिखा जा सकता है।

नोट : यहां पर दिया हुआ मेरी प्रिय पुस्तक पर निबंध को तीन भागों में बांटा गया है निबंध का पहला भाग  कक्षा 5 तक के विद्यार्थियों के लिए दिया गया है और निबंध का दूसरा भाग कक्षा 6 से 8 तक के विद्यार्थियों के लिए उपयुक्त है निबंध का तीसरा भाग कक्षा 8 से 12 तक के विद्यार्थियों के लिए उपयोगी है लेकिन किसी भी कक्षा के विद्यार्थी इस निबंध को पूरा पढ़कर इसमें से जरूरी चीजों को अपने निबंध में शामिल कर सकते हैं।

Table of Content

मेरी प्रिय पुस्तक पर निबंध Essay on My Favourite Book in Hindi (300 Words)

कहा गया है की किताबें इंसान की सबसे अच्छी दोस्त होतीं हैं और हर किसी की एक प्रिय पुस्तक होती है। मेरे जीवन पर अनेक किताबों का प्रभाव पड़ा लेकिन मेरी प्रिय पुस्तक के रूप में आज भी रामा य ण शामिल है रामायण यह न सिर्फ मेरी प्रिय पुस्तक है बल्कि सभी सनातन धर्म के मानने वालों के लिए आस्था का विषय भी है। रामायण ग्रंथ की कहानियां हर हिंदू घरों में कहीं सुनी जाती है जिसमें मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की जीवनी मुख्य है।

मेरी प्रिय पुस्तक रामायण

essay on my favourite book ramayana in hindi

मेरी प्रिय पुस्तक के रूप में रामायण ग्रंथ का मेरे जीवन पर बहुत ही गहरा प्रभाव पड़ा है रामायण से जुड़ी कहानियां हमने बचपन से सुनी है चाहे वह श्री राम जी की कर्मठता हो या हनुमान जी की वीरता सभी को हमने आत्मसात किया है।

रामायण यह सभी के लिए उपयोगी है इसे मात्र श्री राम की जीवनी न कहकर समग्र मानव समाज के जीवन को दिशा देने का जरिया कहे तो कोई अतिशयोक्ति न होगी। इंसान को तमाम तकलीफों के बावजूद अडिग रहने की सीख रामायण से मिलती है। मुझे गर्व है कि मेरी प्रिय पुस्तक रामायण को हिंदू धर्म का सिरमौर कहा गया है।

मेरी प्रिय पुस्तक रामायण से मिलती सीख

रामायण सिर्फ मेरी ही प्रिय पुस्तक नहीं है बल्कि यह दुनिया के हजारों लाखों लोगों की भी प्रिय पुस्तक है।  इंडोनेशिया जैसे मुस्लिम बाहुल्य देशों में रामायण को बड़ी इज्जत की दृष्टि से देखा जाता है और किसी भी बच्चे के जन्म के समय रामायण का पाठ किया जाता है।

रामायण से जीवन को सकारात्मक तरीके से जीने की सीख मिलती है जिसमें श्री राम कर्तव्य की मूर्ति हैं तथा लक्ष्मण आज्ञा पालन तथा सेवा की मूर्ति हैं जहां मां सीता चरित्र की मूर्ति हैं वही श्री हनुमान वीरता तथा साहस की मूर्ति हैं रामायण से जीवन के सभी पहलुओं पर सीख मिलती है।

मेरी प्रिय पुस्तक ने मुझे जीवन जीने का तरीका सिखाया तथा मैं इस पुस्तक को हर किसी को एक बार पढ़ने की सलाह जरूर देता हूं लेकिन सिर्फ पढ़ लेना उपयुक्त नहीं होगा बल्कि इसके ज्ञान को सामान्य जनजीवन में उतारना ही सही तरीका होगा।

मेरी प्रिय पुस्तक पर निबंध Essay on My Favourite Book in Hindi (400 Words)

मेरी प्रिय पुस्तक डॉ एपीजे अब्दुल कलाम के जीवन पर लिखी गयी किताब अग्नि की उड़ान है। मेरी प्रिय पुस्तक अग्नि की उड़ान ने मेरे जीवन में सकारात्मकता का संचार किया है क्योंकि अग्नि की उड़ान कोई काल्पनिक बात नहीं बल्कि डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम के संघर्षों की कहानी है।

इंटरनेट के युग में सोशल मीडिया तथा इंटरटेनमेंट के बीच किताबे कहीं गुम सी हो गई हैं लेकिन पढ़ना यह सदा सर्वदा चलने वाली चीज है, पढ़ने के तरीकों में भले ही बदलाव आ जाए लेकिन जान लेने का एक माध्यम पढ़ना सुनना व देखना ही हो सकता है।

मेरी प्रिय पुस्तक- अग्नि की उड़ान

essay on my favourite book ramayana in hindi

मेरी प्रिय पुस्तक मुझे कक्षा 8 में मेरे जन्मदिन के उपलक्ष में भेंट में मिली। अग्नि की उड़ान यह डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम की जीवनी नहीं है बल्कि उनके संघर्षों की कहानी है जिसमें उन्होंने अग्नि, त्रिशूल, नाग जैसी मिसाइलें बनाकर भारत के गौरव को पूरी दुनिया में ऊंचा किया है।

डॉ एपीजे अब्दुल कलाम के संघर्षों के ऊपर बनी पुस्तक अग्नि की उड़ान को उनके एक साथी अरुण तिवारी ने लिखा है अरुण तिवारी कहते हैं अग्नि की उड़ान लिखना उनके लिए किसी तीर्थ यात्रा से कम नहीं था अग्नि की उड़ान अब्दुल कलाम के विशाल जीवन की एक छोटी सी झलक मात्र है।

एपीजे अब्दुल कलाम को मिसाइल मैन भी कहा जाता है एपीजे अब्दुल कलाम का जन्म बेहद ही गरीब परिवार में हुआ और शुरुवाती शिक्षा दीक्षा में भेदभाव का भी सामना करना पड़ा लेकिन उन्होंने सिर्फ सीखना कभी नहीं छोड़ा, अब्दुल कलाम बेहद ही जिज्ञासु थे और प्रकृति तथा विज्ञान से प्रेम करते थे।

मेरी प्रिय पुस्तक अग्नि की उड़ान से मिलती सीख

भारत रत्न श्री एपीजे अब्दुल कलाम जी भारत के राष्ट्रपति भी रह चुके हैं, वह कुछ उन व्यक्तियों की सूची में शामिल है, जिनके विरोधी शून्य है यानी जिन्हें सभी पसंद करते हैं। अग्नि की उड़ान से सबसे बड़ी सीख मिलती है कि किस प्रकार साधन की अल्पता के बावजूद भी महानता तक पहुंचा जा सकता है।

अग्नि की उड़ान से दूसरी सबसे बड़ी सीख यह मिलती है की इंसान को कभी भी सीखना नहीं छोड़ना चाहिए हर परिस्थिति में कम या ज्यादा मात्रा में सीखते रहना चाहिए।

जिस इंसान ने किताबों से दोस्ती कर ली उसे और किसी से दोस्ती करने की जरूरत नहीं पड़ती। लेकिन किताबों को सिर्फ पढ़ने भर से कुछ प्राप्त नहीं हो सकता जब तक उन्हें अपने व्यवहार में न शामिल किया जाए। इसलिए किताबों को पढ़ने के साथ-साथ उनसे मिलती सीखो को अपने रोजमर्रा के जीवन में जरूर अपनाना चाहिए।

मेरी प्रिय पुस्तक पर निबंध Essay on My Favourite Book in Hindi (600 Words)

कहते हैं कि किसी समाज की मानसिकता को जानना हो तो वहां के साहित्य को पढ़ना चाहिए। पुस्तकों को जीवंत देवता कहा गया है। देवता यानी जो प्रदान करें और जीवंत मतलब जीवित। किताबों को  मानव का सबसे घनिष्ठ मित्र बताया गया है क्योंकि अन्य मित्र समय अनुसार बदल जाते हैं लेकिन पुस्तक बिना किसी स्वार्थ के हमारे साथ रहते हैं तथा हमें ज्ञान प्रदान करते हैं।

मेरी प्रिय पुस्तक महाभारत ग्रंथ है। महाभारत अच्छाई और बुराई के बीच लड़ी गई एक ऐतिहासिक लड़ाई है जिसमें एक ओर हजारों दुष्टों कि कौरव सेना और दूसरी ओर गिनती मात्र के पांडवों की सेना थी जिनके बीच धर्म की युद्ध लड़ी गई और कम सुविधा साधन के बावजूद भी पांडवों की जीत हुई और सबसे मुख्य बात की भगवान श्री कृष्ण हमेशा सत्य के साथ रहे।

आज के सोशल मीडिया के जमाने में हमारे एतिहासिक ग्रंथ रामायण-महाभारत को आजकल के युवा कम ही पसंद करते हैं। पसंद करना तो दूर उनका उपहास उड़ाते हैं। जहां एक ओर विज्ञान को इन ग्रंथों के सच होने के सबूत मिल रहे हैं वहीं दूसरी ओर जनजीवन को उत्कृष्ट बनाने के लिए इन्ही सूत्रों का उपयोग किया जाता है। लेकिन मात्र पढ़ने भर से प्रयोजन पूरा नहीं हो सकता किसी भी ग्रंथ का असली लाभ तभी मिल सकता है जब उसे अपने जीवन में उतारा जाए।

मेरी प्रिय पुस्तक महाभारत

essay on my favourite book ramayana in hindi

महाभारत त्रेता युग में लिखी गई, जिसमें महान सम्राट धृतराष्ट्र के पुत्रों तथा पांडव के पुत्रों के बीच धर्म को लेकर हुए युद्ध की चर्चा है। किस प्रकार वाणी के दुरुपयोग से इतना बड़ा युद्ध हो सकता है इसका उल्लेख भी महाभारत में मिलता है।

महाभारत को महर्षि वेदव्यास ने भगवान श्री गणेश से लिखवाया था, महाभारत में 24 लाख श्लोक हैं और यह पृथ्वी का सबसे विशाल ग्रंथ है। महाभारत यह 18 दिन चला और भगवान कृष्ण के मुखारविंद से निकली हुई श्री गीता भी यहीं से जन्मी है।

महाभारत का उद्देश्य यही था कि जब जब धरती पर पाप और अत्याचार बढ़ेगा तब-तब ईश्वरीय सत्ता धरती पर आकर अनाचारियों का विनाश करेगी। महाभारत में कर्मयोग, ज्ञानयोग, सांख्य योग इत्यादि की सटीक परिभाषा मिलती है जो मानवों को जीने की कला सिखाती हैं।

मेरी प्रिय पुस्तक महाभारत से मिलती सीख

महाभारत यह मात्र युद्ध की कहानी भर नहीं है बल्कि जीवन की दिशा धारा कैसी होनी चाहिए इसकी सटीक परिभाषा भी है। महाभारत यह तमाम कुरीतियों तथा कुप्रथाओं का विनाश भी करती है। महाभारत से हमें यह सीख मिलती है कि हमें कभी भी धर्म का मार्ग नहीं छोड़ना चाहिए।

महाभारत हमें सिखाता है की भले ही अधर्मी दुश्मनों की संख्या ज्यादा हो पर जीत तो सत्य की ही होती है और सत्य के मार्ग पर चलने वाले शूरवीरों को कभी भी चिंतित या भयभीत नहीं होना चाहिए। अगर हम सत्य के मार्ग पर चलेंगे तो ईश्वरीय सत्ता भी हमारा मार्ग प्रशस्त करेंगी।

महाभारत हमें धैर्य, कर्तव्यनिष्ठा, साहस तथा धर्म पथ पर अडिग रहने की सीख देता है। महाभारत के श्लोक बेहद ही गूढ़ है तथा उनके पीछे अनेक भावार्थ छुपे हुए हैं। महाभारत को अनेक भाष्य कारों ने अपने ज्ञान के अनुसार भाषित किया है।

महाभारत दुनिया का सबसे बड़ा ग्रंथ है इसे मूल संस्कृत में लिखा गया था लेकिन आज यह हिंदी भाषा में भी उपलब्ध है तथा तमाम टेलीविज़न डायरेक्टरों ने इसे पर्दे पर उतारने की कोशिश भी की है।

महाभारत को कुछ लोग सिर्फ युद्ध तथा कलह की दृष्टि से देखते हैं लेकिन महाभारत जैसा शायद ही कोई अन्य ग्रंथ हो जो धर्म और अधर्म की सच्ची परिभाषा तथा जीवन जीने की कला सिखाता हो। लेकिन मात्र पढ़ने भर से महाभारत से कोई लाभ नहीं हो सकता जब तक कि इससे मिलते ज्ञान को अपने सामान्य जीवन में उतारने की चेष्टा ना की जाए।

निष्कर्ष Conclusion

इस लेख में आपने मेरी प्रिय पुस्तक पर निबंध Essay on My Favourite Book in Hindi पढ़ा। जिसमें कक्षा 3 से लेकर 12 तक मेरी प्रिय पुस्तक पर निबंध सरल रूप से दिया गया है। अगर यह लेख आपको जानकारी से भरपूर लगा हो तथा आपके लिए मददगार साबित हुआ तो शेयर जरूर करें।

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essay on my favourite book ramayana in hindi

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Essay On My Favorite Book : मेरी प्रिय पुस्तक पर निबंध

Meena Bisht

  • April 10, 2020
  • Hindi Essay

निबंध हिंदी में हो या अंग्रेजी में , निबंध लिखने का एक खास तरीका होता है। हर निबंध को कुछ बिंदुओं (Points ) पर आधारित कर लिखा जाता है। जिससे परीक्षा में और अच्छे मार्क्स आने की संभावना बढ़ जाती है।

हम भी यहां पर “मेरी प्रिय पुस्तक /Essay On My Favorite Book ” पर निबंध को कुछ बिंदुओं पर आधारित कर लिख रहे हैं। आप भी अपनी परीक्षाओं में निबंध कुछ इस तरह से लिख सकते हैं। जिससे आपके परीक्षा में अच्छे मार्क्स आयें।

Essay On My Favorite Book

मेरी प्रिय पुस्तक पर निबंध.

  • प्रस्तावना (Introduction)

मेरी प्रिय किताब (My Favorite Book )

  • “सत्य के प्रयोग” क्यों हैं मेरी पसंदीदा किताब (Why this is my Favorite Book)
  • पुस्तक की भाषा (Language of my Favorite book)

किताब से मिली प्रेरणा ( Inspirational Book )

प्रस्तावना 

Essay On My Favorite Book : किताबों ही इंसान की सबसे अच्छी दोस्त होती हैं। कहते हैं कि एक अच्छी किताब सौ दोस्तों के बराबर होती हैं। जो इंसान को विपरीत परिस्थितियों में भी सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती है।  कठिन समय पर भले ही आपके दोस्त , परिचित , आपके रिश्तेदार आप से मुंह मोड़ लें। मगर एक  एक अच्छी और प्रेरणादायक किताब आपको हमेशा जीवन में निरंतर आगे बढ़ने की प्रेरणा देती ही रहेगी।

ये किताबें ही हमारी सच्ची साथी व हमारी धरोहर होती हैं।जो हमारी आने वाली पीढ़ी को हमारे पूर्वजों व हमारे बारे में बिना एक शब्द बोले ही सब कुछ बता देंगी। 

मुझे बचपन से ही किताबें पढ़ने का बहुत शौक है।जब भी समय मिलता है। मैं अपने नजदीकी लाइब्रेरी में जाकर किताबों के साथ अपना समय बिताना पसंद करता हूं।

यूं तो मैंने अनेक किताबें पढ़ी हैं लेकिन इस गर्मियों की छुट्टियों में , मैं एक दिन लाइब्रेरी में जाकर पढ़ने के लिए किताब ढूंढ रहा था। तभी अचानक मेरी नजर महात्मा गांधी द्वारा लिखित “Experiment With Truth यानी सत्य के प्रयोग ” नाम की एक किताब पर पड़ी।

जिसे मैंने उत्सुकता बस पढ़ना शुरू किया। लेकिन जैसे-जैसे में किताब को पढता गया , वैसे वैसे उस किताब में मेरी रुचि बढ़ती गई।त भी से यह किताब मेरी पसंदीदा किताबों की लिस्ट में शामिल हो गई। 

सत्य के प्रयोग क्यों हैं मेरी पसंदीदा किताब (Why this is my Favorite Book)

मूल रूप से गांधी जी ने यह किताब अपनी मातृभाषा गुजराती में ही लिखी है।जिसका नाम “सत्य ना प्रयोगो” है । लेकिन बाद में इस किताब का अनुवाद हिंदी , मराठी और अंग्रेजी में भी किया गया है। हिंदी में इसका नाम “सत्य के प्रयोग” , मराठी में “सत्याचे प्रयोग” और अंग्रेजी में “Experiment With Truth” है।

समय के साथ-साथ इस किताब को भारत की अन्य भाषाओं में भी अनुवाद किया गया। ताकि अधिक से अधिक लोग इस किताब को पढ़ सकें। और गांधी जी के जीवन के अनुभवों से लाभ उठा सकें। 

यह किताब मूल रूप से गांधीजी की आत्मकथा (Autobiography ) है । इस किताब का नाम “सत्य के प्रयोग” रखने का मुख्य उद्देश्य शायद यह रहा होगा कि गांधी जी अपने जीवन में सत्य व अहिंसा को सबसे अधिक महत्व देते थे। इसीलिए उन्होंने अपनी आत्मकथा का नाम भी यहीं रखा।

“सत्य के प्रयोग” पुस्तक में गांधीजी ने अपने जीवन में घटित हर घटना को एक कथा के रूप में लिखा है। जिसमें उन्होंने अपने माता पिता , परिजनों , छोटी उम्र में अपने विवाह के अनुभवों को बांटा हैं। इसके साथ ही अपनी पढ़ाई , विदेश यात्रा , वकालत , दक्षिण अफ्रीका में घटित घटनाओं तथा स्वतंत्रता आंदोलन की घटनाओं को विस्तार से लिखा है। 

यहाँ तक कि गांधीजी ने इस किताब में अपनी कमियों एवं बुराइयों का भी खुलकर वर्णन किया है।उन्होंने अपने धूम्रपान , मांसाहार व चोरी करने आदि के बारे में भी कुछ नहीं छुपाया है।उन्होंने अपनी गलतियों को भी ईमानदारी से स्वीकार किया है।उन्होंने यहाँ तक भी लिखा है कि किस प्रकार वो इन बुराइयों के जाल में फंसे और फिर कैसे उन्होंने इस सब से छुटकारा पाया।

पुस्तक की भाषा सरल व सहज (Language of my Favorite book)

इस किताब की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसकी भाषा बहुत ही सरल व सहज है। तथा इसमें किये गए प्रसंगों का उल्लेख भी हृदय को छू लेने वाले है। इसकी शैली भी बहुत रोचक है।

इस पुस्तक को पढ़ने से पाठक के हृदय में सत्य , अहिंसा , प्रेम , आत्मविश्वास तथा मानव मात्र की सेवा के भाव जागृत होते हैं। 

वैसे तो गांधीजी का पूरा व्यक्तित्व , उनका पूरा जीवन सिर्फ हम भारतीयों के लिए ही नहीं , वरन पूरे विश्व के लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत है।सिर्फ भारत के लोग ही नहीं , वरन पूरे विश्व के लोग आज भी गांधीजी के जीवन से प्रेरणा लेते हैं।और उनके बताये मार्ग में चलने का प्रयास करते हैं।

मजबूत अंग्रेजी साम्राज्य की नींव को हिला देने का असंभव कार्य भी उन्होंने सिर्फ सत्य और अहिंसा के बल पर ही संभव कर दिखाया। 

गांधीजी के ये संस्मरण हमें और हमारी आगे आने वाली पीढ़ी को सदैव प्रेरणा देते रहगें । यह किताब हमें बताती है कि एक साधारण व्यक्ति भी किस तरह महान व्यक्ति बन सकता है। और राष्ट्रपिता व महात्मा जैसे सम्मानीय पद को प्राप्त कर सकता है।

गांधीजी एक समाज सुधारक भी थे। जिन्होंने दलित उद्धार और उनके शोषण के खिलाफ आवाज उठायी थी। यह किताब आज के सन्दर्भ में काफी प्रभावशाली है। 

गांधीजी की आत्मकथा ने मेरे मन में गहरा प्रभाव डाला। यह किताब हमें बुराइयों से दूर रहने तथा  प्राणी मात्र की सेवा करते हुए सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती है।

गांधीजी द्वारा लिखित यह किताब प्रत्येक व्यक्ति के लिए एक सच्ची मित्र , गुरु और मार्गदर्शक की तरह ही है। मैं चाहूँगा कि प्रत्येक भारतीय गांधीजी की इस आत्मकथा को एक बार अवश्य पढ़ें। 

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मेरी प्रिय पुस्तक पर निबंध – Essay On My Favorite Book in Hindi

Essay On My Favorite Book in Hindi

Essay On My Favorite Book in Hindi :   इस लेख में 3 अलग-अलग प्रकार के मेरी प्रिय पुस्तक पर निबंध लिखे गए हैं। यह निबंध हिंदी भाषा में लिखा गया है और शब्द गणना के अनुसार व्यवस्थित किया गया है। आप नीचे दिए गए पैराग्राफ में 100 शब्दों, 200 शब्दों, 400 शब्दों, 500 और 1000 शब्दों तक के निबंध प्राप्त कर सकते हैं।

हमने अपने मेरी प्रिय पुस्तक पर निबंध के बारे में बहुत सी बातें तैयार की हैं। यह कक्षा 1, 2,3,4,5,6,7,8,9 से 10वीं तक के बच्चों को मेरी प्रिय पुस्तक पर निबंध   लिखने में मददगार होगा।

मेरी प्रिय पुस्तक पर निबंध (100 शब्द ) – Essay On My Favorite Book in Hindi (100 word)

किताब इंसान की सबसे अच्छी दोस्त है। यह हमें कभी नहीं छोड़ता। यह हमेशा हमें दिल और ज्ञान से बेहतर होने में मदद करता है। ज्ञान प्राप्त करने का सबसे अच्छा स्थान पुस्तक है। अपने शिक्षकों और अपने माता-पिता के प्रोत्साहन के कारण, मैं एक बहुत बड़ा पुस्तक प्रेमी रहा हूँ।

मुझे किताबें पढ़ना पसंद हैं। मेरे पास किताबों का एक बड़ा संग्रह है। मुझे ज्यादातर विज्ञान पर आधारित किताबें पढ़ना पसंद है। यह मेरा पसंदीदा विषय है। मैंने बहुत सारी साइंस फिक्शन पढ़ी हैं। मेरी पसंदीदा किताब ‘फ्रेंकस्टीन’ है और यह साइंस फिक्शन है।

जब मैंने पहली बार इस किताब को पढ़ा तो मैं चकित और स्तब्ध रह गया। लेखिका मैरी शेली के पास अद्भुत कल्पना शक्ति थी। यह किताब विक्टर फ्रेंकस्टीन नाम के एक वैज्ञानिक की कहानी बताती है, जिसने अपने अपरंपरागत प्रयोग से एक भयानक बुद्धिमान प्राणी बनाया।

पूरी कहानी उसी ‘जीव’ पर आधारित है। यह किताब सस्पेंस और थ्रिल से भरपूर है। मैंने इसे तीन बार पढ़ा है और फिल्म भी देखी है। यह अद्भुत और दिमाग उड़ाने वाला है। यह पुस्तक 1818 में प्रकाशित हुई थी।

लेखिका मैरी शेली एक आश्चर्यजनक लेखिका हैं जिन्होंने ढेरों सुंदर पुस्तकें लिखी हैं। मैं इस पुस्तक को सभी को सुझाता हूं। यदि आपने नहीं पढ़ा है तो आपको इसे पढ़ना चाहिए। मुझे यकीन है कि आपको यह पसंद आएगा।

मेरी प्रिय पुस्तक पर निबंध (300 शब्द ) – Essay On My Favorite Book in Hindi (300 word)

किताब पढ़ना एक बहुत अच्छी आदत है जो सभी को बनानी चाहिए। यह आत्मविश्वास बनाने, प्रेरणा प्राप्त करने और प्रेरणा प्राप्त करने में मदद करता है। मैं एक पुस्तक प्रेमी हूँ और मैं किताबें पढ़ता हूँ। मेरे घर में एक छोटी सी लाइब्रेरी है। मेरा सुझाव है कि हर कोई अधिक से अधिक किताबें पढ़े।

कुछ नया सीखने का यह सबसे अच्छा तरीका है। किताबों में लिखे शब्दों से हम पूरी दुनिया घूम सकते हैं। कुछ किताबें हैं जो मुझे बहुत पसंद हैं, हैरी पॉटर उनमें से एक है। दरअसल यह मेरी अब तक की सबसे पसंदीदा किताब है।

मेरी पसंदीदा किताब:

हैरी पॉटर एक काल्पनिक कहानी श्रृंखला है जिसे ब्रिटिश लेखक जे के राउलिंग ने लिखा है। वह एक बेहतरीन लेखिका हैं। मैं वास्तव में उसकी कल्पना का स्तर देखकर हैरान हूं। मैंने इस पुस्तक की फिल्म श्रृंखला भी देखी है। वह दिमाग उड़ाने वाला था।

कहानी काल्पनिक और अलग है। यह सब एक जादूगर की दुनिया के बारे में है। इस किताब में हर्मियोन ग्रेंजर और रॉन वीस्ली मेरे सबसे पसंदीदा पात्र हैं। मुझे ‘आग का प्याला’ सबसे ज्यादा पसंद है। यह अध्याय अद्भुत है। मुझे अन्य अध्याय भी पसंद हैं, लेकिन यह मुझे विशेष लगता है।

इस किताब को पढ़ने के बाद कुल मिलाकर मैं जे. के. राउलिंग का बहुत बड़ा प्रशंसक रहा हूं। इस काल्पनिक काल्पनिक किताब ने बहुत बड़ी कमाई की है। यह किताब ज्यादातर युवाओं को पसंद आई।

यदि आपने अभी तक हैरी पॉटर नहीं पढ़ा है तो आपको अवश्य पढ़ना चाहिए। यह पढ़ने के लिए एक अद्भुत उपन्यास है। मैं सभी को यह सुझाव देता हूं। अगर आप काल्पनिक कहानियां पढ़ना पसंद करते हैं तो आप इस सीरीज के फैन हो जाएंगे। हालाँकि इस पुस्तक में बहुत सी शैक्षिक बातें नहीं हैं लेकिन यह मनोरंजक थी।

Essay On My Favorite Book in Hindi

मेरी प्रिय पुस्तक पर निबंध (500 शब्द ) – Essay On My Favorite Book in Hindi (500 word)

किताबें हमारी सबसे अच्छी दोस्त हैं और वे हमें कभी नहीं छोड़तीं। यह एक बहुत बड़ा सच है जिसे मैं महसूस कर सकता हूं। मैं एक भावुक पुस्तक पाठक हूं और मुझे हर हफ्ते ढेर सारी किताबें पढ़ना अच्छा लगता है। हमारे पास एक पारिवारिक पुस्तकालय है और मेरे पिता किताबें इकट्ठा करने और खरीदने में मेरी मदद करते हैं।

मैंने बहुत सी अद्भुत पुस्तकें पढ़ी हैं, लेकिन कुछ ऐसी विशेष पुस्तकें हैं जिन्होंने मेरा दिल जीत लिया है। आज मैं अपनी सबसे पसंदीदा किताब ‘रॉबिन्सन क्रूसो’ के बारे में बात करने जा रहा हूँ। यह किताब मेरे लिए हमेशा एक अलग चीज रही है और मैं अब भी इसे बार-बार पढ़ रहा हूं। इस अद्भुत उपन्यास से बहुत कुछ सीखने को मिलता है।

मेरी पसंदीदा पुस्तक:

मेरी पसंदीदा पुस्तक रॉबिन्सन क्रूसो डेनियल डिफो द्वारा लिखी गई थी और यह पहली बार 25 अप्रैल 1719 को प्रकाशित हुई थी। ध्यान देने वाली एक बहुत महत्वपूर्ण बात यह है कि यह पुस्तक 300 साल पुरानी है, लेकिन सामग्री और कहानी अभी भी नई पीढ़ी के पाठकों को अद्भुत लग रही है।

इस किताब में एक व्यक्ति ‘रॉबिन्सन’ नाम की कहानी है जो 28 साल तक एक द्वीप पर रहा। वह एक जहाज दुर्घटना में गिर गया और सब कुछ खो दिया। फिर उसे निकटतम द्वीप पर जाने के लिए एक नाव मिली। यह एक विशाल द्वीप था।

उसने वहां अपना राज्य बनाया। उसने जानवरों को पालने और कुछ फसलें उगाकर अपना भोजन एकत्र किया। वह द्वीप का स्थायी सदस्य बन गया। किसी दिन उसे कुछ क्रूर और अलग चीज का सामना करना पड़ा। उसने पाया कि एक आदमी को नग्न अवस्था में कुछ नरभक्षी द्वीप पर ले आए थे।

उन्होंने उस व्यक्ति को बचाया और उसका नाम ‘फ्राइडे’ रखा। शुक्रवार उसका साथी बन गया लेकिन वह भी नरभक्षी का सदस्य था। इसलिए रॉबिन्सन ने उसे अपने डेरे के बाहर रखा।

फिर शुक्रवार रॉबिन्सन का साथी बन गया और उन दोनों ने द्वीप को अपने लिए एक अद्भुत जगह बना लिया। अंत में, एक जहाज उनके द्वीप पर आया और वहाँ बहुत सारे रोमांच और कहानियाँ थीं जो आपको रोमांचित कर देंगी।

मुझे यह किताब क्यों पसंद है?

ऐसे कई कारण हैं जिनकी वजह से मुझे यह किताब पसंद है। पहला कारण यह है कि यह मुझे जीवन और वास्तविकता के बारे में सिखाता है। जब मैं इस किताब को पढ़ता हूं तो मैं बहुत गंभीर हो जाता हूं। मैंने इसे लगभग 4 बार पढ़ा है और अभी भी इसे फिर से पढ़ रहा हूँ।

इस किताब ने मुझे क्या सिखाया?

यह किताब मेरे लिए बहुत बड़ी सीख है। पहले 20 वर्षों तक, रॉबिन्सन वहाँ बिल्कुल अकेला रह रहा था। और उस समय वह अपनी बुद्धिमत्ता, साहस और समर्पण के कारण जीवित रहने में सफल रहे। यह मेरे लिए बहुत बड़ी सीख है।

यह सिखाता है कि जब आप अकेले हों और बहुत सारी समस्याओं में हों तो खुद को कैसे केंद्रित रखें। यह कहानी इस बारे में है कि कैसे एक आदमी अपनी वास्तविकता खुद बनाता है। जब रॉबिन्सन को शुक्रवार मिला और वह उसका सबसे अच्छा साथी बन गया।

उन्होंने उसे भाषा, धर्म और समग्र सभ्यता की शिक्षा दी। इन सब बातों को समेटे हुए यह पुस्तक मेरे लिए एक शिक्षक के समान है। यह मुझे बहुत सारी कठोर वास्तविकताओं को समझने में मदद करता है।

मेरा शौक किताब पढ़ना:

मैंने पढ़ने को अपना शौक बना लिया है। मैं कभी समय बर्बाद नहीं करता। जब मैं खाली होता हूँ या ख़ाली समय बिताता हूँ तो मुझे किताबें पढ़ना अच्छा लगता है। मुझे लगता है कि यह आदत सभी को डालनी चाहिए। एक बेहतर ज्ञान आधार के निर्माण के लिए यह बहुत महत्वपूर्ण और आवश्यक है।

किताबें पढ़कर हम कई तरह की चीजें सीख सकते हैं। पढ़ना मेरा शौक है और मैं हमेशा किताबें पढ़ता हूं। मेरे पास विभिन्न प्रकार की पुस्तकों का विशाल संग्रह है।

किताब पढ़ना एक बहुत बड़ी चीज है जो हम सभी को होनी चाहिए। यह हमें एक ही स्थान पर रहकर शब्दों के माध्यम से यात्रा करने में मदद करता है। हम सभी को अपनी कल्पना शक्ति को मजबूत बनाने के लिए किताब पढ़ने की आदत डालने की जरूरत है।

मेरी पसंदीदा पुस्तक पर 10 पंक्तियाँ निबंध – 10 Lines On Essay On My Favorite Book In Hindi

1. किताब पढ़ना एक बहुत अच्छी आदत है क्योंकि यह हमारे व्यक्तित्व को निखारने और हमें परिपक्व बनाने में मदद करती है।

2. कुछ किताबें अनमोल होती हैं और वे हमें कुछ अद्भुत सीख देती हैं।

3. मेरी पसंदीदा पुस्तक का नाम ‘रॉबिन्सन क्रूसो’ है। यह डेनियल डिफो द्वारा लिखी गई एक विश्व प्रसिद्ध पुस्तक है।

4. यह किताब 300 साल पहले लिखी गई थी, लेकिन आज भी लोग इसे उसी प्यार और दिलचस्पी से पढ़ते हैं।

5. इसमें सीखने के लिए बहुत सारे पाठ हैं। रॉबिन्सन का धैर्य अद्भुत है।

6. यह हमें सिखाता है कि जब आपके आस-पास कोई न हो और आप अकेले हों तो कैसे जीवित रहना है।

7. यह पुस्तक आपके लिए जीवन पथ प्रदर्शक हो सकती है।

8. रॉबिन्सन ने 28 साल अकेले एक द्वीप पर बिताए।

9. यह एक कहानी है कि कैसे एक आदमी जीवन में सभी विषम चीजों के खिलाफ संघर्ष करता है।

10. मुझे इस किताब को बार-बार पढ़ना अच्छा लगता है। अगर आपने अभी तक इस किताब को नहीं पढ़ा है तो आज ही इसे पढ़ लें।

FAQ’s On Essay On My Favorite Book In Hindi

मैं अपनी पसंदीदा पुस्तक के बारे में एक निबंध कैसे लिख सकता हूँ?

सबसे पहले अपनी पसंदीदा किताबों की सूची बनाएं। पहले शीर्ष 10 पुस्तकों को चुनना बेहतर है। और फिर लिखें कि किस किताब का आपके वास्तविक जीवन पर और आपकी सोच पर किस प्रकार का प्रभाव पड़ता है। इस तरह आप अपनी पसंदीदा किताब लेकर आएंगे। और फिर वही लिखें जो इस पुस्तक ने आपको सिखाया है और वही किसी और को सिखाने में सक्षम हों।

हैरी पॉटर मेरी पसंदीदा किताब क्यों है?

यह एक बहुत ही अद्भुत फिक्शन है जिसे दुनिया के लाखों युवाओं ने पसंद किया था। इस कहानी पर आधारित एक फिल्म श्रृंखला भी है। मुझे यह किताब इसकी मनमोहक कहानी और कुछ दिलचस्प पात्रों के कारण पसंद है।

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English Summary

Essay on My Favourite Book Ramayana in English

Ramayana is one of the main epics of the Hindu religion. It is a sacred book which teaches us about life. People believe that it was written by Valmiki. Ramayana is kept in houses and most people read it daily because reading it is like worshipping God.

Ramayana tells the story of Lord Ram who was the king of Ayodhya. Lord Ram’s father had three wives. When the time came for Lord Ram to become the king and sit on the throne, there occurs a problem. Kaikeyi asks her husband that her own son should become the king instead of Ram. She also asks him to send Ram to forest. Ram goes to forest with his wife, Sita for 14 years. Ram’s cousin brother Laxman also goes with him because he loves and respects him the most.

In the forest, Sita was kidnapped by evil Ravana. Then Ram goes to bring back his wife. Lord Hanuman and his monkey tribes help him. Ram kills Ravana and comes back to Ayodhya with Sita. People always celebrate their victory by lighting Diyas.

Ramayana teaches us about our duties. From Lord Ram, we learn that a king must listen to everyone in his kingdom. Lord Ram also teaches us how to be humble. He respects his father and loves his younger brothers. Goddess Sita is a strong woman who doesn’t get afraid of Ravana.

Ramayana is a poetic record of our ancestor’s history and their ways of living. It teaches everyone to become dutiful, loving and respectful towards others.

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Essay on My Favourite Book in Hindi – मेरी पसंदीदा पुस्तक पर निबंध

Essay on My Favourite Book in Hindi:  दोस्तो आज हमने  मेरी प्रिय पुस्तक पर निबंध  कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 ,10, 11, 12 के विद्यार्थियों के लिए लिखा है।

500+ Words Essay on My Favourite Book in Hindi

मेरी पसंदीदा पुस्तक पर निबंध: किताबें ऐसी दोस्त हैं जो कभी आपका साथ नहीं छोड़ती हैं। मुझे यह कहावत बहुत सच लगती है क्योंकि मेरे लिए किताबें हमेशा से रही हैं। मुझे किताबें पढ़ने में मजा आता है । वे हमारे स्थानों से आगे बढ़े बिना दुनिया की यात्रा करने में हमारी सहायता करने की शक्ति रखते हैं। इसके अलावा, किताबें हमारी कल्पना शक्ति को भी बढ़ाती हैं। बड़े होकर, मेरे माता-पिता और शिक्षकों ने मुझे हमेशा पढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने मुझे पढ़ने का महत्व सिखाया। इसके बाद, मैंने कई किताबें पढ़ी हैं। हालांकि, एक उछाल जो हमेशा मेरा पसंदीदा रहेगा वह है हैरी पॉटर। यह मेरे जीवन का सबसे पेचीदा पाठ है। मैंने इस श्रृंखला की सभी पुस्तकें पढ़ी हैं, फिर भी मैंने उन्हें फिर से पढ़ा क्योंकि मैं इससे कभी नहीं ऊबता।

Essay on My Favourite Book in Hindi

हैरी पॉटर श्रृंखला

हैरी पॉटर हमारी पीढ़ी के सबसे प्रतिष्ठित लेखकों में से एक जेके राउलिंग द्वारा लिखी गई पुस्तकों की एक श्रृंखला थी। ये पुस्तकें विजिविंग दुनिया और इसके कामकाज का प्रदर्शन करती हैं। जेके राउलिंग इस दुनिया की तस्वीर बुनने में इतने सफल रहे हैं, कि यह वास्तविक लगता है। हालाँकि इस श्रृंखला में सात पुस्तकें हैं, लेकिन मेरी एक विशेष पसंदीदा है। श्रृंखला की मेरी पसंदीदा पुस्तक द गोबल ऑफ फायर है।

जब मैंने पुस्तक पढ़ना शुरू किया, तो इसने मेरा ध्यान तुरंत आकर्षित किया। हालांकि मैंने पिछले सभी हिस्सों को पढ़ा था, लेकिन किताबों में से किसी ने भी मेरा ध्यान आकर्षित नहीं किया जैसा कि इसने किया था। इसने विजार्डिंग की दुनिया में एक बड़ा परिप्रेक्ष्य दिया। इस पुस्तक के बारे में जो बातें मुझे सबसे ज्यादा रोमांचित करती हैं, उनमें से एक है अन्य विद्यालयों की शुरूआत। ट्राई-विजार्ड टूर्नामेंट की अवधारणा हैरी पॉटर श्रृंखला में सबसे शानदार टुकड़ों में से एक है।

इसके अलावा, इस पुस्तक में मेरे कुछ पसंदीदा पात्र भी हैं। जिस क्षण मैंने विक्टर क्रुम के प्रवेश के बारे में पढ़ा, मैं स्तब्ध था। रोलिंग द्वारा वर्णित उस चरित्र की आभा और व्यक्तित्व बस शानदार हैं। इसके अलावा, इसने मुझे श्रृंखला का एक बड़ा प्रशंसक बना दिया।

हैरी पॉटर सीरीज ने मुझे क्या सिखाया?

भले ही किताबें जादूगरों और जादू की दुनिया के बारे में हैं, हैरी पॉटर श्रृंखला में युवाओं को सीखने के लिए बहुत सारे सबक हैं। सबसे पहले, यह हमें दोस्ती का महत्व सिखाता है। मैंने कई किताबें पढ़ी हैं, लेकिन कभी हैरी, हर्मोइन और रॉन जैसी दोस्ती में नहीं आया। इन तीनों संगीतकारों ने पूरी किताबों को एक साथ चिपका दिया और कभी हार नहीं मानी। इसने मुझे एक अच्छे दोस्त का मूल्य सिखाया।

इसके अलावा, हैरी पॉटर की श्रृंखला ने मुझे सिखाया कि कोई भी पूर्ण नहीं है। सभी के अंदर अच्छाई और बुराई है। हम वही हैं जो हम चुनते हैं जो हम बनना चाहते हैं। इससे मुझे बेहतर विकल्प बनाने और बेहतर इंसान बनने में मदद मिली। हम देखते हैं कि स्नेप जैसे सबसे त्रुटिपूर्ण पात्रों के अंदर कैसे अच्छाई थी। इसी तरह, डंबलडोर जैसे अच्छे लोगों में कुछ बुरे लक्षण कैसे थे। इसने लोगों के प्रति मेरे दृष्टिकोण को बदल दिया और मुझे और अधिक विचारशील बना दिया।

500+ Essays in Hindi – सभी विषय पर 500 से अधिक निबंध

अंत में, इन पुस्तकों ने मुझे आशा दी। उन्होंने मुझे आशा का अर्थ सिखाया और सुरंग के अंत में प्रकाश कैसे है। इसने मुझे हैरी के जीवन की तरह ही सबसे हताश समय में आशा करने की ताकत दी। ये कुछ सबसे जरूरी चीजें हैं जो मैंने हैरी पॉटर से सीखीं।

निष्कर्ष में, जबकि किताबों में कई फिल्में बनी थीं। कुछ भी नहीं किताबों का सार और मौलिकता धड़कता है। पुस्तकों के विवरण और समावेश को मीडिया के किसी भी रूप से प्रतिस्थापित नहीं किया जा सकता है। इसलिए, गॉब्लेट ऑफ फायर मेरी पसंदीदा पुस्तक बनी हुई है।

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