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रबीन्द्रनाथ टैगोर का जीवन परिचय – Rabindranath Tagore biography in Hindi
रबीन्द्रनाथ टैगोर का जीवन परिचय – Rabindranath Tagore biography in Hindi : रबीन्द्रनाथ टैगोर या रबीन्द्रनाथ ठाकुर विभिन्न प्रतिभाओं से निपुण व्यक्ति थे.
पूरी दुनिया भर में रबीन्द्रनाथ टैगोर को उनके साहित्यिक कार्य – कविता, नाटक और विशेष रूप से उनके गीत के लेखन के लिए पहचाना जाता हैं.
इसके अलावा गुरुदेव रबीन्द्रनाथ ठाकुर संगीतकार, दार्शनिक, समाज सुधारक और एक जाने माने चित्रकार थे. हमारे देश का राष्ट्रीय गान – जन गन मन… की रचना रबीन्द्रनाथ टैगोर की ही देन है. साहित्यिक क्षेत्र में अद्भुत योगदान के कारण रबीन्द्रनाथ टैगोर को नोबल पुरस्कार भी मिल चूका है.
क्या आप जानते है? नोबल पुरस्कार को प्राप्त करने वाले एशिया के प्रथम व्यक्ति रबीन्द्रनाथ टैगोर थे.
सर रबीन्द्रनाथ टैगोर(Rabindranath Tagore information) ने कम उम्र से लेखन कार्य शुरू कर दिया था. Rabindranath Tagore जब केवल सोलह वर्ष के थे, तब उन्होंने अपनी पहली लघु कहानी ‘भानिसिंह’ प्रकाशित की.
इस पोस्ट में हम आपको रबीन्द्रनाथ टैगोर के सम्पूर्ण जीवन का परिचय (Rabindranath Tagore biography in Hindi) करवाएंगे. इसलिए आप इस बायोग्राफी को अंत तक जरूर पढ़े.
रबीन्द्रनाथ टैगोर का जन्म और परिवार
Rabindranath Tagore introduction in Hindi : सर रबीन्द्रनाथ टैगोर को रबीन्द्रनाथ ठाकुर के नाम से भी जाना जाता हैं. रबीन्द्रनाथ टैगोर का जन्म 07 मई 1861 को कोलकात्ता में ब्राह्मण कुल में हुआ था.
रबीन्द्रनाथ टैगोर के पिताजी का नाम देवेन्द्रनाथ टैगोर और माता का नाम शारदा देवी था. रबीन्द्रनाथ टैगोर देवेन्द्रनाथ टैगोर की चौदहवीं संतान थे. रबीन्द्रनाथ टैगोर सहित वे चौदह भाई बहन थे.
पिताजी देवेन्द्र ठाकुर एक दार्शनिक, शास्त्रीय संगीतकार और यात्री थे. 1870 में बंगाल के पुन:जागरण के समय टैगोर परिवार अग्रणी था और अनेक साहित्यिक पत्रिकाओं का प्रकाशन किया.
कच्ची उम्र में ही माता के निधन हो जाने पर उनका पालन पोषण नौकरों के हाथो हुआ. कुछ समय बाद प्रारम्भिक शिक्षा समाप्त होने पर पढाई के लिए विदेश चले गए.
रबीन्द्रनाथ टैगोर की शिक्षा
उनकी आरंभिक शिक्षा कोलकत्ता के सम्मानित सैंट जेवियर स्कूल में हुई. इसके बाद उनका मन बैरिस्टर की पढाई करने का हुआ तो उन्होंने 1878 में अपना नाम इंग्लेंड के एक पब्लिक स्कूल में लिखा दिया. लेकिन, 1880 में डिग्री पूरी किये बिना ही वे भारत लौट आये.
रबीन्द्रनाथ टैगोर की शिक्षा इतनी प्रभाव शाली नहीं थी. स्कूल की शिक्षा का आनंद लेने की बजाय वे हमेशा कुछ न कुछ सोचते रहते थे. भले ही उनकी स्कूली शिक्षा अच्छी नही हुई हो लेकिन, वे हमेशा अपने साथ किताबें, कलम और स्याही रखते थे. रबीन्द्रनाथ टैगोर हमेशा कुछ न कुछ लिखते रहते थे.
रबिन्द्रनाथ टैगोर का करियर
life of Rabindranath Tagore in hindi : जब रबीन्द्रनाथ टैगोर मात्र आठ साल के थे, तब उन्होंने पहली बार एक कविता लिखी थी. उसके बाद सोलह वर्ष की उम्र में उनकी एक लघु कहानी ‘भानुसिंह’ नाम से प्रकाशित हुई. साहित्यिक क्षेत्र में उनका योगदान कीसी भी माप से परे हैं.
कलकत्ता के रहने वाले रबीन्द्रनाथ टैगोर की मातृभाषा बांग्ला थी. रबीन्द्रनाथ टैगोर ने बांग्ला में नए छंद, गद्य पेश किये. रबीन्द्रनाथ टैगोर ने अपनी शिक्षा तो छोड़ दी लेकिन साहित्य को नहीं छोड़ा.
साहित्य और कला के क्षेत्र में रबीन्द्रनाथ टैगोर ने अनेक कविताये, लघु कथाएं, नाटक और गीतों पर कई किताबें लिखी. रबीन्द्रनाथ टैगोर की सबसे प्रसिद्ध रचना ‘गीतांजलि’ हैं. पूरे भारत और इंग्लैंड सहित पूरे यूरोप में यह बहुत बड़े स्तर पर प्रकाशित हुई थी.
बांग्लादेश के राष्ट्र गान ‘अमर सोनार बांग्ला’ और भारत के ‘जन गन मन’ के रचियता रबीन्द्रनाथ टैगोर ही है.
इंग्लैंड से भारत लौटते ही सबसे पहले उन्होंने अपनी ‘मानसी’ पूस्तक को पूरा किया जो कि कविताओ कि श्रंखला थी. इस पुस्तक में राजनीतिक और सामाजिक व्यंग्य थे जो हास्यास्पद तरीके से बंगालियों पर सवाल उठाते और उनका मजाक उड़ाते थे. ऐसा कहा जाता हैं कि मानसी में उनकी सर्वश्रेष्ठ कवितायें लिखी गयी थी.
1883 में रबिन्द्रनाथ टैगोर ने मृणालिनी देवी से सादी कर ली थी. सादी के मात्र 4 महीनो के बाद उनकी भाभी कादम्बरी देवी ने आत्म हत्या कर ली थी. दरअसल इसके पीछे कुछ अनसुलझे तथ्य हैं, जिनकी चर्चा हम आगे करेंगे.
रबीन्द्रनाथ टैगोर एक सफल साहित्यिकार और कवि थे. रबीन्द्रनाथ टैगोर ने 2232 संगीत कृतियाँ लिखी और सफलतापूर्वक 12 पुस्तकें प्रकाशित की. उन्होंने बंगाली भाषा में प्राथमिक तौर पर लिखा लेकिन हिंदी क्षेत्र में भी उनका योगदान सराहनीय है. रबीन्द्रनाथ टैगोर की पुस्तके भारत के साथ साथ विदेशो में भी खूब चलती थी और आज भी चलती हैं.
साहित्य पर लिखने के अलावा उन्होंने अपना पारिवारिक व्यवसाय को भी संभाला. लगभग दस वर्षों तक वे शहजादपुर में अपनी पैतृक सम्पदा पर काम करते रहे.
60 वर्ष की उम्र में रबीन्द्रनाथ टैगोर (Rabindranath thakur) ने चित्रकारी क्षेत्र में अपना हाथ आजमाया, और समकालीन कलाकारों की सूची में अपना नाम शीर्ष पर दर्ज करवा लिया.
रविंद्रनाथ टैगोर का वैवाहिक जीवन
biography of Rabindranath Tagore : 1883 में रबिन्द्रनाथ टैगोर का विवाह 10 साल की लड़की मृणालिनी देवी से हुआ था. रबीन्द्रनाथ टैगोर और मृणालिनी के संयोग से पांच संतान हुई, जिसमे तीन पुत्रियाँ और दो पुत्र थे.
लेकिन, मृणालिनी देवी और टैगोर का सम्बन्ध ज्यादा लम्बा नहीं चला. 1902 में मृणालिनी की मृत्यु हो गई. इसके बाद उनकी दो बेटियों की भी मृत्यु हो गई. इसके बाद रबीन्द्रनाथ टैगोर ने फिर कभी सादी नहीं की.
नोबल पुरस्कार और रबीन्द्रनाथ टैगोर
रबीन्द्रनाथ टैगोर शुरुआत में केवल बांग्ला भाषा में लिखते थे. लेकिन जब उनकी पुस्तकों का अनुवाद दूसरी भाषा होना शुरू हो गया तो रबीन्द्रनाथ टैगोर द्वारा रचित गीतांजलि पश्चिमी देशो में खूब चली थी.
इसी के चलते उनको 1913 में महान साहित्यिक योगदान के लिए साहित्यिक नोबल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.
इसके कुछ समय बाद, 1915 में, ब्रिटिश सरकार द्वारा टैगोर को नाइट की उपाधि दी गई. 1940 में, टैगोर को ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय द्वारा डॉक्टरेट की उपाधि से सम्मानित किया गया था.
रवींद्रनाथ टैगोर को गुरु देव की उपाधि
history of Rabindranath Tagore in hindi : 6 मार्च 1915 को रवींद्रनाथ टैगोर ने गांधीजी को ‘महात्मा’ की उपाधि दी. उसके बाद महात्मा गांधीजी ने उनको गुरुदेव कहकर संबोधित किया.
इसके अलावा महात्मा गाँधी ने रविंद्रनाथ को विश्वकवि की उपाधि दी. रवींद्रनाथ टैगोर महात्मा गाँधी के काम से काफी प्रभावित थे.
रबीन्द्रनाथ टैगोर का आजादी लड़ाई में योगदान
चूँकि रबीन्द्रनाथ टैगोर एक कवि थे इसलिए समय समय पर उन्होंने अपनी कविताओं और लेखों के माध्यम से आवाज उठाई. रबीन्द्रनाथ टैगोर का आजादी लड़ाई में योगदान उनके द्वारा लिखे गए गीतों के माध्यम से देखा जा सकता हैं.
उन्होंने ब्रिटिश साम्राज्यवाद की निंदा की, उन्होंने ब्रिटिश शासन को जनता की सामाजिक “बीमारी” के रूप में देखा. उन्होंने अपने लेखन में, भारतीय राष्ट्रवादियों के समर्थन में आवाज उठाई.
रवींद्रनाथ टैगोर ने 1905 में बंगाल विभाजन के बाद बंगाली आबादी को एकजुट करने के लिए बांग्लार माटी बांग्लार जोल (हिंदी में – बंगाल की मिट्टी, बंगाल का पानी) गीत लिखा था.
जातिवाद के खिलाफ उन्होंने राखी उत्सव की शुरुआत की, जहां हिंदू और मुस्लिम समुदायों के लोगों ने एक-दूसरे की कलाई पर रंग-बिरंगे धागे बांधे.
जब अमृतसर में नरसंहार हुआ तो रबीन्द्रनाथ टैगोर ने लॉर्ड हार्डिंग द्वारा दी गई नाइटहुड का त्याग कर दिया. यह भी ब्रिटिश सरकर के विरुद्ध होने का प्रमाण हैं.
रबीन्द्रनाथ टैगोर का शिक्षा में योगदान
Gurudeva Rabindranath Tagore in Hindi: गुरुदेव रबिन्द्रनाथ टैगोर विश्वभारती विश्वविद्यालय के माध्यम से अद्वितीय योगदान दिया. विश्वभारती विश्वविद्यालय में स्वतंत्रतापूर्वक और रचनात्मक रूप से शिक्षा प्रदान की जाती थी.
ग्रामीण विकास के लिए रबिन्द्रनाथ टैगोर ने कहा था कि – ‘अगर गाँवो का विकास करना हैं तो पहले वहां के लोगो को शिक्षित करना होगा.’
सर रबीन्द्रनाथ टैगोर द्वारा दिए गए योगदान से प्रभावित होकर डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने निम्न पक्तियां कही हैं –
“टैगोर समझदारी के प्रतीक है, और मनुष्य की वह भावना है जिसने हमको नए समाज और नए सभ्यता को देखने के लिए मानव जाति के दिलों और और सोच को ऊपर उठाया.”
रवींद्रनाथ टैगोर और शांतिनिकेतन
शान्तिनिकेतन कोलकत्ता से 212 किलोमीटर की दुरी पर बीरभूम जिले में स्थित हैं. इसकी स्थापना टैगोर परिवार ने 22 दिसम्बर 2001 में की थी. आज के समय में शांति निकेतन एक पर्यटन स्थल के रूप ने गिना जाता हैं.
लेकिन शांतिनिकेतन उस समय एक बहुत बड़ा शिक्षण केंद्र था. शांतिनिकेतन का दूसरा नाम “विश्व भारती विश्वविद्यालय” हैं. रबीन्द्रनाथ टैगोर ने इस जगह के बारें में कई कविताएँ और गीत लिखे.
यह विश्वविद्यालय प्रत्येक विद्यार्थी के लिए खुला था जो कुछ सीखने के लिए उत्सुक था. इस विश्वविद्यालय में कक्षाएं और सीखने का दायरा चार दीवारों के भीतर सीमित नहीं था. इसके बजाय, विश्वविद्यालय के मैदान में विशाल बरगद के पेड़ों के नीचे, खुली जगह में कक्षाएं लगती थीं. यह उस वक्त एक रस्म थी.
रवींद्रनाथ टैगोर की मौत के साथ मुठभेड़
Rabindranath Tagore in Hindi story : जब रबीन्द्रनाथ टैगोर मात्र चौदह वर्ष के थे तब उनकी मां शारदा देवी का निधन हो गया. अपनी माँ के अचानक मौत के बाद उन्होंने स्कूल से परहेज करना शुरू कर दिया, और शहरों में यात्रा करना शुरू कर दिया.
माँ की मृत्यु के बाद उनकी भाभी कादंबरी देवी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. रबीन्द्रनाथ टैगोर अपनी भाभी से इतने प्रभावित थे कि उन्होंने इस पर एक उपन्यास ’नस्तानिरह’ लिख डाला.
सादी के चार महीनों के बाद भाभी कादम्बरी देवी ने आत्म हत्या कर ली थी. इस विषय को लेकर रविंद्रनाथ टैगोर पर कुछ अटकले लगाई जाती हैं कि उनके भाभी के साथ कुछ सम्बन्ध थे. लेकिन इसकी पुष्टि में कोई प्रमाण नहीं हैं.
बाद में, उनकी पत्नी मृणालिनी देवी की भी बीमारी के कारण मृत्यु हो गई. इसके बाद उन्होंने अपनी दो बेटियों को खो दिया, जिनको वे सबसे अधिक प्रेम करते थे. अपने परिवार की इतनी मौतों ने उनको अंदर तक झकझोर कर रख दिया, लेकिन फिर भी उन्होंने कलम उठाने मे संकोच नहीं किया.
रबीन्द्रनाथ टैगोर की मृत्यु कैसे हुई
Rabindranath Tagore death : अपने अंतिम समय में रबीन्द्रनाथ टैगोर जोरासंको हवेली के उपर के कमरे में रहते थे. 7 अगस्त 1941 को 80 वर्ष की आयु में रबीन्द्रनाथ टैगोर की मृत्यु हो गई.
रबीन्द्रनाथ टैगोर की प्रमुख कृतियाँ
गीतांजलि, पूरबी प्रवाहिनी, शिशु भोलानाथ, महुआ, वनवाणी, परिशेष, पुनश्च, वीथिका शेषलेखा, चोखेरबाली, कणिका, नैवेद्य मायेर खेला, क्षणिका रबीन्द्रनाथ टैगोर की प्रमुख कृतियाँ हैं.
इसके अलावा उन्होंने 2200 से अधिक गीत लिखे. सुनो दीपशालिनी, सखी आए वो कौन, दिन पर दिन रहे बीत, क्यों आँखों में छलका जल, खोलो तो द्वार – ये रबीन्द्रनाथ टैगोर के कुछ प्रमुख गीत है.
रबीन्द्रनाथ टैगोर से जुड़े कुछ तथ्य – Rabindranath Tagore facts in Hindi
गुरुदेव रबीन्द्रनाथ टैगोर नोबेल साहित्य पुरस्कार जीतने वाले पहले गैर-यूरोपीय व्यक्ति थे.
आप में से बहुत से लोग जानते हैं कि टैगोर ने 2 राष्ट्रगान लिखे थे. भारत के लिए “जन गण मन” और बांग्लादेश के लिए “अमर सोनार बांग्ला”. बहुत से लोग यह नहीं जानते हैं कि उन्होंने श्रीलंका के राष्ट्रगान “श्रीलंका मठ” की रचना भी की थी.
सर रबीन्द्रनाथ टैगोर को नोबल पुरस्कार में जो राशि मिली थी उस राशि से उन्होंने एक स्कूल का निर्माण करवाया, जिसका नाम विश्व-भारती रखा गया.
आपको जानकर आश्चर्य होगा कि रबीन्द्रनाथ टैगोर कलर ब्लाइंड थे. 60 साल की उम्र में उन्होंने पेंटिग का काम शुरू किया. उन्होंने पेंटिंग में बहुत अच्छा प्रदर्शन किया था. लेकिन वे हरे और लाल कलर के लिए ब्लाइंड थे.
रबीन्द्रनाथ टैगोर को नोबल पुरस्कार से मिले पदक को शांति निकेतन में रखा गया था. सन 2004 में उनका पदक चोरी हो गया था. बाद में पुन: दुसरे पदक उनको दिए गए.
सर रबीन्द्रनाथ टैगोर के नाम से आठ संग्रहालय बने हुए हैं. जिनमे से पांच बांग्लादेश में हैं और तीन भारत मे है.
उनकी बहन स्वर्णकुमारी देवी बंगाल की प्रसिद्ध और जानी मानी कवियत्रि और उपन्यासकार थी. संगीत और सामाजिक क्षेत्रों मे महत्व पाने वाली बंगाल की प्रथम महिला थी.
जब शुरुआत में रबीन्द्रनाथ टैगोर ने चित्रकारी शुरू की तो उनका हाथ बिलकुल नहीं जमता था. इसी बात को लेकर वे काफी ना-खुश थे.
इसी विचार पर उन्होंने एक बार जगदीशचंद्र बोस को लिखा, “जिस तरह एक माँ अपने बदसूरत बेटे को भी सबसे ज्यादा स्नेह करती हैं, उसी तरह मैं भी अपनी कलाकृति को चुपके से निहारता हूँ और खुश होता हूँ.
- रवीन्द्रनाथ टैगोर पर निबंध
- अबनिन्द्रनाथ टैगोर की जीवनी
- सत्येन्द्र नाथ बोस की जीवनी
- प्रतिभा पलायन पर निबंध
इस पोस्ट में आपने क्या सीखा(about Rabindranath Tagore in Hindi)…
रबीन्द्रनाथ टैगोर की जीवनी (Rabindranath Tagore Jivani in Hindi) में हमने रबीन्द्रनाथ टैगोर के जीवन (life of Rabindranath Tagore in Hindi) से जुड़े हर विषय को शामिल करने का प्रयास किया हैं.
हमें पूरी उम्मीद हैं कि आपको यह बायोग्राफी जरूर पसंद आयी होगी. अगर आपको रबीन्द्रनाथ टैगोर के जीवन से जुड़े तथ्य अच्छे लगे हो तो इस पोस्ट को आगे शेयर जरूर करें.
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- Jivan Parichay (जीवन परिचय) /
राष्ट्रगान के रचयिता और नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर का जीवन परिचय – Rabindranath Tagore Biography in Hindi
- Updated on
- फरवरी 10, 2024
Rabindranath Tagore Biography in Hindi: बिस्वाकाबी रवींद्रनाथ टैगोर को ‘गुरुदेव’ व ‘कबीगुरू’ के नाम से भी जाना जाता हैं। वह एशिया के प्रथम व्यक्ति थे जिन्हें वर्ष 1913 में साहित्य के प्रतिष्ठित ‘ नोबेल पुरस्कार’ (Nobel Prize) से सम्मानित किया गया था। माना जाता है कि उन्होंने 2000 से अधिक गीतों की रचना की हैं जिन्हें ‘रबींद्र संगीत’ (Rabindra Sangeet) कहा जाता है। वहीं उनकी कविता से भारत और बांग्लादेश को राष्ट्रगान मिले है। जहाँ ‘जन गण मन’ भारत का राष्ट्रगान बना तो दूसरी ओर बांग्लादेश का राष्ट्रगान ‘आमार सोनार बांग्ला’ बना। शायद आप जानते होंगे कि वे महात्मा गांधी के अच्छे मित्र थे और माना जाता है कि उन्होंने ही राष्ट्रपिता ‘ महात्मा गांधी ’ को ‘महात्मा’ की उपाधि दी थी।
रवींद्रनाथ टैगोर एक महान लेखक होने के साथ ही नाटककार, संगीतकार, चित्रकार, दार्शनिक और शिक्षाविद भी थे। बता दें कि उनकी रचनाओं को न केवल भारत के स्कूल, कॉलेजों व शैक्षणिक संस्थानों में पढ़ाया जाता है बल्कि उनकी रचनाएं पड़ोसी देश बांग्लादेश के स्कूली पाठ्यक्रम का भी हिस्सा हैं। आइए अब हम भारत के प्रथम नोबल पुरस्कार विजेता और विश्वकवि रवींद्रनाथ टैगोर का जीवन परिचय (Rabindranath Tagore Biography in Hindi) और उनकी साहित्यिक उपलब्धियों के बारे में विस्तार से जानते हैं।
This Blog Includes:
ब्रिटिश भारत में हुआ था जन्म – rabindranath tagore life story in hindi, बिना डिग्री लिए वापस भारत लौट – rabindranath tagore in hindi, ‘गीतांजलि’ के लिए मिला नोबेल पुरस्कार , ‘नाइटहुड’ की उपाधि लौटा दी , ‘शांति निकेतन’ की रखी नींव , उपन्यास , कहानी-संग्रह , अन्य , 7 अगस्त 1941 को हुआ था निधन – rabindranath tagore in hindi, पढ़िए भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय .
‘गुरुदेव’ रवींद्रनाथ टैगोर का जन्म 7 मई, 1861 को पश्चिम बंगाल की राजधानी कलकत्ता (पूर्व ब्रिटिश भारत) में एक संपन्न परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम ‘ देवेंद्रनाथ टैगोर’ था, जबकि माता ‘शारदा देवी’ थीं। वह अपने माता-पिता की तेरहवीं संतान थे। वहीं उनकी प्रारंभिक शिक्षा कलकत्ता में ही हुई। बता दें कि साहित्य के प्रति उन्हें बचपन से ही बहुत लगाव था उन्होंने मात्र 08 वर्ष की अल्प आयु में पहली कविता लिखी थी।
16 वर्ष की आयु में रवींद्रनाथ टैगोर की पहली लघुकथा प्रकाशित हुई थी। इसके बाद वह वकालत की पढ़ाई करने के लिए लंदन भी गए किंतु बिना डिग्री लिए ही वापस भारत लौट आए। फिर उनका संपूर्ण जीवन साहित्य, संगीत व कला के सृजन में बीता।
‘कबीगुरू’ रवींद्रनाथ टैगोर बंगला गद्य व काव्य के आधुनिकीकरण में अपना अग्रणी स्थान रखते हैं। आपको बता दें कि रवींद्रनाथ टैगोर को उनकी काव्यरचना ‘गीतांजलि’ (Gitanjali) के लिए वर्ष 1913 में साहित्य के सर्वोच्च सम्मान ‘नोबेल पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया था। वहीं, यह पुरस्कार जीतने वाले वह पहले गैर-यूरोपीय थे। हालांकि, रवींद्रनाथ टैगोर ने स्वयं नोबेल पुरस्कार नहीं लिया था बल्कि उनके स्थान पर तत्कालीन ब्रिटिश राजदूत ने यह पुरस्कार प्राप्त किया था।
वर्ष 1915 में तत्कालीन ब्रिटिश हुकूमत के किंग ‘ जॉर्ज पंचम’ ने रवींद्रनाथ टैगोर को ‘ नाइटहुड’ की उपाधि से नवाजा था। लेकिन वर्ष 1919 में जलियाँवाला बाग हत्याकांड के बाद उन्होंने नाइटहुड की उपाधि वापस लौटा दी थी।
रवींद्रनाथ टैगोर एक महान रचनाकार होने के साथ ही शिक्षाविद भी थे। उन्होंने वर्ष 1921 में ‘शांति निकेतन’ की स्थापना की थी। जिसे वर्तमान में केंद्रीय विश्वविद्यालय ‘विश्व-भारती’ के नाम से जाना जाता है।
रविंद्रनाथ टैगोर की प्रमुख रचनाएं
यहाँ विश्व कवि रवींद्रनाथ टैगोर का जीवन परिचय (Rabindranath Tagore Biography in Hindi) के साथ ही उनकी प्रमुख रचनाओं के बारे में भी विस्तार से बताया गया है, जो कि इस प्रकार हैं:-
- घरे बाइरे
- योगायोग
- गल्पगुच्छ
- गीतांजलि
- सोनार तरी
- भानुसिंह ठाकुरेर पदावली
- गीतिमाल्य
- मानसी
- वलाका
- विसर्जन
- डाकघर
- वाल्मीकि प्रतिभा
- अचलायतन
- The Religion of Man
- Nationalism
रवींद्रनाथ टैगोर का संपूर्ण जीवन साहित्य, संगीत और कला को समर्पित था। वहीं 7 अगस्त, 1941 को 80 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया। किंतु आज भी वह अपने अनुपम साहित्य और संगीत के लिए पूरे विश्व में विख्यात हैं और रहेंगे।
यहाँ राष्ट्रगान के रचयिता और नोबल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर का जीवन परिचय (Rabindranath Tagore Biography in Hindi) के साथ ही भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय की जानकारी भी दी जा रही हैं। जिसे आप नीचे दी गई टेबल में देख सकते हैं:-
रवींद्रनाथ टैगोर का जन्म 7 मई, 1861 को पश्चिम बंगाल की राजधानी कलकत्ता में हुआ था।
रवींद्रनाथ टैगोर को वर्ष 1913 में उनकी प्रसिद्ध काव्य रचना ‘गीतांजलि’ के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया था।
ब्रिटिश भारत के तत्कालीन किंग जॉर्ज पंचम ने उन्हें ‘नाइटहुड’ की उपाधि से नवाजा था।
यह रवींद्रनाथ टैगोर की लोकप्रिय उपन्यास है।
बता दें कि रवींद्रनाथ टैगोर ने विश्व भारती विश्वविद्यालय की स्थापना वर्ष 1921 में की थी।
रवींद्रनाथ टैगोर का 7 अगस्त, 1941 को निधन हुआ था।
आशा है कि आपको राष्ट्रगान के रचयिता और नोबल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर का जीवन परिचय (Rabindranath Tagore Biography in Hindi) पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचय को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।
Leverage Edu स्टडी अब्रॉड प्लेटफार्म में बतौर एसोसिएट कंटेंट राइटर के तौर पर कार्यरत हैं। नीरज को स्टडी अब्रॉड प्लेटफाॅर्म और स्टोरी राइटिंग में 2 वर्ष से अधिक का अनुभव है। वह पूर्व में upGrad Campus, Neend App और ThisDay App में कंटेंट डेवलपर और कंटेंट राइटर रह चुके हैं। उन्होंने दिल्ली विश्वविधालय से बौद्ध अध्ययन और चौधरी चरण सिंह विश्वविधालय से हिंदी में मास्टर डिग्री कंप्लीट की है।
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रबिन्द्रनाथ टागोर जीवनी
Rabindranath Tagore in Hindi
रबीन्द्र नाथ टैगोर एक ऐसे व्यक्तित्व थे जिन्होनें हर किसी के दिल में अपने लिए अमिट छाप छोड़ी है जिन्हें आज देश का बच्चा-बच्चा जानता है। रबीन्द्र नाथ टैगोर की ख्याति एक महान कवि के रुप में पूरे विश्व में फैली हुई है।
वे न सिर्फ एक विश्वविख्यात कवि थे बल्कि वे एक अच्छे साहित्यकार, कहानीकार, गीतकार, संगीतकार, नाटककार, निबंधकारस, चित्रकार, महान विचारक और दार्शनिक भी थे। रबीन्द्र नाथ टैगोर विलक्षण प्रतिभा के धनी व्यक्तित्व थे जिन्हें गुरूदेव कहकर भी पुकारा जाता था।
भारत का राष्ट्र-गान रबीन्द्रनाथ टैगोर की ही देन है। रबीन्द्रनाथ टैगोर को बचपन से ही कविताएं और कहानियां लिखने का बेहद शौक था। इसके साथ ही उन्हें प्रकृति से भी बेहद प्रेम था। कई बार तो वे प्रकृति को देखते-देखते इसी में खो जाया करते थे। और कल्पना किया करते थे।
आपको बता दें कि भारत के महान साहित्यकार रबीन्द्रनाथ टैगोर ने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान राष्ट्रीय चेतना को आकार देने में अहम भूमिका निभाई। इसके अलावा साल 1913 में, रबीन्द्र नाथ टैगोर को अपनी काव्य रचना ‘गीतांजलि’ के लिए साहित्य में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया और यह पुरस्कार प्राप्त करने वाले वे एशिया के पहले व्यक्ति थे।
वहीं भारतीय संस्कृति के सर्वश्रेष्ठ रूप से पश्चिमी देशों का परिचय और पश्चिमी देशों की संस्कृति से भारत का परिचय कराने में टैगोर ने अपनी महत्वपूर्ण भूमिका रही है और आमतौर पर उन्हें आधुनिक भारत का असाधारण सृजनशील कलाकार भी माना जाता है।
आज हम आपको महान कवि रबीन्द्रनाथ टैगोर की जन्म, शिक्षा, उनकी रचनाएं, उनके द्धारा किए गए महत्वपूर्ण काम और उनकी जीवन की उपलब्धियों के बारे में बताएंगे जिसे पढ़कर हर कोई प्रेरणा ले सकता है और अगर कोई इनके द्धारा बताए गए मार्ग पर चले तो वह निश्चित ही सफलता हासिल कर सकता है। तो आइए जानते हैं भारत के महान साहित्यकार रबीन्द्रनाथ टैगोर के बारे में –
रबिन्द्रनाथ टागोर जीवनी – Rabindranath Tagore Biography in Hindi
रबीन्द्रनाथ टैगोर के बारे में – Rabindranath Tagore Information in Hindi
रबीन्द्रनाथ टैगोर के बारेमें विस्तारपूर्वक जानकारी – rabindranath tagore information in hindi.
महान विचारक और दार्शनिक रबीन्द्रनाथ टैगोर, विलक्षण प्रतिभा के धनी व्यक्तित्व थे जो कि कोलकाता के जोड़ासाको की ठाकुरबाड़ी में एक प्रसिद्ध और समृद्ध बंगाली परिवार में 7 मई 1861 को जन्मे थे। उनके पिता का नाम देवेन्द्रनाथ टैगोर था जो कि ब्रह्मा समाज के एक वरिष्ठ नेता थे।
टैगोर परिवार के मुखिया और रबीन्द्र नाथ टैगोर जी के पिता जी एक बेहद ईमानदार, सुलझे हुए और सामाजिक जीवन जीने वाले व्यक्तित्व थे। वहीं इनकी माता का नाम शारदादेवी था जो कि एक साधारण सी घरेलू महिला थी। आपको बता दें कि रबीन्द्र नाथ टैगोर अपने माता-पिता के सबसे छोटे पुत्र थे।
रबीन्द्र नाथ टैगोर की शिक्षा – Rabindranath Tagore Education
रबीन्द्र नाथ टैगोर बचपन से ही बहुमुखी प्रतिभा के व्यक्तित्व थे। उन्होंने अपनी शुरुआती शिक्षा पहले तो घर पर ही ली फिर बाद में उन्होंने अपनी शिक्षा कोलकाता के एक मशहूर स्कूल सेंट जेवियर से ली थी।
आपको बता दें कि महान विचारक टैगोर जी के पिता एक समाजसेवी थे और वह हमेशा समाज की सेवा में ही जुटे रहते थे और वे अपने बेटे रबीन्द्र जी को भी एक बैरस्टिर बनाना चाहते थे।
इसके लिए रबीन्द्र जी के पिता ने उनका एडमिशन लंदन के एक विश्वविद्यालय में करवाया जहां उन्होंने कानून की पढ़ाई का अध्ययन किया लेकिन रबीन्द्र जी की रुचि हमेशा से ही साहित्य में थी इसलिए वे बिना डिग्री प्राप्त किए ही वापस भारत लौट आए।
दरअसल बचपन से ही रबीन्द्र जी का मन कहानियां और कविताएं लिखने में लगता था अर्थात उन्हें अपनी मन की भावनाओं को कागज पर उतारना बेहद पसंद था। यही वजह है कि उनमें साहित्यिक प्रतिभा भी जल्दी ही विकसित होने लगी थी। इसलिए बाद में उन्होंने एक महान कवि, विचारक और लेखक के रूप में अपनी एक अलग पहचान बनाई है।
रबीन्द्रनाथ टैगोर जी का साहित्य में योगदान और उनकी रचनाएं – Rabindranath Tagore Books
बचपन से ही उनके साहित्य की तरफ रुझान ने उन्हें एक महान कवि और मशहूर साहित्यकार बनाया। बेहद कम उम्र से ही रबीन्द्र नाथ जी को साहित्य की अच्छी जानकारी हो गई थी।
इसलिए उन्होंने महज 8 साल की उम्र में ही अपनी पहली कविता लिख ली थी। वहीं साल 1877 में रबीन्द्र नाथ जी जब 16 साल के थे तब उन्होंने लघु कथा लिख दी थी।
आपको बता दें कि रबीन्द्र नाथ जी ने करीब 2 हजार 230 गीतों की रचना की वहीं भारतीय संस्कृति में खासकर बंगाली संस्कृति में अपना अमिट योगदान दिया। वहीं उन्हें अपने साहित्यिक योगदान के लिए उन्हें साल 1913 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
टैगोर की रचनाओं की खासियत यह रही कि उन्होंने नए गद्य और छंद के साथ लोकभाषाओं का बखूबी इस्तेमाल किया। वहीं टैगोर जी रचनाएं बेहद सरल और आसान भाषा में होने की वजह से पाठकों के द्धारा खूब पसंद की गईं।
आपको बता दें कि साल 1880 के दशक में रबीन्द्र नाथ जी की कई रचनाएं प्रकाशित हुईं जबकि साल 1890 में रबीन्द्र नाथ जी ने मानसी की रचना की। रबीन्द्र नाथ जी की यह रचना उनकी विलक्षण प्रतिभा की परिपक्वता का परिचायक है।
आपको बता दें कि पूरी दुनिया के एकमात्र ऐसे साहित्यकार थे जिनकी दो रचनाएं दो देशों का राष्ट्रगान बनीं। भारत का राष्ट्र-गान ‘जन गण मन’ और बांग्लादेश का राष्ट्रीय गान ‘आमार सोनार बांग्ला’ गुरुदेव की ही रचनाएं हैं।
इसके अलावा गुरुदेव रबीन्द्रनाथ जी की सबसे लोकप्रिय रचना ‘गीतांजलि’ रही जिसके लिए उन्हें नोबेल पुरस्कार से नवाजा गया था। वहीं रबीन्द्र नाथ जी की रचना गीतांजलि की लोकप्रियता इतनी बढ़ गई कि बाद में इसका अंग्रेज़ी, जर्मन, फ्रैंच, जापानी, रूसी समेत दुनिया की सभी मुख्य भाषाओं में इसका अनुवाद किया गया। इसके बाद टैगोर जी की ख्याति पूरे विश्व में फैल गई और वे मशहूर होते चले गए।
रबीन्द्रनाथ जी की कहानियों में क़ाबुलीवाला, मास्टर साहब और पोस्टमास्टर काफी प्रसिद्ध हुईं। उनकी इन कहानियों को आज भी लोग उतने ही उत्साह से पढ़ते हैं।
चित्रकार के रुप में रबीन्द्र नाथ टैगोर – Rabindranath Tagore as a Painter
रबीन्द्र नाथ टैगोर एक अनुभवी और बेहतरीन चित्रकार थे। उनकी चित्रकारी करने का तरीका एकदम अलग और अद्भुत था, उनकी चित्रकारी में ही उनके महान विचारों की झलक दिखती थी हालांकि उन्हें कला की कोई औपचारिक शिक्षा हासिल नहीं की थी।
इसके बाबजूद उन्हें दृश्य कला के कई स्वरूपों की अच्छी समझ थी। महान साहित्यकार रबीन्द्र नाथ जी की कल्पना की शक्ति ने उनकी कला को जो विचित्रता प्रदान की है उसकी व्याख्या शब्दों में करना संभव नहीं है।
शांतिनिकेतन की स्थापना – Santiniketan Established
रबीन्द्रनाथ टैगोर कभी नहीं रुकने वाले और निरंतर काम करने पर भरोसा रखने वाले व्यक्तित्व थे। उन्होंने अपनी जीवन में कई ऐसे काम किए जिनसे न सिर्फ कई लोगों को फायदा मिला बल्कि उनके कामों के लिए उन्हें आज भी याद किया जाता है।
प्रकृति प्रेमी रबीन्द्र नाथ टैगोर जी ने साल 1901 में पश्चिम बंगाल के ग्रामीण क्षेत्र में स्थित शांतिनिकेतन में एक प्रायोगिक स्कूल की स्थापना की जहां उन्होंने भारत और पश्चिमी परंपराओं का मिलाने का अद्भुत प्रयास किया। दरअसल रबीन्द्र नाथ जी चाहते थे कि हर विद्यार्थी कुदरत या प्रकृति के समुख पढ़े, जिससे उन्हें पढ़ाई के लिए अच्छा माहौल मिल सके।
इसके बाद वे स्कूल में ही स्थायी रूप से रहने लगे और 1921 में ही शांतिनिकेतन विश्व भारती विश्व विद्यालय बन गया। आपको बता दें कि बाद में शांति निकेतन के संबंध में सरकारी नीतियों की भारी निंदा की गई जिसके बाद सरकारी सहायता मिलना बंद हो गई है यही नहीं शांति निकेतन का नाम पुलिस की ब्लैक लिस्ट में डाल दिया गया इसके साथ ही वहां पढ़ने वाले छात्रों के अभिभावकों को धमकी भरी चिट्टियां भेजी जाने लगी। आपको बता दें कि ब्रिटिश मीडिया ने अनमने ढंग से कभी टैगोर की सराहना की तो कभी तीखी आलोचना की।
रबीन्द्र नाथ टैगोर की उपलब्धियां और सम्मान – Rabindranath Tagore Awards
भारत के राष्ट्रगान जन-गण मन के रचयिता और महान साहित्यकार रबीन्द्र नाथ टैगोर जी को अपने जीवन में कई उपलब्धियों से नवाजा गया। उनकी सबसे प्रमुख रचना गीतांजलि के लिए साल 1913 में उन्हें नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
रबीन्द्रनाथ टैगोर ने भारत और बांग्लादेश के लिए राष्ट्रगान की रचना की। जिसके लिए उनकी ख्याति पूरी दुनिया में फैली हुई है और उन्हें आज भी याद किया जाता है।
रबीन्द्र नाथ टैगोर की मृत्यु – Rabindranath Tagore Death
रबीन्द्र नाथ टैगोर जी अपने जीवन के आखिरी समय में बीमार चल रहे थे जिसकी वजह से उन्हें इलाज के लिए शांतिनिकेतन से कोलकाता ले जाया गया था जहां उन्होंने 7 अगस्त 1941 को अपनी आखिरी सांस ली थी।
रवीन्द्र नाथ जी एक ऐसा व्यक्तित्व थे जिसने अपने प्रकाश से सब जगह रोशनी बिखेरी। वह भारत की एक अनमोल विरासत थे। साहित्य की शायद ही ऐसी कोई शाखा हो जिनमें उनकी रचना न हो। एक कवि, नेता या लेखक के रूप में उनकी व्याख्य शायद शब्दों में करना बेहद मुश्किल है। साहित्य में उनके योगदान के लिए उन्हें हमेशा याद किया जाएगा। रबीन्द्र नाथ टैगोर जी को हमारी टीम की तरफ से शत-शत नमन।
- Rabindranath Tagore Poems
- Quotes by Rabindranath Tagore
Note : अगर आपके पास Rabindranath Tagore History in Hindi के बारे मैं और Information हैं। या दी गयी जानकारी मैं कुछ गलत लगे तो तुरंत हमें कमेंट मैं लिखे हम इस अपडेट करते रहेंगे। अगर आपको हमारे रबीन्द्रनाथ ठाकुर आर्टिकल अच्छे लगे तो जरुर हमें Facebook पे Like और Share कीजिये।
3 thoughts on “रबिन्द्रनाथ टागोर जीवनी”
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प्रसिद्ध कवि: रबीन्द्रनाथ टैगोर का जीवन परिचय
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रबीन्द्रनाथ टैगोर एक महान कवि है साथ में कहानीकार, गीतकार, संगीतकार, नाटककार, निबंधकार तथा चित्रकार थे।
रबीन्द्रनाथ टैगोर का जीवन परिचय: रबीन्द्रनाथ टैगोर के बारे में आपको पूरी जानकारी मिलेगी , रबीन्द्रनाथ टैगोर निबंध आपको यहां मिलेगा।
रबीन्द्रनाथ टैगोर की जीवनी
रबीन्द्रनाथ टैगोर का जन्म 07 मई 1861 को कोलकाता में एक अमीर बंगाली परिवार में हुआ था।
रबीन्द्रनाथ टैगोर के पिता श्री देवेन्द्रनाथ टैगोर और उनकी माता का नाम श्रीमती शारदा देवी है, रबीन्द्रनाथ टैगोर की शुरुआती पढ़ाई जेवियर स्कूल से हुई। रबीन्द्रनाथ टैगोर बचपन से ही प्रतिभाशाली थे, उन्हें कला की कोई औपचारिक शिक्षा नहीं मिली।
रबीन्द्रनाथ टैगोर वकील बनने के लिए लंदन भी गए थे लेकिन वहां से पढ़ाई पूरी किये बिना ही वापस आ गए उसके बाद उन्होंने घरेलू जिम्मेदारियों को देखा।
Information About Rabindranath Tagore in Hindi
रबीन्द्रनाथ टैगोर बायोग्राफी की बात करे तो रबीन्द्रनाथ टैगोर एक बहुत बड़े कवि के साथ साथ बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। कोलकाता के जोड़ासांको की ठाकुरबाड़ी में, प्रसिद्ध और समृद्ध बंगाली परिवार में से था।
रबीन्द्रनाथ टैगोर के घर में जो मुखिया थे वे रबीन्द्रनाथ टैगोर के पिता श्री देवेन्द्रनाथ टैगोर जो कि ब्रह्म समाज के वरिष्ठ नेता था। रबीन्द्रनाथ टैगोर के पिता जी बहुत ही सीधे और सामान्य जीवन जीने वाले व्यक्ति थे। रबीन्द्रनाथ टैगोर की माता शारदा देवी जी बहुत सीधी घरेलू महिला थी।
रबीन्द्रनाथ टैगोर का जन्म 07 मई 1861 को श्री देवेन्द्रनाथ टैगोर के घर हुआ। रबीन्द्रनाथ टैगोर, श्री देवेन्द्रनाथ टैगोर के सबसे छोटे पुत्र थे। रबीन्द्रनाथ टैगोर को गुरु देव भी कहा जाता है।
Biography of Rabindranath Tagore in Hindi – Education
रबीन्द्रनाथ टैगोर बचपन से बहुत प्रतिभाशाली थे, बहुत ज्ञानी थे, रबीन्द्रनाथ टैगोर की शिक्षा कोलकाता से हुई। रबीन्द्रनाथ टैगोर ने सेंट जेवियर नामक मशहूर स्कूल से पढ़ाई की।
रबीन्द्रनाथ टैगोर के पिता जी उन्हें शुरू से बैरिस्टर बनाना चाहते थे, रबीन्द्रनाथ टैगोर की रुचि साहित्य में थी।
रबीन्द्रनाथ टैगोर सन् 1878 में लंदन के विश्वविद्यालय में दाखिला हुआ लेकिन रबीन्द्रनाथ टैगोर की बैरिस्टर की पढ़ाई में रूचि नही थी जिस कारण सन् 1880 में वे बिना डिग्री लिए ही लन्दन से वापस आ गए थे।
रबीन्द्रनाथ टैगोर की रचनाएँ
रबीन्द्रनाथ टैगोर को प्रकृति से बहुत लगाव था उनका मानना था कि सभी विद्यार्थियों को प्राकृतिक माहौल में ही पढ़ाई करनी चाहिए। रबीन्द्रनाथ टैगोर एक ऐसे कवि है जिनकी लिखी हुई दो रचनाएँ भारत और बांग्लादेश का राष्ट्रगान बनी।
»» रबीन्द्रनाथ टैगोर जन गण मन
रबीन्द्रनाथ टैगोर की रूचि बहुत से क्षेत्र में थी जिस कारण वे एक महान कवि, साहित्यकार, लेखक, चित्रकार और एक बहुत अच्छे समाजसेवी भी थे।
रबीन्द्रनाथ टैगोर की पहली कविता उन्होंने बचपन में लिख दी थी जब उनकी आयु केवल 8 वर्ष थी। जब उन्हें खेलना होता था तब वे अपनी कविताओं में व्यस्त रहते थे। रबीन्द्रनाथ टैगोर ने सन् 1877 में अर्थात महज सोलह साल की उम्र में ही लघुकथा लिख दी थी।
रबीन्द्रनाथ टैगोर ने, करीब 2230 गीतों की रचना की भारतीय संस्कृत में, जिसमें खास कर बंगाली संस्कृत में बहुत बड़ा योगदान दिया।
Short Marriage Life History of Rabindranath Tagore in Hindi
सन् 1883 में मृणालिनी देवी के साथ उनका विवाह संपन्न हुआ।
Rabindranath Tagore Story in Hindi
रबीन्द्रनाथ टैगोर की कविताओं को सबसे पहले विलियम रोथेनस्टाइन ने पढ़ा और ये रचनाएं उन्हें इतनी अच्छी लगी की उन्होंने पश्चिमी जगत के लेखकों, कवियों, चित्रकारों और चितकों से टैगोर का परिचय कराया।
काबुलीवाला, मास्टर साहब और पोस्टमास्टर यह उनकी कुछ प्रमुख प्रसिद्ध कहानियां है। उनकी रचनाओं के पात्र रचना खत्म होने तक में असाधारण बन जाते हैं। सन् 1902 तथा सन् 1907 के मध्य उनकी पत्नी और 2 संतानों की मृत्यु का दर्द इसके बाद की रचनाओं में साफ दिखाई दिया।
रबीन्द्रनाथ टैगोर को अपने जीवन में कई उपलब्धियां और सम्मान मिला है सबसे प्रमुख ‘ गीतांजलि’ सन् 1913 में गीतांजलि के लिए रबीन्द्रनाथ टैगोर को “नोबेल पुरस्कार” से सम्मानित किया गया।
रबीन्द्रनाथ टैगोर ने भारत और बांग्लादेश को उनकी सबसे बड़ी अमानत के रूप में राष्ट्रगान दिया है जो कि अमरता की निशानी है हर जगह छोड़ दी है। हर सरकारी महत्वपूर्ण अवसर पर रबीन्द्रनाथ टैगोर के गान राष्ट्रगान को गाया जाता है जिसमें भारत का “ जन-गण- मन ” और बांग्लादेश का “आमार सोनार बंगला” है। केवल यही नही रबीन्द्रनाथ टैगोर ने अपने जीवन में तीन बार अल्बर्ट आइंस्टीन जैसे प्रसिद्ध वैज्ञानिक से मुलाकात की। अल्बर्ट आइंस्टीन रबीन्द्रनाथ टैगोर को रब्बी टैगोर कह कर बुलाया करते थे।
Rabindranath Tagore Award Information in Hindi
रबीन्द्रनाथ टैगोर सन् 1940 में, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने उन्हें शांतिनिकेतन में आयोजित एक विशेष समारोह में डॉक्टर ऑफ लिटरेचर से सम्मानित किया गया था।
अंग्रेजी बोलने वाले राष्ट्रों में उनकी सबसे अधिक लोकप्रियता उनके द्वारा की गई रचना ‘गीतांजलि : गीत की पेशकश’ से बढ़ी, इससे उन्होंने दुनिया में काफी ख्याति प्राप्त की और उन्हें इसके लिए साहित्य में प्रतिष्ठित नॉबेल पुरस्कार जैसा सम्मान दिया गया। उस समय वह नॉन यूरोपीय और एशिया के पहले नॉबेल पुरस्कार प्राप्त करने वाले विजेता बने।
सन् 1915 में उन्हें ब्रिटिश क्राउन द्वारा नाइटहुड भी दिया गया था, किन्तु जलियांवाला बाग नरसंहार के बाद उन्होंने 30 मई 1919 को अपने नाइटहुड को छोड़ दिया, उन्होंने कहा कि उनके लिए नाइटहुड का कोई मतलब नहीं था, जब अंग्रेजों ने अपने साथी भारतीयों को मनुष्यों के रूप में मानना भी जरूरी नहीं समझा।
रबीन्द्रनाथ टैगोर का जीवन परिचय और वाद विवाद
रबीन्द्रनाथ टैगोर को पेड़-पौधों की आँचल में रहना पसंद था जिसके फलस्वरूप उन्होंने शांतिनिकेतन की स्थापना की उस समय शान्तिनिकेतन को सरकारी आर्थिक सहायता करना बंद कर दिया था और पुलिस की काली सूची में उनका नाम डाल दिया और वहां पढ़ने वाले विद्यार्थियों के अभिभावकों को धमकी भरे पत्र भेजा जाने लगा। ब्रिटिश मीडिया द्वारा अजीब तरीके से कभी टैगोर की प्रशंसा की तो कभी तीखी आलोचना की, इस महान रचनाकार ने 2,000 से भी ज्यादा गीत लिखें।
सन् 1919 में हुए जलियांवाला हत्याकांड की टैगोर ने जमकर निंदा की और इसके विरोध में उन्होंने अपना “सर” का ख़िताब लौटा दिया। इस पर अंग्रेजी अखबारों ने टैगोर की बहुत बेइज्जती की।
- विरासत (Legacy)
रबिन्द्रनाथ टैगोर जी के द्वारा लिखी गई कविताओं को व उनके कार्यों का अनुवाद अंग्रेजी, डच, जर्मन, स्पेनिश आदि भाषाओं में भी किया गया और दुनिया भर में लेखकों की पूरी पीढ़ी को प्रभावित किया।
उनके द्वारा किये गए कार्यों का प्रभाव न सिर्फ बंगाल एवं भारत में था बल्कि यह दूर – दूर तक फैला हुआ था इसलिए उनके कार्यों का अनुवाद अंग्रेजी, डच, जर्मन, स्पेनिश आदि भाषा में भी किया गया था।
Rabindranath Tagore Death Date: रबीन्द्रनाथ टैगोर की मृत्यु कब हुई?
रबीन्द्रनाथ टैगोर का व्यक्तित्व ऐसा था की लोगों के दिलों में जगह बना ली थी। रबीन्द्रनाथ टैगोर भारत के बहुमूल्य रत्न है, एक हीरा है जिसकी रौशनी चारों दिशा में फैली है जिससे भारतीय संस्कृति का अद्भुत, गीत, कथाये, उपन्यास, लेख प्राप्त हुए हैं।
रबीन्द्रनाथ टैगोर का निधन 07 अगस्त 1941 को कोलकाता में हुआ।
रबीन्द्रनाथ टैगोर बेशक हमें छोड़ कर चल गए हों मगर उनकी यादें हमेशा हमारे साथ रहेंगी। रबीन्द्रनाथ टैगोर जी की कविता हमेशा उनकी याद दिलाती रहेंगी, रबीन्द्रनाथ टैगोर जी मर कर भी अमर है….
10 Lines About Rabindranath Tagore in Hindi
रबीन्द्रनाथ टैगोर जब केवल 8 साल की उम्र के थे तब उन्होंने अपने जीवन की कविता का लेखन शुरू कर दिया था।
रबीन्द्रनाथ टैगोर शुरू से ही औपचारिक शिक्षा एवं स्ट्रक्चर्ड शिक्षा प्रणाली को बहुत ही तुच्छ मानते थे, इसलिए उन्हें स्कूल एवं कॉलेज की शिक्षा प्राप्त करने में कोई दिलचस्पी नहीं थी।
रबीन्द्रनाथ टैगोर द्वारा की गई भारतीय साहित्य और कला में क्रांति के चलते उन्होंने बंगाल में पुनर्जागरण आंदोलन शुरू किया उन्होंने प्रसिद्ध जर्मन वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन के साथ समानता बनाये रखी और ये दो नोबेल पुरस्कार विजेताओं ने एक – दूसरे की प्रशंसा की।
फिल्म निर्माता सत्यजित राय टैगोर के कार्यों से गहराई से प्रभावित थे और राय की ‘पथेर पांचाली’ में प्रतिष्ठित ट्रेन के दृश्य, टैगोर जी की ‘चोखेर बाली’ में दर्शाई गई एक घटना से प्रेरित थे। वह एक महान संगीतकार भी थे, उन्होंने लगभग 2,000 से भी अधिक गीतों की रचना की।
ये तो सभी जानते हैं कि भारत और बांग्लादेश जैसे देशों के राष्ट्रीय गान को लिखने वाले गीतकार टैगोर जी ही थे, लेकिन आप सभी ये नहीं जानते कि श्रीलंका का राष्ट्रीय गान सन् 1938 में टैगोर द्वारा लिखे गये बंगाली गीत पर आधारित है।
Rabindranath Tagore Quotes in Hindi
जिस तरह से पत्ते की नोक पर ओस की बूँदें नृत्य करती है उसी प्रकार अपने जीवन को समय के किनारों पर हल्के से नृत्य करने दें।
प्रिय छात्रों, रबीन्द्रनाथ टैगोर की जीवनी पढ़ कर अच्छा लगा हो तो शेयर करना न भूलें। लोगों के अंदर रबीन्द्रनाथ टैगोर की यादों को बरकरार रखने के लिए रबीन्द्रनाथ टैगोर के बारे में लोगों को जरूर बताएं और कमेंट करना न भूलें।
- विद्योत्तमा और कालिदास की कहानी
- तेनालीराम की कहानी
- शहीद भगत सिंह की देशभक्ति कविता और नारे
- 14 नवंबर बाल दिवस पर अच्छी कविताएं
- 2 अक्टूबर गांधी जयंती पर कविता
- अटल बिहारी वाजपेयी की कविताएं
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Ravinder nath tagore ke adaitbad ke bare me batao please
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भाई आपने बहुत ही अच्छी तरह से निबंध लिखा है इस निबंध को पढ़कर कोई भी आसानी से समझ सकता है आपका बहुत बहुत धन्यवाद
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रबीन्द्रनाथ टैगोर का जीवन परिचय : रवीन्द्रनाथ टैगोर की प्रमुख रचनाएँ
रबीन्द्रनाथ टैगोर का जीवन परिचय.
रवीन्द्रनाथ टैगोर सरस्वती के इस वरद पुत्र ने लक्ष्मी की गोद में भारत की महानगरी कलकत्ता में 7 मई, 1861 को जन्मग्रहण किया। इनके पिता महर्षि देवेन्द्रनाथ ठाकुर ब्राह्यसमाज के संस्थापकों में अग्रण्य थे। बड़े घर के लड़कों की तरह इनका बचपन नौकरों के ठोकर एवं दुःखद नियंत्रण में बीता। इन्होंने अपने बचपन के बारे में स्वयं लिखा है- “जिस प्रकार हिंदुस्तान के इतिहास में गुलाम घराने का शासन सुखदायी नहीं था,
उसी प्रकार मेरे जीवन का इतिहास में नौकरों के शासनकाल का समय भी सानंद नहीं बीता। जब मुझपर मार पड़ती , मैं चिल्लाता। मेरे इस दुर्व्यवहार को दंड की व्यवस्था करनेवाले अपने शासन के खिलाफ विद्रोह मानते और उसे शांत करने के लिए मेरा सिर पानी से भर नादों में किस तरह डुबाया जाता, यह मैं नहीं भूल सकता।
नौकरों की बात कौन कहे, शिक्षकों ने भी इन्हे कम यातना नहीं दी थी। कभी-कभी तो इन्हे चिलचिलाती धूप में घंटों खड़ा रहना पड़ता था। बचपन में ही इनकी माँ परलोक सिधार गई, इसलिए उनका स्न्नेहांचल इन्हे उपलब्ध नहीं हो सका। इन सारी घटनाओं एवं नियंत्रण जीवन ने इन्हे प्रकृति की और उन्मुख कर दिया। जब ये नीले आकाश के मैदान में बादलों की गुलाबी धूप होती, तब ये बागों की ओर दौड़ जाते।
इन्होंने कलकत्ता के ओरियंटल सेमिनरी, नॉर्मल स्कूल, बंगाल अकादमी तथा सेंट जेविवयर्स कॉलेज में शिक्षा प्राप्त की। घर पर भी इनके लिए विभिन्न विषयों के सुयोग्य शिक्षकों की व्यवस्था की गई। 1878 ई० में ये उच्च शिक्षा के लिए इंगलैंड भेजे गए। पहले तो इतनी शिक्षा ब्राइटन के पब्लिक स्कूल में हुई, फिर ये लंदन-विश्वविद्याल में भर्ती हुए। इंगलेंड में ये दो वर्ष रहे। उपाधि-प्राप्ति की दृष्टि से यह प्रवास महत्वपूर्ण नहीं है, किन्तु कवि की अनुभवकोष-वृद्धि की दृष्टि से ही महत्वपूर्ण है।
बचपन से इनका झुकाव कविता की ओर था। इनकी सबसे पहली कविता ‘अभिलाष’ शीर्षक से ‘त्तवबोधिनी’ पत्रिका में छपी। इस समय ये केवल तेरह वर्ष के थे। आरंभ में रविबाबू चांदीदास और वीद्यापति जैसे वैष्णव कवियों का अनुकरण करते थें , किन्तु बाद में इनकी मौलिक रचनाएँ प्रकाश में आने लगी। अठारह वर्ष की उम्र के बाद इनकी रचनाओं की झड़ी लग गई। शायद ही ऐसा कोई वर्ष हो, जिसमें इनकी कोई जोरदार मौलिक रचना न आई हो।
Rabindranath Tagore Biography in Hindi
23 वर्ष की उम्र में इनकी जीवन का दुसरा आध्याय खुलता है। इनका विवाह मृणालिनी देवी के साथ हुआ और साथ-ही-साथ अपने पिता की जमींदारी की देखरेख के लिए इन्हे सियालदह जाना पड़ा। सियालदह में इन्होंने सामान्य मनुष्य के जीवन को बड़े ही निकट से देखा। इसी काल में इन्होंने ‘चित्रांगदा’, ‘राजा ओर रानी’ जैसी रचनाएँ प्रस्तुत कीः ,’साधना’ नामक पत्रिका का भी संपादन किया। इतनी कम उम्र में ही रविबाबू बंगाल की पत्र-पत्रिकाओं पर छा गए। वह पत्र क्या, जिसमें रविबाबू की कविता, कहानी, उपन्यास, निबंध कुछ-न-कुछ न हो।
40 वर्ष की उम्र में इनके जीवन में अमावस्या आई। पत्नी का देहांत, पुत्री का निधन, कनिष्ठ पुत्र की मृत्यु। दुर्दैव एक के बाद एक वजरप्रहार करता रहा, किन्तु महाकवि अविचल भाव से अपनी साहित्य-साधना में लगे रहें। रवींद्र नाथ टैगोर ने अपने जीवन में शिक्षा का बड़ा ही कटु अनुभव किया था। स्कूलों को ये कारखाने जैसा समझते थें। जैसे घंटी बजाकर साढ़े दस बजे कारखाना खुलता है और कलों का चलना आरंभ हो जाता है, वैसे ही दस बजे घंटी बजाकर स्कूल खुलता है और मास्टरों के मुह चलने लगते हैं। वहाँ शिक्षकों से जिस प्रकार की विद्या प्राप्त होती थी, उनका जीवन और समाज के साथ मेल नहीं हो पाता था अतः वह शिक्षा-प्राणहीन होती थी।
इसीलिए ये प्राचीन ऋषियों की परंपरा के विद्यालय की स्थापना करना चाहते थें, जहाँ मृरगछौने मृगदेवों में कैद नहीं किए जाते, जहाँ शिक्षार्थी चारदीवारियों में बंद नहीं किए जाते। महाकवि का यह स्वप्रं तब साकार हुआ, जब इन्होंने 1901 ई० में ‘शांतिनिकेतन’ की स्थापना की। ‘शांतिनिकेतन’ इस हिंसा-विद्वेष से जर्जर सागर में एक ऐसा आलोकस्तंभ है, जिससे रकतसिंधु में डूबती-तैरती मानव जाति को सुरक्षा की आशा किरणों प्राप्त होती है।
रबीन्द्रनाथ टैगोर की प्रमुख रचनाएँ
आरंभ में तो वह केवल दो-तीन दिन छात्र थे, लेकिन धीरे-धीरे क्षात्र की संख्या सैकड़ों तक पहुँच गई। आज शांतिनिकेतन ‘विश्वभारती विश्वविद्यालय’ के नाम से प्रसिद्ध है। ‘विश्वभारती’ सचमुच विश्वभारती है। यहाँ आ कर राष्टीयता के तंग घेरे समाप्त हो जाते हैं और मानव विषवबंधुत्व के दिव्यमंत्र से दीक्षित हो जाता है। यह शिक्षा, शांति एवं स्नेह का पावन प्रयाग है, कला साधना की तपोभूमि है, नालंदा एवं विक्रमशीला जैसे प्राची भारतीय विश्वविद्यालयों की अस्फुर्तिदायिनी जागृति है।
कवि की कीर्तिपताका सात समुद्रों की उत्तल तरंगों पर पहराने लगी, जब 1913 ई० में इनकी ‘गीतांजलि’ नोबेल-पुरस्कार से विभूषित की गई। ‘ गीतांजलि ‘ की उपमा उस ज्योत्सनास्नात सौध से दी जा सकती है, जिसकी निर्माण दिव्य उपकरणों से हुआ है। ‘गीतांजल’ वह दिव्यांबर है, जिसमें कवि की दिव्य दृष्टि के मूल्यवान तारे जड़े है। इन गीतों में कवि ने अपने आत्मा का अमृतासव ही मानो पंडित पाठकों के लिए उपस्थित किया है। गीतांजलि का एक-एक गीत भावों से लबालब और संगीत की माधुरी से सिक्त मधुचक्र है।
जब-जब देश पर संकट के बादल घिरते थे, कवीन्द्र बहुत व्यथित ही उठते थे और उसके प्रतिकार-हेतु विचार देते थे। गांधी जी इनसे इतने प्रभावित थे कि इन्हे ‘गरुदेव’ कहकर अपनी भक्ति समर्पित करते थे। आज स्वतंत्र भारत में इनका गीत ‘जन-गण-मन अधिनायक जय है, भारत भाग्यविधात’ राष्ट्रीय गान का गौरव पाकर हमारे हृदय में एकता एवं स्वातंत्र्य की गंगा-यमुना बहा रहा है।
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रबीन्द्रनाथ टैगोर की जीवनी
महाकवि रवीन्द्रनाथ ठाकुर प्रतिभा की विपुलता एवं भरस्वरता के द्वारा लगभग पाँच युगों तक साहित्य के आकाश पर जाज्वल्यमान नक्षत्र की भाँती परिदीप्त होते रहें। कलामय अभिव्यक्ति का शायद ही कोई कोना हो, जो इनके लिए अनदेखा रह गया हो। इनकी प्रतिभा जिस दिशा में गई, नवीन मार्ग बनाकर फूलों की फसल उगाती गई। इनके पारस-परस से साहित्य की सारी विधाएँ स्वर्ण बन गई।
ये केवल बँगला-साहित्य के पुरोधा नहीं थे, वरन् विषवसाहित्य के मार्गदर्शक भी हुए। संगीत और नृत्य पर लगे कलंक के धब्बे का इन्होंने मार्जन किया और बंगाल के संभ्रांत गृहों को नृत्य-संगीत का प्रतिष्ठित रंगमंच बना दिया। अपने वार्द्धक्य में इन्होंने कुछ आड़ी-तिरछी रेखाएँ खिचीं और चित्रकला की नई सरणि बना दी। आज इनके बनाए चित्र ऊँचे दामों पर बिकते हैं।
जीवन की अस्सी वसंतों की रंगिनियों की सौगात लूटाकर ये ऋतुराज (निधन 7 अगस्त, 1941 को) हमारी आँखों से सदा के लिए तिरोहित हो गए। सदेह ज्योति-निर्झर, भले ही हमारे बीच से उठा गया हो, किन्तु इनके साहित्य का जो अक्षय मधुनिर्झर है, वह हमें संतृप्त करने के लिए सदा झरता रहेगा, इनके शक्तिस्रोत से हम अपने में नित्य नई शक्ति भरकर आगे बढ़ते रहेंगे।
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रबीन्द्रनाथ टैगोर का जीवन परिचय | Rabindranath Tagore Biography in Hindi
रबीन्द्रनाथ टैगोर की जीवनी, इतिहास, रचनाएँ और मृत्यु | Rabindranath Tagore Biography (Birth, Education) , History, Literarture Work and Death in Hindi
माँ भारती के शिखर-पुत्रों में से एक, कवि कुलगुरु रबीन्द्रनाथ टैगोर संवेदना, रचनात्मकता, नैतिकता और प्रगतिशीलता के ज्वलंत प्रेरक पुंज थे. वे राष्ट्रीय गान के रचनाकार और साहित्य के नोबेल पुरस्कार विजेता भी थे. वह बंगाली कवि, ब्रह्म समाज के दार्शनिक, चित्रकार और संगीतकार थे. वह एक सांस्कृतिक समाज सुधारक भी थे. आज भी रविन्द्रनाथ टैगोर को उनके काव्य गीतों और साहित्य रचना के लिए जाना जाता है. उनके साहित्य आध्यात्मिक और मर्यादा पूर्ण रूप से अपने कार्यों को प्रस्तुत करते थे. वे अपने समय की उन महान शख्सियत में से है जिन्होंने साहित्य के क्षेत्र में अभूतपूर्व योगदान दिया.
अपनी साहित्यिक परिभाषा के कारण ही उन्हें अल्बर्ट आइंस्टीन जैसे वैज्ञानिकों के साथ उनकी बैठक विज्ञान और आध्यात्मिकता के बीच संघर्ष के रूप में जानी जाती है. रविन्द्रनाथ टैगोर ने अपने साहित्यिक परिश्रम से दुनिया के सभी हिस्सों में अपनी विचारधारा को फैलाने का कार्य किया. उन्होंने जापान और संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे देशों में भाषण दिए तथा सम्पूर्ण विश्व का दौरा किया. वे नोबेल पुरस्कार जीतने वाले पहले ही गैर यूरोपीय थे. भारतीय राष्ट्रगान जन गण मन के अलावा उन्होंने “अमर सोनार बांग्ला” की रचना की थी. जिसे बांग्लादेश के राष्ट्रीय गान के रूप में अपनाया गया. श्रीलंका के राष्ट्रीय गान का भी रविन्द्रनाथ टैगोर की कलम से सृजन हुआ है.
रविंद्र नाथ टैगोर जन्म और प्रारंभिक शिक्षा (Rabindranath Tagore Birth and Initial Life)
रवीना टैगोर का जन्म 7 मई 1861 में कोलकाता के जोड़ासाँको की हवेली में हुआ था. उनके पिता का नाम देवेंद्र नाथ टैगोर था. इनके पिता ब्रह्म समाज के एक वरिष्ठ नेता और सादा जीवन जीने वाले व्यक्तित्व थे. इनकी माता का नाम शारदा देवी था. वे एक धर्म परायण महिला थी. परिवार के 13 बच्चों में सबसे छोटे रविन्द्रनाथ टैगोर ही थे. बचपन में ही टैगोर की माता जी का निधन हो गया था. जिसकी वजह से उनका पालन पोषण नौकरों द्वारा ही किया गया. रबिन्द्रनाथ की प्रारंभिक शिक्षा सेंट जेवियर स्कूल में हुई.
रबिन्द्रनाथ टैगोर का विवाह (Rabindranath Tagore Marriage)
वर्ष 1883 रबिन्द्रनाथ टैगोर का विवाह म्रणालिनी देवी से हुआ. उस समय म्रणालिनी देवी सिर्फ 10 वर्ष की थी. रविंद्र नाथ टैगोर ने 8 वर्ष की उम्र में ही कविता लिखने का कार्य शुरू कर दिया था और 16 वर्ष की उम्र में उन्होंने भानु सिन्हा के छद्म नाम के तहत कविताओं का प्रकाशन भी शुरू कर दिया था. वर्ष 1871 में रविंद्र नाथ टैगोर के पिता ने इनका एडमिशन लंदन के कानून महाविद्यालय में करवाया. परंतु साहित्य में रुचि होने के कारण 2 वर्ष बाद ही बिना डिग्री प्राप्त किये वे वापस भारत लौट आए.
वर्ष 1877 में रविंद्रनाथ टैगोर ने एक लघु कहानी ‘भिखारिणी’ और कविता संग्रह, ‘संध्या संघ’ की रचना की. रविंद्रनाथ टैगोर ने महाकवि कालिदास की कविताओं को पढ़कर ही प्रेरणा ली थी. वर्ष 1873 में रबिन्द्रनाथ टैगोर ने अपने पिता के साथ देश के विभिन्न राज्यों का दौरा किया. इस दौरान रवीना टैगोर ने विभिन्न राज्यों की सांस्कृतिक और साहित्यिक ज्ञान को जमा किया. अमृतसर के प्रवास के दौरान उन्होंने सिख धर्म को बहुत ही गहराई से अध्ययन किया. और उन्होंने सिख धर्म पर कई कविताएं और लेखों को लिखा.
रबिन्द्रनाथ टैगोर की प्रमुख रचनाये (Rabindranath Tagore Literary Works)
रविंद्रनाथ टैगोर ने कई कविताओं, उपन्यासों और लघु कथाएं लिखीं. लेकिन साहित्यिक कार्यों की अधिक संख्या पैदा करने की उनकी इच्छा केवल उनकी पत्नी और बच्चों की मौत के बाद बढ़ी.
उनके कुछ साहित्यिक कार्यों का उल्लेख नीचे दिया गया है:
रविंद्रनाथ टैगोर ने बाल्यकाल से ही लेखन का कार्य प्रारंभ केर दिया था. रविंद्रनाथ टैगोर ने हिंदू विवाहों और कई अन्य रीति-रिवाजों के नकारात्मक पक्ष के बारे में भी लिखा जो कि देश की परंपरा का हिस्सा थे. उनकी कुछ प्रसिद्ध लघु कथाओं में कई अन्य कहानियों के बीच ‘काबुलिवाला’, ‘क्षुदिता पश्न’, ‘अटोत्जू’, ‘हैमांति’ और ‘मुसलमानिर गोल्पो’ शामिल हैं
ऐसा कहा जाता है कि उनके कार्यों में, उनके उपन्यासों की अधिक सराहना की जाती है. रविंद्रनाथ ने अपने साहित्यों के माध्यम से अन्य प्रासंगिक सामाजिक बुराइयों के बीच राष्ट्रवाद के आने वाले खतरों के बारे में बात की. उनके अन्य प्रसिद्ध उपन्यासों में ‘नौकादुबी’, ‘गोरा’, ‘चतुरंगा’, ‘घारे बायर’ और ‘जोगजोग’ शामिल हैं.
रवींद्रनाथ ने कबीर और रामप्रसाद सेन जैसे प्राचीन कवियों से प्रेरणा ली और इस प्रकार उनकी कविता अक्सर शास्त्रीय कवियों के 15 वें और 16 वीं शताब्दी के कार्यों की तुलना में की जाती है. अपनी खुद की लेखन शैली को शामिल करके, उन्होंने लोगों को न केवल अपने कार्यों बल्कि प्राचीन भारतीय कवियों के कार्यों पर ध्यान देने योग्य बनाया. रबिन्द्रनाथ टैगोर ने कुल 2230 गीतों की रचना की.
रवींद्रनाथ टैगोर की प्रमुख रचनायें बालका’, ‘पूरबी’, ‘सोनार तोरी’ और ‘गीतांजली’ शामिल हैं.
राजनीतिक दृष्टिकोण (Rabindranath Tagore Political View)
रबिन्द्रनाथ टैगोर ने अपने गीतों के माध्यम से ब्रिटिश प्रशासन को आजादी के लिए नतमस्तक किया. उन्होंने भारतीय राष्ट्रवादियों का भी समर्थन किया और सार्वजनिक साम्राज्यवाद की सार्वजनिक आलोचना की. रबिन्द्रनाथ टैगोर ने अंग्रेजी शिक्षा प्रणाली का भी पुरजोर विरोध किया. वर्ष 1915 में जलियांवाला बाग हत्याकांड के विरोध में उन्हें प्राप्त नाइट की पदवी को वापस कर दिया था. इस पदवी को राजा जॉर्ज पंचम ने रबिन्द्रनाथ टैगोर को प्रदान किया था.
रवींन्द्रनाथ टैगोर मृत्यु (Rabindranath Tagore Death)
रवीन्द्रनाथ टैगोर का निधन 7 अगस्त 1941 को कोलकत्ता में हुआ. यह भारतीय साहित्य के लिए अभूतपूर्व क्षति थी.
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2 thoughts on “रबीन्द्रनाथ टैगोर का जीवन परिचय | Rabindranath Tagore Biography in Hindi”
भाई आपने बहुत ही अच्छी तरह से निबंध लिखा है इस निबंध को पढ़कर कोई भी आसानी से समझ सकता है आपका बहुत बहुत धन्यवाद
Thanks to you for this article
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रबीन्द्रनाथ ठाकुर (बांग्ला: রবীন্দ্রনাথ ঠাকুর) (७ मई, १८६१ - ७ ...
रबीन्द्रनाथ टैगोर का जीवन परिचय - Rabindranath Tagore biography in Hindi: रबीन्द्रनाथ ...
Rabindranath Tagore FRAS (/ r ə ˈ b ɪ n d r ə n ɑː t t æ ˈ ɡ ɔːr / ⓘ; pronounced [roˈbindɾonatʰ ˈʈʰakuɾ]; 7 May 1861 - 7 August 1941) was a Bengali polymath who was active as a poet, writer, playwright, composer, philosopher, social reformer, and painter during the age of Bengal Renaissance. He reshaped Bengali literature and music as well as Indian art with Contextual ...
Rabindranath Tagore Biography in Hindi: बिस्वाकाबी रवींद्रनाथ टैगोर को 'गुरुदेव' व 'कबीगुरू' के नाम से भी जाना जाता हैं। वह एशिया के प्रथम व्यक्ति थे जिन्हें वर्ष 1913 में ...
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रविंद्र नाथ टैगोर जन्म और प्रारंभिक शिक्षा (Rabindranath Tagore Birth and Initial Life) रवीना टैगोर का जन्म 7 मई 1861 में कोलकाता के जोड़ासाँको की हवेली में हुआ था ...
Summarize This Article Rabindranath Tagore (born May 7, 1861, Calcutta [now Kolkata], India—died August 7, 1941, Calcutta) was a Bengali poet, short-story writer, song composer, playwright, essayist, and painter who introduced new prose and verse forms and the use of colloquial language into Bengali literature, thereby freeing it from traditional models based on classical Sanskrit.
Rabindranath Tagore died on August 7, 1941. From Nobel Lectures, Literature 1901-1967, Editor Horst Frenz, Elsevier Publishing Company, Amsterdam, 1969. This autobiography/biography was written at the time of the award and first published in the book series Les Prix Nobel . It was later edited and republished in Nobel Lectures.
रवींद्रनाथ टागोर; जन्म नाव: रवींद्रनाथ देवेंद्रनाथ टागोर
Stories by Rabindranath Tagore: निर्देशक: अनुराग बसु, देबतमा मंडल और तानी बसु: अभिनीत: राधिका आप्टे जन्नत जुबैर रहमानी भानु उदय तारा अलीशा बेरी
Biography of Rabindranath Tagore : जानिए गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर की जीवनी. - नूपुर दीक्षित. गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर का जन्म 7 मई सन् 1861 को कोलकाता में ...
रबीन्द्रनाथ ठाकुर (बंगाली: রবীন্দ্রনাথ ঠাকুর, रोबिन्द्रोनाथ ...
प्रभाव और विरासत. रवींद्र संगीत का बंगाली संस्कृति बहुत ही गहरा प्रभाव पड़ा है। इन गीतों को बांग्लादेश और पश्चिम बंगाल(भारत) दोनों में बंगाल की ...
Tagore was born in the Jorasanko district of Kolkata (Calcutta) on 7 May 1861. He was the youngest child of Debendranath Tagore (1817-1905) and Sarada Devi (1826-1875). Originally from Jessore, now in Bangladesh, the Tagore (Thakur in Bengali) family belonged to a Brahman subcaste known as Pirali.
Tagore was also a cultural reformer and modernized Bengali art. He made it possible to make art using different forms and styles. Tagore died on August 7, 1941 ("Baishey Shrabon" in Bengali, 22nd Shrabon). Tagore was born on 7th May in 1861,at Jorasanko in Calcutta. He was the youngest son of his parents.
Gitanjali (Bengali: গীতাঞ্জলি, lit. ''Song offering'') is a collection of poems by the Bengali poet Rabindranath Tagore.Tagore received the Nobel Prize for Literature in 1913, for its English translation, Song Offerings, making him the first non-European and the first Asian & the only Indian to receive this honour.. It is part of the UNESCO Collection of Representative Works.
রবীন্দ্রনাথ ঠাকুর এফআরএএস (৭ মে ১৮৬১ - ৭ আগস্ট ১৯৪১; ২৫ বৈশাখ ...
Tagore family. The Tagore family (also spelled as Thakur) [note 1] [1] is a historically Indian Zamindari noble family from Bengal, and is regarded as one of the most prominent families of India and key influencers during the Bengali Renaissance. The family has produced several people who have contributed substantially in the fields of business ...