paryatan ka mahatva essay in hindi class 10

पर्यटन का महत्त्व निबंध- Essay on Importance of Tourism in Hindi

In this article, we are providing Essay on Importance of Tourism in Hindi. ( Paryatan Ka Mahatva )पर्यटन का महत्त्व निबंध,  पर्यटन एक राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय उद्योग।

paryatan ka mahatva essay in hindi class 10

मानव स्वभाव से ही जिज्ञासु होता है। देश-विदेश की यात्रा की ललक के पीछे भी मनुष्य की जिज्ञासु प्रवृत्ति ही काम करती आई है। यदि मनुष्य चाहता तो वह घर बैठे ही पुस्तकों द्वारा यह जानकारी प्राप्त कर लेता। किंतु पुस्तकों से प्राप्त जानकारी का आनंद कछ ऐसा ही है जैसे किसी चित्र को देखकर हिमालय के सघन देवदार के वनों और हिमाच्छादित शिखरों के सौंदर्य, रूप गंध का अनुभव करना। महापंडित राहुल सांकृत्यायन के शब्दों में, ‘‘घुमक्कड़ दुनिया की सर्वश्रेष्ठ विभूति है इसलिए कि उसी ने आज की दुनिया को बनाया है। अगर घुमक्कड़ों के काफिले न आते-जाते तो सुस्त मानव-जातियाँ सो जातीं और पशु स्तर से ऊपर नहीं उठ पातीं।”

आज पर्यटन के पीछे भी मनुष्य की उसी पुरानी घुमक्कड़ प्रवृत्ति का प्रभाव है। आदिम घुमक्कड़ और आज के पर्यटक में इतना अंतर अवश्य है कि आज पर्यटन उतना कष्ट साध्य नहीं है, जितनी प्राचीन काल की घुमक्कड़ी थी। ज्ञान-विज्ञान के आविष्कारों, अन्वेषणों की जादुई शक्ति के प्रभाव से सुलभ साधनों के कारण पर्यटन अत्यंत सुलभ बन गया है। आज पर्यटन एक राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय उद्योग के रूप में विकसित हो चुका है। इस उद्योग के प्रसार के लिए देश-विदेश में पर्यटन मंत्रालय बनाए गए हैं। विश्वभर में पर्यटकों की सुविधा के लिए बड़े-बड़े पर्यटन स्थल विकसित किए जा रहे हैं। पर्यटन को प्रोत्साहित करने के लिए कई प्रकार के आयोजन भी किए जाते हैं; जैसे- विदेशों में किसी देश के स्थान विशेष की कलाएँ, कलात्मक दृश्य, सांस्कतिक संस्थाओं की प्रदर्शनियाँ आदि। आनंद की प्राप्ति, जिज्ञासा की शांति, बढ़ती आय; इनके अतिरिक्त पर्यटन के और भी कई प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष लाभ हैं।

पर्यटन के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीयता की समझ जन्म लेती है: विकसित होती है। प्रेम और मानवीय भाईचारा बढ़ता है। सभ्यता-संस्कृतियों का परिचय मिलता है। पर्यटन से व्यक्ति अपने खोल से बाहर निकलना सीखता है। पर्यटन उस एकरसता से उत्पन्न ऊब का भी परिहार करता है जो एक ही स्थान पर एक जैसे ही वातावरण में लगातार रहने से उत्पन्न हो जाती है। इसलिए पर्यटन की प्यास रखनेवालों को महापंडित राहुल सांकृत्यायन की तरह महाकवि इकबाल के इस । ‘शेर’ को अपना पथ प्रदर्शक बनाना चाहिए, इकबाल लिखते हैं –

‘सैर कर दुनिया की गाफिल जिंदगानी फिर कहाँ,

जिंदगानी गर रही तो नौजवानी फिर कहाँ।’

Essay on Parvatiya Yatra in Hindi

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3 thoughts on “पर्यटन का महत्त्व निबंध- Essay on Importance of Tourism in Hindi”

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पर्यटन का महत्व पर अनुच्छेद। Anuched on Paryatan Ka Mahatv

पर्यटन का महत्व पर अनुच्छेद : पर्यटन यानि घूमना, बस घूमने के लिए घूमना, आनंद प्राप्ति के लिए घूमना, जिज्ञासा समाधान के लिए घूमना। ऐसे पर्यटन में सुख ही सुख है। ऐसा पर्यटन रोजाना की थका देने वाली चिंताओं को दूर करता है। पर्यटन से हमें देश-विदेश के खान-पान, रहन-सहन तथा सभ्यता-संस्कृति की जानकारी मिलती है।

पर्यटन का महत्व पर अनुच्छेद 

पर्यटन का महत्त्व पर अनुच्छेद

Good one but too much short ...am i right??

Such a good essay.Helped me a lot in my work.Given in a very very simple and easy words.Thank you!!!!!

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पर्यटन का महत्व

पर्यटन का तात्पर्य है , घूमना -फिरना। घूमने फिरने से हर स्थान , लोगो के रहन- सहन , बोल चाल , लोगो की सोच इत्यादि का पता चलता है। लोग दैनिक जीवन में परिश्रम करते है और दफ्तर से घर के चक्कर में  समय बीत जाता है। जब व्यक्ति कुछ दिनों की छुट्टी लेकर अपने परिवार और  दोस्तों के साथ  घूमने जाता है , उसका मन ख़ुशी से भरा हुआ रहता है। वह मानसिक तनाव और थकान को भूल जाता है। घूमने फिरने से लोगो का मन प्रसन्न रहता है।   देश के राज्यों की सैर से कई जगहों के ऐतिहासिक और भूगोलिक स्तर पर जानकारी मिलती है। हर स्थान पर जहां हम घूमने जाते है ,  हम अपनी यादें समेट लेते है।

जब हम देश -विदेश की सैर करते है , तो हमे कई तरह की जानकारी प्राप्त होती है। हमें पुस्तकों के माध्यम से  देश और विदेश के कई लोकप्रिय स्थानों के बारे में पढ़ते है।  लेकिन जब हम खुद इन स्थानों के दर्शन करने जाते है , तो हमे अलग ही अनुभव होता है।  उस जगह से जुड़े बारीक चीज़ो को हम अच्छी तरह से जान और समझ पाते है।  वहाँ पर रहने वाले लोगो के रहन सहन को करीब से जान पाते है। यही सब कारण है जिसने पर्यटन के महत्व को बढ़ा दिया है। हमे विदेशो के सभ्यता और संस्कृति के विषय में अनगिनत जानकारी मिलती है। यह सब तभी संभव होता है , जब लोग वहाँ घूमने जाते है।

जो व्यक्ति देश या विदेश में अधिक यात्रा करता है , उसका ज्ञान भी बढ़ता है। उसका अनुभव पुस्तकीय ज्ञान से अधिक होता है। प्राचीन समय में जब सभ्यता का नामोनिशान ना था , तब आदिमानव भी एक जगह टिक कर नहीं रहते थे।  वह यहां वहाँ घूमते थे और ऐसे ही उन्होंने कई आविष्कार किये। आज यातायात की सुविधाओं में विकास हुआ है।  हम बस , कार , हवाई जहाज , रेलगाड़ी इत्यादि की सहायता से कम समय में गंतव्य स्थान तक पहुँच जाते है।

वातानुकूलित यंत्रो के आविष्कार के बाद मनुष्य को यात्रा के वक़्त कोई परेशानी नहीं होती है।मनुष्य के मनोरंजन और ज्ञानवृद्धि के लिए घूमना फिरना ज़रूरी है। इससे हमारे मन में मौजूद अन्धविश्वाश और शंका दूर हो जाती है। हम विभिन्न लोगो को जान पाते है और नए जगह से वाकिफ होते है। जब हम  दुनिया के अलग अलग देशो का भ्रमण करते है , तो यह पूरी दुनिया जैसे अपनी सी लगती है।  अपने परिवार और मित्रो के साथ विभिन्न जगहों की यात्रा करते है और उस जगह से संबंधित विषयो की चर्चा करते है।  वहाँ के लोगो की संस्कृति को जानकर  जिज्ञासा और अधिक  बढ़ जाती है।

आजकल के समय में पर्यटन एक बहुत बड़ा व्यवसाय बन गया है।  आजकल देश के कई राज्यों में लोगो को  भ्रमण करवाने   के लिए पर्यटन ऑफिस खुल गए है। वहाँ रेल या हवाई जहाज की टिकट से लेकर लोगो को निर्धारित  जगह  के दर्शन और सैर कराने से लेकर,  होटल  बुकिंग इत्यादि व्यवस्था पर्यटन ऑफिस करते है।  पर्यटक को घूमकर आनंद मिलता है और वहीं बहुत लोगो को इससे रोजगार प्राप्त होता है।

देश के कई राज्यों में जहां प्रकृति के खूबसूरत नज़ारे और पर्वत है , वहां ज़्यादातर पर्यटन व्यवसाय यानी टूरिज्म दफतरो  ने अपनी जगह बना ली है।  पर्यटन उद्योग का कारोबार बेहद अच्छा चल रहा है।  पर्यटक को उनके मुताबिक आरामदायक यात्रा प्रदान करवाने  के लिए उन्हें (पर्यटन दफ्तरों , दुकानों इत्यादि ) काफी पैसे मिलते है। पर्यटक के कारण ही यह पर्यटन स्थल विकसित होते है। जितने अधिक पर्यटक होंगे , पर्यटन स्थलों का महत्व उतना अधिक बढ़ जाता है।

पर्यटन कई तरह के होते है। कुछ स्थान पर्वतों के लिए प्रसिद्ध होते है , तो कुछ स्थान अपने कभी ना खत्म होने वाले समुन्दर के लिए , कुछ अपने वनो के लिए।  कुछ स्थान ऐसे भी जो धार्मिक विशेषता से परिपूर्ण होते है , ऐसे स्थान अपने तीर्थ यात्रा के लिए मशहूर होते है , जैसे हरिद्वार , केदारनाथ , बदरीनाथ इत्यादि |

कुछ स्थल जैसे लाल किला , विक्टोरिया मेमोरियल , ताज महल इत्यादि अनगिनत स्थल है जिनका अपना ऐतिहासिक महत्व है। सभी स्थलों के विभिन्न महत्व है और लोग अपनी रूचि के अनुसार वहाँ  भ्रमण करने जाते है।  पर्यटन से अनिगिनत फायदे है।  विदेशो से कई लोग हमारे देश की सुंदरता को निहारने आते है।  इससे पर्यटन व्यवसाय का बहुत लाभ होता है।

पर्यटन व्यापार से हमारे  देश को विदेशी मुद्रा प्राप्त होते है जो कि देश के लिए बेहद फायदेमंद है। हर वर्ष विदेशो से कई लोग हमारे देश की खूबसूरती को देखने आते है।  वह कई होटलो में रहते है और कई दुकानों से खरीदारी करते है।  इससे राज्यों के पर्यटन व्यवसाय को काफी लाभ पहुँचता है। 2010  के पश्चात भारतीय पर्यटन उद्योग का बहुत फायदा हुआ है। लोग पर्यटन स्थलों पर जाकर फोटोग्राफी और वीडियो करते है।  लोग जिस भी जगह घूमने जाते है , वह कैमरे में उस स्थान से जुड़े पलो को कैद कर लेते है।

पर्यटन के वजह से हमे कई संस्कृतियों के बारे में जानने को मिलता है।  यात्रा के समय कई स्थानीय लोगो के संग रूबरू होने के मौका मिलता है। पर्यटन के कारण लोगो में हिम्मत , रोमांच और मनोरंजन का संचार होता है।  लोग ख़ुशी के संग हर स्थल को जानते है और उनके विषय में ज्ञान अर्जित करते है।  इसलिए पर्यटन का अपना विशेष महत्व है।

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1 thought on “पर्यटन का महत्व”

Thanku so much for this essay.. Today is my hindi exam and it’s gonna help me a lot😍

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paryatan ka mahatva essay in hindi class 10

पर्यटन के लाभ पर निबंध | पर्यटन का महत्व पर निबंध | essay on benefits of tourism in hindi

समय समय पर हमें छोटी कक्षाओं में या बड़ी प्रतियोगी परीक्षाओं में निबंध लिखने को दिए जाते हैं। निबंध हमारे जीवन के विचारों एवं क्रियाकलापों से जुड़े होते है। आज hindiamrit.com   आपको निबंध की श्रृंखला में  पर्यटन के लाभ पर निबंध | पर्यटन का महत्व पर निबंध | essay on benefits of tourism in hindi प्रस्तुत करता है।

इस निबंध के अन्य शीर्षक / नाम

(1) देशाटन के लाभ पर निबंध (2) पर्यटन और उसका महत्व पर निबंध (3) देशाटन का महत्व पर निबंध (4) पर्यटन की आवश्यकता क्यों है पर निबंध

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पहले जान लेते है पर्यटन के लाभ पर निबंध | पर्यटन का महत्व पर निबंध | essay on benefits of tourism in hindi की रूपरेखा ।

निबंध की रूपरेखा

(1) प्रस्तावना (2) आधुनिक सुविधाएं (3) पर्यटन के लाभ (क) शैक्षणिक लाभ (ख) व्यापारिक लाभ (ग) वैज्ञानिक लाभ (4) पर्यटन से अन्य लाभ (5) उपसंहार

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देशाटन से अभिप्राय है-देश-विदेश में भ्रमण करना। किसी चीज का वास्तविक ज्ञान प्राप्त करने के लिए उसको प्रत्यक्ष देखना आवश्यक है।

यह कार्य देश विदेश में भ्रमण करने से ही सम्भव हो सकता है। घर बैठे-बैठे हम काल्पनिक ज्ञान, ही प्राप्त कर सकते है लेकिन यथार्थ स्वरूप का ज्ञान तो उस वस्तु को प्रत्यक्ष देखने से ही प्राप्त हो सकता है; अतः भौगोलिक, ऐतिहासिक, पुरातत्व, आर्थिक, राजनैतिक और सामाजिक ज्ञान की वृद्धि के लिए देशाटन अवश्य करना चाहिए।

जो व्यक्ति जितना अधिक देशाटन करता है। उसका ज्ञान तथा अनुभव उतना ही अधिक यथार्थ होता है। आधुनिक सुविधाएँ-प्राचीन काल में जब मनुष्य इधर-उधर जाने की सोचता था, तव रास्ते की कठिनाइयां उसके सामने आ खड़ी होती थीं।

उपयुक्त सवारी का अभाव, राते में लुटेरों का भय, बरसात में नदी-नाले चढ़ जाने का डर, जंगली रास्तो में हिंसक जन्तुओं का खतरा, समय का अधिक लगना कुछ ऐसी बाधाएँ थीं जिनके कारण इच्छा होने पर भी अधिकांश व्यक्ति भ्रमण नहीं कर पाते थे।

वर्तमान युग में ऐसे अनेक आविष्कार हो चुके हैं जिनके कारण ये बाधाएँ दूर हो गयी है तथा अनेक नयी सुविधाएँ प्राप्त हो गयी हैं। मोटर, रेल और वायुयान के द्वारा अब हम बहुत थोड़े समय में इच्छित स्थान पर पहुँच सकते हैं।

वातानुकूलित सवारियों का प्रबन्ध हो जाने से सर्दी-गर्मी की बाधाएँ भी दूर हो गयी हैं। अब कम समय में अधिक यात्राएँ की जा सकती हैं। इन सब सुविधाओं के हो जाने के कारण ही वर्तमान युग के लोग अधिक यात्राएँ करने लगे हैं।

“शान वृद्धि कर जन जीवन में,भर देता है मृदू उल्लास । नीरस जीवन में देशाटन,ला देता हर्षिते मधुमास ।। वेश जाति उद्योगों से भी,चिर परिचित होता मानव। जीवन लीला जगत मंच पर,रम्य सुखद होती अभिनव।।

देशाटन के लाभ

घूमना-फिरना मनुष्य का स्वभाव है, घ्ुमक्कड़ होना कई दृष्टियों से उपयोगी है।

इसके बिना क्रियात्मक ज्ञान नहीं होता। देशाटन के बिना मनुष्य उंदासीन, सुस्त, निष्क्रिय, अनुभव-शून्य और कूप-मण्डूक बन जाता है।

यही कारण है किं आधुनिक समय में ज्ञानवृद्धि और साथ में मनोरंजन के लिए देशाटन को आवश्यक समझा जाने लगा है।

(क) शैक्षणिक-लाभ

अब विद्यार्थी मंडल भ्रमण के लिए देशं-विदेश में जाने लगे है जिससे उन्हें विभिन्न स्थानों एवं जातियों के रहन-सहन, आचार-विचार और रीति-रिवाजों को प्रत्यक्ष देखकर समझने का अवसर मिलता है।

वे भिन्न-भिन्न स्थानों की अच्छी बातें हृदयंगम करते हैं । विदेशी विद्यालयों के भ्रमण से वे उन देशों की शिक्षा पद्धति से परिचित हो, जाते हैं।

उन देशों की शिक्षा पद्धति को जानकर वे यहाँ की शिक्षा पद्धति में सुधार के सूझाव दे सकते हैं। उन्हें अनेक ऐतिहासिक तथा भौगोलिक महत्त्व, के स्थानों को देखने का अवसर मिलता है। इससे वे इतिहास, भूगोल तथा वहाँ की शासन व्यवस्था का ज्ञान प्राप्त करते हैं।

(ख) व्यापारिक-महत्त्व

व्यापारिक दृष्टि से भी भ्रमण करना बहुत लाभदायक है। इससे व्यापारियों को यह पता लग सकता है कि हमारा कौन-सा माल कहाँ खप सकता है?

हम किस माल को कहाँ से खरौदकर कितना लाभ उठा सकते हैं? विभिन्न स्थानों की औद्योगिक स्थिति का भी भ्रमण से पता लगाया जा सकता है।

(ग) वैज्ञानिक-लाभ

देशाटन करने से हम जान सकते है कि विश्व में कृषि तथा उद्योग-धन्धों के विकास में जो नये-नये प्रयोग काम में लगाये जा रहे हैं, वे हमारे देश के लिए कहाँ तक उपयोगी हो सकते हैं ।

प्रगतिशील राष्ट्रों में भ्रमण करने से विज्ञान के नये-नये प्रयोगों की जानकारी प्राप्त की जा सकती है।

देशाटन से अन्य लाभ

स्वास्थ्य की दृष्टि से पर्वतीय स्थानों तथा अनुकूल जलवायु वाले स्थानों की यात्रा करना लाभदायक है। विचित्र वस्तुओं को देखने से मनोरंजन भी होता है।

पारस्परिक प्रेम, मित्रता तथा सहानुभूति का वातावरण भी तैयार होता है। एक-दूसरे के विचारों से परिचित हो जाने से संघर्ष की सम्भावना कम हो जाती है।

देशाटन से हम वस्तुओं और स्थानों का जैसा प्रत्यक्ष ज्ञान प्राप्त करते हैं केवल पुस्तको को पढ़ने या सृनने से उनका वैसा यथार्थ ज्ञान प्राप्त नहीं हो सकता।

अतः विभिन्न क्षेत्रों में अपने ज्ञान का विस्तार करने तथा जीवन में साहस और मनोरंजन को प्राप्त करने के लिए देशाटन करना आवश्यक है।

राजनैतिक नेताओं की विदेश यात्राओं से सौहार्द्रं एवं बन्धुत्व के भाव दृढ़ होते हैं जिससे युद्धों का खतरा कम होता है। अतः देशाटन से जीवन में अनेक प्रकार के लाभ होते हैं।

किसी ने ठीक कहा है-

“मन का रंजन और साथ में देह समर्थन, अनायास ही प्राप्त करो करके देशाटन।

अन्य निबन्ध पढ़िये

दोस्तों हमें आशा है की आपको यह निबंध अत्यधिक पसन्द आया होगा। हमें कमेंट करके जरूर बताइयेगा आपको पर्यटन के लाभ पर निबंध | पर्यटन का महत्व पर निबंध | essay on benefits of tourism in hindi कैसा लगा ।

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पर्यटन पर निबंध – Essay on tourism in Hindi

पर्यटन पर निबंध (Essay on tourism in Hindi): पर्यटन का दूसरा नाम भ्रमण है. हम पुस्तक पढ कर ज्ञान प्राप्त करते हैं. पर उससे अधिक ज्ञान हमें पर्यटन से मिलता है. पुस्तक से पढी हुई बातें पर्यटन से प्रत्यक्ष हो जाती है. पर्यटन ज्ञानवृद्धि का उत्तम साधन होता है. प्राचीन काल में पर्यटन की सुविधा नहीं थी. उस समय पैदल चल कर भी लोग पर्यटन करते थे. लेकिन आजकल पर्यटन के लिए मोटर, रेलगाडी, हवाई जहाज आदि साधन हमें मिलते हैं. पर्यटन से हमारा बहुत लाभ होता है. हमारी दृष्टी विशाल हो जाती है. हमारे शरीर पर भी पर्यटन का गहरा प्रभाव पडता है. स्वास्थ्य परिवर्तन के लिए कुछ लोग पर्यटन करते हैं. हमें शिक्षा संबंधी ज्ञान प्राप्त होता है. विभिन्न प्राकृतिक दृश्य देखने से हमे अपार आनंद मिलता है. मन की थकावट दूर होती है. पर्यटन से भातृभावना बढती है.

तो चलिए हमारे लेख के और बढ़ते हैं जो है पर्यटन पर निबंध (Tourism essay in Hindi).

विशिष्ट लक्ष्यों और दृष्टिकोणों के साथ देश और विदेश के विभिन्न हिस्सों की यात्रा करना और उस स्थान की सभी घटनाओं की खोज करना और अनुभूति पाप्त करना को पर्यटन कहा जाता है. हालांकि पर्यटन प्राचीन काल से ही मानव समाज में प्रचलित रहा है, समय के साथ इसमें अप्रत्याशित विकास हुआ है. आधुनिक मानव जीवन में पर्यटन ने एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. आजकल पर्यटन किसी व्यक्ति की कल्पना तक सीमित नहीं है. आधुनिक युग में, इसे एक उद्योग माना जाता है. दुनिया के अधिकांश देश पर्यटन उद्योग के विकास के लिए कदम उठा रहे हैं.

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

यात्रा एक प्राचीन मानव की प्रवृत्ति थी. भोजन की तलाश में वह विभिन्न स्थानों की यात्रा करता था. प्राचीन मनुष्य के खानाबदोश जीवन से उसकी विभिन्न स्थानों की यात्रा की जानकारी मिलती है. केवल पर्यटन की पृष्ठभूमि पर सभी प्राचीन सभ्यताएं विकसित हुई थी. इतिहास पढ़ने से यह पता चलता है की मेगस्थनीज, फाहियान, ह्वेन त्सांग आदि देशों के पर्यटक विभिन्न देशों की यात्रा करके उसी देश के शिक्षा, सभ्यता, संस्कृति, शासन और सामाजिक जीवन पर ज्ञान प्राप्त किये थे. इसलिए, प्राचीन समय से, पर्यटन मानव जिज्ञासा और अनुसंधान को पूरा करने और विकास के मार्ग में मानव समाज का मार्गदर्शन करने में मदद करने में सक्षम रहा है.

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पर्यटन के लाभ

पर्यटन का क्षेत्र बहुत विस्तृत है. यह आपका राज्य या देश के विभिन्न स्थानों से शुरू होकर पृथ्वी की सतह पर कहीं भी यात्रा करने के लिए पर्याप्त है. पर्यटन के परिणाम स्वरूप, विभिन्न स्थानों के साथ प्रत्यक्ष संपर्क स्थापित होता है. इसलिए यह पर्यटकों के ज्ञान और दृष्टिकोण को समृद्ध करता है. विभिन्न स्थानों और देशों की यात्रा करने से उस सब स्थान के सभ्यता, संस्कृति,  सामाजिक रीति-रिवाजों आदि का सटीक ज्ञान प्राप्त होता है. इन सबका लाभ पर्यटकों को मिलता है. इसलिए, पर्यटन देशों के बीच प्रेम, सद्भावना, भाईचारे और दोस्ती को बढ़ाकर शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व को बढ़ावा देता है. विभिन्न स्थानों की यात्रा करने से पर्यटकों को बहुत अधिक मानसिक संतुष्टि मिलती है. बहुत सी नई जगहों और चीजों को देखकर और अजनबियों के संपर्क में आने से इंसान के मन को खुशी मिलती है. पर्यटन द्वारा विभिन्न स्थानों में आर्थिक स्थिति और राजनीतिक स्थिति के बारे में विचार बनाता है. इससे पर्यटकों के आर्थिक विकास और राजनीतिक चेतना का विकास होता है. पर्यटन धर्म के प्रचार और राजनीतिक जागरूकता बढ़ाने में मदद करता है.

शिक्षा और अनुसंधान में पर्यटन की आवश्यकता

पर्यटन शिक्षा और अनुसंधान के लिए आवश्यक है. साहित्य, भूगोल, इतिहास आदि का अध्ययन करने के लिए पाठ्य पुस्तकें पर्याप्त नहीं हैं. तो इन सभी विषय में प्रत्यक्ष ज्ञान प्राप्त करने के लिए पर्यटन की आवश्यकता है. आप ताजमहल के बारे में चाहे जितनी भी जानकारी इकट्ठा कर लें, जब तक आप उस जगह की यात्रा नहीं करते हैं तब तक आपको उस जगह के बारे में पर्याप्त ज्ञान प्राप्त नहीं कर सकते. पर्यटन शिक्षा प्रणाली से निकटता से जुड़ा हुआ है. पर्यटन के परिणामस्वरूप, एक छात्र का ज्ञान बढ़ता है और उसका सामाजिक दृष्टिकोण बदल जाता है. यह उसकी मानसिक शक्ति के विकास को गति देता है. किसी भी सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक या वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए पर्यटन की आवश्यकता होती है. ऐसा इसलिए है क्योंकि प्रासंगिक अनुसंधान के बारे में विस्तृत जानकारी एकत्र करने के लिए विभिन्न स्थानों की यात्रा करना आवश्यक है.

आधुनिक युग में पर्यटन उद्योग का विकास

आधुनिक युग में, पर्यटन को एक उद्योग माना जाता है. ऐसा इसलिए है क्योंकि विभिन्न पर्यटन स्थलों का विकास होने से यह बहुत सारे पर्यटकों को आकर्षित करेगा नतीजतन, यह अप्रत्यक्ष रूप से राज्य या देश के आर्थिक विकास में योगदान देगा. इसलिए, आज दुनिया भर के कई देश पर्यटन उद्योग के विकास पर ध्यान दे रहे हैं. हमारे देश भारत के पास इसके लिए एक विशेष विभाग है.

पर्यटन मानव जीवन के सभी पहलुओं को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. यह न केवल देश के भीतर राष्ट्रीय एकता स्थापित करने में मदद करता है बल्कि अंतर्राष्ट्रीय सद्भावना की स्थापना को भी मजबूत करता है. अगर सरकार और जनता इस बारे में जागरूक होंगे और एक-दूसरे के साथ सहयोग करेंगे तो पर्यटन उद्योग के और बढ़ने की उम्मीद है.

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Essay on tourism in Hindi for all students of class 1, 2, 3, 4, 5, 7, 8, 9, 10, 11 and 12. Most students find difficulty in writing essay on new topics but you don’t need to worry now. Read and write this essay in your own words. Learn about an essay on Tourism in Hindi 1000 words. पर्यटन का महत्त्व पर निबंध।

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Essay on Tourism in Hindi 200 Words

पर्यटन का महत्त्व – विचार – बिंदु – • पर्यटन का आनंद • पर्यटन के लाभ • पर्यटन : एक उद्योग • पर्यटन के प्रकार।

पर्यटन का अर्थ है – घूमना। बस आनंद-प्राप्ति और जिज्ञासा-पूर्ति के लिए घूमना। ऐसे पर्यटन में सुख ही सुख है। ऐसा पर्यटक दैनंदिन जीवन की भारी-भरकम चिंताओं से दूर होता है। वह रसपिपासु होता है। पर्यटन से हमें देश विदेश के खान-पान, रहन-सहन तथा सभ्यता-संस्कृति की जानकारी मिलती है। इससे हमारे मन में बैठे हुए कुछ अंधविश्वास टूटते हैं, पर्वधारणाएँ समाप्त होती हैं। हमें यह विश्वास होता है – विश्व-भर का मानव मूल रूप से एक है। राष्ट्रीय एकता बढ़ाने में पर्यटन का बहुत बड़ा योगदान है।

वर्तमान समय में पर्यटन एक उद्योग का रूप धारण कर चुका है। हिमाचल प्रदेश, जम्मू काश्मीर आदि पर्वतीय स्थलों की अर्थ-व्यवस्था पर्यटन पर आधारित है। आज पर्यटन करना सुविधापूर्ण हो गया है। प्रायः सभी प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों पर होटलों, भोजनालयों, विश्रामगृहों, मनोरंजन-स्थलों यातायात के साधनों की भरमार हो गई है। पर्यटन-स्थल अनेक प्रकार के हैं। कुछ प्राकृतिक सौंदर्य के लिए विख्यात हैं। कुछ धार्मिक महत्त्व के हैं। कुछ पर्यटन-स्थल ऐतिहासिक महत्त्व के हैं। जैसे-लाल किला, ताजमहल आदि। कुछ पर्यटन-स्थल वैज्ञानिक, सांस्कृतिक अन्य महत्त्व रखते हैं।

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Essay on Tourism in Hindi 800 Words

मानव स्वभाव से ही जिज्ञासु होता है। वास्तव में मानव की प्रगति का इतिहास उसकी जिज्ञासु प्रवृत्ति का ही परिणाम है। अपनी जिज्ञासा के कारण ही वह प्रकृति के गूढ़ रहस्यों का पता लगा सका। देश-विदेश की यात्रा की ललक के पीछे भी मनुष्य की जिज्ञासु प्रवृत्ति ही काम करती आई है। देश-देशांतर की संस्कृति, सभ्यता, प्राकृतिक सौंदर्य, ऐतिहासिक एवं भौगोलिक विशेषताओं के प्रत्यक्ष ज्ञान की जिज्ञासा ही उसे घर के ऐशो-आराम, सुख-सुविधा छोड़कर अनजान, दुर्गम और बीहड़ रास्तों पर घुमाती रही है।

यदि मनुष्य चाहता तो वह घर बैठे ही पुस्तकों द्वारा यह जानकारी प्राप्त कर लेता, किंतु पुस्तकों से प्राप्त जानकारी का आनंद कुछ ऐसा ही होता है जैसे किसी चित्र को देखकर हिमालय के घने देवदार के वनों और हिमगिरि के उत्तुंग शिखर के सौंदर्य, रूप, गंध का अनुभव करना।

पर्यटन, घुमक्कड़ी का ही आधुनिक नाम है। आज के पर्यटन के पीछे भी मनुष्य की वही पुरानी घुमक्कड़ प्रवृत्ति का प्रभाव है। आज भी जब वह देश-विदेश के विभिन्न स्थानों की खूबियों के बारे में सुनता-पढ़ता है, तो उन्हें निकट से देखने, जानने के लिए उत्सुक हो उठता है और वह अपनी सुविधा और अवसर के अनुसार उस ओर निकल पड़ता है। आदिम घुमक्कड़ और आज के पर्यटक में इतना अंतर अवश्य है कि आज पर्यटन उतना कष्ट-साध्य नहीं जितनी घुमक्कड़ी थी। ज्ञान-विज्ञान के आविष्कारों, अन्वेषणों की जादुई शक्ति के प्रताप से सुलभ साधनों के कारण आज पर्यटन पर निकलने के लिए अधिक सोच-विचार की आवश्यकता नहीं होती। मात्र सुविधा और संसाधन चाहिए, किंतु इतना अवश्य मानना पड़ेगा कि पर्यटक बनने का जोखिम भरा आनंद तो उन पर्यटकों को ही आया होगा जिन्होंने अभावों और विषम परिस्थितियों से जूझते हुए देश-विदेश की यात्राएँ की थीं। फाह्यान, वेनसांग, अलबेरुनी, इब्नबतूता, मार्को पोलो आदि ऐसे ही यात्री रहे होंगे।

आज पर्यटन एक राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय उद्योग के रूप में विकसित हो चुका है। इस उद्योग के प्रसार के लिए देश-विदेश में पर्यटन मंत्रालय बनाए गए हैं।

सारे विश्व भर में पर्यटकों की सुवधा के लिए बड़े-बड़े पर्यटन स्थल विकसित किए जा रहे हैं। कई महत्त्वपूर्ण, पर अब तक उपेक्षित ऐतिहासिक स्थलों को सजाया-संवारा जा रहा है। हमारे देश का पर्यटन विभाग, पुरातत्त्व विभाग के साथ मिलकर इस दिशा में विशेष तौर पर क्रियाशील है। मनोरम पहाड़ी स्थलों पर पर्यटक आवास स्थापित किए जा रहे हैं। पर्यटकों के निवास और भोजन आदि की व्यवस्था के लिए नए-नए होटलों, लॉजों और पर्यटन-गृहों का निर्माण एवं विकास किया जा रहा है। यातायात के सभी प्रकार के सुलभ एवं आवश्यक साधनों की व्यवस्था की जा रही है।

विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए सभी देश अपने दूतावासों के माध्यम से अपने-अपने देश की भव्यता, दर्शनीयता के बारे में विदेशों में व्यापक एवं सुनियोजित प्रचार करते हैं। इस प्रकार पर्यटन-संस्कृति का विकास हो रहा है। इतना ही नहीं, आज पर्यटन पर्याप्त लाभ देने वाला उद्योग बन चुका है। यह विदेशी मुद्रा अर्जित करने का एक बड़ा स्रोत बन गया है। जैसे उद्योगपति या व्यापारी अपनी वस्तु की बिक्री के लिए ईश्तहारबाजी करता है, उसी तरह पर्यटन को भी एक वस्तु बनाकर उसका प्रदर्शन और प्रचार किया जा रहा है। इसके लिए रंगीन पुस्तिकाएं, आकर्षक पोस्टर, रंगदार ब्रोशर, पर्यटन स्थलों के रंगीन चित्र, उपलब्ध सुविधाओं का विस्तृत ब्योरा आदि प्रचार सामग्री विमानपत्तनों, रेलवे स्टेशनों, बड़े-बड़े होटलों और देश-विदेश के सभी प्रमुख सार्वजनिक स्थलों पर देखी जा सकती हैं। इसे नि:शुल्क वितरित एवं प्रदर्शित किया जाता है।

पर्यटन के प्रति रुचि जागृत करने के लिए कई बार वृत्तचित्र भी तैयार किए या करवाए जाते हैं। इसमें किसी एक विशिष्ट स्थल की झाँकी प्रस्तुत की जाती है। विशेष स्थलों या प्रदेशों में बने कथाचित्र भी प्रदर्शन के बाद लोगों के मन में प्रदर्शित स्थल को देखने की लालसा जगा देते हैं। कई बार देश-विदेश में भ्रमण करने वाली नृत्य-संगीत आदि की मंडलियाँ भी इस कार्य में सहायक होती हैं। इन सबके परिणामस्वरूप आज पर्यटन के प्रति निश्चय ही अभिरुचि की वृद्धि हो रही है।

आनंद प्राप्ति, जिज्ञासा की शांति, बढ़ती आय के अतिरिक्त पर्यटन के और भी कई प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष लाभ हैं। पर्यटन के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीयता की समझ जन्म लेती है और विकसित होती है। प्रेम और मानवीय भाईचारा बढ़ता है। सभ्यता और संस्कृतियों का परिचय मिलता और बढ़ता है। पर्यटन के माध्यम से किसी देश और उसकी संस्कृति के सम्बन्ध में फैली भ्रांतियों का भी निराकरण हो जाता है। आज हम अंतर्राष्ट्रीय युग में जी रहे हैं। आज जिस अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता है, पर्यटन उसमें महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

पर्यटन से व्यक्ति अपने खोल से बाहर निकलना सीखता है, उसे अपनी वास्तविकता का अहसास होता है। अपने पर्यावरण से बाहर कठिन परिस्थितियों में जीने का अभ्यास होता है। आत्म-साक्षात्कार का अवसर मिलता है। पर्यटन उस एकरसता से उत्पन्न ऊब का भी परिहार करता है जो एक ही स्थान पर, एक जैसे ही वातावरण में लगातार रहने से उत्पन्न हो जाती है। पर्यटन मनुष्य को उसकी कल्पना की दुनिया से निकालकर यथार्थ की भूमि से जोड़ता है।

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Essay on Tourism in Hindi 1000 Words

पर्यटन व्यवसाय

पर्यटन आदिकाल से ही मनुष्यों का स्वभाव रहा है। घूमना-फिरना भी मनुष्य के जीवन को आनन्द और मस्ती से भर देता है। इसका पता लोगों ने बहुत पहले ही लगा लिया था। पहले लोग पैदल चलकर या समुद्र मार्ग से लम्बी-लम्बी दूरियां तय कर अपने भ्रमण के शौक को पूरा करते थे। कुछ लोग ऊंटों, घोड़ों आदि पर चढ़कर समूह यात्रा करते थे, हालांकि ऐसी कई यात्राएं व्यापार के उद्देश्य से भी की जाती थीं। परन्तु ऐसे लोगों की भी कमी नहीं थी जो यात्रा तो व्यापार, शिक्षा प्राप्ति या राजा के दूत बनकर करते थे परन्तु उनकी यात्रा ऐतिहासिक दृष्टि से बहुत महत्त्वपूर्ण बन जाती थी। ये लोग दूसरे देश की संस्कृति का अध्ययन कर अपने अनुभवों को ग्रंथ रूप में लिख देते थे।

जहाँ तक भारत के लोगों की बात है, हमारे यहां धार्मिक दृष्टि से की गई यात्राओं की बड़ी महत्ता रही है। यहां के लोग धर्म स्थानों की यात्रा को बहुत महत्त्व देते रहे हैं। आदि शंकराचार्य ने अल्प आयु में ही पूरे देश का भ्रमण कर देश के चारों कोनों में चार धर्मपीठों की स्थापना की। इन धर्मपीठों की व्यवस्था आज भी कायम है। सम्राट् अशोक ने बुद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए अपने विभिन्न दूत एशियाई देशों में भेजे। उनका यह धार्मिक अभियान इतिहास में काफी सफल माना गया। परन्तु मध्य युग में स्थिति में काफी बदलाव आ गया। भारतीय लोगों में यह भ्रांत धारणा उत्पन्न हो गई कि समुद्र लांघ कर की गई यात्रा से धर्म भ्रष्ट हो जाता है। अत: किसी भी भारतीय की समुद्रपारीय यात्रा का वर्णन नहीं मिलता।

आधुनिक युग में पर्यटन सम्बन्धी सभी भ्रांतियां समाप्त होने तथा आवागमन के साधनों के क्षेत्र में आए भारी बदलावों के कारण पर्यटन एक व्यवसाय के रूप में प्रतिष्ठित हो चुका है। विभिन्न देशों के लोग दुनिया के अन्य देशों में जाकर वहां की सभ्यता और संस्कृति को निकट से देखने-समझने का प्रयास करते हैं। अनेक लोग देश के प्रमुख स्थलों की यात्रा कर देश के पर्यटन व्यवसाय को उन्नत करने में अपना योगदान देते हैं। आधुनिक युग में पर्यटन को एक व्यवसाय का रूप देने में लोगों की बढ़ती आर्थिक समृद्धि का भी बहुत बड़ा हाथ रहा है। पर्यटन में अच्छा खासा धन व्यय होता है। अत: धनी और उच्च मध्यवर्गीय श्रेणी के लोग ही प्रमुख रूप से पर्यटन में दिलचस्पी दिखाते हैं। इन्हीं साधन-सम्पन्न लोगों की बदौलत दुनिया का पर्यटन व्यवसाय टिका हुआ है।

भारत में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं परन्तु दुर्भाग्यवश इन संभावनाओ का भरपूर दोहन नहीं हो पाया है। हमारा देश बहुधार्मिक और बहुसांस्कृतिक देश है। यहां पर पर्यटन स्थलों की भी भरमार है परन्तु दुनिया भर के पर्यटन व्यवसाय में से भारत का हिस्सा नगण्य ही कहा जा सकता है। थाईलैंड जैसा छोटा सा एशियाई देश हमारी तुलना में कई गुणा अधिक पर्यटकों को आकर्षित कर पाने में सक्षम है। पर्यटन की दृष्टि से हमारे पिछड़ेपन के कई कारण हैं, जिसमें से प्रमुख कारण है – पर्यटकों को आकर्षित करने वाली सुविधाओं का अभाव।

पर्यटक स्थलों को साफ-सुथरा रखना, पर्यटन स्थलों तक पहुंच को आकर्षक बनाना, लोगों के निवास, भोजन आदि की उत्तम व्यवस्था करना, पर्यटन स्थलों को मनोरंजन से भरपूर बनाना, सड़क और संचार व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त रखना, लोगों को आकर्षित करने के लिए प्रचार करना आदि कुछ ऐसे उपाय हैं जिन्हें व्यावहारिक रूप देकर ही देश के पर्यटन उद्योग को विकसित किया जा सकता है।

हमारी खस्ताहालत सड़कें, ट्रेनों में शीघ्र आरक्षण न मिलना, बिजली-पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं की कमी आदि पर्यटन व्यवसाय पर नकारात्मक प्रभाव डालती हैं। दूसरी ओर कश्मीर, आसाम तथा अन्य उत्तर पूर्वी राज्यों में व्याप्त हिंमा देश के पर्यटन के लिए नुकसानदायक सिद्ध हो रही है। देश में ऐतिहासिक स्थल बहुत है परन्तु आस-पास का क्षेत्र प्रदूषण और गंदगी की चपेट में है। देश की राजधानी दिल्ली को ही लें। लाल किले तथा जामा मस्जिद का क्षेत्र, बाजार और संकीर्ण गलियों के कारण आकर्षण से विहीन बना हुआ है जबकि इस क्षेत्र को दिल्ली का हृदयस्थल कहा जाता है। विश्व की आश्चर्यजनक एवं अलौकिक इमारत ताजमहल की भी घोर अपेक्षा की गई है। आगरा देश के सर्वाधिक गंदे शहरों में से एक है तो हम कैसे आशा कर सकते हैं कि देश का पर्यटन व्यवसाय दिन-दुगनी रात चौगुनी उन्नति करे। ये तो कुछेक प्रमाण भर हैं, पूरे देश में पर्यटन स्थलों की यही स्थिति है।

यदि देश के पर्यटन को सचमुच बढ़ावा देना है तो हमें इसके लिए ठोस उपाय करने होंगे। इस क्षेत्र में निजी सैक्टर को निवेश के लिए प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है क्योंकि केवल सरकारी प्रयास कारगर नहीं हो सकते। सरकारी योजनाओं को बनाने तथा उसे क्रियान्वित करने में भ्रष्टाचार आदि कई कारणों से लम्बा समय लग जाता है। जो पर्यटन उद्योग की वृद्धि को रोक देता है। यह शुभ लक्ष्ण है कि अब सरकार वस्तु स्थिति को समझ कर हर क्षेत्र में निजी क्षेत्र की भागीदारी को सुनिश्चित करने का प्रयास कर रही है। यदि सही दिश में प्रयास किए जाएं तो अगले पाँच वर्षों में ही भारत में पर्यटन व्यवसाय के विकसित होने से देश को बेशकीमती विदेशी मुद्रा की प्राप्ति होगी तथा भुगतान संतुलन की स्थिति को सुधारने में बहुत मदद मिलेगी।

भारतीय पर्यटन उद्योग को विकसित करने में एक बड़ी बाधा को वर्तमान में दिखाई दे रही है – वह है आतंकवाद। आतंकवाद भारत के सभी प्रमुख स्थानों में अपनी जड़ें जमा चुका है। काश्मीर में पर्यटन उद्योग आतंक के साए में दम तोड़ चुका है। जबकि इस स्थान को धरती के स्वर्ग के नाम से संबोधित किया जाता रहा है।

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जीवन में त्यौहारों का महत्व निबंध Essay on Importance of Festivals in Life (Hindi)

जीवन में त्यौहारों का महत्व निबंध Essay on Importance of Festivals in Life (Hindi)

इस लेख में जीवन में त्यौहारों का महत्व निबंध Essay on Importance of Festivals in Life (Hindi) को सरल रूप में लिखा गया है। त्यौहारों के महत्व पर निबंध कक्षा 4 से 12 तक विविध रूपों में पूछा जाता है। इस लेख उत्सवों के महत्व पर निबंध से आवश्यक परीक्षाओं में लिखने के लिए मदद लिया जा सकता है।

Table of Content

त्यौहारों में समाज को जोड़े रखने की क्षमता होती है इसलिए त्यौहारों का महत्व और भी बढ़ जाता है क्योंकि दौड़ भाग भरी जिंदगी में लोग इतने व्यस्त रहते हैं कि उन्हें वर्तमान की कोई खबर नहीं रहती।

संसार में जितने धर्म, समुदाय तथा जाति के लोग रहते हैं उनसे जुड़े हुए इतिहास में कुछ अच्छी और बुरी घटनाएँ घटी हैं। अच्छी घटनाओं से इंसान प्रसन्न रहते हैं और बुरी घटनाओं से दुखी, इसलिए अच्छी घटनाओं को पुनरावर्तित करने के लिए त्यौहारों का निर्माण किया गया है।

कुछ त्यौहार बहुत पुराने हैं और कुछ समय और घटनाओं के साथ इंसानों ने बनाया है। त्यौहार लोगों के जीवन को मनोरंजन और ढेर सारी ख़ुशियों से भरते तथा उनमें नवीनता का संचार करते हैं।

क्यों जरूरी हैं जीवन में त्यौहार? Why Festivals and Events are Important in Life?

मानव जीवन में त्यौहारों का बहुत ही महत्व है, धरती पर विभिन्न जाति तथा धर्म के लोग रहते हैं और सभी के अपने-अपने त्यौहार भी हैं लेकिन उन सभी के त्यौहारों में एक ही समानता दिखाई देती है वह है “समाजिक  जुड़ाव तथा प्रसन्नता का निर्माण।

सभी त्यौहारों के साथ बदलाव के कुछ ना कुछ संदेश अवश्य जुड़े होते हैं, जिनका उद्देश्य मानव के विचारों को नवीन बना कर उनमें उनके समाज और राष्ट्र के प्रति समर्पण का भाव पैदा करना है। उदाहरण स्वरूप भारत में प्रमुख त्यौहार दीपावली है और उसका मूल उद्देश्य समाज में न्याय और सदभावना का विचार भरना है।

पटाखे और दीप तो सिर्फ एक साधन हैं लेकिन मूल उद्देश्य दीपावली के इतिहास तथा परिभाषा में छुपी है। दूसरी ओर त्यौहार समाजिक समरसता की सीख भी देते हैं क्योंकि त्यौहारों के दिन सभी की छुट्टी होती है और उन्हें परस्पर मिलने जुलने का समय मिलता है।

भारत देश को त्यौहारों का देश भी कहा जाता है क्योंकि यहाँ सभी धर्मों के लोग रहते हैं और हर महीने किसी न किसी त्यौहार का आवागमन लगा रहता है। भारत में त्यौहार को सिर्फ त्यौहार की तरह देखा जाता है तो चाहे वह किसी भी धर्म या संप्रदाय का क्यों न हो और भारत के प्रत्येक त्यौहार में अपनी विधि और परंपरा के साथ समाज और देश के लिए कोई न कोई विशेष संदेश निहित होता है।

मुस्लिम धर्म में ईद को बहुत हर्ष और उल्लास के साथ पूरी दुनियाँ के मुसलमानों द्वारा मनाया जाता है जिसका मुख्य उद्देश्य भाईचारा और खुद के अंदर के पशुत्व को क़ुर्बान करना है। इस त्यौहार में पूरे एक महीने तक मुस्लिमों द्वारा रोजा रखा जाता है।

इसमें जमात उल विदा का पाक महोत्सव मनाया जाता है जिससे सभी लोगों के मन में एक दूसरे के लिए भाईचारे तथा प्रेम की भावना जागृत होती है। इसी प्रकार ईसाईयों द्वारा मनाए जाने वाले क्रिस्मस त्यौहार में लोग एक दूसरे की ग़लतियाँ माफ करके उनके लिए शुभ कामना करते हैं।

त्यौहारों के द्वारा मिलती सीख Learnings from the Festivals

माना जाता है लोगों में एकता और एक दूसरे के प्रति भाईचारा का भाव जागृत करने के लिए कुछ त्यौहारों का गठन किया गया था लेकिन समय बीतने के साथ लोग समाज में होने वाले उत्सवों में बहुत कम रुचि ले रहें हैं जैसे की हाल में ही भारत के द्वारा निर्मित त्यौहार “ अन्तराष्ट्रीय योग दिवस ” की शुरुवात मानव जीवन को स्वस्थ शरीर और मन प्रदान करने के लिए हुआ था लेकिन फिर भी योग को करने वालों की संख्या बहुत ही कम है।

ठीक ऐसे ही दूसरा त्यौहार राजा राम मोहन राय द्वारा निर्मित गणेश चतुर्थी है जिसका निर्माण हिन्दू समाज को एकजुट करने के लिए बनाया गया था इस त्यौहार में हिन्दू समाज अपनी आजीविका का छोटा सा हिस्सा चंदा के रूप में निकाल उससे गणेश भगवान की प्रतिमा को स्थापित करते हैं और उनकी पूजा करते हैं तथा एक हफ्ते के बाद भगवान गणेश की प्रतिमा को बड़े जलाशय में विसर्जित कर दिया जाता है।

इसी प्रकार दुर्गा पूजा, बाल दिवस , गांधी जयंती, महावीर जयंती , भगवान बुद्ध जयंती इत्यादि त्यौहारों का निर्माण किया गया था लेकिन अब लोगों का इन त्यौहारों के द्वारा दिए जा रहे सीखों के प्रति रूझान कम होता जा रहा है और उनकी सोच सिर्फ चिन्हों तक सिमित होकर रह गयी है।

सुधार के रूप में इन त्यौहारों का नवीनीकरण होना चाहिए और इनके पीछे छिपे उद्देश्यों को जन जन तक पहुँचाना चाहिए जैसे की सिर्फ पर्यावरण दिवस पर पर्यावरण से प्रेम करने के स्थान पर पूरे वर्ष ही अपने छोटे-बड़े कर्मों से पर्यावरण की रक्षा करनी चाहिए और मात्र ईद पर अपने दिल के कुविचारों को दूर करने के स्थान पर पूरे वर्ष ही अपने कुवृत्तियों को दूर कर सद्वृत्तियों को बढ़ाना चाहिए।

त्यौहारों के समय बरती जाने वाली सावधानियाँ Precautions to be taken during festivals

हाल की जीवन में त्यौहारों का महत्व बहुत ज्यादा है परंतु आज पैसे खर्च करना और प्रकृति को नुकसान पहुंचाना वर्तमान में त्यौहार की परिभाषा बना दी गई है। होली जैसे पवित्र त्यौहार को लोग केवल प्रकृति को दूषित करना और बुरी चीजों का सेवन करना ही समझते हैं जबकि यह  त्यौहार सभी को बुराइयों को छोड़ने का संदेश देता है।

दीवाली जैसे पवित्र पर्व पर लोग पटाखे जला कर प्रकृति को प्रदूषित करते हैं, जिससे बेजुबान पशु पक्षियों को बहुत आघात पहुँचता है। ऐसे ही ईद जैसे पवित्र पर्व पर लोग बेजुबान पशुओं की बलि देते हैं जबकि यह त्यौहार लोगों को अपने अंदर की पशु वृत्ति की बलि देने का संदेश प्रदान करता है।

त्यौहारों की सबसे बड़ी सावधानी के रूप सबसे जरुरी चीज़ है उनकी सही और सात्विक परिभाषा समझना साथ ही त्यौहारों को इस प्रकार मोड़ना जिससे प्रकृति को लाभ हो न की हानि। उदा. कुछ त्यौहारों में रोड पर लोगों का समूह एकत्रित हो जाता है जिससे सामान्य लोगों को तथा एम्बुलेंस जैसे जरूरी वाहनों को मुश्किलों का सामना करना पड़ता है

जहाँ त्यौहार ज्ञान और ख़ुशियों का माध्यम बनते हैं वहीँ दूसरी ओर अगर पर्याप्त सावधानियाँ न बरती जाए तो बहुत नुकसान भी कर सकती हैं हालाँकि त्यौहार जैसे पर्यावरण दिवस या योग दिवस जैसे त्यौहारों से कोई खतरा नहीं होता पर ज्यादातर त्यौहारों में सतर्कता बरतने की जरुरत होती है।

कुछ भारतीय त्यौहार जिनका भारत मे बहुत महत्व है Some Indian festivals which are very important in India

भारत देश त्यौहारों का देश है। जहाँ पूरे साल भर त्यौहार बड़े ही हर्ष और उल्लास से मनाये जाते हैं। हमारे भारत देश में कई धर्मों के लोग साथ मिल जुल कर त्यौहारों को मनाते हैं।

इतनी सारी विभिन्नताएं होने के बावजूद भी सभी धर्मों और जातियों के लोग त्यौहारों का लुत्फ़ लेते हैं। चाहे वह हिन्दुओं की दीवाली और होली ही क्यों न हो, मुसलमानों की ईद ही क्यों न हो, सिक्खों की लोहड़ी ही क्यों न हो और ईसाइयों का क्रिशमस ही क्यों न हो।

त्यौहार शब्द सुनते ही मन में हर्ष और उल्लास जाग जाता है, मन अपने आप ही प्रफुल्लित हो उठता है। भारतीय अपने त्यौहारों को विशेष महत्त्व देते हैं। त्यौहारों को मनाने के लिए पहले से ही तैयारियां शुरू हो जाती हैं।

किसी भी धर्म सम्प्रदाय के लोग हो, गांव हो या शहर हर तरफ त्यौहारों की होड़ लगी रहती है। भारत देश का हर एक त्यौहार लोगों के प्रति प्रेम, एकता, हर्ष और उल्लास का सन्देश देता है।

हर किसी त्यौहारों से जुडी हुई कोई न कोई कहानी है जो हमारी परम्पराओं के अनुसार लम्बे समय से चली आ रही है। अपनी इस संस्कृति और परम्परों को यथावत रखने के लिए हमें त्यौहारों को मनाते रहना चाहिए।

त्यौहार मनाने से हमारे घर – परिवार , आस – पड़ोस और मित्रों के बीच एक अच्छा माहौल बनता है। जो हमारे रिश्तों को और भी मजबूत रखता है।

निम्नलिखित भारतीय त्यौहारों का महत्व बहुत ही अधिक है –

दीवाली – यह त्यौहार मुख्य रूप से हिन्दुओं का है। दीवाली के दिन माता लक्ष्मी और गणेश जी का पूजन किया जाता है जो समृद्धि को दर्शाता है। रात्रि में घर और हर स्थान को दीयों से प्रकाशित किया जाता है। इसे प्रकाश पर्व भी कहा जाता है।

पढ़ें : दिवाली पर निबंध

होली – होली यानि की रंगों का पर्व। होली के एक दिन पहले होलिका दहन किया जाता है और दूसरे दिन सभी को रंग – गुलाल लगा कर इस त्यौहार को मनाते हैं। यह त्यौहार सभी धर्मों के लोग बड़े ही हर्ष और उल्लास के साथ मनाते हैं।

विभिन्न तरह के पकवान इत्यादि बनाये जाते हैं। ‘गुजिया’ एक विशेष प्रकार का पकवान है जो ख़ास तौर पर होली के दौरान बनाई जाती है और सबको वितरित की जाती है।

पढ़ें : होली पर निबंध

रक्षा-बंधन – यह त्यौहार भाई-बहनों के प्रेम को समर्पित है। बहन भाई की कलाई पर राखी बांधती है। ऐसा माना जाता है कि वह राखी सदा भाई की रखा करेगी और भाई प्रण लेता है कि वह अपनी बहन की सदा रक्षा करेगा।

यह त्यौहार सावन के महीने में आता है। सावन का पूरा महीना भगवान शिव जी को समर्पित है। इस पूरे महीने लोग व्रत भी रखते हैं और शिव भगवान का ध्यान करते हैं। इसीलिए ये पूरा महीना एक त्यौहार के रूप में मनाया जाता है।

पढ़ें : रक्षाबंधन पर निबंध

गणेश उत्सव – यह त्यौहार महारष्ट्र में बड़े ही धूम – धाम के साथ मनाया जाता है। भगवान गणेश जी की मूर्ती को लोग अपने घरों, आस – पड़ोस में स्थापित  करते हैं व सात दिनों के उपरान्त जल में विसर्जित करते हैं।

महारष्ट्र के अलावा भारत के अन्य क्षेत्रों में भी भगवान गणेश जी की मूर्ती को स्थापित किया जाता है। जिसे लोग बड़े ही हर्ष और उल्लास के साथ मनाते हैं।

पढ़ें : गणेश चतुर्थी पर निबंध

दुर्गा पूजा – यह त्यौहार पश्चिम बंगाल में मनाया जाता है। इसमें माँ दुर्गा, माँ काली की मूर्तियों को स्थापित किया जाता है। बड़े ही श्रद्धा भाव से माँ की पूजा अर्चना की जाती है।

भारत के अन्य क्षेत्रो में भी माँ दुर्गा का उसी भक्ति – भावना से नवरात्रि के दौरान पूजन किया जाता है। लोग 9 दिनों तक व्रत रखते हैं। कई स्थानों पर तो भव्य मेला भी लगता है।

पढ़ें : दुर्गा पूजा पर निबंध

दशहरा – नवरात्रि के 9 दिन पूरे होने के बाद दशहरा मनाया जाता है। जो बुराई पर अच्छाई की जीत को दर्शाता है। पुरानी मान्यताओं के आधार पर रावण के पुतले को जलाया जाता है।

पढ़ें : दशहरा पर निबंध

महाशिवरात्रि – महाशिवरात्रि भगवान शिव जी को समर्पित है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन सृष्टि का आरम्भ हुआ था और शिव भगवान और माता पार्वती का विवाह भी इसी दिन हुआ था।

पढ़े : महाशिवरात्रि पर निबंध

मकर संक्रांति – पूरा भारत इस पर्व को बड़े ही उत्साह के साथ मनाता है। ऐसा कहा जाता है कि जब सूर्य पौष महीने में मकर राशि पर आता है तब इस पर्व को मनाया जाता है। इस दिन गंगा में स्नान करने का विशेष महत्त्व है। इस त्यौहार को काइट फेस्टिवल के रूप में भी मनाते हैं। गुजरात व अन्य क्षेत्रों में इस दिन पतंग उड़ाई जाती है।

पढ़ें : मकर संक्रांति पर निबंध

ईद – यह त्यौहार मुस्लिम्स का मुख्य त्यौहार है। पूरा भारतवर्ष इस त्यौहार को हर्ष और उल्लास के साथ मनाता है। पूरे एक महीने तक रोजा रखने के बाद जब नया चाँद  उदय होता है उसके अगले दिन ईद मनाई जाती है।

इसे ईद-उल-फितर भी कहा जाता है। यह त्यौहार भाई – चारे की भावना को दर्शाता है। अच्छे – अच्छे पकवान बनाये जाते हैं। ख़ास तौर पर ‘सेवईं’ बनाई जाती है। सभी एक – दूसरे के घर जाकर ईद की मुबारकवाद देते हैं।

पढ़ें : ईद पर निबंध

क्रिश्मस – यह त्यौहार ईसाइयों का मुख्य त्यौहार है। जो न केवल भारत में बल्कि पूरे विश्व में बड़े ही हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन ईशा मसीह का जन्म हुआ था। इसीलिए ईशाई इस त्यौहार को प्रसन्नता पूर्वक मनाते हैं।

पढ़ें : क्रिश्मस पर निबंध

गुरुपर्व – यह सिक्खों का त्यौहार है। सिक्खों के पहले गुरु ‘ गुरु नानक जी ‘ के जन्म दिन पर यह त्यौहार मनाया जाता है।

हमारे देश के कुछ राष्ट्रीय त्यौहार भी हैं जैसे – 15 अगस्त (स्वतंत्रता दिवस) – 15 अगस्त, 1947 को हमारा देश अंग्रेजो की गुलामी से आज़ाद हुआ था, इसीलिए इस त्यौहार को पूरा भारता मनाता है। 2 अक्टूबर (गाँधी जयंती) – गाँधी जी के जन्म दिवस के उपलक्ष्य में यह त्यौहार मनाया जाता है क्योंकि वे हमारे राष्टपिता हैं। 26 जनवरी (गणतंत्र दिवस) – इस दिन हमारे देश का संविधान लागू हुआ था। इसीलिए 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाते हैं।

भारत में कई राज्य हैं जो अपनी – अपनी परंपरा व संस्कृति को संजोय रखे हुए हैं। कुछ ऐसे भी त्यौहार हैं जो अलग – अलग राज्यों में मनाये जाते हैं जैसे – केरल में ओणम मनाया जाता है, पोंगल त्यौहार जो तमिल मनाते हैं, फसल की कटाई होने पर इस त्यौहार को मनाते हैं।

नवरोज़ त्यौहार नव वर्ष के रूप में पारसी समुदाय के लोग मनाते हैं। जैन लोगों के त्यौहार उनके गुरुओं को समर्पित हैं। जैसे – तीर्थंकर, जिनवाणी और महावीर जयंती आदि, जिसे वे प्रेम पूर्वक मनाते हैं।

इतनी सारी विभिन्नताएं होने के बादवजूद भी हमारे देश के लोग हर तरह के त्यौहारों को सभी के साथ मिल – जुल कर मनाते हैं। ये त्यौहार ही हैं जो हमें अनेकता से एकता की तरफ ले जाते हैं व भाई-चारे की भावना को जाग्रत करते हैं। इस प्रकार जीवन में त्यौहारों का महत्व बहुत ही ज्यादा है।

8 thoughts on “जीवन में त्यौहारों का महत्व निबंध Essay on Importance of Festivals in Life (Hindi)”

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पर्यावरण का महत्व निबंध Paryavaran ka mahatva essay in hindi

Paryavaran ka mahatva essay in hindi.

Paryavaran ka mahatva nibandh- दोस्तों आज हम आपके लिए लाए हैं पर्यावरण का महत्व पर निबंध । इस निबंध में हम आपको यह बताने जा रहे हैं कि पर्यावरण का हमारे जीवन में क्या महत्व है । हम सभी को पर्यावरण को स्वच्छ क्यों रखना चाहिए । चलिए अब हम जानेंगे कि पर्यावरण का क्या महत्व है ।

पर्यावरण का हमारे जीवन में बड़ा ही महत्व है क्योंकि हमारे जीवन में स्वच्छ वायु वातावरण इतना आवश्यक है की यदि वायु दूषित होती है तो उसका दुष्प्रभाव हमारे शरीर पर पड़ेगा और हम बीमार हो जाएंगे । आज इंसान विकास की ओर बढ़ रहा है लेकिन पर्यावरण की तरफ ध्यान नहीं दे पा रहा है । हमारा जीवन पर्यावरण से जुड़ा हुआ है । आज हम सभी पेड़ो को काटकर बिल्डिंग , मकान बनाने में लगे हुए हैं।

paryavaran ka mahatva essay in hindi

जिस पेड़ से हमें ऑक्सीजन मिलती है वही पेड़ हम काट देते हैं । वह पेड़ कार्बन डाइऑक्साइड लेकर सभी को ऑक्सीजन देकर एक नई जिंदगी प्रदान करता है उसी पेड़ को हम काट देते हैं यह हमारे लिए शर्म की बात है । लकड़ियों को जला कर के जो धुंआ निकलता है उस धुंआ के कारण हमारे आसपास का वातावरण दूषित हो जाता है और हमें सांस लेने में भी समस्या होती है ।

हमारे विज्ञान के द्वारा हमें पता चला है कि पेड़ों के कटने के कारण ओजोन परत को भी नुकसान पहुंच रहा है जिसके कारण सूर्य की जो पराबैगनी किरणें हैं वे हम को हानि पहुंचा रही हैं । आज हम देख रहे हैं कि आसपास का जो वातावरण है वह अशुद्ध है । तापमान में वृद्धि होती जा रही है आज ना तो पानी गिरने का कोई समय है और ना ही गर्मी आने का कोई समय है । कभी पानी गिरता है तो कभी नहीं गिरता है ।

इन सबका सबसे बड़ा कारण है कि हम लोगों ने अपनी सुविधा के लिए पेड़ों को काट दिया हैं । आज हम को यह जानने की जरूरत है कि हमें पेड़ों को लगाना चाहिए ना कि उनको काटना चाहिए। पेड़ पौधे हमें एक नई जिंदगी देते हैं हमें कोशिश करना चाहिए कि ज्यादा से ज्यादा पेड़ पौधे लगाएं और बड़ा करें जिससे हमारे आने वाले बच्चों को भी अच्छी ऑक्सीजन और अच्छा वातावरण मिल सके।

  • पेड़ों का महत्व पर निबंध Essay on ped ka mahatva in hindi

आज हम देख रहे हैं कि शहरों में गाड़ियां ही गाड़ियां दौड़ रही है जिसके कारण हमारा वातावरण दूषित होता जा रहा है । हम इन गाड़ियों को रोक तो नहीं सकते हैं लेकिन हमें कोशिश करना चाहिए कि जब बहुत आवश्यक लगे तभी गाड़ी का उपयोग करें और हमें कोशिश करना चाहिए कि हम हमारे घर के आस पास ज्यादा से ज्यादा पेड़ पौधे लगाएं

जिससे हमें शुद्ध ऑक्सीजन प्राप्त होगी और हमारे द्वारा जो कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ी जाती है उस कार्बन डाइऑक्साइड को पेड़ ग्रहण करें ।

हमें उन लोगों को रोकना चाहिए जो पेड़ पौधों को नष्ट करते हैं उनकी लकड़ियों को काट कर ले जाते हैं । हमें उन लोगों को यह बताना चाहिए कि यह पेड़ पौधे हमारे लिए कितने आवश्यक हैं ।

हमारा पर्यावरण शुद्ध रहेगा तभी हम स्वस्थ रहेंगे इस पर्यावरण की सुरक्षा करना हमारा दायित्व ही नहीं हमारा कर्तव्य है । पर्यावरण हम इंसानों के साथ साथ जीव जंतु , पक्षी ,कीड़े, मकोड़े, सभी को आवश्यक है ।

हमारी इस दुनिया में कई लोग ऐसे हैं जो पर्यावरण को बचाने में लगे हुए हैं तो दूसरी ओर कई ऐसे व्यक्ति भी हैं जिनको अपने विकास की पड़ी है उन लोगों को पर्यावरण से किसी भी प्रकार का लगाव नहीं होता है । वह अपने फायदे के लिए लकड़ियों को काटकर बाजारों में बेचकर धन कमाते हैं। उनको वातावरण से कुछ भी लेना देना नहीं होता है।

आज हमें यह समझने की आवश्यकता है कि हमें यदि प्रकृति में रहना है तो पर्यावरण की सुरक्षा करना हमारा फर्ज है । यदि हम पर्यावरण को बचाकर नहीं रखेंगे तो आने वाले समय में हमें इसके दुष्परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं ।

जिस प्रकार गांव के लोग पेड़ पौधों पर विश्वास रखते हैं उसी प्रकार शहरों के लोगों को एवं समाज के लोगों को यह समझाना चाहिए कि हमें पेड़ पौधों की रक्षा करनी चाहिए जिससे हमें शुद्ध वातावरण मिल सके ।

हम शहर के सभी लोगों को यह कोशिश करना चाहिए कि घर के आस पास ज्यादा से ज्यादा पेड़ पौधे लगाएं जिससे हमें शुद्ध ऑक्सीजन प्राप्त हो सके । हमें हमारे जीवन को अच्छी तरह से जीने के लिए पर्यावरण को शुद्ध करके रखना पड़ेगी क्योंकि हमारे जीवन में पर्यावरण का बड़ा महत्व होता है ।

  • पर्यावरण की आत्मकथा Paryavaran ki atmakatha in hindi essay
  • पेड़ों की संरक्षण में युवाओं की भूमिका Pedo ke sanrakshan me yuva ki bhumika essay in hindi

दोस्तों यह लेख पर्यावरण का महत्व निबंध paryavaran ka mahatva essay in hindi आपको अच्छा लगे तो शेयर जरूर करें धन्यवाद ।

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paryatan ka mahatva essay in hindi class 10

kamlesh kushwah

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Kamleshji everybody speak about necessity of vatavaran . But to nobody tells how to save vatavaran. Vatavaran mein paani water jaroori hai, kase humvatavaran mein paani ki jaroorat ko poora Kar sakte please write an essay nibandh on vatavaran mein paani ki jaroorat ko poora kaise Kia ja sakta hai. I have one very easy solution. Please share it with everyone. Solution hai agar her insan chota bada Ghar se office , school, walk, milkbooth par Kate waqt 1 litre pani water le Kar nikle or Ghar ke Bahar ya raste. Main ya , office school ke Bahar janha ped ho unhe 1 litre paani jaroor drink. Thank you everybody. Please carry 1 litre water and pair on trees. It’s great fight against polution. .

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पर्यावरण का महत्व: एक स्वस्थ भविष्य की खोज। Paryavaran ka Mahatva Nibandh: The Search for a Healthy Future

पर्यावरण का महत्व: एक स्वस्थ भविष्य की खोज। Paryavaran ka Mahatva Nibandh: The Search for a Healthy Future

प्रकृति की संरक्षा और मानवीय विकास के बीच संतुलन स्थापित करने के लिए पर्यावरण का महत्व (paryavaran ka mahatva) अपार है। पर्यावरण का महत्व पर यह निबंध (Paryavaran ka Mahatva Nibandh) पर्यावरण कि मानव जीवन में आवश्यकता को व्यापक रूप से वर्णित करता है और हमें प्रेरित करता है कि हमें इसकी संरक्षण के प्रति दृढ़ संकल्प होना चाहिए।

पर्यावरण के बारे में निबंध या पर्यावरण पर निबंध (paryavaran ke bare mein nibandh or essay on environment in hindi) पर्यावरण के महत्व को व्यापक रूप से वर्णित करता है और हमें प्रेरित करता है कि हमें पर्यावरण की संरक्षण के प्रति दृढ़ संकल्प लेना चाहिए।

पर्यावरण के महत्व के इस निबंध में (paryavaran ka mahatva nibandh) हम इसके महत्व के साथ-साथ विभिन्न प्रकार के प्रदूषण जैसे जल, वायु, ध्वनि, और प्लास्टिक प्रदूषण के बारे में भी चर्चा करेंगे। इसे पढ़कर हमें पर्यावरण संरक्षण की महत्ता (paryaavaran sanrakshan kee mahatta or importance of environmental protection in hindi) समझ में आएगी और हम अपनी पृथ्वी की रक्षा के लिए एकजुट होंगे।

पर्यावरण का महत्व पर निबंध। Paryavaran ka Mahatva Nibandh or paryavaran essay in hindi

Table of Contents

पर्यावरण हमारे आस-पास की सभी चीजों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और हमारा पूरा जीवन इस पर निर्भर है। हमें सांस लेने के लिए हवा, पीने के लिए पानी, खाने के लिए भोजन और रहने के लिए जमीन यह सब इसी पर्यावरण से मिलते हैं। यहाँ तक कि वनस्पतियां, पेड़-पौधे, जानवर इत्यादि इस पर्यावरण का हिस्सा है। पर्यावरण जीवन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह हमें उन सभी चीज़ों को प्रदान करता है जो हमें सुरक्षित रहने और उन्नति करने के लिए चाहिए। 

पर्यावरण कई कारणों से महत्वपूर्ण है। यह हमें स्वच्छ हवा और पानी प्रदान करता है, मौसम को नियंत्रित करने में मदद करता है और जैव विविधता ( Jaiv Vividhata ) को संतुलित करता है। यह हमें खाद्य और अन्य संसाधनों  को भी प्रदान करता है।  साथ ही साथ यह सौंदर्य और प्रेरणा का स्रोत भी है। नीचे दिए गए कुछ बिंदुओं से हम पर्यावरण के महत्व को विस्तार पूर्वक समझेंगे:

वायु या हवा:

शायद यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि हमें हवा की आवश्यकता हमारे जन्म से लेकर अंतिम क्षणों तक होती है। हम आपके द्वारा सांस ली जाने वाली हवा जोकि ऑक्सीजन, नाइट्रोजन और अन्य गैसों से मिलकर बनी होती है इस पर्यावरण से ही मिलती है। पर्यावरण हवा को साफ़ करने में मदद करता है और प्रदूषकों को हटाता है।

पानी या जल:

हमें पानी की जरूरत प्यास बुझाने, खाना पकाने और स्नान इत्यादि कार्यों में पड़ती है। पर्यावरण हमें नदियों, झीलों और अन्य जलस्रोतों  के माध्यम से हमें अपनी जरूरत को पूरा करने के लिए पानी प्रदान करता है।

खाद्य सामग्री:

हम अपने भोजन या खाद्य को पौधों और जानवरों से प्राप्त करते हैं। पर्यावरण हमें पौधों के लिए ज़मीन, पानी और सूर्य की रोशनी प्रदान करता है। यह जानवरों के लिए आवास प्रदान करता है ताकि वे जीवित रह सकें और प्रजनन कर सकें।

हम अपनी रोजमर्रा की चीजों के लिए जैसे परिवहन, गर्मी और शीतलन या वातानुकूल (hot and cold or air conditioning)  इत्यादि के लिए ऊर्जा का उपयोग करते हैं। पर्यावरण हमें सौर और हवा ऊर्जा (Solar and wind power)  जैसे नवीनीकरणशील ऊर्जा स्रोत प्रदान करता है। यह हमें कोयला, तेल और प्राकृतिक गैस जैसे फोसिल या जीवाश्म ईंधन ( fossil fuel) से भी ऊर्जा प्रदान करता है।

हम पर्यावरण में समय बिताने का आनंद लेते हैं। पर्यावरण हमें ट्रेकिंग, साइकिल चलाने, तैराकी, मछली पकड़ने और अन्य बाहरी गतिविधियों के लिए अवसर प्रदान करता है।

पर्यावरणीय संरक्षण के महत्व को समझने के लिए यह आवश्यक है कि हम पर्यावरण को सही ढंग से देखें और समझें। हमें अपने आस-पास के पेड़-पौधों, जल, जन्तुओं और पृथ्वी की सुंदरता का महत्व समझना चाहिए।

पर्यावरण को खतरा:

प्रदूषण, वनों की कटाई और जलवायु परिवर्तन इत्यादि सभी पर्यावरण को क्षति पहुंचा रहे हैं। ये खतरे मानव स्वास्थ्य को भी हानि पहुंचा रहे हैं, पारिस्थितिकी को बिगाड़ रहे हैं, और पृथ्वी को निवास के लिए  धीरे-धीरे कम  अनुकूल बना रहे हैं। 

पर्यावरण हमारा घर है। इसे संरक्षित करना ना केवल हमारी जिम्मेदारी है  बल्कि पर्यावरण का संरक्षण जीवन के लिए अनिवार्य है। हमें पर्यावरण में संतुलन बनाए रखना चाहिए ताकि हमारी पीढ़ियाँ भी एक स्वस्थ और सुरक्षित भविष्य का आनंद ले सकें।

हमें अपने आपको और आने वाली पीढ़ियों के लिए एक स्वस्थ भविष्य सुनिश्चित करने के लिए अभी से ठोस और उचित कदम उठाने पड़ेंगे। 

पर्यावरण को संरक्षित करने के लिए हमें निम्नलिखित कार्रवाई लेनी चाहिए:

 पेड़ लगाएँ:

हमें अधिक से अधिक पेड़ लगाने चाहिए। पेड़ हमें ऑक्सीजन प्रदान करते हैं और प्रदूषण को कम करने में मदद करते हैं।

 बिजली की बचत करें:

हमें विद्युत ऊर्जा की बचत करनी चाहिए। बिजली की बचत के लिए हमें अपनी बत्ती और उपकरणों को बंद करना चाहिए जब हम उनका उपयोग नहीं कर रहे होते हैं।

 जल संरक्षण करें:

हमें पानी की बचत करनी चाहिए। हमें स्नान के समय पानी का उपयोग कम करना चाहिए और लीक टैप और पाइपों  की तुरंत मरम्मत करनी चाहिए।

 प्रदूषण कम करें:

हमें वाहनों के प्रदूषण को कम करने के लिए सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करना चाहिए। हमें इंजन की सर्विसिंग समय-समय पर करानी चाहिए ताकि यह अच्छी तरह से काम कर सके और प्रदूषण को कम कर सके।  

समुद्री जीवन की संरक्षा करें:

हमें समुद्री जीवन की संरक्षा करनी चाहिए ताकि वे हमारे पर्यावरण के साथ संतुलन बनाए रख सकें।

  रीसाइकल करें:

हमें कचरे को रीसाइकल करना चाहिए। हम इस्तेमाल की गई सामग्री को पुनर्चक्रण करके उसका उपयोग कर सकते हैं और भूमि को कचरे (waste landfill) से बचा सकते हैं।

संक्षेप में पर्यावरण की संरक्षण के लिए हम अपनी खपत को कम करके, रीसाइकलिंग और कम्पोस्टिंग करके, कम ऊर्जा का उपयोग करके,  सार्वजनिक परिवहन का इस्तेमाल करके, पर्यावरण के अनुकूल उत्पादों  और व्यवसायों का समर्थन करके कर सकते हैं। हम पर्यावरणीय क्रांति और पर्यावरण संरक्षण में सक्रिय होकर और दूसरों को जोड़कर इस क्षेत्र में बेहतर प्रयास कर सकते हैं।

पर्यावरण संरक्षण के लिए हमें उदारवादी सोचने की आवश्यकता है। हमें अपने आस-पास की प्रकृति के साथ संघर्ष करने की बजाय उसकी सहायता करनी चाहिए। हमें प्राकृतिक संसाधनों का समय पर उपयोग करना चाहिए और उन्हें संरक्षित रखना चाहिए। हमें उच्च गुणवत्ता वाले उत्पादों का उपयोग करना चाहिए और विकास को सतत रखने की आवश्यकता है, लेकिन हमें इसे पर्यावरण के नुकसान के बिना करना चाहिए।

पर्यावरण संरक्षण के लिए हमें एकजुट होकर काम करना चाहिए। हमें अपनी सरकार को प्रदूषण नियंत्रण के लिए कठोर कानून बनाने के लिए उचित दबाव डालना चाहिए और इसे पूरे देश में लागू करना चाहिए। हमें इसके लिए विभिन्न अभियानों का आयोजन करना चाहिए और लोगों को पर्यावरण संरक्षण के महत्व के बारे में जागरूक करना चाहिए।

 इस प्रकार, हमें पर्यावरण का महत्व (paryavaran ka mahatva) समझने और इसकी रक्षा करने के लिए कठोर कानून बनाने, जागरूकता फैलाने, और अपनी आदतों को बदलने की आवश्यकता है। हमारा पर्यावरण (hamara paryavaran) हमारे आने वाली पीढ़ियों के लिए आश्रय है और  हम पर इसे संरक्षित रखने की जिम्मेदारी है। हमें अपनी छोटी-छोटी कार्रवाइयों  और प्रयासों से शुरूआत करनी चाहिए और पर्यावरण की सुरक्षा के लिए अपना योगदान देना चाहिए। 

पर्यावरण का महत्व पर निबंध का निष्कर्ष। Conclusion of Paryavaran ka mahatva par nibandh: 

पर्यावरण हमारे जीवन का अटूट हिस्सा है। हमारा पर्यावरण हमें ऊर्जा, शुद्ध वायु, पानी, खाद्य और अन्य जीवन संसाधनों की प्रदान करता है। हमें पर्यावरण की सुरक्षा करने की जरूरत है ताकि हम इन संसाधनों का उचित उपयोग कर सकें और इसे अपने आनंद के लिए बनाए रख सकें। पर्यावरण संरक्षण के लिए हमें अपनी आदतों को बदलने, संयुक्त कार्रवाई करने और उदारवादी सोचने की आवश्यकता है। इस प्रकार, हम सभी मिलकर पर्यावरण की सुरक्षा कर सकते हैं और स्वस्थ और सुरक्षित भविष्य की गारंटी कर सकते हैं।

Essay No. 2: पर्यावरण पर निबंध। Paryavaran Essay in Hindi or Essay on environment in hindi: 

पर्यावरण हमारे जीवन की रक्षक है, जिसकी महत्ता को हमें समझना चाहिए। पर्यावरण पर निबंध (paryavaran ke upar nibandh or paryavaran essay in hindi ) के माध्यम से हम पर्यावरण के महत्व (paryavaran ka mahatva) पर गहराई से विचार करेंगे और इसके विभिन्न पहलुओं को जानेंगे। प्रदूषण, जल, वायु, ध्वनि, और प्लास्टिक प्रदूषण जैसे मुद्दों पर भी विचार किया जाएगा। इसे पढ़कर हमें यह अनुभव होगा कि हमारा प्रत्येक कदम पर्यावरण संरक्षण के लिए कितना महत्वपूर्ण है और हमें अपने भूमि की देखभाल करने के लिए सक्रिय होना चाहिए।

पर्यावरण हमारे चारों तरफ विद्यमान है और हमारे जीवन के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। पर्यावरण में हमारे वायुमंडल, धरती, पानी, पेड़-पौधे, पशु-पक्षी और अन्य जीव-जंतु आदि शामिल हैं। हमारे पर्यावरण में न केवल स्वच्छ वायु, नदियों और झीलों का पानी, बल्कि वनस्पति और जानवरों की अपार संपदा भी शामिल है। पर्यावरण हमें जीने के लिए सभी आवश्यक संसाधन प्रदान करता है।

पर्यावरण का महत्व पर निबंध।। Paryavaran Essay in Hindi or Essay on environment in hindi or paryavaran ka nibandh: 

पर्यावरण का महत्व समझने के लिए हमें इसके विभिन्न पहलुओं को समझना चाहिए। पहला महत्वपूर्ण पहलू है पर्यावरण का जल के संरक्षण । पानी हमारे जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह हमारी प्यास बुझाने के लिए जरूरी है, हमारे खाने में इसका उपयोग होता है और इसे साफ रखना हमारे स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है। पानी की गंभीर समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं, जैसे जलसंकट, जलाशयों की प्रदूषण और जल संपदा की कमी जिसके लिएहमें जागरूक  होने की आवश्यकता है। हमें पानी का सही उपयोग करना चाहिए और इसकी बचत भी करनी चाहिए।

दूसरा महत्वपूर्ण पहलू है वायुमंडल के संरक्षण का । हमारे पर्यावरण में स्वच्छ और प्रदूषण मुक्त वायु का होना बहुत आवश्यक है। वायुमंडल में विषाणुओं, धूल, धुंध और अन्य प्रदूषक पदार्थों के जलने से प्रदूषण होता है जो हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है। हमें पर्यावरण संरक्षण के लिए योजनाबद्ध ढंग से जीना चाहिए, जैसे प्रदूषण करने वाले पदार्थों का उपयोग कम करना, गैर-प्राकृतिक ऊर्जा का उपयोग कम करना और वैश्विक तापमान में कमी करने के लिए सही कदम उठाना।

पेड़-पौधों का संरक्षण भी पर्यावरण के लिए महत्वपूर्ण है। पेड़-पौधे हमारे जीवन का आधार हैं। वे हमें ताजी हवा, ऑक्सीजन, शांति और सौंदर्य प्रदान करते हैं। हमें वृक्षारोपण करना चाहिए और पेड़ों का संरक्षण करना चाहिए। हमें वन्य जीवों की संरक्षा करनी चाहिए और अपने आस-पास के प्राकृतिक माहौल की देखभाल करनी चाहिए।

पर्यावरण का संरक्षण करने के अलावा, हमें प्रदूषण को कम करने के लिए भी कदम उठाने चाहिए। जल, हवा और भूमि प्रदूषण की समस्याओं से निपटने के लिए हमें गैर-प्राकृतिक पदार्थों का उपयोग कम करना चाहिए। हमें सभी प्रदूषण योग्य औद्योगिक गतिविधियों को नियंत्रित करने के लिए उचित कानूनों का पालन करना चाहिए।

इसके अलावा, हमें अपने स्वास्थ्य और सुख-शांति के लिए पर्यावरण की देखभाल करनी चाहिए। हमें स्वस्थ भोजन खाना चाहिए और प्राकृतिक उपचार का उपयोग करना चाहिए। हमें ध्यान देना चाहिए कि हम अपनी आदतों को बदलकर, विचार करके और सही निर्णय लेकर पर्यावरण की सुरक्षा कर सकते हैं।

इस प्रकार, पर्यावरण का महत्व हमारे जीवन में अन्यों चीजों से कहीं ज्यादा है। हमें पर्यावरण के साथ संतुष्ट और संतुलित रहकर इसकी देखभाल करनी चाहिए। हमारा पर्यावरण हमें जीने के लिए सभी संसाधन प्रदान करता है और हमें इसके लिए आभारी होना चाहिए। हमें सावधान रहकर अपने पर्यावरण का सम्मान करना चाहिए, ताकि हम और हमारी आने वाली पीढ़ियां सुरक्षित और स्वस्थ जीवन बिता सकें।

इस प्रकार, हमारा पर्यावरण हमारे लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है और हमें इसकी देखभाल करनी चाहिए। हमें पर्यावरण संरक्षण के लिए संघर्ष करना चाहिए और इसे हर संभव तरीके से सुरक्षित रखना चाहिए। हमारे छोटे कदम भी पर्यावरण के लिए महत्वपूर्ण होते हैं। हमें पर्यावरण पर केवल बातें नहीं करनी चाहिए, बल्कि इसे समझना और इसकी देखभाल करना चाहिए। हमारे छोटे कदम बड़े परिवर्तन लाने में सहायता करेंगे और हमें एक स्वस्थ, सुरक्षित और सुखी पर्यावरण में जीने की संभावना प्रदान करेंगे।

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paryatan ka mahatva essay in hindi class 10

बृजेश कुमार स्वास्थ्य, सुरक्षा, पर्यावरण और समुदाय (Occupational Health, Safety, Environment and Community) से जुड़े विषयों पर लेख लिखते हैं और चाय के पल के संस्थापक भी हैं।वह स्वास्थ्य, सुरक्षा, पर्यावरण और सामुदायिक मामलों (Health, Safety, Environment and Community matters) के विशेषज्ञ हैं और उन्होंने पोर्ट्समाउथ विश्वविद्यालय, यूनाइटेड किंगडम (Portsmouth University, United Kingdom) से व्यावसायिक स्वास्थ्य, सुरक्षा और पर्यावरण प्रबंधन में मास्टर डिग्री (Master's degree in Occupational Health, Safety & Environmental Management ) हासिल की है। चाय के पल के माध्यम से इनका लक्ष्य स्वास्थ्य, सुरक्षा, पर्यावरण और समुदाय से संबंधित ब्लॉग बनाना है जो लोगों को सरल और आनंददायक तरीके से स्वास्थ्य, सुरक्षा और पर्यावरण के बारे में जानकारी देता हो।

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परिश्रम का महत्व पर निबंध-Importance Of Hard Work Essay In Hindi (100, 200, 300, 400, 500, 700, 1000 Words)

परिश्रम का महत्व-importance of hard work in hindi.

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परिश्रम का महत्व पर निबंध 1 (100 शब्द)

जीवन के उत्थान में परिश्रम का एक महत्वपूर्ण स्थान है, जीवन में आगे बढ़ने के लिए, लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए श्रम ही आधार है। परिश्रम से कठिन से कठिन कार्य संपन्न किए जा सकते हैं, जो परिश्रम करता है उसका भाग्य भी उसका साथ देता है जो सोता रहता है उसका भाग्य सोता रहता है। श्रम के बल अगम्य पर्वत चोटियों पर अपनी विजय का पताका पहरा दिया।

श्रम हर मनुष्य अपनी मंजिल पर पहुंच जाता है। अथक परिश्रम ही जीवन का सौंदर्य है। श्रम के द्वारा ही मनुष्य अपने आपको महान बना सकता है। परिश्रम ही मनुष्य के जीवन को महान बनाने वाला है। परिश्रम ही वास्तव में ईश्वर की उपासना है।

परिश्रम का महत्व पर निबंध 2 (200 शब्द)

परिश्रम अथवा कार्य ही मनुष्य की वास्तविक पूजा-अर्चना है । इस पूजा के बिना मनुष्य का सुखी-समृद्‌ध होना अत्यंत कठिन है । वह व्यक्ति जो परिश्रम से दूर रहता है अर्थात् कर्महीन, आलसी व्यक्ति सदैव दु:खी व दूसरों पर निर्भर रहने वाला होता है।

परिश्रमी व्यक्ति अपने कर्म के द्‌वारा अपनी इच्छाओं की पूर्ति करते हैं । उन्हें जिस वस्तु की आकांक्षा होती है उसे पाने के लिए रास्ता चुनते हैं । ऐसे व्यक्ति मुश्किलों व संकटों के आने से भयभीत नहीं होते अपितु उस संकट के निदान का हल ढूँढ़ते हैं। अपनी कमियों के लिए वे दूसरों पर लांछन या दोषारोपण नहीं करते ।

दूसरी ओर कर्महीन अथवा आलसी व्यक्ति सदैव भाग्य पर निर्भर होते हैं । अपनी कमियों व दोषों के निदान के लिए प्रयास न कर वह भाग्य का दोष मानते हैं । उसके अनुसार जीवन में उन्हें जो कुछ भी मिल रहा है या फिर जो भी उनकी उपलब्धि से परे है उन सब में ईश्वर की इच्छा है । वह भाग्य के सहारे रहते हुए जीवन पर्यंत कर्म क्षेत्र से भागता रहता है । वह अपनी कल्पनाओं में ही सुख खोजता रहता है परंतु सुख किसी मृगतृष्णा की भाँति सदैव उससे दूर बना रहता है । किसी विद्‌वान ने सच ही कहा है कि परिश्रम सफलता की कुंजी है ।

परिश्रम का महत्व पर निबंध 3 (300 शब्द)

भूमिका : मनुष्य के जीवन में परिश्रम का बहुत महत्व होता है। इस संसार में कोई भी प्राणी काम किये बिना नहीं रह सकता है। प्रकृति के कण-कण बने हुए नियमों से अपना-अपना काम करता है। चींटी का जीवन भी परिश्रम से ही पूर्ण होता है। मनुष्य परिश्रम करके अपने जीवन की हर समस्या से छुटकारा पा सकता है| सूर्य हर रोज निकलकर विश्व का उपकार करता है।

परिश्रम का महत्व :   देखा जाए तो परीक्षण को कुछ ही शब्दों में वर्णित नहीं किया जा सकता है क्योंकि किसी व्यक्ति के जीवन में परिश्रम है अर्थात वह परिश्रम करने से नहीं डरता तो उसके लिए कोई भी काम असंभव नहीं है। वह हर असंभव काम को संभव बना सकता है। इसीलिए कहा जाता है कि दुनिया में कोई भी काम असंभव नहीं है। जरूरी है तो हमारा परिश्रम करना।

इतिहास भी इस बात का साक्षी है कि जो इंसान अधिक परिश्रम करता है। वह जिंदगी में सब कुछ पा सकता है उसके लिए कोई भी सीमा बाधित नहीं है।

उपसंहार : जो व्यक्ति परिश्रमी होते हैं वे चरित्रवान, ईमानदार, परिश्रमी, और स्वावलम्बी होते हैं। अगर हम अपने जीवन की, अपने देश और राष्ट्र की उन्नति चाहते हैं तो आपको भाग्य पर निर्भर रहना छोडकर परिश्रमी बनना होगा। जो व्यक्ति परिश्रम करता है उसका स्वास्थ्य भी ठीक रहता है।

आज के देश में जो बेरोजगारी इतनी तेजी से फैल रही है उसका एक कारण आलस्य भी है। बेरोजगारी को दूर करने के लिए परिश्रम एक बहुत ही अच्छा साधन है। मनुष्य परिश्रम करने की आदत बचपन या विद्यार्थी जीवन से ही डाल लेनी चाहिए। परिश्रम से ही किसान जमीन से सोना निकालता है। परिश्रम ही किसी भी देश की उन्नति का रहस्य होता है।

परिश्रम का महत्व पर निबंध 4 (400 शब्द)

भूमिका : परिश्रम का मनुष्य के लिए वही महत्व है जो उसके लिए खाने और सोने का है । बिना परिश्रम का जीवन व्यर्थ होता है क्योंकि प्रकृति द्‌वारा दिए गए संसाधनों का उपयोग वही कर सकता है जो परिश्रम पर विश्वास करता है। परिश्रम अथवा कर्म का महत्व श्रीकृष्ण ने भी अर्जुन को गीता के उपदेश द्‌वारा समझाया था । उनके अनुसार: ”कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन: ।”

परिश्रम और भाग्य :  क्या भाग्य ही सब कुछ है? क्या भाग्य के आगे परिश्रम का कोई महत्व नही है? कई लोगो द्वारा भाग्य को ही सब कुछ मान लिया जाता है और उसे ही अत्याधिक महत्व देते हैl ऐसे लोग भाग्य पर निर्भर होने के कारण जीवन में बड़ा हासिल नही कर पाते और भाग्य के सहारे ही जीवन जीते है और आलस का दामन थाम लेते है जबकि परिश्रम से कोई भी मनुष्य अपने भाग्य को भी बदल सकता है।

परिश्रम के लाभ : परिश्रम करने से आत्मिक शान्ति प्राप्त होती है, हृदय पवित्र होता है, सच्चे ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है तथा मनुष्य उन्नति की पराकाष्ठा पर पहुँचता है। हमारा इतिहास उद्यमी लोगों की सफलता के गुणगानों से भरा पड़ा है। अमेरिका तथा जापान जैसे देशो की सफलता का रहस्य उनके द्वारा किया जाने वाला अनवरत परिश्रम ही है।

परिश्रम करने से मनुष्य के अन्तः करण की शुद्धि होती है तथा सांसारिक दुर्बलताएँ तथा वासनाएँ उसे नहीं सताती। परिश्रमी व्यक्ति को यश तथा धन दोनों मिलते हैं। यदि शारीरिक श्रम करने वाला व्यक्ति शारीरिक तौर पर चुस्त-तन्दुरुस्त रहता है तो मानसिक श्रम करने वाला व्यक्ति भी पीछे नहीं रहता। बीमारी ऐसे व्यक्तियों के पास भी नहीं भटकती।

उपसंहार : परिश्रम करने से हमारा शरीर स्वस्थ रहता है, परिश्रम दो प्रकार के होते हैं एक मानसिक परिश्रम और दूसरा शारीरिक परिश्रम कई कामों में दोनों तरह के परिश्रम ओं का इस्तेमाल किया जाता है परिश्रम करने से हमारा शरीर स्वस्थ रहता है और किसी भी प्रकार की बीमारियां नहीं होती है।

परिश्रम का महत्व पर निबंध 5 (500 शब्द)

भूमिका : सूर्य हर रोज निकलकर विश्व का उपकार करता है। वह कभी भी अपने नियम का उल्लंघन नहीं करता है। वह पर्वतों को काटकर सडक बना सकता है, नदियों पर पुल बना सकता है, जिन रास्तों पर काँटे होते हैं उन्हें वह सुगम बना सकता है। समुद्रों की छाती को चीरकर आगे बढ़ सकता है। नदियाँ भी दिन-रात यात्रा करती रहती हैं। वनस्पतियाँ भी वातावरण के अनुसार परिवर्द्धित होती रहती हैं। कीड़े, पशु, पक्षी अपने दैनिक जीवन में व्यस्त रहते हैं।

ऐसा कोई भी कार्य नहीं है जो परिश्रम से सफल न हो सकें। जो पुरुष दृढ प्रतिज्ञ होते हैं उनके लिए विश्व का कोई भी कार्य कठिन नहीं होता है। वास्तव में बिना श्रम के मानव जीवन की गाड़ी चल नहीं सकती है। श्रम से ही उन्नति और विकास का मार्ग खुल सकता है। परिश्रम और प्रयास की बहुत महिमा होती है। अगर मनुष्य परिश्रम नहीं करता तो आज संसार में कुछ भी नहीं होता। आज संसार ने जो इतनी उन्नति की है वह सब परिश्रम का ही परिणाम है।

परिश्रम की विजय :  किसी भी तरह से परिश्रम की ही विजय होती है। संस्कृत में एक उक्ति है – सत्यमेव जयते। इसका अर्थ ही होता है परिश्रम की विजय होती है। मनुष्य मानव प्रकृति का सर्वश्रेष्ठ प्राणी होते है। मनुष्य खुद ही भगवान का स्वरूप माना जाता है।

जब मनुष्य परिश्रम करते हैं तो उनका जीवन उन्नति और विकास की तरफ अग्रसर होता है लेकिन उन्नति और विकास के लिए मनुष्य को उद्यम की जरूरत पडती है। उद्यम से ही मनुष्य अपने कार्य को सिद्ध करता है वह केवल इच्छा से अपने कार्य को सिद्ध नहीं कर सकते है।

महापुरुषों के उदाहरण :  हमारे सामने अनेक ऐसे महापुरुषों के उदाहरण हैं जिन्होंने अपने परिश्रम के बल पर अनेक असंभव से संभव काम किये थे। उन्होंने अपने राष्ट्र और देश का ही नहीं बल्कि पूरे विश्व का नाम रोशन किया था। अब्राहिम लिकंन जी एक गरीब मजदूर परिवार में हुए थे बचपन में ही उनके माता-पिता का देहांत हो गया था लेकिन फिर भी वे अपने परिश्रम के बल पर एक झोंपड़ी से निकलकर अमेरिका के राष्ट्रपति भवन तक पहुंच गये थे।

उपसंहार :  जो व्यक्ति परिश्रमी होते हैं वे चरित्रवान, ईमानदार, परिश्रमी, और स्वावलम्बी होते हैं। अगर हम अपने जीवन की, अपने देश और राष्ट्र की उन्नति चाहते हैं तो आपको भाग्य पर निर्भर रहना छोडकर परिश्रमी बनना होगा। जो व्यक्ति परिश्रम करता है उसका स्वास्थ्य भी ठीक रहता है।

परिश्रम का महत्व पर निबंध 6 (700 शब्द)

भूमिका : मनुष्य के जीवन में परिश्रम का बहुत महत्व होता है। हर प्राणी के जीवन में परिश्रम का बहुत महत्व होता है। इस संसार में कोई भी प्राणी काम किये बिना नहीं रह सकता है। प्रकृति का कण-कण बने हुए नियमों से अपना-अपना काम करता है। चींटी का जीवन भी परिश्रम से ही पूर्ण होता है। मनुष्य परिश्रम करके अपने जीवन की हर समस्या से छुटकारा पा सकता है|

सूर्य हर रोज निकलकर विश्व का उपकार करता है।वह कभी भी अपने नियम का उल्लंघन नहीं करता है। वह पर्वतों को काटकर सडक बना सकता है, नदियों पर पुल बना सकता है, जिन रास्तों पर काँटे होते हैं उन्हें वह सुगम बना सकता है। समुद्रों की छाती को चीरकर आगे बढ़ सकता है। नदियाँ भी दिन-रात यात्रा करती रहती हैं। वनस्पतियाँ भी वातावरण के अनुसार परिवर्द्धित होती रहती हैं।

परिश्रम का महत्व :  परिश्रम का मनुष्य जीवन में बहुत महत्व है वैसे तो यह जीवन मनुष्य का भगवान के द्वारा दिया गया एक उपहार है, परंतु इस जीवन को सार्थकता प्रदान करना ही हमारा धर्म है। परिश्रम से मनुष्य कुछ भी कर सकता है परिश्रम ही राजा को रंक और दुर्बल को सबल बनाती है। परिश्रम का हमारे जीवन पर ही नहीं बल्कि हमारे देश पर भी असर होता है।

जिस देश के नागरिक पढ़े लिखे एवं परिश्रमी वह देश बड़ी ही तेजी से विकास एवं उन्नति करता है। वैसे तो सभी व्यक्ति के अपने-अपने विचार होते हैं एवं सभी लोगों का अपना एक सपना होता है लोग अपने जीवन में तरह-तरह की कल्पनाएं करते हैं परंतु केवल कल्पना मात्र करने से हमें सफलता नहीं मिलेगी उसके लिए केवल एक ही उपाय करना होगा वह है – परिश्रम।

आलस्य से हानियाँ :  आलस ही असफलता का कारण होता है, जो व्यक्ति आलसी हो जाता है उसका विकास रुक जाता है और सफलता पाना उसके लिए नमुमकिन हो जाता हैl जबकि परिश्रमी व्यक्ति जीवन में आगे बढ़ता हैl विद्यार्थी को परिश्रम करना चाहिए जिससे वह परीक्षा में सफल होकर जीवन में भी सफल हो सके।

इस प्रकार परिश्रम का हमारे जीवन में एक विशेष महत्व है इसके बिना जीवन की कल्पना करना मुश्किल है l मजदूर भी परिश्रम से ही संसार के लिए उपयोगी वस्तुओं का निर्माण करता है, कवि और लेखकों ने परिश्रम के बल पर अपनी रचनाओं से देश को मंत्रमुग्ध किया है।

परिश्रम की आवश्यकता : जीवन में सफलता की कुंजी परिश्रम ही है, इसलिए हर क्षण हमें परिश्रम की आवश्यकता होती है। खाना भी मुँह में स्वयं नहीं चला जाता, चबाना पड़ता है। लेकिन जो व्यक्ति कोई भी कार्य करना ही नहीं चाहता, ऐसा आलसी, अनुद्योगी तथा अकर्मण्य व्यक्ति कहीं भी सफलता नहीं पा सकता। उसी मानव का जीवन सार्थक माना जा सकता है, जिसने अपने तथा अपने राष्ट्र के उत्थान हेतु परिश्रम किया हो। अनेक संघर्षों तथा उद्यमों के पश्चात् ही सफलता मनुष्य के कदम चूमती है।

परिश्रम का वास्तविक स्वरूप : किसी को अपने जीवन में कब परिश्रम करना चाहिए? इसका सही समय क्या होना चाहिए? इत्यादि उलझनों में हम घेरे रहते हैं। परिश्रम का वास्तविक स्वरूप यह है कि हमें बिना फल के कर्म करते रहना चाहिए।

भगवान कृष्ण ने भी गीता में यही कहा था कि कर्म करते रहो फल की इच्छा ना करो। अगर आपको कुछ भी चाहिए तो आप उसके लिए परिश्रम करते रहिए। कभी ना कभी वह आपको जरूर हासिल होगा।

उपसंहार : अत: उन्नति विकास एवं समृद्धि के लिए यह आवश्यक है कि सभी मनुष्य परिश्रमी बनें । परिश्रम वह कुंजी है जो साधारण से साधारण मनुब्ध को भी विशिष्ट बना देती है । परिश्रमी लोग सदैव प्रशसा व सम्मान पाते हैं । वास्तविक रूप में उन्नति व विकास के मार्ग पर वही व्यक्ति अग्रसर रहते हैं जो परिश्रम से नहीं भागते ।

भाग्य का सहारा वही लोग लेते हैं जो कर्महीन हैं । अत: हम सभी को परिश्रम के महत्व को स्वीकारना एवं समझना चाहिए तथा परिश्रम का मार्ग अपनाते हुए स्वयं का ही नहीं अपितु अपने देश और समाज के नाम को ऊँचाई पर ले जाना चाहिए ।

परिश्रम का महत्व पर निबंध 7 (1000+ शब्द)

वह कभी भी अपने नियम का उल्लंघन नहीं करता है। वह पर्वतों को काटकर सडक बना सकता है, नदियों पर पुल बना सकता है, जिन रास्तों पर काँटे होते हैं उन्हें वह सुगम बना सकता है। समुद्रों की छाती को चीरकर आगे बढ़ सकता है। नदियाँ भी दिन-रात यात्रा करती रहती हैं। वनस्पतियाँ भी वातावरण के अनुसार परिवर्द्धित होती रहती हैं। कीड़े, पशु, पक्षी अपने दैनिक जीवन में व्यस्त रहते हैं।

परिश्रम और भाग्य :  कुछ लोग परिश्रम की जगह भाग्य को अधिक महत्व देते हैं। ऐसे लोग केवल भाग्य पर ही निर्भर होते हैं। वे भाग्य के सहारे जीवन जीते हैं लेकिन उन्हें यह नहीं पता होता है कि भाग्य जीवन में आलस्य को जन्म देता है और आलस्य जीवन मनुष्य के लिए एक अभिशाप की तरह होता है। वे लोग यह समझते हैं कि जो हमारे भाग्य में होगा वह हमें अवश्य मिलेगा। वे परिश्रम करना व्यर्थ समझते हैं।

भाग्य का हमारे जीवन में बहुत महत्व होता है लेकिन आलसी बनकर बैठे हुए असफलता के लिए भगवान को कोसना ठीक बात नहीं है। आलसी व्यक्ति हमेशा दूसरों के भरोसे पर जीवन यापन करता है। वह अपने हर काम को भाग्य पर छोड़ देता है। हमारे इसी भाव की वजह से भारत देश ने कई वर्षों तक गुलामी की थी। परिश्रम से कोई भी मनुष्य अपने भाग्य को भी बदल सकता है।

जो व्यक्ति आलसी होते हैं वे केवल भगवान के लिखे हुए पर आश्रित होते हैं। हम सभी के मन में हीनता की भावना पैदा हो गई है लेकिन जैसे-जैसे हमने परिश्रम के महत्व को समझा तो हमने पराधीनता की बेड़ियों को तोडकर स्वतंत्रता की ज्योति जलाई थी। कायर व्यक्ति हमेशा कहते रहते हैं कि हमें भगवान देगा। अगर परिश्रम करने के बाद भी हमें सफलता नहीं मिलती है तो हमे इस पर विचार करना चाहिए कि हमारे परिश्रम में क्या कमी थी।

परिश्रम का महत्व : परिश्रम का बहुत अधिक महत्व होता है। जब मनुष्य के जीवन में परिश्रम खत्म हो जाता है तो उसके जीवन की गाड़ी रुक जाती है। अगर हम परिश्रम न करें तो हमारा खुद का खाना-पीना, उठना-बैठना भी संभव भी नहीं हो पायेगा। अगर मनुष्य परिश्रम न करे तो उन्नति और विकास की कभी कल्पना ही नहीं की जा सकती थी। आज के समय में जितने भी देश उन्नति और विकास के स्तर पर इतने ऊपर पहुंच गये हैं वे भी परिश्रम के बल पर ही ऊँचे स्तर पर पहुँचे हैं।

परिश्रम से अभिप्राय होता है वो परिश्रम जिससे विकास और रचना हो। इसी परिश्रम के बल पर बहुत से देशों ने अपने देश को उन्नति और विकास के शिखर पर पहुँचा दिया है। जो परिश्रम व्यर्थ में किया जाता है उसका कोई अर्थ नहीं होता है। जिन व्यक्तियों के जीवन में आलस भरा होता है वे कभी भी जीवन में उन्नति नहीं कर सकते हैं। आज मनुष्य ने परिश्रम से अपने जीवन को उन्नति और विकास के शिखर पर पहुँचा लिया है। परिश्रम के बिना किसी भी प्राणी का जीवन व्यर्थ होता है।

परिश्रम की विजय :  किसी भी तरह से परिश्रम की ही विजय होती है। संस्कृत में एक उक्ति है – सत्यमेव जयते। इसका अर्थ ही होता है परिश्रम की विजय होती है। मनुष्य मानव प्रकृति का सर्वश्रेष्ठ प्राणी होते है। मनुष्य खुद ही भगवान का स्वरूप माना जाता है। जब मनुष्य परिश्रम करते हैं तो उनका जीवन उन्नति और विकास की तरफ अग्रसर होता है लेकिन उन्नति और विकास के लिए मनुष्य को उद्यम की जरूरत पडती है। उद्यम से ही मनुष्य अपने कार्य को सिद्ध करता है वह केवल इच्छा से अपने कार्य को सिद्ध नहीं कर सकते है।

जिस तरह से बिल्ली के मुंह में चूहे खुद ही आकर नहीं बैठते है उसी तरह से मनुष्य के पास बिना परिश्रम के उन्नति और विकास खुद ही नहीं हो जाते हैं। परिश्रम के बिना कभी भी मनुष्य का काम सफल नहीं हो सकता है। जब मनुष्य किसी काम को करने के लिए परिश्रम करता है तभी मनुष्य को सफलता मिलती है। मनुष्य कर्म करके अपना भाग्य खुद बनाता है। जो व्यक्ति कर्मशील और परिश्रमी होता है केवल वही अपने जीवन में आने वाली बाधाओं और कठिनाईयों पर परिश्रम से विजय प्राप्त कर सकता है।

परिश्रम के लाभ :   परिश्रम से मनुष्य के जीवन में अनेक लाभ होते हैं। जब मनुष्य जीवन में परिश्रम करता है तो उसका जीवन गंगा के जल की तरह पवित्र हो जाता है। जो मनुष्य परिश्रम करता है उसके मन से वासनाएं और अन्य प्रकार की दूषित भावनाएँ खत्म हो जाती हैं। जो व्यक्ति परिश्रम करते हैं उनके पास किसी भी तरह की बेकार की बातों के लिए समय नहीं होता है। जिस व्यक्ति में परिश्रम करने की आदत होती है उनका शरीर हष्ट-पुष्ट रहता है। परिश्रम करने से मनुष्य का शरीर रोगों से मुक्त रहता है।

परिश्रम करने से जीवन में विजय और धन दोनों ही मिलते हैं। अक्सर ऐसे लोगों को देखा गया है जो भाग्य पर निर्भर नहीं रहते हैं और थोड़े से धन से काम करना शुरू करते हैं और कहाँ-से-कहाँ पर पहुंच जाते है। जिन लोगों के पास थोडा धन हुआ करता था वे अपने परिश्रम से धनवान बन जाते हैं। जो व्यक्ति परिश्रमी होते हैं उन्हें जीवित रहते हुए भी यश मिलता है और मरने के बाद भी। परिश्रमी व्यक्ति ही अपने राष्ट्र और देश को ऊँचा उठा सकता है। जिस देश के लोग परिश्रमी होते है वही देश उन्नति कर सकता है। जिस देश के नागरिक आलसी और भाग्य पर निर्भर होते हैं वह देश किसी भी शक्तिशाली देश का आसानी से गुलाम बन जाता है।

बहुत से ऐसे महापुरुष थे जो परिश्रम के महत्व को अच्छी तरह से समझते हैं। लाल बहादुर शास्त्री, महात्मा गाँधी और सुभाष चन्द्र जैसे महापुरुषों ने अपने परिश्रम के बल पर भारत को स्वतंत्र कराया था। डॉ सर्वपल्ली राधा कृष्ण जी अपने परिश्रम के बल पर ही राष्ट्रपति बने थे। ये सभी अपने परिश्रम से ही महान व्यक्ति बने थे।

आलस्य से हानियाँ :  आलस्य से हमारा जीवन एक अभिशाप बन जाता है। आलसी व्यक्ति ही परावलम्बी होता है। आलसी व्यक्ति कभी-भी पराधीनता से मुक्त नहीं हो पाता है। हमारा देश बहुत सालों तक पराधीन रह चुका है। इसका मूल कारण हमारे देश के व्यक्तियों में आलस और हीन भावना का होना था। जैसे-जैसे लोग परिश्रम के महत्व को समझने लगे वैसे-वैसे उन्होंने अपने अंदर से हीन भावना को खत्म कर दिया और आत्मविश्वास को पैदा किया। ऐसा करने से भारत देश एक दिन पराधीन से मुक्त होकर स्वतंत्र हो गया और लोग एक-दूसरे के प्रति प्रेम भाव रखने लगे।

परिश्रम से ही कोई व्यक्ति छोटे से बड़ा बन सकता है। अगर विद्यार्थी परिश्रम ही नहीं करेगा तो वह परीक्षा में कभी-भी सफल नहीं हो सकता है। मजदूर भी परिश्रम से ही संसार के लिए उपयोगी वस्तुओं का निर्माण करता है वह संसार के लिए सडकों, भवनों, मशीनों और डैमों का निर्माण करता है। बहुत से कवि और लेखकों ने परिश्रम के बल पर ही अपनी रचनाओं से देश को वशीभूत किया है। अगर आज देश के लोग आलस करते है तो आज हमे जो विशेष उपलब्धियां प्राप्त हैं वे कभी प्राप्त नहीं होते।

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Hindi Essay (Hindi Nibandh) 100 विषयों पर हिंदी निबंध लेखन

Hindi Essay (Hindi Nibandh) | 100 विषयों पर हिंदी निबंध लेखन – Essays in Hindi on 100 Topics

हिंदी निबंध: हिंदी हमारी राष्ट्रीय भाषा है। हमारे हिंदी भाषा कौशल को सीखना और सुधारना भारत के अधिकांश स्थानों में सेवा करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। स्कूली दिनों से ही हम हिंदी भाषा सीखते थे। कुछ स्कूल और कॉलेज हिंदी के अतिरिक्त बोर्ड और निबंध बोर्ड में निबंध लेखन का आयोजन करते हैं, छात्रों को बोर्ड परीक्षा में हिंदी निबंध लिखने की आवश्यकता होती है।

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  • चुनाव पर निबंध – (Election Essay)
  • चुनाव स्थल के दृश्य का वर्णन निबन्ध – (An Election Booth Essay)
  • पराधीन सपनेहुँ सुख नाहीं पर निबंध – (Dependence Essay)
  • परमाणु शक्ति और भारत हिंदी निंबध – (Nuclear Energy Essay)
  • यदि मैं प्रधानमंत्री होता तो हिंदी निबंध – (If I were the Prime Minister Essay)
  • आजादी के 70 साल निबंध – (India ofter 70 Years Of Independence Essay)
  • भारतीय कृषि पर निबंध – (Indian Farmer Essay)
  • संचार के साधन पर निबंध – (Means Of Communication Essay)
  • भारत में दूरसंचार क्रांति हिंदी में निबंध – (Telecom Revolution In India Essay)
  • दूरसंचार में क्रांति निबंध – (Revolution In Telecommunication Essay)
  • राष्ट्रीय एकता का महत्व पर निबंध (Importance Of National Integration)
  • भारत की ऋतुएँ पर निबंध – (Seasons In India Essay)
  • भारत में खेलों का भविष्य पर निबंध – (Future Of Sports Essay)
  • किसी खेल (मैच) का आँखों देखा वर्णन पर निबंध – (Kisi Match Ka Aankhon Dekha Varnan Essay)
  • राजनीति में अपराधीकरण पर निबंध – (Criminalization Of Indian Politics Essay)
  • प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर हिन्दी निबंध – (Narendra Modi Essay)
  • बाल मजदूरी पर निबंध – (Child Labour Essay)
  • भ्रष्टाचार पर निबंध (Corruption Essay in Hindi)
  • महिला सशक्तिकरण पर निबंध – (Women Empowerment Essay)
  • बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर निबंध (Beti Bachao Beti Padhao)
  • गरीबी पर निबंध (Poverty Essay in Hindi)
  • स्वच्छ भारत अभियान पर निबंध (Swachh Bharat Abhiyan Essay)
  • बाल विवाह एक अभिशाप पर निबंध – (Child Marriage Essay)
  • राष्ट्रीय एकीकरण पर निबंध – (Importance of National Integration Essay)
  • आतंकवाद पर निबंध (Terrorism Essay in hindi)
  • सड़क सुरक्षा पर निबंध (Road Safety Essay in Hindi)
  • बढ़ती भौतिकता घटते मानवीय मूल्य पर निबंध – (Increasing Materialism Reducing Human Values Essay)
  • गंगा की सफाई देश की भलाई पर निबंध – (The Good Of The Country: Cleaning The Ganges Essay)
  • सत्संगति पर निबंध – (Satsangati Essay)
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  • यातायात के नियम पर निबंध – (Traffic Safety Essay)
  • बेटी बचाओ पर निबंध – (Beti Bachao Essay)
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  • परहित सरिस धरम नहिं भाई पर निबंध – (Parhit Saris Dharam Nahi Bhai Essay)
  • पेड़-पौधे का महत्व निबंध – (The Importance Of Trees Essay)
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  • महिलाओं की समाज में भूमिका पर निबंध (Women’s Role In Society Essay In Hindi)
  • यदि मैं प्रधानाचार्य होता पर निबंध – (If I Was The Principal Essay)
  • बेरोजगारी पर निबंध (Unemployment Essay)
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  • बेरोजगारी समस्या और समाधान पर निबंध – (Unemployment Problem And Solution Essay)
  • दहेज़ प्रथा पर निबंध (Dowry System Essay in Hindi)
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  • श्रम का महत्त्व निबंध – (Importance Of Labour Essay)
  • जनसंख्या वृद्धि के दुष्परिणाम पर निबंध – (Problem Of Increasing Population Essay)
  • भ्रष्टाचार : समस्या और निवारण निबंध – (Corruption Problem And Solution Essay)
  • मीडिया और सामाजिक उत्तरदायित्व निबंध – (Social Responsibility Of Media Essay)
  • हमारे जीवन में मोबाइल फोन का महत्व पर निबंध – (Importance Of Mobile Phones Essay In Our Life)
  • विश्व में अत्याधिक जनसंख्या पर निबंध – (Overpopulation in World Essay)
  • भारत में बेरोजगारी की समस्या पर निबंध – (Problem Of Unemployment In India Essay)
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  • गणतंत्र दिवस के महत्व पर निबंध – (2020 – Republic Day Essay)
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  • ए.पी.जे. अब्दुल कलाम पर निबंध – (Dr. A.P.J. Abdul Kalam Essay)
  • परिवार नियोजन पर निबंध – (Family Planning In India Essay)
  • मेरा सच्चा मित्र पर निबंध – (My Best Friend Essay)
  • अनुशासन पर निबंध (Discipline Essay)
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  • समय का सदुपयोग पर निबंध – (Samay Ka Sadupyog Essay)
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  • जल जीवन का आधार निबंध – (Jal Jeevan Ka Aadhar Essay)
  • जल ही जीवन है निबंध – (Water Is Life Essay)
  • प्रदूषण की समस्या और समाधान पर लघु निबंध – (Pollution Problem And Solution Essay)
  • प्रकृति संरक्षण पर निबंध (Conservation of Nature Essay In Hindi)
  • वन जीवन का आधार निबंध – (Forest Essay)
  • पर्यावरण बचाओ पर निबंध (Environment Essay)
  • पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध (Environmental Pollution Essay in Hindi)
  • पर्यावरण सुरक्षा पर निबंध (Environment Protection Essay In Hindi)
  • बढ़ते वाहन घटता जीवन पर निबंध – (Vehicle Pollution Essay)
  • योग पर निबंध (Yoga Essay)
  • मिलावटी खाद्य पदार्थ और स्वास्थ्य पर निबंध – (Adulterated Foods And Health Essay)
  • प्रकृति निबंध – (Nature Essay In Hindi)
  • वर्षा ऋतु पर निबंध – (Rainy Season Essay)
  • वसंत ऋतु पर निबंध – (Spring Season Essay)
  • बरसात का एक दिन पर निबंध – (Barsat Ka Din Essay)
  • अभ्यास का महत्व पर निबंध – (Importance Of Practice Essay)
  • स्वास्थ्य ही धन है पर निबंध – (Health Is Wealth Essay)
  • महाकवि तुलसीदास का जीवन परिचय निबंध – (Tulsidas Essay)
  • मेरा प्रिय कवि निबंध – (My Favourite Poet Essay)
  • मेरी प्रिय पुस्तक पर निबंध – (My Favorite Book Essay)
  • कबीरदास पर निबन्ध – (Kabirdas Essay)

इसलिए, यह जानना और समझना बहुत महत्वपूर्ण है कि विषय के बारे में संक्षिप्त और कुरकुरा लाइनों के साथ एक आदर्श हिंदी निबन्ध कैसे लिखें। साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं। तो, छात्र आसानी से स्कूल और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए हिंदी में निबन्ध कैसे लिखें, इसकी तैयारी कर सकते हैं। इसके अलावा, आप हिंदी निबंध लेखन की संरचना, हिंदी में एक प्रभावी निबंध लिखने के लिए टिप्स आदि के बारे में कुछ विस्तृत जानकारी भी प्राप्त कर सकते हैं। ठीक है, आइए हिंदी निबन्ध के विवरण में गोता लगाएँ।

हिंदी निबंध लेखन – स्कूल और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए हिंदी में निबन्ध कैसे लिखें?

प्रभावी निबंध लिखने के लिए उस विषय के बारे में बहुत अभ्यास और गहन ज्ञान की आवश्यकता होती है जिसे आपने निबंध लेखन प्रतियोगिता या बोर्ड परीक्षा के लिए चुना है। छात्रों को वर्तमान में हो रही स्थितियों और हिंदी में निबंध लिखने से पहले विषय के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं के बारे में जानना चाहिए। हिंदी में पावरफुल निबन्ध लिखने के लिए सभी को कुछ प्रमुख नियमों और युक्तियों का पालन करना होगा।

हिंदी निबन्ध लिखने के लिए आप सभी को जो प्राथमिक कदम उठाने चाहिए उनमें से एक सही विषय का चयन करना है। इस स्थिति में आपकी सहायता करने के लिए, हमने सभी प्रकार के हिंदी निबंध विषयों पर शोध किया है और नीचे सूचीबद्ध किया है। एक बार जब हम सही विषय चुन लेते हैं तो विषय के बारे में सभी सामान्य और तथ्यों को एकत्र करते हैं और अपने पाठकों को संलग्न करने के लिए उन्हें अपने निबंध में लिखते हैं।

तथ्य आपके पाठकों को अंत तक आपके निबंध से चिपके रहेंगे। इसलिए, हिंदी में एक निबंध लिखते समय मुख्य बिंदुओं पर ध्यान केंद्रित करें और किसी प्रतियोगिता या बोर्ड या प्रतिस्पर्धी जैसी परीक्षाओं में अच्छा स्कोर करें। ये हिंदी निबंध विषय पहली कक्षा से 10 वीं कक्षा तक के सभी कक्षा के छात्रों के लिए उपयोगी हैं। तो, उनका सही ढंग से उपयोग करें और हिंदी भाषा में एक परिपूर्ण निबंध बनाएं।

हिंदी भाषा में दीर्घ और लघु निबंध विषयों की सूची

हिंदी निबन्ध विषयों और उदाहरणों की निम्न सूची को विभिन्न श्रेणियों में विभाजित किया गया है जैसे कि प्रौद्योगिकी, पर्यावरण, सामान्य चीजें, अवसर, खेल, खेल, स्कूली शिक्षा, और बहुत कुछ। बस अपने पसंदीदा हिंदी निबंध विषयों पर क्लिक करें और विषय पर निबंध के लघु और लंबे रूपों के साथ विषय के बारे में पूरी जानकारी आसानी से प्राप्त करें।

विषय के बारे में समग्र जानकारी एकत्रित करने के बाद, अपनी लाइनें लागू करने का समय और हिंदी में एक प्रभावी निबन्ध लिखने के लिए। यहाँ प्रचलित सभी विषयों की जाँच करें और किसी भी प्रकार की प्रतियोगिताओं या परीक्षाओं का प्रयास करने से पहले जितना संभव हो उतना अभ्यास करें।

हिंदी निबंधों की संरचना

Hindi Essay Parts

उपरोक्त छवि आपको हिंदी निबन्ध की संरचना के बारे में प्रदर्शित करती है और आपको निबन्ध को हिन्दी में प्रभावी ढंग से रचने के बारे में कुछ विचार देती है। यदि आप स्कूल या कॉलेजों में निबंध लेखन प्रतियोगिता में किसी भी विषय को लिखते समय निबंध के इन हिस्सों का पालन करते हैं तो आप निश्चित रूप से इसमें पुरस्कार जीतेंगे।

इस संरचना को बनाए रखने से निबंध विषयों का अभ्यास करने से छात्रों को विषय पर ध्यान केंद्रित करने और विषय के बारे में छोटी और कुरकुरी लाइनें लिखने में मदद मिलती है। इसलिए, यहां संकलित सूची में से अपने पसंदीदा या दिलचस्प निबंध विषय को हिंदी में चुनें और निबंध की इस मूल संरचना का अनुसरण करके एक निबंध लिखें।

हिंदी में एक सही निबंध लिखने के लिए याद रखने वाले मुख्य बिंदु

अपने पाठकों को अपने हिंदी निबंधों के साथ संलग्न करने के लिए, आपको हिंदी में एक प्रभावी निबंध लिखते समय कुछ सामान्य नियमों का पालन करना चाहिए। कुछ युक्तियाँ और नियम इस प्रकार हैं:

  • अपना हिंदी निबंध विषय / विषय दिए गए विकल्पों में से समझदारी से चुनें।
  • अब उन सभी बिंदुओं को याद करें, जो निबंध लिखने शुरू करने से पहले विषय के बारे में एक विचार रखते हैं।
  • पहला भाग: परिचय
  • दूसरा भाग: विषय का शारीरिक / विस्तार विवरण
  • तीसरा भाग: निष्कर्ष / अंतिम शब्द
  • एक निबंध लिखते समय सुनिश्चित करें कि आप एक सरल भाषा और शब्दों का उपयोग करते हैं जो विषय के अनुकूल हैं और एक बात याद रखें, वाक्यों को जटिल न बनाएं,
  • जानकारी के हर नए टुकड़े के लिए निबंध लेखन के दौरान एक नए पैराग्राफ के साथ इसे शुरू करें।
  • अपने पाठकों को आकर्षित करने या उत्साहित करने के लिए जहाँ कहीं भी संभव हो, कुछ मुहावरे या कविताएँ जोड़ें और अपने हिंदी निबंध के साथ संलग्न रहें।
  • विषय या विषय को बीच में या निबंध में जारी रखने से न चूकें।
  • यदि आप संक्षेप में हिंदी निबंध लिख रहे हैं तो इसे 200-250 शब्दों में समाप्त किया जाना चाहिए। यदि यह लंबा है, तो इसे 400-500 शब्दों में समाप्त करें।
  • महत्वपूर्ण हिंदी निबंध विषयों का अभ्यास करते समय इन सभी युक्तियों और बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए, आप निश्चित रूप से किसी भी प्रतियोगी परीक्षाओं में कुरकुरा और सही निबंध लिख सकते हैं या फिर सीबीएसई, आईसीएसई जैसी बोर्ड परीक्षाओं में।

हिंदी निबंध लेखन पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. मैं अपने हिंदी निबंध लेखन कौशल में सुधार कैसे कर सकता हूं? अपने हिंदी निबंध लेखन कौशल में सुधार करने के सर्वोत्तम तरीकों में से एक किताबों और समाचार पत्रों को पढ़ना और हिंदी में कुछ जानकारीपूर्ण श्रृंखलाओं को देखना है। ये चीजें आपकी हिंदी शब्दावली में वृद्धि करेंगी और आपको हिंदी में एक प्रेरक निबंध लिखने में मदद करेंगी।

2. CBSE, ICSE बोर्ड परीक्षा के लिए हिंदी निबंध लिखने में कितना समय देना चाहिए? हिंदी बोर्ड परीक्षा में एक प्रभावी निबंध लिखने पर 20-30 का खर्च पर्याप्त है। क्योंकि परीक्षा हॉल में हर मिनट बहुत महत्वपूर्ण है। इसलिए, सभी वर्गों के लिए समय बनाए रखना महत्वपूर्ण है। परीक्षा से पहले सभी हिंदी निबन्ध विषयों से पहले अभ्यास करें और परीक्षा में निबंध लेखन पर खर्च करने का समय निर्धारित करें।

3. हिंदी में निबंध के लिए 200-250 शब्द पर्याप्त हैं? 200-250 शब्दों वाले हिंदी निबंध किसी भी स्थिति के लिए बहुत अधिक हैं। इसके अलावा, पाठक केवल आसानी से पढ़ने और उनसे जुड़ने के लिए लघु निबंधों में अधिक रुचि दिखाते हैं।

4. मुझे छात्रों के लिए सर्वश्रेष्ठ औपचारिक और अनौपचारिक हिंदी निबंध विषय कहां मिल सकते हैं? आप हमारे पेज से कक्षा 1 से 10 तक के छात्रों के लिए हिंदी में विभिन्न सामान्य और विशिष्ट प्रकार के निबंध विषय प्राप्त कर सकते हैं। आप स्कूलों और कॉलेजों में प्रतियोगिताओं, परीक्षाओं और भाषणों के लिए हिंदी में इन छोटे और लंबे निबंधों का उपयोग कर सकते हैं।

5. हिंदी परीक्षाओं में प्रभावशाली निबंध लिखने के कुछ तरीके क्या हैं? हिंदी में प्रभावी और प्रभावशाली निबंध लिखने के लिए, किसी को इसमें शानदार तरीके से काम करना चाहिए। उसके लिए, आपको इन बिंदुओं का पालन करना चाहिए और सभी प्रकार की परीक्षाओं में एक परिपूर्ण हिंदी निबंध की रचना करनी चाहिए:

  • एक पंच-लाइन की शुरुआत।
  • बहुत सारे विशेषणों का उपयोग करें।
  • रचनात्मक सोचें।
  • कठिन शब्दों के प्रयोग से बचें।
  • आंकड़े, वास्तविक समय के उदाहरण, प्रलेखित जानकारी दें।
  • सिफारिशों के साथ निष्कर्ष निकालें।
  • निष्कर्ष के साथ पंचलाइन को जोड़ना।

निष्कर्ष हमने एक टीम के रूप में हिंदी निबन्ध विषय पर पूरी तरह से शोध किया और इस पृष्ठ पर कुछ मुख्य महत्वपूर्ण विषयों को सूचीबद्ध किया। हमने इन हिंदी निबंध लेखन विषयों को उन छात्रों के लिए एकत्र किया है जो निबंध प्रतियोगिता या प्रतियोगी या बोर्ड परीक्षाओं में भाग ले रहे हैं। तो, हम आशा करते हैं कि आपको यहाँ पर सूची से हिंदी में अपना आवश्यक निबंध विषय मिल गया होगा।

यदि आपको हिंदी भाषा पर निबंध के बारे में अधिक जानकारी की आवश्यकता है, तो संरचना, हिंदी में निबन्ध लेखन के लिए टिप्स, हमारी साइट LearnCram.com पर जाएँ। इसके अलावा, आप हमारी वेबसाइट से अंग्रेजी में एक प्रभावी निबंध लेखन विषय प्राप्त कर सकते हैं, इसलिए इसे अंग्रेजी और हिंदी निबंध विषयों पर अपडेट प्राप्त करने के लिए बुकमार्क करें।

Hindi Essay on “Parishram Ka Mahatva”, “परिश्रम का महत्व ”, Hindi Nibandh for Class 5, 6, 7, 8, 9 and Class 10 Students, Board Examinations.

परिश्रम का महत्व 

Parishram Ka Mahatva

निबंध नंबर :- 01

आलस्य मानव शरीर का सबसे बड़ा शत्रु है। यह किसी भी कार्य को करने में एक रुकावट है। आलस्य मनुष्य की बुधि को मंद कर उसे सुस्त बना देता है। एक बहुत पुरानी कहावत है कि सोए हुए शेर के मुख में हिरन नहीं आता, उसे भोजन के लिए परिश्रम करना पड़ता है। उसे हिरन के पीछे भागना ही पड़ेगा।

जीवन में अपनी इच्छाएँ पूरी करने के लिए हम भाग्य पर निर्भर नहीं रह सकते, हमें परिश्रम करना ही पड़ता है। जिस तरह स्वतंत्र भारत की खुली हवा स्वतंत्रता सेनानियों के कठिन परिश्रम का फल है। उसी तरह हमारा साहित्य प्रेमचंद, सरोजिनी नायडु, सूरदास, टैगोर जैसे महान कथाकारों के परिश्रम का परिणाम है।

लाल बहादुर शास्त्री, राणा प्रताप, शिवाजी इन सभी ने कई लड़ाइयाँ। लड़ कठिन तपस्या का परिचय दिया।

अपनी असफलता का दोष भाग्य पर डालकर निराश बैठने से हम कभी अपना लक्ष्य प्राप्त नहीं कर सकते। उसके लिए एकमात्र साधन परिश्रम ही है।

विद्यार्थी जीवन में हम प्राय: जो भी सीखते हैं वह हमारे चरित्र में निहित हो जाता है। अतः परिश्रम जैसे सद्गुणों को अपनाकर हमें अपना भावी जीवन भी प्रकाशमय बनाना चाहिए।

निबंध नंबर :- 02

परिश्रम का महत्व

Parishram ka Mahatva 

सृष्टि के विकास का मूलमंत्र है-परिश्रम। श्रम के बल पर ही संसार के समस्त कार्य संचालित होते हैं। संसार में सभी मनष्य कर्म के अपार हैं। मानव ने आदिम युग से आज तक का सभ्य जीवन परिश्रम प्राप्त किया है।

का दूसरा नाम श्रम है। मानव शरीर और मस्तिष्क से जो भी करता है, वह श्रम ही है। श्रम दो प्रकार के होते हैं शारीक मानसिक श्रम। शरीर से जो श्रम किया जाता है, उसे शारीरिक श्रम हैं और जो श्रम बुद्धि या मन से किया जाता है उसे मानसिक श्रम कहते हैं।

जीवन में परिश्रम का महत्वपूर्ण स्थान है। जीवन में सुख और समृद्धि श्रम पर आधारित है। अथक परिश्रम से असंभव कार्य भी संभव हो जाते हैं। फलतः श्रम को जीवन की सफलता की कुंजी कहा जाता है। श्रम वह सौपान है जिस पर चढ़कर मनुष्य संसार के सभी सुखों को प्राप्त कर सकता है। मानवता का विकास और वैज्ञानिक उन्नति परिश्रम का ही परिणाम हैं।

जिस प्रकार खुशबू के बिना पुष्प बेकार है, उसी प्रकार श्रम के बिना जीवन व्यर्थ है। जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में श्रम का महत्व दृष्टिगोचर होता है। अध्यापक परिश्रमी छात्र से सर्वदा प्रसन्न रहते हैं। मालिक मेहनती सेवक से संतुष्ट रहता है। वृद्ध लोग परिश्रम से सेवा करने वाले बच्चों से प्रसन्न रहते हैं। कोई भी छात्र परीक्षा में प्रथम स्थान परिश्रम से ही प्राप्त करता है।

इसी प्रकार प्रतियोगी परीक्षाओं में परिश्रम द्वारा उत्तीर्ण होने पर ही प्रतियोगियों को सफलता मिलती है और वे सरकारी उच्च पद प्राप्त करते हैं। परिवार के परिश्रमी सदस्य के हाथ में ही घर की बागडोर होती है। इस प्रकार परिश्रम की अनिवार्यता जीवन के सभी क्षेत्रों में देखी जा सकती है।

गीता में भी लिखा है-“कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन्।” इस श्लोक में भी परिश्रम की महत्ता ही प्रतिपादित की गई है। इसी प्रकार अंग्रेजी की एक कहावत है- “God helps those, who helps themselves” अर्थात् ईश्वर उन्हीं की मदद करता है, जो अपनी स्वयं करते हैं। आलसी और अकर्मण्य मनुष्य पृथ्वी पर भार-स्व आलस्य मनुष्य का प्रबल शत्रु है। और हाथ पर हाथ रखकर बैठना की निशानी है। मनुष्य अपने भाग्य का स्वयं निर्माता है। और के परिश्रम के बल पर ही वह अपने भाग्य को बदल सकता है।

अतः संसार में महान और अमर बनने के लिए परिश्रम अति आवश्यक है और परिश्रम से ही प्रत्येक व्यक्ति और देश की उन्नति संभव है।

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त्योहारों का महत्व पर निबंध | Essay On Importance Festivals Of India In Hindi

आज का निबंध, त्योहारों का महत्व पर निबंध Essay On Importance Festivals Of India In Hindi पर दिया गया हैं.

जीवन में पर्व त्योंहार क्यों महत्वपूर्ण हैं क्यों मनाएं जाते हैं. भारत के प्रमुख त्यौहार कौन कौनसे हैं इन विषयों पर आसान भाषा में निबंध दिया गया हैं.

त्योहारों का महत्व पर निबंध Essay On Importance Festivals In Hindi

त्योहारों का महत्व पर निबंध | Essay On Importance Festivals Of India In Hindi

मानव आदिकाल से उत्सव प्रिय रहा है. मानव समाज में इस कारण उत्सव एवं त्योहार का बहुत ही महत्व है. असभ्य व आदिवासी जातियों से लेकर सभ्य एवं सुसंस्कृत लोगों तक सभी के जीवन में त्योहारों उत्सवों का आयोजन होता है.

ये उत्सव त्योहार हमारे दुखों को कम करते है तथा जीवन की कटुता में सरसता एवं माधुर्य लाते है. ये त्योहार हमारी सांस्कृतिक धरोहर है, जिनसे हम भावनात्मक रूप से जुड़े हुए है. ये समाज में आनंद-मंगल एवं एकात्मकता का वातावरण उत्पन्न करते है.

प्रमुख त्योंहार (national festivals of india in hindi)

हमारा देश त्योहारों उत्सवों का देश है, यहाँ कोई महिना ऐसा नही है, जिसमे कोई छोटा बड़ा त्योहार नही पड़ता है. हमारा कृषि कर्म मुख्य धंधा है.

उसका वर्ष आषाढ़ से प्रारम्भ होता है., क्योकि इसी माह में वर्षा आरम्भ होती है और खेतों में जुताई बुवाई करके कृषि कर्म का वर्ष प्रारम्भ होता है.

सर्वप्रथम आषाढ़ की पूर्णिमा को आषाढ़ी पर्व मनाया जाता है. वैसे हिन्दू धर्म में प्रमुख त्योहार ये है- दीपावली, होली, रक्षाबंधन, रामनवमी, कृष्ण जन्माष्टमी, विजयादशमी, मकर सक्रांति, शिवरात्रि, गणेश चतुर्थी, श्रावणी तीज, दुर्गा अष्टमी, बसंत पंचमी.

दीपावली व होली ऋतू परिवर्तन के समारोह है तथा इनका सम्बन्ध धार्मिक आस्था से भी है. कृष्ण जन्माष्टमी, रामनवमी ये महान पर्व दो महान पुरुषों के जन्मदिन है.

इस प्रकार सभी त्योहार हमारी संस्कृति से जुड़े हुए है. भारतीय जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में धर्म की प्रधानता होने के कारण सभी त्योहारों का कुछ न कुछ धार्मिक महत्व है ही.

त्योहारों का महत्व एवं उद्देश्य (Importance and purpose of festivals)

भारतीय जीवन में त्योहारों का सांस्कृतिक, ऐतिहासिक, धार्मिक, मनोवैज्ञानिक महत्व है. संस्कृति अर्थात उतम कृति जिसमे देह, इन्द्रिय, प्राण, मन, बुद्धि आदि की उत्तम चेष्टाएँ या हलचल के द्वारा इनमे लौकिक, पारलौकिक, धार्मिक, आध्यात्मिक, आर्थिक, राजनैतिक सभी प्रकार के अभ्युदय उन्नति के अनुकूल चेष्टाएँ आ जाती है.

भारतीय संस्कृति में सब कर्मों को वर्णाश्रम धर्म के अनुसार विभाजित कर दिया गया है. वर्ण और आश्रमों के धर्म में विविधता एवं भिन्नता होते हुए भी उसमे एकरूपता है, जिसका प्राण प्रेम है.जहाँ वर्ण व्यवस्था के अनुसार धर्माचरण का विधान किया गया है. वहाँ वर्णानुसार त्योहारों की प्रतिष्ठा हुई है.

उदाहरणार्थ ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शुद्र इन चार वर्णों के अलग अलग त्योहार है.जो क्रमशः श्रावणी, विजयादशमी, दीपावली एवं होली के रूप में मनाये जाते है. परन्तु हमारी संस्कृति समन्वयपरक है, अतः प्रत्येक त्योहार को चारों वर्ण बड़े उत्साह एवं उल्लास के साथ मनाते है.

 श्रावण की पूर्णिमा (Full moon of shravan)

श्रावणी का पवित्र त्योहार श्रावण की पूर्णिमा को बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है. प्राचीन समय में जब आर्य लोग किसी पवित्र स्थान पर एकत्रित होते थे. वे वहां ऋषियों से धर्मोपदेश सुनते और मिलकर एक बड़ा यज्ञ करते थे.

आज भी हम श्रावणी के पवित्र अवसर पर पूर्वजों के सदनुष्ठान का अनुसरण करते हुए जीवन में उत्कर्ष की प्रेरणा लेते है.

विजयादशमी (VijayaDashami)

विजयादशमी आश्विन शुक्ल दशमी को मनाई जाती है. इस दिन परम प्रतापी रघुवंशी राजा श्री रामचन्द्र ने लंका नरेश रावण पर विजय प्राप्त की थी. यह दानवता पर मानवता की विजय का पुण्य दिवस है.

दीपावली का त्योहार (Diwali festival)

दीपावली का त्योहार कार्तिक अमावस्या के दिन बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. कार्तिक कृष्णपक्ष की त्रयोदशी को धनतेरस, चतुर्दशी को रूप चौदस या बड़ी दीवाली, अमावस्या को लक्ष्मीपूजन, दूसरे दिन गोवर्धन पूजा तीसरे दिन भैयादूज या यमद्वितीया मनाई जाती है. इस प्रकार पांच दिनों तक यह त्योहार चलता है.

होली का त्योहार (Festival of holi)

होली का त्योहार फाल्गुन की पूर्णमासी को बड़े उत्साह और धूमधाम से मनाया जाता है. ऋतू परिवर्तन की दृष्टि से यह त्योहार महत्वपूर्ण है.

इस दिन लोग सालभर के भेदभाव एवं द्वेष को भूलकर परस्पर अबीर-गुलाल और रंग से खेलते है तथा बड़ो के चरण छूकर आशीर्वाद प्राप्त करते है.

इसके अतिरिक्त अन्य अनेक छोटे छोटे त्योहार है, जिनमे हमारी संस्कृति प्रतिबिम्बित होकर हमे जीवन को उत्कृष्ट बनाने की प्रेरणा देती है.

हमारी संस्कृति की पूंजीभूत उत्कृष्टता त्योहारों के रूप में प्रस्फुटित होकर हमे उदार, महान और कर्तव्यपरायण बनाती है.

इससे हमारा पारिवारिक जीवन सदा शुद्ध, सरस व मधुर रहता है. हमे इनसे पग पग पर उपदेश और प्रेरणा मिलती है. हमारा सामाजिक जीवन पवित्र रहता है जिससे सुख शांति की उपलब्धि होती है. हमारे त्योहारों की महत्ता अवर्णनीय है.

त्योहारों से लाभ हानि (Profit loss from festivals)

समय के प्रवाह में इन त्योहारों में बहुत से दोष भी आ गये है, जिनसे समाज का सबसे बड़ा अकल्याण होता है. विजयादशमी पर देवी के आगे निरीह पशुओं की बलि चढ़ाई जाती है.

यह बर्बरता का परिचायक है. दीपावली में लोग जुआ सट्टा खेलते है तथा हजारों रूपये गवाते है. होली पर लोग शराब पीते है तथा भद्दी गालियाँ बकते है, कीचड़ उछाला जाता है.

रक्षाबंधन के दिन दान दक्षिणा लेकर भाई बहिन व यजमान ब्राह्मण में मनमुटाव होता है. हम लोगों को चाहिए कि त्योहारों में आई इन विसंगतियों और दोषों को दूर करने का प्रयास करे, ताकि त्योहारों का वास्तविक उद्देश्य प्राप्त हो सके.

त्यौहार हमारी संस्कृति के संजीव स्वरूप है, ये हमारी अखंडता और विशुद्धता स्थिर रखने में जागरूक रखते है और कर्तव्य कर्म में शिथिलता आने पर हममें स्फूर्तिमय चेतना भर देते है.

भारतीय संस्कृति में संसार को एक परिवार के रूप में प्रतिष्ठित किया गया है एव सबके कल्याण और सम्रद्धि की उच्च भावना अभिव्यक्त की गई है. त्योहार जीवन में विश्रंखलता को दूर कर एकसूत्रता स्थापित करते हुए मंगल भावना का प्रसार करते है.

  • ओणम त्योहार पर निबंध
  • मेरा प्रिय त्योहार क्रिसमस
  • मेरे पसंदीदा त्योहार पर निबंध

उम्मीद करता हूँ दोस्तों त्योहारों का महत्व पर निबंध Essay On Importance Festivals Of India In Hindi का यह लेख आपको पसंद आया होगा. यदि आपको त्योहारों के महत्व पर दिया गया निबंध पसंद आया हो तो अपने दोस्तों के साथ जरुर शेयर करें.

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Hindi Essay on "Parishram ka Mahatva", " परिश्रम का महत्त्व " for Students Complete Hindi Essay, Paragraph, Speech for class 5, 6, 7, 8, 9, and 10 students in Hindi Language

 परिश्रम का महत्त्व 

Parishram ka Mahatva

paryatan ka mahatva essay in hindi class 10

श्रम ही सों सब मिलत है, बिन श्रम मिले न काहि। सीधी उंगरी घी जमो, कबहूँ निकसत नाहिं। 

ईश्वर ने सृष्टि को कर्मप्रधान बनाया है। कर्म का क्षेत्र जन्म लेते ही आरंभ हो जाता है। प्रकृति का प्रत्येक पदार्थ हमें कर्मरत रहने की प्रेरणा देता है। पवन बिना रुके बहती है। सूर्य, धरती, चाँद, नक्षत्र सब निरंतर गतिशील रहते हैं, नदियाँ सतत बहती रहती हैं तो फिर मानव जीवन की कल्पना बिना परिश्रम के कैसे संभव है.

परिश्रम का मानव जीवन में महत्त्वपूर्ण स्थान है। सदा से मनुष्य जीवन के लिए संघर्ष करता आया है। शारीरिक या मानसिक रूप से उत्कृष्ट कोटि का श्रम ही परिश्रम कहलाता है। इतिहास साक्षी है कि संसार में सफलता के शिखर पर वही व्यक्ति पहुँचता है जो सदा परिश्रम करता रहता है। श्रम वह तपस्या है जिसमें तपकर मनुष्य का व्यक्तित्व निखर उठता है। कर्महीन मनुष्य का जीवन लक्ष्यहीन हो जाता है। ईश्वर प्रदत्त शक्तियों के विकास तथा अपने उदेश्य को प्राप्त करने के लिए सतत परित्रम अत्यंत आवश्यक है।

से मनुष्य की शारीरिक, बौद्धिक तथा मानसिक शक्तियों का होता है। संसार की समस्त वैज्ञानिक आर्थिक, औद्योगिक तथा कि उन्नति का आधार परिश्रम ही है। परिश्रम के ही कारण मनुष्य एवरेस्ट की चोटी पर चढ़ पाया, अंतरिक्ष की यात्रा कर पाया, हजारों किलोमीटर दूर की यात्रा कर एक देश से दूसरे देश का संबंध स्थापित कर पाया। परिश्रम के कारण ही कल तक जंगलों में भटकने वाला प्राणी आज विमान में सुखपूर्वक यात्रा करता है। श्रम का महत्त्व हर युग, हर काल में स्वीकार किया जाता रहा है. 

परिश्रम के द्वारा ही मनुष्य अपने जीवन के लक्ष्यों को प्राप्त कर सकता है। इसीलिए दाशनिको का मत है कि उन्नति का द्वार केवल परिश्रम की चाबी से ही खोला जा सकता है। कहा भी गया है-

उद्यमेन हि सिद्धयन्ति कार्याणि न मनोरथैः, नाहि सुप्तस्य सिंहस्य प्रविशन्ति मुखे मृगाः।

अर्थात परिश्रम से ही कार्य सिद्ध होते हैं, केवल मन की इच्छा से नहीं। सोर हुए शेर के मुख में हिरन स्वयं प्रवेश नहीं करता। प्रकृति में प्रत्येक तत्व को जीवन के लिए संघर्षरत रहना पड़ता है। छोटी-सी चींटी भी परिश्रम के द्वारा भोजन का भंडार जमा कर लेती है। परिश्रम के द्वारा ही  मनुष्य ने बड़ी-बड़ी नदियों के रुख बदल दिए। ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति का अंदाजा लगा लिया। जेट और नेट विमान बना लिए। मशीनी मानव व कम्प्यूटर बनाकर अपनी अलग ही दुनिया खड़ी कर ली।

मनुष्य जीवन में परित्रम की महत्ता अद्वितीय है। यह वह शक्ति है जामनुष्य जीवन ही बदल सकती है। इससे शरीर तथा मन दोनों उल्लास से भरे रहते हैं। मनुष्य का जीवन आनंदित व सुखमय बनता है। श्री कृष्ण ने भी गीता में कर्मयोग का संदेश दिया। परिश्रम में जुट रहने पर सफलता मनुष्य के चरण चूमती है। परिश्रम से मनुष्य का सभी शक्तियाँ निखरकर अपने उत्कृष्ट रूप में प्रकट होती हैं।

जो व्यक्ति परिश्रम करते हैं ईश्वर भी उनकी मदद करता है। व्यक्ति परिश्रम करते हैं, वे स्वस्थ और हृष्ट-पुष्ट होते हैं। उनमें अचार कार्यक्षमता उत्पन्न हो जाती है तथा वे ही इस वसुंधरा के समस्त सुख भोगते हैं।  

महात्मा गांधी, लिंकन, मार्क्स, चर्चिल, लालबहादुर शास्त्री की जीवनकथा स्वयं परिश्रम की महत्ता का गुणगान करती है। जॉर्ज वाशिंगटन ने परिश्रम की महत्ता का गुणगान करते हुए लिखा है-कोई भी जाति तब तक उन्नति नहीं कर सकती जब तक वह यह नहीं सीखती कि खेत जोतने का भी वही महत्व है जो काव्य सृजन का।

परिश्रम ही जीवन का सार है। परिश्रम से व्यक्ति अपने भाग्य का निर्माण स्वयं करता है। 'देव-देव' तो आलसी व्यक्ति पुकारा करते हैं। परिश्रमी तो अपने भाग्य के द्वार स्वयं खोलते हैं। जो परिश्रमी होते हैं.' वे जल की खोज में भटकते नहीं वरन् स्वयं कुआं खोद निर्मल जल का आनंद लेते हैं।

परिश्रम से ही आराम का आनंद है। दिनभर की थकान के बाद विश्राम का आनंद ही निराला है. श्रीमती थ्रेल ने कहा, "leisure for men of business, and business for men of leisure would cure many complaints." अर्थात काम व आराम का परस्पर गहन संबंध है। भारतीय संस्कृति में तो यहाँ तक माना गया है कि सतत कर्मरत रहने वाला प्राणी ही मोक्ष को प्राप्त होता है। जापान की समृद्धि उनके सतत परिश्रम का ही परिणाम है। कवि दिनकर लिखते हैं-

वैराग्य छोड़ बाँहों की विभा सँभालो,  चट्टानों की छाती से दूध निकालो,  है रुकी जहाँ भी धार शिलाएँ तोड़ो, पीयूष चन्द्रमाओं को पकड़ निचोड़ो। 

भारतीय इतिहास साक्षी है कि भारतीयों ने अपने देश से अंग्रेजों की सत्ता को उखाड़ फेंका था। प्रकृति भी भाग्य के बल पर झुकती है। कवि दिनकर कहते हैं-

प्रकृति नहीं डरकर झुकती है कभी भाग्य के बल से  सदा हारती है मनुष्य के, उद्यम से, श्रम जल से

विद्यार्थी जीवन में परिश्रम का बहुत महत्व है। एडीसन ने इस विषय में कहा है कि-सफलता का कारण प्रतिभा है परंतु प्रतिभा क्या है? एक औंस बुधि और एक टन परिश्रम. सतत परिश्रम कर साधारण छात्र भी असाधारण सफलता प्राप्त कर सकते हैं। परिश्रम व अभ्यास से वरदराज जैसे मूर्ख ने पाणिनि जैसे ग्रंथकारों की टिप्पणी की। कालिदास तथा तुलसीदास जैसे ग्रंथकार बने। विद्यार्थी जीवन में परिश्रम करनेवाला छात्र सुनहरे भविष्य की नींव तैयार करता है। इसीलिए कवि का हृदय पुकार उठा-

श्रम जीवन का सार है श्रम मानव का हार है,  श्रम करता है गुण महान, श्रम सच्चा व्यवहार है।

paryatan ka mahatva essay in hindi class 10

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Hindi Essay on “Samay ka Mahatav” , ”समय का महत्त्व (सदुपयोग)” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

समय का महत्त्व (सदुपयोग)

संसार में समय को सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण एव मूल्यवान धन माना गया है | अंत हमे इस मूल्यवान धन अर्थात समय को व्यर्थ ही नष्ट नही करना चाहिए | क्योकि बिता हुआ समय वापस नही लौट पाता | इसके विषय में एक कहावत प्रसिद्ध है – “गया वक्त फिर हाथ आता नही | समय किसी की प्रतीक्षा नही करता”| समय का महत्त्व इस बात से भी स्पष्ट है कि यदि धन खो जाए तो पुन : कमाया जा सकता है | यदि स्वास्थ्य खो जाए तो उसको भी प्राप्त कर सकते है परन्तु समय यदि एक बार हाथ से निकल जाए तो पुन : लौट कर नही आ सकता है | जो व्यक्ति समय का सदुपयोग करते है वे ही जीवन में सफल होते है |

समय के सदुपयोग की सबसे अच्छी विधि है – प्रत्येक कार्य को करने के लिए उसके अनुकूल समय तय करना तथा समय के अनुकूल कार्य को निर्धारित करना | आलस्य मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु है | आलसी मनुष्य कभी समय का सदुपयोग नही कर सकता | आलस्य उसकी उन्नति के मार्ग में सबसे बड़ी बाधा बन जाता है | आलस्य के कारण वह समय के महत्त्व को नही समझ पाता |

शिक्षार्थियों के लिए तो समय का सदुपयोग सबसे बड़ी निधि है | इससे उनका जीवन नियमित हो जाता है | वे विद्दालय में समय पर पहुँचते है | तथा वे विद्दालय का गृह- कार्य नियमित रूप से करते है जिससे उन्हें परीक्षा के समय अधिक श्रम नही करना पड़ता और वे अधिकतम अंक प्राप्त कर उत्तीर्ण होते है | इसके विपरीत जो विद्दार्थी समय के महत्त्व को नही समझते तथा अपने समय को व्यर्थ की बातो में अथवा खेल कूद में गंवा देते है, वे अच्छे अंक लेकर उत्तीर्ण नही हो पाते | वे जीवन में पीछे रह जाते है |

संसार में जितने भी महापुरुष व मेधावी व्यक्ति हुए है उन्होंने अपने समय का बुद्धिमत्तापूर्वक सदुपयोग किया है | नेपोलियन का उदाहरण हमारे सम्मुख है | केवल पांच मिनट की देरी से युद्ध-भूमि में पहुँचने के कारण वह पराजित हो गया तथा कैद कर लिया गया | अंत : हमे अपने सभी कार्य समय पर ही करने चाहिए | आज का काम कल पर नही टालना चाहिए |

समय के सदुपयोग से मनुष्य के विचार गम्भीर और पवित्र होते है | अंत : हमारा कर्तव्य है कि हम समय का पूरा –पूरा और उचित लाभ उठाये | खेल के समय खेले तथा पढने के समय पढ़े | समय के सदुपयोग से ही जीवन में सुख, शांति और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है तथा मनुष्य जीवन की ऊचाइयो को छू लेता है |

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paryatan ka mahatva essay in hindi class 10

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Very nice and cool and good essay

Very good essay and amazing essay

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Very nice essay. I like this one for my declamation.it is very good.👌👌👌

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