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गरीबी पर निबंध (Poverty Essay in Hindi)

गरीबी

गरीबी किसी भी व्यक्ति या इंसान के लिये अत्यधिक निर्धन होने की स्थिति है। ये एक ऐसी स्थिति है जब एक व्यक्ति को अपने जीवन में छत, जरुरी भोजन, कपड़े, दवाईयाँ आदि जैसी जीवन को जारी रखने के लिये महत्वपूर्ण चीजों की भी कमी लगने लगती है। निर्धनता के कारण हैं अत्यधिक जनसंख्या, जानलेवा और संक्रामक बीमारियाँ, प्राकृतिक आपदा, कम कृषि पैदावर, बेरोज़गारी, जातिवाद, अशिक्षा, लैंगिक असमानता, पर्यावरणीय समस्याएँ, देश में अर्थव्यवस्था की बदलती प्रवृति, अस्पृश्यता, लोगों का अपने अधिकारों तक कम या सीमित पहुँच, राजनीतिक हिंसा, प्रायोजित अपराध, भ्रष्टाचार, प्रोत्साहन की कमी, अकर्मण्यता, प्राचीन सामाजिक मान्यताएँ आदि जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

गरीबी पर बड़े तथा छोटे निबंध (Long and Short Essay on Poverty in Hindi, Garibi par Nibandh Hindi mein)

गरीबी पर निबंध – 1 (350 शब्द).

गरीबी संसार के सबसे विकट समस्याओं में से एक है। गरीबी की यह समस्या हमारे जीवन को आर्थिक तथा सामाजिक दोनो ही रुप से प्रभावित करती है। गरीबी एक ऐसी समस्या है, जो हमारे पूरे जीवन को प्रभावित करने का कार्य करती है।

गरीबी के कारण

गरीबी का सबसे बड़ा कारण परिस्थिति नहीं बल्कि लोगों की गरीब सोच है। शिक्षा का अभाव, रोजगार का अभाव, अपंगता आदि गरीबी के अन्य कारण है।गरीबी एक ऐसी बीमारी है जो इंसान को हर तरीके से परेशान करती है। इसके कारण एक व्यक्ति का अच्छा जीवन, शारीरिक स्वास्थ्य, शिक्षा स्तर आदि जैसी सारी चीजें खराब हो जाती है। यही कारण है कि आज के समय में गरीबी को एक भयावह समस्या माना जाता है।

गरीबी से मुक्ति के उपाय

ये बहुत जरुरी है कि एक सामान्य जीवन जीने के लिये, उचित शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य, पूर्ण शिक्षा, हरेक के लिये घर, और दूसरी जरुरी चीजों को लाने के लिये देश और पूरे विश्व को साथ मिलकर कार्य करना होगा। गरीबी के अंत के लिए हम सभी को मिलकर प्रयास करना होगा।  सरकार को अवसर उपलब्ध कराना चाहिए और जनता को उस अवसर का लाभ उठाना चाहिए।

निष्कर्ष गरीबी से मुक्ति के लिए हमें शिक्षा और कौशल युक्त होना होगा। सरकार का यह दायित्व है की वह जनता को अवसर और योजनाए प्रदान करे , जिससे एक आम आदमी भी रोजगार प्राप्त कर सके।

निबंध 2 (400 शब्द)

आज के समय में गरीबी को दुनियां के सबसे बडी समस्याओं में से एक माना जाता है। गरीबी एक ऐसी मानवीय स्थिति है, जो हमारे जीवन में दुख-दर्द तथा निराशा जैसी विभिन्न समस्याओँ को जन्म देती है। गरीबी में जीवन जीने वाले व्यक्तियों को ना तो अच्छी शिक्षा की प्राप्ति होती है ना ही उन्हें अच्छी सेहत मिलती है।

गरीबी एक त्रासदी

गरीबी एक ऐसी मानवीय परिस्थिति है जो हमारे जीवन में निराशा, दुख और दर्द लाती है। गरीबी पैसे की कमी है और जीवन को उचित तरीके से जीने के लिये सभी चीजों के कमी को प्रदर्शित करता है। गरीबी एक बच्चे को बचपन में स्कूल में दाखिला लेने में अक्षम बनाती है और वो एक दुखी परिवार में अपना बचपन बिताने या जीने को मजबूर होते हैं। निर्धनता और पैसों की कमी की वजह से लोग दो वक्त की रोटी, बच्चों के लिये किताबें नहीं जुटा पाने और बच्चों का सही तरीके से पालन-पोषण नहीं कर पाने के जैसी समस्याओं से ग्रस्त हो जाते है।

हमलोग गरीबी को बहुत तरीके से परिभाषित कर सकते हैं। भारत में गरीबी देखना बहुत आम-सा हो गया है क्योंकि ज्यादातर लोग अपने जीवन की मूलभूत आवश्यकताओं को भी नहीं पूरा कर सकते हैं। यहाँ पर जनसंख्या का एक विशाल भाग निरक्षर, भूखे और बिना कपड़ों और घर के जीने को मजबूर हैं। भारतीय अर्थव्यवस्था के कमजोर होने का यही मुख्य कारण है। निर्धनता के कारण लगभग भारत में आधी आबादी दर्द भरा जीवन जी रही है।

गरीबी एक स्थिति उत्पन्न करती है जिसमें लोग पर्याप्त आय प्राप्त करने में असफल हो जाते हैं इसलिये वो जरुरी चीजों को नहीं खरीद पाते हैं। एक निर्धन व्यक्ति अपने जीवन में मूल वस्तुओं के अधिकार के बिना जीता है जैसे दो वक्त का भोजन, स्व्च्छ जल, घर, कपड़े, उचित शिक्षा आदि। ये लोग जीने के न्यूनतम स्तर को भी बनाए रखने में विफल हो जाते हैं जैसे अस्तित्व के लिये जरुरी उपभोग और पोषण आदि।

भारत में निर्धनता के कई कारण हैं हालांकि राष्ट्रीय आय का गलत वितरण भी एक कारण है। कम आय वर्ग समूह के लोग उच्च आय वर्ग समूह के लोगों से बहुत ज्यादा गरीब होते हैं। गरीब परिवार के बच्चों को उचित शिक्षा, पोषण और खुशनुमा बचपन का माहौल कभी नसीब नहीं हो पाता है। निर्धनता का मुख्य कारण, अशिक्षा, भ्रष्टाचार, बढ़ती जनसंख्या, कमजोर कृषि, अमीरी और गरीबी के बीच बढ़ती खाई आदि है।

गरीबी मानव जीवन की वह समस्या है, जिसके कारण इससे ग्रसित व्यक्ति को अपने जीवन में मूलभूत सुविधाएं भी नही मिल पाती है। यही कारण है कि वर्तमान समय में गरीबी से निवारण के कई उपाय ढ़ूढे जा रहे है, ताकि विश्व भर के लोगों के जीवन स्तर को सुधारा जा सके।

निबंध 3 (500 शब्द)

गरीबी हमारे जीवन में एक चुनौती बन गया है, आज के समय में विश्वभर के कई देश इसके चपेट में आ गये है। इस विषय में जारी आकड़ो को देखने से पता चलता है कि वैश्विक स्तर पर गरीबी उन्मूलन के लिये हो रहे इतने सारे उपायों के बावजूद भी यह समस्या ज्यो की त्यो बनी हुई है।

गरीबी को नियंत्रित करने के उपाय

निर्धनता जीवन की खराब गुणवत्ता, अशिक्षा, कुपोषण, मूलभूत आवयश्यकताओं की कमी, निम्न मानव संसाधन विकास आदि को प्रदर्शित करता है। भारत में जैसे विकासशील देशों में निर्धनता एक प्रमुख समस्या है। ये एक ऐसा तथ्य है जिसमें समाज में एक वर्ग के लोग अपने जीवन की मूलभूत जरुरतों को भी पूरा नहीं कर सकते हैं।

पिछले पाँच वर्षों में गरीबी के स्तर में कुछ कमी दिखाई दी है (1993-94 में 35.97% से 1999-2000 में 26.1%)। ये राज्य स्तर पर भी घटा है जैसे उड़ीसा में 47.15% से 48.56%, मध्य प्रदेश में 37.43% से 43.52%, उत्तर प्रदेश में 31.15% से 40.85% और पश्चिम बंगाल में 27.02% से 35.66% तक। हालांकि इसके बावजूद इस बात पर कोई विशेष खुशी या गर्व नही महसूस किया जा सकता है क्योंकि अभी भी भारत में लगभग 26 करोड़ लोग गरीबी रेखा के नीचे जीवन व्यतीत करने को मजबूर है।

भारत में गरीबी कुछ प्रभावकारी कार्यक्रमों के प्रयोगों के द्वारा मिटायी जा सकती है, हालांकि इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिये केवल सरकार के द्वारा ही नहीं बल्कि सभी के समन्वित प्रयास की जरुरत है। खासतौर से ग्रामीण क्षेत्रों में प्राथमिक शिक्षा, जनसंख्या नियंत्रण, परिवार कल्याण, रोज़गार सृजन आदि जैसे मुख्य संघटकों के द्वारा गरीब सामाजिक क्षेत्रों को विकसित करने के लिये भारत सरकार को कुछ असरकारी रणनीतियों को बनाना होगा।

गरीबी का क्या प्रभाव है?

गरीबी के ये कुछ निम्न प्रभाव हैं जैसे:

  • निरक्षरता: पैसों की कमी के चलते उचित शिक्षा प्राप्त करने के लिये गरीबी लोगों को अक्षम बना देती है।
  • पोषण और संतुलित आहार: गरीबी के कारण संतुलित आहार और पर्याप्त पोषण की अपर्याप्त उपलब्धता ढ़ेर सारी खततरनाक और संक्रामक बीमारियाँ लेकर आती है।
  • बाल श्रम: ये बड़े स्तर पर अशिक्षा को जन्म देता है क्योंकि देश का भविष्य बहुत कम उम्र में ही बहुत ही कम कीमत पर बाल श्रम में शामिल हो जाता है।
  • बेरोज़गारी: गरीबी के वजह से बेरोजगारी भी उत्पन्न होती है, जोकि लोगो के सामान्य जीवन को प्रभावित करने का कार्य करता है। ये लोगों को अपनी इच्छा के विपरीत जीवन जीने को मजबूर करता है।
  • सामाजिक चिंता: अमीर और गरीब के बीच आय के भयंकर अंतर के कारण ये सामाजिक चिंता उत्पन्न करता है।
  • आवास की समस्या: फुटपाथ, सड़क के किनारे, दूसरी खुली जगहें, एक कमरे में एक-साथ कई लोगों का रहना आदि जीने के लिये ये बुरी परिस्थिति उत्पन्न करता है।
  • बीमारियां: विभिन्न संक्रामक बीमारियों को ये बढ़ाता है क्योंकि बिना पैसे के लोग उचित स्वच्छता और सफाई को बनाए नहीं रख सकते हैं। किसी भी बीमारी के उचित इलाज के लिये डॉक्टर के खर्च को भी वहन नहीं कर सकते हैं।
  • स्त्री संपन्नता में निर्धनता: लौंगिक असमानता के कारण महिलाओं के जीवन को बड़े स्तर पर प्रभावित करती है और वो उचित आहार, पोषण और दवा तथा उपचार सुविधा से वंचित रहती है।

समाज में भ्रष्टाचार, अशिक्षा तथा भेदभाव जैसी ऐसी समस्याएं है, जो आज के समय में विश्व भर को प्रभावित कर रही है। इस देखते हुए हमें इन कारणों की पहचान करनी होगी और इनसे निपटने की रणनीती बनाते हुए समाज के विकास को सुनिश्चित करना होगा क्योंकि गरीबी का उन्मूलन मात्र समग्र विकास के द्वारा ही संभव है।

निबंध 4 (600 शब्द)

निर्धनता एक परिस्थिति है जिसमें लोग जीवन के आधारभूत जरुरतों जैसे कि अपर्याप्त भोजन, कपड़े और छत आदि को भी नही प्राप्त कर पाते है। भारत में ज्यादातर लोग ठीक ढंग से दो वक्त की रोटी नही हासिल कर सकते, वो सड़क किनारे सोते हैं और गंदे कपड़े पहनते हैं। वो उचित स्वस्थ पोषण, दवा और दूसरी जरुरी चीजें नहीं पाते हैं। शहरी जनसंख्या में बढ़ोत्तरी के कारण शहरी भारत में गरीबी बढ़ी है क्योंकि नौकरी और धन संबंधी क्रियाओं के लिये ग्रामीण क्षेत्रों से लोग शहरों और नगरों की ओर पलायन कर रहें है। लगभग 8 करोड़ लोगों की आय गरीबी रेखा से नीचे है और 4.5 करोड़ शहरी लोग सीमारेखा पर हैं। झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले अधिकतर लोग अशिक्षित होते हैं। कुछ कदमों के उठाये जाने के बावजूद गरीबी को घटाने के संदर्भ में कोई भी संतोषजनक परिणाम नहीं दिखाई देता है।

गरीबी के कारण एवं निवारण

भारत में गरीबी का मुख्य कारण बढ़ती जनसंख्या, कमजोर कृषि, भ्रष्टाचार, पुरानी प्रथाएं, अमीर और गरीब के बीच में बड़ी खाई, बेरोज़गारी, अशिक्षा, संक्रामक रोग आदि है। भारत में जनसंख्या का एक बड़ा भाग कृषि पर निर्भर करता है जो कि गरीब है और गरीबी का कारण है। आमतौर पर खराब कृषि और बेरोज़गारी की वजह से लोगों को भोजन की कमी से जूझना पड़ता है। भारत में बढ़ती जनसंख्या भी गरीबी का कारण है। अधिक जनसंख्या मतलब अधिक भोजन, पैसा और घर की जरुरत। मूल सुविधाओं की कमी में, गरीबी ने तेजी से अपने पाँव पसारे हैं। अत्यधिक अमीर और भयंकर गरीब ने अमीर और गरीब के बीच की खाई को बहुत चौड़ा कर दिया है।

गरीबी का प्रभाव

गरीबी लोगों को कई तरह से प्रभावित करती है। गरीबी के कई प्रभाव हैं जैसे अशिक्षा, असुरक्षित आहार और पोषण, बाल श्रम, खराब घर, गुणवत्ताहीन जीवनशैली, बेरोजगारी, खराब साफ-सफाई, पुरुषों की तुलना में महिलाओं में गरीबी की अधिकता, आदि। पैसों की कमी की वजह से अमीर और गरीब के बीच खाई बढ़ती ही जा रही है। ये अंतर ही किसी देश को अविकसित की श्रेणी की ओर ले जाता है। गरीबी की वजह से ही कोई छोटा बच्चा अपने परिवार की आर्थिक मदद के लिये स्कूल जाने के बजाय कम मजदूरी पर काम करने को मजबूर हो जाता है।

गरीबी को जड़ से हटाने का समाधान

इस ग्रह पर मानवता की अच्छाई के लिये त्वरित आधार पर गरीबी की समस्या को सुलझाने के लिये ये बहुत जरुरी है। कुछ समाधान जो गरीबी की समस्या को सुलझाने में बड़ी भूमिका अदा कर सकते हैं वो इस प्रकार है:

  • फायदेमंद बनाने के साथ ही अच्छी खेती के लिये किसानों को उचित और जरुरी सुविधा मिलनी चाहिये।
  • बालिग लोग जो अशिक्षित हैं को जीवन की बेहतरी के लिये जरुरी प्रशिक्षण दिया जाना चाहिये।
  • हमेशा बढ़ रही जनसंख्या और इसी तरह से गरीबी को जाँचने के लिये लोगों के द्वारा परिवार नियोजन का अनुसरण करना चाहिये।
  • गरीबी को मिटाने के लिये पूरी दुनिया से भ्रष्टाचार का खात्मा करना चाहिये।
  • हरेक बच्चों को स्कूल जाना चाहिये और पूरी शिक्षा प्राप्त करनी चाहिये।
  • रोजगार के रास्ते होने चाहिये जहाँ सभी वर्गों के लोग एक साथ कार्य कर सकें।

गरीबी केवल एक इंसान की समस्या नहीं है बल्कि ये राष्ट्रीय समस्या है। इसे त्वरित आधार पर कुछ प्रभावी तरीकों को लागू करके सुलझाना चाहिये। सरकार द्वारा निर्धनता को हटाने के लिये विभिन्न प्रकार के कदम उठाये गये हालांकि कोई भी स्पष्ट परिणाम दिखाई नहीं देता। लोग, अर्थव्यवस्था, समाज और देश के चिरस्थायी और समावेशी वृद्धि के लिये गरीबी का उन्मूलन बहुत जरुरी है। गरीबी को जड़ से उखाड़ने के लिये हरेक व्यक्ति का एक-जुट होना बहुत आवश्यक है।

Essay on Poverty in Hindi

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poverty essay in hindi

विषय-सूचि

गरीबी पर निबंध, essay on poverty in hindi (100 शब्द)

गरीबी किसी भी व्यक्ति के अत्यंत गरीब होने की अवस्था है। यह चरम स्थिति है जब किसी व्यक्ति को जीवन को जारी रखने के लिए आवश्यक आवश्यक वस्तुओं की कमी महसूस होती है जैसे कि आश्रय, पर्याप्त भोजन, कपड़े, दवाइयां, आदि।

गरीबी के कुछ सामान्य कारण हैं, अतिवृद्धि, घातक और महामारी रोग, प्राकृतिक आपदाएं। निम्न कृषि उत्पादन, रोजगार की कमी, देश में जातिवाद, अशिक्षा, लैंगिक असमानता, पर्यावरणीय समस्याएं, देश में अर्थव्यवस्था के बदलते रुझान, उचित शिक्षा की कमी, अस्पृश्यता, लोगों के अपने अधिकारों तक सीमित या अपर्याप्त पहुंच, राजनीतिक हिंसा, संगठित अपराध , भ्रष्टाचार, प्रेरणा की कमी, आलस्य, पुरानी सामाजिक मान्यताएं, आदि। भारत में गरीबी को प्रभावी समाधानों के बाद कम किया जा सकता है, लेकिन सभी नागरिकों के व्यक्तिगत प्रयासों की आवश्यकता है।

poverty essay in hindi

गरीबी पर निबंध, poverty essay in hindi (150 शब्द)

हम गरीबी को भोजन, उचित आश्रय, कपड़ों, दवाओं, शिक्षा और समान मानवाधिकारों की कमी के रूप में परिभाषित कर सकते हैं। गरीबी किसी व्यक्ति को भूखे रहने के लिए, बिना आश्रय के, बिना कपड़ों, शिक्षा और उचित अधिकारों के लिए मजबूर करती है।

देश में गरीबी के विभिन्न कारण हैं, हालांकि समाधान भी हैं, लेकिन समाधानों का पालन करने के लिए भारतीय नागरिकों में उचित एकता की कमी के कारण, गरीबी दिन-ब-दिन खराब होती जा रही है। किसी भी देश में महामारी रोगों का प्रसार गरीबी का कारण है क्योंकि गरीब लोग अपने स्वास्थ्य और स्वास्थ्य की स्थिति का ध्यान नहीं रख सकते हैं।

गरीबी लोगों को डॉक्टर के पास जाने, स्कूल जाने, पढ़ने, ठीक से बोलने, तीन वक्त का खाना खाने, जरूरत के कपड़े पहनने, खुद का घर खरीदने, नौकरी के लिए सही तरीके से वेतन पाने आदि में असमर्थ बनाती है। व्यक्ति अशुद्ध पानी पीने, गंदे स्थानों पर रहने और अनुचित भोजन खाने के कारण बीमारी की ओर जा सकता है। गरीबी शक्तिहीनता और स्वतंत्रता की कमी का कारण बनती है।

गरीबी पर निबंध, poverty essay in hindi (200 शब्द)

गरीबी एक गुलाम जैसी स्थिति की तरह है जब कोई व्यक्ति अपनी इच्छा के अनुसार कुछ भी करने में असमर्थ हो जाता है। इसके कई चेहरे हैं जो व्यक्ति, स्थान और समय के अनुसार बदलते हैं। यह कई मायनों में वर्णित किया जा सकता है कि कोई व्यक्ति इसे महसूस करता है या इसे जी रहा है।

गरीबी एक ऐसी स्थिति है जिसे कोई भी नहीं जीना चाहता है, लेकिन इसे कस्टम, प्रकृति, प्राकृतिक आपदा, या उचित शिक्षा की कमी के कारण ले जाना पड़ता है। व्यक्ति इसे जीता है, आम तौर पर बच निकलना चाहता है। गरीबी गरीब लोगों को खाने के लिए पर्याप्त पैसा कमाने, शिक्षा तक पहुंच, पर्याप्त आश्रय पाने, आवश्यक कपड़े पहनने और सामाजिक और राजनीतिक हिंसा से सुरक्षा के लिए कार्रवाई करने का आह्वान है।

यह एक अदृश्य समस्या है जो किसी व्यक्ति और उसके सामाजिक जीवन को कई तरह से बुरी तरह प्रभावित करती है। गरीबी पूरी तरह से रोकी जा सकने वाली समस्या है लेकिन कई कारण हैं जो इसे पिछले समय से जारी रखते हैं और जारी रखते हैं।

गरीबी व्यक्ति को स्वतंत्रता, मानसिक कल्याण, शारीरिक कल्याण और सुरक्षा की कमी रखती है। उचित शारीरिक स्वास्थ्य, मानसिक स्वास्थ्य, पूर्ण साक्षरता, सभी के लिए घर, और सरल जीवन जीने के लिए अन्य आवश्यक चीजों को लाने के लिए देश और दुनिया से गरीबी को हटाने के लिए सभी को संयुक्त रूप से काम करना बहुत आवश्यक है।

गरीब पर निबंध, essay on indian poverty in hindi (250 शब्द)

गरीबी एक मानवीय स्थिति है जो मानव जीवन में निराशा, दु:ख और दर्द लाती है। गरीबी पैसे की कमी है और जीवन को उचित तरीके से जीने के लिए आवश्यक सभी चीजें हैं। गरीबी एक बच्चे को बचपन में स्कूल में प्रवेश करने में असमर्थ बना देती है और एक दुखी परिवार में अपना बचपन जीती है।

रोजाना दो वक्त की रोटी और मक्खन की व्यवस्था करने, बच्चों के लिए पाठ्य पुस्तकें खरीदने, बच्चों की देखभाल के लिए जिम्मेदार माता-पिता का दुःख आदि के लिए गरीबी कुछ रुपयों की कमी है। हम गरीबी को कई तरीकों से परिभाषित कर सकते हैं।

भारत में गरीबी को देखना बहुत आम बात है क्योंकि यहां ज्यादातर लोग जीवन की बुनियादी जरूरतों को पूरा नहीं कर सकते हैं। यहां की आबादी का एक बड़ा प्रतिशत अशिक्षित, भूखा और बिना घर और कपड़े के है। यह खराब भारतीय अर्थव्यवस्था का मुख्य कारण है। गरीबी के कारण भारत में लगभग आधी आबादी दयनीय जीवन जी रही है।

गरीबी एक ऐसी स्थिति बनाती है जिसमें लोग पर्याप्त आय प्राप्त करने में विफल होते हैं इसलिए वे आवश्यक चीजें नहीं खरीद सकते हैं। एक गरीब आदमी बिना किसी सुविधा के अपना जीवन यापन करता है, जैसे कि दो वक्त का खाना, पीने का साफ पानी, कपड़े, घर, उचित शिक्षा इत्यादि। अस्तित्व।

भारत में गरीबी के विभिन्न कारण हैं, लेकिन राष्ट्रीय आय का वितरण भी एक कारण है। निम्न आय वर्ग के लोग उच्च आय वर्ग की तुलना में अपेक्षाकृत गरीब होते हैं। गरीब परिवार के बच्चों को उचित स्कूली शिक्षा, उचित पोषण और खुशहाल बचपन का कभी मौका नहीं मिलता है। गरीबी के सबसे महत्वपूर्ण कारण अशिक्षा, भ्रष्टाचार, बढ़ती जनसंख्या, खराब कृषि, गरीबों और अमीरों के बीच अंतर आदि हैं।

गरीब पर निबंध, poverty a curse essay in hindi (300 शब्द)

गरीबी जीवन की खराब गुणवत्ता, अशिक्षा, कुपोषण, बुनियादी जरूरतों की कमी, कम मानव संसाधन विकास आदि का प्रतिनिधित्व करती है। यह विशेष रूप से भारत में विकासशील देश के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। यह एक ऐसी घटना है जिसमें समाज का एक वर्ग अपने जीवन की बुनियादी आवश्यकताओं को पूरा नहीं कर सकता है।

इसने पिछले पांच वर्षों में गरीबी स्तर में कुछ गिरावट देखी है (1999-2000 में 26.1%, 1993-94 में 35.97% से)। राज्य स्तर पर भी इसमें गिरावट आई है जैसे कि उड़ीसा में यह 47.15% घटकर 48.56%, मध्य प्रदेश में 43.42% से 37.43%, यूपी में 31.15% 40.85% और पश्चिम बंगाल में 27.6% 35.66% हो गया। भारत में गरीबी में कुछ गिरावट के बजाय यह खुशी की बात नहीं है क्योंकि भारतीय बीपीएल अभी भी बहुत बड़ी संख्या (26 करोड़) है।

भारत में गरीबी को कुछ प्रभावी कार्यक्रमों के उपयोग से मिटाया जा सकता है, हालांकि सरकार द्वारा सभी के लिए एक संयुक्त प्रयास की जरूरत है। भारत सरकार को विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में प्राथमिक शिक्षा, जनसंख्या नियंत्रण, परिवार कल्याण, रोजगार सृजन आदि जैसे प्रमुख घटकों के माध्यम से गरीब सामाजिक क्षेत्र को विकसित करने के लिए कुछ प्रभावी रणनीति बनानी चाहिए।

गरीबी के प्रभाव क्या हैं:

गरीबी के कुछ प्रभाव इस प्रकार हैं:

  • निरक्षरता: गरीबी पैसे की कमी के कारण लोगों को उचित शिक्षा प्राप्त करने में असमर्थ बनाती है।
  • पोषण और आहार: गरीबी के कारण आहार की अपर्याप्त उपलब्धता और अपर्याप्त पोषण होता है जो बहुत सारी घातक बीमारियों और कमी वाली बीमारियों को लाता है।
  • बाल श्रम: यह विशाल स्तर की निरक्षरता को जन्म देता है क्योंकि देश का भविष्य कम उम्र में ही बाल श्रम में शामिल हो जाता है।
  • बेरोजगारी: बेरोजगारी गरीबी का कारण बनती है क्योंकि यह पैसे की कमी पैदा करती है जो लोगों के दैनिक जीवन को प्रभावित करती है। यह लोगों को उनकी इच्छा के खिलाफ अधूरा जीवन जीने के लिए मजबूर करता है।
  • सामाजिक तनाव: यह अमीर और गरीब के बीच आय असमानता के कारण सामाजिक तनाव पैदा करता है।
  • आवास की समस्याएं: यह लोगों को घर के बाहर रहने के लिए फुटपाथ, सड़क के किनारे, अन्य खुले स्थानों, एक कमरे में कई सदस्यों, आदि के लिए बुरी स्थिति बनाता है।
  • रोग: यह विभिन्न महामारी रोगों को जन्म देता है क्योंकि पैसे की कमी वाले लोग उचित स्वच्छता और स्वच्छता नहीं रख सकते हैं। इसके अलावा वे किसी भी बीमारी के समुचित इलाज के लिए डॉक्टर का खर्च नहीं उठा सकते हैं।
  • गरीबी का उन्मूलन: गरीबी लैंगिक असमानता के कारण महिलाओं के जीवन को काफी हद तक प्रभावित करती है और उन्हें उचित आहार, पोषण, दवाओं और उपचार की सुविधा से वंचित रखती है।

गरीबी पर निबंध, essay on poverty in hindi (400 शब्द)

प्रस्तावना:.

गरीबी एक ऐसी स्थिति है जिसमें लोग जीवन की मूलभूत आवश्यकताओं जैसे कि भोजन, कपड़े और आश्रय की अपर्याप्तता से वंचित रह जाते हैं। भारत में अधिकांश लोग अपने दो समय के भोजन को ठीक से नहीं पा सकते हैं, सड़क के किनारे सोते हैं और गंदे और पुराने कपड़े पहनते हैं।

उन्हें उचित और स्वस्थ पोषण, दवाएं, और अन्य आवश्यक चीजें नहीं मिलती हैं। शहरी आबादी में वृद्धि के कारण शहरी भारत में गरीबी बढ़ रही है क्योंकि ग्रामीण क्षेत्रों के लोग रोजगार पाने या कुछ वित्तीय गतिविधि करने के लिए शहरों और कस्बों में पलायन करना पसंद करते हैं।

लगभग 8 करोड़ शहरी लोगों की आय गरीबी रेखा से नीचे है और 4.5 करोड़ शहरी लोग गरीबी के स्तर की सीमा रेखा पर हैं। बड़ी संख्या में लोग झुग्गी में रहते हैं जो निरक्षर हैं। कुछ पहल के बावजूद गरीबी में कमी के संबंध में कोई संतोषजनक परिणाम नहीं दिखा है।

गरीबी के कारण:

भारत में गरीबी के मुख्य कारण बढ़ती जनसंख्या, गरीब कृषि, भ्रष्टाचार, पुराने रीति-रिवाज, गरीब और अमीर लोगों के बीच बहुत बड़ी खाई, बेरोजगारी, अशिक्षा, महामारी रोग आदि हैं। भारत में लोगों का एक बड़ा प्रतिशत कृषि पर निर्भर है जो गरीब है। गरीबी का कारण। आमतौर पर लोग खराब कृषि और बेरोजगारी के कारण भोजन की कमी का सामना करते हैं।

कभी बढ़ती जनसंख्या भी भारत में गरीबी का कारण है। अधिक जनसंख्या का अर्थ है अधिक भोजन, धन और मकान। बुनियादी सुविधाओं की कमी में, गरीबी तेजी से बढ़ती है। अतिरिक्त अमीर और अतिरिक्त गरीब बनना अमीर और गरीब लोगों के बीच एक विशाल चौड़ी खाई बनाता है। अमीर लोग अमीर हो रहे हैं और गरीब लोग गरीब बढ़ रहे हैं जो दोनों के बीच आर्थिक अंतर पैदा करता है।

गरीबी का प्रभाव:

गरीबी कई मायनों में लोगों के जीवन को प्रभावित करती है। गरीबी के विभिन्न प्रभाव हैं जैसे अशिक्षा, खराब आहार और पोषण, बाल श्रम, गरीब आवास, गरीब जीवन शैली, बेरोजगारी, गरीब स्वच्छता, गरीबी का स्त्रीकरण, आदि। गरीब लोग स्वस्थ आहार की व्यवस्था नहीं कर सकते हैं, ना ही अच्छी जीवन शैली बनाए रख सकते हैं, घर, अच्छे कपड़े, उचित शिक्षा आदि, पैसे की कमी के कारण जो अमीर और गरीब के बीच बहुत बड़ा अंतर पैदा करता है।

यह अंतर अविकसित देश की ओर जाता है। गरीबी छोटे बच्चों को कम खर्च पर काम करने के लिए मजबूर करती है और स्कूल जाने के बजाय उनके परिवार की आर्थिक मदद करती है।

गरीबी उन्मूलन के उपाय:

इस ग्रह पर मानवता की भलाई के लिए गरीबी की समस्या को तत्काल आधार पर हल करना बहुत आवश्यक है। गरीबी की समस्या को हल करने में कुछ उपाय जो बड़ी भूमिका निभा सकते हैं वे हैं:

  • किसानों को अच्छी कृषि के साथ-साथ उसे लाभकारी बनाने के लिए उचित और आवश्यक सुविधाएं मिलनी चाहिए।
  • जो लोग अनपढ़ हैं, उन्हें जीवन की बेहतरी के लिए आवश्यक प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए।
  • बढ़ती जनसंख्या और इस प्रकार गरीबी की जांच के लिए लोगों द्वारा परिवार नियोजन का पालन किया जाना चाहिए।
  • गरीबी को कम करने के लिए दुनिया भर में भ्रष्टाचार को समाप्त किया जाना चाहिए।
  • प्रत्येक बच्चे को स्कूल जाना चाहिए और उचित शिक्षा लेनी चाहिए।
  • रोजगार के ऐसे रास्ते होने चाहिए जहां सभी श्रेणियों के लोग एक साथ काम कर सकें।

निष्कर्ष:

गरीबी केवल एक व्यक्ति की समस्या नहीं है, बल्कि यह एक राष्ट्रीय समस्या है। इसे कुछ प्रभावी समाधानों को लागू करके तत्काल आधार पर हल किया जाना चाहिए। सरकार द्वारा गरीबी को कम करने के लिए कई तरह के कदम उठाए गए हैं लेकिन कोई स्पष्ट परिणाम नहीं दिख रहे हैं।

लोगों, अर्थव्यवस्था, समाज और देश के सतत और समावेशी विकास के लिए गरीबी का उन्मूलन आवश्यक है। गरीबी का उन्मूलन प्रत्येक और हर व्यक्ति के एकजुट प्रयास से प्रभावी ढंग से किया जा सकता है।

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विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.

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भारत में गरीबी पर निबंध Essay on Poverty in India Hindi

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इस लेख में आप भारत में गरीबी पर निबंध Essay on Poverty in India Hindi पढ़ेंगे। इसमें हमने गरीबी का अर्थ, भारत में गरीबी के कारण, इसका प्रभाव, गरीबी उन्मूलन, तथ्य जैसी कई महत्वपूर्ण जानकारियाँ दी गई है।

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भारत में गरीबी एक व्यापक स्थिति है आजादी के बाद से गरीबी एक बड़ी चिंता हमेशा बनी हुई है। इस आधुनिक युग में गरीबी देश में एक लगातार बढ़ता हुआ खतरा है। 1.26 अरब जनसंख्या की  25% से ज्यादा अभी भी गरीबी रेखा से नीचे रहते है।

हालांकि यह ध्यान देने योग्य है कि पिछले दशक में गरीबी के स्तर में गिरावट आई है लेकिन प्रयासों को जबरदस्त ढंग से पालन करने की आवश्यकता है जिससे की गरीबी ज्यादा से ज्यादा कम हो सके।

एक देश का स्वास्थ्य भी उन लोगों के मानकों पर निर्धारित होता है जो राष्ट्रीय आय और घरेलू उत्पाद के अलावा उस देश के लोगों के स्तिथि पर आधारित होता हैं। इस प्रकार गरीबी किसी भी देश के विकास पर एक बड़ा धब्बा बना रहता है।

गरीबी की समस्या क्या है? What is Poverty in Hindi?

गरीबी को एक ऐसी स्थिति के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जिसमें एक व्यक्ति जीवन यापन के लिए बुनियादी जरूरतों को पूरा करने में असमर्थ होता है। इन बुनियादी जरूरतों में शामिल हैं – भोजन, कपड़े और मकान।

गरीबी एक भ्रामक जाल बन जाती है जो धीरे-धीरे समाप्त होती है एक परिवार के सभी सदस्यों के लिए। अत्यधिक गरीबी अंततः मृत्यु की ओर जाता है।

भारत में गरीबी अर्थव्यवस्था, अर्द्ध-अर्थव्यवस्था और परिभाषाओं के सभी आयामों को ध्यान में रखते हुए परिभाषित की गई है जो अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों के अनुसार तैयार की जाती हैं। भारत खपत और आय दोनों के आधार पर गरीबी के स्तर को मापता है।

खपत को उस धन के कारण मापा जाता है जो आवश्यक वस्तुओं पर घर से खर्च होता है और आय एक विशेष परिवार द्वारा अर्जित आय के हिसाब से गिना जाता है। यहां एक और महत्वपूर्ण अवधारणा का उल्लेख किया जाना चाहिए जो गरीबी रेखा की अवधारणा है।

यह गरीबी रेखा भारत में गरीबी को मापने का काम करती है। एक गरीबी रेखा को अनुमानित न्यूनतम स्तर की आय के रूप में परिभाषित किया जा सकता है क्योंकि एक परिवार को जीवन की बुनियादी आवश्यकताओं को पूरा करने में सक्षम होना चाहिए।

भारत में गरीबी के कारण Causes of Poverty in India

भारत में मौजूदा गरीबी का एक प्रमुख कारण देश की मौसम की स्थिति है। गैर-अनुकूल जलवायु खेतों में काम करने के लिए लोगों की क्षमता कम करती है। बाढ़, दुर्घटनाएं, भूकंप और चक्रवात उत्पादन को बाधित करते हैं। जनसंख्या एक अन्य कारण है जो गरीबी का मुख्य कारण है।

जनसंख्या वृद्धि प्रति व्यक्ति आय को कम करती है। इसके अलावा, एक परिवार का आकार बड़ा, कम प्रति व्यक्ति आय है। भूमि और संपत्ति का असमान वितरण एक और समस्या है जो किसानों के हाथों में ज़मीन की एकाग्रता को समान रूप से रोकता है।

गरीबी का प्रभाव Effect of Poverty in India

यह ध्यान में रखा जाना चाहिए कि हालांकि अर्थव्यवस्था ने पिछले दो दशकों में प्रगति के कुछ संकेत दिखाई दिए हैं। परन्तु यह प्रगति विभिन्न क्षेत्रों में असमान है। बिहार और उत्तर प्रदेश की तुलना में गुजरात और दिल्ली में विकास दर अधिक है।

आबादी के लगभग आधे लोगों में उचित आश्रय नहीं है, सभ्य स्वच्छता प्रणाली के पानी स्रोत गांव में मौजूद नहीं है, और हर गांवों में एक माध्यमिक विद्यालय और उचित सड़कों की कमी आज भी भरी मात्र में है।

गरीबी के कारण ही बच्चों को अपनी उच्च शिक्षा से वंचित रहना पड़ता है। साथ ही गरीबी का प्रभाव लोगों के स्वास्थ्य पर भी पड़ता है जब वे अच्छा पौष्टिक भोजन नहीं कर पाते हैं। इससे बच्चों में कुपोषण देखा गया है।

देश में गरीबी के बढ़ने से अशिक्षित लोगों की जनसंख्या बढ़ती है और इससे देश की युवा पीढ़ी आगे नहीं बढ़ पाते हैं।

गरीबी उन्मूलन की सरकारी योजनाएं Government Schemes for Poverty Eradication in India

गरीबी के बारे में चर्चा करते हुए भारत में गरीबी कम करने के लिए सरकार के प्रयासों को अनदेखा नहीं किया जा सकता।

इसे सबसे आगे लाने की जरूरत है कि गरीबी के अनुपात में जो भी मामूली गिरावट देखी गई है, वह सरकार की पहल की वजह से हुई है, जिसका उद्देश्य लोगों को गरीबी से उत्थान करना है। हालांकि, ​​ भ्रष्टाचार के कारण कुछ भी सही प्रकार से नहीं हो पा रहा है और योजनायें विफल हो रही हैं।

पीडीएस – पीडीएस गरीबों को रियायती भोजन और गैर-खाद्य वस्तुओं का वितरण करती है। देश भर में कई राज्यों में स्थापित सार्वजनिक वितरण विभागों के एक नेटवर्क के माध्यम से प्रमुख वस्तुएं वितरित की जाती है जिनमें गेहूं, चावल, चीनी और केरोसिन जैसे मुख्य अनाज शामिल हैं।

लेकिन, पीडीएस द्वारा प्रदान किए गए अनाज परिवार के उपभोग की जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं हैं।

पीडीएस योजना के अंतर्गत, गरीबी रेखा से नीचे प्रत्येक परिवार को हर महीने 35 किलो चावल या गेहूं के लिए योग्य होता है, जबकि गरीबी रेखा से ऊपर एक घर मासिक आधार पर 15 किलोग्राम अनाज का हकदार होता है।

महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम ( मनरेगा ) – यह लक्ष्य ग्रामीण इलाकों में कम से कम 100 दिनों की गारंटीकृत मजदूरी रोजगार प्रदान करके हर घर के लिए ग्रामीण परिवारों में आजीविका की सुरक्षा सुनिश्चित करने की गारंटी देता है।

आरएसबीवाई (राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना) – यह गरीबों के लिए स्वास्थ्य बीमा है । यह जनता के साथ-साथ निजी अस्पताल में भर्ती के लिए नकद रहित बीमा प्रदान करता है।

पीली राशन कार्ड वाले सभी नीचे दिए गए गरीबी रेखा वाले परिवार ने अपने फिंगरप्रिंट और फोटोग्राफ युक्त बायोमेट्रिक-सक्षम स्मार्ट कार्ड प्राप्त करने के लिए 30 रुपए के पंजीकरण शुल्क का भुगतान किया है।

भारत में गरीबी के बारे में तथ्य Facts About Poverty in India

भारत में गरीबी के विषय में कुछ मुख्य तथ्य –

  • 1947 में, भारत ने ब्रिटिश हुकूमत से आजादी हासिल की ब्रिटिश प्रस्थान के समय इसकी गरीबी दर 70 प्रतिशत थी।
  • भारत गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले उच्चतम आबादी वाला देश है। आज, भारत में गरीबी दर 22 प्रतिशत है, जो 2009 में 31.1 प्रतिशत थी। 2016 में भारत की अनुमानित जनसंख्या 1.3 अरब थी ।
  • एक अविकसित अवसंरचना और चिकित्सा क्षेत्र तक समान पहुंच में बाधा डालता है। विकसित शहरी इलाकों में रहने वाले लोगों के पास चिकित्सा ध्यान प्राप्त करने का एक उच्च मौका है और ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की तुलना में बीमार होने का जोखिम कम है। भारत की ग्रामीण आबादी के 20 प्रतिशत से कम लोगों को साफ पानी मिल रहा है। कम पानी के कारण पानी की स्थिति वायरल और जीवाणु संक्रमण दोनों के प्रसार को बढ़ाती है।
  • एशियाई विकास बैंक (एडीबी) के अनुसार , एशिया में विकास के एक मजबूत समर्थक, 2016 में भारत की अर्थव्यवस्था 7.1% की वृद्धि हुई। एशियाई विकास बैंक ने 1986 में बुनियादी ढांचा और आर्थिक विकास के साथ भारत सरकार की सहायता करना शुरू किया।
  • निम्नलिखित चार तथ्यों ने 2016 में एडीबी और भारत द्वारा शुरू की गई संयुक्त परियोजनाओं से 2016 की सफलता पर प्रकाश डाला। एशियाई विकास बैंक की मदद से, 344 मिलियन घरों में या तो पानी का शुद्ध उपयोग या पहुंच प्राप्त हो गया है ताकि सिंचाई, जल उपचार, और स्वच्छता में निवेश में वृद्धि हुई है। इसके अलावा, 744,000 घरों में अब बाढ़ के कारण जोखिम नहीं है।
  • स्वच्छताआर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए, भारत और एडीबी ने 26,909 किमी की सड़कों का निर्माण किया है या देश के बाहर सुधार किया है, जिसमें से 20,064 किलोमीटर ग्रामीण क्षेत्रों में हैं, जिससे ग्रामीण आबादी में अर्थव्यवस्था और स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच बढ़ रही है।
  • एडीपी से वित्तपोषण के लिए धन्यवाद, भारत सरकार 2010 से 606,174 किफायती आवासों का निर्माण कर पाई है।
  • नए घरों को जोड़ने और पुराने ढांचे को सुधारने के लिए, 24,183 किलोमीटर की बिजली लाइनें लटकाई या रखी गईं, जबकि भारत का कार्बन पदचिह्न 992,573 टन सीओ 2 से घट रहा है।
  • एडीबी के स्वतंत्र, भारत सरकार सार्वभौमिक बुनियादी आय कार्यक्रम का परीक्षण करने पर विचार कर रही है। प्रत्येक व्यक्ति को सरकार से खर्च करने के लिए 7620 भारतीय रुपये (113 डॉलर) प्राप्त होंगे, हालांकि वे चुनते हैं।
  • काला बाजार भ्रष्टाचार से निपटने और टैक्स अनुपालन में वृद्धि करने के लिए, भारत सरकार ने 2016 में 500 रुपये और 1000 रुपये नोटों को समाप्त करने का फैसला किया। सभी नोट्स को समय सीमा के भीतर जमा किया जाना था, और शेष नोटों को कानूनी निविदा नहीं माना जाता है।

निष्कर्ष Conclusion

भारत में गरीबी धीरे-धीरे है लेकिन निश्चित रूप से कम हो रही है। सरकार द्वारा सावधानीपूर्वक योजना गरीबी से पीड़ित लोगों को लाभकारी रहेगी।

एडीबी से सरकार द्वारा निवेश किए गए निधियों के उपयोग की सफलता में इसका सबूत देखा जा सकता है। बढ़ती अर्थव्यवस्था और जिम्मेदार सरकार के साथ, भारत में गरीबी कम हो रही है।

आशा करते हैं आपको भारत में गरीबी पर यह निबंध पसंद आया होगा और इसके कारण, प्रभाव, गरीबी उन्मूलन, तथा तथ्य के विषय में पुरी जानकारी मिल पाई होगी।

2 thoughts on “भारत में गरीबी पर निबंध Essay on Poverty in India Hindi”

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गरीबी पर निबंध (Poverty Essay in Hindi and English)

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गरीबी पर बड़े तथा छोटे निबंध (Long and Short Essay on Poverty in Hindi, Garibi par Nibandh Hindi mein)

गरीबी बहुत गरीब होने की स्थिति है, और यह किसी को भी हो सकती है। यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें एक व्यक्ति के पास रहने के लिए आवश्यक महत्वपूर्ण चीजें जैसे छत, भोजन, कपड़े, दवा आदि पर्याप्त नहीं होती है। अधिक जनसंख्या, घातक और संक्रामक बीमारियां, प्राकृतिक आपदाएं, कम कृषि उत्पादन, बेरोजगारी, जातिवाद , निरक्षरता, लैंगिक असमानता, पर्यावरणीय समस्याएं, देश में बदलते आर्थिक रुझान, अस्पृश्यता, और लोगों के अधिकारों तक कम या सीमित पहुंच कुछ ऐसी चीजें हैं जो गरीबी का कारण बनती हैं। राजनीतिक हिंसा, अपराध जो सरकार द्वारा भुगतान किया जाता है, भ्रष्टाचार, प्रोत्साहन की कमी, आलस्य, पुराने जमाने की सामाजिक मान्यताओं आदि जैसी समस्याओं से निपटा जाना चाहिए।

निबंध 1 (350 शब्द)

प्रस्तावना.

गरीबी दुनिया की सबसे महत्वपूर्ण समस्याओं में से एक है। पूरी दुनिया में इस समय बहुत से लोग गरीबी को खत्म करने के लिए काम कर रहे हैं, लेकिन यह भयानक समस्या दूर नहीं हो रही है। गरीबी हमारे जीवन को आर्थिक और सामाजिक दोनों तरह से प्रभावित करती है।

गरीबी जीवन की सबसे बुरी समस्याओं में से एक है।

एक गरीब व्यक्ति एक गुलाम की तरह है जो कुछ भी नहीं कर सकता जो वह चाहता है। इसके कई पक्ष हैं जो व्यक्ति, स्थान और समय के अनुसार बदलते रहते हैं। एक व्यक्ति कैसे रहता है और वह कैसा महसूस करता है, इस पर निर्भर करते हुए इसे कई तरह से वर्णित किया जा सकता है। कोई भी गरीब नहीं होना चाहता, लेकिन कुछ लोगों को परंपरा, प्रकृति, प्राकृतिक आपदा या शिक्षा की कमी के कारण इसका सामना करना पड़ता है। भले ही एक व्यक्ति को इसे जीना पड़ता है, वे आमतौर पर इससे दूर होना चाहते हैं। गरीबी एक अभिशाप की तरह है क्योंकि यह गरीब लोगों के लिए भोजन के लिए पर्याप्त पैसा कमाना, स्कूल जाना, रहने के लिए एक अच्छी जगह प्राप्त करना, उनकी ज़रूरत के कपड़े प्राप्त करना और सामाजिक और राजनीतिक हिंसा से सुरक्षित रहना कठिन बना देती है।

यह एक ऐसी समस्या है जिसे कोई देख नहीं सकता, लेकिन इसका व्यक्ति और उसके सामाजिक जीवन पर बुरा प्रभाव पड़ता है। गरीबी एक भयानक समस्या है, लेकिन इसके लंबे समय तक रहने के कई कारण हैं। इसके कारण व्यक्ति में सुरक्षा, स्वतंत्रता और मानसिक तथा शारीरिक स्वास्थ्य की कमी बनी रहती है। सभी को सामान्य जीवन, अच्छा शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य, पूर्ण शिक्षा, रहने के लिए जगह और अन्य महत्वपूर्ण चीजें देने के लिए देश और बाकी दुनिया के लिए मिलकर काम करना बहुत महत्वपूर्ण है।

निष्कर्ष

गरीबी एक बड़ी समस्या है जो हमारे जीवन के सभी हिस्सों को प्रभावित करती है। गरीबी एक बीमारी की तरह है जो व्यक्ति के जीवन के हर हिस्से को प्रभावित करती है। इससे व्यक्ति का अच्छा जीवन, शारीरिक स्वास्थ्य, शिक्षा का स्तर आदि सब बर्बाद हो जाता है। यही कारण है कि आधुनिक विश्व में गरीबी को एक भयानक समस्या के रूप में देखा जाता है।

निबंध 2 (400 शब्द)

गरीबी को इस समय दुनिया की सबसे बड़ी समस्याओं में से एक के रूप में देखा जाता है। गरीबी एक ऐसी मानवीय स्थिति है जो दुख, दर्द और निराशा जैसी समस्याओं का कारण बनती है। जो लोग गरीब होते हैं उन्हें अच्छी शिक्षा नहीं मिलती है और उनका स्वास्थ्य भी अच्छा नहीं होता है।

गरीब एक त्रासदी

गरीबी मानव होने का एक हिस्सा है, और यह हमें क्रोधित, दुखी और आहत करती है। गरीबी का मतलब है कि एक अच्छा जीवन जीने के लिए जरूरी चीजों को खरीदने के लिए पर्याप्त पैसा न होना। जब कोई बच्चा गरीब परिवार से आता है, तो वह स्कूल नहीं जा पाता है और उसे अपना बचपन घर पर या ऐसे परिवार के साथ बिताना पड़ता है जो अच्छी तरह से काम नहीं करता है। जो लोग गरीब हैं और जिनके पास पर्याप्त पैसा नहीं है, उन्हें दुगनी रोटी खानी पड़ती है, अपने बच्चों के लिए किताबें नहीं खरीद पाते हैं, और अपने बच्चों की ठीक से देखभाल नहीं कर पाते हैं।

गरीबी क्या है इसे समझाने के कई तरीके हैं। भारत में गरीबी बहुत आम है, जहां ज्यादातर लोग अपनी सबसे बुनियादी जरूरतों को भी पूरा नहीं कर पाते हैं। यहां बहुत सारे लोग पढ़-लिख नहीं सकते, भूखे हैं, और बिना कपड़ों या रहने की जगह के रहना पड़ता है। यही भारतीय अर्थव्यवस्था के कमजोर होने का मुख्य कारण है। भारत में लगभग आधे लोग कठिन जीवन जीते हैं क्योंकि वे गरीब हैं।

जब लोग गरीब होते हैं, तो उनके पास अपनी जरूरत की चीजें खरीदने के लिए पर्याप्त पैसा नहीं होता है। गरीब लोगों को दिन में दो बार भोजन, साफ पानी, घर, कपड़े, अच्छी शिक्षा जैसी बुनियादी चीजों का अधिकार नहीं है। यहां तक कि सबसे बुनियादी चीजें, जैसे खाना-पीना, जो जिंदा रहने के लिए जरूरी हैं, भी इन लोगों को नहीं मिलती हैं।

भारत में लोग गरीब क्यों हैं, इसके कई कारण हैं, लेकिन उनमें से एक यह है कि देश की आय का उचित वितरण नहीं किया जा रहा है। कम आय वाले लोग उच्च आय वाले लोगों की तुलना में बहुत अधिक गरीब होते हैं। गरीब परिवारों के बच्चों को कभी भी सही तरह की शिक्षा, भोजन या बड़े होने के लिए एक खुशहाल जगह नहीं मिलती है। गरीबी का मुख्य कारण पढ़-लिख न पाना, बेईमानी, बढ़ती जनसंख्या, खराब खेती, अमीर-गरीब के बीच बढ़ती खाई आदि हैं।

गरीबी मानव जीवन में एक ऐसी समस्या है जो लोगों को जीने के लिए आवश्यक सबसे बुनियादी चीजें भी प्राप्त करने से रोकती है। इस वजह से पूरी दुनिया में गरीबी से छुटकारा पाने और लोगों के जीवन स्तर को ऊपर उठाने के लिए अभी कई कदम उठाए जा रहे हैं।

निबंध 3 (500 शब्द)

गरीबी हमारे जीवन में एक समस्या बन गई है और दुनिया भर के कई देश अब इससे जूझ रहे हैं। इस विषय पर आँकड़ों को देखने से यह स्पष्ट होता है कि भले ही दुनिया भर में गरीबी से छुटकारा पाने के लिए कई कदम उठाए जा चुके हैं, लेकिन समस्या अभी भी मौजूद है।

लोगों को गरीब होने से रोकने के तरीके

गरीबी जीवन की निम्न गुणवत्ता का संकेत है, जैसे कि निरक्षरता, कुपोषण, बुनियादी जरूरतों की कमी, कम मानव संसाधन विकास, आदि। भारत जैसे स्थानों में गरीबी एक बड़ी समस्या है जो अभी भी विकसित हो रही है। यह एक ऐसा तथ्य है जो दर्शाता है कि समाज में कुछ लोग अपनी सबसे बुनियादी जरूरतों को भी पूरा नहीं कर पाते हैं।

पिछले पांच वर्षों में, गरीबी में रहने वाले लोगों की संख्या 1993-1994 में 35.97% से घटकर 1999-2000 में 26.1% हो गई है। यह राज्य स्तर पर भी नीचे चला गया है, उड़ीसा में 47.15% से 48.56%, मध्य प्रदेश में 37.43% से 43.52%, उत्तर प्रदेश में 31.15% से 40.85% और पश्चिम बंगाल में 27.02% से 35.66% तक गिर गया है। फिर भी, खुश होने या गर्व करने का कोई कारण नहीं है क्योंकि भारत में लगभग 26 करोड़ लोग अभी भी गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहे हैं।

भारत कुछ प्रभावी कार्यक्रमों का उपयोग करके गरीबी से छुटकारा पा सकता है, लेकिन ऐसा करने के लिए केवल सरकार ही नहीं, सभी को मिलकर काम करने की जरूरत है। भारत की सरकार को गरीब सामाजिक क्षेत्रों, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में सुधार के लिए कुछ अच्छी योजनाओं के साथ आने की जरूरत है। इन योजनाओं को प्राथमिक शिक्षा, जनसंख्या नियंत्रण, परिवार कल्याण, रोजगार सृजन आदि जैसी चीजों पर ध्यान देना चाहिए।

गरीब होने का क्या परिणाम होता है?

गरीबी के कारण होने वाली कुछ चीजें हैं:.

  • जो लोग गरीब हैं वे अच्छी शिक्षा नहीं प्राप्त कर सकते क्योंकि उनके पास पर्याप्त पैसा नहीं है।
  • पोषण और स्वस्थ आहार: गरीबी के कारण स्वस्थ आहार और पर्याप्त पोषण प्राप्त करना कठिन हो जाता है, जिससे कई खतरनाक और संक्रामक रोग हो सकते हैं।
  • बाल श्रम: यह बहुत से लोगों को पढ़ने या लिखने में सक्षम नहीं होने का कारण बनता है क्योंकि देश का भविष्य बहुत कम उम्र में बहुत कम पैसे में काम कर रहा है।
  • बेरोज़गारी: ग़रीबी भी बेरोज़गारी का एक कारण है, जिससे लोगों के लिए अपना सामान्य जीवन जीना मुश्किल हो जाता है। यह लोगों को न चाहते हुए भी अपना जीवन जीने देता है।
  • सामाजिक चिंता अमीर और गरीब के बीच आय में भारी अंतर के कारण होती है।
  • आवास एक समस्या है क्योंकि लोग बुरी जगहों जैसे फुटपाथ, सड़क के किनारे की खाई, अन्य खुली जगहों, भीड़भाड़ वाले कमरों आदि में रहते हैं।
  • रोग: संक्रामक रोग इसलिए अधिक फैलते हैं क्योंकि धन के बिना लोग अपने आप को स्वच्छ और स्वस्थ नहीं रख सकते हैं। किसी बीमारी का ठीक से इलाज करने के लिए डॉक्टर के बिल भी नहीं भर सकते।
  • गरीबी और महिलाओं की भलाई: लैंगिक असमानता का महिलाओं के जीवन पर बड़ा प्रभाव पड़ता है और उन्हें सही भोजन, पोषण, दवा और स्वास्थ्य देखभाल प्राप्त करने से रोकता है।

आज के समाज में भ्रष्टाचार, अशिक्षा और भेदभाव जैसी समस्याएं हैं जो पूरी दुनिया को प्रभावित करती हैं। इस वजह से, हमें यह पता लगाने की जरूरत है कि लोग गरीब क्यों हैं और उनसे निपटने और समाज को बढ़ने में मदद करने की योजना के साथ आते हैं, क्योंकि गरीबी को समग्र विकास के माध्यम से ही समाप्त किया जा सकता है।

निबंध 4 (600 शब्द)

लोग तब गरीब होते हैं जब उन्हें जीने के लिए सबसे बुनियादी चीजें जैसे पर्याप्त भोजन, कपड़े और रहने के लिए जगह भी नहीं मिल पाती है। भारत में अधिकांश लोगों के पास दिन में दो बार खाने के लिए पर्याप्त भोजन नहीं है। वे सड़क के किनारे सोते हैं और गंदे कपड़े पहनते हैं। उन्हें स्वस्थ रहने के लिए भोजन, दवा और अन्य चीजें नहीं मिलती हैं। भारत के शहरों में गरीबी बदतर होती जा रही है क्योंकि अधिक से अधिक लोग ग्रामीण इलाकों से शहरों और कस्बों में काम खोजने और पैसा कमाने के लिए जा रहे हैं। लगभग 8 करोड़ लोग गरीबी रेखा से नीचे रहते हैं, और शहरों में 4.5 करोड़ लोग सीधे रेखा पर रहते हैं। झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले ज्यादातर लोग पढ़-लिख नहीं सकते। हालांकि कुछ कदम उठाए गए हैं, लेकिन ऐसा नहीं लगता कि गरीबी बेहतर हो रही है।

लोग गरीब क्यों और कैसे हैं

भारत में गरीबी का मुख्य कारण बढ़ती जनसंख्या, कमजोर कृषि, भ्रष्टाचार, काम करने के पुराने तरीके, अमीर और गरीब के बीच एक बड़ी खाई, बेरोजगारी, अशिक्षा, संक्रामक रोग आदि हैं। भारत में बहुत से लोग कृषि पर निर्भर हैं। , जो बहुत अच्छा नहीं है और लोगों के गरीब होने का एक बड़ा कारण है। आम तौर पर लोगों के पास खाने के लिए पर्याप्त भोजन नहीं होता है क्योंकि कृषि खराब है और पर्याप्त नौकरियां नहीं हैं। भारत में गरीबी वहाँ रहने वाले लोगों की बढ़ती संख्या के कारण भी है। अधिक लोगों को भोजन, पैसा और रहने के लिए जगह की जरूरत है। सबसे बुनियादी चीजों के बिना भी गरीबी तेजी से फैली है। बहुत अमीर और बहुत गरीब होने के कारण अमीर और गरीब के बीच की खाई बढ़ी है।

गरीबी के कारण

गरीब होने से लोग कई तरह से प्रभावित होते हैं। गरीबी के कई प्रभाव हैं, जैसे अशिक्षा, अस्वास्थ्यकर आहार, बाल श्रम, खराब आवास, जीवन का खराब तरीका, बेरोजगारी, खराब स्वच्छता, और पुरुषों की तुलना में महिलाओं में गरीबी की उच्च दर, अन्य बातों के अलावा। क्योंकि लोगों के पास पर्याप्त पैसा नहीं है, अमीर और गरीब के बीच की खाई बड़ी होती जा रही है।

इस भिन्नता के कारण ही किसी देश को “अविकसित” कहा जा सकता है। क्योंकि उसका परिवार गरीब है, एक छोटे बच्चे को घर चलाने के लिए स्कूल जाने के बजाय कम वेतन पर काम करना पड़ता है।

दरिद्रता दूर करने का उपाय

गरीबी एक बड़ी समस्या है जिसे इस ग्रह पर सभी लोगों की भलाई के लिए जल्द से जल्द ठीक करने की जरूरत है। गरीबी की समस्या को हल करने में मदद के लिए किए जा सकने वाले कुछ कार्यों में शामिल हैं:

  • खेती को लाभदायक बनाने के साथ-साथ किसानों के पास अच्छे काम करने के लिए आवश्यक उपकरण और सुविधाएं होनी चाहिए।
  • वयस्क जो पढ़ या लिख नहीं सकते उन्हें अपने जीवन को बेहतर बनाने के लिए आवश्यक प्रशिक्षण प्राप्त करना चाहिए।
  • लोगों की संख्या बढ़ने पर गरीबी को बदतर होने से रोकने के लिए लोगों को परिवार नियोजन का उपयोग करना चाहिए।
  • गरीबी खत्म करने के लिए दुनिया में हर जगह भ्रष्टाचार को रोकने की जरूरत है।
  • हर बच्चे को स्कूल जाना चाहिए और वह सब कुछ सीखना चाहिए जो वह सीख सकता है।
  • विभिन्न वर्गों के लोगों के लिए एक साथ काम करने के तरीके होने चाहिए।

गरीबी किसी एक व्यक्ति की नहीं बल्कि पूरे देश की समस्या है। कुछ प्रभावी तरीकों का उपयोग करके इसे जल्द से जल्द ठीक किया जाना चाहिए। सरकार ने गरीबी से निजात पाने के लिए कई कदम उठाए हैं, लेकिन कोई स्पष्ट परिणाम नजर नहीं आ रहा है। गरीबी से छुटकारा पाना लोगों, अर्थव्यवस्था, समाज और पूरे देश के लिए इस तरह से विकास करना बहुत महत्वपूर्ण है जिससे सभी को लाभ हो। गरीबी से छुटकारा पाने के लिए सभी को मिलकर काम करना बहुत जरूरी है।

गरीबी पर बड़े तथा छोटे निबंध (Long and Short Essay on Poverty in English, Garibi par Nibandh English mein)

Poverty is the state of being very poor, and it can happen to anyone. It’s a situation in which a person doesn’t have enough of the important things he needs to live, like a roof, food, clothes, medicine, etc. Overpopulation, deadly and contagious diseases, natural disasters, low agricultural production, unemployment, casteism, illiteracy, gender inequality, environmental problems, changing economic trends in the country, untouchability, and less or limited access to people’s rights are some of the things that cause poverty. Problems like political violence, crime that is paid for by the government, corruption, a lack of incentives, laziness, old-fashioned social beliefs, etc., must be dealt with.

Essay 1 (350 words)

Poverty is one of the most important problems in the world. Many people are working to end poverty all over the world right now, but this terrible problem isn’t going away. Poverty affects our lives in both a financial and a social way.

Poverty is one of life’s worst problems.

A person who is poor is like a slave who can’t do anything he wants. It has many sides that change based on the person, the place, and the time. It can be described in many ways, depending on how a person lives and how he or she feels. No one wants to be poor, but some people have to deal with it because of tradition, nature, a natural disaster, or a lack of education. Even though a person has to live it, they usually want to get away from it. Poverty is like a curse because it makes it hard for poor people to make enough money for food, to go to school, to get a good place to live, to get the clothes they need, and to stay safe from social and political violence.

It is a problem that no one can see, but it has bad effects on a person and his social life. Poverty is a terrible problem, but there are a lot of reasons why it has been around for a long time. Because of this, a person continues to lack security, independence, and mental and physical health. It is very important for the country and the rest of the world to work together to give everyone a normal life, good physical and mental health, a full education, a place to live, and other important things.

Poverty is a big problem that affects all parts of our lives. Poverty is like a disease that affects every part of a person’s life. Because of this, a person’s good life, physical health, level of education, etc. are all ruined. This is why poverty is seen as a terrible problem in the modern world.

Essay 2 (400 words)

Poverty is seen as one of the biggest problems in the world right now. Poverty is such a human condition that it causes problems like sadness, pain, and hopelessness. People who are poor don’t get a good education, and they also don’t have good health.

tragedy of being poor

Poverty is a part of being human, and it makes us angry, sad, and hurt. Poverty means not having enough money to buy the things you need to live a good life. When a child comes from a poor family, they can’t go to school and have to spend their childhood at home or with a family that doesn’t work well. People who are poor and don’t have enough money have to deal with things like having to eat twice as much bread, not being able to buy books for their kids, and not being able to care for their kids properly.

There are many ways to explain what poverty is. Poverty is very common in India, where most people can’t even meet their most basic needs. Here, a lot of people can’t read or write, are hungry, and have to live without clothes or a place to live. This is the main reason why the Indian economy is so weak. Almost half of the people in India live hard lives because they are poor.

When people are poor, they don’t make enough money to buy the things they need. Poor people don’t have the right to basic things like two meals a day, clean water, a home, clothes, a good education, and so on. Even the most basic things, like eating and drinking, that are needed to stay alive are not met by these people.

There are a lot of reasons why people in India are poor, but one of them is that the country’s income is not being shared fairly. People with low incomes are a lot poorer than those with high incomes. Children from poor families never get the right kind of education, food, or a happy place to grow up. The main causes of poverty are not being able to read or write, being dishonest, a growing population, bad farming, a growing gap between the rich and the poor, etc.

Poverty is a problem in human life that keeps people from getting even the most basic things they need to live. Because of this, many steps are being taken right now to get rid of poverty and raise the standard of living for people all over the world.

Essay 3 (500 words)

Poverty has become a problem in our lives, and many countries all over the world are now struggling with it. By looking at the statistics on this topic, it is clear that even though many steps have been taken to get rid of poverty around the world, the problem still exists.

ways to stop people from being poor

Poverty is a sign of a low quality of life, such as illiteracy, malnutrition, lack of basic needs, low human resource development, etc. Poverty is a big problem in places like India that are still developing. This is a fact that shows that some people in society can’t even meet their most basic needs.

In the last five years, the number of people living in poverty has gone down from 35.97% in 1993–1994 to 26.1% in 1999–2000. It has also gone down at the state level, dropping from 47.15% to 48.56% in Orissa, 37.43% to 43.52% in Madhya Pradesh, 31.15% to 40.85% in Uttar Pradesh, and 27.02% to 35.66% in West Bengal. Even so, there is no reason to be happy or proud because about 26 crore people in India still have to live below the poverty line.

India can get rid of poverty by using some effective programmes, but everyone, not just the government, needs to work together to make this happen. India’s government needs to come up with some good plans to improve the poor social sectors, especially in rural areas. These plans should focus on things like primary education, population control, family welfare, job creation, and so on.

What is the result of being poor?

Some of the things that happen because of poverty are:

  • People who are poor can’t get a good education because they don’t have enough money.
  • Nutrition and a healthy diet: Poverty makes it hard to get a healthy diet and enough nutrition, which can lead to many dangerous and contagious diseases.
  • Child Labor: It leads to a lot of people not being able to read or write because the future of the country is working at a very young age for very little money.
  • Unemployment: Poverty is also a cause of unemployment, which makes it hard for people to live their normal lives. It makes people live their lives even though they don’t want to.
  • Social anxiety is caused by the huge difference in income between the rich and the poor.
  • Housing is a problem because people live in bad places like sidewalks, roadside ditches, other open spaces, overcrowded rooms, etc.
  • Diseases: More infectious diseases spread because people without money can’t keep themselves clean and healthy. Can’t even pay the doctor’s bills to treat any illness properly.
  • Poverty and women’s well-being: Gender inequality has a big impact on women’s lives and keeps them from getting the right food, nutrition, medicine, and health care.

In today’s society, there are problems like corruption, illiteracy, and discrimination that affect the whole world. Because of this, we need to figure out why people are poor and come up with a plan to deal with them and help the society grow, since poverty can only be eliminated through overall growth.

Essay 4 (600 words)

People are poor when they can’t even get the most basic things they need to live, like enough food, clothes, and a place to live. Most people in India don’t have enough food to eat twice a day. They sleep on the side of the road and wear dirty clothes. They don’t get the food, medicine, and other things they need to stay healthy. Poverty in India’s cities is getting worse because more people are moving from the countryside to cities and towns to find work and make money. About 8 crore people live below the poverty line, and 4.5 crore people in cities live right on the line. Most people who live in slums can’t read or write. Even though some steps have been taken, it doesn’t look like poverty is getting better.

Why and how people are poor

The main causes of poverty in India are a growing population, weak agriculture, corruption, old ways of doing things, a huge gap between rich and poor, unemployment, illiteracy, infectious diseases, etc. In India, a lot of people depend on agriculture, which is not very good and is a big reason why people are poor. People usually don’t have enough food to eat because agriculture is bad and there aren’t enough jobs. Poverty in India is also caused by the growing number of people living there. More people need food, money, and a place to live. Without even the most basic things, poverty has spread quickly. The gap between the rich and the poor has grown because of the very rich and the very poor.

caused by poverty

People are affected in many ways by being poor. Poverty has many effects, such as illiteracy, an unhealthy diet, child labour, bad housing, a bad way of life, unemployment, bad sanitation, and a higher rate of poverty among women than men, among other things. Because people don’t have enough money, the gap between rich and poor is getting bigger.

Because of this difference, a country can only be called “underdeveloped.” Because his family is poor, a small child has to work for low pay instead of going to school to help make ends meet.

way to get rid of poverty

Poverty is a big problem that needs to be fixed as soon as possible for the good of all people on this planet. Some of the things that can be done to help solve the problem of poverty include:

  • Along with making farming profitable, farmers should have the tools and facilities they need to do a good job.
  • Adults who can’t read or write should get the training they need to improve their lives.
  • People should use family planning to stop poverty from getting worse as the number of people grows.
  • Corruption needs to stop everywhere in the world for poverty to end.
  • Every kid should go to school and learn everything they can.
  • There should be ways for people from different classes to work together.

Poverty is a problem for the whole country, not just for one person. This should be fixed as soon as possible by using some effective methods. The government has taken many steps to get rid of poverty, but no clear results can be seen. Getting rid of poverty is very important for people, the economy, society, and the country as a whole to grow in a way that benefits everyone. To get rid of poverty, it is very important for everyone to work together.

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Essay on poverty in hindi गरीबी पर निबंध.

Poverty essay in Hindi language. Now you can learn more about essay on Poverty In Hindi and take examples to write an essay on Poverty In Hindi. Essay on Poverty In Hindi was asked in many exams. This Hindi essay is for 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 and 12 classes. गरीबी पर निबंध।

hindiinhindi Essay on Poverty In Hindi

Essay on Poverty In Hindi in 300 Words

गरीबी पर निबंध

गरीब वह लोग होते है जो जीवन के आधारभूत जरुरतों से महरुम रहते हैं जैसे अपर्याप्त भोजन, कपड़े और छत। आज भारत एक विश्व शक्ति के रूप में उभर के आगे आ रहा है पर हमारे देश में अभी भी बहुत सरे लोग ऐसे है जिनको दो वक़्त की रोटी नही हासिल होती। यह लोग गंदे कपड़े पहनते हैं और रात को सड़क किनारे सोते हैं। यह स्वस्थ पोषण, दवा और दूसरी जरुरी चीजें से कोसो दूर है। ग्रामीण क्षेत्रों से लोग शहरों की ओर नौकरी और धन संबंधी क्रियाओं के लिये रुख कर रहे है। शहरी जनसंख्या में बढ़ौतरी के कारण और ग्रामीण लोगो की बढ़ती संख्या के कारण शहरों में गरीबी और बढ़ती ही जा रही है। आंकड़ों की बात करे तो लगभग 8 करोड़ लोगों की आय गरीबी रेखा से नीचे है और लगभग 4.5 करोड़ शहरी लोग सीमारेखा पर हैं। सरकार द्वारा उठाये गए कदमों के बावजूद गरीबी दर में कोई भी संतोषजनक परिणाम नहीं दिखाई देता है।

भ्रष्टाचार, बेरोज़गारी, अशिक्षा, पुरानी प्रथाएं, बढ़ती जनसंख्या, कमजोर कृषि, अमीर और गरीब के बीच में बड़ी खाई आदि ऐसे बहुत सारे भारत में गरीबी का मुख्य कारण है। भारत में जनसंख्या का एक बड़ा भाग कृषि पर निर्भर करता है जो कि गरीब है और गरीबी का कारण है। बढ़ती जनसंख्या बढ़ती गरीबी का प्रमुख कारण है क्योकि अधिक जनसंख्या मतलब अधिक भोजन, पैसा और घर की जरुरत। गरीब और ज्यादा गरीब होता जा रहा है और अमीर पहले से ज्यादा अमीर होता जा रहा है जिसने दोनों के बीच की खाई को बहुत चौड़ा कर दिया है। ये अंतर ही किसी देश को अविकसित की श्रेणी की ओर ले जाता है।

गरीबी गरीब लोगो पर बहुत हावी होती जा रही है जैसे अशिक्षा, बाल श्रम, खराब घर, बेरोजगारी अदि क्योकि गरीबी इन समस्याओ को भी जन्म देती है। इन्ही कारणों से गरीब परिवार का गरीब बच्चा अपनी छोटी सी आयु से ही कम मजदूरी पर काम करने को मजबूर है। यह उम्र उनके स्कूल जाने की खेलने कूदने की है किन्तु गरीबी ने इन बच्चो का बचपन उनसे छीन लिया है।

गरीबी पूरे देश की एक बहुत बड़ी समस्या है जिसे प्रभावी तरीकों को लागू करके जल्दी से जल्दी सुलझाना चाहिये। भारत सरकार द्वारा भी कई प्रकार के कदम उठाये गये, जिनका कोई स्पष्ट परिणाम नहीं दिखा। गरीबी हो हराने के लिए सरकार के साथ साथ भारत के नागरिको को भी एक-जुट हो कर ही इस समस्या का समाधान निकलना होगा। तो चलो आईये, हम सब मिलकर एक साथ इस समस्या को जड़ से उखाड़ दे जिससे हम और हमारा देश आगे बढ़ सके।

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essay on no poverty in hindi

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भारत में गरीबी पर निबंध 10 lines (Poverty In India Essay in Hindi) 100, 200, 300, 500, शब्दों मे

essay on no poverty in hindi

Poverty In India Essay in Hindi – गरीबी एक ऐसी स्थिति है जिसमें लोगों के पास भोजन और आश्रय जैसी बुनियादी आवश्यकताओं या जीवित रहने के लिए पर्याप्त धन नहीं होता है। Poverty In India Essay लोगों की आय कम होने के कारण वे अपनी बुनियादी ज़रूरतें भी पूरी नहीं कर पाते हैं। यहां ‘गरीबी’ विषय पर कुछ नमूना निबंध दिए गए हैं।

गरीबी पर 10 पंक्तियाँ (10 Lines on Poverty in Hindi)

  • 1) दुनिया में गरीबी एक महत्वपूर्ण मुद्दा है।
  • 2) यह बहुत कम आय होने की स्थिति है।
  • 3) गरीबी भोजन और आश्रय की कमी है।
  • 4) यह लोगों के जीवन को दुख और दर्द से भर देता है।
  • 5) गरीब लोग अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेज सकते।
  • 6) बीमार पड़ने पर वे दवा और अस्पताल का खर्च नहीं उठा सकते।
  • 7) अपर्याप्त पोषण और उपचार के कारण उनकी मृत्यु हो जाती है।
  • 8) समाज के धनी लोगों द्वारा उनका शोषण किया जाता है।
  • 9) बढ़ती अपराध दर गरीबी का परिणाम है।
  • 10) गरीबी बढ़ने का मुख्य कारण जनसंख्या वृद्धि है।

भारत में गरीबी पर 100 शब्द का निबंध (100 Word Essay On Poverty In India in Hindi)

गरीबी व्यक्ति या परिवार की वह वित्तीय स्थिति है जिसमें वे जीवन में अपनी बुनियादी जरूरतों को पूरा करने में असमर्थ होते हैं। एक गरीब व्यक्ति इतना नहीं कमा पाता कि दो वक्त का भोजन, पानी, आश्रय, कपड़ा, सही शिक्षा और बहुत कुछ जैसी बुनियादी ज़रूरतें खरीद सके। भारत में, अधिक जनसंख्या और अविकसितता गरीबी का मुख्य कारण है। भारत की गरीबी को कुछ प्रभावी कार्यक्रमों से कम किया जा सकता है, जिसमें सरकार को प्राथमिक शिक्षा प्रदान करके, जनसंख्या नियंत्रण नीतियों को लागू करने, नौकरियां पैदा करने और रियायती दरों पर बुनियादी आवश्यकताएं प्रदान करके ग्रामीण क्षेत्रों को विकसित करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। पूरी दुनिया में गरीबी एक बहुत ही गंभीर समस्या है और गरीबी को दूर करने के लिए कई प्रयास किये जा रहे हैं।

भारत में गरीबी पर 200 शब्द का निबंध (200 Word Essay On Poverty In India in Hindi)

गरीबी को उस स्थिति के रूप में परिभाषित किया जाता है जिसमें किसी व्यक्ति या परिवार के पास बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए धन की कमी होती है। गरीब लोगों के पास अच्छा जीवन यापन करने के लिए पर्याप्त पैसा नहीं है; उनके पास आवास, पोषण और स्कूली शिक्षा के लिए धन नहीं है जो जीवित रहने के लिए महत्वपूर्ण हैं। तो, गरीबी को पूरी तरह से पैसे की कमी, या रोजमर्रा के मानव जीवन में अतिरिक्त व्यापक बाधाओं के रूप में समझा जा सकता है।

महात्मा गांधी ने एक बार कहा था कि गरीबी हिंसा का सबसे खराब रूप है। भारत के विकास में गरीबी सबसे बड़ी बाधा साबित हुई है। 1970 के बाद से, भारत सरकार ने अपनी 5-वर्षीय योजनाओं में गरीबी उन्मूलन को प्राथमिकता दी है। वेतन रोजगार बढ़ाने और सरल सामाजिक सेवाओं तक पहुंच बढ़ाने के माध्यम से खाद्य सुरक्षा, आवास और रोजगार सुनिश्चित करने के लिए नीतियां बनाई जाती हैं। भारतीय अधिकारियों और गैर-सरकारी निगमों ने गरीबी दूर करने के लिए कई नए कार्यक्रम शुरू किए हैं, जैसे ऋण तक आसान पहुंच, कृषि तकनीकों और मूल्य समर्थन में वृद्धि, और लोगों को व्यावसायिक कौशल प्रशिक्षण प्रदान करना ताकि वे नौकरियां प्राप्त कर सकें। इन उपायों से अकाल को खत्म करने, पूर्ण गरीबी सीमा को कम करने और निरक्षरता और कुपोषण को कम करने में मदद मिली है।

ग्रामीण-से-शहर प्रवास के कारण पिछले वर्षों में ग्रामीण गरीबी की घटना में गिरावट आई है। गरीबी की समस्या के समाधान के लिए जनसंख्या वृद्धि पर गंभीर अंकुश लगाना आवश्यक है।

भारत में गरीबी पर 300 शब्द का निबंध (300 Word Essay On Poverty In India in Hindi)

गरीबी प्राचीन काल से ही एक सामाजिक समस्या रही है। यह एक ऐसी स्थिति है जहां कोई व्यक्ति भोजन, कपड़े और आश्रय जैसी बुनियादी ज़रूरतें खरीदने में असमर्थ होता है। इसके अलावा, ये व्यक्ति दिन में केवल एक बार भोजन करके ही अपना गुजारा करते हैं क्योंकि वे इससे अधिक वहन नहीं कर सकते। वे भीख मांगने में संलग्न हो सकते हैं क्योंकि वे किसी अन्य तरीके से पैसा नहीं कमा सकते हैं। कभी-कभी, ये व्यक्ति अपनी भूख को संतुष्ट करने के लिए किसी होटल या रेस्तरां के पास कूड़ेदान से सड़ा हुआ भोजन निकाल सकते हैं। वे साफ़ रातों में फुटपाथ या पार्क की बेंचों पर सो सकते हैं। बरसात के दिनों में, वे पुलों या किसी अन्य इनडोर आश्रयों के नीचे सो सकते हैं।

गरीबी कैसे उत्पन्न होती है?

बहुत सारे सामाजिक-आर्थिक चर हैं जो गरीबी को प्रभावित करते हैं। सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण है धन का असमान वितरण। यह भ्रष्टाचार और देश की लगातार बढ़ती आबादी के कारण बढ़ा है। गरीबी का कारण बनने वाला अगला प्रभावशाली कारक अशिक्षा और बेरोजगारी है। ये दोनों कारक साथ-साथ चलते हैं, क्योंकि उचित शिक्षा के बिना बेरोजगारी का आना निश्चित है। गरीबी रेखा के नीचे के अधिकांश लोगों के पास उद्योगों के लिए आवश्यक कोई विपणन योग्य या रोजगार योग्य कौशल नहीं है। यदि इन व्यक्तियों को नौकरी मिल भी जाती है, तो इनमें से अधिकांश को बेहद कम वेतन मिलता है, जो स्वयं का समर्थन करने या परिवार का नेतृत्व करने के लिए अपर्याप्त है।

गरीबी के प्रभाव

जब व्यक्ति जीवन के लिए बुनियादी ज़रूरतें वहन करने में असमर्थ होते हैं, तो अन्य अवांछित परिणाम सामने आते हैं। उदाहरण के लिए, स्वास्थ्य देखभाल का खर्च वहन करना असंभव हो जाता है। इसका मतलब है कि व्यक्ति को बीमारियों और संक्रमण का खतरा बढ़ गया है। कभी-कभी, ये व्यक्ति धन प्राप्त करने के लिए अनुचित तरीकों का भी सहारा लेते हैं – जैसे डकैती, हत्या, हमला और बलात्कार।

गरीबी ख़त्म करने के उपाय

गरीबी कोई ऐसी समस्या नहीं है जिसे एक हफ्ते या एक साल में हल किया जा सके। गरीबी रेखा से नीचे आने वाली आबादी की जरूरतों को पूरा करने वाली प्रासंगिक नीतियों को लागू करने के लिए सरकार को सावधानीपूर्वक योजना बनाने की आवश्यकता है। गरीबी को प्रभावित करने वाला एक अन्य महत्वपूर्ण कारक अशिक्षा और बेरोजगारी है।

इस मुद्दे को एक ही तीर से निपटाया जा सकता है – यानी, शिक्षा और वित्तीय सहायता प्रदान करना। शिक्षा तक पहुंच, विशेष रूप से उच्च शिक्षा प्राप्त करने के साधन उपलब्ध कराने से व्यक्तियों की रोजगार क्षमता बढ़ती है। इससे सीधे तौर पर गरीबी कम करने में मदद मिलती है क्योंकि व्यक्ति कमाई शुरू कर सकता है। इसलिए, गरीबी से निपटने के लिए सबसे प्रभावी उपकरणों में से एक शिक्षा है।

निष्कर्षतः , भारत में गरीबी अगले एक दशक तक बनी रह सकती है। हालाँकि, ऐसी रणनीतियाँ हैं जो समस्या को धीरे-धीरे कम करने में मदद करती हैं।

भारत में गरीबी पर 500 शब्द का निबंध (500 Word Essay On Poverty In India in Hindi)

गरीबी उस स्थिति को संदर्भित करती है जिसमें व्यक्ति जीवन की मूलभूत आवश्यकताओं से वंचित रह जाता है। इसके अलावा, व्यक्ति के पास भोजन, आश्रय और कपड़ों की अपर्याप्त आपूर्ति नहीं होती है। भारत में, गरीबी से पीड़ित अधिकांश लोग एक दिन के भोजन के लिए भुगतान नहीं कर सकते हैं। इसके अलावा, वे सड़क के किनारे सोते हैं; गंदे पुराने कपड़े पहनें. इसके अलावा, उन्हें न तो उचित स्वास्थ्यवर्धक और पौष्टिक भोजन मिलता है, न दवा और न ही कोई अन्य आवश्यक वस्तु।

गरीबी के कारण

शहरी जनसंख्या में वृद्धि के कारण भारत में गरीबी की दर बढ़ रही है। ग्रामीण लोग बेहतर रोजगार की तलाश में शहरों की ओर पलायन कर रहे हैं। इनमें से अधिकांश लोग कम वेतन वाली नौकरी या ऐसी गतिविधि ढूंढते हैं जो केवल उनके भोजन के लिए भुगतान करती है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि लगभग करोड़ों शहरी लोग गरीबी रेखा से नीचे हैं और बहुत से लोग गरीबी की सीमा रेखा पर हैं।

इसके अलावा, बड़ी संख्या में लोग निचले इलाकों या झुग्गियों में रहते हैं। ये लोग अधिकतर अशिक्षित होते हैं और प्रयासों के बावजूद भी इनकी स्थिति वैसी ही रहती है और कोई संतोषजनक परिणाम नहीं मिलता।

इसके अलावा, ऐसे कई कारण हैं जिनके बारे में हम कह सकते हैं कि ये भारत में गरीबी का प्रमुख कारण हैं। इन कारणों में भ्रष्टाचार, बढ़ती जनसंख्या, खराब कृषि, अमीर और गरीब का बड़ा अंतर, पुराने रीति-रिवाज, अशिक्षा, बेरोजगारी और कुछ अन्य शामिल हैं। लोगों का एक बड़ा वर्ग कृषि गतिविधि में लगा हुआ है लेकिन इस गतिविधि में कर्मचारियों द्वारा किए गए काम की तुलना में बहुत कम भुगतान मिलता है।

साथ ही, अधिक जनसंख्या को अधिक भोजन, मकान और धन की आवश्यकता होती है और इन सुविधाओं के अभाव में गरीबी बहुत तेजी से बढ़ती है। इसके अलावा, अतिरिक्त गरीब और अतिरिक्त अमीर होने से अमीर और गरीब के बीच की खाई भी बढ़ती है।

इसके अलावा, अमीर और अमीर होते जा रहे हैं और गरीब और गरीब होते जा रहे हैं जिससे एक आर्थिक अंतर पैदा हो गया है जिसे भरना मुश्किल है।

यह रहने वाले लोगों को कई तरह से प्रभावित करता है। इसके अलावा, इसके विभिन्न प्रभाव हैं जिनमें अशिक्षा, कम पोषण और आहार, खराब आवास, बाल श्रम, बेरोजगारी, खराब स्वच्छता और जीवन शैली, और गरीबी का नारीकरण आदि शामिल हैं। इसके अलावा, ये गरीब लोग स्वस्थ और संतुलित आहार, अच्छे कपड़े, उचित शिक्षा, एक स्थिर और स्वच्छ घर आदि का खर्च वहन नहीं कर सकते हैं, क्योंकि इन सभी सुविधाओं के लिए पैसे की आवश्यकता होती है और उनके पास दिन में दो बार भोजन करने के लिए भी पैसे नहीं होते हैं, फिर वे इन सुविधाओं के लिए भुगतान कैसे कर सकते हैं।

गरीबी की समस्या के समाधान के लिए हमें शीघ्र एवं सही ढंग से कार्य करना आवश्यक है। इन समस्याओं के समाधान के कुछ उपाय किसानों को उचित सुविधाएँ प्रदान करना है। ताकि, वे खेती को लाभकारी बना सकें और रोजगार की तलाश में शहरों की ओर पलायन न करें।

साथ ही अशिक्षित लोगों को आवश्यक प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए ताकि वे बेहतर जीवन जी सकें। बढ़ती जनसंख्या को रोकने के लिए परिवार नियोजन अपनाना चाहिए। साथ ही भ्रष्टाचार को खत्म करने के उपाय भी करने चाहिए, ताकि हम अमीरी-गरीबी की खाई से निपट सकें।

निष्कर्षतः गरीबी किसी एक व्यक्ति की नहीं बल्कि पूरे देश की समस्या है। साथ ही प्रभावी उपाय लागू कर तत्काल आधार पर इससे निपटा जाना चाहिए। इसके अलावा, लोगों, समाज, देश और अर्थव्यवस्था के सतत और समावेशी विकास के लिए गरीबी उन्मूलन आवश्यक हो गया है।

भारत में गरीबी पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

प्रश्न 1. गरीबी क्या है.

उत्तर: गरीबी एक ऐसी स्थिति है जहां किसी व्यक्ति के पास भोजन, पानी, कपड़े और आश्रय जैसी जीवन की बुनियादी ज़रूरतें खरीदने के साधनों का अभाव होता है।

प्रश्न 2. गरीबी के कुछ प्रतिकूल प्रभाव क्या हैं?

उत्तर: गरीबी जीवन की दयनीय गुणवत्ता की ओर ले जाती है। यह डकैती, हत्या, हमला और बलात्कार जैसी असामाजिक गतिविधियों को भी बढ़ावा दे सकता है।

प्रश्न 3. गरीबी से कैसे मुकाबला करें?

उत्तर: यदि हम मुफ्त शिक्षा तक पहुंच प्रदान करने और बेरोजगारी को कम करने में सक्षम हैं, तो गरीबी की दर कम हो जाएगी। इसके अलावा, स्वास्थ्य देखभाल और आश्रय जैसी बुनियादी आवश्यकताओं तक मुफ्त पहुंच प्रदान करने से भी गरीबी कम करने में मदद मिलेगी।

प्रश्न 4. गरीबी रेखा क्या है?

उत्तर: गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) एक बेंचमार्क है जो आर्थिक नुकसान का संकेत देता है। इसके अलावा, इसका उपयोग उन व्यक्तियों के लिए किया जाता है जिन्हें सरकार से सहायता और सहायता की आवश्यकता होती है।

सोचदुनिया

गरीबी पर निबंध

Essay on Poverty in Hindi

गरीबी पर निबंध : Essay on Poverty in Hindi :- आज के इस लेख में हमनें ‘गरीबी पर निबंध’ से सम्बंधित जानकारी प्रदान की है। यदि आप गरीबी पर निबंध से सम्बंधित जानकारी खोज रहे है? तो इस लेख को शुरुआत से अंत तक अवश्य पढ़े। तो चलिए शुरू करते है:-

गरीबी पर निबंध : Essay on Poverty in Hindi

प्रस्तावना :-

भारत जनसंख्या की दृष्टि में विश्व का दूसरा सबसे बड़ा देश है लेकिन, इतनी बड़ी जनसंख्या होने के कारण इस देश को इससे पैदा होने वाली समस्या जैसे गरीबी का सामना भी करना पड़ता है।

भारत में आज भी कईं लोग ऐसे है, जिन्हें एक समय का खाना भी नहीं मिल पाता है। भारत देश के पिछड़े होने का मुख्य कारण गरीबी है। गरीबी एक अभिशाप है, जो व्यक्ति को मजबूर बना देती है।

गरीबी क्या है?

गरीबी वह स्थिति होती है, जिसमें एक व्यक्ति अपनी मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति भी नहीं कर पाता है। मूलभूत आवश्यकताएँ जैसे:- रोटी, कपडा एवं मकान, आदि। कोई भी देश तब तक विकसित नहीं हो सकता है, जब तक उसके लोग गरीबी से उभर नहीं जाते है।

गरीबी के कारण :-

  • जनसंख्या वृद्धि :- जनसंख्या देश की सबसे बड़ी समस्या है। इसके कईं प्रकार के नकारात्मक प्रभाव भी होते है। इन्हीं में से एक है गरीबी। जब देश में अधिक लोग हो जाते है, तो उनकी आवश्यकताओं को पूरा करना काफी मुश्किल हो जाता है। मांग अधिक होने व पूर्ति कम होने से वस्तुओं की कीमत भी अधिक हो जाती है। जिससे कम आय वाले लोग उन्हें खरीदने में असमर्थ हो जाते है।
  • भ्रष्टाचार :- आज हमारे देश में भ्रष्टाचार इतना अधिक हो गया है कि उसके बिना लोगों का कोई काम ही नहीं होता है। भ्रष्टाचार से अमीरों को ज्यादा फर्क नहीं पड़ता है लेकिन, गरीबों को काफी फर्क पड़ता है। भ्रष्टाचार इस देश को आंतरिक रूप से कमजोर कर रहा है।
  • शिक्षा का अभाव :- हमारे देश के विकास की राह पर होने के बावजूद भी यहाँ कुछ लोग ऐसे है, जिन्हें आज भी शिक्षा प्राप्त नहीं हो पा रही है। वें अभी भी शिक्षा से काफी दूर है। शिक्षा न मिल पाने की वजह से वें गरीबी रेखा से ऊपर नहीं आ पा रहे है। जो लोग अपनी आवश्यकताएँ ही पूरी नहीं कर पाते है, वें शिक्षा कैसे प्राप्त कर पाएंगे।
  • रोजगार का अभाव :- कईं बार रोजगार न होने के कारण भी गरीबी की समस्या पैदा होती है। रोजगार न होने पर व्यक्ति अपने लिए दो वक्त के खाने का इंतजाम भी नहीं कर पाता है।

गरीबी के प्रभाव :-

  • मूलभूत आवश्यकताओं की कमी :- गरीबी के कारण लोग अपनी मूलभूत आवश्यकताएँ भी पूरी नहीं कर पाते है। कभी-कभी तो उनके पास खाने के लिए भी कुछ नहीं होता है। वें अपना जीवन सिर्फ अपने लिए भोजन जुटाने में ही बिता देते है।
  • कुपोषण :- गरीबी में जीवन जीने वाले लोग अपने बच्चों का पेट भी बड़ी मुश्किल से भरते है, तो ऐसे में वें अपने बच्चों को पोषण कहाँ से दे पाएंगे। इसी कारण बच्चे कुपोषण का शिकार हो जाते है क्योंकि, उन्हें गरीबी के कारण सही पोषण नहीं मिल पाता है।
  • अपराध बढ़ना :- अपराधों के होने का मुख्य कारण गरीबी होती है। जब व्यक्ति के पास खाने-पीने के लिए कुछ भी नहीं होता है, तो वह पैसों के लिए कोई भी काम करने को तैयार हो जाता है। गरीबी मनुष्य को हर काम करने के लिए मजबूर कर देती है। गरीबी के कम होने से ही ज्यादातर चोरी-चकारी कम हो जाएगी।
  • अशिक्षा :- गरीब व्यक्ति की पहुँच शिक्षा तक नहीं होती है। जो व्यक्ति अपने लिए दो वक्त के खाने का इंतजाम काफी मुश्किल से करता है, वह शिक्षा कैसे प्राप्त कर पाएगा। एक गरीब व्यक्ति सिर्फ अपना जीवनयापन करने के बारे में ही सोचता है, वह शिक्षा को अपने जीवन में महत्व नहीं देता है। वह सोचता है कि जब तक वह पढ़ने के लिए विद्यालय जाएगा, तब तक तो वह कुछ पैसे कमाकर अपने परिवार का पालन-पोषण कर लेगा और न ही उसके पास इतने पैसे होते है कि वह शिक्षा प्राप्त कर पाए।
  • बाल श्रम :- गरीबी ही बाल श्रम का मुख्य कारण है। जब परिवार गरीब होता है और उसके कमाई के साधन सीमित हो जाते है, तो उस घर के बच्चे अपने परिवार की सहायता के लिए बचपन से ही मजदूरी करने लग जाते है। इससे वें अपनी शिक्षा भी प्राप्त नहीं कर पाते है और जीवनभर मजदूर बनकर ही रह जाते है और उनका भविष्य भी उनके माता-पिता की तरह ही हो जाता है।
  • अर्थव्यवस्था :- देश की गरीबी का असर सीधे ही उस देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ता है। जिस देश में गरीबी अधिक होती है, उस देश की अर्थव्यवस्था भी कमजोर होती है।
  • आतंकवाद :- आतंकवाद के लिए कहीं न कहीं गरीबी भी जिम्मेदार है। कईं बार गरीबी से मजबूर होकर व्यक्ति आतंकवाद जैसे रास्ते में जाने लगता है, जिससे वह अपना जीवन अच्छे से जी सके।

गरीबी को कम करने के उपाय :-

यदि हमें इस देश से गरीबी कम करना है, तो हमें इसके लिए सभी आवश्यक उपाय करने होंगे। तभी देश की गरीबी को कम किया जा सकता है।

  • शिक्षा को बढ़ावा :- गरीबी को इस देश से कम करने के लिए हमें शिक्षा को बढ़ावा देना होगा। देश का प्रत्येक बच्चे को शिक्षा प्राप्त होनी चाहिए, कोई भी बच्चा बिना शिक्षा के न हो। सिर्फ शिक्षा ही इस देश की गरीबी को कम कर सकती है। यदि प्रत्येक व्यक्ति शिक्षित होगा तो वह कोई भी रोजगार प्राप्त करके अपना जीवनयापन कर सकता है।
  • रोजगार उपलब्ध कराना :- सरकार को गरीब लोगों के लिए रोजगार के अवसर पैदा करने चाहिए और उन्हें एक सही राशि प्रदान करनी चाहिए, जिससे वें अपना जीवन स्तर बढ़ा सके और अपने बच्चों को भी शिक्षित कर सके। रोजगार उपलब्ध होने से गरीबी भी समाप्त हो जाएगी।
  • जनसंख्या वृद्धि को रोकना :- आज जनसंख्या गरीबी का मुख्य कारण बनी हुई है। मांग अधिक होने व पूर्ति कम होने के कारण भी गरीब बढ़ती है क्योंकि, इससे उनकी कीमत बढ़ जाती है। इससे जिनके पास पैसे होते है, वें तो वस्तु को खरीद लेते है लेकिन, जिनके पास पैसे नहीं होते है, वें उस वस्तु को नहीं खरीद पाते है इसलिए, हमें इस देश से गरीबी को मिटाने के लिए जनसंख्या को नियंत्रित करने की आवश्यकता है।

गरीबी इस देश की काफी बड़ी समस्या है। इसका सीधा असर इस देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ता है। गरीबी एक ऐसी स्थिति है, जिसे कोई व्यक्ति पसंद नहीं करता है क्योंकि, गरीबी में व्यक्ति का अपना जीवनयापन करना भी काफी मुश्किल हो जाता है।

वह सिर्फ अपने लिए भोजन की ही व्यवस्था कर पाता है और कभी-कभी तो उन्हें यह भी नही मिल पाता है। इसलिए गरीबी को कम करना अत्यंत आवश्यक है। तभी जाकर इस समाज और इस देश का विकास हो पाएगा। एक देश तभी विकसित हो पाता है, जब उस देश में गरीबी नहीं होती है।

अंत में आशा करता हूँ कि यह लेख आपको पसंद आया होगा और आपको हमारे द्वारा इस लेख में प्रदान की गई अमूल्य जानकारी फायदेमंद साबित हुई होगी।

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नमस्कार, मेरा नाम सूरज सिंह रावत है। मैं जयपुर, राजस्थान में रहता हूँ। मैंने बी.ए. में स्न्नातक की डिग्री प्राप्त की है। इसके अलावा मैं एक सर्वर विशेषज्ञ हूँ। मुझे लिखने का बहुत शौक है। इसलिए, मैंने सोचदुनिया पर लिखना शुरू किया। आशा करता हूँ कि आपको भी मेरे लेख जरुर पसंद आएंगे।

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लाल बहादुर शास्त्री पर निबंध

लाल बहादुर शास्त्री पर निबंध : Essay on Lal Bahadur Shastri in Hindi:- आज के इस लेख में हमनें ‘लाल बहादुर शास्त्री पर निबंध’ से सम्बंधित जानकारी प्रदान की है।

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essay on no poverty in hindi

गरीबी पर निबंध- Poverty Essay in Hindi

In this article, we are providing information about Poverty in Hindi- Poverty Essay in Hindi Language. गरीबी पर निबंध- Essay on Garibi in Hindi.

गरीबी आज के समय की सबसे बड़ी समस्या बन चुकी है। बहुत से लोग गरीबी रेखा से नीचे रहते हैं। उन लोगों को गरीबी में कहा जा सकता है जो अपने और अपने परिवार के लिए मुलभूत चीजे जैसे कि रोटी कपड़ा और मकान भी नहीं उपलब्ध करवा पाते हैं। जब तक देश गरीब रहेगा वह प्रगति नहीं कर सकता है। गरीब आज के समय में और भी ज्यादा गरीब होते जा रहे है क्योंकि अमीर उन तक पैसा नहीं पहुँचने देते हैं।

गरीबी के कारण- देश में गरीबी बढने का सबसे बड़ा कारण जनसंख्या में वृद्धि है। बढ़ती हुई जनसंख्या की वजह से रोजगार में कमी आई है और लोगों को रोजगार के साधन कम मिल रहे हैं जिसकी वजह से वह अपने लिए दो वक्त सी रोटी कमाने में भी असमर्थ है। असाक्षरता के कारण भी गरीबी बढ़ती है क्योंकि लोग सरकार द्वारा मिलने वाली सुविधाओं से अंजान रह जाते हैं। भ्रष्ट नेताओं के कारण भी गरीब और भी ज्यादा गरीब होते जा रहे है क्योंकि वो उनको मिलने वाली सुविधाओं को खुद प्रयोग कर लेते हैं और उन तक पहुँचने नहीं देते हैं।

गरीबी से उत्पन्न होने वाली समस्याएँ – गरीबी अपराधों को जन्म देती है क्योंकि भूखा इंसान भूख मिटाने के लिए गलत राह भी चुन सकता है। गरीबी के कारण बहुत से लोग चोरी और डकैती की राह पर चल पड़ते है। कुछ लोग पेट भरने के लिए आंतकवादी तक बन जाते हैं। गरीबी देशद्रोहियों को बढ़ावा देती है। गरीबी की वजह से उत्पन्न होने वाली सबसे गंभीर समस्या बाल मजदुरी की है क्योंकि घर चलाने के लिए घर के हर सदस्य को कार्य करना पड़ता है तभी जाकर उन्हें दो वक्त की रोटी मिल पाती है।

सरकार ने गरीबों को सस्ते दरों पर खाने पीने की चीजें उपलब्ध कराई है। उन्हें डीपू से तेल चावल गेहुँ दाल आदि सस्ते दाम में मिलते है जिससे कि वो अपना और अपने परिवार का गुजारा चला सकें।

गरीबी विकास में सबसे बड़ी रूकावट है और आज के समय में सोचने का सबसे बड़ा मुद्दा भी है। मृत्यु दर में वृद्धि भी गरीबी के कारण ही होती है क्योंकि बहुत से लोगों को भोजन नहीं मिल पाता और वह कुपोषण का शिकार हो जाते हैं और उनकी मृत्यु हो जाती है। गरीबी भरा जीवन यापन करना बहुत ही मुश्किल है। हमें और सरकार को चाहिए कि देश की गरीबी दुर करने के लिए कुछ कदम उठाऐं। हमें चाहिए कि हम अपने आसपास के गरीब बच्चों को पुस्तकें और खाने का सामान दें। सरकार को भी उन बच्चों के विकास के लिए स्कूल आदि खोलने चाहिए। हमारा एक ही मकसद होना चाहिए कि गरीबी को दुर भगाना है।

#Essay on Poverty in Hindi

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गरीबी : गरीबी रेखा, आंकड़ें, समाधान एवं चुनौतियाँ

Posted by P B Chaudhary | 🌺 Featured Posts , 💡 Social and Politics

इस लेख में हम गरीबी या निर्धनता पर सरल एवं सहज चर्चा करेंगे, एवं भारत के संदर्भ में इसके विभिन्न महत्वपूर्ण पहलुओं को समझने का प्रयास करेंगे;

तो अच्छी तरह से समझने के लिए लेख को अंत तक जरूर पढ़ें, और साथ ही हमारे समाज से जुड़े अन्य लेखों को भी पढ़ें, लिंक नीचे दिया हुआ है।

All Chapters

| गरीबी क्या है?

गरीबी (Poverty) उस स्थिति को कहा जाता है जब कोई व्यक्ति रोटी, कपड़ा और मकान जैसे बुनियादी जरूरतों को भी पूरा करने में असमर्थ होता है।

विश्व बैंक के अनुसार, कल्याण में अभाव को गरीबी कहा जाता है। और ये कल्याण बहुत सारी चीजों पर निर्भर करती है, जैसे कि – स्वास्थ्य, शिक्षा, स्वच्छ जल, सुरक्षा, आवास, आय के बेहतर साधन आदि।

गरीबी का वर्गीकरण

essay on no poverty in hindi

आप इस चार्ट को देखकर समझ सकते हैं कि कुछ लोग हमेशा गरीब रहते हैं, जबकि कुछ व्यक्ति सामान्यतः गरीब होते हैं, साल या महीने में कुछ दिन काम मिल जाने के कारण वो गरीबी रेखा को लांघ जाता है। हालांकि इसके बावजूद भी चूंकि वो आमतौर पर गरीब ही होते हैं इसीलिए इसे चिरकालिक गरीब कहते हैं।

इसी तरह से कुछ लोग ऐसे होते हैं जो कि गरीबी रेखा को अक्सर लांघता ही रहता है। और कुछ लोग तो आमतौर पर गरीबी रेखा के ऊपर ही होते हैं लेकिन साल में कुछ समय ऐसा आता है जब वो गरीबी रेखा के दायरे में आ जाता है। इस तरह के लोगों को अल्पकालिक निर्धन की श्रेणी में रखा जाता है।

इसी प्रकार के ऐसे लोग जो निर्धनता रेखा के हमेशा ऊपर होते हैं उसे गैर-निर्धन कहा जाता है।

essay on no poverty in hindi

। गरीबी के प्रकार

मुख्य रूप से गरीबी को दो भागों में बांटा जा सकता है – (1) सापेक्ष गरीबी (Relative Poverty) , और (2) निरपेक्ष गरीबी (Absolute Poverty) ।

(1) सापेक्ष गरीबी (Relative Poverty) – ये गरीबी का एक सामाजिक और तुलनात्मक दृष्टिकोण है, जो कि किसी परिवेश में रहने वाली जनसंख्या के आर्थिक मानकों की तुलना में जीवन स्तर है, इसीलिए यह आय असमानता का एक उपाय है।

कहने का अर्थ ये है कि 1 लाख रुपए महीना कमाने वाला अगर 1 करोड़ रुपया महीना कमाने वाले से खुद की तुलना करेगा, तो उसके सामने गरीब ही नजर आएगा। इसीलिए इससे गरीबी का सही पता नहीं लगाया जा सकता है।

(2) निरपेक्ष गरीबी (Absolute Poverty) – ये गरीबी का एक सही तस्वीर पेश करता है। क्योंकि अगर कोई व्यक्ति इतना नहीं कमा पा रहा है कि वो अपनी बुनियादी जरूरतों को भी पूरा कर पाये तो फिर उसे तो पूर्णरूपेण ही गरीब माना जाएगा।

1990 में वर्ल्ड बैंक द्वारा आय के आधार पर गरीबी रेखा बनाया गया था जो कि एक डॉलर प्रतिदिन था। 2015 में इसे 1.90 डॉलर प्रतिदिन कर दिया गया। यानी कि 2015 के बाद से अगर कोई व्यक्ति प्रतिदिन कम से कम 1.90 डॉलर नहीं कमा पा रहा है तो उसे गरीब माना जाएगा।

हालांकि यहाँ ये जानना जरूरी है कि गरीबी की परिभाषा और मापने की विधियाँ अलग-अलग देशों में अलग-अलग होती है या हो सकती है। भारत की बात करें तो यहाँ भी गरीबी रेखा जैसी एक काल्पनिक रेखा बनायी गई है, उस रेखा से नीचे रहने वाले सभी लोगों को गरीब माना जाता है। आइये इसे विस्तार से समझते हैं;

| गरीबी या निर्धनता रेखा

भारत में गरीबी रेखा उपभोक्ता व्यय (consumer expenditure) पर आधारित है और इसका आकलन नीति आयोग के टास्क फोर्स द्वारा राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (जो कि सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के तहत आता है) द्वारा प्राप्त आंकड़ों के आधार पर किया जाता है।

दूसरे शब्दों में कहें तो भारत में गरीबी, राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय के उपभोक्ता व्यय सर्वेक्षणों के आधार पर मापा जाता है। इस तरह से भारत में एक गरीब परिवार वह है, जिसका व्यय (expenditure) एक विशेष गरीबी रेखा के स्तर से कम होता है।

इसके अलावा कुल जनसंख्या में गरीबों की संख्या का अनुपात भी निकाला जाता है, जो कि प्रतिशत के रूप में होता है इसे गरीबी अनुपात या हेड काउंट अनुपात कहा जाता है। (उदाहरण के नीचे के चार्ट को देखा जा सकता है)

essay on no poverty in hindi

। निर्धनता रेखा का इतिहास

आज़ादी पूर्व सबसे पहले दादाभाई नौरोजी ने गरीबी रेखा की अवधारणा पर विचार किया था। उन्होने जेल की निर्वाह लागत को इसका आधार बनाया। उन्होने जेल में कैदियों को दिए जा रहे भोजन का बाजार कीमतों पर मूल्यांकन किया और इस जेल निर्वाह लागत में कुछ परिवर्तन कर गरीबी रेखा तक पहुँचने का प्रयास किया था।

आज़ादी के बाद, 1962 में, योजना आयोग ने राष्ट्रीय स्तर पर गरीबी का अनुमान लगाने के लिए एक कार्य समूह का गठन किया, और इसने ग्रामीण क्षेत्रों के लिए 20 रूपये और शहरी क्षेत्रों के लिए 25 रुपये प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष गरीबी रेखा बनायी।

वी.एम. दांडेकर और एन. रथ ने 1960-61 के राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण (एनएसएस) के आंकड़ों के आधार पर 1971 में भारत में गरीबी का पहला व्यवस्थित मूल्यांकन किया। उन्होंने तर्क दिया कि गरीबी रेखा को उस व्यय से प्राप्त किया जाना चाहिए जो ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में प्रति दिन 2250 कैलोरी प्रदान करने के लिए पर्याप्त हो।

अलघ समिति (1979) : 1979 में योजना आयोग द्वारा गरीबी आकलन के उद्देश्य से एक टास्क फोर्स का गठन किया गया, जिसकी अध्यक्षता वाई. के. अलघ ने की। इन्होने पोषण संबंधी आवश्यकताओं के आधार पर ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के लिए एक गरीबी रेखा का निर्माण किया।

ऊपर दिखाये गए चार्ट अलघ समिति द्वारा अनुशंसित 1973-74 मूल्य स्तरों के आधार पर पोषण संबंधी आवश्यकताओं और संबंधित खपत व्यय को दर्शाती है। उस समय ये सोचा गया था कि जैसे-जैसे भविष्य में महंगाई बढ़ेगी वैसे-वैसे मूल्य स्तर को समायोजित कर दी जाएगी।

लकड़ावाला समिति (1993) : 1993 में, डी.टी. लकड़ावाला की अध्यक्षता में गरीबी आकलन के लिए गठित एक विशेषज्ञ समूह ने सुझाव दिए कि (i) उपभोग व्यय की गणना पहले की तरह कैलोरी खपत के आधार पर की जानी चाहिए; और (ii) राज्य विशिष्ट गरीबी रेखाएं बनाई जानी चाहिए और इन्हें शहरी क्षेत्रों में औद्योगिक श्रमिकों के उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI-IW) और ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि श्रम के उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI-AL) का उपयोग करके अपडेट किया जाना चाहिए;

तेंदुलकर समिति (2009) : 2005 में, सुरेश तेंदुलकर की अध्यक्षता में गरीबी आकलन के लिए एक अन्य विशेषज्ञ समूह का गठन योजना आयोग द्वारा किया गया। ऐसा इसीलिए किया गया क्योंकि पहले का जो उपभोग पैटर्न था वो पिछले 1973-74 के गरीबी रेखा के अनुसार था, जबकि उस समय से गरीबों के उपभोग पैटर्न में महत्वपूर्ण बदलाव आ गया था। साथ ही पहले गरीबी रेखा ये मानकर बनाया गया था कि स्वास्थ्य और शिक्षा राज्य द्वारा प्रदान की जाएगी जबकि अब निजी क्षेत्र भी ये प्रोवाइड करने लगा था।

इस समिति ने मिश्रित संदर्भ अवधि (Mixed reference period) आधारित अनुमानों का उपयोग करने की सिफारिश की, जिसकी गणना निम्नलिखित मदों की खपत पर आधारित थी: * अनाज, दालें, दूध, खाद्य तेल, मांसाहारी वस्तुएं, सब्जियां, ताजे फल, सूखे मेवे, चीनी, नमक और मसाले, अन्य भोजन, नशीला पदार्थ, ईंधन, कपड़े, जूते, शिक्षा, चिकित्सा (गैर-संस्थागत और संस्थागत), मनोरंजन, व्यक्तिगत और शौचालय के सामान, अन्य सामान, अन्य सेवाएं और टिकाऊ वस्तुएं।

नोट – मिश्रित संदर्भ अवधि (Mixed reference period) पद्धति के तहत पिछले 365 दिनों में पांच कम आवृत्ति वाली वस्तुओं (कपड़े, जूते, अन्य टिकाऊ समान, शिक्षा और संस्थागत स्वास्थ्य व्यय) का सर्वेक्षण किया जाता है, और पिछले 30 दिनों के अन्य सभी वस्तुओं का सर्वेक्षण किया जाता है (जिसकी चर्चा ऊपर चर्चा की गई है)। इसीलिए इसे मिश्रित संदर्भ अवधि कहा जाता है।

वहीं अगर सभी वस्तुओं का सर्वेक्षण पिछले 30 दिनों के आधार पर ही किया जाये तो उसे समान संदर्भ अवधि (Uniform reference period) पद्धति कहा जाता है। तेंदुलकर समिति से पहले इसी अवधि का इस्तेमाल गरीबी रेखा के निर्धारण में किया जाता था।

कुल मिलाकर जहां पहले गरीबी रेखा, ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में क्रमशः 2400 कैलोरी और 2100 कैलोरी का भोजन खरीदने के व्यय पर आधारित था। वहीं अब तेंदुलकर कमिटी ने गरीबी रेखा को भोजन, शिक्षा, स्वास्थ्य, परिवहन आदि पर व्यय के आधार पर परिभाषित किया।

इस तरह से तेंदुलकर समिति ने प्रत्येक राज्य के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के लिए नई गरीबी रेखा की गणना की। ऐसा करने के लिए, इसने आबादी द्वारा * ऊपर वर्णित वस्तुओं के मूल्य और खपत की मात्रा पर डेटा का उपयोग किया। और यह निष्कर्ष निकाला कि 2004-05 में अखिल भारतीय गरीबी रेखा ग्रामीण क्षेत्रों में प्रति व्यक्ति प्रति माह 446.68 रुपये और शहरी क्षेत्रों में प्रति माह 578.80 रुपये प्रति माह थी।

ऐसा होने से लकड़ावाला समिति के आधार पर साल 2004-05 का जो गरीबी रेखा के नीचे की आबादी का प्रतिशत निकला था, वो तेंदुलकर समिति के अनुसार बदल गया। कितना बदला इसे आप नीचे के चार्ट में देख सकते हैं;

ऊपर के चार्ट से आप समझ सकते हैं कि लकड़ावाला समिति के अनुसार भारत में उस समय 27.5% लोग गरीबी रेखा से नीचे रह रहे थे लेकिन तेंदुलकर समिति के अनुसार ये 37.2% था। इसीलिए बाद के सालों में गरीबी रेखा का आकलन, औद्योगिक श्रमिकों के उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI-IW) और ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि श्रम के उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI-AL) के आधार पर करने के बजाय तेंदुलकर समिति के तरीकों के आधार पर किया गया। जो कि 2011-12 तक कुछ इस प्रकार था;

इस चार्ट के अनुसार 2011-12 में अगर एक ग्रामीण व्यक्ति 816 रुपया प्रति माह और शहरी व्यक्ति 1000 रुपया प्रति माह खर्च करने में सक्षम नहीं है तो इसका मतलब वो गरीबी रेखा से नीचे गुजर-बसर कर रहा है।

वहीं प्रतिशत के रूप में बात करें तो तेंदुलकर समिति के अनुसार 2009-10 में गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों का प्रतिशत 29.8% और 2011-12 में ये 21.9 % रह गया (जो कि भारत में गरीबी के घटते हुए प्रतिशत के बारे में बताता है)।

रंगराजन समिति 2012 : साल 2012 में योजना आयोग ने गरीबी के आकलन पर एक नया विशेषज्ञ पैनल गठित किया। ऐसा इसीलिए किया गया ताकि

(1) गरीबी के स्तर की पहचान करने के लिए कोई और वैकल्पिक तरीका अगर है; तो उसे खोजा जा सके,

(2) राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय द्वारा उपलब्ध कराए गए खपत डेटा और राष्ट्रीय लेखा समुच्चय (National Accounts aggregates) के बीच अंतर की जांच किया जा सके,

(3) अंतर्राष्ट्रीय गरीबी आकलन विधियों की समीक्षा की जा सके, और

(4) सिफ़ारिश की जा सके कि इन विधियों को भारत सरकार द्वारा बनाई गई विभिन्न गरीबी उन्मूलन योजनाओं के लिए पात्रता से कैसे जोड़ा जा सकता है।

समिति ने 2014 को अपनी अंतिम रिपोर्ट प्रस्तुत की। और इस रिपोर्ट ने भारत में गरीबी के स्तर के तेंदुलकर समिति के अनुमान को खारिज कर दिया। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2011-2012 में जनसंख्या का 29.5% लोग गरीबी रेखा से नीचे जीवन-यापन कर रहे थे जबकि तेंदुलकर समिति के अनुसार 2011-12 के लिए गरीबी रेखा से नीचे का प्रतिशत 21.9 % ही था, जिसका अर्थ है कि भारत में 2011-12 में हर 10 में से 3 लोग गरीब थे।

| Poverty Statistics in India

वैसे तो ऊपर तेंदुलकर समिति के अनुसार भी गरीबी के आंकड़े भी बताए गए हैं लेकिन चूंकि सबसे लेटेस्ट समिति रंगराजन समिति है और उन्होने हालांकि तेंदुलकर समिति के आकलन को खारिज कर दिया, जिसके लिए इनकी आलोचना भी की गई फिर भी इनके आकलन को एक तरह से स्वीकार किया गया।

तो रंगराजन समिति के 2011-12 के आकलन के अनुसार, यदि कोई शहरी व्यक्ति एक महीने में 1,407 रुपये (यानी कि लगभग 47 रुपये प्रति दिन) से कम खर्च करता है तो उसे गरीब समझा जाएगा, जबकि तेंदुलकर समिति के अनुसार ये मात्र 1000 रुपया था।

इसी तरह से यदि कोई ग्रामीण व्यक्ति एक महीने में 972 रुपए प्रति माह (यानी कि लगभग 32 रुपया प्रति दिन) से कम खर्च करता है तो उसे गरीब समझा जाएगा, जबकि तेंदुलकर समिति के अनुसार ये मात्र 816 रुपया प्रति माह था।

कुल मिलाकर रंगराजन समिति के अनुसार, 2011-12 में भारत में कुल 36.3 करोड़ लोग गरीबी रेखा से नीचे रह रहे थे जबकि तेंदुलकर समिति के अनुसार ये 26.9 करोड़ था।

| चूंकि 2017 में जो सर्वेक्षण होना था वो डेटा अब तक सार्वजनिक नहीं किया गया है इसीलिए आधिकारिक रूप से अभी 2011-12 तक का ही डाटा उपलब्ध है, नीचे दिये गए चार्ट में आप राज्यवार, 2004-05 और 2011-12 के मध्य तुलना देख सकते हैं;

Q. गरीबी का आकलन करना क्यों जरूरी है?

कोई भी राष्ट्र जो अपने नागरिकों का कल्याण चाहता हो, गरीबी का आकलन करना बहुत जरूरी हो जाता है; कुछ महत्वपूर्ण कारण निम्नलिखित है-

  • गरीबी का अनुमान लगाना जरूरी है क्योंकि यह गरीबी को खत्म करने के लिए शुरू की गई विभिन्न सरकारी योजनाओं के प्रभाव और सफलता का ट्रैक करने में मदद करता है।
  • इसकी मदद से वर्तमान में चल रही योजनाओं की कमियों को दूर किया जा सकता है और बेहतर समाधान तलाशे जा सकते हैं।
  • गरीबी आकलनों का उपयोग नई योजनाओं को तैयार करने के लिए किया जाता है जो समाज से गरीबी उन्मूलन को सुनिश्चित करेंगे।
  • भारत का संविधान एक न्यायसंगत समाज का वादा करता है, ऐसे में गरीबी का आकलन समाज के कमजोर वर्गों की पहचान करने में मदद करता है और एक इससे जनता के सामने एक स्पष्ट तस्वीर भी पेश होती है।
  • कुल मिलाकर गरीबी का आकलन गरीबी उन्मूलन का एक हिस्सा है।

| भारत में निर्धनता के कारण

गरीबी का दुष्चक्र – गरीबी के कारण बचत का स्तर पहले ही कम होता है या नहीं होता है, इसीलिए निवेश करने के लिए पैसे बहुत कम बचते हैं या नहीं बचते। इस तरह से व्यक्ति गरीबी के इस दुष्चक्र से निकल ही पाता है। क्योंकि गरीबी से निकलने के लिए अतिरिक्त पैसों की जरूरत पड़ती है।

अल्प प्राकृतिक संसाधन क्षमता – यदि किसी के पास आय कमाने वाली परिसंपत्तियों का योग (जिसमें भूमि, पूंजी तथा विभिन्न स्तरों का श्रम आता है) गरीबी रेखा से अधिक आय उपलब्ध नहीं करा सकता, तो वो हमेशा गरीब ही रहेगा।

सामाजिक सेवाओं तक पहुँच का अभाव – सामाजिक सेवाएँ जैसे स्वास्थ्य, शिक्षा तक जन साधारण की पहुँच का अभाव तथा भौतिक और मानवीय परिसंपत्तियों के स्वामित्व में असमानता, गरीबी की समस्याओं को बढ़ा देते हैं। क्योंकि निर्धन व्यक्ति सूचना एवं ज्ञान का अभाव तथा सार्वजनिक कार्यालयों में भ्रष्टाचार के कारण इन सेवाओं का उचित लाभ बहुत कम प्राप्त कर पाता है।

संस्थागत साख तक पहुँच का अभाव – बैंक तथा अन्य वित्तीय संस्थाएं निर्धन लोगों को ऋण देने में पक्षपात करती है, क्योंकि उन्हे ऋण का भुगतान प्राप्त न होने का डर होता है। संस्थागत ऋण पहुँच के बाहर होने के कारण निर्धन लोगों को भू-स्वामी तथा अन्य अनियमित स्रोतों से बहुत ऊंची ब्याज की दर पर ऋण लेना पड़ता है, जिससे उनकी दशा और खराब हो जाती है।

कीमत वृद्धि या महंगाई – बढ़ती हुई कीमतों से मुद्रा की क्रय शक्ति कम हो जाती है और इस प्रकार मुद्रा आय का वास्तविक मूल्य घट जाता है। ऐसा इसीलिए क्योंकि जो समान वह पहले 10 रूपये में खरीदता था अब उसी के लिए उसे 12-13 रूपये देना पड़ता है। इससे निर्धन व्यक्तियों पर वित्तीय बोझ और बढ़ जाता है।

रोजगार का अभाव – निर्धनता की अधिक मात्रा का बेरोजगारी से सीधा संबंध है। क्योंकि अगर आय नहीं होगी पर जिंदा रहने के लिए खर्चा करना जरूरी होगा तो स्थिति और खराब होना तय है। बेरोजगारी के दुष्परिणाम सभी क्षेत्र को भोगना पड़ता है।

तीव्र जनसंख्या वृद्धि – जनसंख्या में तीव्र गति से वृद्धि का अर्थ है – सकल घरेलू उत्पाद में धीमी वृद्धि और इसीलिए रहन-सहन के औसत स्तर में धीमा सुधार होता है। इसके अतिरिक्त जनसंख्या में बढ़ती हुई वृद्धि से उपभोग बढ़ता है तथा राष्ट्रीय बचत कम होती है, जिससे पूंजी निर्माण पर विपरीत प्रभाव पड़ता है तथा राष्ट्रीय आय में वृद्धि सीमित हो जाती है। जनसंख्या वृद्धि ने किस हद तक स्थिति खराब कर रखी है उसके लिए ‘जनसंख्या समस्या और समाधान’ लेख अवश्य पढ़ें।

कृषि उत्पादकता में कमी – खेतों के छोटे-छोटे और बिखरे हुए होने, पूंजी का अभाव, कृषि की परंपरागत विधियों का प्रयोग, अशिक्षा आदि के कारण, कृषि में उत्पादन का स्तर नीचा है। ग्रामीण क्षेत्रों में निर्धनता का यह मुख्य कारण है क्योंकि ज़्यादातर लोग कृषि से ही जुड़े होते हैं।

शिक्षा की कमी – निर्धनता शिक्षा से भी घनिष्ठ रूप से संबंधित है और इन दोनों में चक्रीय संबंध है। आज के समय में कोई व्यक्ति कितना कमाएगा ये उसकी उसकी शिक्षा पर बहुत हद तक निर्भर करता है। किन्तु निर्धन लोगों के पास मानव पूंजी निवेश के लिए निधि नहीं होती और इस प्रकार इससे उनकी आय भी सीमित होती है।

सामाजिक प्रथाएँ – ग्रामीण लोग प्रायः अपनी कमाई का अधिक प्रतिशत सामाजिक प्रथाओं, जैसे- शादी, मृत्यु भोज आदि पर व्यय करते हैं और इन आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अधिक ऋण भी लेते हैं। परिणामस्वरूप वे ऋण तथा निर्धनता में रहते हैं।

औपनिवेशिक कारण – पहले तो मुगलों और अन्य विदेशी लुटेरों ने भारत को लूटा और जो बचा-खुचा कसर रह गया था, उसे अंग्रेजों ने पूरा कर दिया। अंग्रेजों ने तो भारत को संस्थागत तरीके से लूटा – किसान को कंगाल कर दिया, वस्त्र उद्योग को तबाह कर दिया, या यूं कहें कि उसने भारत में औद्योगीकरण होने ही नहीं दिया। इस तरह से जब भारत आजाद हो भी गया था तब भी यहाँ गरीबी, भुखमरी, कुपोषण अपने चरम पर था, जिससे कि आज भी पूरी तरह से उभरा नहीं जा सका है। जलवायुगत कारण

जलवायुगत कारण – सबसे अधिक गरीबी वाले जितने भी राज्य है (जैसे कि बिहार, उत्तर प्रदेश, ओडिसा, छतीसगढ़, झारखंड आदि) सभी आमतौर पर प्राकृतिक आपदाओं जैसे कि बाढ़, सूखा, भूकंप, चक्रवात आदि से जूझते रहते हैं, और ये भी गरीबी को बढ़ाने में अपना योगदान देता है।

| कुल मिलाकर अब तक हमने इस लेख में निम्नलिखित चीज़ें पढ़ी हैं;

  • गरीबी क्या है?
  • गरीबी के प्रकार
  • गरीबी या निर्धनता रेखा क्या है?
  • निर्धनता रेखा का इतिहास
  • निर्धनता आंकड़े (Poverty Statistics in India)
  • गरीबी का आकलन करना क्यों जरूरी है?
  • भारत में निर्धनता के कारण

इसके अगले पार्ट में हम गरीबी उन्मूलन के सरकारी प्रयास, गरीबी उन्मूलन के समक्ष चुनौतियाँ, गरीबी दूर करने की नीति आयोग की रणनीति आदि को समझेंगे, तो बेहतर समझ के लिए इसके अगले पार्ट को अवश्य पढ़ें; लिंक नीचे दिया हुआ है-

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भारत में गरीबी पर निबंध | Essay On Poverty In India In Hindi 500 Words | PDF

Essay on poverty in india in hindi.

Essay On Poverty In India In Hindi (Download PDF) भारत में गरीबी पर निबंध कक्षा 5, 6, 7, 8, 9, 10 के लिए – इस निबंध के माध्यम से हम जानेंगे भारत में गरीबी के क्या कारण है और इसके सुधार के उपाय।

भारत में गरीबी व्यापक है, इस अनुमान के साथ कि दुनिया का एक तिहाई गरीब है। भारत में गरीबी को मापने के लिए कोई विशेष उपकरण नहीं है। भारत के योजना आयोग ने तेंदुलकर समिति की रिपोर्ट को स्वीकार करते हुए कहा है कि भारत में 37% लोग गरीबी रेखा से नीचे रहते हैं। अर्जुन सेनगुप्ता की रिपोर्ट में कहा गया है कि 77% भारतीयों की दैनिक आय 20 रुपये है। नेक सक्सेना कमेटी की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि 50% भारतीय गरीबी रेखा के नीचे अपना जीवन जीते हैं।

Essay on poverty in India in Hindi

भारत में गरीबी के कारण

गरीबी का मुख्य कारण अशिक्षा है, पिछले 60 वर्षों के बेहतर हिस्से के लिए आर्थिक विकास दर की तुलना में जनसंख्या वृद्धि दर, 1947 से 1991 तक संरक्षणवादी नीतियां बनाई गईं, जिससे हमारे देश में भारी मात्रा में विदेशी निवेश आया।

भारत में, यह अनुमान है कि लगभग 350 से 400 मिलियन गरीबी रेखा से नीचे हैं, जिनमें से 75% ग्रामीण क्षेत्रों में हैं। विशेष रूप से प्रभावित महिलाओं, आदिवासियों और अनुसूचित जातियों के साथ 40% से अधिक आबादी निरक्षर है।

भारत में, कृषि पर निर्भरता भी गरीबी का एक कारण है। कृषि में श्रम का अधिशेष है। किसान बड़े वोट बैंक हैं और अपने वोट बैंकों और उपयोगकर्ताओं का उपयोग उच्च आय औद्योगिक परियोजना के लिए भूमि के पुन: आवंटन का विरोध करने के लिए करते हैं। जबकि सेवाओं और उद्योग दोहरे अंकों के आंकड़ों में विकसित हुए हैं, कृषि विकास 4.8% से 2% तक गिर गया है। लगभग 60% आबादी कृषि पर निर्भर है जबकि कृषि सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 18% योगदान देती है।

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1990 के दशक की शुरुआत में आर्थिक सुधारों के अन्य बिंदु शासक अर्थशास्त्र के पतन के लिए जिम्मेदार हैं। समानता का स्तर असाधारण स्तर तक बढ़ गया है, जब एक ही समय में, भारत में भूख दशकों में अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है।

गरीबी में सुधार

भारत सरकार ने गरीबी को कम करने के लिए कई कार्यक्रमों की शुरुआत की है, जिसमें भोजन और अन्य आवश्यकताओं को सब्सिडी देना, ऋण तक पहुंच बढ़ाना, कृषि तकनीकों और मूल्य रिपोर्टों में सुधार और स्वतंत्रता के बाद से शिक्षा और परिवार नियोजन को बढ़ावा देना शामिल है। ।

इन उपायों ने अकालों को खत्म करने, गरीबी के स्तर को आधे से अधिक घटाने और अशिक्षा और कुपोषण को कुछ हद तक कम करने में मदद की है।

यद्यपि पिछले दो दशकों में भारतीय अर्थव्यवस्था में लगातार वृद्धि हुई है, लेकिन विभिन्न सामाजिक समूहों, आर्थिक समूहों, भौगोलिक क्षेत्रों और ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों की तुलना में इसकी वृद्धि असमान रही है।

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सभी कारणों के बावजूद, भारत वर्तमान में हर साल 40 मिलियन लोगों को अपने मध्यम वर्ग में जोड़ता है। पूर्वानुमान के संस्थापक, मार्विन जे। केट्रॉन जैसे विश्लेषक लिखते हैं कि अनुमानित 300 मिलियन भारतीय अब मध्यम श्रेणी के हैं। उनमें से 1/3 महान प्रयासों के साथ पिछले 10 वर्षों में गरीबी से उभरे हैं। विकास दर की वर्तमान दर पर, 2025 तक अधिकांश भारतीय मध्यम वर्ग होंगे।

यह कहना गलत है कि गरीबी उन्मूलन के सभी कार्यक्रम विफल रहे हैं। मध्यम वर्ग के विकास से पता चलता है कि भारत में आर्थिक समृद्धि वास्तव में बहुत प्रभावशाली रही है, लेकिन धन का कोई वितरण नहीं है।

हम सरकार द्वारा किए गए प्रयासों की ईमानदारी पर सवाल नहीं उठा सकते हैं, फिर भी हमारे देश में गरीबी उन्मूलन के लिए प्रचलित भ्रष्टाचार और उच्च स्तर की नौकरशाही की जांच होनी चाहिए।

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FAQs. on Poverty in India in Hindi

भारत में गरीबी के कारण क्या हैं.

उत्त र: भारत में गरीबी के कई कारण हैं, गरीबी का मुख्य कारण अशिक्षा है, आर्थिक विकास की तुलना में जनसंख्या वृद्धि दर और हमें इसका ध्यान रखना चाहिए।

भारत से गरीबी को कैसे खत्म किया जा सकता है?

उत्तर: गरीबी को खत्म करने के लिए, भारत सरकार ने कई कार्यक्रमों की शुरुआत की है, जिसमें भोजन और अन्य आवश्यकताओं की सब्सिडी, ऋण तक पहुंच बढ़ाना, कृषि तकनीकों और मूल्य रिपोर्टों में सुधार, और स्वतंत्रता के बाद से शिक्षा और परिवार नियोजन को बढ़ावा देना शामिल है।

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Home » Essay Hindi » Essay On Poverty In Hindi गरीबी पर निबंध

Essay On Poverty In Hindi गरीबी पर निबंध

गरीबी पर निबंध essay on poverty in hindi.

यह निबंध Essay On Poverty In Hindi आर्टिकल गरीबी पर निबंध (Garibi Par Nibandh) और गरीबी क्या है (What Is Poverty In Hindi) पर आधारित है। गरीबी को निर्धनता कहते है क्योंकि गरीबी में जीवनयापन करने वालों के पास पर्याप्त धन नही होता है। कुछ सामान्य जरूरत के लिए भी उन्हें मोहताज होना पड़ता है। रोटी, कपड़ा और  मकान की बुनियादी सुविधा के लिए भी गरीब लोग तरस जाते है। गरीबी भारत जैसे विकासशील देश की कड़वी सच्चाई है। इस सच्चाई को नकारा नही जा सकता है। तो आइए दोस्तों, गरीबी पर निबंध के जरिये इस गंभीर समस्या पर प्रकाश डालते है।

गरीबी क्या है पर निबंध What Is Poverty In Hindi Essay –

Essay On Poverty In Hindi – सामान्य जरूरत के लिए धन की कमी होना गरीबी है या बुनियादी चीजों को प्राप्त करने में असमर्थ होना भी गरीबी है। खाने के लिए दो वक्त का भोजन नही मिलता, बारिश और सर्द रातों में सोने के लिए छत नही होती, तन को ढकने के लिए कपड़े नही होते और बीमारी में इलाज कराने के लिए पैंसे नही होते है। यह गरीब लोगों की दशा और दिशा है। पूंजीवादी व्यवस्था में अमीर और अमीर होता है और गरीब और गरीब। पूरे विश्व मे ज्यादातर देशों में यही व्यवस्था है।

गरीबी समय और स्थान के साथ बदलती है। आज जो गरीब है, हो सकता है कि आने वाले समय में अमीर हो। इसी तरह आज जो अमीर है, हो सकता है कि कल गरीब हो जाये। देश के प्रत्येक स्थान पर गरीबी नही है। भारत देश में केरल राज्य अमीर और सम्पन्न है लेकिन इसी देश का बिहार राज्य गरीब है। भारत देश में गरीबी का स्तर मापने के लिए कुछ मापदंड है। एक निश्चित आय सीमा से नीचे के परिवार गरीब कहलाते है। यह आय सीमा वर्तमान महंगाई पर आधारित होती है।

भारत में करीब 37 फीसदी लोग गरीब है। भारत के गरीब राज्यों में बिहार, उड़ीसा उत्तरप्रदेश इत्यादि आते है। भारत के शहरी इलाकों की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रो में गरीबी ज्यादा है। इसका कारण यह भी है की गांवों में मूल सुविधाओं का अभाव है। गरीबी केवल भारत देश की समस्या नही है, यह विश्वव्यापी है जिसका निदान जरूरी है। विश्व में खासकर अफ्रीका के देशों में गरीबी ज्यादा है। एशिया महाद्वीप में भी कई देश गरीबी की श्रेणी में आते है।

भारत में गरीबी का कारण Causes Of Poverty –

निर्धनता ( Poverty ) का मुख्य कारण अशिक्षा है और अशिक्षा से अज्ञानता पनपती है। इसी कारण भारत में अत्यधिक जनसंख्या वृद्धि हुई है। एक तो गरीबी का दंश और दूसरी तरफ परिवार में सदस्य ज्यादा, तो एक मजदूरी करने वाला अपने परिवार का पोषण कैसे कर पायेगा। भारत में गरीबी दलित और पिछड़े लोगो मे अत्यधिक है। भारत सरकार की आरक्षण व्यवस्था के कारण सरकारी नौकरियों में इनका प्रतिनिधित्व बड़ा है। इन जातियों में शिक्षा का प्रसार भी हुआ है जिससे कई परिवार गरीबी के दंश से मुक्त हुए है।

गरीबी का एक कारण भ्रष्टाचार भी है। सरकार गरीबों के लिए शिक्षा, मकान, भोजन इत्यादि कई योजनाएं बनाती है। गरीबी उन्मूलन के प्रयास सरकार की और से हमेशा रहते है। लेकिन अफसरशाही और नेताओं के भ्रष्टाचार के कारण योजनाओं का 100 फीसदी लाभ गरीबों तक नही पहुंच पाता है।

गरीबी की समस्या पर निबंध Garibi Par Nibandh –

Essay On Poverty In Hindi गरीबी पर निबंध – निर्धनता को अपराध का जनक भी कहे तो अतिश्योक्ति नही होनी चाहिये। अगर परिवार की आर्थिक हालत खराब होती है तो उस परिवार के लोग जीवन यापन करने के लिए गलत रास्तों का चुनाव भी कर सकते है। इसलिये लोगो के पास रोजगार होना जरूरी है। छोटी छोटी खुशियां पाने में गरीबी एक बाधक की तरह है। गरीब लोगों को उनके अधिकार नही मिल पाते है। हमें गरीबी मुक्त समाज चाहिए जहां जरूरत के लिए किसी को भी गलत चुनाव ना करना पड़े।

गरीबी बीमारियां फैलाती है क्योंकि गरीब लोगों के पास रहने के लिए स्वच्छ वातावरण नही होता है। वो लोग गंदगी में जीवन जीते है जिससे बीमारियां उन्हें घेर लेती है। बच्चों में टीकाकरण का अभाव रह जाता है। बच्चों को उचित भोजन नही मिल पाता है जिससे वो कुपोषण का शिकार हो जाते है। साफ पानी की भी व्यवस्था गरीब बस्तियों में नही होती है। गरीबी के कारण विश्व में हर वर्ष लाखों लोग भूख और आत्महत्या की वजह से मर जाते है। गरीब किसान कृषि के लिए बैंकों और साहूकारों से ऋण लेते है। फसल ना होने के कारण वो अपना ऋण नही चुका पाते। अवसाद में घिरकर किसान आत्महत्या कर लेते है।

गरीबी (Poverty) किसी भी व्यक्ति विशेष के सामाजिक और आर्थिक जीवन को प्रभावित करती है। गरीब परिवार के बच्चे उच्च शिक्षा तो छोड़िए सामान्य शिक्षा भी ग्रहण नही कर पाते है। शिक्षा का अधिकार सभी लोगो को है लेकिन गरीबी के कारण ऐसा नही हो पाता है। वैसे सरकार ने शिक्षा का अधिकार कानून के तहत गरीब बच्चों को भी बेहतर शिक्षा मुहैया करवाई है।

निर्धनता पर निबंध Essay On Garibi In Hindi –

आजादी से पहले भारत देश में भयंकर गरीबी थी। इसका मुख्य कारण शिक्षा और जागरूकता का अभाव था। आजादी के बाद से सभी सरकारों ने गरीबी मुक्त भारत का प्रयास किया है। नेहरू जी से लेकर नरेंद्र मोदी जी तक सभी सरकारों ने गरीब लोगों के लिए कई योजनाएं लागू की है। इनके कारण कई गरीब लोगों के पास मुक्त अनाज, मुक्त चिकित्सा जैसी सुविधा पहुंची है। प्रधानमंत्री आवास के जरिये बीपीएल लोगो को मकान दिए जा रहे है। महानरेगा स्कीम से गरीब लोगों को 100 दिन का रोजगार मिलता है।

गरीबी को जड़ सहित खत्म करने का सबसे अच्छा उपाय रोजगार है। रोजगार होने पर गरीबी दूर भागती है। गरीब जब चार पैंसे कमाएगा तो खर्च भी करेगा। भारत ही नही पूरी दुनिया में बेरोजगारी वृद्धि चिंता का विषय है। एक तो रोजगार के साधन पहले ही कम है और दूसरा यह है कि जो रोजगार है वो भी घट रहा है। आर्थिक मंदी के चलते कर्मचारी कम्पनियों से बाहर निकाल दिए जाते है। मंदी के कारण ही कई उधोग धंधे बंद पड़े है।

गरीबी ( Poverty ) को मिटाना है तो हमे रोजगार पैदा करने होंगे, नही तो आने वाला समय बेहद चिंताजनक होने वाला है। गरीबी भारत के विकास में अवरोध की तरह है जिसे मिटाना होगा। इसके लिए हम सभी भारतीयों को प्रयास करना जरूरी है।

यह भी पढ़े – 

  • भ्रष्टाचार की समस्या पर निबंध
  • भारतीय गाँवों पर निबंध
  • पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध

Note – इस पोस्ट Essay On Poverty In Hindi में गरीबी पर निबंध (Garibi Par Nibandh) और गरीबी क्या है (What Is Poverty In Hindi) पर जानकारी कैसी लगी। यह पोस्ट “Garibi Essay In Hindi” अच्छी लगी हो तो इसे शेयर भी करे।

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Poverty Essay in Hindi

गरीबी पर निबंध – Poverty Essay in Hindi

गरीबी पर बड़े तथा छोटे निबंध (essay on poverty in hindi), गरीबी : कारण और निवारण – poverty: causes and prevention.

  • प्रस्तावना,
  • गरीबी की रेखा,
  • गरीबी के कारण,
  • गरीबी का परिणाम : क्रान्ति और अपराध,
  • गरीबी को रोकने के उपाय,

साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं।

प्रस्तावना–

“श्वानों को मिलता दूध–वस्त्र, भूखे बालक अकुलाते हैं, माँ की हड्डी से चिपक, ठिठुर जाड़ों की रात बिताते हैं। युवती के लज्जा–वसन बेच जब ब्याज चुकाये जाते हैं। मालिक जब तेल–फुलेलों पर पानी–सा द्रव्य बहाते हैं। पापी महलों का अहंकार देता मुझको तब आमन्त्रण।”

राष्ट्रकवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ की उपर्युक्त पंक्तियाँ गरीबी की पराकाष्ठा को व्याख्यायित करती हैं। आर्थिक असमानता न केवल गरीबी का अभिशप्त जीवन बिताने को विवश करती है, क्रान्ति और अपराध को जन्म देती है। गरीबी एक ऐसी विषम मानवीय परिस्थिति है, जो मानव को निराशा, दुःख और दर्द के अँधेरे में जीवन बिताने को विवश करती है।

एक ऐसा अभिशप्त जीवन जिसमें लोग जीवन की आधारभूत आवश्यकताओं–रोटी, कपड़ा और मकान के लिए तरसते हैं। स्वस्थ पोषण, दवा और रोजगार तो उनके लिए सपना है। गरीबी एक ऐसी अदृश्य समस्या है, जो एक व्यक्ति और उसके सामाजिक जीवन को छिन्न–भिन्न कर देती है। यह समस्या भारत के लिए अभिशाप बन चुकी है।

गरीबी की रेखा– भारत में शहरों में रहनेवाले जनजातीय लोग, दलित और मजदूर–वर्ग और खेतिहर मजदूर गरीबी की श्रेणी में आते हैं। वर्तमान में 29.8 प्रतिशत भारतीय आबादी गरीबी रेखा के नीचे रहती है।

गरीबी की श्रेणी में वह लोग आते हैं, जिनकी दैनिक आय शहर में 28.65 रुपये और गाँवों में 22.24 रुपये से कम है। सांख्यिके आँकड़ों के अनुसार 30 रुपये प्रतिदिन कमाने वाला व्यक्ति गरीब नहीं है। इस प्रकार के आँकड़ों द्वारा गरीबी कम की जा रही है, जो दुश्चिन्ता का विषय है।

गरीबी के कारण भारत में गरीबी का मुख्य कारण बढ़ती जनसंख्या है। इससे निरक्षरता, खराब स्वास्थ्य और वित्तीय संसाधनों की कमी की दर बढ़ती है। भारत में जिस गति से जनसंख्या बढ़ रही है, उस गति से अर्थव्यवस्था नहीं बढ़ रही है। इसका परिणाम नौकरियों में कमी के रूप में सामने होगा। इतनी आबादी के लिए लगभग 20 मिलियन नई नौकरियाँ चाहिए।

यदि ऐसा नहीं होता तो गरीबी के साथ अपराध और विद्रोह भी बढ़ेगा। आय के संसाधन का असमान वितरण भी गरीबी को बढ़ाता है। सरकारी संस्थानों में एक व्यक्ति कम समय–श्रम लगाकर अधिक धन अर्जित करता है, वही कार्य व्यक्तिगत संस्थानों में अधिक समय–श्रम लगाकर भी व्यक्ति अत्यन्त अल्प धन पाता है। यह असमानता भी गरीबी के साथ–साथ अपराध और कुण्ठा को जन्म देती है।

भारत में गरीबी का कारण जाति व्यवस्था भी है। मध्य प्रदेश के चम्बल और विन्ध्य क्षेत्र ऐसे हैं, जहाँ सामाजिक भेदभाव अपने चरम पर है। यहाँ ऊँची और निम्न जातियों के प्रति भिन्न व्यवहार किया जाता है। उन्हें समानता के अधिकार से वंचित किया जाता है, जिसके कारण वह गरीबी की दलदल से कभी बाहर नहीं निकल पाते। कृषि–व्यवस्था में असमानता भी गरीबी को बढ़ावा देती है।

भूमि पर बड़े एवं समृद्ध किसानों का अधिकार होने से भूमि की संख्या बढ़ती जा रही है। खेतिहर मजदूरों के परिवार, काफी संख्या में छोटे व सीमान्त किसान, गैर–कृषि क्षेत्रों में काम करनेवाले श्रमिक अत्यन्त गरीबी में जीवनयापन करते हैं। भ्रष्टाचार भी गरीबी बढ़ाने में अहम भूमिका निभाता है। पिछले 20–25 वर्षों में देश में हुए भ्रष्टाचार और करोड़ों रुपयों के घोटालों ने गरीबों को और गरीब बना दिया है।

बढ़ते पूँजीवाद के कारण नव उदारवादी नीतियों तथा खुदरा क्षेत्रों में विदेशी निवेश की नीतियाँ गरीबों के लिए अहितकर सिद्ध हुई हैं। नेताओं व अधिकारियों के बढ़ते वेतन और सुविधाएँ तथा उनके द्वारा एकत्र अरबों–खरबों की सम्पत्ति अमीर और गरीब के बीच की खाई को प्रतिदिन गहरा करती जा रही है।

गरीबी का परिणाम : क्रान्ति और अपराध–गरीबी के अभिशाप से ग्रस्त भारत के करोड़ों लोग आज विभिन्न प्रकार के संकटों और शोषण से जूझ रहे हैं। व्यवस्था का कहर भी अधिकतर गरीबों पर ही मुसीबत बनकर टूटती है। पुलिस की प्रताड़ना भी सबसे अधिक गरीबों को सहनी पड़ती है, जिसके कारण गरीब अपराध की ओर अग्रसर होते हैं। आज समाज में अपराधों की बाढ़–सी आ गई है। इसका कारण आर्थिक असमानता ही है।

विकास के साथ–साथ बेरोजगारी और गरीबी की वास्तविकता आज भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रश्न चिह्न लगाती अनुभव होती है। गरीबी के कारण हिंसा और शोषण जैसी घटनाओं में वृद्धि हुई है। राजनीति स्वार्थ के लिए साम्प्रदायिक दंगों की आग भड़काई जाती है, जिसका शिकार गरीब ही बनते हैं, बस्तियाँ भी गरीबों की जलती हैं, फुटपाथ पर रहनेवाले लोग मारे जाते हैं।

कहीं कोई संवेदना नहीं जागती। यह उपेक्षा का भाव गरीबों को कहीं–न–कहीं आहत करता है और परिणाम अपराध के रूप में सामने आता है। गरीबी के कारण देश का नौनिहाल जब कुपोषण और भुखमरी का शिकार होगा, युवा आर्थिक असमानता के कारण कुंठित होगा, किसान आत्महत्या की दिशा में अग्रसर होगा, तो नए भारत का सपना साकार नहीं होगा। देश का युवा नक्सलवाद, आतंकवाद की ओर बढ़ेगा, सड़कों पर आन्दोलन करेगा और उसका सारा जोश पेट भरने के जुगाड़ में बह जाएगा।

गरीबी को रोकने के उपाय–देश में बढ़ती गरीबी को देखते हुए हम सबको मिलकर प्रयास करना होगा और देश को गरीबी के अभिशाप से मुक्त कराना होगा। इसमें सरकार की सहभागिता भी अनिवार्य है।

निम्नलिखित उपायों द्वारा गरीबी के अभिशाप को रोका जा सकता है-

  • गरीबों के लिए पर्याप्त भूमि, जल, शिक्षा, स्वास्थ्य, ईंधन और परिवहन की सुविधा का विस्तार किया जाना चाहिए।
  • स्वरोजगार व मजदूरी रोजगार कार्यक्रमों में समन्वय किया जाए।
  • ऐसे परिवार जिनके पास न कोई कौशल है, न कोई परिसम्पत्ति है और न कोई काम करनेवाला वयस्क है,
  • ऐसे परिवारों के लिए सामाजिक योजनाएँ बनाई जाएँ तथा उन्हें सुरक्षा दी जाए।
  • गाँवों में बड़े किसानों और सामन्तों द्वारा गरीबों के शोषण को रोका जाए।
  • गरीबी निवारण कार्यक्रमों का अधिकतर लाभ अमीरों के बदले गरीबों को ही मिले।
  • ल गरीबों के दो वर्ग बनाए जाएँ। एक वर्ग में वे गरीब हों, जिनके पास कोई कौशल है और वे स्वरोजगार कर सकते हैं।
  • दूसरे वर्ग में वे गरीब हों, जिनके पास कोई कौशल नहीं है और वे मजदूरी पर आश्रित हैं,
  • उनकी उन्नति के लिए नीतियों का अलग–अलग निर्धारण किया जाए।
  • लघु उद्योगों को बढ़ावा दिया जाए।
  • गरीबी निवारण कार्यक्रमों की प्रतिवर्ष समीक्षा व मूल्यांकन किया जाए तथा साधनों के निजी स्वामित्व,
  • आय व साधनों के असमान वितरण व प्रयोगों पर नियन्त्रण किया जाए।

सरकार द्वारा गरीबी–निवारण हेतु अनेक कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं तथा अरबों रुपये इनके क्रियान्वयन में लग रहे हैं, तब भी इनका पूरा लाभ गरीबों को नहीं मिल पा रहा है। ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन, राष्ट्रीय सामाजिक सहायता योजना, शिक्षा सहयोग योजना, अन्त्योदय अन्न योजना, बालिका संरक्षण योजना, सामूहिक जीवन बीमा योजना, प्रधानमन्त्री ग्रामोदय योजना, विजन 2020 फॉर इण्डिया आदि अनेक सैकड़ों योजनाएँ सरकार द्वारा चलाई जा रही हैं। आवश्यकता है कि सबका लाभ गरीबों को ही मिले तो गरीबी के अभिशाप से निकला जा सकता है।

उपसंहार– वर्तमान सन्दर्भो में गरीबी को ठीक प्रकार से आँकना भी एक चुनौती ही है। आज प्रत्येक मुद्दे को तकनीक के आधार पर समझा जा रहा है।

औद्योगिकीकरण आज का प्रथम लक्ष्य बन चुका है, किसी गरीब के पास आँखें हों न हों, पर घर में रंगीन टी०वी० जरूर उपलब्ध हो। प्रत्येक वर्ष नए आँकड़े और सूचीबद्ध लक्ष्य रखे जाते हैं, व्यवस्था में प्रत्येक वस्तु को, प्रत्येक अवस्था को आँकड़ों में मापा जाता है, प्रत्येक आवश्यकता को प्रतिशत में पूरा किया जाता है और इसी आधार पर गरीबी को भी मापने का प्रयास किया जाता है।

ऐसा नहीं है कि गरीबी को मिटाया नहीं जा सकता लेकिन स्वार्थपरता इस अभियान में व्यवधान डालती है। व्यवस्था इस बात को सदैव अहम मानकर मुद्दा बनाती आई है। यही सोच गरीबी को अभिशाप बनाए रखने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती आ रही है, लेकिन इस सोच को रखनेवाले यह नहीं जानते कि कहीं–न–कहीं वे भी इस समस्या से प्रभावित होते हैं।

प्रसिद्ध अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन के अनुसार– “लोगों को इतना गरीब नहीं होने देना चाहिए कि उनसे घिन आने लगे, या वे समाज को नुकसान पहुँचाने लगे। इस नजरिए में गरीबों के कष्ट और दुःखों का नहीं, बल्कि समाज की असुविधाओं और लागतों का महत्त्व अधिक प्रतीत होता है।

गरीबी की समस्या उसी सीमा तक चिन्तनीय है, जहाँ तक उसके कारण, जो गरीब नहीं हो, उन्हें भी समस्याएँ भुगतनी पड़ती है।” यह कथन गरीबी के अभिशाप के कारण क्रान्ति और अपराध की वृद्धि की ओर संकेत करता है, जिसे समय रहते हमें रोकना होगा, जिससे स्वस्थ समाज की स्थापना हो सके।

Hindi Jaankaari

Essay on Poverty in Hindi – गरीबी पर निबंध

Poverty essay in Hindi

गरीबी से आशय ऐसी स्थिति से है जिसमें व्यक्ति जीवन की मूलभूत आवश्यकताओं से वंचित रह जाता है। इसके अलावा, व्यक्ति के पास भोजन, आश्रय और कपड़े की अपर्याप्त आपूर्ति नहीं होती है। भारत में, अधिकांश लोग जो गरीबी से पीड़ित हैं, वे एक दिन में एक भोजन का भुगतान नहीं कर सकते हैं। इसके अलावा, वे सड़क के किनारे सोते हैं; गंदे पुराने कपड़े पहनना। इसके अलावा, उन्हें उचित स्वस्थ और पौष्टिक भोजन नहीं मिलता है, न तो दवा और न ही कोई अन्य आवश्यक चीज।

Poverty essay in India – Poverty essay in Hindi

गरीबी एक अजीबोगरीब समस्या है जिससे दुनिया के विभिन्न देश, विशेषकर तीसरी दुनिया पीड़ित हैं। गरीबी की एक आम परिभाषा नहीं हो सकती है जिसे मोटे तौर पर हर जगह स्वीकार किया जा सकता है। इस प्रकार दुनिया के विभिन्न देशों में स्वीकृत गरीबी की परिभाषाओं के बीच बड़े अंतर हैं।

इन सभी मतभेदों को छोड़ते हुए, मोटे तौर पर यह कहा जा सकता है कि गरीबी एक ऐसी स्थिति है, जिसमें समाज का कोई तबका, जिसकी खुद की कोई गलती नहीं है, जीवन की मूलभूत आवश्यकताओं से भी वंचित है। एक देश में, जहां आबादी का एक हिस्सा लंबे समय से जीवन की न्यूनतम सुविधाओं से भी वंचित है, देश गरीबी के एक दुष्चक्र से पीड़ित है।

गरीबी को तीसरी दुनिया के देशों में सबसे बड़ी चुनौती माना जाता है। गरीबी का संबंध एक निश्चित रेखा के संबंध में तुलना से भी है – जिसे गरीबी रेखा के रूप में जाना जाता है। हालाँकि, गरीबी रेखा को स्थिर रूप से तय किया जाता है और इसलिए, एक निश्चित अवधि के लिए निश्चित रहती है।

गरीबी रेखा:

आमतौर पर गरीबी को गरीबी रेखा से परिभाषित किया जाता है। अब जो सवाल इस बिंदु पर प्रासंगिक है वह है गरीबी रेखा क्या है और इसे कैसे तय किया जाता है? प्रश्न का उत्तर यह है कि गरीबी रेखा वितरण की रेखा पर एक कट-ऑफ बिंदु है, जो आमतौर पर देश की जनसंख्या को गरीब और गैर-गरीब के रूप में विभाजित करती है।

तदनुसार, गरीबी रेखा से नीचे की आय वाले लोगों को गरीब कहा जाता है और गरीबी रेखा से ऊपर की आय वाले लोगों को गैर-गरीब कहा जाता है। तदनुसार, यह उपाय, अर्थात्, गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों के प्रतिशत को हेड काउंट अनुपात के रूप में जाना जाता है।

इसके अलावा, गरीबी रेखा तय करते समय हमें पर्याप्त ध्यान रखना चाहिए ताकि गरीबी रेखा न तो बहुत अधिक हो और न ही कम हो, बल्कि यह उचित होनी चाहिए। गरीबी रेखा तय करते समय, भोजन की खपत को सबसे महत्वपूर्ण मानदंड माना जाता है लेकिन इसके साथ कुछ गैर-खाद्य पदार्थ जैसे कपड़े, और आश्रय भी शामिल होते हैं।

हालाँकि, भारत में हम अपनी गरीबी रेखा का निर्धारण भोजन और गैर-खाद्य पदार्थों दोनों को खरीदने के लिए निजी उपभोग व्यय के आधार पर करते हैं। इस प्रकार यह देखा गया है कि भारत में, गरीबी रेखा निजी उपभोग व्यय का स्तर है जो आम तौर पर एक खाद्य टोकरी सुनिश्चित करता है जो कैलोरी की आवश्यक मात्रा सुनिश्चित करेगा।

तदनुसार, ग्रामीण और शहरी व्यक्ति के लिए औसत कैलोरी आवश्यकताएं क्रमशः 2,400 और 2,100 कैलोरी निर्धारित की जाती हैं। इस प्रकार, कैलोरी की आवश्यक मात्रा सामान्य रूप से एक वर्ग-अंतराल के साथ मेल खाती है या दो अंतरालों के बीच गिर जाएगी।

प्रतिलोम विवेचन विधि का उपयोग करते हुए, व्यक्ति उपभोग व्यय की मात्रा पा सकता है, जिस पर न्यूनतम कैलोरी की आवश्यकता पूरी होती है। व्यक्ति के लिए न्यूनतम कैलोरी की आवश्यकता को पूरा करने के लिए उपभोग व्यय की इस राशि को गरीबी रेखा कहा जाता है।

भारत में, गरीबी की व्यापक रूप से स्वीकृत परिभाषा जीवन स्तर के बजाय न्यूनतम जीवन स्तर पर अधिक जोर देती है। तदनुसार, यह व्यापक रूप से सहमत है कि गरीबी को एक ऐसी स्थिति के रूप में कहा जा सकता है जहां जनसंख्या का एक वर्ग एक न्यूनतम न्यूनतम खपत मानक तक पहुंचने में विफल रहता है। इस न्यूनतम खपत मानक के निर्धारण के साथ मतभेद उत्पन्न होते हैं।

गहन परीक्षा के बाद, योजना आयोग द्वारा जुलाई 1962 में स्थापित किए गए अध्ययन समूह ने ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में नंगे न्यूनतम राशि के रूप में प्रति व्यक्ति प्रति माह 20 रुपये (1960-61 की कीमतों) के निजी उपभोग व्यय के मानक की सिफारिश की। ।

प्रारंभिक चरण में, योजना आयोग ने अध्ययन समूह की गरीबी मानदंड को स्वीकार कर लिया। विभिन्न शोधकर्ताओं जैसे बी.एस. मिन्हास और ए। वैद्यनाथन ने भी इसी परिभाषा के आधार पर अपना अध्ययन किया। लेकिन अन्य शोधकर्ता जैसे दांडेकर और रथ, पीके। बर्धन और अहलूवालिया ने अपनी गरीबी की अपनी परिभाषा के आधार पर अपना अध्ययन किया।

बाद में, “न्यूनतम जरूरतों और प्रभावी उपभोग की माँगों के अनुमानों पर कार्य बल” ने गरीबी की एक वैकल्पिक परिभाषा प्रस्तुत की जिसे हाल के वर्षों में योजना आयोग द्वारा अपनाया गया है।

टास्क फोर्स ने गरीबी रेखा को मासिक प्रति व्यक्ति व्यय वर्ग के मध्य-बिंदु के रूप में परिभाषित किया है, जिसमें ग्रामीण क्षेत्रों में प्रति व्यक्ति 2,400 और देश के शहरी क्षेत्रों में 2,100 लोगों की दैनिक कैलोरी है। तदनुसार, न्यूनतम वांछनीय मानक ग्रामीण क्षेत्रों के लिए 76 रुपये और शहरी क्षेत्रों के लिए 88-80 रुपये की कीमत पर 1979-80 मूल्य पर काम किया गया था।

प्रो गालब्रेथ ने एक बार तर्क दिया था कि “गरीबी सबसे बड़ा प्रदूषक है”। इस तर्क में कुछ तर्क जरूर है। पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था अब गरीबी को अपना महान दुश्मन मानती है। भारत में, गरीबी की समस्या अभी भी काफी तीव्र है। पिछले पैंतालीस वर्षों से, भारतीय राजनेता “ट्रिकल डाउन” के सिद्धांत में विश्वास करते हुए गरीबी हटाने की उम्मीद और वादा निभा रहे हैं।

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गरीबी पर निबंध

गरीबी (Poverty)  पर छोटे व बड़े निबंध [Long & Short essay Writing on Poverty in Hindi]

# 1. गरीबी पर निबंध-Essay on Poverty in Hindi

प्रस्तावना : गरीबी एक ऐसी दर्दनाक स्थिति है जहाँ मनुष्य हर चीज़ के लिए बेबस और लाचार होता है।  वह संसार की तीन ज़रूरी चीज़ो को पाने में असमर्थ है।  वह है खाना , वस्त्र और मकान। पूरा दिन मज़दूरी करने के बाद भी भरपेट  खाना उन्हें नहीं मिलता है। तेज़ धूप और तेज़ बारिश से बचने के लिए उनके पास एक छत नहीं होती है। सर्दी के दिनों में उन्हें तन ढकने   के लिए कपड़े तक नसीब नहीं होते है। गरीबो का परिवार  अपने बच्चो को शिक्षा नहीं दिलवा पाता है।  शिक्षा  की कमी  के कारण उनका  मानसिक  विकास नहीं होता है। उनके सोचने समझने की कोई शक्ति नहीं होती है।  पर्याप्त भोजन ना मिलने के कारण उनका शारीरिक विकास नहीं हो पाता है।

हर रोज बढ़ती हुयी देश की जनसंख्या “गरीबी” बढ़ाने का प्रमुख कारण है।  सरकार के पास इतनी योजनाएं नहीं है कि वह देश के सभी लोगो को मकान , खाना और शिक्षा जैसी चीज़ें प्रदान कर सके ।  जितनी जनसंख्या अधिक होगी , सभी प्रकार की सुविधाओं  और संसाधनों में कमी आएगी। जनसंख्या वृद्धि की वजह से  जो लोग  गरीब या उससे भी निचले स्तर पर जी रहे है , उनके लिए   ज़िन्दगी नरक से कम नहीं होती है ।

देश में बेरोजगारी इतनी बढ़ गयी है कि बहुत लोगो के पास करने के लिए एक नौकरी तक नहीं है।  अगर देश में लोग इतने अधिक होंगे तो जाहिर तौर पर सभी  को नौकरी मिलना मुश्किल है। छोटी  नौकरी भी आजकल विलुप्त हो रहे है। बेरोजगारी गरीबी को अधिक बढ़ा रही है। जब प्राकृतिक आपदाएं आती है तो सबसे अधिक गरीब लोग प्रभावित होते है। गरीबो को बचाने वाला  कोई नहीं होता है।  कुछ लोग है जो गरीबो की  स्थिति में सुधार लाने के लिए उन्हें NGO के माध्यम से मदद करते है।  कुछ जगहों पर गरीब बच्चो के लिए निशुल्क शिक्षा दी जा रही है।  यह सभी गरीबो को प्राप्त नहीं हो पा  रहा है।  गरीबी की रेखा से नीचे जीने वाले लोगो की हालत और अधिक दयनीय है।

सरकार गरीबी को मिटाने की पूरी कोशिश कर रही है , मगर अभी भी बहुत कुछ करना बाकी है।  गरीबी देश की उन्नति में बहुत बड़ी बाधा है। गरीबी को मिटाने में कोई भी लोकप्रिय सरकार सफल नहीं हो पायी है। सरकार ने बच्चो को मुफ्त शिक्षा , गैस की सुविधा इत्यादि कार्य करने का प्रयास किया है।  लेकिन अभी भी हज़ारो चीज़ें करनी बाकी है।

गरीब  बच्चे अक्सर संपन्न घरो के बच्चो को विद्यालय जाते हुए देखते है। उन्हें खेल कूद  करते हुए देखते है।  मगर दुर्भाग्यवश उनकी जिन्दगी ऐसी नहीं होती है। गरीबी और पैसे की कमी गरीब परिवार को हर बुनियादी आवश्यकताओं से उन्हें दूर रखती है। अच्छे स्कूल में पढ़ना गरीब बच्चो के लिए एक सपना बनकर रह जाता है। गरीब लोग को दो वक़्त की रोटी मिलना भी टेढ़ खीर बन जाती है। गरीब परिवार अपने बच्चो को पुस्तकें और खिलोने खरीद कर देने में असमर्थ  है। अच्छा संतुलित और पौष्टिक भोजन परिवार और बच्चो को नहीं मिल पाता है।  ऐसे में उनका मानसिक और शारीरिक विकास नहीं हो पाता है। गरीब परिवार बिना सोचे समझे कई बच्चो को जन्म देते है और अपनी कठिनाईयां भी खुद बढ़ा लेते है। ऐसे में घर पर थोड़ी बहुत कमाई के लिए अपने बच्चो को बचपन से काम पर लगा देते है।  अक्सर चाय की दुकानों और उद्योगों में छोटे बच्चो से काम करवाया जाता है।  इससे बाल मज़दूरी जैसी समस्याएं उतपन्न होती है , जो कानूनन जुर्म है।

देश में गरीबी बड़ी आम सी हो गयी है।  सड़को के आस पास छोटे छोटे झोपड़ियों में जैसे तैसे गुजारा करने को विवश है। देश की आबादी का बहुत बड़ा हिस्सा बिना कपडे , रोटी और मकान के गुजारा करने को बेबस है। उनकी दयनीय हालत उनके आँखों से झलकती है।  कोई भी उन्हें इज़्ज़त नहीं देता है और हर जगह उन्हें तिरस्कृत किया जाता है। यह देश की विडंबना है एक और इतने अमीर लोग है और एक तरफ गरीब लोग जिसके पास खाने के लिए सिर्फ सूखी रोटी है।

गरीबी के दिन कोई भी मनुष्य झेलना नहीं चाहता है।  गरीब व्यक्ति  पैसे के अभाव में जीवन के मूल्य साधन जैसे भोजन और मकान जैसी आवश्यक सुविधाएं कभी भी प्राप्त नहीं कर पाता है। दिन रात मेहनत करने पर कुछ पैसे मिलते है , मगर वह भी पर्याप्त नहीं होता है। गरीब परिवार के बच्चे बाकी बच्चो की तरह एक  अच्छा   जीवन जीने में असमर्थ है।

गरीबी का प्रमुख कारण है देश में व्याप्त भ्रष्टाचार और अशिक्षा है।  भ्रष्टाचारी  नेताएं वोट पाने के लिए कई झूठे वादे करते है और गरीबो को उनका हक़ कभी नहीं दिलाते है।  उनके उत्थान के लिए कई योजनाएं बनाई जाती है।  मगर उनमे से कई योजनाएं सिर्फ कहने के लिए  रह जाती है। गरीब लोग पशुओं की भाँती सड़क किनारे पाए जाते है। सही पोषण और भोजन ना मिलने के लिए के कारण उनकी मानसिक हालत भी स्वस्थ नहीं रहती है। अमीर लोगो के पास इतना पैसा होता है और गरीबो के पास खाने के लिए एक रोटी तक नहीं।  ऐसी असमानता के कारण देश उन्नति कभी नहीं कर पायेगा।

गरीबी को मिटाने  के लिए किसानो को अच्छी सुविधाएं दी जानी चाहिए ताकि वे कृषि क्षेत्र में उन्नति कर सके । भारत एक कृषि प्रधान देश है , फिर भी किसान कृषि छोड़कर शहरों में तरफ पलायन करते है।  शहरों में आकर उनकी हालत और अधिक खराब हो जाती है। वह जैसे तैसे अपना गुजारा करते है। शहरों में भी गरीबी बढ़ रही है। गरीबो को निशुल्क शिक्षा और प्रशिक्षण दी जानी चाहिए ताकि उन्हें रोजगार के अवसर मिले। गरीबी को कम करने के लिए परिवार को परिवार नियोजन के बारें जागरूक करना अनिवार्य है।  जितने परिवारों  में सदस्य कम होंगे , गरीब लोगो को दिक्कतें कम होगी। इससे देश की बढ़ती हुयी आबादी को रोका जा सकता है।

देश में एक नियम का लागू होना ज़रूरी है। वह है सभी बच्चो को शिक्षा का अधिकार मिलना। गरीबो के बच्चो को भी पढ़ने का उतना ही अधिकार मिलना चाहिए जितना सभी को मिलता है । जनसंख्या  कम होगी तो रोजगार के मौके भी लोगो को अधिक मिलेंगे और देश में सदियों से चल रही गरीबी का उन्मूलन हम कर सकेंगे।

गरीबी एक  राष्ट्रिय समस्या है। गरीबी के निवारण के लिए सरकार को और अधिक प्रभावी तरीका अपनाना होगा। सरकार ने गरीबी मिटाने के लिए बहुत सारे प्रयत्न किये मगर कोई ख़ास नतीजा नहीं निकला है। देश में व्याप्त ख़राब अर्थव्यवस्था , भ्रष्टाचार  और शिक्षा की कमी जैसे मुद्दों को समय रहते मिटाना ज़रूरी है , तभी गरीब लोगो के आंसू हम  पोंछ पाएंगे और उनकी लाचारी मिटा पाएंगे। ऐसे सकारात्मक कोशिशें करनी होगी कि गरीबो को  भी आम आदमी जितने अवसर , मूल वस्तुएं और समाज में इज़्ज़त प्राप्त हो।

#2. [Short Essay] गरीब इंसान पर निबंध

writer: Anshika Johari

ग़रीबी एक ऐसी दयनीय स्थिति है, जिसमे व्यक्ति निर्धनता के बेहद सकरे रास्ते पर अपनी जीवन की गाड़ी को चलाता है। एक गरीब इंसान को अपनी अनेक इच्छाओं व सपनों का निर्धनता के कारण त्याग करना पड़ता है। समाज में, गरीब वर्ग के व्यक्तियों को प्रत्येक क्षेत्र में कड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। चूंकि आज हर क्षेत्र में धन को महत्व दिया जाता है इसीलिए एक गरीब व्यक्ति प्रतिभाशाली होते हुए भी पीछे रह जाता है।

गरीब इंसान की जीवन शैली –

एक गरीब व्यक्ति व अमीर व्यक्ति की जीवनशैली में आकाश पाताल का फर्क होता है। एक ओर जहां अमीर व्यक्ति विलासिता पूर्ण जीवन जीता है वहीं दूसरी ओर एक गरीब व्यक्ति अपनी जरूरतों को भी पूर्ण नहीं कर पाता। अपर्याप्त भोजन, कपड़ा, छत से मजबूर एक गरीब व्यक्ति दिनभर इन्हीं की पूर्ति में प्रयासरत रहता है। धन की आपूर्ति के कारण गरीब बच्चों को शिक्षा का अवसर मिलना भी अत्यंत कठिन हो जाता है। इसी कारण गांव में रहने वाले हजारों गरीब परिवार अशिक्षित ही रह जाते है।

गरीबी क्यों है?

आज के दौर में हर व्यक्ति गरीबी रेखा को पार करके अमीर बनना चाहता है। क्योंकि आज की धन प्रधान इस दुनिया में गरीबी इंसान का जीवन दुखमय बना देती है। भारत में बढ़ती जनसंख्या को गरीबी का विशेष कारण बताया है। जनसंख्या वृद्धि के कारण नौकरियां मिल पाना मुश्किल हो गया है। पूंजीवादी अर्थव्यवस्था के चलते देश के गरीबी रेखा के लोगों को गरीबी से उभरने का अवसर ही नही मिल पाता है। गरीब मजदूर, नौकर, रिक्शा चालक आदि अशिक्षा होने के कारण ना तो अपनी कोई प्रगति कर पाते है, ना ही अपने बच्चों को शिक्षा के प्रति अग्रसर कर पाते। क्योंकि गरीबी की एक अत्यंत गरीबी स्थिति में घर का छोटा बालक आर्थिक सहायता देने हेतु मजदूरी या अन्य कामों में लग जाता है। इसके साथ ही प्राकृतिक आपदाएं व महामारी भी व्यक्ति के आर्थिक जीवन स्तर को बर्बाद कर देती है। गरीब बस्ती के निवासी, जो दिन भर जो कमाते उसी से रात में दो वक्त की रोटी खा पाते है। ऐसे में आपदाएं व महामारी उनके जीवन में अभिशाप बनकर दस्तक देती है।

गरीब इंसान की स्थिति –

गरीबी जीवन की एक ऐसी स्थिति है जिससे कोई भी गुजरना नहीं चाहता। गरीबी उसे कहते है जिसमें व्यक्ति अपनी मूलभूत आवश्यकताओं – रोटी, कपड़ा, मकान को पूरा करने में असमर्थ होता है। इन मूलभूत आवश्यकताओं की आपूर्ति व्यक्ति के जीवन को गरीबी के बेहद भयावह मंजर पर ले आती हैं। जहां वह मानसिक रूप से तथ शारीरिक रूप से कमजोर हो जाता है। परंतु वह हर संभव प्रयास करता है, जिससे कि वह अपने जीवन को सुचारू रूप से व्यतीत कर सके। गरीबी इंसान में ईर्ष्या, चोरी- डकैती, आत्मविश्वास में कमी इत्यादि कुछ अवगुणों को भी जन्म दे देती हैं। जिससे गरीबी केवल एक वर्ग के लिए ही नहीं अपितु राष्ट्रीय चिंता का कारण बन जाती है।

वर्तमान में सरकार द्वारा गरीबी रेखा से नीचे आने वाले व्यक्तियों के लिए कई योजनाओं को शुरू किया है, जो काफी हद तक सफल हुआ। परंतु फिर भी देश में बहुत से ऐसे गांव अभी मौजूद है जहां इन सेवाओं के विषय में गरीब व्यक्तियों को कोई ज्ञान नहीं है। इसी कारण देश में गरीबी को समाप्त करने के लिए और अधिक प्रयासरत होने की जरूरत है।

#सम्बंधित:- Hindi Essay, Hindi Paragraph, हिंदी निबंध।

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गरीबी: अर्थ तथा कारण | Poverty: Meaning and Causes | Hindi | India | Economics

essay on no poverty in hindi

Read this article in Hindi to learn about:- 1. गरीबी का अर्थ (Meaning of Poverty) 2. गरीबी रेखा की अवधारणा (Concept of Poverty Line) 3. कारण (Causes) 4.  निवारण के प्रयास (Efforts Taken to Reduce).

गरीबी का अर्थ (Meaning of Poverty):

गरीबी उस समस्या को कहते हैं जिसमें व्यक्ति अपने जीवन की मूलभूत आवश्यकताएँ यथा, रोटी, कपड़ा और मकान को पूरा करने में असमर्थ होता है । अधिक दृष्टिकोण से उस व्यक्ति को गरीब या गरीबी रेखा के नीचे माना जाता है । जिसमें आय का स्तर कम होने पर व्यक्ति अपनी भौतिक आवश्यकताओं को पूरा करने में असमर्थ होता है ।

गरीबी के आकलन के लिये विभिन्न देशों में मान्य पारिभाषिक व्यवस्था का प्रयोग किया गया है । भारत में गरीबी एक मूलभूत आर्थिक एवं सामाजिक समस्या है भारत एक जनाधिक्य वाला देश है आर्थिक विकास की दृष्टि से भारत की गिनती विकासशील देशों में होती है । आर्थिक नियोजन की दीर्घावधि के वाबजूद भारत को गरीबी की समस्या से निजात नहीं मिली है ।

देश की बहुसंख्यक जनसंख्या गरीबी की रेखा से नीचे जीवन यापन करने के लिये मजबूर हे भारत में गरीबी की वास्तविक संख्या ज्ञात करना कठिन है फिर भी विभिन्न संगठनों द्वारा गरीबी रेखा को विभिन्न मापदण्डों के आधार पर परिभाषित किया गया है ।

गरीबी रेखा की अवधारणा (Concept of Poverty Line) :

ADVERTISEMENTS:

गरीबी रेखा का आधार कैलोरी ऊर्जा को माना जाता है भारत में छठवीं पंचवर्षीय योजना में कैलोरी के आधार पर गरीबी रेखा को परिभाषित किया गया है । इसके अनुसार गरीबी रेखा का तात्पर्य ग्रामीण क्षेत्र में 2400 केलोरी तथा शहरी क्षेत्र में 2100 कैलोरी ऊर्जा के प्रतिव्यक्ति उपयोग से है । व्यय के आधार पर गरीबी रेखा सातवीं पंचवर्षीय योजना में गरीबी रेखा 1984-85 की कीमतों पर प्रति परिवार प्रतिवर्ष 6400 रूपयें का व्यय माना गया था ।

यूरोपीय देशों में गरीबी की अवधारणा को परिभाषित करने के लिये सापेक्षिक गरीबी के आधार पर आकलन किया जाता है उदाहरणार्थ किसी व्यक्ति की आय राष्ट्रीय औसत आय के 60 प्रतिशत कम है तो उस व्यक्ति को गरीबी रेखा के नीचे माना जा सकता है । औसत आय का आकलन विभिन्न मापदण्डों से किया जा सकता है ।

योजना आयोग ने 2004-05 में 27.5 प्रतिशत गरीबी मानते हुये योजनाएं बनायी इसी अवधि में विशेषज्ञ समूह का गठन किया था । जिसने पाया कि गरीबी तो इससे कहीं ज्यादा 37.2 प्रतिशत थी इसका अर्ध है कि मात्र आकड़ों के दाये-बाये करने से ही 100 मिलियन लोग गरीबी रेखा में शुमार हो जाते है ।

राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन:

राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन ने अपना त8वा सर्वेक्षण प्रतिवेदन 20 जून, 2013 को जारी किया । रिर्पोट के अनुसार देश के ग्रामीण इलाकों में सबसे निर्धन लोग औसतन मात्र 17 रूपये प्रतिदिन और शहरों में सबसे निर्धन लोग 23 रूपयें प्रतिदिन में जीवन यापन करते है । 68वें सर्वेक्षण रिर्पोट की अवधि जुलाई, 2011 से जून 2012 तक थी ।

यह सर्वेक्षण ग्रामीण इलाकों में 74.96 गांव और शहरों में 52.63 इलाकों के नमूनों पर आधारित है । अखिल भारतीय स्तर पर औसतन प्रतिव्यक्ति मासिक खर्च ग्रामीण इलाकों में करीब 14.30 रूपयें जबकि शहरी इलाकों में 26.30 रूपयें रहा । राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन ने कहा इस प्रकार से शहरी इलाकों में औसतन प्रतिव्यक्ति मासिक खर्च ग्रामीण इलाकों के मुकाबले लगभग अप्रतिशत अधिक रहा ।

ग्रामीण भारतीयों ने वित्त वर्ष 2011-12 के दौरान खादय पर आय का औसतन 52.9 प्रतिशत खर्च किया जिसमें मोटे अनाज पर 10.8 प्रतिशत दूध और दूध से बने उत्पादों पर 8 प्रतिशत पैय पर 7.9 प्रतिशत और सब्जियों पर 6.6 प्रतिशत भाग शामिल है ।

भारत में जनवरी 2012 में करीब 1.4 करोड़ लोगों को नौकरी मिली, रोजगार प्राप्त करने वाले लोगों की यह संख्या वर्ष 2010 के इसी माह की तुलना में 3 प्रतिशत अधिक है । राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय द्वारा जारी एक विज्ञप्ति के मुताबिक अखिल भारतीय स्तर पर राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन के सहर्ष दौर के सर्वेक्षण में जनवरी 2012 तक बढ़ कर 47.29 करोड़ पहुँच गयी है ।

भारत में गरीबी के कारण (Causes of Poverty in India) :

स्वतंत्रता से लेकर आज तक गरीबी भारत की प्रमुख समस्या बनी हुई हे । योजनाबद्ध विकास के छह दशक और पंचवर्षीय योजनाओं में गरीबी उन्मूलन को प्रमुख लक्ष्यों में सम्मिलित किये जाने के बावजूद गरीबी से नहीं उभरना विकास की योजनाओं पर एक प्रश्न-चिन्ह है ।

भारत में गरीबी के लिए अनेक कारण उत्तरदायी है जिनमें निम्नलिखित उल्लेखनीय हैं:

(1) योजनाओं के कारगर क्रियान्वयन का अभाव भारत में योजनाओं के कारगर क्रियान्वयन का अभाव गरीबी का प्रमुख कारण है । स्वतंत्रता के बाद गरीबों के उत्थान के लिए खूब योजनाएँ बनी । आज भी गरीबी उन्मूलन के नाम पर कई योजनाओं की घोषणा होती है ।

वर्तमान में गरीबों के नाम पर अनेक योजनाएँ क्रियान्वयन में हैं, किन्तु गरीबी की समस्या जस की तस है । विगत वर्षों में गरीबी उन्मूलन की योजनाओं पर करोडों रूपयें पानी की तरह बहा दिया गया ।

गरीबी उन्मूलन की योजनाओं में भ्रष्टाचार बड़े पैमाने पर हैं । गरबों के लिए बनी योजनाओं का पूरी जानकारी गरीबों को नहीं है । गरीबों के लिए बनी योजनाओं में आवंटित राशि जरूरतमन्दों तक कम मात्रा में पहुंची । आज गरीबों के उत्थान के लिए नई योजनाओं की अधिक आवश्यकता नहीं है योजनाएँ तो पहले से ढेरों की संख्या में है, बस आवश्यकता गरीबी उन्मूलन की योजनाओं के कारगर क्रियान्वयन की है ।

(2) धीमा विकास गरीबी उन्मूलन के लिए आर्थिक विकास जरूरी हे । भारत के आर्थिक विकास की दृष्टि से कई वर्षों तक पिछड़े रहने के कारण गरीबी की समस्या दूर नहीं हो सकी । योजनाबद्ध विकास की दीर्घावधि के बावजूद 1950 से 1980 के बीच की 3.5 प्रतिशत आर्थिक वृद्धि दर विश्व में ‘हिन्दू विकास दर’ के नाम से चर्चित रही । वर्तमान में भी भारत विकासशील देश है । आर्थिक विकास में उच्चावचन की प्रवृत्ति देखने को मिलती है । खाड़ी युद्ध के दौरान आर्थिक विकास की दर अत्यधिक गिर गई थी । आर्थिक विकास की ऊंची दर अर्जित नहीं कर पाने के कारण गरीबी की समस्या ज्वलंत बनी हुई है ।

(3) जनाधिक्य तीव्रता से बढ़ रही जनसंख्या गरीबी का बड़ा कारण है । विकराल जनसंख्या के सामने अथाह प्राकृतिक संपदा सीमित नजर आने लगी है । भारत ने एक अरब से अधिक जनसंख्या के साथ नयी सहस्त्राब्दि में प्रवेश किया है । जनसंख्या की वर्तमान वृद्धि दर यदि भविष्य में भी बनी रहती है । तो अगले वर्षों में भारत जनसंख्या के मामले में चीन को पीछे छोड़ सकता है । जनसंख्या वृद्धि दर के साथ रोजगार के अवसर नहीं बढ़ रहे है । नतीजन गरीबी की समस्या मुखर बनी हुई है ।

(4) आर्थिक विषमता बढ़ती आर्थिक विषमता गरीबी का बड़ा कारण है भारत में आर्थिक प्रगति के साथ आर्थिक विषमता भी बढ़ी है । विगत वर्षों में धनिकों और गरीबों के बीच की खाई तीव्रता से बढ़ी है । धनी और धनिक हुए है तथा गरीबों की स्थिति अधिक दयनीय हुई है । आर्थिक उदारीकरण के प्राप्त होने के बाद आर्थिक विषमता की स्थिति विकट हुई है । योजनाबद्ध विकास और आर्थिक उदारीकरण में आर्थिक विषमता के बढ़ने के कारण शहरों और गांवों में गरीबी की दशा में सुधार देखने को कम मिलता है ।

(5) भूखी निर्माण की धीमी गति वित्तीय संसाधनों के अभाव के साथ पूजी निर्माण की गति धीमी है पूजी निर्माण के कम होने के कारण ओद्योगिक विकास की गति तेज नहीं हो सकी । ओद्योगिक विकास की दर ऊँची नहीं होने के कारण लोगों को रोजगार के अधिक अवसर मुहैया नहीं हो सके रोजगार सृजन के अभाव में गरीबी की समस्या विकट बनी हुई है ।

(6) प्राकृतिक आपदाएँ और अकाल योजनाबद्ध विकास के छह दशक बाद तक भारतीय कृषि की मानसून पर निर्भरता बनी हुई है । मानसून की अनिश्चिता के कारण कृषि उत्पादन में उच्चावचन की प्रवृत्ति ब्याज है । अतिवृष्टि, अनावृष्टि, ओला, बाढ़, भूचाल, आधी आदि प्राकृतिक घटनायें अर्थव्यवस्था को प्रभावित करती रहती है । प्राकृतिक आपदाओं से ग्रामीण परिवेश प्रभावित होता है और गरीबों पर अधिक भार पड़ता है ।

(7) बेरोजगारी स्वतंत्रता के लेकर आज तक बेरोजगारी प्रमुख आर्थिक समस्या बनी हुई है । देशवासियों को जनसंख्या वृद्धि के अनुपात के अनुसार रोजगार के अवसर मुहैया नहीं हो सकें । रोजगार को बढ़ावा देने वाली गांधी के आर्थिक विचारधारा पुरानी पड़ चुकी है । लघु एवं कुटीर उद्योगों के प्रतिस्पर्धा में नहीं टिकने से रोजगार के अवसर घटे है । रोजगार के अवसर घटने के कारण गरीबी की समस्या जस की तस है ।

(8) उत्पादन की परम्परागत तकनीक भारत में उत्पादन के क्षेत्र में आधुनिक प्रोद्योगीकी का आभाव है शोध एवं अनुसंधान पर कम निवेश किया गया है । निजी क्षेत्र में नवीन प्रौद्योगीकी पर अधिक ध्यान नहीं दिया है । पुरानी तकनीक के काम में लेने के कारण भारतीय उत्पादन अतर्राष्ट्रीय बाजार में प्रतिस्पर्धा का सामना नहीं कर सकें । योजनाबद्ध विकास के दौर में विदेशी मुद्रा भण्डार के नहीं बढ़ पाने के कारण औद्योगिक विकास तीव्र गति नहीं पकड़ सका । नतीजन देश में गरीबी की समस्या बढ़ी है ।

भारत में गरीबी निवारण के प्रयास (Efforts Taken to Reduce Poverty in India) :

भारत में गरीबी की विकट समस्या को दृष्टिगत रखते हुये केन्द्र सरकार स्वतंत्रता के प्रारंभिक वर्षों से ही गरीबी निवारण के लिये प्रयासरत है पंचवर्षीय योजनाओं में गरीबी उन्मूलन को प्रमुख प्रथमिकताओं में सम्मिलित किया गया है । पांचवीं पंचवर्षीय योजना में ”गरीबी हटाओ” नारे को प्रमुख प्राथमिकता में सम्मिलित किया गया ।

योजनाबद्ध विकास में गरीबों के लिये बनी योजनाओं पर भारी भरकम पूंजी निवेश किया गया है । जिसके फलस्वरूप विगत वर्षों में गरीबी में निरन्तर गिरावट हुई है । फिर भी निर्धन लोगों की कुल संख्या जनसंख्या में वृद्धि हो जाने के कारण यह स्थिर बनी हुई है । आर्थिक वृद्धि के कारण रोजगार के अवसर बढ़ने से गरीबी को कम करने में मदद मिलती है ।

आर्थिक विकास के अलावा लोगों के जीवन स्तर को ऊपर उठाने के लिए बुनियादी सेवाओं की व्यवस्था के लिये सरकारी हस्तक्षेप की आवश्यकता होती है । स्वरोजगार और मजदूरी रोजगार दोनों के सृजन के लिये विशेष रूप से बनाये गये गरीबी रोधी कार्यक्रम पुन: रचित एवं संरक्षित किये गये है । ताकि इस कार्यक्रम को अधिक कारगर बनाया जा सकें ।

भारत में ग्रानीण और शहरी क्षेत्रों में क्रियान्वित किये जा रहे गरीबी उन्मूलन के प्रमुख कार्यक्रम इस प्रकार है :

(a) जवाहर ग्राम समृद्धि योजना,

(b) स्वर्ण जयंती ग्राम स्वरोजगार योजना,

(c) राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम,

(d) रोजगार अश्वासन योजना,

(e) प्रधानमत्री ग्रामोदय योजना,

(f) स्वर्ण जयंती शहरी रोजगार योजना,

(g) बन्धुआ मजदूर,

(h) बीस सूत्रीय कार्यक्रम,

(i) सम्पूर्ण ग्रामीण रोजगार योजना,

(j) अंबेडकर आवास योजना ।

गरीबी उन्मूलन की उपलब्धियाँ :

भारत में स्वतंत्रता के प्रारंभिक वर्षों से ही केन्द्र सरकार के द्वारा गरीबों की दशा को सुधारने के प्रयास किये जाते रहे है । योजनाबद्ध विकास के दौरान गरीबों के उत्थान के लिये अनेक कार्यक्रमों की घोषण की जा चुकी है । गरीबी उन्मूलन कार्यक्रमों के कारगर क्रियान्वयन के अभाव में अवश्य गरीबों को अपेक्षित लाभ नहीं मिला है ।

गरीबी उन्मूलन कार्यक्रमों के परिणाम स्वरूप गरीबी 1993-94 में 36 प्रतिशत से घटकर 2004-05 में 26.1 प्रतिशत रह गयी है । तथा विगत वर्षों में गरीबी उन्तुलन कार्यक्रम यथा महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजनाओं के माध्यम से इसमें लगातार गिरावट आ रही है ।

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Hindi Grammar by Sushil

गरीबी पर निबंध | Essay on Poverty in Hindi

Essay on Poverty in Hindi : इस संसार में मानव जीवन के लिए गरीबी सबसे विकट समस्याओं में से एक मानी जाती है। गरीबी मनुष्य को आर्थिक तथा सामाजिक दोनों रूपों से ही प्रभावित करती है मनुष्य के अत्यधिक निर्धन होने की स्थिति ही गरीबी कहलाती है। इस स्थिति में मनुष्य अपने जीवन यापन के लिए सबसे महत्वपूर्ण एवं जरूरी छत ,भोजन ,कपड़े ,दवाइयां शिक्षा आदि जैसी आवश्यक जरूरत की वस्तुओ की भी पूर्ति करने में सक्षम नहीं हैं।

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महात्मा गांधी जी का एक कथन है की “ गरीबी हिंसा का सबसे खराब रूप है” । एक गरीबी से ग्रस्त व्यक्ति को अपने जीवन में कई कठिनाइयों का सावन सामना करना पड़ता है पैसों की कमी होने के कारण वह शिक्षा से वंछित रहता है। इसीलिए वह अपने जीवन में बेरोजगार ही रहता है और एक बेरोजगार व्यक्ति अपने जीवन के पर्याप्त सुख और जरूरत की चीजे, पौष्टिक भोजन आदि खरीदने में सक्षम नहीं हो पता है।

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गरीबी पर निबंध ( Essay on Poverty in Hindi )

गरीबी मानव जीवन के एक ऐसी स्थिति को प्रदर्शित करता है जहां व्यक्ति अपने जीवन में यापन के लिए आवश्यक वस्तुओं की भी पूर्ति करने में असमर्थ होता है। गरीबी एक ऐसी खतरनाक बीमारी है जिसका कोई इलाज नहीं है। गरीबी इंसान को मजबूरी में जीना सिखा देती है।

गरीबों के कारण मनुष्य को घातक एवं संक्रामक बीमारियां ,प्राकृतिक आपदाएं, कम कृषि उपज ,बेरोजगारी, जातिवाद, अशिक्षा ,अर्थव्यवस्था के बदलते रवैया, राजनीतिक हिंसा, भ्रष्टाचार ,प्राचीन सामाजिक मान्यताएं आदि अनेक को समस्याओं का सामना गरीबी के आभाव में करना पड़ता है।

वर्तमान में गरीबी की समस्या इतनी अधिक बढ़ चुकी है कि लगातार दुनिया भर में गरीबी को कम करने का प्रयास किया जा रहा हैं। परंतु इस समस्या से छुटकारा नहीं मिल रहा है। गरीबी मनुष्य को आर्थिक एवं दैनिक जीवन को बुरी तरह से प्रभावित करती है, से व्यक्ति अपनी जरूरत की वस्तुओं की भी पूर्ति करने में सक्षम नहीं हो पता है।

गरीबी का कारण

आज के वर्तमान समय में गरीबी एक सबसे बड़ी समस्या है। जो व्यक्ति को उसके जीवन में सिर्फ दुख, दर्द और निराशा ही देती है पैसों की कमी होने के कारण गरीब लोग अपनी कई महत्वाकांक्षाओं को पूरा नहीं कर पाते हैं उनके बच्चों को मजबूरी भरा जीवन जीना पड़ता है जिस उम्र में बच्चों को स्कूल जाना चाहिए अपने भविष्य के लिए सोचना चाहिए उसे उम्र में मासूम बच्चे मजदूरी करने के लिए मजबूर हो जाते हैं।

गरीबी पर निबंध | Essay on Poverty in Hindi

भारत में गरीबी का सबसे बड़ा कारण अशिक्षा और लगातार बढ़ती जनसंख्या है। लगातार बढ़ती जनसंख्या के कारण रोजगारों में कमी आयी है जिसके फल स्वरुप बेरोजगारी एवं गरीबी दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। यह एक ऐसी खतरनाक बीमारी है जो मनुष्य को हर तरह से परेशान कर देती है। गरीबी के आभाव में ही मनुष्य एक अच्छा जीवन यापन, शारीरिक स्वास्थ्य की समस्याएं शिक्षा स्तर ,आवास आदि जैसी जरूरत की सभी चीजों खराब हो जाती हैं जिसके फल स्वरुप वर्तमान में गरीबी एक भयावह समस्या बनती जा रही है।

गरीबी का प्रभाव

गरीबी इंसान को कई तरीके से परेशान और प्रभावित करती है। गरीबी के कई प्रभाव देखने को मिलते हैं जैसे – अशिक्षा ,असुरक्षा ,आहार और पोषण की कमी ,बाल श्रम, रहने के लिए खराब घर, बेरोजगारी, पुरुषों की तुलना में महिलाओं में अधिक गरीबी का सामना। गरीबी का सबसे अधिक प्रभाव उन छोटे बच्चों पर पड़ता है जो पढ़ने लिखने की उम्र में परिवार की आर्थिक स्थिति को देखकर मजदूरी करने के लिए मजबूर हो जाते हैं यहीं से ही बेरोजगारी का जन्म देती है।

गरीबी के कुछ प्रभाव निम्न प्रकार हैं जैसे –

1. अशिक्षा: पैसों की कमी के चलते गरीब घर के बच्चे शिक्षा को प्राप्त करने में असमर्थ होते हैं जिससे बेरोजगारी लगातार बढ़ती ही जाती है। 2. पोषण और संतुलित आहार: निर्धन होने के कारण लोग पर्याप्त संतुलित आहार और पोषण उपलब्ध नहीं कर पाते जिससे खतरनाक बीमारियां और संक्रमक उत्पन्न होता है। 3.बाल मजदूरी: बाल श्रम ही सबसे बड़े स्तर पर अशिक्षा को जन्म देता है क्योंकि जो बच्चे आगे आने वाले भविष्य हैं वही अपना कीमती समय बाल श्रम में बर्बाद कर रहे हैं और अपनी शिक्षा से दूर होकर अपना आने वाला भविष्य बेरोजगारी की ओर ले जा रहे है। 4.आवास की समस्या: गरीबी के अभाव के कारण लोग फुटपाथ, खुली जगह पर ,एक कमरे में कई लोगों एक साथ रहने के लिए विवश होते हैं जो बुरी परिस्थितियों को उत्पन्न करता है। 5.बीमारियां: गरीब होने के कारण मनुष्य पूर्ण रूप से स्वच्छता और सफाई को बनाए रखने के लिए सक्षम नहीं होता है जिससे अनेकों बीमारियां जन्म लेती हैं और निर्धन होने के कारण गरीब लोग उचित इलाज के लिए डॉक्टर पर खर्च करने के लिए उनके पास पैसे भी नहीं होते हैं यहीं से गरीबों में खतरनाक बीमारियां जन्म लेती हैं जो इनके लिए जानलेवा होती है।

गरीबी से पैदा होने वाली समस्याएं

हमारे भारत में कुपोषण भी एक गंभीर बीमारी है जो गरीबी से जुड़ी हुई है गरीबों के चलते पर्याप्त पोषण की कमी बच्चों के शुरुआती विकास में रुकावट विभिन्न बीमारियों जैसी समस्याओं को पैदा करती है जो बच्चों के स्वास्थ्य पर विशेष रूप से हानिकारक प्रभाव डालता है।

कुपोषण के साथ-साथ गरीबी का प्रभाव शिक्षा के क्षेत्र में भी बहुत देखने को मिल रहा है गरीबी शिक्षा के क्षेत्र में एक व्यापक बाधा बनी है जिसका सीधा संबंध बेरोजगारी से है क्योंकि यदि बच्चे शिक्षित ही नहीं होंगे तो देश में बेरोजगारी तो अधिक से अधिक मात्रा मे होगी ही। जिसके चलते व्यक्तियों में गरीबी का जो चक्र है वह निश्चित रूप से कायम ही रहेगा।

गरीबी लोगों में विभाजन को भी बढ़ा देती है। गरीबी, अमीर और गरीबों के बीच की बढ़ती वह खाई है जो केवल धन की नहीं बल्कि असमानता के रूप को भी बढ़ावा देती है। समाज में सामाजिक अशांति , अस्थिरता और भ्रष्टाचार को जन्म देता है जो हमारे सामाजिक सद्भाव के लिए बहुत हानिकारक होता है।

गरीबी दूर करने के उपाय

भारत सहित अन्य देशों में भी गरीबी एक गंभीर समस्या बन गई है जहां लाखों करोड़ों की संख्या में लोग अति निर्धन है जो अपना जीवन प्रतिदिन संघर्षपूर्ण तरीके से व्यतीत कर रहे हैं अपने जीवन की रोजमर्रा की आवश्यकताओं की पूर्ति करने में भी असमर्थ होते हैं इसीलिए सरकार को गरीबी उन्मूलन के लिए निश्चित रूप से उपायों की व्यवस्था करना अति आवश्यक है।

गरीबी को दूर करने के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं जो कि इस प्रकार हैं –

1. आर्थिक विकास की वृद्धि की गति को बढ़ाना

गरीबी की समस्या को दूर करने के लिए विकास और रोजगार को गति के साथ बढ़ावा देना एक मूलभूत उपाय है। गरीबों को दूर करने के लिए खेतों , फैक्टियों तथा कारखाने में अधिक से अधिक मजदूरों को रोजगार उपलब्ध कराने के अवसर प्रदान किए जाने चाहिए। लोगों में जितना अधिक रोजगार होगा गरीबी उतनी ही कम होती जाएगी।

2. जनसंख्या की वृद्धि दर में कमी

गरीबों को कम करने के लिए यह बहुत जरूरी है की जनसंख्या की वृद्धि पर रोक लगाया लगाई जानी चाहिए। लगातार बढ़ती जनसंख्या के कारण बेरोजगारी निरंतर बढ़ती जा रही है अभी तक का यही अनुभव देखा गया है कि जनसंख्या की अधिक वृद्धि होने के कारण राष्ट्रीय आय में वृद्धि धीमी अथवा बाधित हो रही है।

ऐसा देखा गया है कि गरीब परिवारों में ही जन्म दर बहुत अधिक होती है इसे समय रहते इसपर अंकुश लगाना बहुत जरूरी है इसके लिए यह बहुत जरूरी है कि लोगों तक शिक्षा का प्रचार प्रसार का होना को होना बहुत महत्वपूर्ण है।

गरीबी पूरे विश्व की सबसे गंभीर समस्या में से एक है यह भ्रष्टाचार, अशिक्षा तथा भेदभाव जैसी समस्याओं को उत्पन्न करता है जिससे आज पूरा विश्व इससे प्रभावित हो रहा है। गरीबी अब केवल एक इंसान तक ही सीमित नहीं है बल्कि यह एक राष्ट्रीय समस्या बन चुकी है इसीलिए अब यह आवश्यक है कि इसको प्रभावित तरीकों को लागू करके गरीबी को सुलझाना चाहिए।

देश से गरीबी को दूर करने के लिए हम भी अपना कुछ योगदान देके लोगो को हम अपने पुराने कपड़े गरीबों में दान कर सकते हैं, अपने खाली समय में गरीबों के बच्चों को पढ़ सकते हैं,उन्हे खाना खिला कर आदि से हम अपना योगदान दे सकते हैं।

प्रश्न 1- गरीबी के तीन प्रमुख कारण क्या है?

उत्तर -गरीबी के मुख्य तीन कारण बढ़ती जनसंख्या दर और शिक्षा और खराब स्वास्थ्य सुविधाएं हैं।

प्रश्न 2-गरीबों में सबसे गरीब कौन है?

उत्तर – महिलाएं नवजात शिशु और बुजुर्ग यह गरीबों में सबसे गरीब माने जाते हैं।

प्रश्न 3-गरीब किसे कहते हैं?

उत्तर – गरीब व्यक्ति वह होता है जो अपने जीवन की छोटी-छोटी आवश्यकता कि चीजों की पूर्ति करने में भी सक्षम नहीं होता है।

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Neha

नमस्‍कार दोस्‍तों! Hindigrammar.in.net ब्‍लॉग पर आपका हार्दिक स्‍वागत हैं। मेरा नाम नेहा हैं और मुझे हिंदी में लेख लिखना और पढ़ना बहुत पसंद हैं और मैं इस वेबसाइट के माध्‍यम से हिंदी में निबंध लेखन से संबंधित जानकारी शेयर करती हूँ।

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Essay on Poverty in India 300 words

Essay on Poverty in India, “Poverty anywhere is threat to prosperity everywhere”. Poverty is defined as the state when a person is not able to fulfill basic necessities of life and is not able to sustain his family.

Poverty is one of the biggest menaces to the mankind at the global level, and India is no exception to it. India ranks 102 out of 117 nations in global hunger index, which tells the level of poverty.

Though there has been considerable improvement, from 268 million living in poverty in 2011 to 50 million people at present, still India is one of the largest contributor to the poverty.

In India poverty considerations are based on Suresh Tendulkar Committee which shifted considerations from calorie basis to education, health, etc.

There are various causes of poverty like high population but limited resources, unemployment, inflation, illiteracy, poor agricultural infrastructure, etc. And these in turn have lead to the umpteen problems like malnutrition, child labor, child marriage, illiteracy, low per capita income, migration from rural to urban areas, etc.

The Indian government has taken several initiatives in the past and present like Food for work, Mahatma Gandhi national rural employment guarantee act for 100 days employment, Financial inclusion through Jan Dhan Yojana, Ayushman bharat yojana, Saubhagya yojana, Ujjwala yojana, Jan awaas yojana,etc.

There are many other things that can be done like setting up small scale industries, cottage industries to provide employment to the poor, per capita food production should be increased. In Toto the government is doing every effort to uproot this menace but our contribution is needed. For when these ambitious missions get energized by the people participation they become vibrant mass movement and lead to success.

“Poverty is like termite, it will eventually hollow out the nation if allowed to flourish”.

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Essay on Poverty in India

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3. problems students are facing at public k-12 schools.

We asked teachers about how students are doing at their school. Overall, many teachers hold negative views about students’ academic performance and behavior.

  • 48% say the academic performance of most students at their school is fair or poor; a third say it’s good and only 17% say it’s excellent or very good.
  • 49% say students’ behavior at their school is fair or poor; 35% say it’s good and 13% rate it as excellent or very good.

Teachers in elementary, middle and high schools give similar answers when asked about students’ academic performance. But when it comes to students’ behavior, elementary and middle school teachers are more likely than high school teachers to say it’s fair or poor (51% and 54%, respectively, vs. 43%).

A horizontal stacked bar chart showing that many teachers hold negative views about students’ academic performance and behavior.

Teachers from high-poverty schools are more likely than those in medium- and low-poverty schools to say the academic performance and behavior of most students at their school are fair or poor.

The differences between high- and low-poverty schools are particularly striking. Most teachers from high-poverty schools say the academic performance (73%) and behavior (64%) of most students at their school are fair or poor. Much smaller shares of teachers from low-poverty schools say the same (27% for academic performance and 37% for behavior).

In turn, teachers from low-poverty schools are far more likely than those from high-poverty schools to say the academic performance and behavior of most students at their school are excellent or very good.

Lasting impact of the COVID-19 pandemic

A horizontal stacked bar chart showing that most teachers say the pandemic has had a lasting negative impact on students’ behavior, academic performance and emotional well-being.

Among those who have been teaching for at least a year, about eight-in-ten teachers say the lasting impact of the pandemic on students’ behavior, academic performance and emotional well-being has been very or somewhat negative. This includes about a third or more saying that the lasting impact has been very negative in each area.

Shares ranging from 11% to 15% of teachers say the pandemic has had no lasting impact on these aspects of students’ lives, or that the impact has been neither positive nor negative. Only about 5% say that the pandemic has had a positive lasting impact on these things.

A smaller majority of teachers (55%) say the pandemic has had a negative impact on the way parents interact with teachers, with 18% saying its lasting impact has been very negative.

These results are mostly consistent across teachers of different grade levels and school poverty levels.

Major problems at school

When we asked teachers about a range of problems that may affect students who attend their school, the following issues top the list:

  • Poverty (53% say this is a major problem at their school)
  • Chronic absenteeism – that is, students missing a substantial number of school days (49%)
  • Anxiety and depression (48%)

One-in-five say bullying is a major problem among students at their school. Smaller shares of teachers point to drug use (14%), school fights (12%), alcohol use (4%) and gangs (3%).

Differences by school level

A bar chart showing that high school teachers more likely to say chronic absenteeism, anxiety and depression are major problems.

Similar shares of teachers across grade levels say poverty is a major problem at their school, but other problems are more common in middle or high schools:

  • 61% of high school teachers say chronic absenteeism is a major problem at their school, compared with 43% of elementary school teachers and 46% of middle school teachers.
  • 69% of high school teachers and 57% of middle school teachers say anxiety and depression are a major problem, compared with 29% of elementary school teachers.
  • 34% of middle school teachers say bullying is a major problem, compared with 13% of elementary school teachers and 21% of high school teachers.

Not surprisingly, drug use, school fights, alcohol use and gangs are more likely to be viewed as major problems by secondary school teachers than by those teaching in elementary schools.

Differences by poverty level

A dot plot showing that majorities of teachers in medium- and high-poverty schools say chronic absenteeism is a major problem.

Teachers’ views on problems students face at their school also vary by school poverty level.

Majorities of teachers in high- and medium-poverty schools say chronic absenteeism is a major problem where they teach (66% and 58%, respectively). A much smaller share of teachers in low-poverty schools say this (34%).

Bullying, school fights and gangs are viewed as major problems by larger shares of teachers in high-poverty schools than in medium- and low-poverty schools.

When it comes to anxiety and depression, a slightly larger share of teachers in low-poverty schools (51%) than in high-poverty schools (44%) say these are a major problem among students where they teach.  

Discipline practices

A pie chart showing that a majority of teachers say discipline practices at their school are mild.

About two-thirds of teachers (66%) say that the current discipline practices at their school are very or somewhat mild – including 27% who say they’re very mild. Only 2% say the discipline practices at their school are very or somewhat harsh, while 31% say they are neither harsh nor mild.

We also asked teachers about the amount of influence different groups have when it comes to determining discipline practices at their school.

  • 67% say teachers themselves don’t have enough influence. Very few (2%) say teachers have too much influence, and 29% say their influence is about right.

A diverging bar chart showing that two-thirds of teachers say they don’t have enough influence over discipline practices at their school.

  • 31% of teachers say school administrators don’t have enough influence, 22% say they have too much, and 45% say their influence is about right.
  • On balance, teachers are more likely to say parents, their state government and the local school board have too much influence rather than not enough influence in determining discipline practices at their school. Still, substantial shares say these groups have about the right amount of influence.

Teachers from low- and medium-poverty schools (46% each) are more likely than those in high-poverty schools (36%) to say parents have too much influence over discipline practices.

In turn, teachers from high-poverty schools (34%) are more likely than those from low- and medium-poverty schools (17% and 18%, respectively) to say that parents don’t have enough influence.

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Table of contents, ‘back to school’ means anytime from late july to after labor day, depending on where in the u.s. you live, among many u.s. children, reading for fun has become less common, federal data shows, most european students learn english in school, for u.s. teens today, summer means more schooling and less leisure time than in the past, about one-in-six u.s. teachers work second jobs – and not just in the summer, most popular.

About Pew Research Center Pew Research Center is a nonpartisan fact tank that informs the public about the issues, attitudes and trends shaping the world. It conducts public opinion polling, demographic research, media content analysis and other empirical social science research. Pew Research Center does not take policy positions. It is a subsidiary of The Pew Charitable Trusts .

गरीबी पर निबंध इन हिंदी | Essay on Poverty in Hindi

नमस्कार आज का निबंध, गरीबी पर निबंध इन हिंदी Essay on Poverty in Hindi पर दिया गया हैं. सरल भाषा में पोवर्टी पर निबंध दिया गया हैं.

निर्धनता क्या है इसके कारण प्रभाव अभिशाप समस्या समाधान पर स्टूडेंट्स के लिए आसान भाषा में गरीबी का निबंध यहाँ दिया गया हैं.

गरीबी पर निबंध Essay on Poverty in Hindi

गरीबी पर निबंध Essay on Poverty in Hindi

गरीबी अर्थात निर्धनता वह स्थिति है जिसमें व्यक्ति को अपने जीवन की बुनियादी आवश्यकताओं को पूरा करने में विफल रहता है. गरीबी किसी भी देश के लिए अभिशाप से कम नहीं है.

वैसे तो विश्व के अधिकतर देशों में कुल जनसंख्या का कम या अधिक भाग निर्धनता की स्थिति में जीने को विवध है. किन्तु एशिया एवं अफ्रीका के देशों में निर्धनता बहुत पाई जाती है.

निर्धनता गरीबी की परिभाषा सभी देशों के लिए एक सी नहीं हो सकती, क्योंकि निर्धनता का आधार जीवन स्तर को माना जाता है और विकसित देशों में सधार्ट व्यक्ति कही ऊँचे जीवन स्तर पर जी रहा है.

विकसित देशों में जिसके पास अपनी गाड़ी न हो, उसे निर्धन माना जाता है, जबकि विकासशील देशों में निर्धनता की माप का यह पैमाना उपयुक्त नहीं कहा जा सकता.

वैसे तो भारत में अनेक अर्थशास्त्रियों एवं संस्थाओं ने निर्धनता के निर्धारण हेतु अपने अपने प्रमाप बनाए है, किन्तु इस समय देश में निर्धनता रेखा का निर्धारण भोजन में कैलोरी के आधार पर किया गया हैं.

भारत में गरीबी पर निबंध, कारण, प्रभाव, तथ्य Essay on Poverty in India Hindi with Causes, Effects and Facts

भोजन में कैलोरी की मात्रा को आधार बनाकर निर्धनता रेखा का निर्धारण करने के इस तरीके को दांडेकर रथ फार्मूला कहा जाता हैं. भारत में इसका प्रयोग 1971 से हो रहा है.

इसके अनुसार शहरी क्षेत्रों में भोजन प्रतिदिन 2100 कैलोरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में 2400 कैलोरी न पाने वालों को निर्धनता रेखा से नीचे माना जाता है.

योजना आयोग राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन सर्वेक्षणों के आधार पर ही निर्धारित रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहे लोगों की संख्या का आंकलन करता है.

पिछले कुछ वर्षों से निर्धनता रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहे लोगों की पहचान का यह तरीका विवादापस्द बना हुआ हैं, इसलिए नए फ़ॉर्मूले से इसके निर्धारण हेतु अपने फोर्मूलें में प्रति व्यक्ति उपयोग व्यय के आधार बनाते हुए इसे अधिक व्यवहारिक बताया.

इसके अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों में 356 प्रतिमाह से कम एवं शहरी क्षेत्रों में 538 प्रतिमाह से कम उपयोग व्यय करने वाले व्यक्ति को निर्धनता रेखा से नीचे माना जाता है.

इस फ़ॉर्मूले का प्रयोग कर दिसम्बर 2009 में इस समिति ने योजना आयोग को अपनी रिपोर्ट सौपी, जिसमें 2004-05 के दौरान 37 प्रतिशत जनसंख्या को निर्धनता रेखा से नीचे बताया गया.

जबकि पहले वाले फोर्मूलें की सहायता से किये गये आंकलन में 27 प्रतिशत जनसंख्या को ही निर्धनता रेखा से नीचे बताया गया था.

तेंदुलकर समिति ने ग्रामीण क्षेत्रों में 2004-05 में 41.8 प्रतिशत लोगों को निर्धनता रेखा से नीचे बताया, जबकि पहले वाले फोर्मुले से यह 28.3 प्रतिशत आकलित था.

भारत में गरीबी की स्थिति

भारत में सर्वाधिक निर्धनता उड़ीसा में है, जहाँ 46.4 प्रतिशत लोग निर्धनता रेखा के नीचे जीवन यापन कर रहे है. इसके अलावा बिहार, उत्तर प्रदेश, छतीसगढ़, झारखंड देश के ऐसे राज्य है जहाँ पर अत्यधिक गरीबी है. दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, केरल आदि प्रान्तों में निर्धनता की स्थिति अपेक्षाकृत कम है.

हमारे देश में निर्धनता के कई कारण है, जनसंख्या में तेजी से हो रही वृद्धि इसका एक सबसे बड़ा कारण है. बढ़ती जनसंख्या के जीवन निर्वहन हेतु अधिक रोजगार स्रजन की आवश्यकता होती है.

ऐसा न होने पर बेरोजगारी में वृद्धि के फलस्वरूप निर्धनता की स्थिति में भी वृद्धि होती हैं. भारत में व्यवहारिक के बजाय सैद्धांतिक शिक्षा पर जोर दिया जाता है. फलस्वरूप व्यक्ति के पास उच्च शिक्षा की उपाधि तो होती हैं.

लेकिन न तो वह किसी भी काम में कुशल है और न ही वह व्यक्तिगत व्यवसाय शुरू करने में रूचि रखता है। इस तरह, दोषपूर्ण शिक्षा प्रणाली के कारण, लोग अपनी आजीविका कमाने और गरीबी में रहने में असमर्थ हैं। इससे पहले, अधिकांश ग्रामीण कॉटेज अपनी आजीविका चलाने के लिए इस्तेमाल करते थे।

ब्रिटिश सरकार की घरेलू-घरेलू नीतियों के कारण, वे देश में गिर गए हैं, जिसके परिणामस्वरूप ग्रामीण बेरोजगारी में वृद्धि के कारण गांवों की अर्थव्यवस्था का क्षरण हुआ और देश में गरीबी में वृद्धि हुई।

हमारा देश प्राकृतिक संसाधनों के साथ संपन्न है, लेकिन कृषि की पिछड़ेपन के कारण, औद्योगीकरण की धीमी प्रक्रिया के कारण लोग वर्षों से रोजगार नहीं पा रहे हैं, तेजी से बढ़ती आबादी के लिए रोजगार प्रदान करना संभव नहीं है, और अधिकांश लोग गरीबी की स्थिति में रहने के लिए लगातार।

गरीबी के कई प्रतिकूल प्रभाव हैं। गरीबी के कारण, भुखमरी की समस्या उत्पन्न होती है। गरीबी के कारण, मानसिक अशांति के लोग चोरी, चोरी, हिंसा और अपराध के प्रति अपराध के लिए पूरी तरह जिम्मेदार रहते हैं।

अपराध और हिंसा में वृद्धि का सबसे बड़ा कारण गरीबी और बेरोजगारी है। कई बार, गरीबी की भयानक स्थिति में परेशान होने के बावजूद, लोग आत्महत्या करते हैं।

गाँवों के निर्धन लोगों का लाभ उठाकर एक ओर जहाँ स्वार्थी राजनेता इनका दुरूपयोग करते हैं वही दूसरी ओर धनिक वर्ग इनका शोषण करने से भी नही चूकते. ऐसी स्थिति में देश का राजनीतिक एवं सामाजिक वातावरण अत्यंत दूषित हो जाता हैं.

  • गरीब, गरीबी शायरी
  • भारत में गरीबी हटाओं पर निबंध 
  • गरीबी पर सुविचार 
  • शहरीकरण, नगरीकरण पर निबंध

उम्मीद करता हूँ दोस्तों गरीबी पर निबंध इन हिंदी Essay on Poverty in Hindi का यह निबंध आपको पसंद आया होगा.

यदि आपको भारत में गरीबी की समस्या पर दिया गया निबंध पसंद आया हो तो अपने दोस्तों के साथ जरुर शेयर करें.

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गरीबी पर निबंध-Poverty Essay in Hindi

Poverty Essay in Hindi

Poverty Essay in Hindi :   इस लेख में 3 अलग-अलग प्रकार के गरीबी पर निबंध  लिखे गए हैं। यह निबंध हिंदी भाषा में लिखा गया है और शब्द गणना के अनुसार व्यवस्थित किया गया है। आप नीचे दिए गए पैराग्राफ में 100 शब्दों, 200 शब्दों, 400 शब्दों, 500 और 1000 शब्दों तक के निबंध प्राप्त कर सकते हैं।

हमने अपने गरीबी पर निबंध   के बारे में बहुत सी बातें तैयार की हैं। यह कक्षा 1, 2,3,4,5,6,7,8,9 से 10वीं तक के बच्चों को गरीबी पर निबंध  लिखने में मददगार होगा।

गरीबी पर निबंध 100 शब्द – Poverty Essay in Hindi In 100 words

जीवन में कई आवश्यक तत्व हैं जो बेहतर अस्तित्व में योगदान करते हैं। कुछ भोजन, वस्त्र, आश्रय, दवा, शिक्षा और अन्य आवश्यक वस्तुएं हैं। समान मानवाधिकार होना भी एक शर्त है। पर्याप्त आश्रय, कपड़े, नैतिक अधिकार और शैक्षिक सहायता के बिना लोग भूखे मरने को मजबूर हैं।

गरीबी समान मानवाधिकार होने से भी बदतर स्थिति है। किसी भी देश में गरीबी कई कारणों से हो सकती है, लेकिन देश के निवासियों के बीच समाधान का पालन करने के लिए एकता की कमी मुद्दों की ओर ले जाती है। इसकी वजह से भी हर गुजरते दिन के साथ गरीबी दर तेजी से बढ़ रही है।

चूंकि अधिकांश गरीब लोग अपनी स्वास्थ्य स्थिति को बनाए नहीं रख सकते हैं और ऐसी स्थितियों में उचित चिकित्सा सहायता प्राप्त नहीं कर सकते हैं, महामारी रोगों का प्रसार भी किसी भी देश में गरीबी की बढ़ती दर में योगदान देता है। अस्वच्छ और अस्वास्थ्यकर भोजन और पानी के कारण, और अस्वास्थ्यकर परिस्थितियों में रहने के कारण, जो लोग गरीब हैं वे सेवा प्रदाताओं से देखभाल प्राप्त करने में असमर्थ हैं और बीमारियों और बीमारियों के लिए और भी अधिक जोखिम में हैं।

गरीबी पर निबंध 300 शब्द – Poverty Essay in Hindi In 300 words

गरीब लोगों के पास इतना पैसा नहीं है कि वे एक संपूर्ण और स्वस्थ मानव जीवन जीने के लिए आवश्यक चीजों को वहन कर सकें। इसका मतलब यह है कि वे दो वक्त के संपूर्ण भोजन की व्यवस्था करने और स्वस्थ, पौष्टिक आहार लेने में असमर्थ हैं। नतीजतन, कई अलग-अलग मानदंडों का उपयोग करके गरीबी को परिभाषित किया जा सकता है।

भारत और अफ्रीका जैसे देशों में, जो अविकसित या विकासशील हैं, गरीबी सबसे आम सामाजिक मुद्दा है। दुनिया के विकसित देशों की तुलना में इन देशों में गरीबी दर अधिक है। इनमें से लगभग एक तिहाई लोग अपनी बुनियादी जरूरतों को पूरा करने में असमर्थ हैं क्योंकि उनके पास बेहतर भुगतान के अवसरों और आय तक पहुंच नहीं है। इन देशों में बड़ी संख्या में अनपढ़, भूखे और बेघर लोग रहते हैं।

देश की अर्थव्यवस्था, समाज और राजनीति सभी गरीबी से प्रभावित हैं। कई गरीब लोगों के पास अपनी सभी जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त धन की कमी होती है और स्वच्छ पानी और दो दिन के भोजन जैसी कई सुविधाओं तक पहुंच के बिना अपना पूरा जीवन व्यतीत करते हैं। गरीब लोगों को अपना जीवन यापन करने के लिए गलत काम करना पड़ता है और अपराध करना पड़ता है।

एक देश की गरीबी विभिन्न कारकों के कारण होती है, और भारत में, उन कारकों में ब्रिटिश शासन, गुलामी की स्थिति और बीमारियों की बढ़ती महामारी शामिल हैं। कम आय वाले परिवारों के पास अपने बच्चों के लिए पर्याप्त शिक्षा और चिकित्सा सहायता भी नहीं है। तुलनात्मक रूप से अधिक समृद्ध लोगों की पहुँच बहुत अधिक आधुनिक उन्नति तक है, जिसके बारे में उनमें से बहुत से लोग अनजान हैं।

Poverty Essay in Hindi

गरीबी पर निबंध 1000 शब्द – Poverty Essay in Hindi In 1000 words

गरीबी एक ऐसी स्थिति या स्थिति है जिसमें एक व्यक्ति या पूरे समुदाय के पास वित्तीय संसाधन नहीं होते हैं और जीवन स्तर के लिए आवश्यक बुनियादी आवश्यक चीजें नहीं होती हैं।

इस मामले में न्यूनतम जीवन स्तर के लिए अनिवार्यताएं अनुपस्थित हैं। इस अवस्था में व्यक्ति का आय स्तर इतना निम्न होता है कि उसकी मूलभूत मानवीय आवश्यकताओं की पूर्ति नहीं हो पाती है।भारत में इतनी बड़ी गरीबी के कई कारण हैं, लेकिन संक्षेप में, जनसंख्या विस्फोट, कीमतों में वृद्धि, कर्ज का जाल, कम कृषि उत्पादकता और उचित सरकारी विकास की कमी इसके एकमात्र कारण हैं।

इन कारकों ने गरीबी के स्तर को बढ़ाया है और अमीर और गरीब के बीच की खाई को भी बढ़ाया है। ग़रीब और ग़रीब होते जा रहे हैं, जबकि अमीर अधिक समृद्ध होते जा रहे हैं। इससे भारतीय अर्थव्यवस्था में समस्या और बढ़ गई है। गरीबी न केवल एक व्यक्ति, उनके परिवार या उनके समुदाय को प्रभावित करती है, बल्कि यह समग्र रूप से देश की अर्थव्यवस्था को प्रभावित करती है।

कुल मिलाकर, भारतीय अर्थव्यवस्था उत्पादित उत्पादन पर निर्भर करती है, और गरीबी ऐसे मामलों में दक्षता कम कर देती है।

गरीबी क्या है?

गरीबी एक इंसान के लिए बेहद गरीब होने की स्थिति है। इस स्थिति में, व्यक्ति को अपने जीवन में बुनियादी महत्वपूर्ण चीजों की कमी होने लगती है: अपने जीवन को जारी रखने के लिए सिर पर छत, आवश्यक भोजन, दवा, कपड़े आदि। गरीबी के कई कारण हो सकते हैं।

भारत में गरीबी में कम आय और एक व्यक्ति की गरिमा के साथ जीवित रहने के लिए आवश्यक बुनियादी वस्तुओं और सेवाओं को प्राप्त करने में असमर्थता शामिल है। इसमें स्वास्थ्य और शिक्षा के निम्न स्तर भी शामिल हैं।

इसमें साफ पानी और स्वच्छता की खराब पहुंच, अपर्याप्त भौतिक सुरक्षा, अपर्याप्त क्षमता और बेहतर जीवन जीने का अवसर भी शामिल है।

भारत में गरीबी के कारण

गरीबी मानव जीवन की एक भयानक समस्या है। गरीबी एक गुलाम व्यक्ति की तरह है जो अपनी मर्जी का काम नहीं कर सकता। गरीबी के कई चेहरे होते हैं, जो स्थान, समय और व्यक्ति के अनुसार बदलते रहते हैं।

एक व्यक्ति इसे कई तरह से परिभाषित करता है जैसे वे अपने जीवन में रहते हैं और महसूस करते हैं। यह एक ऐसी स्थिति है जिसे कोई भी अनुभव नहीं करना चाहेगा, हालाँकि इसे प्रकृति, रीति-रिवाज, उचित शिक्षा की कमी और प्राकृतिक आपदाओं के कारण करना पड़ता है।

प्राचीन काल से लेकर मुगल काल तक भारत का हमेशा एक समृद्ध इतिहास रहा है। इतिहासकार इस जगह को “सोने की चिड़िया” कहते हैं। इसके पास सोने और अन्य संसाधनों का विशाल भंडार है।लेकिन समय के साथ आक्रमणकारियों ने इन संसाधनों को लूट लिया और इस देश का आर्थिक स्वास्थ्य धीरे-धीरे बिगड़ने लगा।

इस देश को हुई बड़ी और महत्वपूर्ण क्षति के लिए पूरी तरह से उपनिवेशवादी जिम्मेदार हैं। उन्होंने व्यापारियों के रूप में प्रवेश किया और धीरे-धीरे विभिन्न क्षेत्रों पर एकाधिकार जमाना शुरू कर दिया।

19वीं और 20वीं शताब्दी के दौरान ब्रिटिश राज में भारत में गरीबी का उदय हुआ। उद्योगों का विस्तार और कृषि निर्यात दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है। ज्यादातर ऐसे लोगों पर खेती करने को थोपा गया जो पेशे से किसान नहीं थे।

अंग्रेजों के शोषण के कारण मजदूर दिन भर के लिए उचित भोजन नहीं कर पाते थे। 1943 तक गरीबी इस हद तक पहुँच चुकी थी कि लोग भुखमरी से मरने लगे थे। सर एंटनी मैकडॉनेल के अनुसार लोग भुखमरी के कारण मक्खियों की तरह मरते हैं।

भारत में गरीबी के प्रभाव

इसके प्रभाव दूरगामी हैं। कुल मिलाकर स्वास्थ्य की स्थिति इसके कारण ही प्रभावित होती है। इसके अलावा, ये लोग कुपोषित भी हैं। बच्चों द्वारा खाए जाने वाले अधिकांश भोजन में से संतुलित और पौष्टिक आहार अनुपस्थित होते हैं।

नतीजतन, उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली केवल प्रभावित होती है, जिससे उन्हें कई बीमारियों का खतरा होता है। यह उन्हें एनीमिया, हृदय संबंधी समस्याओं, खराब दृष्टि आदि के लिए अतिसंवेदनशील बनाता है।

एक हालिया अध्ययन से पता चलता है कि प्रत्येक 1000 शिशुओं में से लगभग 40 की मृत्यु एक वर्ष की आयु के भीतर हो जाती है। गरीबी से ग्रस्त समाज हिंसा और अपराध के प्रति अधिक संवेदनशील होता है। गरीब लोग अपना पेट भरने के लिए आपराधिक गतिविधियों में लिप्त हो जाते हैं।

बेघर होना भारत में गरीबी से जुड़ा एक विशिष्ट मुद्दा है। यह अंततः महिला की सुरक्षा को जोखिम में डालता है, और यह भारत में बाल श्रम को भी बढ़ावा देता है। इससे आतंकवाद का विकास भी हुआ।

भारत में गरीबी कैसे कम करें?

यह कोई ऐसी समस्या नहीं है जिसे एक हफ्ते या एक साल में सुलझाया जा सके। गरीबी के उन्मूलन के लिए गरीबी रेखा से नीचे आने वाली आबादी को पूरा करने वाली कुछ नीतियों को लागू करने के लिए देश की सरकार से सावधानीपूर्वक योजना बनाने की आवश्यकता है।

निरक्षरता और बेरोजगारी भारत में गरीबी में योगदान देने वाले अन्य दो कारक हैं। इस समस्या से केवल उचित शिक्षा और वित्तीय सहायता से ही निपटा जा सकता है।

शिक्षा तक पहुंच उच्च शिक्षा को बढ़ावा दे सकती है और उच्च शिक्षा ऐसे व्यक्तियों की रोजगार क्षमता बढ़ा सकती है। इस तरह, जैसे-जैसे व्यक्ति कमाई करना शुरू करता है, वैसे-वैसे गरीबी को बढ़ाया जा सकता है। भारत में गरीबी से निपटने के लिए शिक्षा सबसे प्रभावी तरीका है।

भारत में गरीबी उन्मूलन के लिए निम्नलिखित विशेषताएं अपनाई जानी चाहिए-

1)भारत सरकार को गरीबी से त्रस्त क्षेत्र में निवेश करना चाहिए। 2)भारत में रोजगार के अवसर बढ़ाना। 3)अशिक्षित मजदूरों को कुशल प्रशिक्षण प्रदान किया जाना चाहिए। 4)मुफ्त शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा मुहैया कराई जाए। 5)सार्वजनिक वितरण प्रणाली अपने कर्तव्यों में प्रभावी होनी चाहिए। जो लोग गरीबी रेखा से नीचे हैं उन्हें मुफ्त भोजन और ताजे पानी का उपयोग करने में सक्षम होना चाहिए। 6)बढ़ती जनसंख्या पर लगाम लगनी चाहिए। जन्म नियंत्रण को बढ़ावा देने वाली कई योजनाओं को लागू किया जाना चाहिए। 7)किसानों को उचित कृषि संसाधन उपलब्ध कराए जाने चाहिए। इस तरह उनका मुनाफा भी बढ़ाया जा सकता है। नतीजतन, वे भोजन की तलाश में शहरी क्षेत्रों में नहीं जाएंगे।

गरीबी मानव जीवन की वह समस्या है, जिससे पीड़ित व्यक्ति जीवन में मूलभूत सुविधाएं भी प्राप्त नहीं कर पाता है। सरकार और विभिन्न गैर सरकारी संगठनों ने गरीबी को कम करने के लिए कई उपाय किए हैं। इसलिए, भारत के आसपास जीवन स्तर में सुधार किया जा सकता है।

हिंदी में गरीबी निबंध पर 10 लाइनें – 10 Lines On Poverty Essay in Hindi

1)यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें व्यक्ति अपनी बुनियादी जरूरतों को पूरा करने में असमर्थ होता है। 2)गरीबी छह प्रकार की होती है: स्थितिजन्य, पीढ़ीगत, निरपेक्ष, सापेक्ष, ग्रामीण और शहरी। स्थितिजन्य गरीबी प्रकृति में अस्थायी है और नुकसान या संकट के कारण होती है। 3)गरीबी नकारात्मक स्थितियों से जुड़ी हुई है जैसे बेघर होना, खाद्य असुरक्षा, अपर्याप्त बाल देखभाल, आदि। 4)तेजी से बढ़ती जनसंख्या इस गरीबी का एकमात्र कारण है। 5)भारत गरीबी रेखा के नीचे रहने वाली सबसे अधिक आबादी वाला देश है। 6)नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार भारत की 25% आबादी गरीब है। 7)झारखंड, बिहार और यूपी जैसे राज्यों में भारत में सबसे ज्यादा गरीबी है। 8)राष्ट्रीय MPI मापन के लिए बारह संकेतकों का उपयोग किया जाता है। 9)भारतीय आबादी का 7% बेहद खराब परिस्थितियों में रह रहा है। 10)भारतीयों का एक छोटा प्रतिशत, यानी 0.6%, हर मिनट बेहद खराब परिस्थितियों से बच रहा है।

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