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पर्यावरण की रक्षा कैसे करें पर निबंध (How to Protect the Environment Essay in Hindi)

हमारे चारों ओर फैली सभी चीजों को ही पर्यावरण के रुप में परिभाषीत किया जाता है, हमारी पृथ्वी के चारों तरफ पाए जाने वाले प्राकृतिक संसाधनों को ही हम पर्यावरण कहते है। यही हमारे ग्रह पर जीवन को बनाए रखने में सहायक होती है और हमें अधिक से अधिक प्राकृतिक संसाधन उपल्बध कराती है। मैंने विभिन्न शब्द सीमाओं में तीन निबंध दिए है।

पर्यावरण की रक्षा कैसे करें पर छोटे और बड़े निबंध (Short and Long Essays on How to Protect the Environment, Paryavaran ki Raksha kaise karen par Nibandh Hindi mein)

पर्यावरण की रक्षा कैसे करें पर निबंध – 1 (250 – 300 शब्द).

जीवन को स्वच्छ और स्वस्थ्य बनाए रखने के लिए हमारे पर्यावरण का स्वच्छ होना बहुत आवश्यक होता है। फिर भी हम सभी जिस वातावरण में रहते है, हम स्वयं ही उसे अपने कार्यों से क्षतिग्रस्त करते है।

पर्यावरण संरक्षण के तरीके

प्लास्टिक बैग और उसके उत्पादों के उपयोग पर प्रतिबंध लगाएं।यह सुनिश्चित करें कि आपके घर के कचरे को सही चैनल के साथ अलग-अलग किया गया है या नहीं।कचरे को फैलने से रोकें और दूसरों को भी इसे रोकने के लिए प्रोत्साहित करें।रासायनिक उर्वरकों और किटनाशकों के उपयोग से बचे और जैविक पदार्थों का उपयोग करें।वाहनों से निकलने वाले घुएं को कम करे, ये हमारे पर्यावरण को भारी नुकसान पहुचाते है।जंगलों को बचाएं और पेड़ लगाएं क्योंकि ये पर्यावरण के लिए फेफड़ों जैसा काम करते है।भूतल या सतह जल का उपयोग कम से कम करने का प्रयास करे।

पर्यावरण संरक्षण में छात्रों की भूमिका

पर्यावरण के संरक्षण में छात्र बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है। वो बहुत संवेदनशील और ग्रहणशील होते है, और वे बहुत उदारता से कोई भी सलाह या सुझाव लेते है। यहां ऐसे कई स्कूल है जो कि स्वच्छता अभियानों में बहुत ही सक्रीय रुप से भाग लेते है। छात्र बहुत ही उर्जा और उत्साह से भरे होते है और ऐसे अभियानों में उनका कार्य बहुत ही अतुलनीय होता

यह बहुत ही महत्वपूर्ण है कि हम अपने पर्यावरण को सुरक्षित और प्रदूषण मुक्त रखें। पर्यावरण के संरक्षण के लिए हमें सक्रिय कदम उठाने चहिये और युवा पीढ़ी को भी इसमें शामिल करने की तत्काल आवश्यकता है।

निबंध 2 (400 शब्द) – पर्यावरण स्वास्थ्य में कैसे सुधार करें

हमे चारों तरफ से घेरने वाली हर चीज को हम पर्यावरण के रुप में परिभाषित करते है। इस परिभाषा का अनुसरण करते हुए हमारे पर्यावरण में शामिल हैं – वायु, मिट्टी, जल, जंगल, पौधें, पहाड़, महासागर, समुद्री जीव, आदि। इसलिए यह हमारी जिम्मेदारी होती है कि हम अपने हित के लिए पर्यावरण की रक्षा करे। इस निबंध में हम पर्यावरण में सुधार और पर्यावरण संरक्षण में छात्रों की भूमिका के बारे में चर्चा करेंगें।

पर्यावरण के स्वास्थ में सुधार कैसे करें

कई तरीकों से हम अपने पर्यावरण की स्थिती में सुधार कर सकते है, लेकिन उनमें से कुछ महत्वपूर्ण बातें नीचे दी गयी है –

  • पुनःनिर्माण और उसका उपयोग

पर्यावरण को प्रदूषित करने वाले बहुत सारे कचरों में डंप की गई बहुत सी घरेलू सामग्रियां होती है जो कि घरेलू उपयोग में नही होती है, जैसे कि – प्लास्टिक और कांच की बोतेलें, टिन के डिब्बे, टूटे हुए कम्प्यूटर, या अन्य प्लास्टिक की चीजें, कपड़े, इत्यादि। ये सारे अपशिष्ट पदार्थ मिट्टी और पानी में पहुच जाते है। वे वहां वर्षों तक रहते है, और उन्हें प्रदूषित करते है और उनकी गुणवत्ता को हानी पहुंचाते है। यदि हम इन्हें पर्यावरण में फेकने के बजाय इन्हें फिर से रीसायकल करने के आसान से तरीके को अपनाते है तो हम पर्यावरण को बचाने की दिशा में एक बड़ा काम कर सकते है।

  • पेड़ों की रक्षा करें

पेड़ इस ग्रह के फेफड़े की तरह है, यह पर्यावरण के बहुत ही आवश्यक सदस्य है। यह फिल्टर की तरह कार्य करते है और किसी भी जगह के हवा की गुणवत्ता को उच्च बनाए रखने का कार्य करती है। ये कार्बन डाइऑक्साइड का सेवन करती है और जीवन के लिए आवश्यक ऑक्सीजन का उत्सर्जन करती है। पेड़ों को बनाए रखने के लिए लाखों जीवन रुपों का उल्लेख करने की आवश्यकता नही है, ये केवल पक्षियों, कीड़े, सरीसृप, इत्यादि पर ही जीवित रह सकते है। हम जितने ही अधिक पेड़ों की रक्षा करेंगे, हम पर्यावरण के स्वास्थ्य सुधार में उतना ही योगदान कर सकेंगे।

  • कूड़ा न फैलाएं

आप में से कितने ही लोगों ने समुद्र के तटों पर, स्मारकों और बाजारों वाली जगहों पर प्लास्टिक की थैलियों, बोतलों, खाने के पैकेटों आदि को देखा होगा। इस प्रकार के कूड़े साधारणतः सड़ते है और हमारे पर्यावरण को बहुत ही ज्यादा नुकसान पहुंचाते है। पर्यावरण को प्रदूषण से बचाने के लिए सबसे अच्छा तरीका है कि हम कूड़ा न करें। कचरे को कूड़ेदान में डालने की आदत को अपनाए। जब आपके आसपास एक भी कूड़े का कचरा दिखाई दे तब तक यह कार्य सफल नही होगा।

  • शिक्षित और प्रेरित करे

हम सभी शिक्षित है और हम अन्य लोगों को पर्यावरण को कैसे सुरक्षित रखने के लिए जागरुक कर सकते है। युवाओं और बच्चों को सिखाने या पढ़ाने पर विशेष रुप से जोर देना चाहिए। जब युवा बच्चों को पर्यावरण के मूल्यों के बारे में बताया और सिखाया जाता है, तो बड़े होने पर वो इनके महत्व को अच्छी तरह से समझते है। हमें दूसरों को पेड़ लगाने और स्वच्छता अभियान के आयोजनों के लिए अधिक प्रेरित करने की आवश्यकता है।

पर्यावरण का संरक्षण हम सभी मनुष्यों के ही हाथों में है। केवल मनुष्य ही इसके लिए पहल कर सकता है और पर्यावरण को बचा सकता है, जिससे कि इस ग्रह पर जीवन की रक्षा होगी।

निबंध 3 (600 शब्द) – पर्यावरण को संरक्षित करने के कारण और तरीके

आमतौर पर हमारे चारों ओर फैली सभी चीज़ें ही पर्यावरण कहलाती है। पेड, पौधे, जंगल नदियाँ और हमारे चारो ओर फैली चीजे ही प्राकृतिक वातावरण है। दुर्भाग्य से हमारा प्राकृतिक वातावरण मानव की गतिविधियों के कारण ही खतरे में है। मनुष्य पर्यावरण को रोजाना ही नुकसान पहुचा रहा है, हमें इसके संरक्षण के लिए आवश्यक और कठोर कदम उठाने की जरूरत है। इस निबंध में हम इस बात पर चर्चा करेगें कि हमें पर्यावरण की रक्षा करने की आवश्यकता क्यों है और हम ऐसा कैसे कर सकते है।

हमें पर्यावरण की रक्षा करने की आवश्यकता क्यों है ?

पर्यावरण ही हमारा घर है। यह वही जगह है जहां हम रहते है। वास्तव में यह जीवन के लिए बहुत ही आवश्यक होता है। नीचे कुछ मुख्य कारणों को दर्षाया गया है कि हमें पर्यावरण की रक्षा क्यों करनी चाहिए।

  • ये हमें भोजन देते है

हमारा पर्यावरण हमारे भोजन का प्रमुख श्रोत है जो हम खाते है। सभी तरह के अनाज से लेकर फल, सब्जीयां, इत्यादि हमें सबकुछ पर्यावरण से ही मिलता है। क्या इतनी बड़ी आबादी के लिए प्रचुर मात्रा में खाद्य आपूर्ति के बिना जीवित रहना संभव होगा? पर्यावरण को नुकसान कर हम अपने ही खाद्य आपूर्ति में बाधा डाल रहे है।

  • आवश्यक जीवन तत्वों की आपूर्ति (प्राकृतिक संसाधन)

पर्यावरण हमें दो अति आवश्यक तत्व प्रदान करता है, जो हमारे जीवन के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है – हवा और जल। हम सभी को जीवित रहने के लिए हवा की जरुरत होती है, चाहे वह जानवर हो, पौधें हो, या फिर जलीय जीव-जन्तु हो, सभी को ऑक्सीजन और ताजी हवा की जरूरत होती है। जल भी एक अन्य जरूरी जीवन निर्वाह तत्व है। यदि हम अपने पर्यावरण को नुकसान पहुचाते है, तो हम खुद ही अपनी हवा और पानी की आपूर्ति में कटौती कर रहें हैं।

  • आजीविका बनाए रखती है

दुनियाभर के अरबों लोग अपनी आजीविका के लिए केवल पर्यावरण पर ही निर्भर रहते है। उन्होंने कई व्यापार संसाधनों को इस पर्यावरण से ही प्राप्त किया है। किसान, फल विक्रेता, मछुआरे, इत्यादि सभी जीने के लिए पर्यावरण पर ही निर्भर है।

  • पूर्ण रूप से इकोसिस्टम का समर्थन करता है

एक संतुलित और बिना क्षतिग्रस्त पर्यावरण पूर्णतः पारिस्थितिकी तंत्र का इस तरह से समर्थन करता है कि यह जीवन का सहायक बन जाता है। एक संतुलित पारिस्थितिकी तंत्र के साथ जीवन फलता-फूलता है और प्रजातियों का विस्तार करता है।

हम पर्यावरण का संरक्षण कैसे कर सकते है – 5 सरल तरीके?

नीचे हम पर्यावरण संरक्षण के पांच सरल तरीकों के बारे में जानेंगे –

  • अपशिष्ट नियंत्रण

कचरे का अनुचित निपटारे की समस्या ही आज हमारे पर्यावरण के लिए खतरे का कारण है। कचरा सिर्फ पर्यावरण में ही नही फैलता बल्कि ये हमारे मिट्टी, पानी और हवा में जाकर उन्हें प्रदूषित करता है। पर्यावरण की क्षति को कम करने के लिए उचित अपशिष्ट तकनीकीयों का नियोजन करना आवश्यक है।

  • वर्षा जल संचयन

पानी या तो सतह का हो या भूमिगत यह एक आवश्यक संसाधन है, जो पर्यावरण के स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। यदि ये पानी सूखते चले गए तो पर्यावरण का क्या होगा। वर्षा जल का संचयन पानी और पर्यावरण को बचाने का एक अच्छा तरीका है।

  • इको-फ्रेंडली बनें

पर्यावरण के हित के लिए सबसे बेहतर होगा कि हम पर्यावरण के प्रति प्रेम भाव रखें या पर्यावरण के प्रति हम प्रेमी बने। इसके लिए हम ऐसा कर सकते है कि प्लास्टिक की चीजों की जगह हम बायोडिग्रेडेबल कैरी बैग का इस्तेमाल करें, पेपर बैग्स का इस्तेमाल करें, पेड़ लगाकर और स्वच्छता अभियानों में भाग लेकर हम आपने पर्यावरण के सुधार में योगदान कर सकते है।

  • रासायनों से दूर रहें

जहां तक संभव हो, मुख्य रुप से कृषि के क्षेत्र में रासायनों के उपयोग से बचने की कोशिश करें। यदि इसे टाला नही जा सकता है तो यह सुनिश्चित करें कि उसका कम से कम इस्तेमाल हो ताकि कोई भी रासायन पर्यावरण तक न पहुच सके और वह उपयोग के बाद बेअसर हो जाए।

  • ड्राइव कम करे और अधिक चलें

वाहन, आज पर्यावरण प्रदूषण का मुख्य स्रोत या कारण बन गया है। इससे निकलने वाली जहरीली और हानिकारक गैसों का उत्सर्जन पर्यावरण को प्रदूषित करता है। यदि हम वाहनों का तभी इस्तेमाल करे जब यह बहुत ही आवश्यक हो, तो हम पर्यावरण को स्वच्छ और स्वस्थ बनाने में अपना सहयोग कर सकेंगे।

पर्यावरण वह जगह है जहां हम रहते है और इसे गंदा करना आपके लिए आखिरी चीज हो सकती है, जो आप करना चाहते है। यह हमारा कर्तव्य बनता है कि हम अपने पर्यावरण को स्वच्छ और जीवन को सुरक्षित बनाए रखने में अपना सहयोग करे, यह न केवल अपने लिए बल्कि अन्य जीवों के लिए भी यह बहुत आवश्यक है।

Essay on How to protect the Environment

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पर्यावरण की सुरक्षा | paryvaran ki suraksha hindi essay.

Paryvaran Ki Suraksha Hindi Essay

icse question -  पर्यावरण है तो मानव है’ विषय को आधार बनाकर पर्यावरण सुरक्षा को लेकर आप क्या-क्या प्रयास कर रहे हैं ? विस्तार से लिखिए।

100 Words - 150 Words 

पर्यावरण सुरक्षा विश्वास का विषय है जो हमारे प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा करता है । यह मानव और सभी प्राणियों के जीवन के लिए आवश्यक है । प्रदूषण , वनों का कटाव , जलवायु परिवर्तन , और विकास के लिए अनुशासनहीनता पर्यावरण को खतरे में डालते हैं । हमें अपने उच्च जीवन शैली को संतुलित करने और प्रकृति के साथ सद्भाव से रहने की आवश्यकता है ।  

पर्यावरण सुरक्षा के लिए हमें संबंधित विषयों पर शिक्षा , संगठन , और कानूनी कदम उठाने की आवश्यकता है । वन्यजीवन की संरक्षण , बिजली और पानी के सही उपयोग , और विकासी योजनाओं की पर्याप्त पर्यावरणीय प्रतिबद्धता हमारे लिए आवश्यक हैं । हम सभी को इस बड़े परिवर्तन में अपना योगदान देना होगा और सुरक्षित पर्यावरण का आनंद उठाने के लिए एकजुट होना होगा ।  

200 Words - 250 Words

पर्यावरण सुरक्षा एक महत्वपूर्ण विषय है जो हमारे प्राकृतिक संसाधनों, जीवजंतुओं, और मानव समृद्धि की रक्षा करता है। पर्यावरण हमारे जीवन के लिए अनमोल है और उसकी रक्षा हमारा कर्तव्य है। हालांकि, आधुनिक जीवनशैली, विकास, और औद्योगिकी के कारण पर्यावरण को कई तरीकों से नुकसान पहुंचा रहा है।  

वन्यजीवन का नष्ट होना, जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, और जमीन का अतिक्रमण कुछ मुख्य पर्यावरण समस्याएं हैं। इन समस्याओं का समाधान न केवल सरकारी तंत्रों द्वारा बल्कि हर व्यक्ति के सहयोग से किया जा सकता है।  

पर्यावरण सुरक्षा के लिए हमें अपने उत्पादन और उपभोग के तरीकों में सुधार करने की आवश्यकता है। हमें बचाते और पुनर्चक्रण की अधिक प्रवृत्ति करनी चाहिए। विद्युत् ऊर्जा और पेयजल के उपयोग को बढ़ावा देना चाहिए और अनावश्यक उपभोग से बचना चाहिए। वन्यजीवन को संरक्षित करने और प्राकृतिक संसाधनों का सही उपयोग करने का ध्यान रखना भी जरूरी है।  

वैश्विक स्तर पर, हमें संगठित रूप से सहयोग करके पर्यावरण संरक्षण के लिए कदम उठाने की आवश्यकता है। विभिन्न देशों को आपसी समझदारी से परस्पर सहायता करनी चाहिए।  

इस प्रकार, हम सभी को साथ मिलकर पर्यावरण सुरक्षा के लिए संघर्ष करना होगा। हमारे छोटे-छोटे कदम भी बड़े परिवर्तन का हिस्सा बन सकते हैं और एक स्वच्छ और हरित पर्यावरण के निर्माण में सहायक साबित हो सकते हैं।  

पर्यावरण हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जिसका हमारे स्वास्थ्य, समृद्धि, और समस्त प्राकृतिक जीवन के साथ सीधा संबंध होता है। यह हमें ऊर्जा, खान-पान, और विभिन्न अन्य जीवन जरूरियतों के रूप में सबकुछ प्रदान करता है। यहां तक कि प्राचीन समय से ही मनुष्य ने पर्यावरण की संरक्षण की जिम्मेदारी को समझा और विभिन्न तरीकों से इसे सुरक्षित रखने का प्रयास किया है। हालांकि, आधुनिक जीवनशैली, विकास, और तकनीकी प्रगति के साथ, मानव ने पर्यावरण को अधिक भयंकर रूप में प्रभावित किया है और इससे उसकी सुरक्षा खतरे में पड़ गई है। इसलिए, पर्यावरण की सुरक्षा एक महत्वपूर्ण चुनौती बनी है जिसका समाधान हमें जल्द से जल्द ढूंढना होगा।  

प्राकृतिक आपदाएं, जैसे भूकंप, बाढ़, तूफ़ान, और जलवायु परिवर्तन, पर्यावरण की सुरक्षा के लिए एक बड़ी चिंता का विषय हैं। इनके प्रभाव से लाखों लोग घातक रूप से प्रभावित होते हैं और अपनी जान गंवा देते हैं। भूकंपों के कारण भूमि के तहस-नहस हो जाने से इमारतें ढह जाती हैं, बाढ़ और तूफ़ान से फ़सलों का नुकसान होता है और जलवायु परिवर्तन के कारण ग्लेशियर घटते जा रहे हैं और समुद्र तटों के स्तर में बढ़ोतरी हो रही है। ये सभी पर्यावरण के खिलाफ असर के उदाहरण हैं जिनसे हमें समझना चाहिए कि हमें पर्यावरण को सुरक्षित करने के लिए आवश्यक कदम उठाने की ज़रूरत है।  

प्रदूषण भी एक बड़ी समस्या है जो पर्यावरण को हानि पहुंचाती है। वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, और ध्वनि प्रदूषण जैसे रूपों में अपना प्रभाव दिखाता है। वायु प्रदूषण के कारण वायुमंडल की गर्मी बढ़ जाती है जिससे जलवायु परिवर्तन होता है और मौसम की परिवर्तनशीलता बढ़ती है।

जल प्रदूषण के कारण जल की गुणवत्ता खराब होती है और इसका सीधा असर हमारे स्वास्थ्य पर पड़ता है। ध्वनि प्रदूषण बड़े शहरों में अधिक होता है जो हमारे कानों को भी प्रभावित करता है। इससे सभी प्राकृतिक प्रक्रियाओं पर भी गंभीर प्रभाव पड़ता है, जैसे कि वृक्षारोपण, पानी के संचयन, और जलवायु नियंत्रण। वनों की कटाई और वृक्षारोपण की कमी से हमारे प्राकृतिक पर्यावरण के संतुलन में बदलाव होता है और जलवायु को प्रभावित करने के लिए उसके नियंत्रण को भी खतरा पड़ता है।  

पर्यावरण की सुरक्षा के लिए सरकारों, संगठनों, और व्यक्तियों के सहयोग की ज़रूरत है। सरकारों को सख्त नियमों और कानूनों के रूप में पर्यावरण संरक्षण के लिए कदम उठाने चाहिए और इनके पालन का प्रतिबंधी तरीके से सुनिश्चित करना चाहिए। साथ ही, संगठनों को अपने कामकाज में पर्यावरण संरक्षण को प्राथमिकता देनी चाहिए, उन्हें सुस्ताई नहीं करनी चाहिए और पर्यावरण के साथ जिम्मेदारी उठानी चाहिए।  

व्यक्तियों को भी पर्यावरण संरक्षण के महत्व को समझना चाहिए और उन्हें अपने स्तर पर छोटे-मोटे कदम उठाने की ज़रूरत है। वृक्षारोपण, वन्यजीवन का समर्थन, और जल संचयन जैसे छोटे-मोटे कदम हमारे पर्यावरण की सुरक्षा में महत्वपूर्ण योगदान कर सकते हैं।  

इसके अलावा, पर्यावरण संरक्षण के लिए जागरूकता पैदा करना भी आवश्यक है। लोगों को पर्यावरण की समस्याओं के बारे में शिक्षित करना चाहिए और उन्हें इससे जुड़े समाधानों के बारे में बताना चाहिए। शिक्षा के माध्यम से जागरूकता फैलाने से लोग स्वयं भी सक्रिय रूप से पर्यावरण की सुरक्षा में योगदान करते हैं और दूसरों को भी जागरूक करते हैं।  

समाप्ति में, पर्यावरण की सुरक्षा हम सभी की ज़िम्मेदारी है। हमारा कर्तव्य है कि हम अपने पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए सक्रिय रूप से कदम उठाएं और आने वाले पीढ़ियों को एक स्वच्छ और स्वस्थ पर्यावरण छोड़ें। हमें अपने आसपास के पर्यावरण का ध्यान रखना होगा, संवेदनशीलता से समझना होगा और उसे सुरकषित रखने के लिए सामाजिक एवं आर्थिक रूप से समर्थ उपाय अपनाने होंगे।

हमें पर्यावरण संरक्षण को अपने जीवन का एक मूल्यांकन बनाना होगा और इसे व्यक्तिगत, परिवारिक, सामाजिक, और राष्ट्रीय स्तर पर प्राथमिकता देनी होगी।  

सरकारों को विभिन्न क्षेत्रों में पर्यावरण के प्रति ज़िम्मेदारी को गहराई से समझना होगा। पर्यावरण के संरक्षण के लिए सशक्त नीतियों और क़ानूनों को बनाएंगे और उन्हें नियमित रूप से जांचने और पालन करने का सुनिश्चित करेंगे। इसके साथ ही, संगठनों को अपने उत्पादन और प्रोसेस को पर्यावरण के साथ समन्वयित करने के लिए उत्साहित करना होगा। पर्यावरण के साथ संरक्षण करने वाले संगठनों को इन्सेंटिव और प्रोत्साहन भी मिलना चाहिए ताकि वे इस मामले में और सक्रिय बन सकें।  

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पर्यावरण का महत्व: एक स्वस्थ भविष्य की खोज। Paryavaran ka Mahatva Nibandh: The Search for a Healthy Future

पर्यावरण का महत्व: एक स्वस्थ भविष्य की खोज। Paryavaran ka Mahatva Nibandh: The Search for a Healthy Future

प्रकृति की संरक्षा और मानवीय विकास के बीच संतुलन स्थापित करने के लिए पर्यावरण का महत्व (paryavaran ka mahatva) अपार है। पर्यावरण का महत्व पर यह निबंध (Paryavaran ka Mahatva Nibandh) पर्यावरण कि मानव जीवन में आवश्यकता को व्यापक रूप से वर्णित करता है और हमें प्रेरित करता है कि हमें इसकी संरक्षण के प्रति दृढ़ संकल्प होना चाहिए।

पर्यावरण के बारे में निबंध या पर्यावरण पर निबंध (paryavaran ke bare mein nibandh or essay on environment in hindi) पर्यावरण के महत्व को व्यापक रूप से वर्णित करता है और हमें प्रेरित करता है कि हमें पर्यावरण की संरक्षण के प्रति दृढ़ संकल्प लेना चाहिए।

पर्यावरण के महत्व के इस निबंध में (paryavaran ka mahatva nibandh) हम इसके महत्व के साथ-साथ विभिन्न प्रकार के प्रदूषण जैसे जल, वायु, ध्वनि, और प्लास्टिक प्रदूषण के बारे में भी चर्चा करेंगे। इसे पढ़कर हमें पर्यावरण संरक्षण की महत्ता (paryaavaran sanrakshan kee mahatta or importance of environmental protection in hindi) समझ में आएगी और हम अपनी पृथ्वी की रक्षा के लिए एकजुट होंगे।

पर्यावरण का महत्व पर निबंध। Paryavaran ka Mahatva Nibandh or paryavaran essay in hindi

Table of Contents

पर्यावरण हमारे आस-पास की सभी चीजों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और हमारा पूरा जीवन इस पर निर्भर है। हमें सांस लेने के लिए हवा, पीने के लिए पानी, खाने के लिए भोजन और रहने के लिए जमीन यह सब इसी पर्यावरण से मिलते हैं। यहाँ तक कि वनस्पतियां, पेड़-पौधे, जानवर इत्यादि इस पर्यावरण का हिस्सा है। पर्यावरण जीवन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह हमें उन सभी चीज़ों को प्रदान करता है जो हमें सुरक्षित रहने और उन्नति करने के लिए चाहिए। 

पर्यावरण कई कारणों से महत्वपूर्ण है। यह हमें स्वच्छ हवा और पानी प्रदान करता है, मौसम को नियंत्रित करने में मदद करता है और जैव विविधता ( Jaiv Vividhata ) को संतुलित करता है। यह हमें खाद्य और अन्य संसाधनों  को भी प्रदान करता है।  साथ ही साथ यह सौंदर्य और प्रेरणा का स्रोत भी है। नीचे दिए गए कुछ बिंदुओं से हम पर्यावरण के महत्व को विस्तार पूर्वक समझेंगे:

वायु या हवा:

शायद यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि हमें हवा की आवश्यकता हमारे जन्म से लेकर अंतिम क्षणों तक होती है। हम आपके द्वारा सांस ली जाने वाली हवा जोकि ऑक्सीजन, नाइट्रोजन और अन्य गैसों से मिलकर बनी होती है इस पर्यावरण से ही मिलती है। पर्यावरण हवा को साफ़ करने में मदद करता है और प्रदूषकों को हटाता है।

पानी या जल:

हमें पानी की जरूरत प्यास बुझाने, खाना पकाने और स्नान इत्यादि कार्यों में पड़ती है। पर्यावरण हमें नदियों, झीलों और अन्य जलस्रोतों  के माध्यम से हमें अपनी जरूरत को पूरा करने के लिए पानी प्रदान करता है।

खाद्य सामग्री:

हम अपने भोजन या खाद्य को पौधों और जानवरों से प्राप्त करते हैं। पर्यावरण हमें पौधों के लिए ज़मीन, पानी और सूर्य की रोशनी प्रदान करता है। यह जानवरों के लिए आवास प्रदान करता है ताकि वे जीवित रह सकें और प्रजनन कर सकें।

हम अपनी रोजमर्रा की चीजों के लिए जैसे परिवहन, गर्मी और शीतलन या वातानुकूल (hot and cold or air conditioning)  इत्यादि के लिए ऊर्जा का उपयोग करते हैं। पर्यावरण हमें सौर और हवा ऊर्जा (Solar and wind power)  जैसे नवीनीकरणशील ऊर्जा स्रोत प्रदान करता है। यह हमें कोयला, तेल और प्राकृतिक गैस जैसे फोसिल या जीवाश्म ईंधन ( fossil fuel) से भी ऊर्जा प्रदान करता है।

हम पर्यावरण में समय बिताने का आनंद लेते हैं। पर्यावरण हमें ट्रेकिंग, साइकिल चलाने, तैराकी, मछली पकड़ने और अन्य बाहरी गतिविधियों के लिए अवसर प्रदान करता है।

पर्यावरणीय संरक्षण के महत्व को समझने के लिए यह आवश्यक है कि हम पर्यावरण को सही ढंग से देखें और समझें। हमें अपने आस-पास के पेड़-पौधों, जल, जन्तुओं और पृथ्वी की सुंदरता का महत्व समझना चाहिए।

पर्यावरण को खतरा:

प्रदूषण, वनों की कटाई और जलवायु परिवर्तन इत्यादि सभी पर्यावरण को क्षति पहुंचा रहे हैं। ये खतरे मानव स्वास्थ्य को भी हानि पहुंचा रहे हैं, पारिस्थितिकी को बिगाड़ रहे हैं, और पृथ्वी को निवास के लिए  धीरे-धीरे कम  अनुकूल बना रहे हैं। 

पर्यावरण हमारा घर है। इसे संरक्षित करना ना केवल हमारी जिम्मेदारी है  बल्कि पर्यावरण का संरक्षण जीवन के लिए अनिवार्य है। हमें पर्यावरण में संतुलन बनाए रखना चाहिए ताकि हमारी पीढ़ियाँ भी एक स्वस्थ और सुरक्षित भविष्य का आनंद ले सकें।

हमें अपने आपको और आने वाली पीढ़ियों के लिए एक स्वस्थ भविष्य सुनिश्चित करने के लिए अभी से ठोस और उचित कदम उठाने पड़ेंगे। 

पर्यावरण को संरक्षित करने के लिए हमें निम्नलिखित कार्रवाई लेनी चाहिए:

 पेड़ लगाएँ:

हमें अधिक से अधिक पेड़ लगाने चाहिए। पेड़ हमें ऑक्सीजन प्रदान करते हैं और प्रदूषण को कम करने में मदद करते हैं।

 बिजली की बचत करें:

हमें विद्युत ऊर्जा की बचत करनी चाहिए। बिजली की बचत के लिए हमें अपनी बत्ती और उपकरणों को बंद करना चाहिए जब हम उनका उपयोग नहीं कर रहे होते हैं।

 जल संरक्षण करें:

हमें पानी की बचत करनी चाहिए। हमें स्नान के समय पानी का उपयोग कम करना चाहिए और लीक टैप और पाइपों  की तुरंत मरम्मत करनी चाहिए।

 प्रदूषण कम करें:

हमें वाहनों के प्रदूषण को कम करने के लिए सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करना चाहिए। हमें इंजन की सर्विसिंग समय-समय पर करानी चाहिए ताकि यह अच्छी तरह से काम कर सके और प्रदूषण को कम कर सके।  

समुद्री जीवन की संरक्षा करें:

हमें समुद्री जीवन की संरक्षा करनी चाहिए ताकि वे हमारे पर्यावरण के साथ संतुलन बनाए रख सकें।

  रीसाइकल करें:

हमें कचरे को रीसाइकल करना चाहिए। हम इस्तेमाल की गई सामग्री को पुनर्चक्रण करके उसका उपयोग कर सकते हैं और भूमि को कचरे (waste landfill) से बचा सकते हैं।

संक्षेप में पर्यावरण की संरक्षण के लिए हम अपनी खपत को कम करके, रीसाइकलिंग और कम्पोस्टिंग करके, कम ऊर्जा का उपयोग करके,  सार्वजनिक परिवहन का इस्तेमाल करके, पर्यावरण के अनुकूल उत्पादों  और व्यवसायों का समर्थन करके कर सकते हैं। हम पर्यावरणीय क्रांति और पर्यावरण संरक्षण में सक्रिय होकर और दूसरों को जोड़कर इस क्षेत्र में बेहतर प्रयास कर सकते हैं।

पर्यावरण संरक्षण के लिए हमें उदारवादी सोचने की आवश्यकता है। हमें अपने आस-पास की प्रकृति के साथ संघर्ष करने की बजाय उसकी सहायता करनी चाहिए। हमें प्राकृतिक संसाधनों का समय पर उपयोग करना चाहिए और उन्हें संरक्षित रखना चाहिए। हमें उच्च गुणवत्ता वाले उत्पादों का उपयोग करना चाहिए और विकास को सतत रखने की आवश्यकता है, लेकिन हमें इसे पर्यावरण के नुकसान के बिना करना चाहिए।

पर्यावरण संरक्षण के लिए हमें एकजुट होकर काम करना चाहिए। हमें अपनी सरकार को प्रदूषण नियंत्रण के लिए कठोर कानून बनाने के लिए उचित दबाव डालना चाहिए और इसे पूरे देश में लागू करना चाहिए। हमें इसके लिए विभिन्न अभियानों का आयोजन करना चाहिए और लोगों को पर्यावरण संरक्षण के महत्व के बारे में जागरूक करना चाहिए।

 इस प्रकार, हमें पर्यावरण का महत्व (paryavaran ka mahatva) समझने और इसकी रक्षा करने के लिए कठोर कानून बनाने, जागरूकता फैलाने, और अपनी आदतों को बदलने की आवश्यकता है। हमारा पर्यावरण (hamara paryavaran) हमारे आने वाली पीढ़ियों के लिए आश्रय है और  हम पर इसे संरक्षित रखने की जिम्मेदारी है। हमें अपनी छोटी-छोटी कार्रवाइयों  और प्रयासों से शुरूआत करनी चाहिए और पर्यावरण की सुरक्षा के लिए अपना योगदान देना चाहिए। 

पर्यावरण का महत्व पर निबंध का निष्कर्ष। Conclusion of Paryavaran ka mahatva par nibandh: 

पर्यावरण हमारे जीवन का अटूट हिस्सा है। हमारा पर्यावरण हमें ऊर्जा, शुद्ध वायु, पानी, खाद्य और अन्य जीवन संसाधनों की प्रदान करता है। हमें पर्यावरण की सुरक्षा करने की जरूरत है ताकि हम इन संसाधनों का उचित उपयोग कर सकें और इसे अपने आनंद के लिए बनाए रख सकें। पर्यावरण संरक्षण के लिए हमें अपनी आदतों को बदलने, संयुक्त कार्रवाई करने और उदारवादी सोचने की आवश्यकता है। इस प्रकार, हम सभी मिलकर पर्यावरण की सुरक्षा कर सकते हैं और स्वस्थ और सुरक्षित भविष्य की गारंटी कर सकते हैं।

Essay No. 2: पर्यावरण पर निबंध। Paryavaran Essay in Hindi or Essay on environment in hindi: 

पर्यावरण हमारे जीवन की रक्षक है, जिसकी महत्ता को हमें समझना चाहिए। पर्यावरण पर निबंध (paryavaran ke upar nibandh or paryavaran essay in hindi ) के माध्यम से हम पर्यावरण के महत्व (paryavaran ka mahatva) पर गहराई से विचार करेंगे और इसके विभिन्न पहलुओं को जानेंगे। प्रदूषण, जल, वायु, ध्वनि, और प्लास्टिक प्रदूषण जैसे मुद्दों पर भी विचार किया जाएगा। इसे पढ़कर हमें यह अनुभव होगा कि हमारा प्रत्येक कदम पर्यावरण संरक्षण के लिए कितना महत्वपूर्ण है और हमें अपने भूमि की देखभाल करने के लिए सक्रिय होना चाहिए।

पर्यावरण हमारे चारों तरफ विद्यमान है और हमारे जीवन के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। पर्यावरण में हमारे वायुमंडल, धरती, पानी, पेड़-पौधे, पशु-पक्षी और अन्य जीव-जंतु आदि शामिल हैं। हमारे पर्यावरण में न केवल स्वच्छ वायु, नदियों और झीलों का पानी, बल्कि वनस्पति और जानवरों की अपार संपदा भी शामिल है। पर्यावरण हमें जीने के लिए सभी आवश्यक संसाधन प्रदान करता है।

पर्यावरण का महत्व पर निबंध।। Paryavaran Essay in Hindi or Essay on environment in hindi or paryavaran ka nibandh: 

पर्यावरण का महत्व समझने के लिए हमें इसके विभिन्न पहलुओं को समझना चाहिए। पहला महत्वपूर्ण पहलू है पर्यावरण का जल के संरक्षण । पानी हमारे जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह हमारी प्यास बुझाने के लिए जरूरी है, हमारे खाने में इसका उपयोग होता है और इसे साफ रखना हमारे स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है। पानी की गंभीर समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं, जैसे जलसंकट, जलाशयों की प्रदूषण और जल संपदा की कमी जिसके लिएहमें जागरूक  होने की आवश्यकता है। हमें पानी का सही उपयोग करना चाहिए और इसकी बचत भी करनी चाहिए।

दूसरा महत्वपूर्ण पहलू है वायुमंडल के संरक्षण का । हमारे पर्यावरण में स्वच्छ और प्रदूषण मुक्त वायु का होना बहुत आवश्यक है। वायुमंडल में विषाणुओं, धूल, धुंध और अन्य प्रदूषक पदार्थों के जलने से प्रदूषण होता है जो हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है। हमें पर्यावरण संरक्षण के लिए योजनाबद्ध ढंग से जीना चाहिए, जैसे प्रदूषण करने वाले पदार्थों का उपयोग कम करना, गैर-प्राकृतिक ऊर्जा का उपयोग कम करना और वैश्विक तापमान में कमी करने के लिए सही कदम उठाना।

पेड़-पौधों का संरक्षण भी पर्यावरण के लिए महत्वपूर्ण है। पेड़-पौधे हमारे जीवन का आधार हैं। वे हमें ताजी हवा, ऑक्सीजन, शांति और सौंदर्य प्रदान करते हैं। हमें वृक्षारोपण करना चाहिए और पेड़ों का संरक्षण करना चाहिए। हमें वन्य जीवों की संरक्षा करनी चाहिए और अपने आस-पास के प्राकृतिक माहौल की देखभाल करनी चाहिए।

पर्यावरण का संरक्षण करने के अलावा, हमें प्रदूषण को कम करने के लिए भी कदम उठाने चाहिए। जल, हवा और भूमि प्रदूषण की समस्याओं से निपटने के लिए हमें गैर-प्राकृतिक पदार्थों का उपयोग कम करना चाहिए। हमें सभी प्रदूषण योग्य औद्योगिक गतिविधियों को नियंत्रित करने के लिए उचित कानूनों का पालन करना चाहिए।

इसके अलावा, हमें अपने स्वास्थ्य और सुख-शांति के लिए पर्यावरण की देखभाल करनी चाहिए। हमें स्वस्थ भोजन खाना चाहिए और प्राकृतिक उपचार का उपयोग करना चाहिए। हमें ध्यान देना चाहिए कि हम अपनी आदतों को बदलकर, विचार करके और सही निर्णय लेकर पर्यावरण की सुरक्षा कर सकते हैं।

इस प्रकार, पर्यावरण का महत्व हमारे जीवन में अन्यों चीजों से कहीं ज्यादा है। हमें पर्यावरण के साथ संतुष्ट और संतुलित रहकर इसकी देखभाल करनी चाहिए। हमारा पर्यावरण हमें जीने के लिए सभी संसाधन प्रदान करता है और हमें इसके लिए आभारी होना चाहिए। हमें सावधान रहकर अपने पर्यावरण का सम्मान करना चाहिए, ताकि हम और हमारी आने वाली पीढ़ियां सुरक्षित और स्वस्थ जीवन बिता सकें।

इस प्रकार, हमारा पर्यावरण हमारे लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है और हमें इसकी देखभाल करनी चाहिए। हमें पर्यावरण संरक्षण के लिए संघर्ष करना चाहिए और इसे हर संभव तरीके से सुरक्षित रखना चाहिए। हमारे छोटे कदम भी पर्यावरण के लिए महत्वपूर्ण होते हैं। हमें पर्यावरण पर केवल बातें नहीं करनी चाहिए, बल्कि इसे समझना और इसकी देखभाल करना चाहिए। हमारे छोटे कदम बड़े परिवर्तन लाने में सहायता करेंगे और हमें एक स्वस्थ, सुरक्षित और सुखी पर्यावरण में जीने की संभावना प्रदान करेंगे।

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बृजेश कुमार स्वास्थ्य, सुरक्षा, पर्यावरण और समुदाय (Occupational Health, Safety, Environment and Community) से जुड़े विषयों पर लेख लिखते हैं और चाय के पल के संस्थापक भी हैं।वह स्वास्थ्य, सुरक्षा, पर्यावरण और सामुदायिक मामलों (Health, Safety, Environment and Community matters) के विशेषज्ञ हैं और उन्होंने पोर्ट्समाउथ विश्वविद्यालय, यूनाइटेड किंगडम (Portsmouth University, United Kingdom) से व्यावसायिक स्वास्थ्य, सुरक्षा और पर्यावरण प्रबंधन में मास्टर डिग्री (Master's degree in Occupational Health, Safety & Environmental Management ) हासिल की है। चाय के पल के माध्यम से इनका लक्ष्य स्वास्थ्य, सुरक्षा, पर्यावरण और समुदाय से संबंधित ब्लॉग बनाना है जो लोगों को सरल और आनंददायक तरीके से स्वास्थ्य, सुरक्षा और पर्यावरण के बारे में जानकारी देता हो।

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Paryavaran Aur Hum Essay in Hindi : पढ़िए पर्यावरण और हम पर निबंध

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  • Updated on  
  • फरवरी 21, 2024

Paryavaran Aur Hum Essay in Hindi

मनुष्य स्वच्छ हवा, पानी, भोजन और आश्रय सहित विभिन्न आवश्यक संसाधनों के लिए पर्यावरण पर निर्भर है। पर्यावरण मानव स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण हैं। पर्यावरण प्राकृतिक परिदृश्य मनोरंजक और सौंदर्य संबंधी लाभ प्रदान करता हैं जो जीवन की गुणवत्ता में योगदान करते हैं। मानवीय गतिविधियों का पर्यावरण पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है, जिससे अक्सर प्राकृतिक संसाधनों का क्षरण होता है, इसलिए कई बार पर्यावरण और पर निबंध तैयार करने को दिया जाता है। Paryavaran Aur Hum Essay in Hindi के बारे में जानने के लिए इस ब्लॉग को अंत तक पढ़ें। 

This Blog Includes:

पर्यावरण और हम पर 100 शब्दों में निबंध , पर्यावरण और हम पर 200 शब्दों में निबंध , पर्यावरण हमारी जीवन समर्थन प्रणाली , पर्यावरणीय क्षरण से होने वाले परिणाम, पर्यावरण और हम पर 10 लाइन्स.

पर्यावरण का मानव कल्याण से गहरा संबंध है। यह हमें जीवित रहने के लिए आवश्यक हवा, पानी, भोजन और आश्रय प्रदान करता है। वनों की कटाई, प्रदूषण और अत्यधिक उपभोग जैसी मानवीय गतिविधियाँ पर्यावरण को ख़राब कर रही हैं। के कारण जैव विविधता के लिए ख़तरा है, पारिस्थितिकी तंत्र को बाधित करता है और जलवायु परिवर्तन को बढ़ाता है। परिणामस्वरूप, मनुष्यों को स्वास्थ्य, खाद्य सुरक्षा और आजीविका के लिए जोखिम का सामना करना पड़ता है। इन चुनौतियों से निपटने के लिए स्थायी समाधानों को किया जाना चाहिए। संरक्षण के प्रयास, नवीकरणीय ऊर्जा को उपयोग में लेना और अपशिष्ट को कम करने के प्रयास किए जाने चाहिए।

इसके अलावा पर्यावरण को संरक्षित करने के लिए जागरूकता बढ़ाना और पर्यावरणीय प्रबंधन को बढ़ावा देना भी महत्वपूर्ण है। एक स्थायी और सामंजस्यपूर्ण संबंध को बढ़ावा देने के लिए मनुष्यों और पर्यावरण के बीच के संबंध को पहचानना आवश्यक है।

पर्यावरण हमारे जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। पर्यावरण हमें आवश्यक संसाधन प्रदान करता है और पृथ्वी पर जीवन को बनाए रखने वाले पारिस्थितिक तंत्र को भी बनाए रखता है। हमारे कार्यों का पर्यावरण पर गहरा प्रभाव पड़ता है, जिससे जलवायु परिवर्तन होता है। प्रदूषण, वनों की कटाई और प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक उपभोग पर्यावरणीय के क्षरण के प्रमुख योगदानकर्ताओं में से हैं।

यह गिरावट मानव स्वास्थ्य, खाद्य सुरक्षा और जैव विविधता के लिए महत्वपूर्ण खतरा पैदा करती है। उदाहरण के लिए, वायु और जल प्रदूषण से श्वसन संबंधी बीमारियाँ और जलजनित बीमारियाँ हो सकती हैं। इन बीमारियों से दुनिया भर में लाखों लोग प्रभावित होंगे। जलवायु परिवर्तन मौसमी घटनाओं को बढ़ाता है, खाद्य उत्पादन को खतरे में डालता है और समुदायों को भी विस्थापित करता है।

इन चुनौतियों से निपटने के लिए, टिकाऊ प्रयास करना आवश्यक है जो हमारे पर्यावरणीय प्रभाव को कम करें।  इसमें उत्सर्जन को कम करना, प्राकृतिक आवासों का संरक्षण और नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों में परिवर्तन जैसे कार्य शामिल है। पर्यावरण प्रबंधन को बढ़ावा देने के लिए जागरूकता बढ़ाना और पर्यावरण शिक्षा को बढ़ावा देना महत्वपूर्ण है।

मानव और पर्यावरण के बीच अंतर्संबंध को पहचानकर, हम एक स्थायी भविष्य की दिशा में काम कर सकते हैं। हमें संरक्षण प्रयासों को प्राथमिकता देना होगा। वर्तमान और भविष्य की पीढ़ियों के लिए पर्यावरण की सुरक्षा करने वाली नीतियों को लागू करना आवश्यक है। केवल सामूहिक मेलजोल और जिम्मेदार नेतृत्व के माध्यम से ही हम सभी के लिए एक स्वस्थ ग्रह बना हैं।

पर्यावरण और हम पर 500 शब्दों में निबंध 

Paryavaran Aur Hum Essay in Hindi 500 शब्दों में निबंध नीचे दिया गया है:

पर्यावरण मानव को पृथ्वी पर जीवन के लिए आवश्यक संसाधन और जीविका प्रदान करता है। पर्यावरण के साथ हमारा रिश्ता केवल लेन-देन का नहीं है, बल्कि गहराई से एक-दूसरे से जुड़ा हुआ है। इसका हमारी भलाई और ग्रह के स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव पड़ता है। क्योंकि पर्यावरण का संरक्षण अत्यधिक आवश्यक है इसलिए यह निबंध पर्यावरण और मानव के बीच संबंध पर प्रकाश डालता है। 

पर्यावरण में ऑक्सीजन शामिल है जिसमें हम सांस लेते हैं, जो पानी हम पीते हैं, वह भूमि जिसमें हम रहते हैं, और वह जैव विविधता जो हमारे चारों ओर है। ये तत्व सामूहिक रूप से हमारी जीवन समर्थन प्रणाली बनाते हैं, पारिस्थितिक तंत्र को बनाए रखते हैं और मानव अस्तित्व के लिए आवश्यक संसाधन प्रदान करते हैं। हमारे द्वारा खाए जाने वाले भोजन से लेकर जिन दवाइयों पर हम निर्भर हैं, पर्यावरण पर हमारी निर्भरता निर्विवाद है। दुर्भाग्य से बीते कुछ दशकों की मानव की गतिविधियों ने पर्यावरण पर भारी असर डाला है, जिससे व्यापक गिरावट और पारिस्थितिक असंतुलन पैदा हुआ है।  वनों की कटाई, प्रदूषण, प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक उपभोग और जलवायु परिवर्तन ग्रह के स्वास्थ्य के लिए खतरा पैदा करने वाली प्रमुख चुनौतियों में से हैं। ये गतिविधियाँ न केवल पारिस्थितिक तंत्र और जैव विविधता को खतरे में डालती हैं, बल्कि पर्यावरणीय आपदाओं को भी बढ़ाती हैं और मानव स्वास्थ्य के लिए खतरा पैदा करती हैं।

पर्यावरणीय क्षरण के परिणाम दूरगामी होते हैं। जैव विविधता के नुकसान से पारिस्थितिक तंत्र का लचीलापन कम हो जाता है। इससे पर्यावरण प्राकृतिक आपदाओं जैसी गड़बड़ी के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाता है। वायु, जल और मिट्टी का प्रदूषण महत्वपूर्ण संसाधनों को दूषित करता है, जिससे मानव स्वास्थ्य और पारिस्थितिकी तंत्र की अखंडता खतरे में पड़ती है। इसके अलावा जलवायु परिवर्तन मौसमी घटनाओं को बढ़ाता है, खाद्य सुरक्षा को खतरे में डालता है, और सामाजिक-आर्थिक असमानताओं को बढ़ाता है, विशेष रूप से यह कमजोर समुदायों को प्रभावित करता है। इस कारण से पर्यावरण संरक्षण एक वैश्विक मुद्दा बन गया है। पृथ्वी पर जीवन की दीर्घकालिक स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए जैव विविधता का संरक्षण, जलवायु परिवर्तन को कम करना और पारिस्थितिक तंत्र की सुरक्षा करना सबसे अधिक आवश्यक है। संरक्षण के प्रयासों में कई कार्य किए जा सकते हैं, जिनमें आवास संरक्षण, पुनर्वनीकरण, संसाधन प्रबंधन और नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को अपनाना शामिल है।

Paryavaran Aur Hum Essay in Hindi पर 10 लाइन्स नीचे दी गई है:

  • पर्यावरण हवा, पानी और भोजन जैसे आवश्यक संसाधन प्रदान करके जीवन को बनाए रखता है।
  • प्रदूषण और वनों की कटाई सहित मानवीय गतिविधियाँ पर्यावरण के स्वास्थ्य के लिए खतरा हैं।
  • पर्यावरणीय क्षरण मानव स्वास्थ्य, जैव विविधता और पारिस्थितिक तंत्र के लिए जोखिम पैदा करता है।
  • जलवायु परिवर्तन चरम मौसम की घटनाओं को बढ़ा देता है, जिससे दुनिया भर के समुदायों पर असर पड़ता है।
  • हमारे पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने और जलवायु परिवर्तन को कम करने के लिए सतत प्रयास आवश्यक हैं।
  • पर्यावरण संरक्षण के लिए संरक्षण प्रयास, जैसे आवास संरक्षण और नवीकरणीय ऊर्जा अपनाना महत्वपूर्ण हैं।
  • पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए जागरूकता बढ़ाना और पर्यावरण शिक्षा को बढ़ावा देना महत्वपूर्ण है।
  • पर्यावरण और मानव कल्याण आपस में जुड़े हुए हैं, जो प्रकृति के संरक्षण के महत्व पर प्रकाश डालते हैं।
  • हमारे आज के कार्य पर्यावरण के भविष्य को आकार देंगे और आने वाली पीढ़ियों को प्रभावित करेंगे।
  • पर्यावरणीय चुनौतियों से निपटने और एक स्थायी भविष्य के निर्माण के लिए सहयोग और सामूहिक कार्रवाई आवश्यक है।

पर्यावरण और मानवता के बीच का संबंध हमारे स्वास्थ्य, समृद्धि और अस्तित्व के साथ गहराई से जुड़े हुए हैं। वर्तमान के समय में पर्यावरण संरक्षण को प्राथमिकता देना अत्यधिक आवश्यक है। वर्तमान और भविष्य की पीढ़ियों की भलाई सुनिश्चित करने वाले स्थायी प्रयासों को अपनाना हमारे लिए आवश्यक है। हमें पृथ्वी के संरक्षक के रूप में अपनी भूमिका को पहचानना होगा। पर्यावरणीय चुनौतियों से निपटने के लिए सहयोगात्मक रूप से काम करके, हम सभी के लिए अधिक स्वस्थ और टिकाऊ दुनिया का निर्माण कर सकते हैं।

वनों की कटाई, प्रदूषण और जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता जैसी मानवीय गतिविधियाँ पर्यावरणीय क्षरण में योगदान करती हैं।

पर्यावरणीय क्षरण से स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं जैसे वायु प्रदूषण से श्वसन संबंधी समस्याएं और दूषित जल स्रोतों से जलजनित रोग।

व्यक्ति ऊर्जा संरक्षण, अपशिष्ट को कम करने और रीसाइक्लिंग और सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करने जैसी स्थायी उपायों को करके अपने पर्यावरणीय प्रभाव को कम कर सकते हैं।

सरकारी नीतियां प्रदूषण को कम करने, नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देने और प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण, पर्यावरणीय मुद्दों के समाधान के लिए नियम और प्रोत्साहन निर्धारित करती हैं।

आशा है कि आपको इस ब्लाॅग में Paryavaran Aur Hum Essay in Hindi के बारे में पूरी जानकारी मिल गई होगी। इसी प्रकार के निबंध से जुड़े ब्लॉग्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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“पर्यावरण” हमारा दायित्व पर निबंध

प्रस्तावना : पर्यावरण का अर्थ है , प्रकृति , पेड़ -पौधे , वनस्पति ,पशु -पक्षी, मनुष्य और हम सब प्राणी। पर्यावरण नहीं तो हम सभी का कोई अस्तित्व नहीं है। मनुष्य के लिए पर्यावरण महत्वपूर्ण है। औद्योगीकरण और तकनीकी उन्नति तो मनुष्य ने खूब की परन्तु प्रकृति के महत्व को समझने में  असमर्थ रहा है।  ज़्यादातर लोग इसे  समझकर भी इसकी अवहेलना कर रहे है। फैक्ट्रियों और इमारतों के निर्माण के लिए कई वर्षो से वृक्ष काटे जा रहे है।  वनो की अंधाधुंध कटाई की जा रही है , ताकि बड़े कल कारखानों , कार्यालय , स्कूल इत्यादि का निर्माण हो  सके । हम यह भूल रहे है कि अगर हम बिना सोचे समझे प्रकृति को नुकसान पहुंचाएंगे , तब प्रकृति और पर्यावरण जीवित नहीं रह पायेगा।  इन सब गतिविधियों की वजह से आज पर्यावरण का संतुलन बिगड़ रहा है । ऐसे ही चलता रहा तो इसके भयंकर परिणाम देखने को मिलेंगे।

सभी प्राणी , पेड़ , पौधे और सभी तरह की वनस्पति पर निर्भर है। हमे पेड़ पौधों से फल , सब्ज़ी , अनाज इत्यादि प्राप्त होते है। पेड़ो से हमे अनगिनत फायदे मिलते है। पेड़ पौधों से वातावरण में ऑक्सीजन का निर्माण  होता   है। प्रकाश संश्लेषण को अंग्रेजी में फोटोसिंथेसिस कहते है। प्रकाश संश्लेषण में पेड़ -पौधे अपना भोजन खुद बनाते है।  इसमें कार्बन डाइऑक्साइड , पानी और सूर्य के किरणों की ज़रूरत होती है। कार्बन डाइऑक्साइड मनुष्य छोड़ते है जिसे पेड़- पौधे अपने प्रकाश  संश्लेषण प्रक्रिया  में उसका उपयोग करते है।

प्रकाश संश्लेषण की सहायता से वातावरण में ऑक्सीजन बनता है। वातावरण  में मौजूद ऑक्सीजन के सहारे मनुष्य और अन्य प्राणी जीवित है। ऑक्सीजन के बिना जिन्दा रहना नामुमकिन है।  अगर पेड़ पौधे नहीं होंगे तो ऑक्सीजन गैस भी नहीं होगा।  अतः पर्यावरण का संरक्षण करना अत्यंत ज़रूरी है। अन्य प्राणी जैसे गाय , भैंस , बकरी , हिरण इत्यादि पशु वनस्पति खाकर जीवित है।  इसलिए मनुष्य को समझना होगा कि पर्यावरण को सुरक्षित रखना कितना आवश्यक  है।

मनुष्य स्वार्थी बनकर उन्नति के चक्कर में स्वंग अपने पाँव पर कुल्हाड़ी मार रहा है। औद्योगीकरण और प्रगति के नशे में वह पर्यावरण के  संतुलन को बिगाड़ रहा है।  जनसंख्या  तेज़ी से बढ़ रही है।  लोगो को रहने के लिए घर इत्यादि चाहिए। जमीन पाने के लिए वनो को धरल्ले से काटा  जा रहा है। वृक्षारोपण किया जा रहा है  मगर फिर भी वन कटाव अत्यधिक बढ़ गया है। वनो को साफ़ करके किसान कृषि कर रहा है।  अगर वन नहीं होंगे तो पशु पक्षी कहाँ  रहेंगे।  उनका घर तो वन है। कई प्रकार की कीमती लकड़ी प्राप्त करने के लिए वृक्षों और वनो की कटाई हो रही है।  पर्यावरण को इतनी चोट पहुँच रही है कि लगातार मानव जाति को प्राकृतिक आपदाओं का शिकार होना पड़ रहा है। सभी जलशयों और नदियों के जल को साफ़ और संरक्षित रखना भी मनुष्य की जिम्मेदारी है।

जिस प्रकार वृक्षों की कटाई हो रही है , मनुष्य के समक्ष कई समस्याएं उत्पन्न हो गयी है।  आये दिन कल कारखानों और फैक्टरियों से निकलता हुआ धुंआ वातावरण को प्रदूषित कर रहा है।  इस प्रदूषित वातावरण में मनुष्य को कई प्रकार की बीमारियां हो रही है। सांस लेने में तकलीफ और फेफड़ो से संबंधित बीमारियों से लोग ग्रसित है । हम सभी को मिलकर वृक्षारोपण करने की ज़रूरत है।  जितना हम वृक्ष लगाएंगे , उतना ही पर्यावरण को हम बचा पाएंगे।

अगर वन नहीं होंगे तो तब हम भी जीवित नहीं रह पाएंगे। कल कारखानों से निकलता हुआ कचरा , नदियों में प्रवाहित किया जा रहा है। इससे नदियों का जल प्रदूषित हो रहा है।  प्रदूषण को नियंत्रित करना  ज़रूरी है। सरकार ने प्रदूषण को रोकने के लिए कई कदम उठाये हैं। वन खत्म होंगे तो भूमि की उपजाऊ शक्ति खत्म हो जायेगी।

भूमि कटाव को रोकना और बाढ़ पर अंकुश लगाने का कार्य पर्यावरण करता है। अगर वन नहीं होंगे  , तो धरती पर वर्षा नहीं होगी। वर्षा नहीं होगा तो सूखा / अकाल पड़ेगा।  जब पानी नहीं होगा , तो पशु -पक्षी भी जीवित नहीं रहेंगे ।

प्रकृति में वायुमंडल एक अहम हिस्सा है।  प्रदूषण से वायुमंडल निरंतर  प्रदूषित होने लगा है | अगर ऐसे ही  चलता रहा , तो प्रकृति पर कितना भयावह असर पड़ेगा। पर्यावरण की रक्षा करना मनुष्य का परम कर्त्तव्य है। जैसे -जैसे उद्योगों का विकास हो रहा है , प्रकृति और पर्यावरण अशुद्ध हो गया है। प्रदूषण के कारण प्राकृतिक संसाधनों पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है।

बगीचों और वनो को संग्रह करके रखने की ज़रूरत है।  वन महोत्सव जैसे कार्यक्रम आयोजित करके लोगो को जागरूक करने की ज़रूरत है। जिस प्रकार देश और दुनिया की जनसंख्या बढ़ रही है , उनके रहने के लिए जमीन कम पड़ रही है।  इससे वनो और पर्यावरण को नष्ट करके घरो का निर्माण किया जा रहा है। लोग उन्नति करने हेतु और सुख सुविधा के साधनो को पाने के लिए फैक्टरियां डाल रहे है। इससे उत्पादन में तेज़ी आ रही है। हम इतने स्वार्थी नहीं हो सकते कि हम अपने सुख के लिए पर्यावरण को समाप्त कर दे।  लगातार प्रकृति हमे चेतावनी दे रही है , इसे  हमे गंभीरता और जिम्मेदारी से लेना होगा।

मनुष्य को जीने के लिए शुद्ध जल , स्वास्थ्यवर्धक आहार और शुद्ध वायु की ज़रूरत है । अगर हम यह सब कुछ पाना चाहते है तो हमे पर्यावरण को सहज कर रखना होगा।  सीमित मात्रा में अपने दैनिक गतिविधियों को करना होगा  ताकि प्रदूषण कम हो। प्रदूषण कम होगा तो सभी जीव जंतु और पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचेगा। आज समस्त दुनिया पर्यावरण को लेकर चिंतित और परेशान है। अगर हम सब अभी सचेत नहीं हुए , तब प्रकृति अपना रौद्र रूप धारण कर लेगा और सब कुछ खत्म हो जाएगा। हम सभी को अपने दायित्व को समझकर , प्रकृति के हित में कार्य करने होंगे।  जब प्रकृति सुन्दर रहेगी , तब हमारे चारो ओर हरियाली होगी। अगर प्रकृति सुरक्षित है , तब हम और यह पृथ्वी भी सुरक्षित है।

"पर्यावरण" हमारा दायित्व पर निबंध 1

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पर्यावरण संरक्षण पर निबंध (Paryavaran Sanrakshan Essay In Hindi)

पर्यावरण संरक्षण पर निबंध (Paryavaran Sanrakshan Essay In Hindi)

आज   हम पर्यावरण संरक्षण पर निबंध (Essay On Paryavaran Sanrakshan In Hindi) लिखेंगे। पर्यावरण संरक्षण पर लिखा यह निबंध बच्चो (kids) और class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए लिखा गया है।

पर्यावरण संरक्षण पर लिखा हुआ यह निबंध (Essay On Paryavaran Sanrakshan In Hindi) आप अपने स्कूल या फिर कॉलेज प्रोजेक्ट के लिए इस्तेमाल कर सकते है। आपको हमारे इस वेबसाइट पर और भी कही विषयो पर हिंदी में निबंध मिलेंगे , जिन्हे आप पढ़ सकते है।

पर्यावरण यानि ऐसा आवरण जो हमें चारों तरफ से ढंक कर रखता है, जो हमसे जुड़ा है और हम उससे जुड़े हैं और हम चाहें तो भी खुद को इससे अलग नहीं कर सकते हैं। प्रकृति और पर्यावरण एक दूसरे का अभिन्न हिस्सा हैं।

कोई भी व्यक्ति या वस्तु चाहे वो सजीव हो या निर्जीव, पर्यावरण के अन्तर्गत ही आती है। पर्यावरण से हमें बहुत कुछ मिलता है, लेकिन बदले में हम क्या करते हैं? हम अपनी स्वार्थ सिद्धि के लिए इस पर्यावरण और इसकी अमूल्य संपदा का हनन करने पर तुले हैं।

हमारे द्वारा कि गई हर अच्छी और बुरी गतिविधि का असर पर्यावरण पर पड़ता है। इस प्रकृति पर मानव ही सबसे अधिक बुद्धिशील प्राणी माना जाता है। अतः पर्यावरण के संरक्षण की जिम्मेदारी भी मनुष्य की ही है। आज हम पर्यावरण संरक्षण से जुड़े महत्वपूर्ण बिंदुओं पर प्रकाश डालकर समाज को इसके लिए जागृत करना चाहते हैं।

पर्यावरण अर्थात् जिस वातावरण में हम रहते हैं। हमारे आस पास मौजूद हर एक चीज, जीव-जंतु, पक्षी, पेड़-पौधे, व्यक्ति इत्यादि सभी से मिलकर पर्यावरण की रचना होती है। हमारा इस पर्यावरण से घनिष्ठ संबंध है और हमेशा रहेगा। प्रकृति और पर्यावरण की अद्भुत सुंदरता देखते ही हृदय में खुशी और उत्साह का संचार होने लगता है।

हरे भरे लहलहाते पेड़, आसमान में कलरव करते और चहचहाते पक्षी, जंगल में दौड़ते जीव जंतु, समन्दर में आती और जाती हुई लहरें, कल कल करके बहती हुई नदियां आदि जो मनोरम अहसास करवाते हैं, वो हमें अन्य कहीं से महसूस नहीं हो सकता।

फिर भी ये अफ़सोस की बात है कि लोग आज भी इसके महत्व को समझ नहीं पाए हैं और इसे नुकसान पहुंचाते रहते हैं। वे यह नहीं जान पा रहे कि पर्यावरण की हानि करके वे अपने सर्वनाश को निमंत्रण दे रहे हैं।

आज मानव नए नए आविष्कार कर रहा है और खूब तरक्की कर रहा है, परन्तु उसका हर्जाना भुगत रहा है ये पर्यावरण और इसमें रहने वाले अबोध जीव। आज सभी को पर्यावरण और प्रकृति का संरक्षण करने के लिए जागरूक होना पड़ेगा, अन्यथा पर्यावरण के साथ सारी मानव जाति का भी विनाश हो जाएगा।

पर्यावरण संरक्षण की आवश्यकता क्यों?

पर्यावरण ने मानव को अनंत काल से संसाधन प्रदान किए और मानव ने भी उनका भरपूर उपयोग किया। प्राचीन काल से लेकर अब तक जिस भी वस्तु की जरूरत हमें महसूस हुई, वो पर्यावरण से ही प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से हमें हासिल हुई है।

जैसे जैसे समय बीतता गया हमारी जरूरतें भी बढ़ती गई और इन जरूरतों को पूरा करने के लिए हम पर्यावरण के प्रति निर्दयता दिखाने लगे। हमने जनसंख्या वृद्धि पर पहले से रोक नहीं लगाई, जिससे लोगों को संसाधन कम पड़ने लगे और अत्यधिक रूप से पर्यावरण का विनाश होने लगा।

गांवों से लोग शहरों की ओर पलायन करने लगे, पेड़ पौधों और वनों का विनाश होने लगा, जीव जंतुओं को अपने फायदे के लिए मारा जाने लगा, हर तरफ प्रदूषण फैल गया। जिससे पर्यावरण को बहुत नुकसान पहुंचा।

जिस प्रकृति ने हमें आश्रय दिया उसी को नष्ट करने पर तुल गए हम लोग और प्रकृति का संतुलन बिगड़ता चला गया। पर्यावरण प्रदूषण के बहुत से दुष्प्रभाव हैं जैसे अणु विस्फोट से रेडियोधर्मी पदार्थ निकलने से आनुवांशिक प्रभाव, ओजोन परत जो पराबैंगनी किरणों से रक्षा करती है उसका क्षरण, भूमि का कटाव, अत्यधिक ताप वृद्धि, हवा – पानी – परिवेश प्रदूषित होना, पेड़ पौधों का विनाश, नए नए रोग उत्पन्न होना इत्यादि कई बुरे प्रभाव हैं।

पर्यावरण संरक्षण का महत्व

प्राचीन काल से ही पर्यावरण का बहुत महत्व रहा है, वास्तव में प्रकृति का संरक्षण ही उसका पूजन है। हमारे भारत में पर्वत, नदियां, वायु, आग, ग्रह नक्षत्र, पेड़ पौधे आदि सभी से मानवीय संबंध जोड़े गए हैं।

वृक्षों को संतान स्वरूप और नदियों को मां स्वरूप माना गया है। हमारे ऋषि मुनियों को ज्ञात था कि मानव स्वभाव कैसा होता है, मानव अपने लालच में किसी भी हद तक जा सकते हैं। इसलिए उन्होंने प्रकृति के साथ मानवीय सम्बन्धों को विकसित किया।

वे जानते थे कि पर्यावरण ही पृथ्वी पर जीवन का आधार है। अतः उन्होंने अपने ग्रंथो में प्रकृति और पर्यावरण के संरक्षण की ही बात कही। वेदों में भी कहा गया है –

‘ॐ पूर्णभदः पूर्णामिदं पूर्णात्पूर्णमुदच्यते।

पूर्णस्य पूर्णमादाय पूर्णमेवावशिष्यते॥’

अर्थात् हमें प्रकृति से उतना ही ग्रहण करना चाहिए, जितना की आवश्यक है। प्रकृति को पूर्णता से नुकसान नहीं पहुंचना चाहिए। हमारी माता और दादी इसी भावना से बिना पौधों को नुक़सान पहुंचाए तुलसी की पत्तियां तोड़ती हैं। कुछ ऐसा ही संदेश वेदों में भी दिया गया है।

आज कोई भी पर्यावरण के संरक्षण का महत्व नहीं समझ रहा है। निरंतर प्रदूषण बढ़ता जा रहा है, जिससे सारी पृथ्वी प्रदूषित हो रही है और मानव सभ्यता का अंत होने को है। इन परिस्थितियों को देखते हुए सन् 1992 में ब्राजील में पृथ्वी सम्मेलन का आयोजन भी किया गया।

जिसमें 174 देश शामिल हुए। उसके बाद जोहान्सबर्ग में भी सन् 2002 में पृथ्वी सम्मेलन का आयोजन हुआ, जिसके अन्तर्गत सारे देशों को पर्यावरण संरक्षण करने के लिए उपाय समझाए गए।

पर्यावरण संरक्षण के उपाय

पर्यावरण संरक्षण के लिए हमें सर्वप्रथम इस धरती को प्रदूषण रहित करना होगा। जनसंख्या वृद्धि के कारण प्रदूषण भी बढ़ता ही जा रहा है, जिसे नियंत्रण में लाना आवश्यक है तभी हमारे पर्यावरण का संरक्षण हो पाएगा।

मनुष्य दिन प्रतिदिन प्रगति करता जा रहा है और इस विकास के नाम पर प्रदूषण वृद्धि करता जा रहा है। ओजोन परत का क्षरण होने से धरती का तापमान बढ़ता जा रहा है और ध्रुवों पर ग्लेशियर पिघल रहे हैं। अतः पर्यावरण संरक्षण हमारी नैतिक जिम्मेदारी बन जाता है।

सन् 1986 में भारत की संसद ने पर्यावरण की सुरक्षा के लिए एक अधिनियम बनाया जिसे पर्यावरण संरक्षण अधिनियम कहते हैं। जब मध्यप्रदेश स्थित भोपाल में गैस लीक की दुर्घटना हुई थी, तब इसे पारित किया गया था।

यह बहुत बड़ी ओद्यौगिक दुर्घटना थी, जिसमें करीब 2,259 लोग वहीं मारे गए और 500,000 से ज्यादा व्यक्ति मिथाइल आइसोसाइनेट नामक गैस की चपेट में आ गए थे। पर्यावरण संरक्षण अधिनियम के तहत पर्यावरण की सुरक्षा की ओर ध्यान देना, प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के बारे में सोचना और पर्यावरण में सुधार लाने हेतु कानून बनाना था।

पर्यावरण प्रदूषण को रोकने के लिए हम सभी को मिलकर प्रयास करने होंगे। इसे रोकने के लिए निम्न उपाय किए जा सकते हैं।

  • फैक्ट्री और घरों से निकलने वाला गंदा पानी जो नदियों और समुद्र में निष्कासित किया जाता है उसे रोकना होगा। क्योंकि यही पानी पीने में, खेती बाड़ी में और दूसरे कार्यों में उपयोग में लाया जाता है। जिसके प्रदूषित होने से उपजाऊ ज़मीन भी धीरे धीरे बंजर हो जाती है और उस जमीन पर भी खाद्य पदार्थ उगाए जाते हैं, वह भी खाने पर शरीर को नुक़सान पहुंचाते हैं।
  • वायु प्रदूषण से भी निरंतर पर्यावरण दूषित ही हो रहा है। हमें वायु प्रदूषण पर नियंत्रण करने के लिए घर में उपयोग लाए जाने वाले लेटेक्स पेंट का प्रयोग बंद करना होगा।

पर्यावरण को सुरक्षित रखना उतना ही जरुरी है जितना हम अपने आप को रखते है। पर्यावरण से ही हमे वो सभी चीजे उपलभ्ध होती है, जिसका इस्तेमाल करके आज मानव जीवित है और आराम और सुखदायी जीवन व्यतीत कर रहा है।

पर्यावरण संरक्षण हमारा फर्ज है और इस जिम्मेदारी को हम सबको मिल कर निभाना चाहिए। हमे जितना हो सके उतना पर्यावरण को दूषित होने से बचाना चाहिए और प्रदुषण को रोकने के उपायों को अमल में लाना चाहिए।

इन्हे भी पढ़े :-

  • पर्यावरण पर निबंध (Environment Essay In Hindi)
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तो यह था पर्यावरण संरक्षण पर निबंध , आशा करता हूं कि पर्यावरण संरक्षण पर हिंदी में लिखा निबंध (Hindi Essay On Paryavaran Sanrakshan) आपको पसंद आया होगा। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा है , तो इस लेख को सभी के साथ शेयर करे।

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पर्यावरण पर निबंध - Paryavaran Essay in Hindi - Paryavaran par Nibandh - Essay on Environment in Hindi Language

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रुपरेखा : परिचय - पर्यावरण का अर्थ - प्राणियों का बेघर होना - पर्यावरण प्रदूषित - पर्यावरण प्रदूषित के अनेक उदाहरण - पर्यावरण की सुरक्षा कैसे होगी - विश्व पर्यावरण दिवस - उपसंहार।

पर्यावरण जलवायु, स्वच्छता, प्रदूषण तथा वृक्ष का संपूर्ण योग है। जो हमारे रोज के जीवन में सीधा संबंध रखता है तथा उसे प्रभावित करता है। वर्तमान में वैज्ञानिक प्रगति के परिणामस्वरूप मिलों, कारखानों तथा वाहनों की संख्या इतनी बढ़ गई है कि पर्यावरण की समस्या दिन प्रतिदिन बढ़ती बढ़ती जा रही है। मानव और पर्यावरण एक-दूसरे पर निर्भर होते हैं अर्थार्त हमारी जलवायु में परिवर्तन होता है तो इसका सीधा असर हमारे शरीर पर दिखने लगता है। जैसे ठंड ज्यादा लगती है तो हमें सर्दी हो जाती है। लेकिन गर्मी ज्यादा पडती है तो हम सहन नहीं कर पाते हैं। पर्यावरण प्राकृतिक परिवेश है जो पृथ्वी पर बढने से पृथ्वी को नष्ट करने में सहायता करती है। प्राकृतिक पर्यावरण पृथ्वी पर जीवन के अस्तित्व में एक महान भूमिका निभाता है और यह मनुष्य, जानवरों और अन्य जीवित चीजों को विकसित करने में मदद करता है। मनुष्य अपनी कुछ बुरी आदतों और गतिविधियों के कारन अपने पर्यावरण को नष्ट की और ढकेल रहा है।

पर्यावरण का अर्थ बड़ा सरल है। जो हमारे चारों ओर के वातावरण और उसमें निहित तत्वों और उसमें रहने वाले प्राणियों से है। हमारे चारों ओर उपस्थित वायु, भूमि, जल, पशु-पक्षी, पेड़-पौधे आदि सभी पर्यावरण का हिस्सा है। जिस तरह से हम अपने पर्यावरण से प्रभावित होते हैं उसी तरह से हमारा पर्यावरण हमारे द्वारा किए गए कृत्यों से प्रभावित होता है। जैसे लकड़ी के लिए काटे गए पेड़ों से जंगल समाप्त हो रहे हैं और जंगलों के समाप्त होने का असर जंगल में रहने वाले प्राणियों के जीवन पर पड़ रहा है। यही कारन है आज कई जीवों की बहुत सी प्रजातियाँ विलुप्त हो गई है और बहुत सी जातियां विलुप्त होने की कगार पर हैं। आज के समय में शेर अथवा चीतों के द्वारा गाँव में घुसने और वहाँ पर रहने वाले मनुष्यों को हानि पहुँचाने की बात सामने आ रही है।

इसके चलते आज कई प्राणियों बेघर हो रहे है क्योंकि हमने इन प्राणियों से इनका घर छीन लिया है। यही कारन है अब ये प्राणी गाँवो और शहरों की तरफ जाने के लिए मजबूर हो गए हैं। तथा अपने जीवन यापन के लिए मनुष्यों को हानि पहुँचाने लगे हैं। पर्यावरण का अर्थ केवल हमारे आस-पास के वातावरण से नहीं है बल्कि हमारा सामाजिक और व्यवहारिक वातावरण को शामिल करता है। मानव के आस-पास उपस्थित सोश्ल, कल्चरल, एकोनोमिकल, बायोलॉजिकल और फिजिकल आदि सभी तत्व जो मानव को प्रभावित करते हैं वे सभी वातावरण में शामिल होते हैं। जो पर्यावरण को प्रभाव करता है।

पर्यावरण प्रदूषण के बहुत से कारन है जिससे हमारा पर्यावरण अधिकतर पर प्रभावित होता है। मानव द्वारा निर्मित फैक्ट्री से निकलने वाले अवशेष हमारे पर्यावरण को प्रदूषित करते हैं और पर्यावरण को हानि पहुँचता है। लेकिन यह भी संभव नहीं है कि इस विकास की दौड़ में हम अपने पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए अपने विकास को नजर अंदाज कर दें। लेकिन हम कुछ बातों को ध्यान में रखकर अपने पर्यावरण को दूषित होने से बचा सकते हैं। जैसे कारखानों की चिमनियाँ नीची लगी होती हैं जिसकी वजह से उनसे निकलने वाला धुआं हमारे चारों ओर वातावरण में फैल जाता है और पर्यावरण को दूषित कर देता है। मिलों, कारखानों तथा व्यवसायिक इलाकों से बाहर निकलने वाले धुएं तथा विषैली गैसों ने पर्यावरण की समस्या को उत्पन्न कर दिया है। बसों, करों, ट्रकों, टंपुओं से इतना अधिक धुआं और विषैली गैसी निकलती है जिससे प्रदूषण की समस्या और अधिक गंभीर होती जा रही है । आज के समय में घर में इतने सदस्य नहीं होते हैं जितने उनके वाहन होते हैं। आज के दौर में घर का छोटा बच्चा भी साइकिल की जगह, गाड़ी पर जाना पसंद करता है।

बहती नदियों के पानी में सीवर की गंदगी इस तरह से मिल जाती है जिससे मनुष्यों और पशुओं के पीने का पानी गंदा हो जाता है। जिसके परिणामस्वरूप दोनों निर्बलता, बीमारी तथा गंभीर रोगों के शिकार बन जाते हैं। बड़े-बड़े नगरों में झोंपड़ियों के निवासियों ने इस समस्या को बहुत अधिक गंभीर कर दिया है। शहरीकरण और आधुनिकीकरण पर्यावरण प्रदूषण के प्रमुख कारण हैं। मनुष्य द्वारा अपनी सुविधाओं के लिए पर्यावरण को नजर अंदाज करना एक आम बात हो गई है। मनुष्य बिना सोचे समझे पेड़ों को काटते जा रहा है लेकिन वह यह नहीं सोचता कि जीवन जीने के लिए वायु हमें इन्हीं पेड़ों से प्राप्त होती है। बढती हुई आबादी हमारे पर्यावरण के प्रदूषण का एक बहुत ही प्रमुख कारण है। जिस देश में जनसंख्या लगातार बढ़ रही है उस देश में रहने और खाने की समस्या भी बढती जा रही है। मनुष्य अपनी सुख-सुविधाओं के लिए पर्यावरण को महत्व नहीं देता है लेकिन वह भूल जाता है कि बिना पर्यावरण के उसकी सुख-सुविधाएँ कुछ समय के लिए ही हैं।

हम जिस पर्यावरण में रहते हैं वह बहुत तेजी से दूषित होता जा रहा है। हमें आवश्यकता है कि हम अपने पर्यावरण की देखरेख और संरक्षण ठीक तरीके से करें। हमारे देश में पर्यावरण संरक्षण की परंपरा बहुत पहले से चली आ रही है। हमारे पूर्वजों ने विभिन्न जीवों को देवी-देवताओं की सवारी मानकर और विभिन्न वृक्षों में देवी देवताओं का निवास मानकर उनका संरक्षण किया है। पर्यावरण संरक्षण मानव और पर्यावरण के बीच संबंधों को सुधारने की एक प्रक्रिया होती है। जिसके उद्देश्य उन क्रियाकलापों का प्रबंधन होता है जिनकी वजह से पर्यावरण को हानि होती है। तथा मानव की जीवन शैली को पर्यावरण की प्राकृतिक व्यवस्था के अनुरूप आचरणपरक बनाते है जिससे पर्यावरण की गुणवत्ता बनी रह सके। कारखानों से निकलने वाले धुएं और पदार्थों का उचित प्रकार से निस्तारण किया जाना चाहिए। सभी मिलों, कारखानों तथा व्यवसायिक इलाकों में अभिलंब प्रदूषण नियंत्रण के लिए संयत्र लगाए जाने चाहिएँ। प्रदूषण और गंदगी की समस्या का निदान बहुत अधिक आवश्यक है ताकि हमारे पर्यावरण की सुरक्षा हो सके।

कई संयंत्रों के द्वारा धुएं और विषैली गैसों को सीधे आकाश में ही निष्काषित किया जाना चाहिए। बड़े नगरों में बसों, कारों, ट्रकों, स्कूटरों के रखरखाव की उचित व्यवस्था होनी चाहिए और उनकी नियमित रूप से चेकिंग होना चाहिए। शांतिपूर्ण जीवन के लिए शोरगुल वाली ध्वनि को सीमित और नियंत्रित किया जाना चाहिए। पर्यावरण की सुरक्षा के लिए सरकार के साथ-साथ सभी पुरुषों, महिलाओं और बच्चों को अपना पूरा सहयोग देना चाहिए। विषैले और खतरनाक अपशिष्ट पदार्थों के निपटने के लिए सख्त कानूनों का प्रावधान होना चाहिए। कृषि में रासायनिक कीटनाशकों का कम प्रयोग करना चाहिए। वन प्रबंधन से वनों के क्षेत्रों में विकास करनी चाहिए। विकास योजनाओं को आरंभ करने से पहले पर्यावरण पर उनके प्रभाव का आंकलन करना चाहिए। मनुष्य को अपने प्रयासों से पर्यावरण की समस्या अधिकतर से घट सकती है।

जो कारखाने स्थापित हो चुके हैं उन्हें तो दूसरे स्थान पर स्थापित नहीं किया जा सकता है लेकिन सरकार को उन कारखानों को प्रतिवर्ष जांच करना चाहिए। ताकि कारखानों द्वारा किया गया प्रदूषण शहर की जनता को प्रभावित न करे। जितना हो सके वाहनों का कम प्रयोग करना चाहिए। पब्लिक ट्रांसपोर्ट का उपयोग करके भी इस समस्या को कम किया जा सकता है। हमारे वैज्ञानिकों द्वारा धुएं को काबू करने के लिए खोज जारी है । जंगलों की कटाई पर सख्त सजा देना चाहिए तथा नए पेड़ लगाने को प्रक्रिया शुरू होनी चाहिए।

विश्व पर्यावरण दिवस हर साल 5 जून से 16 जून के बीच मनाया जाता है। विश्व पर्यावरण दिवस के दिन हर जगह पेड़-पौधे लगाए जाते हैं। तथा पर्यावरण से संबंधित बहुत से कार्य किए जाते हैं जिसमें 5 जून का विशेष महत्व होता है। आज के समय में मनुष्य को अपने स्तर पर पर्यावरण को संतुलित रखने के लिए प्रयास करना चाहिए।

पर्यावरण प्रदूषण से मुक्त होना किसी भी एक समूह की कोशिश की बात नहीं है। इस समस्या पर कोई भी नियम या कानून लागू करके काबू नहीं पाया जा सकता। अगर प्रत्येक मनुष्य इसके दुष्प्रभाव के बारे में सोचे और आगे आने वाली पीढ़ी के बारे में सोचे तो शायद इस समस्या गंभीरता से लेके उसका निवारण के बारे में सोचना चाहिए। विश्व पर्यावरण दिवस 2020 की थीम 'जैव-विविधता' ( 'Celebrate Biodiversity' ) है। इस वर्ष के विश्व पर्यावरण दिवस का विषय यानी विश्व पर्यावरण दिवस 2021 की थीम "पारिस्थितिकी तंत्र बहाली" ("Ecosystem Restoration") है।

कई राज्य सरकारों ने पर्यावरण की सुरक्षा के लिए बहुत से कानून बनाये है। केंद्रीय सरकार के अंतर्गत पर्यावरण की सुरक्षा के लिए एक मंत्रालय का उद्घाटन किया है। इस समस्या के समाधान के लिए जन साधारण का सहयोग बहुत ही सहायक एवं उपयोगी सिद्ध हो सकता है। विकास की कमी और विकास प्रक्रियाओं से भी पर्यावरण की समस्या उत्पन्न होती हैं। हर साल सरकार को नए नियम बनाना चाहिए जिससे पर्यावरण की रक्षा बड़े ही गंभीरता के साथ करना चाहिए। ताकि आने वाले पीढ़ी को पर्यावरण से हानि नहीं पहुंचना चाहिए तथा पर्यावरण के महत्व को समझना चाहिए।

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पर्यावरण संरक्षण पर निबंध (Paryavaran Sanrakshan Essay In Hindi)

👀  पर्यावरण संरक्षण पर निबंध   पर लिखा हुआ यह निबंध  (Hindi Essay on environmental protection / Paryavaran Sanrakshan par Nibandh)  आप को अपने स्कूल या फिर कॉलेज प्रोजेक्ट के लिए निबंध लिखने में सहायता कर सकता है। आपको हमारे इस वेबसाइट पर और भी कही विषयों पर हिंदी में निबंध मिलेंगे (👉  निबंध सूचकांक ), जिन्हे आप पढ़ सकते है, तथा आप उन सब विषयों पर अपना निबंध लिख कर साझा कर सकते हैं

पर्यावरण संरक्षण पर निबंध Hindi Essay on environmental protection Paryavaran Sanrakshan par Nibandh Essay on Save Environment in Hindi

🗣️  पर्यावरण संरक्षण पर निबंध (Hindi Essay on environmental protection / Paryavaran Sanrakshan par Nibandh) पर यह निबंध बच्चो (kids) और class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12, कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए और अन्य विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए लिखा गया है।

पर्यावरण संरक्षण पर निबंध प्रारूप १

परिचय .

अगर व्यक्ति अपने चारों और देखें तो उसके आसपास का वातावरण उसे काफी हद तक प्रभावित करता है। कुछ जगह का वातावरण बहुत ही अच्छा होता है और वहां फूल, पत्ती, पक्षी और अन्य प्राकृतिक स्रोतों की मदद से वहां का माहौल हमेशा सुखद बना रहता है। वहीं दूसरी तरफ ऐसा भी माहौल होता है जहां का वातावरण बहुत ही प्रदूषित होता है। वहां पर लोगों को रहने में समस्या होती है, लोगों को सांस लेने में तकलीफ होती है। इसी के साथ पशु-पक्षियों का जीवन भी खतरे में होता है। लेकिन ऐसा होता क्यों है? इसका जवाब है पर्यावरण संरक्षण पर ध्यान ना देना। पर्यावरण संरक्षण बहुत ज्यादा आवश्यक है। जब पर्यावरण साफ सुथरा और सुखद होता है तभी वहां पर लोगों और साथ ही पशु और पक्षियों का जीवन भी सुख दायक और आनंदमय होता है। अतः पर्यावरण संरक्षण की ओर ध्यान देने की अत्यंत आवश्यकता है।

पर्यावरण संरक्षण का अर्थ 

पर्यावरण संरक्षण से पहले यह जानने की आवश्यकता है कि पर्यावरण क्या होता है। सीधे शब्दों में कहें तो हमारे आसपास जो कुछ भी है यह सब पर्यावरण ही है। अर्थात हम आसपास जो भी फूल, पत्ती, पेड़, पशु, पक्षी, जानवर, छोटे जीव-जंतु आदि देखते हैं यह सब पर्यावरण के ही भाग हैं। हमारे पर्यावरण में कई प्रकार की ऐसी गैसें पाई जाती हैं जिनसे पर्यावरण को हानि हो रही है। हानि को रोकने व उसके बचाव के लिए किए गए सभी कार्यों को हम पर्यावरण संरक्षण के अंतर्गत मान सकते हैं। हमें जीने के लिए ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है जो कि हमें पेड़-पौधों से मिलती है और अगर पेड़ पौधों को किसी भी प्रकार की हानि होती है तो कहीं ना कहीं मानव जाति अपनी हानि कर रहा है। इसीलिए मनुष्य का जीवन बचाने के लिए पेड़-पौधों की रक्षा करना पर्यावरण संरक्षण के अंतर्गत आता है। इसी तरह किसी भी प्राकृतिक स्रोत की रक्षा करना पर्यावरण संरक्षण कहलाता है। अतः यह हम सभी का फर्ज बनता है कि हम अपने पर्यावरण की सुरक्षा करें।

पर्यावरण संरक्षण की आवश्यकता

पर्यावरण संरक्षण की आवश्यकता क्यों है, यह सवाल ठीक उसी प्रकार प्रतीत होता है कि मनुष्य को खाने की आवश्यकता क्यों है। फिर भी अगर हम पर्यावरण संरक्षण के आवश्यकता की बात करें तो अनेक कारण निकल कर आ जाएंगे । जैसे कि पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाली मुख्य गैसों में से सबसे खतरनाक गैस क्लोरोफ्लोरोकार्बन है, जो हमारी पृथ्वी को गर्म करती जा रही है। इसके कारण ठंडे प्रदेशों जैसे अंटार्कटिका जो कि पूर्णतया बर्फ से घिरा हुआ है, वहाँ पर हर साल कई प्रतिशत बर्फ पिघल कर समंदर में मिल जाती है, जिसके कारण वहां के जीव-जंतुओं की हानि हो रही है और समुद्र के जल स्तर पर दिन-ब-दिन बढ़ोतरी होती जा रही है। यह कहना गलत नहीं होगा कि आने वाले समय में यही पृथ्वी के विनाश का कारण बन सकती है। पर्यावरण को संरक्षित ना किया गया तो हमारी फसलें, जीव जंतु और मानव जाति ये सभी बुरी तरह प्रभावित होते हैं। हालांकि नई-नई तकनीकें और एडवांस गाड़ियों का अविष्कार ये सब विकास के प्रतीक हैं लेकिन वर्तमान में यही अत्याधुनिक तकनीक और और गाड़ी कहीं न कहीं पर्यावरण के लिये खतरा साबित होती जा रही। गाड़ी-मोटर से निकलने वाला धुंआ, फैक्टरियों और कम्पनियों से निकलने वाले हानिकारक कण ये सभी पर्यावरण के लिए शाप के समान हैं। अतः यह बहुत ही आवश्यक है कि पर्यावरण की सुरक्षा की जाए अन्यथा पूरी मानव जाति खतरे में पड़ सकती है

पर्यावरण संरक्षण के उपाय

जब कोई समस्या होती है तो उसका उपाय भी होता है इसी तरह निश्चित ही पर्यावरण के संरक्षण के लिए भी कुछ जरूरी उपाय हैं जिन्हें अगर गंभीर तरीके से अपनाया जाए तो अपने पर्यावरण को बिल्कुल साफ-सुथरा और सुरक्षित रखा जा सकता है-

★ सभी लोगों को अधिक से अधिक पेड़ लगाने चाहिए क्योंकि पेड़ हमें ऑक्सीजन देते हैं और पर्यावरण को मजबूत बनाने में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसीलिए हर छोटे-बड़े व्यक्ति को कम से कम एक पौधा लगाने की शपथ जरूर लेनी चाहिए।

★ पिछले कुछ समय में ईंधन वाली गाड़ियों का ज्यादा उपयोग होने से भी पर्यावरण को काफी हानि हुई है। इसलिए लोगों को केवल जरूरत के समय ही गाड़ियों का इस्तेमाल करना चाहिए और हो सके तो ज्यादा से ज्यादा साइकिल का प्रयोग करना चाहिए, ताकि पर्यावरण प्रभावित ना हो।

★ स्कूलों और कॉलेजों में भी बच्चों को पर्यावरण से संबंधित ज्यादा से ज्यादा जानकारी देनी चाहिए और उन्हें इसकी महत्ता को समझाना चाहिए। इससे वो भी पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक हो सकेंगे।

★ छोटे और बड़े स्तर पर पर्यावरण संरक्षण से संबंधित अभियान चलाने चाहिए और लोगों को इसके प्रति जागरूक करना चाहिए।

★ पेड़ों की कटाई पर कठोर नीति के द्वारा रोक लगाई जानी चाहिए क्योंकि पेड़ों की कटाई पर्यावरण को बहुत प्रभावित करती है। इसीलिए इसके लिए सख्त कानून होने चाहिए आदि। 

इन सभी प्रकारों से और सरकार के द्वारा लगाए गए सख्त कानूनों से हम पर्यावरण को सुरक्षित रखने में सफल हो सकते हैं।

पर्यावरण संरक्षण के लिए सरकार के कदम

पर्यावरण संरक्षण के लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कदम उठाए गए हैं जैसे 1972 के स्टॉकहोम अंतरराष्ट्रीय शिखर सम्मेलन में लोगों को जीव जंतुओं और पेड़ पौधों से संबंधित जानकारी दी गई थी और उन्हें इसकी महत्ता समझाते हुए पर्यावरण विभाग के गठन की सलाह दी गयी। इसके लिए UNEP ( United Nations Environment Programme ) का गठन किया गया जिसका उद्देश्य विकासशील देशों को पर्यावरण संरक्षण के बारे में जानकारी देना और उसे सुरक्षित रखने के लिए सुविधा मुहैया कराना था। इसके अलावा भारत में भी 1973 में प्रोजेक्ट टाइगर शुरू किया गया और वायु प्रदूषण से संबंधित कानून बनाएंगे। इसी तरह और भी कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर महत्वपूर्ण कदम उठाए गए और अच्छी बात यह है कि इन प्रयासों के सकारात्मक परिणाम भी देखने को मिले। राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सरकारों को इसी तरह और भी कई प्रयास करते रहना चाहिए ताकि पर्यावरण को पूरी तरह सुरक्षित किया जा सके।

हमारा जीवन पर्यावरण से ही है। अगर पर्यावरण साफ-सुथरा रहेगा तो मानव जाति भी स्वस्थ तरीके से जीवन जी सकेगी। पर्यावरण संरक्षण की समस्या सबसे महत्वपूर्ण समस्याओं की सूची में आती है इसीलिए इसे अनदेखा करना बहुत हानिकारक हो सकता है। इसके संबंध में कई सारे नियम और कानून बनाए गए लेकिन अभी पर्यावरण संरक्षण के लिए और ज्यादा प्रयास करने की आवश्यकता है,ताकि सारी तकनीकों और प्रयासों से वातावरण को सुरक्षित और साफ सुथरा बनाया जा सके। अतः यह सभी का कर्तव्य बनता है कि पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए अपनी तरफ से प्रयास करें, परिणाम के रूप में निश्चित ही इस समस्या को जड़ से खतम किया जा सकता है।

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पर्यावरण संरक्षण पर निबंध प्रारूप २

दिसम्बर 30, 2021 by  Wasif Jauhar

🌳  पर्यावरण संरक्षण पर निबंध (Paryavaran Sanrakshan Essay In Hindi)  पर यह निबंध बच्चो (kids) और class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए लिखा गया है।

पर्यावरण यानि हमारे चारों ओर का वातावरण, जिसमें, पेड़-पौधे, जानवर, वनस्पति आदि होते हैं। एक स्वच्छ और हरा-भरा पर्यावरण हमारे स्वस्थ जीवन का आधार होता है। लेकिन आजकल लोग बिना सोचे समझे पर्यावरण को नष्ट कर रहे हैं, इसे प्रदूषित कर रहे हैं। लोगों को यह पता नहीं होता कि एक अच्छे जीवन के लिए एक साफ-सुथरा हरा भरा पर्यावरण बहुत आवश्यक है। और इसके लिए पर्यावरण संरक्षण करके ही हम अपने पर्यावरण को नष्ट और प्रदूषित होने से बचा सकते हैं।

पर्यावरण को संरक्षित करने के लिए हमें केवल कुछ बातों का ही ध्यान रखना होगा। जैसे – अधिक से अधिक पेड़ लगाना, पेड़-पौधों की अधाधुंध कटाई रोकना, इधर-उधर कचरा न करना आदि पर्यावरण को प्रदूषित होने से रोकता है। पर्यावरण किस तरह हमारे लिए महत्वपूर्ण है और कैसे हम इसको नष्ट होने से बचा सकते हैं, इन सबके बारे में हम इस पोस्ट में जानेंगे। इसलिए इस पर्यावरण संरक्षण पर निबंध को अंत तक ज़रूर पढ़ें।

प्रस्तावना (Introduction) –

यदि बात करें पर्यावरण की तो ईश्वर ने हमारे लिए सुंदर सुंदर पेड़ पौधे, फूल, नदी, पहाड़, तालाब, जीव-जंतु, पक्षी, और अन्य बहुत सी अद्भुत चीज़ें बनाई हैं, जो हमारे पर्यावरण की सुंदरता को बढ़ाते हैं और हमारे जीवन के लिए आवश्यक हैं। लेकिन मनुष्य अपने स्वार्थ के लिए पर्यावरण को नष्ट कर रहा है। अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए ऐसी-ऐसी चीज़ों का अविष्कार कर रहा है, जो हमारे पर्यावरण को प्रदूषित कर रही हैं। यदि मानव ने ऐसा करना बंद नहीं किया और पर्यावरण संरक्षण पर ध्यान नहीं दिया तो आने वाला समय हम सबके लिए बहुत कठिन होगा। 

हो सकता है कि पृथ्वी पर जीवन ही न बच पाए। क्योंकि मानव ने पर्यावरण को इतना ज़्यादा प्रदूषित कर दिया है कि उसमें सांस लेना ही मुश्किल हो रहा है। तो आगे क्या होगा किसी को नहीं पता। इसलिए हम सबको मिलकर अपने पर्यावरण को बचाना होगा।

पर्यावरण का अर्थ क्या है (What is the Meaning of Environment in Hindi)?

पर्यावरण दो शब्दों से मिलकर बनाया गया है। “परि” एवं “आवरण”। परि शब्द का मतलब होता है जो चीज़ हमारे चारो तरफ स्थित है और आवरण का अर्थ है जो चीज़ हम सबको चारो तरफ से घेरे हुए है। यानि पर्यावरण का अर्थ होता है, वह चीज़ जो हमें चारो तरफ से घेरे हुए है।

यदि दूसरे शब्दों में कहें तो पर्यावरण हमारे आस-पास के वातावरण हैं, जिनमें हम जन्म से लेकर मृत्यु तक रहते हैं। जैसे – पेड़-पौधे, पहाड़, नदी, तालाब, मिट्टी, वायु, वन, मैदान आदि। अर्थात् जो भी प्राकृतिक चीज़ें हमें चारों ओर से घेरे हुए हैं, वही पर्यावरण हैं।

पर्यावरण संरक्षण क्या है (What is Environmental Protection)?

पर्यावरण मतलब जिन चीज़ों के बीच हम रहते हैं और संरक्षण का अर्थ होता है ‘सुरक्षित’। अर्थात् जिन चीज़ों से हम घिरे हुए हैं, उन्हें सुरक्षित रखना, उन्हें नष्ट होने से रोकना, उनका गलत तरीके से इस्तेमाल न करना पर्यावरण संरक्षण होता है।

पर्यावरण संरक्षण क्यों आवश्यक है (Why Environmental Protection is Necessary)?

यदि हमारा पर्यावरण प्रदूषित होता है तो उससे अनेक प्रकार की बीमारियां उत्पन्न होती हैं। इसके अलावा अनेक प्रकार की समस्याएं भी हमें झेलनी पड़ती हैं। जैसे – वायु-प्रदूषण से सांस लेने में कठिनाई व घुटन होती है। जल प्रदूषण से अनेक प्रकार की बीमारियां फैलती हैं। इसी तरह अन्य प्रकार के प्रदूषण भी मनुष्य के लिए हानिकारक होते हैं। इसके अलावा आजकल जो कोरोना जैसी खतरनाक महामारी ने हमें बर्बाद करके रखा है, यह भी पर्यावरण प्रदूषण का ही एक हिस्सा है। 

इसलिए यदि हम अपने आपको भविष्य में आने वाली कठिनाइयों से बचाना चाहते हैं और कोरोना जैसी अन्य महामारी और बीमारियों से खुद को सुरक्षित रखना चाहते हैं, तो हमें पर्यावरण को संरक्षित रखना आवश्यक है।

पर्यावरण प्रदूषण के कारण (Cause of Environmental Pollution in Hindi) –

पर्यावरण प्रदूषण एक ऐसी समस्या है, जिसका ज़िम्मेदार केवल मनुष्य ही है। ईश्वर ने हमें एक साफ-सुथरा, सुंदर व हरा-भरा रहने योग्य पर्यावरण दिया और इंसानों ने ही उसे अपने फायदे और मतलब के लिए प्रदूषित कर दिया। आइए नीचे जानते हैं कि पर्यावरण किन-किन कारणों से प्रदूषित होता है, जिनमें इंसानों का हाथ है –

(1) वनों का नष्ट होना (Destruction of Forests) –

पर्यावरण प्रदूषण का सबसे पहला और मुख्य कारण जो है, वह वनों की बहुत अधिक कटाई है। लोग वनों को नष्ट करके वहां पर उद्योग लगा रहे हैं, जो कि पर्यावरण को प्रदूषित करने में अपनी मुख्य भूमिका निभाते हैं। इसके अलावा वायु-प्रदूषण को कम करने में भी वनों का बहुत बड़ा योगदान होता है। वहीं प्रकाश संश्लेषण के द्वारा वन दुनिया के लोगों की आवश्यकताओं को भी पूरा करते हैं। जैसे – लकड़ी, ईधन, संश्लेषित धागों के लिए कच्चा माल आदि की सप्लाई। 

(2) जनसंख्या में वृद्धि के कारण (Due to Increase in Population) –

पर्यावरण प्रदूषण का दूसरा कारण जनसंख्या वृद्धि है। अधिक आबादी के कारण लोग कचरा ज्यादा करते हैं। रहने के लिए लोगों को निवास स्थान के रूप में घर चाहिए, इसलिए वो वनों की कटाई करते हैं। इसके अलावा अधिक जनसंख्या होने पर लोग नदियों और तालाबों को भी गंदा करते हैं।

(3) अशिक्षा एवं गरीबी (Illiteracy and Poverty) –

हमारे देश में अशिक्षित और गरीब लोग ज़्यादा हैं, जिनका पर्यावरण प्रदूषित करने में भी कुछ हद तक हाथ है। ज्यादातर अशिक्षित व गरीब लोग गांव में ही रहते हैं, जो अपने जीवनयापन के लिए ईधन के रूप में जंगलों की कटाई करते हैं। इसके अलावा अशिक्षित व्यक्ति जनसंख्या पर नियंत्रण करने में भी पीछे रहता है। 

(4) परिवहन में बढ़ोत्तरी (Increase in Transportation) –

आजकल अधिकतर लोग अपनी सुविधा के लिए ज़्यादा से ज़्यादा परिवहन का इस्तेमाल करते हैं, जो कि पर्यावरण को प्रदूषित करने में अपनी अहम भूमिका निभाता है।

(5) विभिन्न प्रकार की गैसें (Different Types of Gases) –

कारखानों से निकलने वाला विभिन्न प्रकार का धुआं व गैसें भी पर्यावरण को प्रदूषित करती हैं। इसके अलावा अलग अलग तरह के अविष्कार से निकलने वाली जहरीली गैसें भी हमारे पर्यावरण को प्रदूषित करती हैं।

(6) अन्य कारण (Other Reason) –

पर्यावरण प्रदूषण के अन्य कई कारण भी हैं, जैसे – उर्वरक एवं कीटनाशकों को अत्याधिक इस्तेमाल, विशाल सिंचाई, तीर्व व कर्कश ध्वनि, आधुनिक तकनीकों का तेज़ी से विस्तार इत्यादि।

पर्यावरण संरक्षण के उपाय (Environmental Protection Measures) –

• वनों की अंधाधुंध कटाई पर सरकार और जनता दोनों को मिलकर रोक लगानी चाहिए। इसके अलावा पेड़ों की लकड़ियों से बने सामान का उपयोग कम मात्रा में करना चाहिए, जैसे – कागज़, लकड़ी के फर्नीचर इत्यादि।

• जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करने के लिए लोगों को जागरूक करना चाहिए। इसके अलावा शिक्षा को बढ़ावा देकर भी जनसंख्या में हो रही वृद्धि को कम किया जा सकता है।

• अधिक से अधिक पेड़ लगाने चाहिए। हो सके तो अपने घर की छत, आंगन और यहां तक कि लोगों को बर्थडे व शादी के गिफ्ट में भी पौधे दें।

• यदि कहीं पैदल जा रहे हैं तो बाइक या कार का इस्तेमाल न करके पैदल या साइकिल से जाएं। इससे आप धुएं वाले परिवहन का प्रयोग न करके वायु प्रदूषण को रोक सकते हैं।

• आधुनिक तकनीक का प्रयोग कम से कम करें। इसके अलावा बल्ब कि बजाए सीएफएल या एलईडी बल्ब का प्रयोग करें।

• पानी और बिजली की बर्बादी न करें। इसके अलावा प्लास्टिक का प्रयोग न करके शीशे व कपड़े की बनी चीजें इस्तेमाल करें।

• खुद की प्राइवेट गाड़ी कि बजाए ट्रेन, बस या मेट्रो का प्रयोग करें।

निष्कर्ष (Conclusion) –

हम जिस पर्यावरण में रहते हैं, उसकी रक्षा करना हमारा कर्तव्य है। यदि हमने ऐसा नहीं किया तो इसका दुष्प्रभाव हम सबको ही झेलना पड़ेगा। भविष्य में हमें और हमारी आने वाली पीढ़ी को जल, वायु, निवास स्थान आदि सभी चीज़ों के लिए तरसना पड़ सकता है। इसलिए हम सबको पर्यावरण संरक्षित करने के लिए मिलकर प्रयास करने होंगे।

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