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दिवाली पर निबंध – Essay on Diwali in Hindi

(दिवाली पर निबंध / दीपावली पर निबंध – Essay on Diwali in Hindi – Hindi Essay On Diwali – Diwali Essay in Hindi – Diwali Par Nibandh – Diwali Nibandh in Hindi – Diwali Festival Essay in Hindi – दिवाली के त्योहार पर निबंध – Essay on the festival of Diwali in Hindi)

दिवाली हिंदुओं का सबसे बड़ा त्योहार है। रोशनी के इस त्यौहार को “दीपावली ” के नाम से भी जाना जाता है। दिवाली का त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। भले ही बुराई रावण की तरह शक्तिशाली और बुद्धिमान हो, लेकिन उसका अंत एक दिन अवश्य होता है।

Table of Contents

दीपावली पर निबंध (300 शब्दों में) – Diwali Essay in Hindi

दिवाली, हिंदुओं का एक प्रमुख त्योहार है, जिसका अर्थ है ‘दीपकों की पंक्ति।’ यह त्यौहार ख़ुशी और उत्सव का प्रतीक है और हर साल अक्टूबर और नवंबर के बीच मनाया जाता है। दिवाली के दिन लोग अपने घरों को सुंदर ढंग से सजाते हैं और रात में दीयों से रोशनी करते हैं।

दिवाली का महत्व कई परंपराओं और कहानियों से जुड़ा हुआ है। एक प्रमुख किंवदंती के अनुसार, इस दिन भगवान राम, उनकी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण अपने 14 साल के वनवास से अयोध्या लौटे थे, लोगों ने उनके स्वागत के लिए दीपक जलाए थे। इसके साथ ही श्रीकृष्ण ने राक्षस नरकासुर का वध करके लोगों को खुशहाली भी दिलाई थी।

दिवाली के पांच दिवसीय त्योहार में हर दिन का विशेष महत्व होता है। पहले दिन को ‘धनतेरस’ कहा जाता है, जिसमें लोग अपने व्यवसायों और घरों की सफाई करते हैं। दूसरे दिन को ‘छोटी दिवाली’ कहा जाता है, जिसमें लोग अपने घरों को खूबसूरती से सजाते हैं। तीसरे दिन को ‘मुख्य दिवाली’ कहा जाता है, जब लोग अपने घरों को दीयों से रोशन करते हैं और देवी लक्ष्मी की पूजा करते हैं।

दिवाली के इस खास मौके पर लोग नए कपड़े पहनते हैं और मिठाइयां बनाते हैं। फूल और पटाखे फोड़े जाते हैं और दुकानों, बाजारों और घरों को रंग-बिरंगे दीयों से सजाया जाता है।

दिवाली के चौथे दिन को ‘गोवर्धन पूजा’ कहा जाता है, जिसमें गाय माता की पूजा की जाती है। इस दिन, लोग बहुत सारे विशेष व्यंजन, जैसे खील-बताशा, बर्फी, गुलाब जामुन और अन्य स्वादिष्ट भोजन तैयार करते हैं और उन्हें दोस्तों और परिवार के साथ साझा करते हैं।

दिवाली के आखिरी दिन को ‘भाई दूज’ कहा जाता है, जिसमें बहनें यमराज की पूजा करती हैं और अपने भाइयों के लिए आशीर्वाद मांगती हैं।

दिवाली का त्योहार हर किसी के जीवन में सुख और समृद्धि का प्रतीक है। इसे एक नई शुरुआत का संकेत माना जाता है और लोग नए संकल्प लेते हैं और अपने जीवन को सफल और खुशहाल बनाने की कोशिश करते हैं।

दिवाली के इस उत्सव के तहत, लोग अपने दोस्तों और परिवार के साथ मिलकर खुशियाँ मनाते हैं, और सामाजिक और आपसी दोस्ती को मजबूत करते हैं।

दिवाली पर निबंध (500 शब्दों में) – Diwali Nibandh in Hindi

दिवाली, जिसे “रोशनी का त्योहार” के रूप में जाना जाता है, न केवल भारत में बल्कि दुनिया भर के हिंदू समुदायों द्वारा मनाए जाने वाले सबसे प्रमुख और प्राचीन हिंदू त्योहारों में से एक है। यह भव्य त्योहार अपने साथ समृद्धि, खुशियाँ और रोशनी की आशा लेकर आता है, जिसे विभिन्न समुदायों के लोगों द्वारा अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है।

दिवाली कार्तिक माह की अमावस्या को पड़ती है। यह एक ऐसा समय होता है जब अंधेरी रात अनगिनत दीपकों और दीयों के साथ जीवंत हो उठती है, जिससे आसपास का वातावरण जगमगा उठता है। दिवाली का बड़ा धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, यह चौदह साल के वनवास के बाद भगवान राम की अयोध्या वापसी की याद दिलाता है। उनकी वापसी के दौरान, अयोध्या के निवासियों ने अंधेरे पर प्रकाश की जीत का प्रतीक, दीपक जलाकर उनका स्वागत किया था।

इसके अतिरिक्त, इस दिन, भगवान कृष्ण ने राक्षस नरकासुर को हराया था, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक था। दिवाली जैन धर्म के संस्थापक भगवान महावीर के निर्वाण दिवस का भी प्रतीक है। इन कई कारणों से, दिवाली कई लोगों के दिलों में एक विशेष स्थान रखती है।

यह त्यौहार पांच दिनों तक चलता है, जो धनतेरस से शुरू होता है और भाई दूज के साथ समाप्त होता है। दिवाली की तैयारियां कई दिन पहले से ही शुरू हो जाती हैं। घरों की अच्छी तरह से सफाई की जाती है और सजावट शुरू हो जाती है। नए कपड़े सिले जाते हैं और तरह-तरह की स्वादिष्ट मिठाइयाँ बनाई जाती हैं। ठंड का मौसम भव्यता, स्वच्छता और जीवंत सजावट के समय में बदल जाता है, जो हमारे घरों में धन की देवी लक्ष्मी का स्वागत करता है।

पहले दिन, धनतेरस पर, लोग सोने और चांदी के आभूषण जैसी धातु की वस्तुएं खरीदते हैं क्योंकि इस दिन इन सामग्रियों में निवेश करना शुभ माना जाता है। दूसरा दिन नरक चतुर्दशी या छोटी दिवाली है, जब कुछ लोग पटाखे फोड़कर भी जश्न मनाते हैं।

तीसरा दिन, मुख्य दिवाली का दिन, देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा के लिए समर्पित है। यह दिन खासतौर पर उन व्यापारियों के लिए बहुत महत्व रखता है जो नए बही-खाते की शुरुआत करते हैं। विभिन्न आयु वर्ग और विभिन्न वर्गों के लोग धार्मिक अनुष्ठान करने और देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश का आशीर्वाद लेने के लिए एक साथ आते हैं।

चौथे दिन, गोवर्धन पूजा मनाई जाती है, जो भगवान इंद्र के प्रकोप के कारण होने वाली मूसलाधार बारिश से ग्रामीणों की रक्षा के लिए भगवान कृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत को उठाने का प्रतीक है। यह पर्व प्रकृति और पर्यावरण संरक्षण के महत्व पर जोर देता है।

दिवाली का आखिरी दिन, भाई दूज, भाई-बहन के रिश्ते को समर्पित है। बहनें अपने भाइयों की आरती करती हैं और उनकी सलामती के लिए प्रार्थना करती हैं और बदले में भाई अपनी बहनों को उपहार देते हैं।

दिवाली धार्मिक सीमाओं से परे है, विभिन्न धर्मों और पृष्ठभूमि के लोग त्योहार मनाने के लिए एक साथ आते हैं। यह एक सामाजिक और सांस्कृतिक उत्सव है जो परिवारों और दोस्तों के बीच प्यार, एकता और खुशी का प्रतीक है।

रोशनी का त्योहार दिवाली हमारे दिलों में एक खास जगह रखता है। यह एक नई शुरुआत का आरंभ करता है और हमारे जीवन को खुशी, आशा और सकारात्मकता से भर देता है। यह वह समय है जब अंधकार दूर हो जाता है और प्रकाश बुराई पर विजय प्राप्त करता है। यह त्योहार हमें याद दिलाता है कि अच्छे कर्म, एकता और विश्वास हमें हमेशा एक उज्जवल कल की ओर ले जाएंगे।

दिवाली के त्योहार पर निबंध (600 शब्दों में) – Essay on the festival of Diwali in Hindi

प्रस्तावना:

दिवाली हिंदुओं के सबसे लोकप्रिय और महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है, जिसे बड़े उत्साह और धूमधाम से मनाया जाता है। आमतौर पर छोटे बच्चों को यह त्योहार बहुत पसंद आता है क्योंकि यह सभी के लिए ढेर सारी खुशियाँ और उपहार लाता है। दिवाली का त्योहार कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है।

दिवाली का मतलब

“दिवाली”, जिसे “दीपावली” के नाम से भी जाना जाता है, भारत और दुनिया भर में रहने वाले हिंदुओं के सबसे पवित्र त्योहारों में से एक है। यह त्यौहार हिंदू पौराणिक और सांस्कृतिक धार्मिक महत्व से ओत-प्रोत है और विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग नामों और परंपराओं के साथ मनाया जाता है।

दिवाली का अर्थ “दीपकों की पंक्ति” से है, जो दर्शाता है कि इस त्योहार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा दीपक या दीये जलाना है। ‘दीपावली’ संस्कृत के दो शब्दों से मिलकर बना है – दीप+आवली। ‘दीप’ का अर्थ है ‘दीपक’ और ‘आवली’ का अर्थ है ‘श्रृंखला’, जिसका अर्थ है दीपकों की श्रृंखला या दीपकों की पंक्ति।

इस त्यौहार के अवसर पर घरों को दीपों से सजाया जाता है, जिससे रात बेहद खूबसूरत और रोशनी से भरी हो जाती है। यह दीयों की चमकती रोशनी है जिसका महत्वपूर्ण प्रतीक बुराई के अंधेरे से अच्छाई की रोशनी की ओर बढ़ना है।

दिवाली त्योहार की तैयारियां

“दिवाली” के त्यौहार की तैयारियां दिवाली से कई दिन पहले ही शुरू हो जाती हैं। दिवाली के आगमन से ही लोग अपने घरों को सजाना शुरू कर देते हैं। इस त्योहार की तैयारियों में घर की साफ-सफाई सबसे अहम होती है। लोग अपने घरों को साफ-सुथरा करके सजाते हैं, जिससे घर का वातावरण शुद्ध और रमणीय हो जाता है।

ऐसा माना जाता है कि दिवाली के दिन, धन और समृद्धि की देवी देवी लक्ष्मी जी का आगमन होता हैं, और वह विशेष रूप से उन घरों में प्रवेश करती हैं जहां साफ-सफाई और सुशीलता बनी रहती है। इसलिए ऐसा माना जाता है कि देवी लक्ष्मी के स्वागत के लिए घर का साफ सुथरा होना जरूरी है। देवी लक्ष्मी के आगमन को घर में सुख-समृद्धि बढ़ने का संकेत माना जाता है और इसलिए यह तैयारियों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

दिवाली नजदीक आते ही लोग अपने घरों को दीयों और तरह-तरह की लाइटों से सजाना शुरू कर देते हैं। इस त्यौहार की शुरुआत घर के कोने-कोने में दीपक और मोमबत्तियाँ जलाकर की जाती है, जिससे रात के समय घर की सुख-समृद्धि में रोशनी फैल जाती है। दीये और रोशनी का यह उत्स्व बुराई के अंधेरे को हराने और अच्छाई की रोशनी की ओर बढ़ने का संकेत है।

“लक्ष्मी पूजन” का विशेष महत्व है

इस दिन विशेष रूप से धन की देवी माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। दिवाली के शुभ अवसर पर धन की देवी मां लक्ष्मी, विघ्नहर्ता गणेश और धन संचय के देवता कुबेर की विधि-विधान से पूजा करने का विशेष महत्व माना जाता है। दिवाली, जिसे धनतेरस के नाम से भी जाना जाता है, धन और समृद्धि की प्राप्ति के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।

इस दिन लोग अपने घर में आने वाले धन का स्वागत करने के लिए अपने घरों को विशेष तरीके से सजाते, साफ-सुथरा और तैयार करते हैं। धनतेरस के दिन लोग अपने घरों को धन और समृद्धि से भरने के लिए देवी लक्ष्मी की पूजा कर उन्हें प्रसन्न करते हैं।

धनतेरस के दिन भगवान गणेश की भी पूजा की जाती है क्योंकि वह घर के रास्ते को साफ और सुरक्षित रखते हैं और बाधाओं को दूर करते हैं। कुबेर जी की पूजा से धन के प्रवाह पर नियंत्रण रहता है।

प्रदोष काल में लक्ष्मी पूजन सबसे अधिक फलदायी माना जाता है। धनतेरस का महत्व यह भी है कि यह धन निवेश और व्यापार के लिए शुभ समय होता है। इस दिन लोग नई संपत्ति की योजना बनाते हैं और नवीनतम व्यावसायिक प्रक्रियाओं में पहल करते हैं।

दिवाली का मतलब है दीपों की पंक्ति और रोशनी की ओर बढ़ना। इस त्योहार की तैयारियां दिवाली से कई दिन पहले से ही शुरू हो जाती हैं, जिससे हमारे घरों में रोशनी और खुशियां आती हैं। “लक्ष्मी पूजन” इस त्योहार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, क्योंकि यह धन और समृद्धि की देवी देवी लक्ष्मी की पूजा है, जो हमारे जीवन में समृद्धि और वित्तीय स्थिति की कामना करती है। दिवाली के दिन घरों को दीपों से सजाने के साथ-साथ आध्यात्मिक और आत्मनिर्भरता की भावना बढ़ती है, जिससे हम अपने जीवन में नए आदर्शों और समर्पण की ओर बढ़ सकते हैं।

दीपावली पर निबंध (900 शब्दों में) – Essay on Diwali in Hindi

दिवाली, जिसे “रोशनी का त्योहार” भी कहा जाता है, भारत और दुनिया भर में बड़े धूमधाम से मनाया जाने वाला एक प्रमुख हिंदू त्योहार है। इस त्योहार का महत्व आने वाले समय में सुख, समृद्धि और रोशनी की आशा से जुड़ा है। दिवाली को “रोशनी का त्योहार” कहा जाता है क्योंकि इस दिन लोग अपने घरों में दीये और पटाखे जलाते हैं, जो रोशनी का प्रतीक है। इस त्योहार के दौरान लोग अपने घरों को सजाते हैं, नए कपड़े पहनते हैं और साफ-सफाई करते हैं। इसके साथ ही दिवाली आध्यात्मिक और आत्मनिर्भर भावना को बढ़ावा देती है और लक्ष्मी पूजन के माध्यम से समृद्धि की कामना करती है।

दिवाली का इतिहास

हिंदू मान्यताओं के अनुसार दिवाली का इतिहास भगवान श्री राम के आगमन से जुड़ा है। भगवान श्री राम, माता सीता और भगवान लक्ष्मण ने चौदह वर्ष के वनवास के बाद अपनी प्रिय अयोध्या लौटने का फैसला किया था। उनके आगमन के दिन अमावस्या की रात थी, जिसके कारण पूरा नगर अंधकार में डूबा हुआ था। लोगों ने अपने घरों को दीपों और फूलों से सजाया था, ताकि भगवान राम और उनके परिवार के स्वागत के लिए पूरा शहर उज्ज्वल और सुंदर हो। 

तब से लेकर आज तक इसे रोशनी के त्योहार और अंधेरे पर प्रकाश की जीत के रूप में मनाया जाता है। लोग अपने घरों को दीयों और दीपों से सजाते हैं, जिससे घरों में रोशनी होती है और त्योहार की भावना में उत्सव का माहौल पैदा होता है। इसे “दीपावली” कहा जाता है, जिसका अर्थ है “दीपकों की पंक्ति”। यह पंक्ति न सिर्फ घर को रोशन करती है बल्कि यह भी दर्शाती है कि रोशनी हर समय बुराई को हराती है।

इस शुभ अवसर पर, भगवान गणेश, लक्ष्मी जी, राम जी और अन्य देवताओं की मूर्तियाँ बाजारों में खरीदारी के लिए उपलब्ध होती हैं। इस समय बाजारों में विशेष रौनक रहती है। इस अवसर पर लोग नए कपड़े, उपहार, आभूषण, बर्तन, मिठाइयाँ और अन्य सामान खरीदते हैं। 

हिंदू धर्म के अनुसार, दिवाली का त्योहार नई व्यावसायिक गतिविधियों की शुरुआत का भी प्रतीक है। व्यवसायी लोग दिवाली के त्योहार पर नए बही-खाते शुरू करके वित्तीय सफलता की आशा करते हैं।

इसके साथ ही लोगों का मानना है कि यह खूबसूरत त्योहार सभी के लिए धन, समृद्धि और सफलता लाता है। दिवाली के अवसर पर, लोग अपने परिवार, दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ उपहारों और मिठाइयों का आदान-प्रदान करने के लिए उत्सुक रहते हैं, जिससे खुशियों का आदान-प्रदान होता है और रिश्ते मजबूत होते हैं।

दिवाली में पटाखों का महत्व

दिवाली को “रोशनी का त्योहार” कहा जाता है। इस त्यौहार में बच्चे पटाखे और विभिन्न प्रकार की आतिशबाजी जैसे फुलझड़ी, रॉकेट, फव्वारे, चकरी आदि जलाना पसंद करते हैं। दिवाली में पटाखों का भी महत्व है क्योंकि पटाखे इस त्योहार की खुशियों को और भी रंगीन बना देते हैं।

पटाखे फोड़ना इस त्योहार को रंगीन और आनंदमय बनाता है। पटाखे दिवाली मनोरंजन का एक हिस्सा हैं और बच्चों और वयस्कों के बीच मनोरंजन का एक स्रोत हैं। पटाखे अपनी आवाज और ध्वनि से लोगों को आनंद लेने का वातावरण देते हैं और त्योहार के माहौल को और अधिक जीवंत और उत्सवपूर्ण बनाते हैं।

दिवाली के साथ मनाये जाने वाले त्यौहार

  • दिवाली का त्यौहार लगभग 5 दिनों तक मनाया जाता है। दिवाली 5 त्योहारों धनतेरस, नरक चतुर्दशी, महालक्ष्मी पूजा, धनतेरस और भाई दूज का संगम है।
  • धनतेरस: यह दिवाली के त्योहार का पहला दिन होता है, जिसमें लोग सोने और चांदी के आभूषण जैसी धातु की वस्तुएं खरीदते हैं।
  • नरक चतुर्थी (छोटी दिवाली): दिवाली के दूसरे दिन को नरक चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है और कुछ लोग इसे छोटी दिवाली के रूप में भी मनाते हैं।
  • मुख्य दीपावली (दिवाली): यह दिवाली का मुख्य दिन है, जिसमें लोग देवी महालक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा करते हैं। इस दिन को “अमावस्या” के रूप में मनाया जाता है, जिसका अर्थ है कि अमावस्या की रात होने के बावजूद, अमावस्या की रात को अच्छाई का प्रतीक माना जाता है।
  • गोवर्धन पूजा: दिवाली के त्योहार का चौथा दिन गोवर्धन पूजा के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण के बलभद्र गिरिराज रूप की पूजा की जाती है और कई तरह के अनुष्ठान किए जाते हैं।
  • भैया-दूज: दिवाली के त्योहार का आखिरी दिन भैया-दूज के रूप में मनाया जाता है, जिसमें बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र के लिए प्रार्थना करती हैं और उनकी रक्षा की कामना करती हैं।

ये त्यौहार अलग-अलग तरीके से मनाए जाते हैं और हर दिन का अपना विशेष महत्व होता है, हर दिन से अपनी-अपनी महत्वपूर्ण कहानियां और धार्मिक मान्यताएं जुड़ी हैं।

दिवाली से जुड़ी सामाजिक कुरीतियाँ

दिवाली जैसे धार्मिक महत्व के त्योहार के शुभ अवसर पर भी कुछ असामाजिक तत्व शराब, जुआ, जादू-टोना और पटाखों के दुरुपयोग जैसी अपनी बुरी आदतों से इसे खराब करने में लगे रहते हैं। पटाखों के अत्यधिक उपयोग से ध्वनि प्रदूषण बढ़ सकता है, जिससे क्षेत्र और आसपास के लोगों को परेशानी हो सकती है। यदि दिवाली के दिन इन बुराइयों को समाज से दूर रखा जाए तो दिवाली का त्योहार सचमुच शुभ दिवाली बन जाएगा।

दिवाली, जिसे भगवान श्री राम की अयोध्या वापसी के दिन के रूप में जाना जाता है, को अच्छाई के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है, और लक्ष्मी पूजा के साथ धन और समृद्धि की कामना की जाती है। पांच दिनों की दिवाली अपने अंदर के अंधेरे को मिटाकर पूरी दुनिया को रोशन करने का त्योहार है। दिवाली के दिन, लोग पटाखों का उपयोग करते हैं, जो उत्सव की आवाज़ और रंगों के साथ जश्न मनाने में मदद करते हैं। हमें यह समझना होगा कि दिवाली के त्योहार का मतलब रोशनी, प्यार और सुख-समृद्धि है। ऐसे में पटाखों का प्रयोग सावधानी से और बड़ों की मौजूदगी में करना चाहिए। इस दिन अवगुणों को दूर करने की जरूरत है ताकि यह त्योहार अपने वास्तविक महत्व को उजागर कर सके।

दिवाली पर निबंध 10 लाइन (Essay on Diwali in 10 lines)

  • दिवाली, जिसे “रोशनी का त्योहार” भी कहा जाता है, भारत का एक प्रमुख और महत्वपूर्ण त्योहार है। 
  • यह त्यौहार भगवान राम की अयोध्या वापसी की ख़ुशी को चिह्नित करने के लिए मनाया जाता है, जब लोग दीपक और रंगोली के साथ उनके आगमन का स्वागत करते हैं।
  • इस दिन, हिंदू अनुयायी मिट्टी के दीपक जलाते हैं और अपने घरों को रंगोली से सजाते हैं। 
  • इस त्योहार के मौके पर बच्चे पटाखे जलाकर अपनी खुशी और उत्साह का इजहार करते हैं, जो खास लगता है।
  • हिंदू धर्म के अनुसार दिवाली के इस दिन धन की देवी मां लक्ष्मी और विघ्नहर्ता भगवान गणेश की पूजा की जाती है, जिसका महत्व धन, समृद्धि और सफलता की प्राप्ति से जुड़ा है। 
  • लोग इस दिन को अपने दोस्तों और पड़ोसियों के साथ खुशी के लिए उपहार और मिठाइयाँ देकर मनाते हैं।
  • दिवाली को भारत में सार्वजनिक अवकाश के रूप में मनाया जाता है और इस त्योहार को बहुत धूमधाम से मनाने की तैयारी की जाती है। 
  • यह हिंदू समुदाय के सबसे प्रिय और आनंददायक त्योहारों में से एक है, और इसे अन्य धर्मों और संप्रदायों के लोगों द्वारा भी मनाया जाता है। 
  • दिवाली एक महत्वपूर्ण सामाजिक और पारंपरिक अवसर है, जो परिवारों और प्रियजनों के बीच प्रेम और मेल-मिलाप का प्रतीक है।

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अन्य लेख पढ़ें:

  • 110+ दिवाली की शुभकामनाएं संदेश – Diwali Wishes In Hindi
  • दि‍वाली पर हिंदी में कविताएँ – Diwali Poems in Hindi
  • दीवाली पर संस्कृत निबंध – Essay on Diwali in Sanskrit
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मेरा पसंदीदा त्योहार पर निबंध (10 lines Essay On My Favourite Festival in Hindi) 100, 200, 300, 500, शब्दों में

my favourite festival diwali essay in hindi

Essay On My Favourite Festival in Hindi – मुख्य हिंदू त्योहार दिवाली को कभी-कभी रोशनी का त्योहार भी कहा जाता है। भारत में कई त्यौहार बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाये जाते हैं। प्रत्येक उत्सव का आनंद लेने का एक अनोखा तरीका होता है। यहां “मेरा पसंदीदा त्योहार दिवाली ” पर कुछ नमूना निबंध दिए गए हैं।

मेरे पसंदीदा त्यौहार पर 10 पंक्तियाँ (10 Lines on My Favourite Festival in Hindi)

  • दिवाली मेरा पसंदीदा त्यौहार है
  • दिवाली को ‘दीपावली’ के नाम से भी जाना जाता है।
  • हम यह त्यौहार हर साल अक्टूबर या नवंबर में मनाते हैं।
  • दिवाली पर हम नए कपड़े पहनते हैं.
  • दिवाली के दौरान हम मिठाइयाँ और स्वादिष्ट भोजन खाते हैं।
  • हम अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ मिठाइयाँ भी बाँटते हैं।
  • दिवाली रोशनी का त्योहार है.
  • हम अपने घरों में दीये, मोमबत्तियाँ और दीपक जलाते हैं।
  • मैं इस त्योहार को लेकर रोमांचित हूं।’
  • मुझे यह त्यौहार बहुत पसंद है.

मेरा पसंदीदा त्योहार दिवाली पर 100 शब्दों का निबंध (100 Words Essay on My Favourite Festival Diwali)

दिवाली, जिसे अक्सर “रोशनी का त्योहार” के रूप में जाना जाता है, दीये जलाकर और रॉकेट और पटाखे चलाकर आनंद लिया जाता है। यह राक्षसी राजा रावण से अपनी पत्नी सीता को बचाने के बाद भगवान राम की अयोध्या में शानदार वापसी का सम्मान करने वाला एक उत्सव है। हम अपने घर को रोशन करने के लिए मिट्टी के तेल के लैंप का उपयोग करते हैं जिन्हें दीया कहा जाता है। हम उन्हें घी या तेल में डूबी रुई की बाती का उपयोग करके जलाते हैं। दिवाली बुराई की हार और अंधकार के उन्मूलन का प्रतीक है। हम अपने प्रियजनों के साथ मिठाइयाँ बाँटने का भी आनंद लेते हैं। मेरे लिए, अपने परिवार के साथ फुलझड़ियाँ जलाना मेरा व्यक्तिगत पसंदीदा हिस्सा है। मुझे अपने परिवार और दोस्तों के साथ दिवाली मनाना पसंद है, इस बड़े दिन पर हम सभी पारंपरिक भारतीय कपड़े पहनते हैं और एक-दूसरे को दिवाली की शुभकामनाएं देते हैं।

मेरा पसंदीदा त्योहार दिवाली पर 200 शब्दों का निबंध (200 Words Essay on My Favourite Festival Diwali in Hindi)

हर साल, मैं उत्सुकता से अपनी पसंदीदा छुट्टी, दिवाली का इंतजार करता हूं। यह अक्टूबर या नवंबर की शुरुआत में मनाया जाता है। इस अवसर पर हमारे स्कूल में छुट्टियाँ होती हैं। धनतेरस दिवाली उत्सव की शुरुआत का प्रतीक है। इस दिन लोग चांदी और सोने के सामान के साथ-साथ बरतन भी खरीदते हैं। इन दिनों बाजार में खूब भीड़ रहती है. अगले दिन को छोटी दिवाली या नरक चतुर्दशी के रूप में मनाया जाता है। लोग अपने घरों की सफ़ाई करते हैं और अतिरिक्त कूड़ा-कचरा हटा देते हैं। इस घटना के दौरान कहा जाता है कि देवी लक्ष्मी हमारे घर आती हैं। लोग अपने घरों को सजाने के लिए रंगोली और खूबसूरत लाइटों का इस्तेमाल करते हैं।

दिवाली के त्योहार पर देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा की जाती है। शाम को मिट्टी के दीये और मोमबत्तियाँ जलाई जाती हैं। दिवाली की रात को पूरा क्षेत्र जगमगाता हुआ दिखाई देता है। इसके अतिरिक्त, लोगों के बीच उपहारों और मिठाइयों का आदान-प्रदान किया जाता है। दिवाली इसलिए मनाई जाती है क्योंकि इस दिन भगवान राम चौदह वर्ष का वनवास बिताने के बाद अपने सिंहासन पर लौटे थे। दिवाली के अगले दिन गोवर्धन पूजा होती है और उसके बाद भाई दूज मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की सुरक्षा और खुशी के लिए प्रार्थना करती हैं। दीपावली शांति, एकता और पीढ़ीगत मूल्यों के मूल्य की याद दिलाती है। हर कोई जश्न मनाने, उपहार देने और लेने के लिए एक साथ आता है, और धन, खुशी और समृद्धि के लिए प्रार्थना करता है।

मेरा पसंदीदा त्योहार दिवाली पर 300 शब्दों का निबंध (300 Words Essay on My Favourite Festival Diwali)

हर साल मैं अपने पसंदीदा त्योहार दिवाली का बेहद इंतजार करता हूं। यह अक्टूबर या कभी-कभी नवंबर में मनाया जाता है। इस त्यौहार पर हमें स्कूल से छुट्टियाँ मिलती हैं। दिवाली का जश्न धनतेरस से शुरू होता है. इस दिन लोग बर्तन और सोने-चांदी की वस्तुएं खरीदते हैं। इन दिनों में बाज़ार में असामान्य भीड़ का सामना करना पड़ता है।

सभी दुकानें अच्छी तरह से सजाई गई हैं जो बड़ी संख्या में ग्राहकों को आकर्षित करती हैं। अगले दिन को नरक चतुर्दशी या छोटी दिवाली के रूप में मनाया जाता है। लोग अपने घरों की साफ-सफाई करते हैं और घर का पुराना कचरा बाहर फेंक देते हैं। ऐसा कहा जाता है कि इस त्योहार के दौरान देवी लक्ष्मी हमारे घर आती हैं। लोग अपने घरों को सजावटी रोशनी और रंगोली से सजाते हैं।

दिवाली के दिन भगवान गणेश के साथ देवी लक्ष्मी की भी पूजा की जाती है। इस दिन हम नए कपड़े पहनते हैं। शाम के समय मोमबत्तियाँ और मिट्टी के दीये जलाए जाते हैं। दिवाली की रात पूरा वातावरण जगमग नजर आता है। लोग एक-दूसरे को मिठाइयाँ और उपहार भी देते हैं। दिवाली इसलिए मनाई जाती है क्योंकि इस दिन भगवान राम चौदह वर्ष के वनवास के बाद अपने राज्य लौटे थे। दिवाली के एक दिन बाद गोवर्धन पूजा होती है और फिर हम भाई दूज मनाते हैं। इस दिन बहनें अपने भाइयों की सलामती और सुखद भविष्य के लिए प्रार्थना करती हैं। 

दिवाली के दिन यहां का पूरा माहौल बेहद खूबसूरत दिखता है। अँधेरी रात में दीयों और मोमबत्तियों की रोशनी हमें यह अहसास कराती है कि बुराई का अंधेरा तो और भी बढ़ सकता है लेकिन सच्चाई की चमक को नहीं छुपा सकता। दीपावली दर्शाती है कि पारिवारिक मूल्य, एकता और सद्भाव कितने महत्वपूर्ण हैं। हर कोई एक साथ मिलकर जश्न मनाता है, एक-दूसरे को उपहार देता है और पृथ्वी पर शांति और समृद्धि के लिए प्रार्थना करता है।

मेरा पसंदीदा त्योहार दिवाली पर 500 शब्दों का निबंध (500 Words Essay on My Favourite Festival Diwali)

जैसा कि हम सभी जानते हैं कि भारत वर्ष भर में कई त्यौहार मनाता है। इन सभी त्यौहारों में से एक प्रमुख त्यौहार है दिवाली। इसे दीपावली या रोशनी का त्योहार भी कहा जाता है। दिवाली हिंदुओं के लिए एक बड़ा महत्व रखती है। यह आमतौर पर अक्टूबर या नवंबर के महीने में मनाया जाता है। हालाँकि, दिवाली एक दिन का त्योहार नहीं है, यह भारत में मनाया जाने वाला पांच दिनों का त्योहार है। यह उत्सव धनतेरस से शुरू होता है और भाई दूज पर समाप्त होता है। दिवाली का यह अनोखा त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जीत को दर्शाता है।

मेरा पसंदीदा त्यौहार – दिवाली

मुझे सभी त्यौहार मनाना पसंद है लेकिन दिवाली मेरा पसंदीदा है। मैं इस त्योहार का पूरे साल इंतजार करता हूं।’ मुझे घर सजाना बहुत पसंद है. दिवाली के दौरान सभी घर और दुकानें बहुत खूबसूरत लगती हैं। शहर में पटाखे फोड़ने की आवाज गूंज उठती है. लोग एक-दूसरे के घर जाकर बधाई देते हैं और मिठाइयां बांटते हैं। इस त्यौहार के बारे में एक और चीज़ जो मुझे सबसे अधिक पसंद है वह है छुट्टियाँ। हमारा स्कूल कुछ दिनों के लिए बंद रहता है ताकि हम इस त्योहार का आनंद उठा सकें। मुझे अपने दोस्तों के साथ पटाखे फोड़ना भी पसंद है। 

मैं दिवाली कैसे मनाता हूँ

दिवाली उत्सव की तैयारी उत्सव से कुछ सप्ताह पहले शुरू हो जाती है। हम अपने घर को पेंट करना शुरू करते हैं और फिर उसकी सफाई करते हैं। घर को सजाने के लिए तरह-तरह की सजावटी लाइटों का इस्तेमाल किया जाता है। हम शॉपिंग भी करने जाते हैं. हम अलग-अलग चीजें खरीदते हैं जैसे नए कपड़े, मिठाइयां, उपहार, पटाखे, रंगोली के रंग, दीये (मिट्टी के दीपक), मोमबत्तियां और कई अन्य सजावटी सामान। धनतेरस के दिन हम बर्तन और सोने की चीजें खरीदने के लिए बाजार जाते हैं। दिवाली से एक दिन पहले के दिन को लेकर मैं हमेशा उत्साहित रहता हूं। इस दिन मैं अपने घर के प्रवेश द्वार पर रंगोली बनाती हूं।

दिवाली की सुबह हम मंदिर जाते हैं. शाम को हम नए कपड़े पहनते हैं और देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा करते हैं। पूजा के बाद, हम घर को सजाने के लिए मिट्टी के दीये और मोमबत्तियाँ जलाते हैं। फिर मैं अपने दोस्तों और भाई-बहनों के साथ पटाखों और फुलझड़ियों का आनंद लेता हूं। हालांकि ये आतिशबाजी हमारे पर्यावरण के लिए अच्छी नहीं है, इसलिए हम इको-फ्रेंडली दिवाली मनाने की कोशिश करते हैं। हम एक साथ मिठाइयों और स्नैक्स का आनंद लेते हैं। दिवाली के बाद हम गोवर्धन पूजा और भाई दूज भी मनाते हैं।

हम दिवाली क्यों मनाते हैं?

भारत में अधिकतर त्यौहार पौराणिक कथाओं से जुड़े हुए हैं। 14 साल के वनवास के बाद भगवान राम (विष्णु का एक रूप) के आगमन का आनंद लेने के लिए दिवाली मनाई जाती है। वह राक्षस रावण का वध करके घर आये। दशहरे के दिन उन्होंने रावण का वध किया और अपने घर लौटने में उन्हें 14 दिन लगे। इसीलिए दशहरे के 14 दिन बाद दिवाली मनाई जाती है। ऐसा कहा जाता है कि भगवान राम के अयोध्या आगमन की खुशी में लोगों ने पूरे शहर को दीयों और रोशनी से सजाया था। तभी से दिवाली का जश्न मनाया जाने लगा।  

भारत में लोगों के लिए इस त्यौहार का विशेष महत्व है। जैसा कि हम सभी जानते हैं, आतिशबाजी का बड़े पैमाने पर उपयोग हवा को प्रदूषित करता है। इससे पर्यावरण प्रदूषण में भारी वृद्धि होती है। हालाँकि, यह बच्चों के लिए खतरनाक हो सकता है। इसलिए, हमें दिवाली को ऐसे तरीके से मनाने का प्रयास करना चाहिए जो पर्यावरण और परिवेश दोनों के लिए अच्छा हो।

मुझे आशा है कि ऊपर दिया गया मेरा पसंदीदा त्यौहार दिवाली पर निबंध इस त्यौहार को विस्तार से समझने में सहायक होगा।

मेरे पसंदीदा त्यौहार दिवाली पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

Q.1 दिवाली उत्सव कब शुरू हुआ था.

उत्तर. दिवाली उत्सव 2,500 साल से भी पहले का है।

Q.2 दिवाली शब्द का क्या अर्थ है?

उत्तर. दिवाली शब्द का अर्थ है “रोशनी की पंक्ति”।

Q.3 दिवाली पर देवी लक्ष्मी की पूजा क्यों की जाती है?

उत्तर. लक्ष्मी धन, विलासिता, सौभाग्य और सफलता की देवी हैं। चूँकि दिवाली बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाती है, इसलिए दिवाली पर सौभाग्य लाने के लिए लक्ष्मी की पूजा की जाती है।

Q.4 2022 में दिवाली किस दिन मनाई जाएगी?

उत्तर. 2022 में दिवाली उत्सव 24 अक्टूबर को होगा।

Hindi Grammar by Sushil

मेरा प्रिय त्यौहार-दीपावली पर निबंध | Essay on My Favourite Festival Diwali in Hindi

हमारा भारत देश त्योहारों का देश माना जाता है। यहां साल भर त्यौहार आते रहते हैं लेकिन दीपावली का जो यह त्यौहार हिंदुओं के सबसे बड़े एवं सबसे प्रिय त्योहारों में से एक माना जाता है। हिंदू धर्म में पांच दिनों तक चलने वाला यह दीपावली का पर्व सबसे बड़ा पर्व माना जाता है इस त्यौहार का इंतजार बच्चे- बूढ़े सभी को होता है और सभी इसे बड़ी ही धूमधाम और हर्षोल्लास से साथ मनाते है।

दीपावली का यह त्यौहार भगवान श्री राम, माता लक्ष्मी और भाई लक्ष्मण के 14 वर्षों का कठिन वनवास पूरा करके जब वे अपने राज्य अयोध्या वापस आए थे। इसी खुशी में अयोध्या वासियों ने पूरी अयोध्या को घी के दियो से जगमगा कर भगवान श्री राम और माता सीता का स्वागत किया तभी से यह दीपों का त्योहार दीपावली पूरे भारत के हिंदुओं एवम् अन्य धर्मों के लोगो द्वारा मनाया जाता है।

मेरा प्रिय त्यौहार पर निबंध  (Essay on My Favourite Festival Diwali in Hindi)

Table of Contents

मेरा प्रिय त्यौहार पर निबंध (Essay on My Favourite Festival Diwali in Hindi)

दीपावली का यह पर्व कार्तिक मास की अमावस्या के दिन मनाया जाता है। दीपावली का यह पर्व 5 दिनों तक मनाया जाने वाला सबसे बड़ा त्यौहार है। दीपावली के दो दिन पहले धनतेरस का पर्व मनाया जाता है जिसमें लोग सोने चांदी का सामान और पीतल ,तांबा, स्टील के बर्तन आदि खरीदते हैं, और भगवान कुबेर और भगवान धनवंतरी जी की पूजा की करते है और यह प्रार्थना करते है कि उनके घर में सुख , शांति,समृद्धि और धन की कभी कोई कमी ना हो।

धनतेरस के अगले दिन नरक चौदस होती है ऐसा माना जाता है कि, नरक चौदस के दिन सूर्य उदय से पहले ही स्नान करना बहुत शुभ होता है। नरक चौदस के अगले दिन अमावस्या होती है l जिस दिन पूरा भारतवर्ष दीपावली का यह पर्व मानता है। इस वर्ष दीपावली का त्यौहार 12 नवम्बर को मनाया जाना है ,जिसमें माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है ,खीर और बताशे का भोग लगाया जाता है और पूरे घर , दफ्तर, दुकानों, ऑफिसों आदि के घी के दीए जलाए जाते है।

दीपावली पूजन का शुभ मुहूर्त

दीपावली पूजन का शुभ मुहूर्त प्रदोष काल में करना सबसे अधिक फलदायक साबित होता है। ऐसा माना जाता है प्रदोष काल के स्थिर लग्न में माता लक्ष्मी और विघ्नहर्ता भगवान श्री गणेश और धन के देवता भगवान कुबेर की पूजा करने से धन की देवी लक्ष्मी बहुत प्रसन्न होती है और अपने भक्त के घर में निवास करती हैं और उनके जीवन को सुख – शान्ति, संपत्ति और धन की कोई कभी कमी नहीं होती है।

इस साल दीपावली का यह पर्व 12 नवंबर 2023 को मनाया जाएगा। जिसमें घरों में पूजा करने का शुभ मुहूर्त शाम 5 बजकर 01 से रात्रि में 9 बजकर 55 मिनट प्रदोष काल मुहूर्त है। जिसमें देवी लक्ष्मी की पूजा करने से घर में सुख ,शांति ,समृद्धि और धन की कोई कमी नहीं होती और माता लक्ष्मी का आशीर्वाद आपके ऊपर सदैव रहता है।

दीपावाली का अर्थ

भारत और दुनिया भर के हिंदुओं द्वारा दीपावली का यह त्यौहार मनाया जाता है। ‘ दीपावली’ शब्द संस्कृत भाषा के दो शब्दों ‘दीप + अवली’ से मिलकर बना है। जिसमें ‘ दीप ‘ का अर्थ होता है ‘दीपक’ और ‘अवली’ का अर्थ होता है ‘श्रृंखला या पंक्ति’ । जिसका हिंदी में अर्थ होता है दीपों की श्रृंखला या दीपों की पंक्ति। दिपावली का त्यौहार है हिंदुओं का त्यौहार होता है,परंतु आज के समय में सभी लोग इस त्यौहार को बड़ी ही धूमधाम और उत्साह के साथ मनाते हैं घर में ऐसा सजावट करते हैं पटाखे और आतिशबाजी भी करते हैं, दीये जलाते है,और अपने दोस्तो , सगे – संबंधियों के घर जाकर मिठाइयां देकर इस त्यौहार को मानते हैं।

दीपावली की तैयारियां

कार्तिक के महीने में मनाया जाने वाला या दीपावली का त्यौहार है मैं दीपावली का ही एक ऐसा त्यौहार है ,जो केवल एक दिन नहीं बल्कि 5 दिनों तक लगातार मनाया जाता है। लेकिन इसके लिए लोग महीनो, सप्ताहों से अपने घरों की साफ – सफाई और रंगाई – पुताई के कार्य में लग जाते हैं। बाजारों में तरह-तरह की रंग बिरंगी लाइटें और साज – सजावट के तरह – तरह की चीजे , लक्ष्मी और भगवान है श्री गणेश की मूर्तियां ,पटाखे और आतिशबाजी ,बाजार में सजी होती है। बाजारों में भिन्न भिन्न प्रकार की मिठाइयां बनती है,घरों में अनेकों प्रकार के भोज बनते है।

दीपावली पर लोग अपने-अपने घरों की बड़ी सुंदर सजावट करते हैं घर के आंगन तथा पूजा के स्थान पर सुंदर रंगोली बनाते हैं। घरों के बाहर रंग बिरंगी लाइटें लगाते हैं, नए कपड़े पहनते हैं। दीपों के त्योहार ‘ दीपावली’ में पूरा वातावरण रोशनी से जगमगा उठता है, हर तरफ लोगों में खुशियां और उत्साह ही नजर आता है।

दीपावली की शुरूआत

हमारे हिंदू धर्म में हर त्यौहार के पीछे कोई ना कोई धार्मिक व पौराणिक मान्यता तो जरूरी ही होती है। इसी तरह दीपावली के त्यौहार के पीछे भी एक मान्यता यह है कि, दीपावली के दिन ही भगवान श्री राम ने लंका पति रावण का वध करके बुराई पर अच्छाई की विजय को प्राप्त कर 14 वर्ष का कठिन वनवास काटकर देवी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ अयोध्या वापस आए थे। और उन्हीं के घर वापसी की खुशी में उनके स्वागत के रूप में अयोध्या वासियों ने पूरे अयोध्या को दीपों से जगमगा दिया था। तभी से दीपों का त्योहार दीपावली मनाया जाने लगा।

दीपावली के पीछे की एक कथा यह भी है कि इस दिन समुद्र मंथन के समय देवी लक्ष्मी कमल पर विराजमान हाथ में एक सोने से भरा कलश लिए प्रकट हुई थी। इसलिए होली के पूजा में माता लक्ष्मी की प्रतिमा को विराजमान किया जाता है। उनकी पूजा अर्चना की जाती है और उनसे अपने जीवन के सुख ,समृद्धि शांति और धन धान्य की प्राप्ति के लिए प्रार्थना की जाती है।

दिपावली का महत्व

दीपावली का यह पावन पर्व देश के अलग-अलग शहरों में अलग-अलग तरीकों से मनाया जाने वाला पर्व है। दीपावली का यह पर्व बुराई पर अच्छाई के जीत के रूप में भी मनाया जाता है। दीपावली के त्यौहार में सभी बहुत अनोखी ऊर्जा ,शक्ति और प्रसन्नता का अनुभव लोग अपने हृदय में करते हैं।

दीपावली का यह उत्सव एक जुटता और भाईचारे का भी प्रतीक माना जाता है। क्योंकि दीपावली पर घर से दूर रह रहे लोग चाहे पढ़ाई के लिए हो या नौकरी के लिए हो वो सभी लोग भी दीपावली के दिन अपने-अपने घरों पर आते हैं और सब मिलकर दीपावली का त्यौहार बड़ी आनंद और उत्साह के साथ मनाते हैं। दीपावली का त्यौहार लोगों के हृदय में प्रेम उत्साह और एक जुटता लेकर आता है।

दीपावली त्यौहार के लाभ

  • दीपावली के त्यौहार में छोटे बड़े सभी तरह के व्यापारियों और दुकानदारों की अच्छी कमाई हो जाती है।
  • लोग घरों में साज सजावट का सामान ,कपड़े ,गहने खाने पीने आदि सभी तरह की वस्तुएं खरीदते हैं, जिससे बंजारों में सब तरह की दुकानों की बिक्री अच्छी होती है।
  • दीपावली का त्यौहार आपस में प्रेम भाव एक जुटता और भाईचारे को बढ़ाता है।
  • हो गए अपने-अपने घरों, दुकानों, ऑफिसों , कार्यालयों,कारखानों और आसपास के सभी स्थानों की साफ सफाई करते हैं जो हमारे स्वास्थ्य के लिए भी बहुत अच्छा है।
  • दीपावली के पर्व पर जो कुटीर उद्योग वाले होते हैं, उनसे भी लोग मिट्टी के दिए और साथ सजावट का सामान लेते हैं जिससे उनकी भी आर्थिक स्थिति बेहतर हो जाती है ।

दीपावली त्यौहार से हानियां

  • दीपावली पर अधिक है पटाखे और आतिशबाजी करने से वायु प्रदूषण फैलता है।
  • हजारों में बिकने वाले तरह-तरह के दीयो से फिजूल का तेल भी जलता है।
  • तरह-तरह की मिठाइयां और पकवान खाने से स्वास्थ्य भी खराब हो जाता है।
  • साफ सफाई के चक्कर में पानी की बर्बादी करते हैं।
  • दीपावली में लोगो द्वारा जुआं खेलना ,शराब पीना, टोटका करना आदि काम किए जाते है, जो घर और समाज के लिए बिल्कुल भी सही नहीं है।

दीपावली हिंदुओं का सबसे प्रमुख त्यौहार है।जिसका इंतजार बच्चे और बड़े सभी बहुत बेसब्री से करते है। दीपावली का यह त्यौहार सामाजिक और सांस्कृतिक सदभावना का प्रतीक होता है। बाहर के जरिए लोगों में सामाजिक एकता और एक दूसरे के प्रति प्रेम नजर आता है। दीपावली का यह त्यौहार बुराई पर अच्छाई कि विजय के रूप में मनाया जाता है। दीपावली का यह पर्व सभी के जीवन में बहुत ही खुशियां प्रदान करता है। दीपावली के दिन हमें शुद्ध मन से देवी लक्ष्मी और भगवान श्री गणेश जी की पूजा अर्चना कर करके उनसे आने वाले अपने भविष्य के लिए आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए जिससे हमारा जीवन सुख शांति से बना रहे।

प्रश्न 1- दीपावली मनाने का मुख्य उद्देश्य क्या है?

उत्तर -दीपावली मनाने का मुख्य उद्देश्य बुराई पर अच्छाई की जीत और भगवान श्री राम और माता सीता के अयोध्या वापसी की खुशी के रूप में मनाया जाता है।

प्रश्न 2- दीपावली मनाने का वैज्ञानिक महत्व क्या है?

उत्तर -दीपावली मनाने का एक वैज्ञानिक के महत्व यह भी है कि दीयें जलाने से पूरा वातावरण शुद्ध और प्रकाश मय हो जाता है।

प्रश्न 3- दीपावली का अर्थ क्या है?

उत्तर – दीपावली संस्कृत भाषा के दो शब्द – ‘दीप + अवली’से मिलकर बना है जिसका अर्थ होता है दीपों की श्रृंखला या दीपों की पंक्ति।

प्रश्न 4- दीपावली का त्यौहार कैसे मनाया जाता है?

उत्तर -दीपावली के त्यौहार में मिट्टी के दीए जलाए जाते तरह-तरह की लाइटें और रंगोलियों से घर को सजाकर माता लक्ष्मी और भगवान गणेश जी की पूजा अर्चना करते हैं।और अच्छे-अच्छे पकवान बनाकर बड़े ही हर्षोल्लास , धूमधाम और खुशियों से त्यौहार मनाते हैं।

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Neha

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